मंगलवार, 17 मार्च 2015

समय से पहले महिलाओं के बाल झड़ने की ये हैं 10 वजहें



: बालों का असमय गिरना एक बहुत बड़ी समस्या बनती जा रही है जिसके लिए आजकल की तनाव और भागदौड़ भरी जिंदगी को जिम्मेदार ठहराना गलत नहीं होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि खाने-पीने और सोने में थोड़ी सी भी लापरवाही से बाल झड़ने लग जाते हैं। बड़ी हैरानी की बात है कि आजकल ये सिर्फ पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाओं में भी देखा जा रहा है। महिलाओं पर बढ़ती जिम्मेदारी, हार्मोन चेंज भी इसकी वजहें हो सकती हैं। वैसे तो कई बार मौसम में बदलाव भी बालों के गिरने का कारण होता है, लेकिन अगर मौसम जाने के बाद भी इनका गिरना जारी है तो ध्यान देने वाली बात है। आज हम आपको बताएंगे 10 ऐसे कारण जिनके चलते महिलाओं के बाल भी ज़रूरत से ज़्यादा झड़ने लग गए हैं।
स्टाइलिंग- बालों के स्टाइल से आपका लुक तो चेंज होता ही है, लेकिन क्या आपको पता है कि बालों में बार- बार स्टाइलिंग करने से भी आपका लुक बिगड़ सकता है। बालों को नेचुरल घना और लंबा रखना है तो इस पर जैल, स्प्रे, कलर, मूस जैसे केमिकल्स लगाने से बचें। दरअसल, ज्यादा केमिकल सिर की त्वचा पर असर डालते हैं, जिससे बाल कमज़ोर होते हैं और फिर गिरना शुरू हो जाते हैं।गलत तरीके से कंघी करना, टाइट चोटी बांधना, बालों को एक ही स्टाइल में रखना भी इसकी एक खास वजह है।
हार्मोन्स में बदलाव- गर्भावस्था के पहले और बाद में महिलाओं में कई तरह के हार्मोनल बदलाव आते है। ये बदलाव भी बालों के झड़ने का कारण हो सकते हैं। इसके अलावा थायरॉइड, मासिक धर्म में अनियमितता भी वजहें हैं।

प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले बदलाव
खून की कमी- महिलाओं के शरीर में फोलिक एसिड की कमी और मासिक धर्म के चलते खून की कमी बन जाती है। खून की कमी से शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता। जब तक ऑक्सीजन हेयर फॉलिकल्स तक नहीं पहुंचेगा, तब तक उसे पोषण नहीं मिलेगा। इस पोषण की कमी से ही बाल असमय गिरने लगते हैं।
मासिक धर्म का बंद होना- जैसे ही महिलाएं इस स्टेज पर पहुंचती हैं, उनके बाल एकदम से गिरने शुरू हो जाते हैं। दरअसल, अब उनके शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा बहुत कम हो जाती है। इससे बाल रूखे और बेजान होकर टूटने लगते हैं। इसे रोकने के लिए माइल्ड शैंपू और खानपान पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
डिलीवरी- ज्यादातर महिलाओं में डिलीवरी के बाद बालों के गिरने की समस्या को देखा गया है, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल बहुत बढ़ जाता है और बच्चा पैदा होने के बाद ये फिर से अपने लेवल पर आ जाता है। ये उतार-चढ़ाव ही बालों के लिए नुकसानदायक साबित होता है। इस स्थिति में खाने-पीने पर ध्यान देकर आप इस समस्या से छुटकारा पा सकती हैं।
खान-पान पर ध्यान न देना
प्रोटीन- बालों को स्वस्थ्य और मजबूत बनाने के लिए आंतरिक और बाहरी दोनों तरफ से प्रोटीन बहुत जरूरी होता है। चना, स्प्राउट्स, मेथी, तिल, आंवला जैसी चीजों में नेचुरल प्रोटीन होता है, जो पचने के बाद अमीनो एसिड में टूटकर एंजाइम और हार्मोन बनाते हैं। ये बालों की जड़ों को मजबूत बनाकर उन्हें टूटने से रोकते हैं। इसके लिए आप प्रोटीन युक्त शैंपू और कंडीशनर का चुनाव भी कर सकते हैं।

इलाज- जो महिलाएं गर्भनिरोधक दवाओं का सेवन करती हैं, किसी भी प्रकार की हार्मोनल बैलेंस वाली दवाइयां लेती हैं या इलाज करा रही हैं, उनके साथ भी ये समस्या हो सकती है। कैंसर के मरीजों के बाल तुरंत झड़ जाते हैं। इसकी मुख्य वजह कीमोथेरेपी है।

वजन घटाना- बहुत ज्यादा डाइटिंग करना, एकदम से वजन घटाना भी बालों के ग्रोथ में समस्या पैदा कर सकता है। डाइटिंग के दौरान आप उन सभी खाने-पीने की चीज़ों को लेना बंद कर देते हैं जिनकी शरीर को आवश्यकता होती है और जो शरीर के साथ-साथ बालों को भी पोषण प्रदान होता है।

 अन्य वजहें

थायरॉइड - थायरॉइड की प्रॉब्लम से ट्रीडोथायरॉनीन और थायरॉक्सीन हार्मोन्स का निकलना बंद हो जाता है जो शरीर के विकास के लिए बहुत जरूरी है। हाइपरथॉयरडिज्म से जूझ रहे व्यक्ति के अंदर इसकी मात्रा ना के बराबर हो जाती है जिससे जरूरी तत्व बालों तक नहीं पहुंच पाते। लेकिन थायरॉइड के उपचार से इसे खत्म भी किया जा सकता है। हमारे शरीर में कई प्रकार की एंटीबॉडीज बनती हैं जो अनेक प्रकार के सेल्स और टिश्यूज़ से लड़ने में मददगार होती हैं। कई बार ये भी बालों के झड़ने की वजह बन जाती है।

कई प्रकार की बीमारियां- डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रेस(तनाव) भी बालों के झड़ने के कारण हैं। डायबिटीज से हमारे सर्कुलेटरी सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे शरीर में जरूरी पोषण और ऑक्सीजन बराबर मात्रा में नहीं पहुंच पाता। ब्लड सर्कुलेशन ठीक नहीं होने से बाल रूखे हो जाते हैं और असमय गिरने लगते हैं। इसके अलावा सिर की त्वचा पर फंगल संक्रमण के कारण भी बाल गिरने लगते हैं।

डैंड्रफ से छुटकारा दिलाता है तिल का तेल, कब्ज़ खत्म करता है गिलोय


: औषधीय पौधे हमारे जीवन का अहम हिस्सा हैं। सदियों से हम विभिन्न विकारों के इलाज के लिए औषधीय पौधों का उपयोग करते आ रहे हैं। गिलोय और तिल में कई बीमारियों का इलाज छिपा है। ये बिना किसी साइड इफेक्ट के हमारी कई समस्याएं हल करते हैं, जैसे सफेद बाल, कब्ज़, डायबिटीज़, वज़न बढ़ना। यह बात अलग है कि 21वीं सदी में आर्टिफिशल और केमिकल्स वाली दवाओं ( एलोपैथिक ड्रग्स) ने बहुत हद तक आम जनों का घरेलू और पारंपरिक उपचार पद्धतियों से विश्वास कम कर दिया। खैर, वजहें जो भी हैं, लेकिन सच यही है कि इस भागती-दौड़ती ज़िंदगी में हर व्यक्ति रफ्तार से चुस्त- दुरुस्त होना चाहता है। एलोपैथिक ड्रग्स कुछ समय के लिए ऐसा संभव भी कर देती हैं, लेकिन इन ड्रग्स के साइड इफेक्ट्स का भुगतान शरीर को किस हद तक करना पड़ सकता है, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। खैर, आज हम आपको कुछ ऐसे नुस्खे सुझा रहे हैं जो कि पूर्ण प्राकृतिक होने के अलावा आपकी सेहत दुरुस्त करने में भी महत्वपूर्ण हैं।

