शुक्रवार, 19 सितंबर 2014

घेंघा


परिचय-
          घेंघा रोग से पीड़ित रोगी के गले के पास एक बड़ी सी सूजन पैदा हो जाती है और गांठ सी पड़ जाती है। यह सूजन गले के नीचे की ओर लटकी रहती है। इस रोग के होने का सबसे प्रमुख कारण शरीर में आयोडीन की कमी होना है।
घेंघा रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
•घेंघा रोग को ठीक करने के लिए रोगी को 2 दिन के लिए उपवास रखना चाहिए और उपवास के समय में केवल फलों का रस पीना चाहिए। रोगी को एनिमा क्रिया द्वारा अपने पेट को साफ रखना चाहिए। इसके बाद उसे प्रतिदिन उदरस्नान तथा मेहनस्नान करना चाहिए।
•रोगी को गले में कण्ठ के पास की गांठों पर भापस्नान देकर दिन में 3 बार मिट्टी की पट्टी बांधनी चाहिए और रात के समय में गांठों पर हरे रंग की बोतल का सूर्यतप्त तेल लगाना चाहिए।
•यदि रोगी की गर्दन पर गांठ बनना शुरू हई है तो तुलसी और अरण्डी के पत्ते बराबर मात्रा में लेकर और पीसकर उसमें थोड़ा-सा नमक मिलाकर गर्म-गर्म ही गांठ पर बांध देने से गांठ अधिक परेशान नहीं करती है और ठीक हो जाती है।
•घेंघा रोग से पीड़ित रोगी को आसमानी रंग की बोतल का सूर्यतप्त जल 2 भाग तथा लाल रंग की बोतल का सूर्यतप्त जल 1 भाग एक साथ मिला लेना चाहिए। इस जल को लगभग 25 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में 2 बार सेवन करना चाहिए तथा गांठों पर लगभग 10 मिनट तक नीला प्रकाश डालना चाहिए और सप्ताह में 1-2 बार एप्सम साल्टबाथ (गर्म पानी में नमक डालकर स्नान करना) भी लेना चाहिए। रोगी को प्रतिदिन नियमित रूप से शरीर और सांस की हल्की कसरतें भी करनी चाहिए।
•इस रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को उन चीजों का भोजन में अधिक प्रयोग करना चाहिए जिसमें आयोडीन की अधिक मात्रा हो।
•रोगी व्यक्ति को अपने भोजन में आयोडीन युक्त नमक का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करना चाहिए।
जानकारी-
          इस प्रकार से रोगी का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने से रोगी का घेंघा रोग ठीक हो जाता है लेकिन इस रोग को ठीक होने में कम से कम 2-3 महीने का समय लग सकता है।

