बुधवार, 15 जून 2011

Health 11


बारिश की सर्दी मिटाने के लिए

बारिश की सर्दी लगने का अंदेशा हो तो एक लौंग मुंह में रख देना चाहिये और घर जाकर मत्था जल्दी पोंछ लेना चाहिये । बदन सूखा कर लेना चाहिये और बांये करवट थोड़ा लेट के दायाँ श्वास चालू रखना चाहिये । इससे बारिश में भीगने का असर नहीं होगा ।


Monday 27 September 2010

भोजन-पात्र विवेक

· भोजन के समय खाने व पीने के पात्र अलग-अलग होने चाहिए।
· काँसे के पात्र बुद्धि वर्धक, स्वाद अर्थात् रूचि उत्पन्न करने वाले हैं। उष्ण प्रकृतिवाले व्यक्ति तथा अम्लपित्त, रक्तपित्त, त्वचाविकार, यकृत व हृदयविकार से पीड़ित व्यक्तियों के लिए काँसे के पात्र स्वास्थ्यप्रद हैं। इससे पित्त का शमन व रक्त की शुद्धि होती है।
· 'स्कन्द पुराण' के अनुसार चतुर्मास के दिनों में पलाश (ढाक) के पत्तों में या इनसे बनी पत्तलों में किया गया भोजन चान्द्रायण व्रत एवं एकादशी व्रत के समान पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है। इतना ही नहीं, पलाश के पत्तों में किया गया एक-एक बार का भोजन त्रिरात्र व्रत के समान पुण्यदायक और बड़े-बड़े पातकों का नाश करने वाला बताया गया है। चतुर्मास में बड़ के पत्तों या पत्तल पर किया गया भोजन भी बहुत पुण्यदायी माना गया है।
· केला, पलाश या बड़ के पत्ते रूचि उत्पन्न करने वाले, विषदोष का नाश करने वाले तथा अग्नि को प्रदीप्त करने वाले होते हैं। अतः इनका उपयोग हितावह है।
· लोहे की कड़ाही में सब्जी बनाना तथा लोहे के तवे पर रोटी सेंकना हितकारी है इससे रक्त की वृद्धि होती है। परंतु लोहे के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए इससे बुद्धि का नाश होता है। स्टील के बर्तन में बुद्धिनाश का दोष नहीं माना जाता। पेय पदार्थ चाँदी के बर्तन में लेना हितकारी है लेकिन लस्सी आदि खट्टे पदार्थ न लें। पीतल के बर्तनों को कलई कराके ही उपयोग में लाना चाहिए।
· एल्यूमीनियम के बर्तनों का उपयोग कदापि न करें। वैज्ञानिकों के अनुसार एल्यूमीनियम धातु वायुमंडल से क्रिया करके एल्यूमीनियम ऑक्साइड बनाती है, जिससे इसके बर्तनों पर इस ऑक्साइड की पर्त जम जाती है। यह पाचनतंत्र, दिमाग और हृदय पर दुष्प्रभाव डालती है। इन बर्तनों में भोजन करने से मुँह में छाले, पेट का अल्सर, एपेन्डीसाईटिस, रोग, पथरी, अंतःस्राव, ग्रन्थियों के रोग, हृदयरोग, दृष्टि की मंदता, माईग्रेन, जोड़ों का दर्द, सर्दी, बुखार, बुद्धि की मंदता, डिप्रेशन, सिरदर्द, दस्त, पक्षाघात आदि बीमारियाँ होने की पूरी संभावना रहती है। एल्यूमीनियम के कुकर का उपयोग करने वाले सावधान हो जायें।
· प्लास्टिक की थालियाँ (प्लेट्स) व चम्मच, पेपल प्लेट्स, थर्माकोल की प्लेट्स, सिल्वर फाइल, पालीथिन बैग्ज आदि का उपयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
· पानी पीने के पात्र के विषय में 'भावप्रकाश' ग्रंथ में लिखा है कि पानी पीने के लिए ताँबा, स्फटिक या काँच-पात्र का उपयोग करना चाहिए। ताँबा तथा मिट्टी के जलपात्र पवित्र व शीतल होते हैं। टूटे-फूटे बर्तन से अथवा अंजलि से पानी नहीं पीना चाहिए।


