बुधवार, 23 मई 2012

रोजाना बस थोड़ी देर ऐसे बैठे, वजन चमत्कारी तरीके से घटने लगेगा

योगासन को शरीर के लिए बहुत अधिक लाभदायक माना जाता है। वैसे ही योगासन की ही तरह रोजाना कुछ देर योग मुद्रा लगाकर बैठना भी बहुत फायदेमंद है।वैसे तो योग मुद्रा कई तरह की होती है लेकिन सूर्य मुद्रा लगाने के अनेक फायदे हैं। सूर्य की अंगुली यानी अनामिका जिसे रिंग फिंगर भी कहते हैं। इस अंगुली का संबंध सूर्य और यूरेनस ग्रह से है। सूर्य ऊर्जा स्वास्थ्य का प्रतिनिधित्व करती है और यूरेनस कामुकता, अंतज्र्ञान और बदलाव का प्रतीक है।



विधि-



सूर्य की अंगुली को हथेली की ओर मोड़कर उसे अंगूठे से दबाएं। बाकी बची तीनों अंगुलियों को सीधा रखें। इसे सूर्य मुद्रा कहते हैं।



लाभ- यह जठराग्रि को संतुलित करके पाचन संबंधी तमाम समस्याओं से छुटकारा दिलाती है।
- इसे नियमित करने से बेचैनी और चिंता कम होकर दिमाग शांत बना रहता है।
- यह मुद्रा शरीर की सूजन मिटाकर उसे हल्का और चुस्त-दुरुस्त बनाती है।



- इस मुद्रा का रोज दो बार 5 से 15 मिनट के लिए अभ्यास करने से शरीर का कोलेस्ट्रॉल घटता है।



- वजन कम करने के लिए यह असान क्रिया चमत्कारी रूप से कारगर पाई गई है।



- पेट संबंधी रोगों में भी यह मुद्रा बहुत लाभदायक है।

हर तरह के बदन दर्द के लिए बढ़िया पेन किलर है लहसुन

लहसुन भारतीय सब्जियों का स्वाद बढ़ाने वाला ऐसा पदार्थ है जो प्रायः हर घर में इस्तेमाल किया जाता है। ज्यादातर लोग इसे सिर्फ मसाले के साथ भोजन में ही इस्तेमाल करते हैं। परंतु यह औषधि के रूप में भी उतना ही फायदेमंद है। आयुर्वेद में लहसुन को जवान बनाए रखने वाली औषधि माना गया है। यह जोड़ों के दर्द की भी अचूक दवा है। लहसुन सिर्फ स्वाद बढ़ाने का साधन ही नहीं है बल्कि इसमें ऐसी कई खूबियां होती हैं जो इसे बेजोड़ और बहुत कीमती बनाती हैं। आइए जानें लहसुन के कुछ खास प्रयोग..



- 100 ग्राम सरसों के तेल में दो ग्राम (आधा चम्मच) अजवाइन के दाने डालकर धीमी-धीमी आंच पर पकाएं। लहसुन और अजवाइन काली हो जाए तब तेल उतारकर ठंडा कर छान लें। इस गुनगुने गर्म तेल की मालिश करने से हर प्रकार का बदन का दर्द दूर हो जाता है।



- लहसुन दमा के इलाज में कारगर साबित होता है। 30 मिली दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है।

गहरी चोट का घाव परेशान कर रहा हो तो ये करें

- नारंगी खाने से घाव जल्दी भर जाता है।

- नियमित रूप से अंगूर खाने से घाव जल्दी भर जाते हैं।

- सहजन की पत्तियों को पीसकर लेप करने से घाव ठीक हो जाता है।

- गाजर को उबालकर इसकी लुगदी बना लें। इसे घाव पर लगाएं। घाव जल्दी ठीक हो जाएगा।

- एरण्ड का तेल घाव पर लगाकर पट्टी बांध देने से लाभ होता है।

- पिसी हल्दी में  घी या तेल मिलाकर गर्म कर इसमें रुई भिगोकर घाव पर रोजाना पट्टी बांधने से घाव भर जाता है। 

- शहद की पट्टी बांधने से भी आराम मिलता है।

- तुलसी के सूखें पत्तों को पीसकर सुंघने से घाव में लाभ होता है।

- घाव होने पर ठंडे पानी से भीगा हुआ कपड़ा बांध दे।

- एक कटोरी पानी में एक चम्मच देशी घी डालकर गर्म करें। इस पानी से रुई को भिगोकर निचोड़कर घाव पर डाल दें। ऊपर से पान का पत्ता रखकर पट्टी बांध दे।

 - एक भाग लहसुन का रस और दो भाग पानी मिला कर रुई में भिगोकर घाव पर लगाने से जल्द लाभ होता है।

मंगलवार, 22 मई 2012

गर्मियों में चेहरे की चिप-चिप से तुरंत छुटकारा चाहिए तो ये आजमाएं

तैलीय त्वचा की यह खासियत है कि इससे लम्बी उम्र तक चेहरे पर झुर्रिया या झाइयां नहीं पड़तीं। साथ ही चेहरे की चमक भी लंबे समय तक कायम रहती है। लेकिन तैलीय त्वचा की अगर सही देखभाल न की जाए तो अच्छे भले चेहरे पर कील-मुहांसो या फुंसियों का हमला शुरू हो जाता है। ऐसी त्वचा पर जल्दी कोई मेकअप भी सूट नहीं करता है। ऐसे में प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेदिक नुस्खों की मदद बेहद कारगर होती है। तो आइए जाने कि प्राकृतिक तरीकों से कैसे अपने चेहरे की खूबसूरती को बरकरार रखा जाए....