गुरुवार, 18 सितंबर 2014

एमोबायोसिस अर्थात अमीबा पेचिश



अर्थात अमीबा पेचिश आदमी को पंगु बना देती है। खाया-पीया पचता नहीं। इस वजह से दिन पर दिन कमजोरी आती जाती है। दिन भर सुस्ती बनी रहती है। पेट में मरोड़ के साथ दर्द होता है। पेट में गैस भर जाती है। बार-बार दस्त होते हैं या दस्त की हाजत होती रहती है। इस रोग का एक आसन घरेलू उपचार है-सौंफ, यह किसी भी किराना दूकान पर आसानी से मिल जाती है। सौंफ दो प्रकार की होती है। एक बारीक और एक मोटी। हमें मोटी सौंफ चाहिए। यह कईं प्रकार के उदररोगों में अक्सीर काम करती है। सौ ग्राम मोटी सौंफ ले आइए। इसके दो भाग कर लीजिए। एक भाग को भून लीजिए और शेष भाग को कच्चा रहने दीजिए। अब दोनों को मिला कर मिक्सर में पीस लीजिए। फिर सौ ग्राम मिश्री या शक्कर पीस कर इसमें मिला दीजिए। यह मिक्चर एक डिब्बे में बंद कर रख लीजिए। रोज सुबह शाम दो-दो चम्मच चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से एमोबायोसिस के अलावा पतले दस्त, दस्त में आंव आना, पेचिश, कोलाइटिस, गैस, एसिडिटी जैसे रोग में भी इससे आराम आता है।
0-बच्चों को अपच होने पर सौंफ का पानी पिलाना चाहिए। इसे तैयार करने के लिए एक कप पानी में एक चम्मच सौंफ डाल कर अच्छी तरह उबाल लें। छान कर ठंडा करें और एक-एक चम्मच पानी दिन में कईं बार पिलाइए ।
0-शिशुओं को दांत निकलते समय बहुत परेशानी होती है। किसी को दस्त लग जाते हैं, कोई चिड़चिड़ करते हैं तो किसी की लार गिरती है। इस वक्त सौंफ आपकी मददगार हो सकती है। गाय के दूध में एक चम्मच मोटी सौंफ उबालकर छान लीजिए। और यह दूध पिलाइए बच्चे के दांत आसानी से निकल ने लगेंगे। जब तक जरूरी हो यह उपचार जारी रख सकते हैं।
0-खुजली में भी सौंफ से आराम मिलता है। सौंफ और खड़ा धनिया समान मात्रा में लेकर कच्चा ही पीस लीजिए। दो गुनी पीसी मिश्री और डेढ़ गुना गाय का घी मिलाकर एक डिब्बे में भर लीजिए। सुबह शाम दो-दो चम्मच नियमित सेवन से सभी तरह की खुजली में आराम मिलता है।

ग्रीन टी की लोकप्रियता

ग्रीन टी की लोकप्रियता इन दिनों काफी बढ़ रही है। यह एंटीआक्सीडेंट है और हृदय के लिए लाभप्रद मानी जाती है। कुछ तत्वों के साथ इसे और उत्प्रेरक बनाया जा सकता है। एक कप पानी में एक चम्मच ग्रीन टी डालिए। इसमें थोड़ा सा अदरक कुचल कर डाल दीजिए और एक टुकड़ा गुड़ भी डाल दीजिए। अच्छी तरह उबलने के बाद इसे छान लीजिए। अब इसमें चंद बूंदे नींबू की और चुटकी भर काला नमक मिलाइए। फिर इसका मजा लीजिए। यह अदरक, नींबू और काला नमक के गुणों से लैस होकर स्वाद और स्वास्थ्य दोनों दृष्टि से श्रेष्ठ बन जाती है। गला साफ करती है, गैस दूर करती है, पाचन में सहायक है और कफनाशक बन जाती है। इसे लेने के बाद आपके मुंह का स्वाद अच्छा हो जाता है। कुछ देर बाद ही भूख खुल कर लगने लगती है।
अब देखिए ग्रीन टी के ग्यारह फायदेः-
1.वजन नियंत्रित करती हैः ग्रीन टी के सेवन से शरीर का मेटाबालिज्म बढ़ जाता है। ग्रीन टी में पाया जाने वाला पोलीफिनाल फेट के आक्सीडेशन के स्तर को बढ़ा देता है। इससे भोजन को कैलरी में बदलने की गति भी बढ़ जाती है। तात्पर्य यह कि इससे शरीर में अनावश्यक चर्बी नहीं जमने पाती।

