बुधवार, 28 दिसंबर 2011

एक नहीं अनेक रोग दूर हो सकते हैं इस एक तरीके से

 स्वस्थ शरीर सभी चाहते हैं लेकिन स्वस्थ शरीर के लिए रोजाना योग व नियमित दिनचर्या इसके लिए आवश्यक है। कुछ योगासन ऐसे हैं जिन्हें नियमित रुप से करने से शरीर न सिर्फ स्वस्थ रहता है बल्कि एनर्जी भी मिलती है।

सिद्धासन की विधि-

समतल स्थान पर कंबल आदि आसन पर बैठकर पैर खुले छोड़ दें। अब बायें पैर की एड़ी को गुदा और जननेन्द्रिय के बीच रखें। दाहिने पैर की एड़ी को जननेन्द्रिय के ऊपर इस प्रकार रखें जिससे जननेन्द्रिय और अण्डकोष के ऊपर दबाव न पड़े। पैरों का क्रम बदल भी सकते हैं। दोनों पैरों के तलवे जंघा के मध्य भाग में रखें। हथेली ऊपर की ओर रहे इस प्रकार दोनों हाथ एक दूसरे के ऊपर गोद में रखें। अथवा दोनों हाथों को दोनो घुटनों के ऊपर ज्ञानमुद्रा में रखें। आंखें खुली अथवा बंद रखें। श्वास सामान्य रखें और ध्यान केन्द्रित करें। पांच मिनट तक इस आसन का अभ्यास कर सकते हैं। ध्यान की उच्च कक्षा आने पर शरीर पर से मन की पकड़ छूट जाती है।

सिद्धासन के लाभ-

सिद्धासन से शरीर की समस्त नाडिय़ों का शुद्धिकरण होता है। ध्यान लगाना सरल हो जाता है। पाचनक्रिया नियमित होती है। श्वास के रोग, हृदय रोग, जीर्णज्वर, अजीर्ण, अतिसार, शुक्रदोष आदि दूर होते हैं। मंदाग्नि, मरोड़ा, संग्रहणी, वातविकार, क्षय, दमा, मधुप्रमेह, प्लीहा की वृद्धि आदि अनेक रोगों दूर होते है। ब्रह्मचर्य-पालन में यह आसन विशेष रूप से सहायक होता है। विचार पवित्र बनते हैं। सिद्धासन का अभ्यासी भोग-विलास से बच सकता है। वीर्य की रक्षा होती है। स्वप्नदोष के रोगी को यह आसन अवश्य करना चाहिए। मानसिक शक्तियों का विकास होता है। कुण्डलिनी शक्ति जागृत करने के लिए यह आसन प्रथम सोपान है।

रूक जाएगा कम उम्र में बालों का झडऩा, रखें इन छोटी -छोटी बातों का ध्यान

कम उम्र में  बालों का झडऩा या गंजापन आना सिर्फ पुरुषों में ही नहीं बल्कि महिलाओं में भी एक आम समस्या बन गई है। लेकिन यही समस्या यदि 20-30 वर्ष की युवा उम्र में ही सामने आने लगे तो प्रभावित व्यक्ति का चिन्तित होना स्वाभाविक हो जाता है। इस समस्या के समाधान हेतु सबसे पहले इस समस्या से प्रभावित लोगों को निम्न नियमों को अपनी दिनचर्या में शामिल करना बहुत आवश्यक होता है। 

 - देर रात तक जागना और सुबह देर तक सोए रहना इस समस्या का मुख्य कारण है अत: सबसे पहले जल्दी सोकर सुबह जल्दी जागने की दिनचर्या अनिवार्य रुप से बनाना आवश्यक समझें ।

- महिलाएं प्राय: इस सोच से अपने बाल काट लिया करती हैं कि काटने से बाल अधिक बढेंगे जबकि यह एक गलत धारणा है । अत: महिलाएं इस सोच से अपने बाल कभी न काटें ।

- अपना कंघा व तौलिया हमेशा अलग रखें, दूसरे का कंघा व टावेल कभी भी प्रयोग में न लें ।



