रविवार, 25 सितंबर 2011

खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए चंद आयुर्वेदिक नुस्खे

चरक  संहिता में वर्णित है गुणवान संतान और कामसुख की कामना से वाजीकरण हेतु प्रयुक्त आयुर्वेदिक नुस्खे का प्रयोग चिकित्सक के निर्देशन में किया जाना चाहिए। वात्स्ययान के कामसूत्र में कहा गया है ' काम का उद्देश्य कामसुख और संतानोत्पत्ति है। इसी प्रकार वाजीकरण (अश्वशक्ति) का उद्देश्य गुणवान संतान तथा कामसुख की प्राप्ति है। आयुर्वेद में धर्मयुक्त काम को पुरषार्थ को बढाने तथा मोक्ष प्राप्ति का साधन माना गया है। व्यवहारिक तौर पर भी यह देखा जाता है कि वाजीकरण (शरीर को अश्वशक्ति प्रदान करने वाली )औषधियां शरीर में मेधा ,ओज ,बल एवं तनाव को कम करती हैं।

काम की प्रबल और सम्मोहक शक्ति को देखकर इसे देवता कहा गया है तथा वसंतपंचमी के रूप में त्यौहार के रूप में मनाने का प्रचलन आज भी है। आज की व्यस्ततम जीवनशैली ,तनावभरी दिनचर्या और भौतिक सुख सुविधायें जुटाने की लालसा ने इस पवित्र कर्म के मूल में निहित भाव एवं उद्देश्य को समाप्त कर दिया है। काम आज दाम्पत्य जीवन की औपचारिकता भर रह गया है ,इन्ही कारणों से यौन संबंधों को लेकर असंतुष्ट  युगलों  की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है, ऐसी स्थिति में आयुर्वेद एवं आयुर्वेदिक औषधियां मददगार हो सकती है जिनका प्रयोग वैद्यकीय निरीक्षण में होना चाहिए-

-असगंध ,विधारा,शतावर ,सफ़ेद मूसली ,तालमखाना के बीज ,कौंच बीज प्रत्येक 50-50 ग्राम की  मात्रा में लेकर दरदरा कर कपडे से छान लें तथा 350 ग्राम मिश्री मिला लें, इस नुस्खे को 5-10 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम ठन्डे दूध से लें ,लगातार एक माह तक लेने से यौन सामथ्र्य में वृद्धि  अवश्य होगी।

-दालचीनी ,अकरकरा ,मुनक्का और श्वेतगुंजा को एक साथ पीसकर इन्द्रिय पर लेप करें तथा सम्भोग के समय कपडे से पोछ डालें ,यह योग इन्द्रियों में रक्त  के संचरण को बढाता है।

-शुद्ध शिलाजीत 500 मिलीग्राम की मात्रा में ठन्डे  दूध में घोलकर सुबह शाम पीने से भी लाभ मिलता है।

-शीघ्रपतन की शिकायत हो तो धाय के फूल ,मुलेठी ,नागकेशर ,बबूलफली इनको बराबर मात्रा में लेकर इसमें आधी मात्रा में मिश्री मिलाकर ,इस योग को 5-5 ग्राम की मात्रा में सेवन लगातार एक माह तक करें ,इससे शीघ्रपतन में लाभ मिलता है।

-कामोत्तेजना का बढाने के लिए कौंचबीज चूर्ण ,सफ़ेद मूसली ,तालमखाना ,अस्वगंधा चूर्ण को बराबर मात्रा में तैयार कर 10-10 ग्राम की मात्रा में ठन्डे दूध से सेवन  करें निश्चित लाभ मिलेगा।

ये चंद नुस्खें हैं, जिनका प्रयोग यौनशक्ति,यौनऊर्जा एवं पुरुषार्थ को बढाने में मददगार है।

जब बदलते मौसम में ना सहा जा रहा हो फटे होठों का दर्द तो....