तिल के बारे में
तिल अपने बीजों की वजह से प्रचलित पौधा है। इसके बीजों से खाद्य तेल प्राप्त होता है। काले तिल का उपयोग औषधि के रूप में गुणकारी माना गया है। इसके तेल में प्रोटीन, सिसेमोलिन, लाइपेज, पामिटिक, लिनोलीक एसिड और कई प्रकार के ग्लिसराइडस पाए जाते हैं।
काले बालों और रूसी मिटाने के लिए

आदिवासियों के अनुसार तिल की जड़ और पत्तों का काढ़ा बना लिया जाए और इससे बालों को धोया जाए, तो बालों का रंग काला हो जाता है। डांगी आदिवासियों की मानी जाए, तो तिल के तेल को प्रतिदिन बालों में लगाने से बाल काले हो जाते हैं और इनका झड़ने का क्रम रुक जाता है। साथ ही रूसी से भी छुटकारा मिलता है।
गिलोय के बारे में

गिलोय एक बेल है जो अन्य पेड़ों पर चढ़ती है और इसे संपूर्ण भारत में उगता हुआ देखा जा सकता है। आयुर्वेद में इस पौधे का जिक्र अक्सर देखा जा सकता है। गिलोय को गुडूची के नाम से भी जाना जाता है। इसके प्रमुख रसायनों में गिलोइन नामक कड़वा ग्लूकोसाइड, वसा अल्कोहल ग्लिस्टेराल, बर्बेरिन एल्केलाइड, वसा अम्ल एवं उड़नशील तेल पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस और तने में स्टार्च भी मिलता है।
कब्ज़ की समस्या दूर
गुड़ के साथ गिलोय का सेवन करने से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है। पातालकोट के आदिवासी मानते हैं कि गिलोय के तने और बबूल की फल्लियों के चूर्ण की समान मात्रा सुबह-शाम मंजन की तरह उपयोग में लाई जाए, तो दांतों को ठंड या झुनझुनी लगना बंद हो जाता है।

इन पत्तियों के सेवन से नाक और मुंह से बदबू आनी बंद हो जाती है, ये हैं 8 फायदे


 पेट की मरोड़, सूजन, सांस और नाक की बदबू की समस्या हो या चर्म और गठिया जैसे रोग, सभी प्रकार की समस्याओं का अचूक इलाज है जोंकमारी (एक प्रकार का पौधा) में। इसकी पत्तियों में छिपे हैं कई प्रकार के औषधीय तत्व, जो ना सिर्फ बीमारियों से लड़ते हैं, बल्कि सांप और कुत्ते के काटने पर ज़हर का असर मिटा देते हैं।
जोंकमारी के बारे में
अक्सर पैरों से कुचला जाने वाला जोंकमारी छोटा-सा मैदानी पौधा खूब औषधीय महत्व वाला है। कई आदिवासी अंचलों में इसे जिंगनी और धब्बर भी कहा जाता है। भारत वर्ष के अनेक इलाकों में इसे कृष्ण नील भी कहा जाता है। आदिवासियों के अनुसार, यह पौधा तीखा और कड़वा होता है। इसका वानस्पतिक नाम एनागेलिस आरवेंसिस है। चलिए आज जानते है जोंकमारी से जुड़े देसी हर्बल नुस्खों के बारे में..
दूर करे सांसों की बदबू
किसी की नाक और मुंह से ज्यादा बदबू आती हो, तो इस पौधे की कुछ पत्तियों का सेवन करने से और पत्तियों को सूंघने से बदबू आना बंद हो जाती है।
सूजन, मरोड़ मिटाने में कारगर
गैस या अन्य किसी वजह से पेट में सूजन हो या मरोड़ चल रही हो, तो इस पौधे का लेप पेट के ऊपर लगाने से राहत मिलती है।
 बुखार में आराम, गठिया रोग से निजात, चर्म रोगों से छुटाकारा, जहर काटने में सक्षम, संक्रमण से बचाव।
ठीक करे बुखार
अचानक चक्कर खाकर कोई गिर पड़े और दांतो को कस बैठे, तो जोंकमारी की पत्तियों को हथेली में कुचलकर रोगी के नाक पास ले जाएं। अगर यह उसे सुंघाया जाए, तो तबीयत जल्द ही ठीक हो जाती है।
गठिया रोग में फायदेमंद
गठिया रोग में इस पूरे पौधे को कुचलकर दर्द वाले भाग पर लगाया जाए, तो आराम मिलता है। तिल के तेल में इसकी पत्तियों के रस को मिलाकर दर्द वाले हिस्सों पर लगाया जाए तो बहुत जल्दी आराम मिलता है।
मिट्टी के तेल में मिलाने से भी गठिया रोग में फायदा
राजस्थान में ग्रामीण अंचलों मे लोग जोंकमारी के साथ मिट्टी के तेल और कपूर को मिलाकर लगाते हैं। इससे गठिया रोग में काफी फायदा होता है।
चर्म रोग दूर करे
आदिवासी इसकी पत्तियों को कुचलकर नहाने के पानी में मिला देते हैं और उस पानी से स्नान किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से त्वचा के रोग दूर हो जाते हैं।
जहर काटने में मददगार
पातालकोट के आदिवासी कहते हैं कि यदि कुत्ते ने काट लिया हो, तो तुरंत जोंकमारी की पत्तियों को रगड़कर घाव पर लगाना चाहिए, जबकि डांग-गुजरात के आदिवासी इस फॉर्मूले को सांप के काटने पर उसका ज़हर उतारने के लिए आजमाते हैं। इन आदिवासियों के अनुसार ये पौधा जहर को काटता है।
संक्रमण की समस्या से निजात
इसकी पत्तियों में पाए जाने वाले रसायन बैक्टिरियल इन्फेक्शन को रोकने में बेहद कारगर हैं। त्वचा पर खुजली या संक्रमण होने की दशा में इसकी 3-4 पत्तियों को कुचलकर प्रभावित अंगों पर लगाया जाए, तो आराम मिलता है।

शरीर स्वस्थ बनाये,नुस्खे



1-सुपारी बनाए चमकदार दांत: साफ सुपारी को बारीक पीस लें। इसमें लगभग 5 बूंद नींबू का रस और थोड़ा सा काला या सेंधा नमक मिला लें। प्रतिदिन इस चूर्ण से मंजन किया करेंगे, तो दांत चमक जाएंगे।

