सोमवार, 27 जून 2011

छोटी-मोटी बीमारियों का ऐसे करें इलाज

वर्ष 2008 में ब्रिटेन में हुए एक शोध से सामने आया कि यहां के करीब 35 फीसदी लोग भी नैचुरल मेडिसिन पर ही भरोसा करते हैं। नेचुरल मेडिसिन के एक्सपर्ट फिलिप वीक्स कहते हैं कि घरेलू उपाय अपनाने का एक फायदा यह है कि इससे साइड इफेक्ट्स होने की संभावना बिल्कुल नहीं होती है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही घरेलू उपाय और उनसे दूर होने वाली समस्याओं के बारे में..

पुदीनहरा

पेट में उठने वाली मरोड़, अनियमित बाउल मूवमेंट की समस्या को दूर करने में पुदीनहरा बहुत कारगर उपाय है। इसका तेल भी पेट दर्द से निजात दिलाने में सहायक होता है। जर्मनी स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ हेइडेलबर्घ की शोध से साबित होता है कि पुदीनहरा से मुंह के छालों का उपचार भी कारगर होता है। एक शोध से सामने आया कि इसकी एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टी से वायरस और संक्रमण से बचाव होता है। पुदीनहरा की चाय का सेवन करने से मुंह के छाले जल्दी ठीक होते हैं।

रोजमेरी

यह स्मरणशक्ति बढ़ाने में मदद करती है। फिलिप कहते हैं कि इससे सेरेब्रल (दिमाग का महत्वपूर्ण हिस्सा) का रक्त संचार बढ़ता है। इसमें मौजूद कार्नोसिक एसिड नामक एंटीऑक्सीडेंट दिमाग की कोशिकाओं के लिए बहुत फायदेमंद है। इससे अल्जाइमर यानी भूलने की बीमारी होने की आशंका भी कम होती है।

विशेषज्ञ कहते हैं कि इसकी सुगंध मात्र से व्यक्ति की फोकस करने की क्षमता बढ़ती है। यह खराब मूड को बनाने, शारीरिक थकान के साथ मानसिक थकान दूर करने में भी मदद करता है। डिजॉन स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रोनॉमिक रिसर्च के एक अध्ययन से पता चलता है कि साइटोक्रोम पी450 नामक एंजाइम का निर्माण करने में रोजमेरी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह एंजाइम रक्त में मौजूद विषक्त तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।

तेज पत्ता

एंटीसेप्टिक प्रॉपर्टी होने के कारण प्राचीन समय में इसका इस्तेमाल प्राकृतिक टूथपेस्ट के तौर पर किया जाता था। किसी कीड़े के काटने या त्वचा संबंधित समस्याएं होने पर सूजन से बचने के लिए भी इसे प्रयोग किया जाता था। यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सीटर के शोध से सामने आया कि रजोनिवृत्ति के दौर से गुजरने वाली महिलाओं को होने वाली हॉट फ्लशेज.. की समस्या दूर करने के लिए भी यह उपाय कारगर है।

अजवायन के फूल

फंगल इंफेक्शन के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया का नाश करने के लिए यह कारगर उपाय है। फिलिप कहते हैं कि इसकी एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टी हेलीकोबेक्टर पाइलोरी नामक बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकती है, जो पेट में अल्सर के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसका सेवन शहद के साथ करने से ब्रोन्चिटिस और सीने में होने वाले संक्रमणों से भी निजात मिलती है।

अजवायन

फिलिप कहते हैं कि इससे तैयार तेल एंटीबॉयोटिक के समान काम करता है, जो स्टेफिलोकोकस नामक बैक्टीरिया को नष्ट करता है। अमेरिका के एक शोध से सामने आया कि इसमें सेब, आलू और संतरे की तुलना में क्रमश: 42 गुना, 30 गुना व 12 गुना अधिक एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। इससे शरीर के महत्वपूर्ण रसायनों को किन्हीं कारणों से होने वाली क्षति को रोका जा सकता है।

मलेरिया, डेंगू या स्वाइन फ्लू सबकी छुट्टी कर देगा कड़वा चिरायता...