2.दिल की बीमारी मेंः वैज्ञानिकों का मत है कि यह ब्लड वेसल्स की लाइनिंग पर भी कार्य करती है। रक्त वाहनियों की नमनीयता बनाए रखती है। उनमें रक्त के थक्के नहीं जमने देती। थक्के ही हार्ट अटैक का मूल कारण होते हैं।
3.बुरे कोलेस्ट्रोल को कम कर, अच्छे कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ाती है।
4.कैंसरः यह कैंसर जैसी घातक बीमारी से भी हमारी रक्षा करती है। स्वस्थ टिश्यूज को बगैर हानि पहुंचाए कैंसर की कोशिकाओं पर अटैक करती है। आसोफेगस कैंसर से रक्षा करती है।
5.डायबिटीजः ग्रीन टी ग्लुकोज के स्तर को नियमित करने में भी सहायक होती है। इससे भोजन के बाद ब्लड शुगर बढ़ने नहीं पाती। अर्थात डायबिटीज के खतरे से बचाती है।
6.अलझायमर्स और पार्किन्सन्सः इन रोगों में शरीर को होने वाली क्षति की गति को कम करती है। ब्रेन के डेड सेल्स के पुनर्निर्माण में सहायक होती है।
7.दंत रोगों मेंः इसमें पाया जाने वाला एंटीआक्सीडेंट बैक्टीरिया और वायरस के हमलों से दांतों और गले की रक्षा करता है।
8.रक्तचापः इसके नियमित सेवन से रक्तचाप नियंत्रण में रहता है।
9.इसमें प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला थिएनाइन अमिनो एसिड डिप्रेशन के खतरे से बचाता है।
10.त्वचा की झुर्रियांः ग्रीन टी के नियमति सेवन से त्वचा पर झुर्रियां नहीं पड़ने पाती, यह एक तरह से एंटी एजिंग का काम करती है।
11.एंटी बैक्टीरियलः यह एंटी बैक्टीरियल और एंटी वायरल गुणों से भी भरपूर है। अर्थात जीवाणु और विषाणु के हमले से हमारी रक्षा करती है।
सावधानीः सवाल है कि दिन में कितने कप ग्रीन टी पी जाए। कोई कहता है दो कप तो कोई तीन चार कप। हमारी राय है कि हर शरीर की जरूरत जुदा होती है। आप अपने शरीर की जरूरत के अनुसार इसका सेवन करें। अति सर्वत्र वर्ज्यतेः । गर्भवती महिलाओं को इसके सेवन से बचना चाहिए या डाक्टर से पूछ कर ही सेवन करें। कारण यह आयरन और फोलिक एसिड के अवशोषण को कम करती है।

अलसी और सौंफ का योग मिटाए उदर के रोग

अलसी के चमत्कारों पर तो इस ब्लाग में काफी कुछ लिखा जा चुका है। सौंफ के गुणों पर भी पिछले दिनों एमिबायोसिस वाले आलेख में मैंने जिक्र किया था कि यह उदररोगों में बहुत असरकारी है। अलसी और सौंफ के मिश्रण की आज चर्चा करता हूं। तीन भाग अलसी और एक भाग मोटी सौंफ लीजिए। इसमें स्वादअनुसार नींबू और काला नमक मिला लीजिए। फिर इसे थोड़ा सुखा कर धीमी आँच पर कढ़ाई में भून लीजिए। तब तक भूनिए कि अलसी की तड़-तड़ आवाज होने लगे। ठंडा होने पर इसे एयरटाइट डिब्बे में भर कर रख लीजिए। रोज दिन में तीन-चार बार या भोजन के बाद सुबह-शाम एक-एक चम्मच अच्छी तरह चबा-चबा कर खाइए। यह योग कईं तरह के उदररोगों में असरकारी है। कब्ज से भी राहत दिलाता है। गैस आसानी से पास हो जाती है। इससे मुखशुद्धि होती है। मुँह की दुर्गंध दूर कर मुँह का स्वाद ठीक होता है। कच्ची अलसी चबाना मुश्किल होता है, भुनने से यह आसानी से चबाई जा सकती है। यही सौंफ के साथ भी होता है। इसे बच्चे भी बड़े चाव के साथ खाते हैं।

