मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

पांच आयुर्वेदिक नुस्खे: मिलेगी 30 दिनों में दमकती गोरी त्वचा

अक्सर कुछ लोग अपने सांवले रंग से परेशान रहते हैं। सांवला रंग कभी किसी के करियर में रुकावट बनता है तो कभी शादी ब्याह में। ज्यादातर लड़के लड़कियां भी अपने लिए गोरे रंग के हमसफर को प्रीफर करते है। अगर आप अपने सांवले रंग से परेशान हैं तो घबराइये नहीं कुछ आसान आयुर्वेद नुस्खे ऐसे हैं जिनसे आपका सांवलापन दूर हो सकता है।



  - एक बाल्टी ठण्डे या गुनगुने पानी में दो नींबू का रस मिलाकर गर्मियों में कुछ महीने तक नहाने से त्वचा का रंग निखरने लगता है (इस विधि को करने से त्वचा से सम्बन्धी कई रोग ठीक हो जाते हैं)।



- आंवला का मुरब्बा रोज एक नग खाने से दो तीन महीने में ही रंग निखरने लगते है।





- गाजर का रस आधा गिलास खाली पेट सुबह शाम लेने से एक महीने में रंग निखरने लगता है। रोजाना सुबह शाम खाना खाने के बाद थोड़ी मात्रा में सांफ खाने से खून साफ होने लगता है और त्वचा की रंगत बदलने लगती है।



 

- प्रतिदिन खाने के बाद सोंफ का सेवन करें। - रात को सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ नियमित रूप से त्रिफला चूर्ण का सेवन करें। 

इस जानलेवा बीमारी को जड़ से मिटा देगा ये ज्यूस, वो भी बिना आपरेशन!

क्षमता से ज्यादा काम और मानसिक तनाव के कारण आजकल दिल से सम्बन्धित रोग बढ़ते जा रहे हैं। हर दिन कोई भी एक नया व्यक्ति दिल के रोग से पीडि़त मिल ही जाता है। किसी-किसी को तो ये रोग इतने ज्यादा हद तक होजाते हैं कि उनका इलाज केवल एन्ज्योग्राफी या बायपास सर्जरी ही होता है। अगर आप इन रोगों से बचना चाहते हैं तो लौकी का रस आपकी बहुत मदद कर सकता है। अगर आपको दिल से सम्बन्धी कोई भी बीमारी हो तो लौकी का रस जरूर पीएं।।



लौकी का ज्यूस बनाने की विधि- सबसे पहले लौकी को धो ले फिर उसे कद्दूकस कर लें। कद्दूकस की हुई लौकी में तुलसी के सात पत्ते और पुदीने की पांच पत्तियां डाल कर उसे मिक्सर में पीस लें। रस की मात्रा कम से कम 150 ग्राम होनी चाहिए। अब इस रस में बराबर मात्रा में पानी मिलाकर तीन चार पिसी काली मिर्च और थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर पीएं।



रस को पीने की विधि- 
यह रस किसी भी दिल के मरीज को दिन में तीन बार सुबह, दोपहर और शाम को खाने के बाद पिलाना चाहिए। शुरूआत के दिनों में रस कुछ कम मात्रा में लें और जैसे ही वह अच्छे से पचने लगे इसकी मात्रा बढ़ा दें।



विशेष- 
लौकी का रस पेट के विकारों को मल के द्वारा बाहर निकाल देता है। जिसके कारण शुरूआत में पेट में गडग़ड़ाहट और खलबली मच सकती है इससे घबराएं नहीं कुछ समय बाद यह अपने आप ठीक हो जाएगा। इस रस को पीने के साथ मरीज का अपनी पहले से चल रही दवाईयों को भी चालू रखना चाहिए पहले से चल रही दवाईयों को एकदम न छोड़ें।