-त्वचा को प्राकृतिक रूप से खूबसूरत बनाना हो तो प्रतिदिन 8-10 लीटर तरल पदार्थ लें। इससे त्वचा में कुदरती नमी बनी रहेगी और त्वचा चिपचिपी नजर नहीं आएगी।

- त्वचा का पीएच स्तर बरकरार रखने के लिए चेहरे पर खीरे का रस लगाएं और हो सके तो थोड़ा रस नियमित रूप से पीएं। इसके अलावा टमाटर का गूदा हलके हाथों से चेहरे पर मलें।

- बारीक पिसा हुआ बेसन, आटा, संतरे के सूखे हुए छिलकों का पाउडर तथा एक चम्मच मलाई मिलाकर उबटन बनाएं। नहाने से पहले इस उबटन को चेहरे पर लगाकर 5 से 7 मिनिट तक रखने से तैलीय त्वचा की समस्या से तत्काल छुटकारा मिलता है।

सफेद बाल खूबसूरती में ग्रहण लगा रहे हों... तो आजमा कर देखें ये घरेलू फंडे

आजकल कम उम्र में होने वाली बालों की सफेदी जहां खूबसूरती में ग्रहण लगाती है वहीं यह हमारी शारीरिक कमजोरी को भी प्रदर्शित करती है। अगर आप भी कम उम्र में बालों की सफेदी से परेशान हैं तो आजमाएं ये आसान घरेलू उपाय....

- नींबू के रस से सिर में मालिश करने से बालों का पकना, गिरना दूर हो जाता है। नींबू के रस में पिसा हुआ सूखा आंवला मिलाकर सफेद बालों पर लेप करने से बाल काले होते हैं।

- घी खाएं और बालों के जड़ों में घी मालिश करें। 

- रोजाना गाजर का जूस पीने से भी बाल स्वस्थ रहते हैं।

- अगर बाल सफेद हो या बाल झड़ते हों तो तिल खाएं व तिल का तेल बालों में लगाएं।

- तुरई के टुकड़े कर उसे सूखा कर कूट लें। फिर कूटे हुए मिश्रण में इतना नारियल तेल डालें कि वह डूब जाएं। इस तरह चार दिन तक उसे तेल में डूबोकर रखें फिर उबालें और छान कर बोतल भर लें। इस तेल की मालिश करें। बाल काले होंगे।

- मेथी भी बालों को सफेद होने से रोकती है। 

- गेहूं के पौधे यानी जवारे का रस पीने से भी बाल कुछ समय बाद काले हो जाते हैं।

अंगूर है ऐसा रसीला फल.... जिसमें छुपा है इलाज इन बड़ी बीमारियों का


कहते हैं कि जब लगभग सभी खाने की चीजें अपथ्य हो जाएं, अर्थात खाने को मना हों तो भी अंगूर का सेवन किया जा सकता है। यानि रोगी के लिए बलवर्धक पथ्य फल है यह अंगूर। स्वाद के अनुसार काले अंगूर(जिसे सुखाकर मुनक्का बनाया जाता है ) ,बैंगनी अंगूर ,लम्बे अंगूर ,छोटे अंगूर और बीज रहित अंगूर होते हैं जिन्हें सुखाकर किशमिश बनाई जाती है। अब इसके गुणों के बारे में चर्चा करें तो पके अंगूर शीतल, नेत्रों के लिए हितकारी, कसैले, वीर्यवर्धक,पौष्टिक एवं रुचि बढ़ाने वाले होते हैं। जबकि कच्चे अंगूर गुणों में हीन ,भारी एवं कफ व पित्त को कम करने वाले होते हैं।

गोल मुनक्का, वीर्यवर्धक,भारी गुणों से युक्त। जबकि किशमिश, शीतल, रुचिकारक और मुख के कड़वेपन को दूर करने वाली होती है। अंगूर के ताजेफल खून को बढ़ाने एवं पतला करने वाले और छाती से सम्बंधित रोगों में भी लाभकारी होते हैं। अब हम कुछ ऐसे नुस्खे बताते हैं। जिनमें अंगूर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है ...