2-चींटी भगाने के लिए लौंग: अक्सर शक्कर के डिब्बे और चावल के बोरों या बर्तन में चींटियों को घूमते फिरते देखा जा सकता है, और इससे हम सभी त्रस्त हो जाते हैं। करीब 2-4 लौंग को इन डिब्बों में डाल दीजिए और फिर देखिए चींटियां किस तरह से भागती हैं।
3-अक्सर आदिवासी खाना पकाने बाद आस-पास 1 या 2 लौंग को बर्तनों के पास रख देते हैं। इसके बाद मज़ाल है कि आस- पास कोई भी चींटी भटके।
4-गुड़हल से फूल से लाएं जूतों में चमक: करीब 4-5 ताजे गुड़हल/ जासवंत के फूलों को अपने जूतों पर रगड़ें और फिर देखिए कि
किस तरह से आपके जूतों में रंगत आती है, और जूते चमकदार हो जाते हैं।
5-नाखूनों की चमक और सुंदरता: अरण्डी के तेल को नाखूनों की सतह पर कुछ देर हल्के हाथ से मालिश करें। हर रोज़ सोने से पहले
ऐसा किया जाए, तो नाखूनों में जबरदस्त खूबसूरती और चमक आ जाती है। पाताल -कोट मध्यप्रदेश के आदिवासियों के अनुसार ऐसा करने से नाखूनों पर सफेद निशान या धब्बे (ल्युकोनायसिया) भी मिट जाते हैं।
6-नमक का पसीजना: वातावरण में नमी होने पर अक्सर नमक के पसीज जाने की शिकायत रहती है। नमक के कंटेनर में 10- 15 चावल के कच्चे दाने डाल दिए जाएं, नमक पसीजेगा नहीं।
7-सेब से टुकड़ों से दूर होगी कार के अंदर की गंध: सेब काटकर टुकड़े तैयार कर लें और इन टुकड़ों को कप या छोटी कटोरी में डालकर कार की सीट्स के नीचे फ्लोर पर ही रख दें। एक दो दिन में ये टुकड़े सिकुड़
जाएंगे। यह प्रक्रिया दोहराएं। धीरे-धीरे गंध दूर होती जाएगी।
8-कोलेस्ट्रॉल कम करना: क्या आप जानते हैं कि लहसुन की सिर्फ दो कलियों का प्रतिदिन सेवन आपके शरीर से खतरनाक कोलेस्ट्रॉल
का स्तर कम कर देता है और साथ ही उच्च रक्त चाप को सामान्य करने में मदद करता है? इसके लिए लहसुन की दो कलियों को छीलकर चबाएं। ऐसा प्रतिदिन सुबह खाली पेट किया जाए और एक गिलास पानी का सेवन किया जाए, तो यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करने के साथ-साथ आपके उच्च रक्तचाप को भी सामान्य करने में सहायक होता है। आदिवासियों के अनुसार लगातार तीन महीने तक ऐसा किए जाने से शरीर में ट्यूमर बनने की संभावनाएं भी कम हो जाती हैं।
9-डायबिटीज़ नियंत्रण के लिए देसी नुस्खा: लगभग एक चम्मच अलसी के बीजों को खूब चबाया जाए और एक गिलास पानी का सेवन
किया जाए, तो ऐसा प्रतिदिन सुबह खाली पेट और रात को सोने से पहले करने से फायदा पहुंचता है।

शनिवार, 28 फ़रवरी 2015

महिलाओं के रोग और कुछ है बायोकैमिक दवाएं....!


* बायोकैमिक चिकित्सा पध्दति हानि रहित व लवण चिकित्सा पध्दति है।


* इस पध्दति में मात्र 12 लवणीय दवाएं है, जो शरीर के लिए आवश्यक है। इन दवाओं की और विशेषता यह है कि ये अधिक मात्रा में दे देने या सभी 12 दवाएं एक साथ दे देने पर भी शरीर को किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचती। यहां हम आपकी जानकारी के लिए सभी 12 दवाओं का #महिलाओं से संबंधित विभिन्न रोगों से जुड़ा महत्व बता रहे हैं।




कल्केरिया फ्लोर :-
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* यह दवा गर्म अवस्था में गर्भाशय की संकुचन स्थिति ठीक करती हैष गर्भाशय को मजबूती प्रदान करती है तथा मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव को सही स्थिति प्रदान करती है।

कल्केरिया फॉस :-
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* यह प्रसव कमजोरी, मासिक धर्म, स्तन पीड़ा, कमर दर्द, श्वेत प्रदर को ठीक करती है। इससे कैल्शियम की कमी को भी दूर किया जा सकता है।

कल्केरिया सल्फ : -
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* योनि में खुजली, स्तनों में दर्द, मासिक धर्म की अनियमित स्थिति को ठीक करने के लिए यह दवा उत्तम है।

फेरम फॉस :-
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* यह लवण मासिक धर्म विकृति, शुष्क योनि आदि रोगों में बहुत लाभप्रद है।

काली मयूर : -
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* यह एक तरह से कीटाणुनाशक है। गर्भाशय के घाव, प्रसूति ज्वर में तो बहुत फायदेमंद है।

काली सल्फ :-
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* मासिक धर्म में देरी अथवा अनियमितता सूजाक में बहुत फायदेमंद है।

मैग्नीशिया फॉस :-
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* मासिक धर्म के प्रारंभ के समय के कष्ट में डिम्ब ग्रंथियों के दर्द में यह दवा देनी चाहिए।

नेट्रम मयूर : -
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* बांझपन, योनि में जलन, योनि की भीतरी जलन, मैथुन क्रिया के प्रति उदासीनता या उत्तेजना की कमी अथवा स्तनों में दूध की कमी हो तो इस साल्ट का सेवन करना चाहिए।

नेट्रम फॉस :-
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* तिथि से पूर्व मासिक धर्म आना, बदबूदार श्वेत प्रदर, योनि से बदबू आए अथवा बांझपन की स्थिति हो तो इस दवा का सेवन लाभप्रद रहता है।

नेट्रम सल्फ :-
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* मासिक धर्म के दिनों में अपच, पेट दर्द, योनि के छिलने से उत्पन्न पीड़ा हो तो इस दवा का सेवन करें।

काली फॉस :-
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* मासिक धर्म में काम इच्छा, शरीर में पीड़ा, अत्यधिक रक्तस्राव हो तो काली फॉस का सेवन करें।

साइलीशिया :-
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* दुर्गन्धयुक्त मासिक धर्म, स्तन के घाव, स्तनों में गांठ होने या कड़े हो जाने पर, योनि के घाव, मासिक धर्म के दिनों में कब्ज हो तो यह लवण दे सकते हैं।

स्किन सौंदर्य (Skin)

मुँहासे त्वचा देखभाल और चमक चेहरा

1. नीबू का रस - 2 नींबू का रस 2 बूँदें गुलाब जल के साथ मिश्रित की बूँदें लागू करें. एक घंटे के बाद अपना चेहरा धो लो, यह आपकी त्वचा मुँहासे (दाना) को मुक्त कर देगा.

2. नीम - . नीम के पत्ते का पेस्ट भी मुँहासे प्रवण क्षेत्र पर लागू किया जा सकता है, यह भी मुँहासे का इलाज बहुत प्रभावी घर उपाय है. ख. नीम और चेहरे पर पाउडर ताजा हल्दी प्रकंद की चमक त्वचा के लिए स्नान से पहले एक लगाएँ और निशान हटाने.

3. Pudina (ताजा टकसाल) - चेहरा या जायफल (Jaiphal) के पेस्ट करने के लिए pimples इलाज पर pudina का रस (ताजा टकसाल) लागू होते हैं.

