बुधवार, 23 मई 2012

गहरी चोट का घाव परेशान कर रहा हो तो ये करें

- नारंगी खाने से घाव जल्दी भर जाता है।

- नियमित रूप से अंगूर खाने से घाव जल्दी भर जाते हैं।

- सहजन की पत्तियों को पीसकर लेप करने से घाव ठीक हो जाता है।

- गाजर को उबालकर इसकी लुगदी बना लें। इसे घाव पर लगाएं। घाव जल्दी ठीक हो जाएगा।

- एरण्ड का तेल घाव पर लगाकर पट्टी बांध देने से लाभ होता है।

- पिसी हल्दी में  घी या तेल मिलाकर गर्म कर इसमें रुई भिगोकर घाव पर रोजाना पट्टी बांधने से घाव भर जाता है। 

- शहद की पट्टी बांधने से भी आराम मिलता है।

- तुलसी के सूखें पत्तों को पीसकर सुंघने से घाव में लाभ होता है।

- घाव होने पर ठंडे पानी से भीगा हुआ कपड़ा बांध दे।

- एक कटोरी पानी में एक चम्मच देशी घी डालकर गर्म करें। इस पानी से रुई को भिगोकर निचोड़कर घाव पर डाल दें। ऊपर से पान का पत्ता रखकर पट्टी बांध दे।

 - एक भाग लहसुन का रस और दो भाग पानी मिला कर रुई में भिगोकर घाव पर लगाने से जल्द लाभ होता है।

मंगलवार, 22 मई 2012

गर्मियों में चेहरे की चिप-चिप से तुरंत छुटकारा चाहिए तो ये आजमाएं

तैलीय त्वचा की यह खासियत है कि इससे लम्बी उम्र तक चेहरे पर झुर्रिया या झाइयां नहीं पड़तीं। साथ ही चेहरे की चमक भी लंबे समय तक कायम रहती है। लेकिन तैलीय त्वचा की अगर सही देखभाल न की जाए तो अच्छे भले चेहरे पर कील-मुहांसो या फुंसियों का हमला शुरू हो जाता है। ऐसी त्वचा पर जल्दी कोई मेकअप भी सूट नहीं करता है। ऐसे में प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेदिक नुस्खों की मदद बेहद कारगर होती है। तो आइए जाने कि प्राकृतिक तरीकों से कैसे अपने चेहरे की खूबसूरती को बरकरार रखा जाए....

-त्वचा को प्राकृतिक रूप से खूबसूरत बनाना हो तो प्रतिदिन 8-10 लीटर तरल पदार्थ लें। इससे त्वचा में कुदरती नमी बनी रहेगी और त्वचा चिपचिपी नजर नहीं आएगी।

- त्वचा का पीएच स्तर बरकरार रखने के लिए चेहरे पर खीरे का रस लगाएं और हो सके तो थोड़ा रस नियमित रूप से पीएं। इसके अलावा टमाटर का गूदा हलके हाथों से चेहरे पर मलें।

- बारीक पिसा हुआ बेसन, आटा, संतरे के सूखे हुए छिलकों का पाउडर तथा एक चम्मच मलाई मिलाकर उबटन बनाएं। नहाने से पहले इस उबटन को चेहरे पर लगाकर 5 से 7 मिनिट तक रखने से तैलीय त्वचा की समस्या से तत्काल छुटकारा मिलता है।

सफेद बाल खूबसूरती में ग्रहण लगा रहे हों... तो आजमा कर देखें ये घरेलू फंडे

आजकल कम उम्र में होने वाली बालों की सफेदी जहां खूबसूरती में ग्रहण लगाती है वहीं यह हमारी शारीरिक कमजोरी को भी प्रदर्शित करती है। अगर आप भी कम उम्र में बालों की सफेदी से परेशान हैं तो आजमाएं ये आसान घरेलू उपाय....

