गुरुवार, 10 नवंबर 2011

एक ग्लास ज्यूस जो दिलवाएगा एसीडिटी से राहत

 संतरा खाने के बाद एकदम चुस्ती महसूस होती है। नियमित रूप से संतरे को आहार में शामिल करने से सर्दी, खांसी या रक्तस्त्राव की शिकायत नहीं रहती। शरीर सशक्त और दीर्घायु बनता हैं। रात को सोते समय और फिर से सुबह संतरा खाने से हाजमा ठीक रहता है। प्रतिदिन संतरे के ज्यूस का सेवन से किसी भी प्रकार के कैंसर की संभावना कम होती है क्योंकि संतरे के ज्यूस में एण्टीआक्सिडेंट्स अधिक मात्रा में पाये जाते है। 

गठिया के मरीज भी संतरे के जूस का सेवन कर सकते हैं। इससे दर्द से आराम मिलता है और वजन भी नियंत्रित रहता है। संतरे के ज्यूस में फोलेट पाया जाता है और फोलेट घावों को भरने में और नये सेल्स के निर्माण में मदद करता है।संतरे के छिलकों को पत्थर पर पानी के साथ पीसकर शरीर पर मलने से चाहे कितनी भी पुरानी खुजली का रोग हो सिर्फ 5-6 दिनों में ही दूर हो जाता है। संतरे के छिलकों को धूप में सुखाकर जहां पर मच्छर हो उस जगह पर जलाने से सारे मच्छर भाग जाते हैं।

जलते हुए संतरे के छिलकों की खुशबू पूरे वातावरण में फैलने से सारा वातावरण सुगंधमय हो जाता है। संतरे के रस में एक रूई के फाए को भिगोकर आंखों पर लगभग 20 से 25 मिनट तक रखने से आंखों के नीचे के काले घेरे समाप्त हो जाते हैं। रोज संतरे के रस में थोड़ा सा पिसा तथा भुना हुआ जीरा और पिसा हुआ सेंधा नमक मिलाकर पीने से अम्लपित्त यानी एसीडिटी के रोग में आराम मिलता है। गर्भवती स्त्री अगर गर्भधारण होने के बाद के दिनों में रोजाना संतरे का प्रयोग करें तो इससे उसकी होने वाली संतान बहुत सुंदर पैदा होती है।

देहाती फंडा जो देगा तलवार सा तेज और धारदार दिमाग

पिस्ता को सबसे अच्छा स्नेक माना जाता है। पिस्ते के छिलके को हटाकर इसके अंदर का हिस्सा जो खाने में प्रयोग लाया जाता है। वह बिल्कुल आंख की तरह दिखाई पड़ता है। माना जाता है कि भगवान ने जो फ्रूट जिस शेप का बनाया है। शरीर में उसके आकार अगर कोई अंग हो तो वह शरीर के उस हिस्से को सबसे अधिक प्रभावित करता है। पिस्ता का शेप क्योंकि आंख जैसा है इसलिए कुछ मात्रा में पिस्ते का सेवन हमें करना चाहिए या कहें कि आंखों के इलाज में पिस्ता आपकी सहायता कर सकता है।

ताजा शोध से ज्ञात हुआ है पिस्ता का सेवन जब सामान्य हाई कार्बोहाइड्रेट भोजन जैसे ब्रेड आदि के साथ किया जाता है तो ये कार्बोहाइड्रेट शरीर में बेहतर अवशोषण सुनिश्चित करते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप ब्लड शुगर का स्तर अपेक्षा से कहीं अधिक घट जाता है। पिस्ते वीर्यवर्धक (धातु को बढ़ाने वाला), रक्त को शुद्ध करने वाले, शक्तिवद्र्धक, पित्तकारक, भेदक, कटु और सारक (दस्तावर) हैं। वात, कफ और पित्तनाशक है। इसके उपयोग से मस्तिष्क (दिमाग) की दुर्बलता दूर होती है।  