सोमवार, 19 दिसंबर 2011

नमक का ये आसान प्रयोग कर देगा हर तरह के बुखार की छुट्टी

बदलते मौसम में बुखार की चपेट में आना एक आम बात है। कभी वायरल फीवर के नाम पर तो कभी मलेरिया जैसे नामों से यह सभी को अपनी चपेट में ले लेता है। फिर बड़ा आदमी हो या कोई बच्चा इस बीमारी की चपेट में आकर कई परेशानियों से घिर जाते हैं। कई बुखार तो ऐसे हैं जो बहुत दिनों तक आदमी को अपनी चपेट में रखकर उसे पूरी तरह से कमजोर बना देता है। पर घबराइए नहीं सभी तरह के बुखार की एक अचूक दवा है भुना नमक। इसके प्रयोग किसी भी तरह के बुखार को उतार देता है।



भुना नमक बनाने की विधि- खाने मे इस्तेमाल आने वाला सादा नमक लेकर उसे तवे पर डालकर धीमी आंच पर सेकें। जब इसका कलर कॉफी जैसा काला भूरा हो जाए तो उतार कर ठण्डा करें। ठण्डा हो जाने पर एक शीशी में भरकर रखें।जब आपको ये महसूस होने लगे की आपको बुखार आ सकता है तो बुखार आने से पहले एक चाय का चम्मच एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर ले लें। जब आपका बुखार उतर जाए तो एक चम्मच नमक एक बार फिर से लें। ऐसा करने से आपको बुखार कभी पलट कर नहीं आएगा।



विशेष.हाई ब्लडप्रेशर के रोगियों को यह वि धि नहीं अपनानी चाहिए।



- यह प्रयोग एक दम खाली पेट करना चाहिए इसके बाद कुछ खाना नहीं चाहिए और ध्यान रखें कि इस दौरान रोगी  को ठण्ड न लगे।



- अगर रोगी को प्यास ज्यादा लगे तो उसे पानी को गर्म कर उसे ठण्डा करके दें।



- इस नुस्खे को अजमाने के बाद रोगी को करीब 48 घंटे तक कुछ खाने को न दें। और उसके बाद उसे दूध चाय या हल्का दलिया बनाकर खिलाऐं।

दस मिनट का ये प्रयोग कर लेंगे तो चेहरा चमकने लगेगा

यदि आप मानसिक तनाव महसूस करते हैं। निराशा, हताशा एवं चिंताएं आदि समस्याएं सताती रहती हैं, तो प्रतिदिन योगासन करें। योगासन मन को शांति देता और स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक रहता है। साथ ही योग से आंखों की रोशनी और चेहरे की चमक भी बढ़ती है। सर्वांगासन आंखों और चेहरे के लिए काफी फायदेमंद है। 



सर्वांगासन की विधि - कसी सुविधाजनक स्थान पर कंबल या दरी बिछाकर शवासन में लेट जाएं। अपने दोनों हाथों को जांघों की बगल में तथा हथेलियों को जमीन पर रखें। पैरों को घुटनों से मोड़कर ऊपर उठाइएं तथा पीठ को कंधों तक उठाइएं। दोनों हाथ कमर के नीचे रखकर शरीर के उठे हुए भाग को सहारा दीजिएं। इस तरह ठुड्डी को छाती से लगाए रखें। अब सांस को रोके नहीं स्वाभाविक रूप से चलने दें। यथाशक्ति पैर और धड़ को एक सीध में रखें। इस स्थिति में रुकने के बादए पैरों को जमीन पर वापस ले आएं। पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए घुटनों को माथे के पास ले आएं। हाथों को जमीन रखते हुये शरीर और पैरों को धीरे.धीरे वापस शवासन में आ जाएं। अब शवासन में शरीर को शिथिल अवस्था में आ जाएं। आसन करते समय आंखों को खुला रखें।



सावधानियां- जल्दबाजी एवं हड़बड़ाहट में यह आसन न करें। इस आसन का अभ्यास पीठ दर्दए कमर दर्दए नेत्र रोगी और उच्च रक्तचाप के रोगी ने करें।