मोबाइल फ़ोन कैसे उपयोग करें

मोबाइल फोन भी कान से ढाई से.मी. की दूरी पर रखा जाय।

मोटापा, कोलेस्ट्रोल दूर करने के लिए
१० ग्राम शोधन कल्प (आश्रम वाला), १० ग्राम शहद घोल बना के सुबह खाली पेट चाट लो । १-२ बार शौच होगा । इससे मोटापा, कोलेस्ट्रोल दूर होगा ।

दिमागी कमजोरी, यादशक्ति, सिरदर्द के लिए

थोड़ी सी जीभ दांतों के बाहर निकालो जैसे १/२ cm और पहली उंगली अंगूठे के साथ मिला दो (जीरो बना दिया) । इससे दिमागी कमजोरी, यादशक्ति, सिरदर्द आदि दूर होते हैं । सिरदर्द वाले रोगी देसी गाय के घी का नस्य लें । यादशक्ति के लिए तालू में जीभ लगायें ।

चतुर्मास में जीवनशक्ति बढ़ाने के उपायः

  • साधारणतया चतुर्मास में पाचनशक्ति मंद रहती है। अतः आहार कम करना चाहिए। पन्द्रह दिन में एक दिन उपवास करना चाहिए।
  • चतुर्मास में जामुन, कश्मीरी सेब आदि फल होते हैं। उनका यथोचित सेवन करें।
  • हरी घास पर खूब चलें। इससे घास और पैरों की नसों के बीच विशेष प्रकार का आदान-प्रदान होता है, जिससे स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
  • गर्मियों में शरीर के सभी अवयव शरीर शुद्धि का कार्य करते हैं, मगर चतुर्मास शुद्धि का कार्य केवल आँतों, गुर्दों एवं फेफड़ों को ही करना होता है। इसलिए सुबह उठने पर, घूमते समय और सुबह-शाम नहाते समय गहरे श्वास लेने चाहिए। चतुर्मास में दो बार स्नान करना बहुत ही हितकर है। इस ऋतु में रात्रि में जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठना बहुत आवश्यक है।

बेहोश होने पर

कोई बेहोश हो गया हो तो उसके सिर पर तेल की मालिश करो, पैरों पर तिल का तेल रगड़ो । उस के कानों में "ऐं ऐं" अथवा "ॐ ॐ" बोलें ।


नेत्र ज्योति बढाने के लिए

दोनों हाथों के नाखूनों को आपस में रगड़ने से नेत्र ज्योति बदती है ।

विघ्न नाश, रोग नाश एवं कार्य सिद्धि के लिए
गेहूंचावल , उड़द , मूंग और तिल का आटा गूंधकर, घी डाल के दिया जला दें | हनुमानजी या बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे दिया जलाये । 

हनुमानजी के आगे सरसों से ऊपर का दीया जलाये तो रोगों का नाश करने मे मदद मिलेगी |

गणपति जी के प्रतिमा के निकट जलाएंगे तो विघ्न नाश करने में मदद मिलेगी |

पीपल या वट वृक्ष के नीचे हनुमानजी का सुमिरन करके ऊपर युक्त दीया जलाया जाए तो कार्यसिद्धि करने मे मदद मिलेगी |


गर्भ की रक्षा

किसी महिला को बार बार गर्भ पात हो जाता हो या बच्चा होने के बाद तुरंत मर जाता हो तो ऐसी महिला डेढ़ – दो महीने तक ऐसा करे :- दोनों टाइम सात्विक भोजन करेतीखा मिर्च मसाला वाला नहीं खाए… रोज सुबह देसी गाय का दूध पिए..ऐसा नहीं की दूध पहले से निकाल के रखा और ग्वाला घर पे ला कर देगा फिर उस महिला ने पिया ऐसा नहीं..वो महिला गौशाला में जाएसाथ में मिश्री का पाउडर तैयार रखेगौशाला में जैसे ही दूध निकाला, तुरंत छाना और मिश्री पाउडर डाल के पी लेऐसा डेढ़-दोमहीना करे…..रोज भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करे और प्रार्थना करें कि आप ने उत्तरा के गर्भ का रक्षण किया, ऐसे मेरे भी गर्भ की रक्षा करे.. गाय का ताज़ा दूध बिना गरम किया हुआ पीना- ये सर्वोत्तम उपाय है। 


किस महीने में क्या नहीं खाना

सावन में साग नहीं ।
भादो में दही-छाछ नहीं ।
आश्विन में दूध नहीं ।
कार्तिक में दालें नहीं ।