कुदरती फेशियल

चेहरे को कांतिवान बनाने का एक कुदरती उपाय भी है। जो बड़ा आसान है। चाहें तो आप भी इसे अपना सकते हैं। प्राकृतिक चिकित्सक स्वर्गीय सोहनलालजी के चिकित्सालय में चेहरे पर साफा बांधा जाता था। काटन के कपड़े की एक छः इंच चौड़ी और छः सात फुट लंबी पट्टी लीजिए।
इसे लपेट कर रोल बना लीजिए। फिर इसे ठंडे पानी में भिगो कर हल्का सा निचोड़ लीजिए। फिर चित्र में दिखाए अनुसार चेहरे व सिर पर लपेट लीजिए। दस-पंद्रह मिनट तक पट्टी लपेटे बैठे रहिए। आप चाहें तो तकिए पर पोलिथीन रख कर लेट भी सकते हैं ताकि तकिया न भीगे। जब आप पंद्रह मिनट बाद पट्टी हटाएंगे तो आपको अपने चेहरे पर एक अलग ही चमक दिखाई देगी, मानो आपने किसी पार्लर में फेशियल कराया हो। इसके अन्य अनेक फायदे हैं। यह मस्तिष्क को ठंडक प्रदान करता है। सिर दर्द से राहत मिलती है। लगातार करते रहने से चेहरे के मुंहासे और झाइयां मिट जाती हैं। लगातार कम्प्यूटर पर कार्य करने से आँखें थक जाती हैं, ऐसे में यह साफा आँखों को ठंडक और आराम देता है। यह पूरी तरह कुदरती उपचार है। न तो पैसा लगता है न कोई साइड इफेक्ट होते हैं। इससे बाल भी मुलायम हो जाते हैं।

हेयर फॉल दूर करने में मेथी है रामबाण



मेथी का इस्तेमाल आपने अपने किचन में तो खूब किया होगा। मार्केट में आसानी से उपलब्ध हो जाने से लोग इसके फायदों से अनजान हैं, लेकिन क्या आपको पता है मेथी के ये दाने कितने फायदेमंद हैं। ये बालों की डैंड्रफ को तो दूर करता ही है साथ ही ये चेहरे के लिए, पेट के लिए और यहां तक कि पथरी की बीमारी में भी काफी फायदेमंद है। आइए आज हम आपको मेथी के फायदों के बारे में बताते हैं।

डैंड्रफ भी हो जाएगी दूर: डैंड्रफ होना बालों की एक आम समस्या है। यह सिर की त्वचा रूखी-सूखी होने और डेड स्किन सेल्स की वजह से होती हैं। इससे छुटकारा पाने के लिए आपने अब तक कई एंटी-डैंड्रफ शैंपू का इस्तेमाल कर लिया है लेकिन फिर भी यह समस्या नहीं जा रही है तो हम आपको इसका घरेलू उपाय बता रहे हैं। बालों से डैंड्रफ दूर करने के लिए मेथी दाने बहुत असरदार होते हैं। इसके लिए मेथी के दानों को मुलायम होने के लिए रात भर पानी में भिगो दें। सुबह इसको पीसकर पेस्ट बना लें। आप चाहें तो इसमें दही मिलाकर पेस्ट को स्कैल्प और बालों की जड़ों पर अच्छे से लगाएं, साथ ही मसाज भी करें। अब इसे 30 मिनट बाद धो लें।

बाल होते हैं मजबूतः मेथी के दाने बालों की जड़ों को मजबूत करते हैं और डैमेज्ड हेयर को पुनर्जीवित करते हैं। इसमें प्रोटीन होता है, इसलिए मेथी दानों को अपनी डाइट में शामिल करने से बाल हेल्दी और खूबसूरत बनेंगे। इसके लिए भीगी हुई मेथी के पेस्ट में एक या दो बड़ा चम्मच नारियल तेल या जैतून के तेल को मिलाकर बालों में लगाएं। सूखने के बाद इसे पानी से धो लें।
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पाचन में फायदेमंद: मेथी के दानों के सेवन से पेट दर्द और जलन दूर होती है। साथ ही पाचन क्रिया भी दुरुस्त होती है। पाचन संबंधी समस्या को दूर करने के लिए मेथी दानों के पेस्ट में कसी हुई अदरक मिलाएं और खाने से पहले एक बड़ा चम्मच इस पेस्ट को खाएं। इससे पेट से संबंधित रोग दूर होंगे।