चिरायते का नाम अधिकांश लोगों ने सुन रखा होगा। बरसों से हमारी दादी-नानी कड़वे चिरायते से बीमारियों को दूर भगाती रही है। असल में यह कड़वा चिरायता एक प्रकार की जड़ी-बूटी है जो कुनैन की गोली से अधिक प्रभावी होती है। एक प्रकार से यह एक देहाती घरेलू नुस्खा है। पहले इस चिरायते को घर में सुखा कर बनाया जाता था लेकिन आजकल यह बाजार में

कुटकी चिरायते के नाम से भी मिलता है। लेकिन अधिक कारगर तो घर पर बना हुआ ताजा और विशुद्ध  चिरायता ही अधिक कारगर होता है।

चिरायता बनाने की विधि-

100 ग्राम सूखी तुलसी के पत्ते का चूर्ण, 100 ग्राम नीम की सूखी पत्तियों का चूर्ण, 100 ग्राम सूखे चिरायते का चूर्ण लीजिए। इन तीनों को समान मात्रा में मिलाकर एक बड़े डिब्बे में भर कर रख लीजिए। यह तैयार चूर्ण मलेरिया या अन्य बुखार होने की स्थिति में दिन में तीन बार दूध से सेवन करें। मात्र दो दिन में आश्चर्यजनक लाभ होगा।

कारगर एंटीबॉयोटिक-

बुखार ना होने की स्थिति में भी यदि इसका एक चम्मच सेवन प्रतिदिन करें तो यह चूर्ण किसी भी प्रकार की बीमारी चाहे वह स्वाइन फ्लू ही क्यों ना हो, उसे शरीर से दूर रखता है। इसके सेवन से शरीर के सारे कीटाणु मर जाते हैं। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक है। इसके सेवन से खून साफ  होता है तथा धमनियों में रक्त प्रवाह सुचारू रूप से संचालित होता है।

सिर दर्द दूर करने के तरीके

सिर दर्द होने के पीछे शारीरिक व मानसिक दोनों ही कारण जिम्मेदार होते हैं। इससे बचने के लिए जीवनशैली और खानपान में बदलाव लाना ही काफी नहीं है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही कारगर उपायों के बारे में..

1. बर्फ का पैक गर्दन पर लगाएं। यदि तनाव, चिंता, अवसाद, गुस्से या फूड एलर्जी के कारण आपको सिर दर्द हो रहा है, तो आराम मिलेगा।

2. डिहाइड्रेशन से भी सिर दर्द होता है। रोजाना आठ गिलास पानी पीना ही चाहिए।

3. बर्फ के ठंडे पानी में कपड़े की पट्टी डुबोकर आंखों पर दस मिनट रख लें। वहीं दर्द वाली जगह पर पुदीने के तेल से 15 मिनट हल्की मसाज करें, राहत मिलेगी।

4. एक्यूपंक्चर या एक्यूप्रेशर भी सिर दर्द और तनाव दूर करने में सहायक है।

5. गर्दन और कंधे की मांसपेशियों में अकड़न होने के कारण भी सिर में दर्द हो सकता है। ऐसी स्थिति में गर्म पानी की बॉटल, गर्म पानी में टॉवल डुबोकर या हीटिंग पैड को गर्दन व कंधे पर कुछ देर के लिए रखें।

6. तेज रोशनी या लाइट्स के संपर्क में आने के चलते भी सिर दर्द होता है। धूप में निकलने से पहले काले चश्मे और घर में तेज लाइट्स का प्रयोग करने से बचना चाहिए।

7. प्रीजर्वेटिव और अधिक शुगर वाले खाद्य पदार्थो से कुछ लोगों को एलर्जी होती है, जिससे उन्हें सिर दर्द होने लगता है। ऐसे में इसका कम सेवन करें।

8. सिर दर्द ही नहीं शरीर के अन्य हिस्से में होने वाले दर्द से बचने के लिए कुनकुने पानी से स्नान करें।

9. स्वीमिंग, ब्रिस्क वॉक या जॉगिंग करने से रक्त संचार बढ़ता है, जिससे सिर दर्द के साथ ही तनाव से भी मुक्ति मिलती है। वहीं भरपूर नींद लें।

मानसून में बीमारियों को ऐसे भगाएं दूर...

मानसून के मौसम में खांसी-जुखाम एवं नजला जैसी समस्या कुछ लोगों में आमतौर पर देखने में आती है। ऐसी ही कुछ सामान्य जान पड़नेवाली परेशानियों की लगातार अनदेखी से कई बार खतरनाक संक्रमण भी उत्पन्न हो सकता है।

हाँ,थोड़ी सी सावधानियां एवं प्राकृतिक जीवनशैली को अपनी दिनचर्या में शामिल कर हम न केवल रोगों से बच सकते हैं, बल्कि अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर भविष्य में होनेवाले संक्रमणों से निजात पा सकते हैं।