कमज़ोर बच्चों के लिए
अगर कमज़ोर बच्चे हैंतो पपीते के बीज छाया में सूखा दो और कूट के पाउडर बना दो । -पपीते के बीज का पाउडर और आधा चम्मच नीम का रसबच्चे को  दिन तक पिलाओ । पेटमें कृमि या और कोई तकलीफ हैवो दूर होगी ।

गर्भ की रक्षा
चांदी की कटोरी में दही जमाकर खाने से गर्भपात नहीं होता ।

दमा
अंजीर सुबह उबाल कर खाने से दमा में फायदा होता है ।



बार बार बुखार आना

बार-बार बुखार आता हो तो भोजन से पहले २-३ ग्राम अदरक और थोड़ा नींबू खाएं फिर भोजन करें ।



साइटिका

  • साइटिका निवृत करने के लिए पैरों के तलवे पर सरसों का तेल लगायेऔर पैरों से ताली बजाएं और सोते -सोते प्राणायाम करें।
  • साइटिका है तो सुबह सूर्य की किरणों में बैठ के श्वास बाहर निकाल के दायाँ पैर सीधा रखें और बाएं पैर की तरफ खींचे, फिर श्वास ले लेवें । फिर बायाँ पैर आगे रख कर दायें पैर के तरह खींचे ।

जोड़ों का दर्द
जोड़ों का दर्द है तो पहली ऊँगली अंगूठे के मूल में डाल दो और ३ उंगलियाँ सीधी रखो । श्वास बाहर रख दें और " बम बम बम....." का जपें ।


पुदीने का पानी

भूख नहीं लगती तो पुदीने के १०-२५ पत्ते रगड़-रगड़ के, कूट के पानी में डालो और पानी उबाल के पियो, भूख लगेगी और वायु की तकलीफ ठीक होगी। अथवा तो १०-२० ग्राम पुदीने को मिक्सी में घूमा के फिर १-२ लीटर पानी में डाल दो । जब १ लीटर पानी ३/४ लीटर हो जाए तब उपयोग करो । भूख, जोड़ों का दर्द, वायु की तकलीफ में आराम होगा।



उपयोगी अरबी के पत्ते

अरबी के पत्तों की सब्जी बहुत फायदेमंद एवं वीर्यवर्धक है । सभी को खानी चाहिये ।

टूटे कांच व बंद हुई घड़ी ना रखे
घर के दरवाजे में या खिड़कियों में टूटे कांच हैं तो बीमारी के द्योतक हैं, उनको तुरंत बदल दें.....घर में टूटे हुए कांच का सामान हो तो उसे निकाल दें......बंद पड़ी हुई घड़ियाँ होगीं तो उन को सुधार के ठीक कर लें या बिगड़ गयी हैं तो फ़ेंक दें.....पुराने कपड़े जो आप नहीं पहनते उन को बाँट दो, अथवा यथा योग्य विसर्जन कर दो .....पुरानी चाबियाँ, पुराने ताले जो काम में नहीं आते, घर में नहीं रखें.......ऐसे चीजे नकारात्मक ऊर्जा पीड़ा करती हैं........घर में जो चीजें अनावश्यक हैं उन की सफाई कर दो ।

पाचन तंत्र ठीक करने के लिए
दिन में २-३ बार पुदीने के अर्क में थोड़ा पानी मिलाकर मुंह में थोड़ी देर रखें । इससे पाचन तंत्र ठीक रहेगा और मुंह की दुर्गन्ध भी दूर होगी ।


असाध्य रोगों में

गिलोय, घी, दूर्वा, काले तिल की ११०० आहुतियाँ अग्नि में कुछ दिन डालें । इस दौरान केवल कटी वस्त्र पहने जिससे श्वास और रोमकूपों के द्वारा इसका धुआं शरीर में जायेगा । इससे असाध्य रोग दूर होंगे ।


Thursday 8 July 2010

जोड़ों का दर्द, बदहाजमा व थकान आदि में

१० ग्राम काली मिर्च कूट लें, १० ग्राम सौंठ का पाउडर, २० ग्राम जीरा पाउडर अच्छे से सेंक लें । इन सबको कूट के उस में १० ग्राम सेंधा नमक व १० ग्राम काला नमक मिलाकर रखें। कभी -कभी भोजन से १० मिनट पहले उसमे नींबू का रस मिलाकर चाट लें तो बदहाजमा , जोड़ों का दर्द, मोटापा, भूख नहीं लगना व शरीर में थकान दूर होगी ।