डायबीटीज भी करती है कंट्रोल: मेथी के दानों से ब्लड शुगर कंट्रोल होता है। इसमें मौजूद एमीनो एसिड तत्व पैनक्रियाज में इंसुलिन के स्राव को बढ़ाता है जो शरीर से ब्लड शुगर लेवल कम करता है। स्टडी के अनुसार डायबीटीज के रोगियों द्वारा मेथी दानों के सेवन से फायदा होता है। इसके लिए मेथी के दानों को रात भर पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इसे छानकर इसका पानी पिएं। ऐसा करीब दो महीने तक लगाकर करने से डायबीटीज में काफी हद तक आराम मिलेगा।

किडनी के लिए फायदेमंदः मेथी के सेवन से किडनी भी स्वस्थ होती है। पथरी के इलाज में मेथी फायदा करती है। इस जादुई औषधि से पथरी पेशाब के साथ शरीर से बाहर निकल जाती है। मेथी के दानों को एक छोटे चम्मच नींबू के रस और शहद के साथ खाने से बुखार में काफी हद तक आराम मिलता है।

पिंपल्स भी हो जाएंगे दूरः मेथी दाने पिंपल्स और ब्लैकहेड ट्रीटमेंट के लिए फायदेमंद है। इसके लिए मेथी के दानों को पीस कर पेस्ट बना लें और इसमें थोड़ा शहद मिलाएं। अब इसे मिक्सचर को रात में सोने से पहले पिंपल्स पर लगाएं और सुबह गुनगुने पानी से चेहरा धो लें। इस उपाय को लगातार करने से कुछ ही दिनों में आपको फर्क नजर आएगा।

वजन कम करने में उपयोगीः मेथी के दानों में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है। खाली पेट मेथी दानों को चबाने से एक्सट्रा कैलरी बर्न होती है। इसका दूसरा उपाय है कि सुबह दो गिलास मेथी का पानी पिएं। मेथी का पानी बनाने क लिए एक बड़ा चम्मच मेथी के दानों को दो गिलास पानी में रातभर भिगो दें और सुबह इसे छानकर पी लें।

बुधवार, 17 सितंबर 2014

जीरा

आपको ब्लड -प्रेशर भी है, एसिडिटी भी है, भूख भी नहीं लगती तो जीरे की शरण में जाइये। १०० ग्राम जीरा २५ ग्राम काली मिर्च और १२५ ग्राम मिश्री या बूरा मिला कर पीस लीजिये ,१-१ चम्म्च पानी से निगल लीजिये सुबह शाम दोनों समय। कम से कम १ माह तक लगातार। 

जीरा कैंसर से बचाता  है ,हर हाल में दोनों समय जीरा भोजन में प्रयोग कीजिये। 

जीरा हीमोग्लोबिन भी बढ़ाता है और प्रतिरोधक क्षमता भी। 

 जीरा हमारी त्वचा का सबसे अच्छा दोस्त है। जीरे का पतला पेस्ट तैयार कीजिये ,इस पेस्ट को साबुन की तरह पुरे बदन पर खूब मलिए। फिर सादे पानी से बिना साबुन के नहा लीजिये। सप्ताह में कम से कम एक बार इस क्रिया को करते रहने से स्किन डिजीज आपसे कोसों दूर रहेगी। 

जीरा मुंह की बदबू भी दूर करता है। भुने हुए जीरे को चबा-चबाकर चूसिये। 

खट्टी डकारें आ रही हो तो भुने हुए जीरे के चूर्ण में सेंधा नमक मिलाकर गर्म पानी से निगलिये ,एक-एक घंटे के अंतराल पर ३ बार लेना काफी होगा। पेट हल्का हो जाएगा। 