- नींबू के रस से सिर में मालिश करने से बालों का पकना, गिरना दूर हो जाता है। नींबू के रस में पिसा हुआ सूखा आंवला मिलाकर सफेद बालों पर लेप करने से बाल काले होते हैं।

- घी खाएं और बालों के जड़ों में घी मालिश करें। 

- रोजाना गाजर का जूस पीने से भी बाल स्वस्थ रहते हैं।

- अगर बाल सफेद हो या बाल झड़ते हों तो तिल खाएं व तिल का तेल बालों में लगाएं।

- तुरई के टुकड़े कर उसे सूखा कर कूट लें। फिर कूटे हुए मिश्रण में इतना नारियल तेल डालें कि वह डूब जाएं। इस तरह चार दिन तक उसे तेल में डूबोकर रखें फिर उबालें और छान कर बोतल भर लें। इस तेल की मालिश करें। बाल काले होंगे।

- मेथी भी बालों को सफेद होने से रोकती है। 

- गेहूं के पौधे यानी जवारे का रस पीने से भी बाल कुछ समय बाद काले हो जाते हैं।

अंगूर है ऐसा रसीला फल.... जिसमें छुपा है इलाज इन बड़ी बीमारियों का


कहते हैं कि जब लगभग सभी खाने की चीजें अपथ्य हो जाएं, अर्थात खाने को मना हों तो भी अंगूर का सेवन किया जा सकता है। यानि रोगी के लिए बलवर्धक पथ्य फल है यह अंगूर। स्वाद के अनुसार काले अंगूर(जिसे सुखाकर मुनक्का बनाया जाता है ) ,बैंगनी अंगूर ,लम्बे अंगूर ,छोटे अंगूर और बीज रहित अंगूर होते हैं जिन्हें सुखाकर किशमिश बनाई जाती है। अब इसके गुणों के बारे में चर्चा करें तो पके अंगूर शीतल, नेत्रों के लिए हितकारी, कसैले, वीर्यवर्धक,पौष्टिक एवं रुचि बढ़ाने वाले होते हैं। जबकि कच्चे अंगूर गुणों में हीन ,भारी एवं कफ व पित्त को कम करने वाले होते हैं।

गोल मुनक्का, वीर्यवर्धक,भारी गुणों से युक्त। जबकि किशमिश, शीतल, रुचिकारक और मुख के कड़वेपन को दूर करने वाली होती है। अंगूर के ताजेफल खून को बढ़ाने एवं पतला करने वाले और छाती से सम्बंधित रोगों में भी लाभकारी होते हैं। अब हम कुछ ऐसे नुस्खे बताते हैं। जिनमें अंगूर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है ...

-यदि सिर में दर्द हो रहा हो तो 8-10 नग मुनक्का ,10 ग्राम मिश्री और इतनी ही मात्रा में मुलेठी एवं थोड़ी मात्रा में शुद्ध जल रात भर खुले आसमान के नीचे छोड़ दें और सुबह मिलाकर पीस लें। नाक में दो बूँद टपका दें। सिरदर्द में लाभ मिलेगा। नाक से खून आना (नकसीर)में भी ऊपर लिखा फार्मूला अत्यंत लाभकारी है।

-यदि पांच से दस ग्राम मुनक्का नियमित रूप से खाई जाए तो मुख की दुर्गन्ध में लाभ मिलता है।

-आठ से दस नग मुनक्का और हरीतकी का काढ़ा लगभग20 मिली की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर खाने से दमा रोग में भी लाभ मिलता है।

-घी ,मुनक्का,खजूर ,पिप्पली एवं कालीमिर्च, इन सब को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर एक चटनी सी बनाकर नित्य सेवन करने से सुखी खांसी और क्षयरोग में लाभ मिलता है।

-आइए अब आपको हम एक एंटासिड बनाना बताते हैं :मुनक्का एवं हरड़ बराबर मात्रा में लेकर उतनी ही मात्रा में शक्कर मिला लें। अब सबको पीसकर 1-1- ग्राम की गोली बना लें। हो गयी एंटासिड गोली तैयार। अब एक गोली सुबह-शाम ठन्डे पानी से लें और हायपरएसिडीटी की समस्या से निजात पाएं।

-अगर आप कब्ज से हैं परेशान तो मुनक्का 6 से सात नग, भुना जीरा 5 से 10 ग्राम और सैंधा नमक 1.5 ग्राम(उच्च रक्तचाप के रोगी के लिए मात्रा चिकित्सक अनुसार ) इन सबका चूर्ण बनाकर गुनगुने पानी से लें ..देखें आपको इस समस्या से निजात मिल जाएगी।

-खूनी बवासीर के रोगी अंगूर के गुच्छों को एक बर्तन (मिट्टी का हो ) में बंद कर राख बना लें, अब मिलनेवाली भस्म को तीन से पांच ग्राम की मात्रा में मिश्री एवं घी के साथ लेने से खून आना बंद हो जाता है।