नोटइसकी तासीर गर्म होने के कारण कभी-कभी खाएंज्यादा दिन नहीं खाएं । 


भोजन के मध्य में आंवले का रस

भोजन के मध्य में अगर आंवले का रस ३०-३५ ग्राम पानी मिलाकर २१ दिन पिया जाए, तो ह्रदय व मस्तिष्क की सारी दुर्बलताएं दूर हो जाएगी । ह्रदय पुष्ट होता है व दिमाग तीव्र होता है ।


चांदी वर्क खतरनाक

मिठाई में चांदी के वर्क की जगह एलुमिनियम के वर्क होते हैं । ये धीमा ज़हर है । इससे भविष्य में दुर्बलता आती है व पाचन तंत्र कमज़ोर होता है ।


हरड व सेंधा नमक प्रयोग

२०० ग्राम हरड पाउडर में १०-२० ग्राम सेंधा नमक मिलाकर रखें । पेट की गड़बडी लगे तो शाम को ५-७ ग्राम फांक लें । गैस, कब्ज़, शरीर टूटना, वायु-आम के सम्बन्ध से बनी बीमारियों में आराम होगा ।

Health 10


स्वप्नदोष मिटाकर करें ओज-तेज की रक्षा

  • सूखा धनिया पीसकर उसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर रोज सुबह ठंडे पानी से 3-3 ग्राम खाया करें।
  • मुलहठी का 3 ग्राम चूर्ण शहद के साथ चाटें।
  • बबूल की पत्ती व छाल को पीसकर दो ग्राम चूर्ण सुबह-शाम सेवन करें।
  • आँवला चूर्ण और मिश्री के समभाग मिश्रण में 20 प्रतिशत हल्दी मिला के रखें। 4-5 ग्राम रोज पानी के साथ लेने से भाइयों को धातुक्षय से और बहनों को सफेद पानी की तकलीफ से आराम मिलता है।

गंजापन दूर करने के लिए
नारियल का तेल २५०-५०० ग्राम लें और घोड़े की लीद उतनी लें, जितनी खप सके । फिर तेल में डाल कर इतना उबालें कि लीद सूख जाए । फिर ठंडा करके सिर पर लगायें । सुबह च्यवनप्राश का नाश्ता करें और आंवले का रस सिर पर १५-२० मिनट लगाकर फिर स्नान करें ।


बल व स्फूर्ति के लिए

४ चम्मच (३० ग्राम) आंवला और १०-१५ ग्राम शहद मिलाकर सुबह भगवान नाम लेकर खाली पेट पियें । इससे बल, स्फूर्ति आती है और शरीर के अंग नए व बढ़िया होंगे ।


भूख बढ़ाने के लिए

सुबह ताज़ी मूली खाने से भूख बढ़ती है और थकावट दूर होती है ।


बच्चों के लिए शक्ति संवर्धक नाश्ता

बाजरे के आटे में तिल मिलाकर बनायी गयी रोटी पुराने गुड़ व घी के साथ खानायह शक्ति-संवर्धन का उत्तम स्रोत है। 100 ग्राम बाजरे से 45 मि.ग्रा कैल्शियम, 5 मि.ग्रा. लौह व 361 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। तिल व गुड़ में भी कैल्शियम व लौह प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। इससे जल्दी भूखभी नहीं लगेगी  सर्दियों में ही करो 

पंचगव्य का पान करते समय
पंचगव्य का पान करने से पहले बोलें -
"हे सूर्यदेवहे अग्निदेवआप तनमनबुद्धि और हड्डियों तक के रोगों को नष्ट करनेवाले हैं। मैं इसका पान करता हूँ ।" ऐसा ३ बार बोलें । फिर २-३ घंटे तक कुछ नहीं खाना -पीना चाहिये ।