- बालों को कभी भी किसी बाजारी या इश्तहारी शैम्पू से न धोएं ।



 - हमेशा एक ही प्रकार का तेल प्रयोग करें । तेल बदल-बदल कर नहीं । नारियल के तेल में नींबू का रस मिलाकर लगाने से बाल स्वस्थ व चमकीले बने रह सकते हैं ।



 -  दोनों वक्त सुबह-शाम या रात को सोने से पहले शौच क्रिया अवश्य करें जिससे पेट साफ रहे और कब्ज न रहने पाए । किसी भी स्थिति में तनाव से बचें।

-  भोजन के साथ सलाद के रुप में मूली, गाजर, हरी ककडी, पके टमाटर, पालक, पत्ता गोभी आदि कोई भी हरी पत्तेदार सब्जी का सलाद काली मिर्च व सेंधा नमक बुरककर बिना चूके प्रतिदिन कम से कम एक बार तो अधिकतम मात्रा में अवश्य खाएं।

मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

शतावरी पाक: ठंड मे एक अनोखी दवा बनाकर खाएं और देखें कमाल

ठंड में कुछ औषधीयां स्त्री और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से पोषक व बलवर्धक है। ऐसी ही एक औषधि है शतावरी। आज हम आपको बताने जा रहे हैं शतावरी पाक की विधि जो सर्दियों में शरीर के लिए विशेष रूप से लाभदायक है।

सामग्री- शतावरी, पवार और खिरेंटी तीनों की जड़ 100-100 ग्राम, घी 250 ग्राम, मावा 450 ग्राम, एक किलो मिश्री, लौंग, छोटी इलायची, जायफल, जावित्री, छोटे गोखरु- ये पांचों 10-10 ग्राम, 200-200  ग्राम।



विधि- 
तीनों जड़ों को कूट पीस कर महीन छान ले। कढ़ाई में सब घी डाल कर भून लें। मावा अच्छी तरह सेंक कर इसमें मिला दें। मिश्री की चाशनी बना कर इसमें चूर्ण मिला हुआ मावा डाल कर गरम करें। फिर इस चूर्ण को डालकर भून लें। मावा अच्छी तरह सेंक कर लौंग, इलायची आदि।पांचों को पीस कर डाल दें। किशमिश व कतरी हुई बादाम डालकर घी का हाथ लग थाली में फैला कर बर्फी जमा लें। 20-20  ग्राम वजन की बर्फी काट कर बर्नी में भर रख लें।

 सेवन विधि- एक-एक बर्फी सुबह व रात को सोते समय खाकर एक गिलास मीठा दूध पीना चाहिए। पूरे शीतकाल इस पाक का सेवन करने से सब प्रकार की कमजोरियां नष्ट हो कर शरीर में खूब बलवीर्य की वृद्धि होती है।

अचूक आयुर्वेदिक उपचार: कैसी भी हो खांसी बस दो दिन में ठीक हो जाएगी!


बदलते मौसम में कोई भी खांसी की गिरफ्त में आ सकता है। इसके अलावा कई बार एलर्जी या ठंडा-गर्म खाने से भी खांसी हो जाती है। लेकिन लगातार खांसी बने रहना चिंता का विषय है क्योंकि खांसी क ई बड़े रोगों का कारण भी बन सकती है। इसीलिए जब खांसी हो तो इन घरेलू उपायों को जरूर अपनाएं, कैसी भी खांसी हो शीघ्र राहत मिलेगी।

 - 10 ग्राम फिटकरी को तवा गर्म करके उस पर रख दें। थोड़ी देर बुदबुदाहट के बाद वह फिटकरी ठंडी होकर बैठ जावेगी । फिर उसी फिटकरी को चाकू जैसी किसी नोकदार वस्तु से उस गर्म तवे पर पलट दें। थोड़ी देर में वह फिटकरी बुदबदाते दिखेगी व बैठ जावेगी । यह शोधित फिटकरी कहलाती है । इस फिटकरी को बेलन की मदद से बिल्कुल बारीक पीस लें और इसमें 100 ग्राम शक्कर का बुरा मिलाकर इसे एकजान करके इसकी बराबर वजन की 15 पुडिय़ा बना लें। अगर खांसी कफ वाली हो तो इस पुडिय़ा को सुबह-शाम पानी से लें, सुखी हो तो गुनगुने दूध से इसका सेवन करें।