गुलाबी होंठ किसी के भी व्यक्तित्व को और अधिक निखार देते हैं। लेकिन बदलते मौसम के कारण होंठ फटना एक आम समस्या है। ऐसे में कई बार सिर्फ वैसलीन और लिप बाम से होंठों का फटना नहीं रूक पाता है।होठों को विशेष देखभाल की जरूरत होती हैं। अगर होंठों की सही तरीके से देखभाल की जाएं तो होंठ गुलाब की पंखुडिय़ों की तरह गुलाबी रहते हैं। नीचे लिखी कुछ घरेलु टिप्स अपनाकर आप भी अपने होठों की सुंदरता बनाएं रख सकते हैं।

  - नहाने से पहले हथेली में चौथाई मुंगफली का तेल लेकर अंगुली से हथेली पर रगड़ें और फिर होंठों पर इस तेल की मालिश करें।

  - सोने से पहले सरसों का तेल नाभि पर लगाने से होंठ नहीं फटते।

  - घी में जरा-सा नमक मिलाकर होठों और नाभि पर लगाने से लाभ होता है।

  - इलायची पीस कर उसमें मक्खन मिलाकर कम से कम सात दिनों तक लगाएं।

  - गुलाब के एक फूल को पीसकर उसमें थोड़ी सी मलाई या दूध जमने वाली मलाई मिलाकर होंठो पर लेप कर दें।

  - थोड़ा-सा शहद लेकर होंठों पर उंगली से धीरे-धीरे मलें।

  - जैतून का तेल और वैसलीन मिलाकर दिन में तीन या चार बार फटे होंठों पर लगाएं।

  - थोड़ा-सा शहद लेकर होंठों पर उंगली से धीरे-धीरे मलें।

शुक्रवार, 23 सितंबर 2011

पांच चीजें ऐसी जिन्हें खाकर आप बन सकते हैं ताकतवर

कहते हैं अगर संतुलित भोजन लिया जाए तो कभी बीमारियां पास नहीं आती हैं। लेकिन अधिकतर लोगों को यह पता नहीं होता की कौन सा भोजन अधिक ताकत देता है तो आइए आज हम आपको ऐसी पांच चीजों की जानकारी देते हैं जिन्हें आप अपने भोजन में शामिल करके ताकतवर बन सकते हैं।

अमरुद-अमरुद को दिन का हीरा कहते हैं क्योंकि दिल की बीमारियों को दूर रखने और कब्ज जैसी सामान्य समस्या को खत्म करने में इसका कोई जोड़ नही है। शुगर यानि मधुमेह की रोकथाम के लिए भी इस फल को औषधि की तरह इस्तेमाल किया जाता है।

हरी फूल गोभी- जन्म के साथ होने वाली बीमारियों से लडऩे में ये गोभी बेहद कारगर होती है। ये न सिर्फ हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है बल्कि, हड्डियों को मजबूत करने की इसमें गजब की क्षमता होती है।

पालक- इसमें कई विटामिन एक साथ पाए जाते हैं। पालक में स्कीन और ब्रेस्ट कैंसर से लडऩे की सबसे ज्यादा ताकत होती है। मजे की बात है कि इसमें कोलेस्ट्राल बिल्कुल नही होता।

गाजर- रोगों से लडऩे की क्षमता बढ़ाने में गाजर का कोई मुकाबला नही है। एक कप कतरे हुए गाजर में 52 कैलोरी होती है इसके बावजूद इसमें कोलेस्ट्राल बिल्कुल नही होता। बच्चों के विकास में ये सबसे ज्यादा मददगार होता है। फेफड़े, स्कीन और मुंह के कैंसर से बचाने के लिए इसे रामबाण माना जाता है।

गोभी : शरीर में बनने वाले विषैलें पदार्थ को रोकने में इस गोभी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सब्जियों की किसी भी किस्म की तुलना में इसमें पौष्टिकता सबसे अधिक होती है।

ये हैं सिगरेट छुड़वाने के देसी उपाय

धुम्रपान हर तरह से स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। सिगरेट-बीड़ी का हर कश इंसान को मौत के करीब ले जाता है। एक अध्ययन में पता चला है कि उच्चरक्तचाप से पीडि़त व्यक्ति के धुम्रपान करने पर नपुंसक होने का खतरा 27 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। यहां तक कि धुम्रपान छोड़ चुके ऐसे पुरुषों के धुम्रपान नहीं करने वालों की तुलना में नपुसंक होने की संभावना 11 प्रतिशत अधिक होती है। अगर आप भी स्मोकिंग की आदत से परेशान हैं तो अपनाएं ये आसान उपाय....