बड़ ( बरगद )
· बवासीर वीर्य का पतलापन शीघ्रपतन प्रमेह स्वप्नदोष आदि रोगों में बड़ का दूध अत्यंत लाभकारी है प्रातः सूर्योदय के पूर्व वायुसेवन के लिए जाते समय २-३ बताशे साथ में ले जाये बड़ की कलि को तोड़कर एक-एक बताशे में बड़ के दूध की ४-५ बूंद टपकाकर खा जायें धीरे-धीरे बड़ के दूध की मात्रा बढातें जायें ८ – १० दिन के बाद मात्रा कम करते-करते चालीस दिन यह प्रयोग करें|
· बड़ का दूध दिल दिमाग व जिगर को शक्ति प्रदान करता है एवं मूत्र रुकावट ( मूत्रकृच्छ ) में भी आराम होता है इसके सेवन से रक्तप्रदर व खुनी बवासीर का रक्तस्राव बंद होता है पैरों की एडियों में बड़ का दूध लगाने से वे नहीं फटती चोट मोच और गठिया रोग में इसकी सुजन पर इस दूध का लेप करने से बहुत आराम होता है |
· वीर्य विकार व कमजोरी के शिकार रोगियों को धैर्य के साथ लगातार ऊपर बताई विधि के अनुसार इसका सेवन करना चाहिए |
· बड़ की छाल का काढा बनाकर प्रतिदिन एक कप मात्रा में पीने से मधुमेह ( डायबिटीज ) में फ़ायदा होता है व शरीर में बल बढ़ता है |
· उसके कोमल पत्तों को छाया में सुखाकर कूट कर पीस लें आधा लीटर पानी में एक चम्मच चूर्ण डालकर काढा करें जब चौथाई पानी शेष बचे तब उतारकर छान लें और पीसी मिश्री मिलाकर कुनकुना करके पियें यह प्रयोग दिमागी शक्ति बढाता है व नजला-जुकाम ठीक करता है |

पालक

· पालक के पत्तों में पर्याप्त औषधीय गुण विद्यमान है पालक में लोह और ताम्बे के अंश होने के कारण यह पाण्डुरोग के लिए पथ्य है यह रक्त को शुद्ध वहड्डियों को मजबूत बनाती है |
· पाचन तंत्र के लिए यह अत्यंत उपयोगी है इसके नियमित सेवन से उदर-विकारों व कब्ज से मुक्ति मिलती है व भूख भी खुलकर लगती है |
· इसके नियमित सेवन से गर्भवती महिला को प्रसव के समय अधिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता |
· यह वायु करनेवाली शीतल व मधुमेह के रोग में भी अत्यंत गुणकारी है |
· इसके बीज यकृतरोग पीलिया व पित्तप्रकोप को मिटाते है |
· कफ और श्वास संबंधी रोगों में भी ये हितकारी है |
· खांसी और गले की जलन तथा फेफड़ों की सुजन में पालक के रस के गराटे करने से लाभ होता है |
· बाल अधिक झड़ने तथा बालों में रुसी की शिकायत होने पर पालक के उबले रस में नींबू का रस समानमात्रा में मिलाकर सिर धोने से इस समस्या से छुटकारा मिलेगा |
· दांतों में पायरिया की बिमारी होने पर कुछ दिन रोज प्रातःकाल आधा गिलास पालक का रस खाली पेट लें इसके अलावा कच्चा पालक चबा-चबाकर खायें |पालक के रस में गाजर का रस मिलाकर पीने से मसूड़ों से खून आना बंद हो जाता है |
· पालक के पत्ते नीम की पत्तियों के साथ पीसकर बनाया हुआ लेप मवाद भरे फोड़ों पर लगाने से खराब रक्त बाहर निकल जाएगा और फोड़ा ठीक हो जाएगा |
· जले हुए अंग पर पालक के पीसे हुए पत्तों का तत्काल लेप करने से जलन शांत होगी व फफोले नहीं पड़ेंगे |
· किसी दवा का प्रतिकूल असर ( साइड इफेक्ट ) होने या कोई विषैली वस्तु खा लेने पर पानी में पालक उबालकर प्रभावित व्यक्ति में अदरक का थोड़ा-सा रस मिलाकर प्रभावित व्यक्ति को देने से तत्काल राहत मिलती है |
· रक्तालप्ता की बिमारी में पालक की सब्जी का नियमित सेवन व आधा गिलास पालक के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर ५० दिन पियें | इससे काफी फ़ायदा होगा |
· पालक के नियमित सेवन से समस्त विकार दूर होकर चेहरे पर लालिमा शरीर में स्फूर्ति उत्साह शक्ति-संचार व रक्त -भ्रमण तेजी से होता है इसके निरंतर सेवन से चेहरे के राग में निखार आ जाता है नेत्रज्योति बढती है |
· पालक पीलिया उन्माद हिस्टीरिया प्यास जलन पित्तज्वर में भी लाभ करता है |
विशेष : पालक की सब्जी वायु करती है अतः वर्षाकाल में इसका सेवन न करेइसके पत्तों में सूक्ष्म जंतु भी होते है अतः : गर्म पानी से धोने के बाद ही इसका उपयोग करें |
· अच्छी सेहत के लिए हल्का गर्म पानी हल्का गुनगुना पानी पीने से शरीर पर बहुत ही अच्छा प्रभाव पड़ता है इससे खून का दौरा भी बढ़ता है और रोगप्रतिरोधी शक्ति भी बढ़ती है जिससे शरीर से विषैले पदार्थ मूत्र के द्वारा बाहर निकल जाते है तरिका : पानी को हल्का गर्म करके थर्मस में भर ले उसमें से थोडा-थोड़ा सारा दिन पीते रहें |