लाभ-  इसके नियमित अभ्यास से मानसिक तनावए निराशाए हताशा एवं चिंताएं आदि रोगों का नाश होता है। इससे आंखों का तेज बढ़ता है और चेहरा कांतिमय बनता है। स्त्रियों के स्वास्थ में इस आसन से विशेष लाभ होता है । स्त्रियों की मासिक धर्म से जुड़ी बीमारियों में राहत मिलती है। सर्वांगासन से शरीर के उन अंगों से रक्त संचार होने लगता है जहां रक्त संचार कम होता है। शरीर का प्रत्येक अंग स्वस्थ हो जाता है। इस आसन के प्रभाव से चेहरे पर झाइयां नहीं पड़ती हैं। लम्बी उम्र तक चेहरे पर चमक बनी रहती है। समय से पूर्व बाल सफेद नहीं होते हैं। नेत्र ज्योति अंत तक बनी रहती है। इस आसन के करने से मानसिक तनाव दूर होता है। क्रोध और चिड़चिडा़पन दूर होता है। बच्चों के बौद्धिक विकास में यह आसन विशेष लाभदायक है। इसके करने से मानसिक और आध्यात्मिक शक्तियां जाग्रत होती हैं तथा सतोगुण की वृद्धि होती है। 

शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011

छोटे-छोटे फंडे: इन्हें अपना लेंगे तो कभी नहीं होगी गैस और एसीडिटी

समय पर खाना न खाना, शरीर की आवश्यकता से अधिक भोजन आदि के कारण एसीडिटी होना एक आम समस्या है। साथ ही गैस का बनना, कब्जियत रहना और मुंह के छाले होना कहीं न कहीं पेट से ही जुड़ी हुई समस्याएं हैं। पेट में गैस व एसीडिटी होनी की छोटी सी समस्याएं कई बारजानलेवा भी हो सकती है। अगर आपको भी ये समस्याएं परेशान कर रही है तो अपनाइए नीचे लिखे छोटे-छोटे फंडों को और पाएं गैस व एसीडिटी से राहत हमेशा के लिए।



- प्रतिदिन जमकर भूख लगने पर ही भोजन करें।



- खाने के तुरंत बाद कभी भी चाय-काफी आदि का सेवन न करें।



- पके हुए बेल फल का उचित रीति से सेवन करें।



- हिंगास्टक चूर्ण, जो कि बाजार में बना बनाया मिलता है, खाने के बाद

उचित मात्रा में प्रतिदिन सेवन करें।



- भोजन में हरी सब्जियों और सलाद का सेवन अवश्य करें। चाय, मिर्च-मसाले,

पचने में भारी चीजों से बचें।



- भोजन करने के बाद वज्रासन में बैठें। रात्रि में बाईं करवट से ही सोएं।



- प्रतिदिन सुबह 2 से 3 कि. मी. मार्निग वॉक करें।



- सुबह उठकर 1-2 गिलास पानी जो तांबे के लोटे में रात भर रखा रहा हो, उसे पीना पेट के लिये बहुत फायदेमंद होता  है।

अस्सी की उम्र में भी दिखेंगे अठारह के आजमाएं ये देसी फंडा

वर्तमान समय में अनियमित खानपान व दिनचर्या के कारण समय से पहले बाल सफेद होना, कम उम्र में झुर्रियां आ जाना या अन्य ऐजिंग साइन एक आम समस्या है। ऐसे में दवाईयां या एंटीएंजिंग क्रीम युज करना काफी नहीं होगा। अगर आप वाकई लंबे समय तक जवान बने रहना चाहते हैं।अगर चाहते है कि अस्सी की उम्र में भी आपके शरीर में अठारह सी फूर्ति रहे तो नीचे लिखे योगासन को नियमित रूप से करें।