पिस्ता ताकत देने वाला और पौष्टिक होता है। पिस्तों में से तेल निकलता है। इस तेल की मालिश सिर में करने से दिमाग की गर्मी दूर हो जाती है। रेशम पर किरमिजी रंग चढ़ाने में भी इसके तेल का उपयोग होता हैं। पिस्ते, बादाम की गिरी, चिरौंजी और खसखस इन चारों को पीसकर दूध में उबालकर खीर बनाए। इसमें शक्कर (चीनी) गाय का घी मिलाकर सेवन करने से  मस्तिष्क की कमजोरी दूर होती है।

एसीडिटी ने कर रखा है बेचैन तो अपनाएं ये देसी फंडे

क्या आप पेट की गड़बड़ और एसीडिटी से परेशान हैं? आपको भूख नहीं लगती, जी मचलाने लगता है या पेट में जलन होती है तो ये सब एसीडिटी की निशानी है। एसीडिटी से निजात पाने के लिए लोग कई तरह की दवाईयां खाते हैं। लेकिन देसी नुस्खों से अच्छा एसीडिटी को जड़ से मिटाने का कोई और तरीका नहीं है तो आइए आज हमबताते हैं कुछ ऐसी ही देसी फंडों के बारे में जिन्हें उपयोग में लाकर एसीडिटी को जड़ से मिटाया जा सकता है। 



- अपच या एसीडिटी आफरा होने पर खाने के बाद 250 ग्राम अमरूद खाना चाहिए।



- जीरा, सौंठ, सेंधा नमक, पीपल, काली मिर्च,  समान मात्रा में मिलाकर पीसकर उसमें एक चम्मच रोज दिन में तीन बार गर्म पानी से फांकी लें। 



- खाना न पचने पर पपीता खाना अच्छा है। लगातार पीपता के सेवन से यह समस्या दूर होती हैं।



- दूध तथा दुध उत्पादो का एसीडिटी के दौरान उपयोग करने से राहत मिलती है।



-  ताजा पुदीने के रस का रोज सेवन करना एसीडिटी के लिए एक बेहतर उपाय है।



- एक ग्लास पानी में दो चम्मच सेब का सिरका तथा दो चम्मच शहद मिलाकर खाने से पहले सेवन करें, यह भी एक बेहतरीन उपाय है।



-  एक गिलास पानी मे साबुत जीरे को उबाले तथा छानकर भोजन करते समय साथ मे लें एसीडिटी खत्म हो जाएगी। 

लाख दुखों की एक दवा है सौंफ

सौंफ में ऐसे अनेक औषधीय गुण मौजूद होते हैं जो सभी के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। सौंफ  में कैल्शियम, सोडियम, फास्फोरस, आयरन और पोटेशियम जैसे अहम तत्व होते हैं।पेट के कई विकारों जैसे मरोड़, दर्द और गैस्ट्रो विकार के उपचार में यह बहुत लाभकारी है। बड़ा हो या छोटा बचा यह हर किसी के स्वास्थ्य के लिए बड़ी लाभकारी है।

 जिन व्यक्तियों को संग्रहणी की बीमारी हो, उन्हें चाहिए कि भोजन के बाद आधी क'ची, आधी भुनी हुई सौंफ तैयार करवाकर दोनों समय नियमित सेवन करें।

- कब्ज दूर करने के लिए 100 ग्राम सौंफ पीसकर रख लें। इसकी दो चम्मच गुलाब के गुलकंद के साथ सुबह-शाम भोजन के बाद खाएं।

- गले में खराश होने पर सौंफ को चबाते रहने से बैठा गला साफ हो जाता है। दिमाग से सम्बन्धी रोगों के लिए सौंफ  बड़ी लाभकारी होती है। इसके निरन्तर उपयोग से आंखें कमजोर नहीं होती है और मोतियाबिन्द की शिकायत नहीं होती।

- उल्टी प्यास जी मिचलाना जलन उदरशूल पित्तविकार मरोड़ आदि में सौंफ  का सेवन बहुत लाभकारी होता है।

- रोजाना सुबह और शाम दस दस ग्राम सौंफ बिना मीठा मिलाए चबाने से रक्त साफ होता है और त्वचा का रंग भी साफ  होने लगता है।