4. लहसुन - कच्चे लहसुन बहुत मुँहासे के लिए पूरी मदद है. दादी माँ मुँहासे के लिए विशेष घर उपाय: Pimples निशान के बिना गायब हो जाएगा जब कच्चे लहसुन के साथ कई बार एक दिन मलवाना.

5. संतरे का रस - शहद की एक चम्मच संतरे का रस के 2 बूँदें जोड़ें और तन हटाने के चेहरे पर लागू होते हैं.

6. मुसब्बर वेरा - . लागू मुसब्बर वेरा चेहरे पर हल्दी पाउडर के साथ मिश्रित रंग में सुधार की लुगदी. ख. मिक्स मुसब्बर वेरा जेल, गेंदा फूल, नींबू का रस, संतरे का रस और कुछ मिनट के लिए चेहरे पर मालिश और आधे घंटे के लिए छुट्टी का पेस्ट. (दादी माँ चेहरा चमक के लिए विशेष टिप)

7. तुलसी या तुलसी के पत्तों - चेहरे पर तुलसी मिश्रित गुलाब पानी की एक पेस्ट लागू भी अद्भुत है.

आहार और पोषण उचित आहार के लिए अंत में अपने समय के रूप में हम हमेशा हमारे हर लेख में सुझाव दिया है. ऊपर की रोकथाम और घरेलू उपचार बहुत मददगार रहे हैं, लेकिन उचित और स्वस्थ आहार के बिना वे ज्यादा प्रभावी हो अभ्यस्त. सेब उनके विटामिन और कंघी के समान आकार की वजह से अच्छे हैं. पेक्टिन त्वचा से अस्वस्थ तेलों और विषाक्त पदार्थों को अवशोषित में मदद करता है और भी जिगर त्वचा हानिकारक विषाक्त पदार्थों को बेअसर करने में मदद करता है. अनार, संतरे, नींबू, और Keenu जैसे फल विटामिन सी है कि आपकी त्वचा की उम्र बढ़ने से लड़ने में मदद करता है. विटामिन सी लोच है कि नरम, कोमल, गैर झुर्रियों त्वचा के लिए आवश्यक है बनाता है. ब्रोकोली, पालक, हरी पत्तेदार सब्जियों और सलाद में विटामिन ए, जो त्वचा की मरम्मत के लिए आवश्यक है के लिए व्यापारियों सहित कई विटामिन प्रदान करते हैं. गाजर, टमाटर और लाल सब्जियों वर्णक इन सब्जियों में पाया लाइकोपीन त्वचा की मरम्मत के लिए आवश्यक है. बादाम और सूरजमुखी के बीज महत्वपूर्ण पौष्टिक त्वचा के लिए आवश्यक तेलों होते हैं. एक रस है कि टमाटर, गाजर, अदरक, टकसाल, और lauki शामिल कई महत्वपूर्ण विटामिन को जोड़ती है और भी एंटीऑक्सीडेंट है कि लड़ाई त्वचा हानिकारक मुक्त कण. Top

जोड़ो. व घुटनों के दर्द से छुटकारा हमेशा के लिए-

1. सवेरे मैथी दाना के बारीक चुर्ण की एक चम्मच की मात्रा से पानी के साथ फंक्की लगाने से घुटनों का दर्द समाप्त होता है. विशेषकर बुढ़ापे में घुटने नहीं दुखते.
2. सवेरे भूखे पेट तीन चार अखरोट की गिरियां निकालकर कुछ दिन खाने से मात्र ही घुटनों का दर्द समाप्त हो जाता है.
3. नारियल की गिरी अक्सर खाते रहने से घुटनों का दर्द होने की संभावना नहीं रहती.

जोड़ों के दर्द आस्टीयो - आर्थराईटीस पर शोध: यदि आप जोड़ों के दर्द आस्टीयो - आर्थराईटीस से हैं, परेशान तो निशानचीखेलों घबराएं विशेषज्ञों की मानें तो आहार में कुछ परिवर्तन के साथ नियमित व्यायाम इस प्रकार के जोड़ों के दर्द 50 को प्रतिशत से अधिक कम कर सकता है. वेक फारेस्ट यूनिवर्सिटी के स्टीफन पी मेसीयर. के एक शोध में यह जानकारी दी गयी है, जिसे हाल ही में अमेरिकन कालेज आफ रयूमेटोलोजी के सालाना वैज्ञानिक सत्र में प्रस्तुत किया गया है. आस्टीयो - आर्थराईटीस में सामन्यतया घुटनों की उपास्थि नष्ट हो जाती है, तथा वजन में बढ़ोत्तरी, एवं उम्र चोट, जोड़ों में तनाव एवं पारिवारिक इतिहास आदि कारण इसे बढाने का काम करते हैं. ऐसे रोगियों में नियंत्रित आहार से वजन कम करना जोड़ों के दर्द को कम करने का कारगर उपाय है. यह 154 अध्धयन ओवरवेट लोगों में किया गया, जिनमें आस्टीयो आर्थराईटीस के कारण घुटनों का दर्द बना हुआ था, इस शोध में लोगों को रेंडमली चुना गया, तथा उन्हें केवल आहार नियंत्रण एवं आहार नियंत्रण के साथ नियमित व्यायाम कराया गया और इन समूहों को एक कंट्रोल समूह से तुलना कर अध्ययन किया गया. इस अध्ययन से यह बात सामने आयी, कि आस्टीयो - आर्थराईटीस से पीडि़त रोगियों में वजन कम करना घुटनों के दर्द से राहत पाने का एक अच्छा विकल्प है.Top

अब कम करे कोलेस्ट्रॉल को ..

बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल निशानी है हृदय रोग की. हृदय रोग होने का मतलब है जीवन को खतरा है. हमें जानकारी होनी चाहिए कि क्यों बढ़ता है रक्त का कोलेस्ट्रॉल. कैसे पाएं इससे छुटकारा? कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना, हृदय रोग का होना आमतौर पर बंशानुगत रोग है. फिर भी खानपान की गलतियों के कारण किसी को भी हो सकता है. कोलेस्ट्रॉल का अपना रंग पीला है. हल्का पीला रंग होता है. यह चर्बी व वसा लिये होता है. कोलेस्ट्रॉल का होना जरूरी है. किन्तु सामान्य से अधिक हो तो हानिकारक. व्यक्ति के भोजन 30 का प्रतिशत तक का भाग कोलेस्ट्रॉल ही है. कैसे करें कोलेस्ट्रॉल को कम:

1. कोलेस्ट्रॉल कम करने का अर्थ है हृदय रोग का सही उपचार. इसके लिए प्रतिदिन प्रातः अंकुरित अनाज, मुट्ठी भर जरूर खाएं. अंकुरित दालें भी खानी आरम्भ करें.
2. सोयाबीन का तेल अवश्य प्रयोग करें. यह भी उपचार है.
3. लहसुन, प्याज, इनके रस उपयोगी हैं - नीम्बू, आंवला जैसे भी ठीक लगे, प्रतिदिन लें.
4. शराब या कोई नशा मत करें, बचें.
5. ईसबगोल के बीजों का तेल आधा चम्मच दिन में दो बार.
6. रात के समय धनिया के दो चम्मच एक गिलास पानी में भिगों दें. प्रातः हिलाकर पी लें. धनिया भी चबाकर निगल जाएं.
7. यदि आप अपने रक्त में कोलेस्ट्रॉल की ठीक मात्रा रख सकें. जो सामान्य तक रहे. बढ़े नहीं. ऐसे में यह रोग होगा ही नहीं. इन सब जानकारियों की चर्चा पहले ही अपने चिकित्सक से कर लें तो बेहतर होगा.