हलासन विधि - समतल जमीन पर आसन बिछाएं। आसन पर शवासन में लेट जाएं। श्वांस को अंदर भरकर दोनों पैरों को एक साथ ऊपर की और उठाना प्रारंभ करें। पैरों को ऊपर उठाते हुए सर्वांगासन में आइये, फिर पैरों को सिर के पीछे तक झुकाते हुए जमीन से स्पर्श कराइये। दोनों पैरों को घुटनों से न मुडऩे दें। पैरों को सीधा रखें। दोनों हाथों से पैरों के अंगूठों को पकड़ लें। हाथों की कोहनी को सीधा रखें। कुछ क्षण इसी तरह रुकने के बाद, सामान्य रूप से शवासन में आ जाइये। शरीर के तनाव को मिटाने के लिये आसन के अंत में कुछ देर शवासन में रहें।

लाभ - यह आसन थायराइड ग्रन्थि को प्रभावित करता है। इस आसन के करने से कण्ठकूपों पर दवाब पड़ता है जिससे थाइराइड़ संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। भावनात्मक संतुलन और तनाव निवारण के लिये यह आसन लाभप्रद है। इससे मेरुदण्ड लचीला बनता है जिससे आप लंबे समय तक जवान बने रहेंगे। इस आसन से पाचन तंत्र और मांसपेशियों को शक्ति मिलती है। इसके अभ्यास से पाचन तंत्र ठीक रहता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से विशुद्ध चक्र जाग्रत होता है। गले और वाणी से संबंधित बीमारियां दूर होती हैं। 

हलासन के अभ्यास से मन शांत और स्थिर होता है, तनाव दूर होता है। इसके नियमित अभ्यास से प्राण सूक्ष्म होकर सुषुम्ना नाड़ी में प्रवाहित होने लगता है।इसे करने से मन, आनंद और उत्साह से भरा रहता है तथा शरीर में स्फूर्ति और ताजगी बनी रहती है। साथ ही प्रतिदिन सुबह उठने के बाद खाली पेट एक चम्मच च्यवनप्राश लेना चाहिए। इसके बाद दूध पीएं। इसी तरह रात को सोने से पहले एक चम्मच च्यवनप्राश लें और फिर दूध पीएं। रोज अनार व चुकंदर का भी सेवन करें। खूब पानी पीएं। छ: से आठ घंटे गहरी नींद लें। घृतकुमारी के ज्यूस का नियमित रूप से सेवन करें। सदा जवान बने रहने के लिए आयुर्वेद में हरड़ को भी वरदान माना गया है।

गुरुवार, 15 दिसंबर 2011

सर्दी स्पेशल: चार छुहारों का आयुर्वेदिक प्रयोग बना देगा आपकी हेल्थ


जिस तरह अधिक मोटापा किसी के लिए भी पेरशानी का कारण हो सकता है। उसी तरह ज्यादा दुबलापन भी कान्फिडेन्स में कमी कारण बनता है। अगर आप भी बहुत ज्यादा दुबलेपन से परेशान हैं व आप कमजोरी और दुबलेपन से सदा के लिये मुक्ति चाहते हैं और लोगों की उपेक्षा और घृणा से निजात पाना चाहते हैं तो नीचे दिये जा रहे छुहारे के प्रयोग को पूरे विश्वास के साथ एक बार अवश्य आजमाएं...



प्रयोग:

4 छुहारे एक गिलास दूध में उबाल कर ठण्डा कर लें। प्रात: काल या रात को सोते समय, गुठली अलग कर दें और छुहारें को खूब चबा-चबाकर खाएं और दूध पी जाएं। लगातार 3-4 माह सेवन करने से शरीर का दुबलापन दूर होता है, चेहरा भर जाता है। सुन्दरता बढ़ती है, बाल लम्बे व घने होते हैं और बलवीर्य की वृद्धि होती है। यह प्रयोग नवयुवा, प्रौढ़ और वृद्ध आयु के स्त्री-पुरुष, सबके लिए उपयोगी और लाभकारी है।

दमा:

दमा यानी सांस के रोगी को प्रतिदिन सुबह-शाम 2-2 छुहारे खूब चबाकर खाना चाहिए। इससे फेफड़ों को शक्ति मिलती है और कफ  व सर्दी का प्रकोप कम होता है।

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