- हाथ पांव में जलन की शिकायत होने पर सौंफ के बराबर मात्रा में धनिया कूट कर मिश्री मिला लें। खाना खाने के बाद पानी से करीब एक चम्मच रोज लेने से यह शिकायत कुछ ही दिनों में दूर हो जाती है।

- अगर आपके ब'चे को अक्सर अफरे की शिकायत रहती है या अपच, मरोड़, और दूध पलटने की शिकायत रहती है तो दो चम्मच सौंफ के पावडर को करीब दो सौ ग्राम पानी में उबाल लें और ठण्डा कर शीशी में भर लें। इस पानी को एक एक चम्मच दिन में दो तीन बार पिलाने से ये सारी शिकायतें दूर हो जाती हैं।

बुधवार, 9 नवंबर 2011

तुलसी है एक नहीं अनेक रोगों की दवा

भारत के घर- घर में तुलसी पूजा की जाती है। तुलसी की उत्पत्ति के बारे में कहा गया है कि जब देव तथा दानव समुद्र मंथन कर रहे थे उस समय जो अमृत धरती पर छलका था, उसी से तुलसी पैदा हुई। तुलसी को इसके औषधीय गुणों के कारण ही भारत में इसका पूजन किया जाता है। आज हम बात कर रहे हैं तुलसी के कुछ ऐसे ही औषधीय गुणों के बारे में। 

- अल्सर और मुंह के अन्य संक्रमण में तुलसी की पत्तियां फायदेमंद साबित होती हैं। 

- रोजाना तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है।

सुबह पानी के साथ तुलसी की 5 पत्तियां निगलने से कई प्रकार की संक्रामक बीमारियों एवं दिमाग की कमजोरी से बचा जा सकता है।

- तुलसी की जड़ का काढा ज्वर नाशक होता है।

- तुलसी अदरक मुलैठी सबको घोटकर शहद के साथ लेने से सर्दी के बुखार में आराम होता है।

- दाद, खुजली और त्वचा की अन्य समस्याओं में तुलसी के अर्क को प्रभावित जगह पर लगाने से कुछ ही दिनों में रोग दूर हो जाता है। 

- तुलसी के बीज खाने से विष का असर नहीं होता।

किसी के पेट में यदि विष चला गया हो तो तुलसी का पत्र जितना पी सके पिये, विष दोष शांत हो जाता है।

- मासिक धर्म के दौरान यदि कमर में दर्द भी हो रहा हो तो एक चम्मच तुलसी का रस लें।

- तुलसी का रस 10 ग्राम चावल के माड़ के साथ पिए सात दिन। प्रदर रोग ठीक होगा। इस दौरान दूध भात ही खाएं।

- तुलसी के बीज पानी में रात को भिगो दें। सुबह मसलकर छानकर मिश्री में मिलाकर पी जाएं। प्रदर रोग ठीक होगा।

- तुलसी की पिसी पत्तियों में एक चम्मच शहद मिलाकर नित्य एक बार पीने से आप निरोगी रहेंगे, गालों में चमक आएगी।

दादी मां का नुस्खा: इस सब्जी को खाने से डिलेवरी में कम होगी तकलीफ

मेथी एक ऐसी गुणकारी औषधी है, जो हमारे पेट संबंधी विकारों को दूर कर हमें कांतिमय त्वचा व स्वस्थ शरीर प्रदान करती है।पेट की गड़बडिय़ों से त्वचा पर फुंसियाँ निकलना, त्वचा की कांति का छिन जाना, एसीडिटी आदि समस्याएं पैदा होती हैं।यदि हमारा पेट साफ होगा तो हमारा शरीर भी स्वस्थ होगा।अपच, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, साइटिका आदि में मेथी के बीजों का प्रयोग करना बहुत ही फायदेमंद होता है।