नींबु- बीड़, सिगरेट, जर्दे का सेवन की आदत हो तो इनका सेवन करना बंद कर दें और जब इनके सेवन की इच्छा हो तो नींबू चुसें। कुछ बूंदे नींबु के रस की जीभ पर डालकरी स्वाद खट्टा कर लें। इससे उसके सेवन की इच्छा तुरंत समाप्त हो जाएगी। इस तरह जब-जब भी सेवन करने की इच्छा हो तो नींबू का सेवन करें।

 सौंफ- सौंफ को घी में सुखाकर तवे पर सुखा लें। जब भी सिगरेट पीने की इच्छा हो आधा-आधा चम्मच चबाते रहें।  इससे सिगरेट पीने की इच्छा समाप्त हो जाएगी।

अजवाइन- 50 ग्राम अजवाइन और 50 ग्राम मोटी सौंफ को घी में सेंककर डिब्बी में भरकर रख लें। जब भी सिगरेट पीने की इच्छा हो, इस मिश्रण को आधा चम्मच लेकर चबाएं।

अनोखा तरीका: बिना दवाई छू मंतर होंगे पेट और गले के रोग

शंख को भारतीय परंपरा में मांगलिक वस्तु माना गया है। शंख का प्रयोग देव पूजा में होता है। शंख शब्द का अर्थ होता है कल्याण को उत्पन्न करने वाले। इसीलिए शंख बजाकर ही मंदिर में भगवान को उठाया जाता है।

विधि- बाएं हाथ के अंगुठे को दाएं हाथ की हथेली में स्थापित करें और मुठ्ठी को बंद करें। अंगुलियों को दाहिने हाथ के अंगूठे से स्पर्श कराएं। इस तरह चारों अंगुलियों से अग्रि तत्व का संयोग होता है। इस मुद्रा से हाथों की आकृति शंख के सामान हो जाती है। उसे शंख मुद्रा कहा जाता है। ऊपर के भाग में अंगुलियों और अंगूठे के बीच जो खुला भाग रहता है। उसका आकार शंख जैसा होता है। मुंह लगाकर जैसे शंख बजाते हैं वैसे ही बजाने की कोशिश करेंगे तो शंख के समान आवाज आएगी। आरंभ में इसे 16 मिनट किया जाए। फिर उसे 48 मिनट तक किया जा सकता है।

लाभ- वाणी के दोष दूर होते हैं।

- टान्सिल और गले की बीमारियां भी दूर होती है।

- नाभि केन्द्र व्यवस्थित हो जाता है।

- पेट के सारे रोग दूर होते हैं। पाचन तंत्र सुधरता है।

सावधानियां- अंगूठे को दबाने से एक्युप्रेशर के अनुसार थाइराइड प्रभावित होता है। इसलिए अगर इस मुद्रा को करने के बाद अगर आप दुबले या मोटे हो रहें है तो इस मुद्रा को बंद कर देना चाहिए।

देखें पपीता का जादूई असर पाएं कमाल की खूबसूरती और फिगर

पपीता एक ऐसा फल है जो सिर्फ  स्वादिष्ट ही नहीं होता बल्कि सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। पपीता आसानी से हजम होने वाला फल है। पपीता भूख व शक्ति को बढ़ाता है। यह प्लीहा , लीवर,  पीलिया आदि रोग को समाप्त करता है।

पेट के रोगों को दूर करने के लिए पपीते का सेवन करना लाभकारी होता है। पपीते के सेवन से पाचनतंत्र ठीक होता है। पपीते का रस अरूचि, अनिद्रा (नींद का न आना), सिर दर्द, कब्ज व आंवदस्त आदि रोगों को ठीक करता है। पपीते का रस सेवन करने से खट्टी डकारें बंद हो जाती है। पपीता पेट रोग, हृदय रोग, आंतों की कमजोरी आदि को दूर करता है। पके या कच्चे पपीते की सब्जी बनाकर खाना पेट के लिए लाभकारी होता है।

पपीते के पत्तों के उपयोग से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है और हृदय की धड़कन नियमित होती है। पपीता में विटामिन ए, बी, डी, प्रोटिन, कैल्सियम, लौह तत्व आदि सभी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।पपीता वीर्य को बढ़ाता है, पागलपन को दूर करता है एवं वात दोषों को नष्ट करता है। इसके सेवन से जख्म भरता है और दस्त व पेशाब की रुकावट दूर होती है। कच्चे पपीते का दूध त्वचा रोग के लिए बहुत लाभ करता है। पका पपीता पाचन शक्ति को बढ़ाता है, भूख को बढ़ाता, पेशाब अधिक लाता है, मूत्राशय के रोगों को नष्ट करता है, पथरी को लगाता है और मोटापे को दूर करता है। पपीता कफ के साथ आने वाले खून को रोकता है एवं खूनी बवासीर को ठीक करता है।

