बुधवार, 24 अगस्त 2011

बस 2 मिनट ये करें हो जाएगा टेंशन और हाईब्लडप्रेशर नौ दो ग्यारह

कान्स्टीपेशन, तनाव, हाई ब्लडप्रेशर ये बीमारियां आजकल आम हो चली है। अधिकांशत: इन बीमारियों के उपचार के लिए लोग नियमित रूप से दवाईयों का सेवन करते हैं। लेकिन ये बीमारियां ऐसी हैं जिन्हें दवाईयों से जड़ से मिटाना थोड़ा मुश्किल है। कहते हैं जिन रोगों को सिर्फ औषधीयों से नहीं मिटा जा सकता है उनका उपचार योग व ध्यान से संभव है। इसीलिए  कान्स्टीपेशन, तनाव या हाई ब्लडप्रेशर को जड़ से मिटाने के लिए सिर्फ रोज दो मिनट के लिए नीचे लिखी विधि से ध्यान करें।

ध्यान विधि- शरीर को ढीला छोड़ दीजिए. ध्यान रहे कमर झुकनी नहीं चाहिए।

- बंद आंखों से अपना पूरा ध्यान मूलाधार क्षेत्र में ले आइए।

- पूरा ध्यान बंद आंखों से वहीं एक जगह पर केन्द्रित करिए, गुदा द्वार को ढीला छोड़ दीजिए।

- लिंगमूल को ढीला छोड़ दीजिए।

- इससे सांस की गति अचनाक गहरी और तीव्र हो जाएगी।

 - अपने सांस पर ध्यान दीजिए।

- अब अपना पूरा ध्यान नासिका पर ले आइए।

- इसके बाद अपनी सांस को गौर से देखिए।

-  कम से कम 3० सांस तक आप इसी अवस्था में रहें।

- अब देखिए ध्यान में जाने से पहले और अब में कितना फर्क पड़ा है।

-  इस विधि को दिन में जितनी बार चाहें दोहरा सकते हैं.

गैस और कब्ज का हो जाएगा काम तमाम सिर्फ 5 मिनट में

आजकल भागती-दौड़ती जिंदगी में अनियमित दिनचर्या और असंतुलित खानपान के कारण गैस व कब्ज जैसी समस्याएं होना आम है। गैस के कारण पेटदर्द, जोड़ो के दर्द व सिरदर्द जैसी कई छोटी-छोटी परेशानियों होती है। इसे जड़ से खत्म करने के लिए हस्तमुद्रा व योग से सरल उपाय नहीं है। वायु मुद्रा के लिए दिनभर में सिर्फ पांच मिनट देकर आप गैस व कब्ज से छुटकारा पा सकते हैं।

 इस मुद्रा को बनाने के लिए अंगूठे के बाद वाली पहली अंगुली यानी इंडैक्स फिंगर  को मोड़कर उसके नाखुन वाले भाग का हल्का दबाव अंगूठे के मूल भाग  में किया जाय और अंगूठे से तर्जनी पर दबाव बनाया जाय ,शेष तीनो अँगुलियों को अपने सीध में सीधा रखा जाए। इससे जो मुद्रा बनती है,उसे वायु मुद्रा कहते हैं। इस मुद्रा को रोज पांच मिनट से दस मिनट करने से हर तरह की गैस प्राब्लम, वात, पक्षाघात, हाथ पैर या शरीर में कम्पन, लकवा, हिस्टीरिया, आदि अनेक असाध्य रोग इस मुद्रा से ठीक हो जाते हैं। इस मुद्रा के साथ कभी कभी प्राण मुद्रा भी करते रहना चाहिए।

अचूक उपाय: जिनसे दिमाग कम्प्युटर से भी तेज चलने लगेगा

आयुर्वेद के गूढ़ रहस्यों के लिए आज पूरी दुनिया में जाना जा रहा है। लोग इसे आधुनिक चिकित्सा पद्धति के विकल्प के तौर पर अपना रहे हैं। लेकिन इसके साथ- साथ चुनौतियों के रूप में नए-नए रोग भी सामने आ रहे हैं। कभी एच .आई.वी ,तो कभी स्वाईन फ्लू , जिसके बारे में आयुर्वेद के मनीषियों ने हजारों वर्ष पूर्व ही कहा था बीमारियों के नाम पर मत जाओ ,हर युग में उसका नाम अलग होगा आज ऐसी कई बीमारियां हैं, जो मानव के जीवन को बोझिल बना रही हैं,जिनमे शरीर प्राणयुक्त तो रहता है, पर जीवन जीना कठिन हो जाता है। बचपन से ही होनेवाली प्रोजेरिया से लेकर अल्जाइमर जैसी बुढापे क़ी भूलने क़ी बीमारी आमतौर पर आज देखने में आ रही हैं।