यह भूख बढ़ाने में भी सहायक होता है। मेथी में कड़वापन उसमें उपस्थित पदार्थ ग्लाइकोसाइड के कारण होता है। मेथी में फॉस्फेट, लेसीथिन, विटामिन डी और लौह अयस्क होता है, जो आपकी स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करते हैं।मेथी में ऐसे पाचक एंजाइम होते हैं, जो अग्नाशय को अधिक क्रियाशील बना देते हैं। इससे पाचन क्रिया भी सरल हो जाती है। यह गैस्ट्रिक अल्सर के उपचार में भी उपयोगी है। मेथी के स्टेरॉइडयुक्त सैपोनिन और लसदार रेशे रक्त में शकर को कम कर देते हैं, इसलिए मेथी का सेवन मधुमेह के रोगियों के लिए भी लाभदायक होता है।

मेथी सिर्फ शरीर को आंतरिक रूप से मजबूत करती हैं बल्कि शरीर को बाहरी सुंदरता देने में भी सहायक हो सकते हैं। मेथी के दानों को पीसकर यदि त्वचा पर लगाया जाए तो यह सुंदर और मुलायम बनती है। इसका प्रयोग घाव और जलने के इलाज में भी किया जाता है। पुराने समय में बच्चे के जन्म को आसान बनाने के लिए गर्भवती स्त्री को मेथी खिलाई जाती थी। अब इस बात को वैज्ञानिक भी मानते हैं कि  मेथी में प्रोटीन की मात्रा बहुत अधिक होती है। यह हमारे शरीर की पाचनशक्ति व भूख को भी बढ़ाती है। यह एक प्रामाणिक तथ्य है कि मेथीदाने में फॉस्फेट, लेसिथिन और न्यूक्लिओ-अलब्यूमिन, फोलिक एसिड, मैग्नीशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर आदि जैसे पोषक तत्व होते हैं। इसीलिए गर्भवती स्त्री के लिए विशेष रूप से लाभदायक होती है।

सफेद बालों को भी काला कर सकता है नीम जानिए, कैसे?


नीम को एक ऐसे पेड़ के रूप में पेश किया जा रहा है, जो डायबिटीज से लेकर एड्स, कैंसर और न जाने किस-किस तरह की बीमारियों का इलाज कर सकता है। दाद वाली जगहों पर लगाएं, कुछ ही दिनों में दाद का काम तमाम हो जाएगा।अस्थमा के मरीज को नीम के बीजों का तेल पान में डालकर चबाना चाहिए। पथरी होने पर पानी के साथ नीम की पत्तियों की राख नियमित लेने से पथरी गल कर बाहर निकल जाती है।

नीम के फूलों का सेवन करने से कफ  नष्ट होता है। नीम की छाल से खांसी, बवासीर आदि रोग दूर होते हैं। शरीर पर सफेद दाग होने पर नीम के फूल, फल तथा पत्तियों को मिलाकर बारीक पीस लें। इसे पानी में मिलाकर पीने से लाभ पहुंचता है। नीम की कच्ची निबोरी के सेवन से पेट के कीड़े, बवासीर व कोढ आदि रोग दूर होते हैं। खाने में अरूचि होने पर नीम के पत्तों का सेवन लाभप्रद है।

 यही नहीं, नीम के हरे पत्तों का रस नाक में टपकाने से सिर का दर्द दूर होता है और कान में टपकाने से कान की पीड़ा में आराम मिलता है। जबकि मीठी नीम के सूखे गीले पत्ते कढ़ी में छोंक लगाने तथा दाल को मजेदार बनाने के काम आते हैं। इनको चने के बेसन में मिलाकर पकोड़ी भी बनाई जाती है। नीम के तेल से मालिश करने से विभिन्न प्रकार के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। नीम की पत्तियों को उबालकर और पानी ठंडा करके नहाया जाए तो उससे भी बहुत फायदा होता है।

घाव  नीम के पत्तों को पीसकर थोड़ा शहद मिलाकर घाव पर इसका लेप करने से लाभ होता है। प्रतिदिन नीम की दातुन करने से दांतों में सडऩ, दुर्गंध व कीटाणु नहीं रहते हैं।सिर की रूसी समाप्त करने के लिए नीम के पत्तों का काढ़ा बनाकर सिर धोना चाहिए। सफेद बाल काले करने के लिए नीम के तेल की कुछ बूंदें नासिका छिद्रों में टपकाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं। 
 

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