व्यायाम:
1. योगासन जिस में प्राणायाम भी हो हल्के व्यायाम, खेलना, तैरना, पैदल चलना.
2. बड़े कदमों से सैर, साइकिल चलाना, कम से कम समय आराम करना, शरीर चलाए रखना.
परहेज:
1. अनाज व तले पदार्थों की जगह अधिक फलों का प्रयोग, फल ऐसे हों जो पेड़ पर ही पके हों.
2. हरी सब्जियां खाना, सैर करना, लेटे नहीं रहना, जिन कारणों से यह रोग होता है, उसे निकाल फेकें.Top

हर पेट के रोग के लिए देसी रामबाण होम उपाय

चिकित्सा के में क्षेत्र दुनिया ने काफी तरक्की कर ली है. लेकिन आज भी स्वास्थ्य कि में क्षेत्र प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेद और योग को सर्वाधिक भरोसेमंद और अचूक माना जाता है. ऐलोपैथिक दवाइयां रोग के लक्षणों को दबाती और नष्ट करती है, जबकि प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेद और योग का लक्ष्य बीमारी को दबाना नहीं बल्कि शरीर को अंदर से मजबूत करके हर बीमारी को जड़ से मिटाना होता होता है. आयुर्वेद के अंतर्गग नीबू के प्रयोग को बेहद फायदेमंद और गुणकारी माना गया है. नीबू में ऐसे कई दिव्य गुण होते हैं जो पेट संबंधी अधिकांस बीमारियों को दूर करने में बेहद कारगर होता है. खुल कर भूख न लगना, कब्ज रहना, खाया हुआ पचाने में समस्या आना, खट्टी डकारें आना, जी मचलाना, एसिडिटी होना, पेट में जलन होना .... ऐसी ही कई बीमारियों में नीबू का प्रयोग बहुत फयदेमंद और कारगर सिद्ध हुआ है.

सावधानियां (सावधानियां)
1. निबू की तासीर ठंडी मानी गई है, इसलिये शीत प्रकृति के लोगों को इसका प्रयोग कम मात्रा में ही करना चाहिये.
2. जहां तक संभव हो नीबू का प्रयोग दिन में ही करना चाहिये, शाम को या रात में प्रयोग करने से सर्दी - जुकाम होने की संभावना रहती है.
3. व्यक्ति अगर किसी अन्य बीमारी से ग्रसित हो तो उसे किसी जानकार आर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श के बाद ही नीबू का सेवन करना चाहिये.
चिकित्सा के में क्षेत्र दुनिया ने काफी तरक्की कर ली है. लेकिन आज भी स्वास्थ्य कि में क्षेत्र प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेद और योग को सर्वाधिक भरोसेमंद और अचूक माना जाता है. ऐलोपैथिक दवाइयां रोग के लक्षणों को दबाती और नष्ट करती है, जबकि प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेद और योग का लक्ष्य बीमारी को दबाना नहीं बल्कि शरीर को अंदर से मजबूत करके हर बीमारी को जड़ से मिटाना होता होता है. आयुर्वेद के अंतर्गग नीबू के प्रयोग को बेहद फायदेमंद और गुणकारी माना गया है. नीबू में ऐसे कई दिव्य गुण होते हैं जो पेट संबंधी अधिकांस बीमारियों को दूर करने में बेहद कारगर होता है. खुल कर भूख न लगना, कब्ज रहना, खाया हुआ पचाने में समस्या आना, खट्टी डकारें आना, जी मचलाना, एसिडिटी होना, पेट में जलन होना .... ऐसी ही कई बीमारियों में नीबू का प्रयोग बहुत फयदेमंद और कारगर सिद्ध हुआ है.

सावधानियां (सावधानियां) 1. निबू की तासीर ठंडी मानी गई है, इसलिये शीत प्रकृति के लोगों को इसका प्रयोग कम मात्रा में ही करना चाहिये.
2. जहां तक संभव हो नीबू का प्रयोग दिन में ही करना चाहिये, शाम को या रात में प्रयोग करने से सर्दी - जुकाम होने की संभावना रहती है.
3. व्यक्ति अगर किसी अन्य बीमारी से ग्रसित हो तो उसे किसी जानकार आर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श के बाद ही नीबू का सेवन करना चाहिये.Top

भूलकर. भी इन चीजों को एक साथ ना खाये वरना बन जाएगा जहर.

जाने - अनजाने में हम कुछ खाने की चीजों का साथ में खा लेते हैं आयुर्वेद के अनुसार जिनका सेवन आपके लिए घातक हो सकता है. आज दादी माँ आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसी ही चीजों के बारे में जिन्हें एक साथ खाना आपके लिए जहर का काम कर सकता है और आपकी तबीयत बिगड़ सकती है.
1. आलू और चावल एक साथ नहीं खाना चाहिए. इससे कब्ज की समस्या हो सकती है.
2. बैंगन का भरता और दूध की बनी कोई चीज
3. आइस्क्रीम के तुरंत बाद पानीपूरी.
4. पिपरमेंट को कभी भी कोल्डड्रिंक पीने से पहले पुदीने दोनों को मिलाने पर साइनाइड बनता है जो कि जहर के समान कार्य करता है.
5. दूध में नींबु या संतरे का छिंटा भी पड़ जाए तो दूध फट जाता है दोनों का एक साथ सेवन करने पर एसीडिटी हो जाती है.
6. चिकन के साथ ज्यूस या मिठाई आदि का शौक रखने वालों को भी इसके सेवन से बचना चाहिए क्योंकि इसके सेवन से पेट खराब हो सकता है. इस कारण बदहजमी हो जाती है. जहां तक हो सके ऊपर बताए गई सभी चीजों को एक साथ खाने से बचना चाहिए नहीं तो ये आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं.
7. मिठाई या किसी भी प्रकार के चॉकलेट शराब पीते वक्त या उसके बाद नहीं खाना चाहिये. आम तौर पर लोग सोचते हैं कि मिठा खाने से शराब जयादा चढ़ती है, जबकि सही मायने में मीठी चीजें शराब के जहर को और ज्यादा बढ़ाती हैं.
8. शहद कभी किसी गर्म चीज के साथ निशानचीखेलों लें जहर समान हो जाता है.
9. तेलकी चीजें खाने के तुरंत बाद पानी नही पीना चाहिये बल्कि एक डेढ़ घंटे बाद पीना चाहिये.Top

होम उपाय घुटने के दर्द से छुटकारा हमेशा के लिए प्राप्त करने के लिए

1. सवेरे मैथी दाना के बारीक चुर्ण की एक चम्मच की मात्रा से पानी के साथ फंक्की लगाने से घुटनों का दर्द समाप्त होता है. विशेषकर बुढ़ापे में घुटने नहीं दुखते.
2. सवेरे भूखे पेट तीन चार अखरोट की गिरियां निकालकर कुछ दिन खाने से मात्र ही घुटनों का दर्द समाप्त हो जाता है.
3. नारियल की गिरी अक्सर खाते रहने से घुटनों का दर्द होने की संभावना नहीं रहती.