इसी प्रकार कैंसर जैसा रोग रोगी को तिल -तिल मारने पर मजबूर कर रहा है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान अपनी सीमाओं में बंधकर ही इन रोगों का उपचार कर रहा है ,हो भी क्यों न, सम्पूर्णता किसी भी एक तकनीक,पद्धति या विधि से प्राप्त नहीं हो सकती है। आवश्यकता है, हर पद्धति से कुछ अच्छी चीजों को निकालकर अपनाने की और इसी सन्दर्भ में आयुर्वेद के महान यायावर ऋषि चरक ने चार मेध्य रसायनों का वर्णन चरक संहिता नामक ग्रन्थ में किया, कहा तो यह भी जाता है, कि इन रसायनों का प्रयोग मेधा यानी बौद्धिक क्षमता  को बढ़ानेवाला है। ऐसी ही कुछ आयुर्वेदिक औषधीयों के प्रयोग इस प्रकार हैं।

-मंडूकपर्णी का स्वरस  5-10 मिली की मात्रा में पीना मस्तिष्क दौर्बल्य के लिए लाभकारी मेध्य रसायन है।

-मुलेठी का चूर्ण 5-10 ग्राम की मात्रा में दूध से लेना रोगों को नष्ट करने वाला मेध्य रसायन है।

-शंखपुष्पी को फल एवं मूल के साथ टुकड़ों में काटकर,साफकर  कल्क बनाकर लेना विशेष रूप से मेधा (इन्टेलेक्ट) को बढ़ानेवाला रसायन है।

-पिप्पली को अपने सामथ्र्य के अनुसार (5,7,8,10 की संख्यामें ) चूर्ण बनाकर कपडे से छानकर  मधु और घी के साथ एक वर्ष तक सेवन करना अनेक रोगों से मुक्त करनेवाला रसायन है।

-तीन -तीन पिप्पली को प्रात: काल,भोजन के पूर्व एवं भोजन के बाद लेना भी रसायन गुणों को देनेवाला है।

-पिप्पली  को पलाश के क्षार के जल में भावना देकर गाय के घी के साथ भूनकर,चूर्ण को मधु या घी के साथ मात्रा से सेवन  करना भी रोगों से मुक्ति दिलानेवाला रसायन है ।

-भोजन करने के बाद एक हरड का चूर्ण ,भोजन लेने से पहले दो बहेड़े का चूर्ण एवं भोजन करने के बाद चार आंवले का चूर्ण मधु और घी के साथ सेवन करना सदैव युवा रखनेवाला रसायन है।

-मुलेठी ,वंशलोचन,पिप्पली को सममात्रा में मिलाकर चूर्ण बनाकर मधु ,घृत एवं मिश्री के साथ  उम्र  के अनुसार  निर्धारित मात्र में 1 वर्ष तक लेना रसायन  औषधि का प्रभाव उत्पन्न करता है।

ये तो चंद नुस्खे हैं, ऐसे ही कई गुणकारी,अचूक एवं प्रभावी नुस्खों से आयुर्वेद भरा पडा है ,बस आवश्यकता है चिकित्सकीय निर्देशन में प्रयोग की ढ्ढ नए- नए नाम से आनेवाली बीमारियों की चिकित्सा हेतु युगों -युगों तक ये नुस्खे उतने ही प्रभावी हैं जितने आचार्य चरक या सुश्रुत के जमाने में रहे होंगे।

मंगलवार, 23 अगस्त 2011

यह 11 नुस्खे महीने भर करें प्रयोग.... और पाएं छरहरा बदन

कई बार ऐसा होता है कि हमारी पसंद की इच्छित वस्तु हमारे आप-पास ही मोजूद होती है, लेकिन हम  उसे हांसिल नहीं कर पाते। कुछ हमारी लापरवाही व बेरुखी और कुछ जानकारी का अभाव, ये दोनों बातें मिलकर व्यक्ति को उसकी चाहत को पूरा करने से रोक देती हैं। पद, पैसा और प्रतिष्ठा पाने की चाहत हर किसी की होती है।

लेकिन इन सबके साथ अच्छी सेहत और खूबसूरत व आकर्षक शरीर भी मिल जाए तो फिर कहना ही क्या है। सुन्दर, स्वस्थ व छरहरा बदन पाने की ख्वाहिश सभी की होती है।

क्योंकि जितनी खुशी इंसान को सौन्दर्य को देख कर मिलती है, उतना ही सुख उसे खुद को खूबसूरत दिखाने में हांसिल होता है।



तो आइये एक बार आजमा कर देखें इन छोटे मगर बेहद कारगर घरेलू उपायों को जो सैकड़ों सालों से 100 फीसदी असरदार व प्रामाणिक सिद्ध होते रहे हैं। छरहरा यानी एक दम फिट-फाट शरीर जो स्वास्थ्य और सौन्दर्य दोनों ही स्तरों पर 24 केरेट खरा हो....