- यदि पेशाब खुल कर नहीं आ रहा हो तो आठ से दस मुनक्का एवं लगभग दस ग्राम मिश्री को पीसकर दही के पानी से लेने पर यह एक अच्छा डाययूरेटिक का काम करता है।

-दस ग्राम मुनक्का ,पाषाणभेद ,पुनर्नवा की जड़ तथा अमलतास की गुदी पांच ग्राम की मात्रा में मोटा-मोटा कुटकर आधा लीटर पानी में खुले बर्तन में उबालकर आठ भाग बचने पर छान कर बना काढ़ा पीने से पेशाब से सम्बंधित तकलीफों में फायदा पहुंचाता है।

- मुनक्का 10 नग, छुहारा 3 नग तथा मखाना तीन नग शारीरिक रूप से कमजोर रोगी नियमित 250 मिली दूध से सेवन करें और लाभ देखें।

-अंगूर और अड़ूसे (वासा) का काढ़ा बीस से तीस मिली की मात्रा में पिलाने पर पेटदर्द दूर होता है।

-सोते समय पांच से दस ग्राम किशमिश के साथ गुनगुना दूध पीएं, इससे प्रात:काल आपका पेट साफ रहेगा।

-गले की परेशानी में अंगूर के रस से गरारे कराना भी फायदेमंद होता है।

-अंगूर के शरबत का नित्य सेवन गर्मी में लू के कारण होनेवाली परेशानियों को दूर करता है। तो है न कमाल का अंगूर। एक रसीला फल लेकिन गुणों की खान बस इसका औषधीय प्रयोग चिकित्सकीय परामर्श से करें तो बेहतर है।


प्याज के रस का अनोखा प्रयोग: इससे रहने लगेगा ब्लडप्रेशर कंट्रोल में

कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं, जिसमें रोगी को रोज दवाई खानी पड़ती है। लेकिन अगर इन रोगों का देसी तरीके से इलाज किया जाए तो इन्हें प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है । कई ऐसी देसी दवाईयां हैं, जो रोगों पर नियंत्रण करके शरीर को स्वस्थ बनाती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं हाइब्लडप्रेशर को कंट्रोल करने के लिए कुछ देसी नुस्खे..... 

-प्याज का रस और शुद्ध शहद बराबर मात्रा में मिलाकर रोज करीब दस ग्राम की मात्रा में लें।

- तरबूज के बीज की गिरि और खसखस दोनों को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। रोज सुबह-शाम एक चम्मच खाली पेट पानी के साथ लें(यह प्रयोग करीब एक महीने तक नियमित करें)।

- मेथीदाने के चूर्ण को रोज एक चम्मच सुबह खाली पेट लेने से हाई ब्लडप्रेशर से बचा जा सकता है।

-खाना खाने के बाद दो कच्चे लहसुन की कलियां लेकर मुनक्का के साथ चबाएं। ऐसा करने से हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत नहीं होती।

अचूक दवा है ये सब्जी, करेगी इन रोगों का पक्का इलाज

आयुर्वेद यह मानता है कि इस संसार में जो भी द्रव्य हैं, उनमें कुछ न कुछ औषधीय गुण मौजूद हैं ,बस आवश्यकता है, जानकारी की। इसी प्रकार  हमारे दैनिक प्रयोग में आने वाले फल सब्जियों में भी औषधीय गुण होते हैं।ऐसी ही एक सब्जी जिसका प्रयोग हम अक्सर अपने भोजन में करते हैं। नाम है मूली। आप सोचते होंगे मूली। अरे इसमें भला क्या खास  होगा, तो आप हम आपको कुछ ऐसी चंद जानकारी देंगे जिससे आप मूली को केवल मूली नहीं रोगों के मूल पर प्रहार करनेवाली के रूप में जानेंगे।

- मूली के पत्तों को सुखा कर इसे जला लें। अब बची राख को पानी में मिलाकर आग पर तब तक उबालें। जब तक सूखकर  क्षार  का रूप न ले लें। अब इस क्षार को 500 मिलीग्राम की मात्रा में नियमित सेवन श्वांस के रोगियों के लिए अच्छी औषधि है।

 -मूली की पत्तियों का रस को तिल के तेल में उबाल कर तेल बनाएं। 2-3 बूँद कान में टपकाने से पीड़ा में आराम मिलता है।

-मूली के पत्तों का रस दिन में दो से तीन बार 25 से 30 मिली की मात्रा में भोजन के बाद लेना। यकृतदौर्बल्य में फायदेमंद है।