जोड़ों के दर्द आस्टीयो - आर्थराईटीस पर शोध:
यदि आप जोड़ों के दर्द आस्टीयो - आर्थराईटीस से हैं, परेशान तो निशानचीखेलों घबराएं विशेषज्ञों की मानें तो आहार में कुछ परिवर्तन के साथ नियमित व्यायाम इस प्रकार के जोड़ों के दर्द 50 को प्रतिशत से अधिक कम कर सकता है. वेक फारेस्ट यूनिवर्सिटी के स्टीफन पी मेसीयर. के एक शोध में यह जानकारी दी गयी है, जिसे हाल ही में अमेरिकन कालेज आफ रयूमेटोलोजी के सालाना वैज्ञानिक सत्र में प्रस्तुत किया गया है.
आस्टीयो - आर्थराईटीस में सामन्यतया घुटनों की उपास्थि नष्ट हो जाती है, तथा वजन में बढ़ोत्तरी, एवं उम्र चोट, जोड़ों में तनाव एवं पारिवारिक इतिहास आदि कारण इसे बढाने का काम करते हैं. ऐसे रोगियों में नियंत्रित आहार से वजन कम करना जोड़ों के दर्द को कम करने का कारगर उपाय है. यह 154 अध्धयन ओवरवेट लोगों में किया गया, जिनमें आस्टीयो आर्थराईटीस के कारण घुटनों का दर्द बना हुआ था, इस शोध में लोगों को रेंडमली चुना गया, तथा उन्हें केवल आहार नियंत्रण एवं आहार नियंत्रण के साथ नियमित व्यायाम कराया गया और इन समूहों को एक कंट्रोल समूह से तुलना कर अध्ययन किया गया. इस अध्ययन से यह बात सामने आयी, कि आस्टीयो - आर्थराईटीस से पीडि़त रोगियों में वजन कम करना घुटनों के दर्द से राहत पाने का एक अच्छा विकल्प है.Top

नारियल पेट की कई बीमारियों को करे अकेले रफू चक्कर.

नारियल एक ऐसा फल है जो आसानी से कहीं भी मिल जाता है. इसकी सहायता से आप घर पर ही विभिन्न बीमारियों को ठीक कर सकते हैं. विशेषतः यह पेट के लिए बहुत उपयोगी है.
मुंह के छाले
मुंह के छाले होने पर नारियल की सफेद गिरी का टुकड़ा और एक चम्मच भर चिरोंजी मुंह में डालकर धीरे - धीरे चबाना व चूसना चाहिए.
एसीडिटी
एसीडिटी से ग्रसित होने पर सीने व पेट में जलन, जी मचलाना, उल्टी होने जैसा जी करना या उल्टी होना, मुंह में छाले होना, सिरदर्द, होना पतले दस्त लगना आदि लक्षण प्रकट होते हैं. कच्चे नारियल की सफेद गिरी, खस और सफेद चंदन का बुरादा दस - दस ग्राम ले. एक गिलास पानी में डाल कर शाम को रख दें. सुबह इसे मसल कर छान कर खाली पेट पीने से एसीडिटी धीरे - धीरे खत्म होने लगेगी.
पेट के कीड़े
बड़ी के उम्र व्यक्ति को अगर पेट में कृमि की समस्या है तो सूखे गोले का ताजा बूरा 10 ग्राम मात्रा में लेकर खूब चबा - चबाकर खा लें. इसके तीन घंटे बार सोते समय दो चम्मच केस्टर आइल, आधा कप गुनगुने गर्म दूध में डालकर तीन दिन तक पीएं. पेट के कीड़े मल के साथ निकल जाएंगे.
आधा सीसी
आधा सीसी वाला दर्द हो तो नारियल का पानी ड्रापर से नाक के दोनों तरफ दो - दो बूंद टपकाने से आधा सीसी का दर्द दूर होता है.
नारियल (नारियल) क्या है:
नारियल को भारतीय सभ्यता में शुभ और मंगलकारी माना गया है. इसलिए पूजा - पाठ और मंगल कार्यों में इसका उपयोग किया जाता है. किसी कार्य का शुभारंभ नारियल फोड़कर किया जाता है. पूजा के प्रसाद में इसका प्रयोग किया जाता है. इसका उपयोग काड लिवर आइल के स्थान पर सेवन में किया जा सकता है. यह कच्चा और पका हुआ दो अवस्थाओं में मिलता है. नारियल का पानी पिया जाता है. इसका पानी मूत्र, प्यास व जलन शांत करने वाला होता है | Top

लहसुन आप आज खतरनाक रोग से बचा सकता है

जानलेवा बीमारियों को मिटायें लहसुन की सिर्फ दो कलीयां.
लहसुन खून में बढ़ी चर्बी कोलेस्ट्रोलको कम करने का काम करता है. उच्च रक्तचाप भी अनेक मारक रोगों का बढ़ा कारण माना जाता है. लहसुन का प्रयोग इन दोनों ही बीमारियों को जड़ से नष्ट करने की क्षमता रखता है. बस इसमें एक ही कमी हैं, वह है इसकी दुर्गंध. लेकिन इसमें कोलेस्ट्रोल को ठीक करने की गजब की क्षमता होती है.
दादी माँ का देसी nuskha:
रोज सबेरे बिना कुछ खाए - पीए दो पुष्ट कलियां छीलकर टुकड़े करके पानी के साथ चबाकर खा ले निगल जाए. इस साधारण से प्रयोग को नित्य करते रहने से रक्त में बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रोल तो कम होगा ही, साथ ही उच्च रक्तचाप रोगियों का रोग भी नियंत्रित हो जाएगा. शरीर में कही भी ट्युमर होने की संभावना दूर हो जाती है.
लहसुन (लहसुन) क्या है:
जो कुछ भी हम रोजमर्रा के आहार में खाते - पीते हैं. उन सभी के अपने गुण - दोष होते हैं. रोटी, चावल, दाल, सब्जी, तथा उनमें डाले जाने वाले मसाले आदि सभी के कुछ निशानचीखेलों कुछ गुण हैं. अब जैसे लहसुन में एक नहीं अनगिनत गुण हैं. ऐसे ही लहसुन के एक गुणकारी प्रयोग की जानकारी उपर वर्णित है. Top

एलर्जी के लिए बिल्कुल सही देसी होम उपाय

एलर्जी एक ऐसा शब्द है, जिसका प्रयोग व्यापक रूप से होता आया है, आपने यह भी कहते हुए सुना होगा कि यार मुझे उससे बात करने में एलर्जी होती है. ऐसा ही कुछ हमारे सजीव शरीर में भी होता है, एलर्जी हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधकक्षमता के अतिसक्रियता के कारण उत्पन्न होने वाले एक प्रतिक्रिया है, खासकर तब जब प्रतिक्रिया किसी सामान्य एवं हानिरहित पदार्थ से हो रही हो तो वह पदार्थ एलर्जन कहलाता है. ये प्रतिक्रियाएं एक्वयार्ड, प्रेडिकटेबल एवं होती तीव्र हैं. आयुर्वेद शरीर रूपी को क्षेत्र एलर्जन रूपी बीज के प्रभाव से प्रतिरोधक क्षमता को संतुलित करने के सिद्धांत पर कार्य करता है, अत: हानिरहित औषधियां एलर्जी से बचाव में अत्यंत कारगर सिद्ध होती हैं.
दादी मां के Nuskhe:
सर्दी हो या गर्मी सुबह उठते ही नाक बंद हो जाने और लगातार छिंक आने से वे परेशान हैं तो केवल नियमित रूप से गिलोय की ताजी डंठलों का रस तथा ताजे आंवलें का रस निकालकर, उन्हें नियमित रूप से 2-3 चम्मच की मात्रा में सेवन करें या करायें निश्चित लाभ मिलेगा गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद, आधा चम्मच नींबू का रस को कुछ महीनों तक लगातार लें, देखें आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में संतुलन हम सो जाएगा, और आपको एलर्जी से सम्बंधित परेशानियों में अवश्य ही लाभ मिलेगा. Top