आयुर्वेद संपूर्ण जीवन का विज्ञान है जहाँ प्राकृतिक जडी -बूटियों एवं जीवनशैली में परिवर्तन को विशेष महत्व दिया गया है, ऐसे ही कुछ सरल आयुर्वेदिक एवं प्राकृतिक उपायों को हम दैनिक रूप से उपयोग कर मानसून के समय होनेवाली सामान्य बीमारियों से अपने शरीर की रक्षा कर सकते हैं।

- तुलसी के पत्तों को अदरख एवं काली मिर्च के साथ हलके गुनगुने पानी में मिलाकर लगातार चाय के रूप में सेवन करने से नजला-जुखाम से राहत मिलती है।

- गिलोय के डंठल को छोटा काटकर इसका रस निकालकर हल्दी के पाउडर के साथ समान मात्रा में मिलाकर आधा से एक चम्मच लगातार सेवन करने से एलर्जी से निजात मिलती है।

- आधा चम्मच सौंठ का शहद के साथ लगातार प्रयोग भूख को सामान्य कर इस ऋतु में होने वाले जोड़ों के दर्द के लिए अचूक औषधि है।

- त्रिकटु चूर्ण एवं अविपत्तिकर चूर्ण को समान मात्रा में मिलाकर लगातार गुनगुने पानी से आधा से एक चम्मच लेना गले के दर्द (टांसिल में सूजन) में हितकारी होता है।

- नीम के पत्ते का बारीक चूर्ण,गिलोय का चूर्ण एवं आंवले का चूर्ण समभाग या तीनों का ताजा रस निकालकर लगातार एक चम्मच सेवन करना रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है।

- चिरायता,करेला,गिलोय,नागरमोथा,पित्तपापडा इन सबका स्वरस निकालकर आधे से एक चम्मच तक उम्र के अनुसार प्रयोग कराने से मौसमी बुखार में लाभ मिलता है।

- भोजन के पचने के बाद हरड,भोजन से पूर्व बहेड़ा एवं भोजन के तत्काल बाद आंवले का चूर्ण गुनगुने पानी के साथ नित्य सेवन करने से पेट की बीमारियाँ नहीं होती हैं तथा भूख एवं पाचन की प्रक्रिया सामान्य होती है।

- दूब घास का स्वरस, प्याज का स्वरस एवं अदरख का स्वरस मौसमी नकसीर (नाक से खून निकलना) के रोगियों के नाक में दो से चार बूँद टपका देने मात्र से चमत्कारिक लाभ मिलता है।

- हरड का इस ऋतू में अलग-अलग प्रयोग विभिन्न रोगों में अचूक लाभ देता है जैसे :चबाकर खाने से भूख खुलती है,पीसकर खाने से पेट साफ़ होता है, उबालकर खाने से संग्रहणी (कोलाईटिस) में लाभ मिलता है।

- बर्षा ऋतु में गरिष्ट भोजन कब्ज का कारण बनता है अतः त्रिफला चूर्ण का आधे से एक चम्मच लगातार सेवन कब्ज को दूर कर,पाईल्स के रोगियों में लाभ देता है।

काले घने बालों के लिए अचूक है यह देशी फंडा

बाजार में उपलब्ध मंहगे कंडीशनर का प्रयोग करके भी यदि विशेष फायदा न हुआ हो तो आप नीचे दी जा रही विधि का प्रयोग करके घर बैठे ही 100 फीसदी कारगर और सीघ्र असर दिखाने वाला कंडीशनर बना सकते हैं। अधिकांश लोग हैं जो अपने बालों की खूबसूरती और मजबूती के लिये कंडीशनर का प्रयोग करना चाहते हैं परंतु इसकी आसान विधि नहीं जानते।



यहां दी जा रही है डीप कंडीशनर की एक बेहद आसान विधि जिसे कोई भी आसानी से घर बैठे कर सकता है। आप आयुर्वेदिक डीप कंडीशनर का प्रयोग 20 दिन में एक बार करें। आप इस कंडीशनर को स्वयं घर पर झटपट बना सकते हैं तथा 20 मिनट में बालों की डीप कंडीशनिंग कर सकते हैं।



बनाने और लगाने की आसान विधि-



आधा कटोरी हरी मेहंदी पावडर लेकर इसमें गर्म दूध (गाय का) डालकर पतला लेप बना लें। इसी लेप में एक बड़ा चम्मच आयुर्वेदिक हेयर ऑइल डालें। इसे अच्छी तरह से मिला लें। जब यह लेप ठंडा हो जाए तब बालों की जड़ों में लगाएं। 20 मिनट छोड़कर आयुर्वेदिक शैंपू पानी में घोलकर बालों को धो लें। इस डीप कंडीशनर द्वारा आपके बालों को पोषण तो मिलेगा ही साथ ही उनमे बाउंस (लोच) भी आ जाएगा।