-पीलिया (जौंडिस) के रोगी के लिए मूली की सब्जी पथ्य है।

-यदि बवासीर के कारण खून आ रहा हो, तो फिटकरी पांच ग्राम ,मूली की पत्तियों का रस आधा लीटर। एक साथ उबाल लें। जब यह गाढा हो जाए तो छोटी-छोटी गोलियां (250-500 मिलीग्राम ) बना लें। अब इसे उम्र  के अनुसार एक से दो गोली मक्खन के साथ देने से निश्चित लाभ मिलता है।-मूली के बीज का चूर्ण  पांच  से दस ग्राम की मात्रा में देने से स्त्रियों में अनियमित मासिकस्राव जिसे समस्या से निजात मिल  जाती  है। 

- मूली के ताजे पत्ते का रस डाययूरेटिक एवं मृदु विरेचक  का काम करता है, अत: पथरी को बाहर निकालने में भी मददगार होता है।

- मूली के पत्तों का रस यदि मिश्री के साथ सेवन करें तो यह एंटएसिड का काम करता है।

-तिल के साथ आधी मात्रा में मूली के बीजों का सेवन किसी भी सूजन में प्रभावी है।

-मूली का सूप हिचकी को रोकने में कारगर होता है।

-मूली के पत्तों को दस से बीस ग्राम की मात्रा में एक से दो ग्राम कलमी शोरा के साथ मिलाकर पिलाने से मूत्र साफ आता है।तो मूली में ऐसे कई गुण मौजूद हैं जिनका संक्षिप्त वर्णन  यहां प्रस्तुत किया गया है। हाँ यदि इसे  चिकित्सकीय  परामर्श से मात्रा एवं पथ्य खाने योग्य- अपथ्य व चिकित्सा के समय त्याग देने योग्य को ध्यान में रखकर लिया जाए तो यह  कमाल की औषधि है।

गर्मियों में ऐसे बनाकर पीएं चाय नुकसान नहीं, होगा फायदा ही फायदा


अभी तक आपने यही सुना होगा गर्मियों में चाय सेहत के लिये बहुत हानिकारक होती है, लेकिन यह सिक्के का सिर्फ एक पहलू है। हानिकारक समझे जाने वाली यही चाय आपके लिये बेहद लाभदायक भी हो सकती है। तरीके बदलने से परिणाम भी बदल जाते हैं। सही तरीके से बनी चाय आपके लिये काफी फायदेमंद हो सकती है। आइये जाने कि गुणों से भरपूर ऐसी लाभदायक चाय किस तरह बनती है....

आवश्यक सामग्री:

तुलसी के सुखाए हुए पत्ते (जिन्हें छाया में रखकर सुखाया गया हो) 500 ग्राम, दालचीनी 50 ग्राम, तेजपात 100 ग्राम, ब्राह्मी बूटी 100 ग्राम, बनफ शा 25 ग्राम, सौंफ 250 ग्राम, छोटी इलायची के दाने 150 ग्राम, लाल चन्दन 250 ग्राम और काली मिर्च 25 ग्राम थोड़ा पुदीना। सब पदार्थों को एक-एक करके इमाम दस्ते (खल बत्ते) में डालें और मोटा-मोटा कूटकर सबको मिलाकर किसी बर्नी में भरकर रख लें। बस, तुलसी की चाय तैयार है। 
बनाने की विधि :

आठ प्याले चाय के लिए यह 'तुलसी चाय' का मिश्रण (चूर्ण) एक बड़ा चम्मच भर लेना काफी है। आठ प्याला पानी एक तपेली में डालकर गरम होने के लिए आग पर रख दें। जब पानी उबलने लगे तब तपेली नीचे उतार कर एक चम्मच मिश्रण डालकर फौरन  ढक्कन से ढक दें। थोड़ी देर तक सीझने दें फिर छानकर कप में डाल लें। इसमें दूध नहीं डाला जाता। मीठा करना चाहें तो उबलने के लिए आग पर तपेली रखते समय ही उचित मात्रा में शकर डाल दें और गरम होने के लिए रख दें।

फायदे:

ऊपर बताए गए प्रयोग से बनी चाय आपको ताजगी और स्फूर्ति के साथ ही तंदरुस्ती का अतिरिक्त लाभ भी दे सकती है। तुलसी की चाय प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाकर रोगों से बचाने वाली, स्फूर्तिदायक, पाचन शक्ति बढ़ाने वाली और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाली होती है।

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