-यदि सिर में दर्द हो रहा हो तो 8-10 नग मुनक्का ,10 ग्राम मिश्री और इतनी ही मात्रा में मुलेठी एवं थोड़ी मात्रा में शुद्ध जल रात भर खुले आसमान के नीचे छोड़ दें और सुबह मिलाकर पीस लें। नाक में दो बूँद टपका दें। सिरदर्द में लाभ मिलेगा। नाक से खून आना (नकसीर)में भी ऊपर लिखा फार्मूला अत्यंत लाभकारी है।

-यदि पांच से दस ग्राम मुनक्का नियमित रूप से खाई जाए तो मुख की दुर्गन्ध में लाभ मिलता है।

-आठ से दस नग मुनक्का और हरीतकी का काढ़ा लगभग20 मिली की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर खाने से दमा रोग में भी लाभ मिलता है।

-घी ,मुनक्का,खजूर ,पिप्पली एवं कालीमिर्च, इन सब को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर एक चटनी सी बनाकर नित्य सेवन करने से सुखी खांसी और क्षयरोग में लाभ मिलता है।

-आइए अब आपको हम एक एंटासिड बनाना बताते हैं :मुनक्का एवं हरड़ बराबर मात्रा में लेकर उतनी ही मात्रा में शक्कर मिला लें। अब सबको पीसकर 1-1- ग्राम की गोली बना लें। हो गयी एंटासिड गोली तैयार। अब एक गोली सुबह-शाम ठन्डे पानी से लें और हायपरएसिडीटी की समस्या से निजात पाएं।

-अगर आप कब्ज से हैं परेशान तो मुनक्का 6 से सात नग, भुना जीरा 5 से 10 ग्राम और सैंधा नमक 1.5 ग्राम(उच्च रक्तचाप के रोगी के लिए मात्रा चिकित्सक अनुसार ) इन सबका चूर्ण बनाकर गुनगुने पानी से लें ..देखें आपको इस समस्या से निजात मिल जाएगी।

-खूनी बवासीर के रोगी अंगूर के गुच्छों को एक बर्तन (मिट्टी का हो ) में बंद कर राख बना लें, अब मिलनेवाली भस्म को तीन से पांच ग्राम की मात्रा में मिश्री एवं घी के साथ लेने से खून आना बंद हो जाता है।

- यदि पेशाब खुल कर नहीं आ रहा हो तो आठ से दस मुनक्का एवं लगभग दस ग्राम मिश्री को पीसकर दही के पानी से लेने पर यह एक अच्छा डाययूरेटिक का काम करता है।

-दस ग्राम मुनक्का ,पाषाणभेद ,पुनर्नवा की जड़ तथा अमलतास की गुदी पांच ग्राम की मात्रा में मोटा-मोटा कुटकर आधा लीटर पानी में खुले बर्तन में उबालकर आठ भाग बचने पर छान कर बना काढ़ा पीने से पेशाब से सम्बंधित तकलीफों में फायदा पहुंचाता है।

- मुनक्का 10 नग, छुहारा 3 नग तथा मखाना तीन नग शारीरिक रूप से कमजोर रोगी नियमित 250 मिली दूध से सेवन करें और लाभ देखें।

-अंगूर और अड़ूसे (वासा) का काढ़ा बीस से तीस मिली की मात्रा में पिलाने पर पेटदर्द दूर होता है।

-सोते समय पांच से दस ग्राम किशमिश के साथ गुनगुना दूध पीएं, इससे प्रात:काल आपका पेट साफ रहेगा।

-गले की परेशानी में अंगूर के रस से गरारे कराना भी फायदेमंद होता है।

-अंगूर के शरबत का नित्य सेवन गर्मी में लू के कारण होनेवाली परेशानियों को दूर करता है। तो है न कमाल का अंगूर। एक रसीला फल लेकिन गुणों की खान बस इसका औषधीय प्रयोग चिकित्सकीय परामर्श से करें तो बेहतर है।


प्याज के रस का अनोखा प्रयोग: इससे रहने लगेगा ब्लडप्रेशर कंट्रोल में

कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं, जिसमें रोगी को रोज दवाई खानी पड़ती है। लेकिन अगर इन रोगों का देसी तरीके से इलाज किया जाए तो इन्हें प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है । कई ऐसी देसी दवाईयां हैं, जो रोगों पर नियंत्रण करके शरीर को स्वस्थ बनाती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं हाइब्लडप्रेशर को कंट्रोल करने के लिए कुछ देसी नुस्खे..... 

-प्याज का रस और शुद्ध शहद बराबर मात्रा में मिलाकर रोज करीब दस ग्राम की मात्रा में लें।

- तरबूज के बीज की गिरि और खसखस दोनों को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। रोज सुबह-शाम एक चम्मच खाली पेट पानी के साथ लें(यह प्रयोग करीब एक महीने तक नियमित करें)।

- मेथीदाने के चूर्ण को रोज एक चम्मच सुबह खाली पेट लेने से हाई ब्लडप्रेशर से बचा जा सकता है।

-खाना खाने के बाद दो कच्चे लहसुन की कलियां लेकर मुनक्का के साथ चबाएं। ऐसा करने से हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत नहीं होती।

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