मधुमेह के लिए देशी आयुर्वेदिक उपचार :डाइबिटीज के लिए देसी आयुर्वेदिक नुस्खे

तनाव हमारे जीवन को एक अभिन्न पहलू बनता जा रहा है थोड़ा बहुत तनाव जीवन में स्वाभाविक होता है, परन्तु जब तनाव अपनी पराकाष्ठा को पार कर जाय, तो मानसिक विकारों के साथ - साथ हृदय सहित डाइबिटीज जैसे रोगों को निमंत्रण देता है. दुनिया में डाइबिटीज जैसे शारीरिक विकारों की उत्पत्ति के पीछे भी अनियमित खानपान एवं तनावयुक्त दिनचर्या एक बड़ा कारण है, आज दुनिया में जिस प्रकार डाइबिटीज के रोगी बढ़ रहे हैं, भारत भी इस मामले में एक कदम आगे है पुरी दुनिया योग एवं आयुर्वेद को अपना कर यह साबित कर रही है, कि हमारे आचार्यों का विज्ञान तथ्यों से पूर्ण था. आयुर्वेद में सदियों पूर्व प्रमेह रोग के रूप में डाइबिटीज को समाहित किया था, एवं इसके मूल कारणों में आरामतलबी जीवन एवं खानपान को बतलाया गया था. आइए आज हम कुछ ऐसे उपायों पर चर्चा करेंगे जिससे आपको इस विकृति को शरीर में सुकृति के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी.
1. कफ बढाने वाले खान - पान से बचें
2. दिन में सोने से बचें.
3. नियमित व्यायाम करें, इससे से आप डाइबिटीज सहित हृदय रोगों से भी बचे रह सकते हैं
4. इसके लिए योग अभ्यास (पश्चिमोत्तासन एवं हलासन का अभ्यास) एक महत्वपूर्ण साधन है.
5. संतुलित भोजन को प्राथमिकता दें.
6. रोज खाने के बाद थोड़ी देर जरूर टहले.
7. धूम्रपान व मद्यपान से बचें.
8. जामुन के गुठली का चूर्ण, नीम के का पत्र चूर्ण, बेल के पत्र का चूर्ण, शिलाजीत, गुडमार, करेला बीज एवं त्रिफला का चूर्ण चिकित्सक के परामर्श से लेना डाइबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद होगा. Top

दादी मां के देसी घरेलु रोज़ मर्रा के नुस्खे

छोटी - मोटी समस्याएं हम सभी को हो सकती है. कुछ समस्याएं ऐसी होती है जिनके लिए डॉक्टर के पास भी नहीं जाया जा सकता है. ऐसी ही कुछ समस्याओं के लिए हम आपको बताने जा रहे है कुछ घरेलु नुस्खे:
1. गैस की तकलीफ से तुरंत राहत पाने के लिए लहसुन 2 की कली 2 छीलकर चम्मच शुद्ध घी के साथ चबाकर खाएं फौरन आराम होगा.
2. ताजा हरा धनिया मसलकर सूंघने से छींके आना बंद हो जाती हैं.
3. प्याज का रस लगाने से मस्सो के छोटे - छोटे टुकड़े होकर जड़ से गिर जाते हैं.
4. यदि नींद निशानचीखेलों आने की शिकायत है, तो रात्रि में सोते समय तलवों पर सरसों का तेल लगाएं.
5. प्याज के रस में नींबू का रस मिलाकर पीने से उल्टियां आना तत्काल बंद हो जाती हैं.
6. सूखे तेजपान के पत्तों को बारीक पीसकर हर तीसरे दिन एक बार मंजन करने से दांत चमकने लगते हैं.
7. हिचकी चलती हो 1-2 तो चम्मच ताजा शुद्ध घी, गरम कर सेवन करें.
8. यदि आवाज बैठी हुई है या गले में खराश है, तो सुबह उठते समय और रात को सोते समय छोटी इलायची चबा - चबाकर खाएं तथा गुनगुना पानी पीएं. Top

स्वादिष्ट घरेलु दादी माँ के नुस्खे पेट दर्द दूर भगाने के लिए.

पेट दर्द दूर भगाने के नुस्खे:
1. दो चम्मच मेथी दाना में नमक मिलाकर सुबह - शाम दो बार गर्म पानी से लें.
2. सौंफ और सेंधा नमक मिलाकर पीसकर दो चम्मच गर्म पानी से लें.
3. काली मिर्च, हींग, सौंठ समान मात्रा में पीसकर सुबह शाम गर्म पानी से आधा चम्मच लें.
4. पिसी लाल मिर्च गुड़ में मिलाकर खाने से पेट दर्द में लाभ होता है.
5. दो इलायची पीसकर शहद मिलाकर चाटने से लाभ होता है.
6. अनार के दानों पर काली मिर्च और नमक डाल कर चूसें.
7. नींबू की फांक पर काला नमक, काली मिर्च व जीरा डालकर गर्म करके चूसें.
8. 2 ग्राम अजवाइन में एक ग्राम नमक मिलाकर गर्म पानी से लें.
बचाव: पेट में दर्द होने के अनेक कारण हो सकते हैं. लेकिन अधिकतर पेट दर्द का कारण भोजन न पचना होता है. पेट में किसी भी तरह का दर्द हो बोतल में गर्म पानी भरकर सेंकने से आराम मिलता है. जब तक पेटदर्द शांत न हो जाए तब तक कुछ नहीं खाना चाहिए. अपच होने पर पेट भारी होकर फूल जाता है, इससे पेट दर्द और बैचेनी जलन और कभी कभी मितली आने लगती है, खट्टी डकारें आती है, पेट में भारीपन महसूस होता है, पेटदर्द और उल्टी आदि की शिकायतें होती है. पेटदर्द मिटाने के लिए कड़वी दवाईयां ले लेकर आप परेशान हो चूके हैं तो आजमाइए पेट दर्द दूर भगाने वाले उपरोक्त टेस्टी नुस्खे. Top

अब छोटी - छोटी परेशानियों के लिए बार - बार डॉक्टर के क्लिनिक के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं.