जीरा उल्टियां भी रोकता है। २ ग्राम जीरे के चूर्ण को एक गिलास पानी में डालिये ,स्वाद केअनुसार सेंधा नमक और नीबू मिलाइये और पी लीजिये ,तुरंत उलटी रुक जायेगी। 

पेट में बहुत तेज दर्द हो रहा हो तो २-३ ग्राम जीरे का चूर्ण शहद मिलाकर चाट लीजिये ,१० मिनट में ही दर्द गायब हो जाएगा। 

जीरा पेट के कीड़े भी मारता है।  २ ग्राम भुने हुए जीरे का चूर्ण शहद में मिलाकर सुबह खाली पेट चटाइए।  कीड़े मल के साथ बाहर निकल जायेंगे। 

जीरे से एक पाचक चूर्ण आप घर में बनाकर रखिये-जीरा सौंफ धनिया ५०-५० ग्राम लीजिये और भून लीजिये फिर इसमें ५० ग्राम अनारदाना ,२५ ग्राम काला नमक, १० ग्राम सेंधा नमक मिलाइये और सबके वजन के बराबर चीनी मिलाइये। एक साथ महीन पीस लीजिये अब इस मिश्रण में ३ नीबू का रस मिला दीजिये। तैयार हो गया पाचक चूर्ण। सुबह शाम १-१ चम्म्च खाइये या आवश्यकतानुसार खाइये। 

जीरे से मंजन भी बनता है जो मसूड़ा  सूज जाए तो बहुत काम आता है। २० ग्राम जीरा भून लीजिये उसमे २० ग्राम सेंधा नमक मिलाइये और महीन पीस लीजिये ,अब इससे मंजन करिये दांत मजबूत होंगे ,मसूड़ों की सूजन ख़त्म होगी। १०० तरह के पेस्ट पर यह अकेला मंजन भारी है।

जीरा गर्भवती नारी के लिए वरदान है। गर्भ के दौरान कब्ज होती है ,जिसकी वजह से बवासीर हो जाना आम बात है। कभी कभी खूनी बवासीर भी हो जाती है। ऎसी दशा में १-१ चम्म्च जीरा ,सौंफ और धनिया लीजिये रात में भीगा दीजिये एक गिलास पानी में। सवेरे इस पानी को उबालिये और आधा पानी जल जाय तो एक चम्म्च देशी घी मिलाकर पी लीजिये। यह काम सुबह शाम ५ दिनों तक कीजिये। बस रोग ख़त्म। 

कालाजीरा हार्ट अटैक के खतरे को ख़त्म कर देता है। २-२ ग्राम काले जीरे का पाउडर शहद में मिलाकर सुबह शाम चाटिये। 

काले जीरे को पानी में उबालकर उस पानी में बैठ जाइये तो खूनी बवासीर, और गर्भाशय और योनि की खुजली तीनो में फायदा मिलेगा। 

नवजात शिशु के मर जाने पर माता के स्तनों का दूध सुखाने के लिए काले जीरे को पानी में पीस कर लेप कर देना चाहिए ,अन्यथा या तो दूध बहता रहेगा या स्तनो में ही एकत्र होकर गांठ का रूप ले लेगा।    

   जहरीले बिच्छू आदि के काटने पर जीरे के चूर्ण और नमक को बराबर मात्रा  में मिला कर फिर उसमे घी मिलाकर मलहम बनाइये और काटे हुए स्थल पर लेप कर दीजिये। जहर उतर जायेगा। 

बहुत पुराना बुखार हो या मलेरिया हो ,काले जीरे का २-३ ग्राम पाउडर गुड मिला कर खा लीजिये। सुबह दोपहर शाम तीन बार ,बुखार गायब।

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