1. सुबह सूर्योदय के समय जागकर हर रोज 1-2 गिलास गुनगुना पानी पीएं और कुछ देर टहलें।

2. कम से कम एक नीबू अपनी डेली डाइट में अवश्य शामिल करें।

3. प्रतिदिन सुबह या शाम के समय कम से कम 2-3 कि.मी. पैदल मगर तेज गति के साथ घूमने के लिये अवश्य जाएं।

4. सुबह नाश्ते में सिर्फ अंकुरित अन्न- मूंग, चना, सोया.. आदि का ही सेवन करें।

5. फास्ट फूड, तले हुए, ज्यादा फेट वाले और फ्रिज में रखे हुए बासी भोजन सभी से जहां तक संभव हो बचकर रहें।

6. दिन में सोना यथा संभव छोड़ दें।

7. शाम का भोजन रात्रि 8 बजे से पहले ही कर लें।

8. चाय, काफी और कोलड्रिंक्स को जितना हो सके कम से कम सेवन करें।

9. खाने के तत्काल बाद कभी न सोएं।

10. पूरे दिन में तीन या चार बार से अधिक कुछ न खाएं, दो बार नाश्ता और दो बार भोजन यह संख्या अधिकतम और अंतिम होना चाहिये।

11. प्रतिदिन रात को अमृत के समान गुणकारी त्रिफला चूर्ण का सेवन अवश्य करें।

नाक से बहता खून...नकसीर को तत्काल रोक देगा यह देशी फंडा!

अक्सर देखा जाता है कि कुछ लोगों को चाहे जब नकसीर की समस्या से जूझना पड़ता है। कुछ गर्म खा लेने या बाहर की गर्मी लग जाने से नकसीर की समस्या कुछ लोगों को ज्यादा ही परेशान करती है। कुछ लोग अपनी नाजुक प्रकृति के कारण नाक पर जरा सी चोट लगते ही नाक से खून बहने की परेशानी से घिर जाते है।





किसी किसी को तो यह समस्या हर एक परमानेंट बीमारी की तरह होती जा रही है। लेकिन अब घबराइए नहीं कुछ देशी नुस्खों को अपना कर आप पुरानी से पुरानी नकसीर से छुटकारा पा सकते हैं। गांवों और देहातों में आज भी इन 100 फीसदी कारगर नुस्खों को प्रयोग में लाया जाता है

तुरन्त नकसीर बन्द करने के लिए-





1. थोड़ा सा सुहागा पानी में घोलकर नथूनों पर लगाऐं नकसीर तुरन्त बन्द हो जाएगी।





2. जिस व्यक्ति को नकसीर चल रही है उसे बिठाकर सिर पर ठण्डे पानी की धार डालते हुए सिर भिगों दें। बाद में थोड़ी पीली मिट्टी को भिगोकर सुंघाने से नकसीर तुरन्त बन्द हो जाएगी।

पुरानी नकसीर की बीमारी को हमेशा के लिए बन्द करने के लिए-





करीब 20 ग्राम मुल्तानी मिट्टी को कूट कर रात के समय मिट्टी के बर्तन में करीब एक गिलासपानी में डालकर भिगो दें। सुबह पानी को निथारकर छान लें। इस साफ पानी को दो तीन दिन पिलाने से वर्षों का पुराना रोग हमेशा के लिए खत्म हो जाता है।





विशेष- बच्चों को इस पानी में मिश्री या बताशा मिलाकर पिलाने से किसी भी तरह की नकसीर हमेशा के लिए बन्द हो जाती है।

इन तीन नुस्खों का कमाल, आवाज में आ जाएगा जादू


आवाज भी इंसान के व्यक्तित्व का एक अहम् हिस्सा होती है। किसी भी व्यक्ति की आवाज से उसके व्यक्तित्व की गहराई और वजन का अंदाजा लगाया जा सकता है। अक्सर जीवन में यह अनुभव होता है कि कई बार हमारी वास्तविक और महत्वपूर्ण बात को भी लोगों द्वारा नजरअंदाज कर दिया जाता है।