शरीर के अंगों की सुन्नता व थकावट
अंगों में सुन्नता है, नस चढ़ जाती है, थके-थके रहते है । सरसों के तेल की मालिश ४५ मिनट तक करें, फिर स्नान (ना ज्यादा गर्म, ना ज्यादा ठंडा पानी) से कर लें।

पटाखों से जलने पर

पटाखों से जलने पर जले हुए स्थान पर कच्चे आलू के पतले पतले चिप्स काट कर रख दें या आलू का रस लगा दें । और कुछ ना लगाये । इससे १-२ घंटे में आराम हो जायेगा । अथवा तो सर्व गुण तेल से भी आराम होता है ।

कब्ज़ में
कब्ज़ में सुबह गुनगुना पानी पेट भरकर पीकर -१० मिनट घूमने से पेट साफ़ हो जाता है ।


शीतपित्ति का उपचार

सरसों के तेल में आंवला चूर्ण (बिना मिश्री वाला) मिलाकर मालिश करने से शीतपित्ती हमेशा के लिए दूर हो जाती है ।


दांत-मसूड़ों का दर्द

सफ़ेद फिटकरी व सेंधा नमक दोनों बराबर मात्रा में लेकर खूब बारीक पीसें व छान कर रख लें । दांत व मसूड़ों में दर्द होने पर हथेली में इस मिश्रण को लेकर दो-तीन बूँद सरसों का तेल मिलाकर धीरे-धीरे मसाज करें । कुछ देर बाद कुल्ला कर लें। यह प्रयोग सुबह-शाम दोहराएँ । आराम होने पर यह प्रयोग बंद कर दें ।


फोड़े-फुंसी की चिकित्सा

थोड़ी सी साफ़ रुई पानी में भिगो दें, फिर हथेलियों से दबाकर पानी निकाल दें । तवे पर थोड़ा-सा सरसों का तेल डालें और उसमे इस रुई को पकाएं । फिर उतारकर सहन कर सकने योग्य गर्म रह जाय, तब इसे फोड़े पर रखकर पट्टी बाँध दें । ऐसी पट्टी सुबह-शाम बाँधने से एक-दो दिन में फोड़ा पककर फूट जायेगा । उसके बाद सरसों के तेल की जगह शुद्ध घी का उपयोग उपरोक्त विधि के अनुसार करने से घाव भरके ठीक हो जाता है ।


विद्यार्थी आचरण

विद्यार्थी जीवन में बच्चों को ठांस-ठांस कर नहीं खाना चाहिये । इससे बुद्धि बैल के जैसी मंद हो जाती है और बीमारियाँ पकडती हैं । जो भोजन अच्छे से पच जाए, उससे ही पौष्टिक तत्व मिल जाते हैं ।

काक चेष्टा बको ध्यानं, श्वान निद्रा तथैव च ।
अल्पहारी गृह त्यागी, विद्यार्थी पंच लक्षणं ॥

नीम का धुआं
शरद ऋतु रोगों की माँ है । इसलिए इस काल में नीम का धुआं करने के हानिकारक कीटाणु मर जाते हैं । डेंगू में भी ऐसा करना लाभप्रद है ।