सोमवार, 26 दिसंबर 2011

छोटे-छोटे उपाय जो आपको छरहरा बना देंगे

जो लोग हमेशा छरहरा बने रहना चाहते हैं, वे कुछ न कुछ फंडे अवश्य अपनाते हैं जिससे उनका शरीर फीट रहता है। कुछ सामान्य टिप्स जिससे आप भी फिट फि गर प्राप्त कर सकते हैं-



- प्रतिदिन सुबह उठने के बाद ज्यादा से ज्यादा 2 घंटे नाश्ता  अवश्य करें। नाश्ता में कुछ भी ले सकते हैं जो आपके स्वास्थ्य के ठीक है।



- खाने में रोटी और चावल अलग-अलग समय पर खाएं।



- प्रतिदिन एक केला, सेब और फ्रूट ज्यूस अवश्य लें। दिनभर थोड़ी-थोड़ी देर में  फ्रूटआदि खाते रहें।



- ज्यादा मिठाई ना खाएं।



- लंच और डीनर प्रतिदिन समय पर लें।



- तली हुई चीजों से भी दूर रहें।



- प्रतिदिन सुबह उठकर हल्की एक्सरसाइज या व्यायाम अवश्य करें।



- कम से कम 15-20 मिनिट प्रतिदिन ध्यान लगाएं। आंख बंद करके शांत बैठें और मस्तिष्क को आराम दें।



- प्रतिदिन सुबह या शाम को लॉन्ग वॉक पर जाएं।



- चटपटे खाने और मैदे से बनी खाने की चीजों से दूर रहें।



- खाने पहले सलाद अवश्य खाएं।



- खाने के बाद छाछ पीएं।



- रात का खाना सोने से कम से कम 2 घंटे पहले खा लें।



- खाने के तुरंत बाद कभी न सोएं।



- कुछ ना कुछ शारीरिक कार्य अवश्य करते रहें। जैसे डांस, वॉक, एक्सरसाइज आदि। 

रविवार, 25 दिसंबर 2011

बुढ़ापे के प्रभाव को कम कर सकता है दूध अगर.....


बुढ़ापे के प्रभाव को कम कर सकता है दूध अगर.....

दूध मनुष्य के लिये सर्वोत्तम आहार है क्योंकि दूध में वे सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो कि शरीर के सम्पूर्ण विकास के लिये अनिवार्य होते हैं। आयुर्वेद ग्रथों में पुरुषों के लिये प्रतिदिन कम से कम 250 मिली ग्राम यानी कि लगभग1 गिलास दूध बहुत आवश्यक बताया गया है। आयुर्वेद के अनुसार शाम के भोजन के 2-3 घंटे बाद तथा सोने से 1 घंटा पहले प्रतिदिन सभी को दूध का सेवन अवश्य करना चाहिये, खासकर पुरुषों के लिये तो इसे अनिवार्य ही बताया गया है क्योंकि...



- पुरुषों को घर से बाहर दौड़-धूप तथा शारीरिक श्रम करना पड़ता जिसकी भरपाई सिर्फ दूध जैसा कम्पलीट फूड ही कर  सकता है।



- प्रतिदिन के काम-काज के दौरान हमारे शरीर के हजारों पुराने कोष नष्ट हो जाते हैं, तथा नए कोषों के बनने के लिये दूध ही सर्वश्रेष्ठ साधन है।



- स्त्रियों की बजाय पुरुषों में उम्र का ढलान ज्यादा तेजी से आता है तथा पुरुषों में बुढ़ापे के प्रभाव को धीमा करने में दूध बेहद कारगर सिद्ध होता है।

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