रविवार, 26 जून 2011

क्या हाजमा ठीक नहीं रहता? ये रहे बेहद सरल नुस्खे

आयुर्वेद में इंसानी शरीर व मन से जुड़ी अधिकांस बीमारियों का प्रामाणिक व शर्तिया उपाया बताया जाता है। आइये देखते हैं ऐसे ही कुछ आयुर्वेदिक और घरेलू नुस्खे जो आपके पाचन तंत्र को सदा दुरुस्त रखने में बेहद मददगार होते हैं..

1. भोजन के एक घंटा पहले पंचसकार चूर्ण को एक चम्मच गरम पानी के साथ लेने से भूख खुलकर लगती है।

2. रात में सोते समय आँवला 3 भाग, हरड़ 2 भाग तथा बहेड़ा 1 भाग-को बारीक चूर्ण करके एक चम्मच गुनगुने पानी के लेने

  से सुबह दस्त साफ आता है एवं भूख खुलकर लगती है।

3. भोजन में पतले एवं हलके व्यंजनों का प्रयोग करने से खाया हुआ जल्दी पच जाता है, जिससे जल्दी ही भूख लग जाती है।

4. खाना खाने के बाद अजवायन का चूर्ण थोड़े से गुड़ के साथ खाकर गुनगुना पानी पीने से खाया हुआ पचेगा, भूख लगेगी और खाने में रुचि पैदा होगी।

5. भोजन के बाद हिंग्वष्टक चूर्ण एक चम्मच खाने से पाचन-क्रिया ठीक होगी।

6. हरे धनिए में हरी मिर्च, टमाटर, अदरक, हरा पुदीना, जीरा, हींग, नमक, काला नमक डालकर सिलबट्टे पर पीसकर बनाई चटनी खाने से भोजन की इच्छा फि र से उत्पन्न होती है।

7. भोजन करने के बाद थोड़ा सा अनारदाना या उसके बीज के चूर्ण में काला नमक एवं थोड़ी सी मिश्री पीसकर मिलाने के बाद पानी के साथ एक चम्मच खाने से भूख बढ़ती है।

8. एक गिलास छाछ में काला नमक, सादा नमक, पिसा जीरा मिलाकर पीने से पाचन-क्रिया तेज होकर आरोचकता दूर होती है।

9. भोजन के बाद 5-10 मिनिट घूमना पाचन में सहायक होता है।

10. भोजन करने के बाद वज्रासन में कुछ देर बैठना भी बेहद लाभदायक होता है।

मोटापा घटाने का यह बड़ा जायकेदार व अचूक

कहते हैं कि हर बुराई में कुछ न कुछ अच्छाई भी छुपी होती है। ऐसा ही कुछ चाय के साथ भी है। यदि हम आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धांतों को माने तो चाह हमारे स्वास्थ्य के लिये बेहद हानिकारक होती ैैहै। लेकिन चाय में तमाम खामियों के साथ ही एक बड़ी खूबी भी होती है और वह यह है कि चाय बढ़ते हुए वजन को कंट्रोल करने में बेहद मददगार होती है। यह बात एक हालिया वैज्ञानिक शोध से पता चली है।

शोध से ज्ञात हुआ है कि चाय में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो वजन कम करने में सहायक होते हैं। लेकिन हाल ही में हुई  एक नई रिसर्च के मुताबिक अगर चाय में दूध मिला दिया जाए तो मोटापे से लडऩे वाले तत्त्व उतने प्रभावकारी नहीं रहते। भारतीय वैज्ञानिक की ओर से की गई रिसर्च के मुताबिक चाय में वसा कम करने के कई तत्त्व होते हैं, लेकिन दूध में पाया जाने वाला प्रोटीन वसा कम करने की इसकी क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

चाय में पाए जाने वाले फ्लेविन्स और थिरोबिगिन्स शरीर की चर्बी घटाने और कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक होते हैं। असम की टी रिसर्च एसोसिएशन के रिसर्चरों ने चूहों पर शोध किया और उसमें यह पाया गया कि उच्च वसायुक्त भोजन खाने वाले चूहों का वजन घटाने में फ्लेविन्स और थिरोबिगिन्स जैसे तत्वों ने काफी अहम भूमिका निभाई। लेकिन गाय के दूध में प्रोटीन की मात्रा अधिक होने के कारण इनका प्रभाव कम हो जाता है।

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