Tuesday 5 October 2010

तुलसी व तुलसी-माला की महिमा

    तुलसीदल एक उत्कृष्ट रसायन है। यह गर्म और त्रिदोषशामक है। रक्तविकार, ज्वर, वायु, खाँसी एवं कृमि निवारक है तथा हृदय के लिए हितकारी है।
    • सफेद तुलसी के सेवन से त्वचा, मांस और हड्डियों के रोग दूर होते हैं।
    • काली तुलसी के सेवन से सफेद दाग दूर होते हैं।
    • तुलसी की जड़ और पत्ते ज्वर में उपयोगी हैं।
    • वीर्यदोष में इसके बीज उत्तम हैं तुलसी की चाय पीने से ज्वर,आलस्य, सुस्ती तथा वातपित्त विकार दूर होते हैं, भूख बढ़ती है।
    • जहाँ तुलसी का समुदाय हो, वहाँ किया हुआ पिण्डदान आदि पितरों के लिए अक्षय होता है। यदि तुलसी की लकड़ी से बनी हुई मालाओं से अलंकृत होकर मनुष्य देवताओं और पितरों के पूजनादि कार्य करे तो वह कोटि गुना फल देने वाला होता है।
    • तुलसी सेवन से शरीर स्वस्थ और सुडौल बनता है। मंदाग्नि,कब्जियत, गैस, अम्लता आदि रोगों के लिए यह रामबाण औषधि सिद्ध हुई है।
    • गले में तुलसी की माला धारण करने से जीवनशक्ति बढ़ती है,आवश्यक एक्युप्रेशर बिन्दुओं पर दबाव पड़ता है, जिससे मानसिक तनाव में लाभ होता है, संक्रामक रोगों से रक्षा होती है तथा शरीर स्वास्थ्य में सुधार होकर दीर्घायु की प्राप्ति होती है। शरीर निर्मल, रोगमुक्त व सात्त्विक बनता है। इसको धारण करने से शरीर में विद्युतशक्ति का प्रवाह बढ़ता है तथा जीव-कोशों द्वारा धारण करने के सामर्थ्य में वृद्धि होती है। गले में माला पहने से बिजली की लहरें निकलकर रक्त संचार में रूकावट नहीं आनि देतीं । प्रबल विद्युतशक्ति के कारण धारक के चारों ओर चुम्बकीय मंडल विद्यमान रहता है। तुलसी की माला पहनने से आवाज सुरीली होती है, गले के रोग नहीं होते, मुखड़ा गोरा, गुलाबी रहता है। हृदय पर झूलने वाली तुलसी माला फेफड़े और हृदय के रोगों से बचाती है। इसे धारण करने वाले के स्वभाव में सात्त्विकता का संचार होता है। जो मनुष्य तुलसी की लकड़ी से बनी हुई माला भगवान विष्णु को अर्पित करके पुनः प्रसाद रूप से उसे भक्तिपूर्वक धारण करता है, उसके पातक नष्ट हो जाते हैं।
    • कलाई में तुलसी का गजरा पहनने से नब्ज नहीं छूटती, हाथ सुन्न नहीं होता, भुजाओं का बल बढ़ता है।
    • तुलसी की जड़ें कमर में बाँधने से स्त्रियों को, विशेषतः गर्भवती स्त्रियों को लाभ होता है। प्रसव वेदना कम होती है और प्रसूति भी सरलता से हो जाती है।
    • कमर में तुलसी की करधनी पहनने से पक्षाघात नहीं होता,कमर, जिगर, तिल्ली, आमाशय और यौनांग के विकार नहीं होते हैं।
    • तुलसी की माला पर जप करने से उँगलियों के एक्यूप्रेशर बिन्दुओं परदबाव पड़ता हैजिससे मानसिक तनाव दूर होता है 
    • इसके नियमित सेवन से टूटी हड्डियाँ जुड़ने में मदद मिलती हैं 
    • तुलसी की पत्तियों के नियमित सेवन से क्रोधावेश एवं कामोत्तेजना परनियंत्रण रहता है 
    • तुलसी के समीप पड़नेसंचिन्तन करने सेदीप जलने से और पौधे कीपरिक्रमा करने से पांचो इन्द्रियों के विकार दूर होते हैं 

    Featured post

    इस फ़ार्मूले के हिसाब से पता कर सकती हैं अपनी शुभ दिशाऐं

    महिलाएँ ...इस फ़ार्मूले के हिसाब से पता कर सकती हैं अपनी शुभ दिशाऐं।   तो ये है इस फ़ार्मूले का राज... 👇 जन्म वर्ष के केवल आख़री दो अंकों क...