इसमें पेप्सिन नामक तत्व पाया जाता हैं। जो भोजन को पचाने में मदद करता है। पपीता का सेवन रोज करने से पाचन शक्ति में वृद्धि होती है। चूंकि सारे रोगों का कारण पेट के सही ना होने के कारण होता है इसलिए पपीते का सेवन रोज करना चाहिए।  पपीता खाने से वजन कम हो जाता है।पपीते का प्रयोग लोग फेस पैक में करते हैं। पपीता त्वचा को ठंडक पहुंचाता है। पपीते के कारण आंखो के नीचे के काले घेरे दूर होते हैं।कच्चे पपीते के गूदे को शहद में मिलाकर चेहरे पर लगाने से कील-मुंहांसो का अंत होता है।

कच्चे पपीते की सब्जी खाने से याददाश्त बढ़ती है। जबकि पपीते का जूस पीने से मनुष्य में यौन शक्ति की वृद्धि हो जाती है। पपीता ऐसा फल है जो ना तो काफी महंगा होता है और ना ही मुश्किल से मिलता है इसलिए पपीते का सेवन हर व्यक्ति को रोज करना चाहिए। सिर्फ एक महीने नियमित रूप से आप पपीता खाइये फर्क आप खुद ही महसूस करेगें और सबसे कहेगें कि पपीता खाओ और काम पर जाओ।  समय से पूर्व चेहरे पर झुर्रियां आना बुढ़ापे की निशानी है। अच्छे पके हुए पपीते के गूदे को उबटन की तरह चेहरे पर लगायें। आधा घंटा लगा रहने दें। जब वह सूख जाये तो गुनगुने पानी से चेहरा धो लें तथा मूंगफली के तेल से हल्के हाथ से चेहरे पर मालिश करें। ऐसा कम से कम एक माह तक नियमित करें। हृदय रोगियों के लिए भी पपीता काफी लाभदायक होता है। 

गुरुवार, 22 सितंबर 2011

दाद- खाज हो जाएगा जड़ से साफ आजमाएं ये घरेलु उपाय

स्कीन से जुड़ी बीमारियां भी कई बार गंभीर समस्या बन जाती है। ऐसी ही एक समस्या है एक्जीमा या दाद  पर होने वाली खुजली और जलन दाद से पीडि़त व्यक्ति का जीना मुश्किल कर देती है। अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा ही है तो अपनाएं ये आयुर्वेदिक टिप्स

- दाद पर अनार के पत्तों को पीसकर लगाने से लाभ होता है।

- दाद को खुजला कर दिन में चार बार नींबू का रस लगाने से दाद ठीक हो जाते हैं।

- केले के गुदे में नींबू का रस लगाने से दाद ठीक हो जाता है।

- चर्म रोग में रोज बथुआ उबालकर निचोड़कर इसका रस पीएं और सब्जी खाएं।

- गाजर का बुरादा बारीक टुकड़े कर लें। इसमें सेंधा नमक डालकर सेंके और फिर गर्म-गर्म दाद पर डाल दें।

 - कच्चे आलू का रस पीएं इससे दाद ठीक हो जाते हैं।

- नींबू के रस में सूखे सिंघाड़े को घिस कर लगाएं। पहले तो कुछ जलन होगी फिर ठंडक मिल जाएगी, कुछ दिन बाद इसे लगाने से दाद ठीक हो जाता है।

- हल्दी तीन बार दिन में एक बार रात को सोते समय हल्दी का लेप करते रहने से दाद ठीक हो जाता है।

- दाद होने पर गर्म पानी में अजवाइन पीसकर लेप करें। एक सप्ताह में ठीक हो जाएगा।

- अजवाइन को पानी में मिलाकर दाद धोएं।

 - दाद में नीम के पत्तों का १२ ग्राम रोज पीना चाहिए।

- दाद होने पर गुलकंद और दूध पीने से फायदा होगा।

- नीम के पत्ती को दही के साथ पीसकर लगाने से दाद जड़ से साफ हो जाते है।

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