नजरअंदाज करने के इस उपेक्षापूर्ण व्यवहार को मनमसोस कर सहना व्यक्ति की मजबूरी बन जाती है। जबकि इसके विपरीत कुछ व्यक्ति ऐसे भी होत हैं जो झूंठी, मनगढ़ंत और भ्रमात्मक बात को भी लोगों के सामने इतने प्रभावशाली और नाटकीय अंदाज में पैश करते हैं कि सुनने वाले धोके में पड़कर उनकी बातों को सच मान लेते हैं।




असल में सारी करामात, असरदार और प्रभावशली बोली गई शैली में छुपी होती है। कहने का मतलब यह कि बात नहीं बल्कि उस बात को कहने का अंदाजेबयां असर करता है। अगर यह कहें कि इंसान के व्यक्तित्व और निखारने और जिंदगी में कामयाबी दिलाने में वाणी यानी आवाज की भी भूमिका होती है तो यह गलत नहीं होगा।




जीवन में वाणी के महत्व को देखते हुए आइये आजमाते हैं कुछ देशी नुस्खों को शर्तिया तौर पर इंसान की वाणी को बुलंद, आकर्षक और बेहद प्रभावशाली बना सकते हैं।




तीन शानदार प्रयोग यह हैं-




1. प्रतिदिन भोजन के उपरांत मुलेठी मुंह में रखकर 10 से 15 मिनिट  तक चूंसते रहें।




2. प्रतिदिन अपनी क्षमता और प्रकृति को ध्यान में रखकर लहसुन की एक कच्ची कली सुबह खाली पेट मुंह में रखकर खत्म होने तक चूंसते  रहें।




3. सोने से पहले प्रतिदिन1-गिलास गुनगुने पानी में नमक और थोड़ा सा लोंग-काली मिर्च का पाउडर मिलाकर 20-25 गरारे यानी कुल्ले करें।

इन आयुर्वेदिक नुस्खों से खांसी को करें छू-मंतर...

कहते हैं "झगड़े क़ी जड़ हांसी और बीमारी क़ी जड़ खांसी"। खांसी एक ऐसा लक्षण है, जो एक सामान्य ज्वर से लेकर तपेदिक जैसी बीमारियों में एक लक्षण के रूप में देखा जाता है। यह सूखी और गीली दो प्रकार क़ी हो सकती है।

सूखी में रोगी आवाज करता हुआ खांसता है जबकि गीली खांसी में खांसने के साथ कफ निकलता है। कई बार रोगी का खांस-खांस कर इतना बुरा हाल होता है, क़ि खुद के अलावा पड़ोसी क़ी नींद भी दूभर हो जाती है।

कई बार खांसी के रूप में निकलने वाले ड्रॉपलेट्स दूसरों में भी संक्रमण फैला सकते हैं कुछ ऐसे सरल आयुर्वेदिक नुस्खे हैं, जिनसे रोगों क़ी जड़ खांसी को दूर भगाया जा सकता है :-

- शुद्ध घी यदि गाय का हो तो अच्छा को 15-20 ग्राम के मात्रा में लेकर,काली मिर्च के 15-20 नग़ लेकर एक कटोरी में आग पर गर्म करें, जब काली मिर्च कड़कडाने लगे और ऊपर आ जाय तब उतारकर थोड़ा ठंडा कर 20 ग्राम पिसी मिश्री या शक्कर मिला लें,तक़रीबन आधे मिनट के बाद उतार लें अब थोड़ा गर्म रहने पर ही चीनी या मिश्री के साथ मिलाकर काली मिर्च चबा-चबा कर खा लें, इसके एक घंटे बाद तक कुछ न लें, इस प्रयोग को सोते समय तीन-चार दिन तक लगातार करने से पुरानी से पुरानी खांसी ठीक हो जाती है।

- मिश्री,वंशलोचन, पिप्पली, बड़ीइलाइची, तेजपत्र इन सबको सम मात्रा में शहद या गुनगुने पानी से लेना खांसी को जड़ से मिटाता है।

- वासा क़ी ताज़ी पत्तियों को छोटा-छोटा काटकर इसे निचोड़कर रस निकालकर प्रयोग बलगमयुक्त खांसी के रोगी में अत्यंत लाभकारी है।

- आयुर्वेद में वर्णित सितोपलादि चूर्ण, च्यवनप्राश, वासापुटपक्व स्वरस, तालिशादी चूर्ण आदि कुछ ऐसे नुस्खे हैं जिनका चिकित्सक के निर्देशन में प्रयोग कर रोगी खांसी से राहत पा सकता है। बस इतना ध्यान रखें क़ि खांसी की अनदेखी न हो और समय रहते इसके लिए उपाय किये जांय।


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