ऐसी ही कुछ समस्याओं के बारे में हम बात कर रहे हैं. जो सामान्य रूप से किसी के भी साथ हो सकती है. हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही छोटे आसान और बेहद काम के सरल दादी माँ के घरेलू उपायों के विषय में जो कई समस्याओं से छुटकारा दिलाने में बड़े अचूक होते हैं
- हिचकी का घरेलु उपाय (हिचकी के लिए प्राकृतिक उपचार) हिचकी चलती हो 1-2 तो चम्मच ताजा शुद्ध घी, गरम कर सेवन करें. छींक का घरेलु उपाय (छींक के लिए प्राकृतिक देसी उपाय)
- ताजा हरा धनिया मसलकर सूंघने से छींके आना बंद हो जाती हैं. कैसे हटायें मस्से
- प्याज का रस लगाने से मस्सो के छोटे - छोटे टुकड़े होकर जड़ से गिर जाते हैं. तुरंत गैस से राहत (फास्ट गैस राहत)
- गैस की तकलीफ से तुरंत राहत पाने के लिए लहसुन 2 की कली 2 छीलकर चम्मच शुद्ध घी के साथ चबाकर खाएं फौरन आराम होगा. कैसे हों उल्टियां बंद (उल्टी रोकने के लिए)
- प्याज के रस में नींबू का रस मिलाकर पीने से उल्टियां आना तत्काल बंद हो जाती हैं.  अब घर पर चमकाएं दांत (दांत चमक के लिए प्राकृतिक उपचार) Top
- सूखे तेजपान के पत्तों को बारीक पीसकर हर तीसरे दिन एक बार मंजन करने से दांत चमकने लगते हैं. शीतकालीन विशेष प्राकृतिक होम पूरे वर्ष के लिए प्रतिरक्षण प्राप्त

सर्दी स्पेशल - ऐसा क्या खाएं की सालभर बीमारियां छू भी नहीं पाएं.

सर्दियों में अपनी आयु और शारीरिक अवस्था को ध्यान में रख कर उचित और आवश्यक मात्रा में, पौष्टिक शक्तिवर्धक चीजों को लेना हमारे शरीर को सालभर के लिए एनर्जी देता है. आयु और शारीरिक अवस्था के मान से अलग - अलग पदार्थ सेवन करने योग्य होते हैं. लेकिन ठंड में पौष्टिक पदार्थों का सेवन शुरू करने से पहले पेट शुद्धि यानी कब्ज दूर करना आवश्यक है.
क्योंकि इन्हें पचाने के लिए अच्छी पाचन शक्ति होना जरूरी है. वरना पौष्टिक पदार्थों या औषधियों का सेवन करने से लाभ ही नहीं होगा. ऐसी तैयारी करके, सुबह शौच जाने के नियम का पालन करते हुए, हर व्यक्ति को अपना पेट साफ रखना चाहिए. ठीक 32 समय बार चबा चबा कर भोजन करना चाहिए. आज हम पहले ऐसे पौष्टिक पदार्थों की जानकारी दे रहे हैं. जो किशोरवस्था से लेकर प्रोढ़ावस्था तक के स्त्री - पुरुष सर्दियों में सेवन कर अपने शरीर को पुष्ट, सुडौल, व बलवान बना सकते हैं.
सर्दियों के खास नुस्खे:
1. सोते समय एक गिलास मीठे कुनकुने गर्म दूध में एक चम्मच शुद्ध घी डालकर पीना चाहिए.
2. दूध में मलाई और पिसी मिश्री मिलाकर पीना चाहिए.
3. एक बादाम पत्थर घिस कर दूध में मिला कर उसमें पीसी हुई मिश्री मिलाकर पीना चाहिए.
4. सप्ताह में दो दिन अंजीर का दूध लें.
5. लमखाना.
6. सफेद मुसली.
7. ठंडे दूध में एक केला और एक चम्मच शहद.
8. उड़द की दाल दूध पका कर बनाई हुई खीर.
9. प्याज का रस.
10.असगंध चूर्ण
11.उड़द की दाल.
12.रोज सेवफल खाएं.
13.कच्चे नारियल की सफेद गरी.
14.प्याज का रस दो चम्मच, शहद एक चम्मच, घी पाव चम्मच. Top

सूखे अदरक के ये अनोखे प्रयोग कर देंगे इन सारे रोगों की छुट्टी

भोजन ठीक तरह से नहीं पचता है, भोजन के ठीक से नहीं पचने के कारण शरीर में कितने ही रोग पैदा हो जाते है, अनियमित खानपान से गैस और कफ दूषित हो जाते हैं. सोंठ कब्ज एवं कफवात नाशक, आमवात नाशक है. उदररोग, वातरोग, बावासीर, आफरा, आदि रोगों का नाश करती है. सोंठ में कफनाशक गुण होने के कारण यह खांसी और कफ रोगों में उपयोगी है.
सोंठ का उपयोग प्राचीनकाल से ही होता आ रहा है. सोंठ एक उष्ण जमीकंद हैं जो अदरक के रूप में जमीन से खोदकर निकाली जाती है और सुखाकर सोंठ बनती है. मनुष्य में जीने की शक्ति और रोगों से लडऩे की प्रतिरोधक क्षमता पैदा करती हैं. यह औषधी उत्तेजक, पाचक और शांतिकारक हैं. इसके सेवन से पाचन क्रिया शुद्ध होती है. सोंठ उष्ण होने से वायु के कुपित होने पर होने वाले रोगों को नष्ट करती है.
आधा सिरदर्द - सोंठ का चंदन की घिसकर लेप करें.
आंखों के रोग सोंठ नीम के पत्ते या निंबोली पीसकर उसमें थोड़ा सा सेंधा नमक डालकर गोलियां बना लें. गोली को मामूली गर्म कर आंखों पर बांधने से आंखों की पीड़ा कम होती है.
कमरदर्द - कमरदर्द में सोंठ का चूर्ण आधा चम्मच दो कप पानी में उबालकर आधा कप रह जाए. तब छानकर ठंडाकर उसमें दो चम्मच अरण्डी तेल मिला क रोज रात को पीएं.
उदर रोग - चार ग्राम सोंठ का काढ़ा बनाकर पिलाएं एवं साथ में अजवाइन की बनाकर पिलाएं. साथ में अजवाइन की फक्की लगाने से उदर रोग नष्ट होता है.
खांसी - सोंठ चूर्ण के साथ मुलहटी का चूर्ण एक चम्मच गुनगुने पानी में लेने पर छाती में जमा कफ बाहर निकलता है और खांसी में आराम मिलता है.
कब्ज - सोंठ का चूर्ण एक चम्मच गरम पानी को उबालकर पिलाएं.
मंदाग्रि - सोंठ चूर्ण गुड़ में मिलाकर खाने से पाचन क्रिया बढ़ती है.
प्रसव के बाद सोंठ एवं सफेद मूसली का चूर्ण, कतीरा गोंद के साथ खाने पर प्रसव की कमजोरी एवं कमर दर्द में कमी हम सो जाती है Top

मैथी के घर पर तैयार लड्डू से महिलाएं पाएं चिरयौवन और रहे निरोग

ठंड में आने वाली सारी हरे पत्तेदार सब्जियों को स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी माना गया है. अगर बात मेथी की हो तो मेथी तो वो सब्जी है जो खाने के स्वाद को और ज्यादा बड़ा देती है. मसालों, सब्जियों के बघार में, अचार में, पत्तियों की सब्जी और मेथी के पराठे बहुत चाव से खाए जाते हैं. मेथी का दवाई के रूप में उपयोग हजारों सालों से किया जाता रहा है. कमर दर्द, गठिया दर्द, प्रसव के बाद, डाइबिटीज के साथ ही जोड़ों के दर्द, आंखों की कमजोरी, शारीरिक दुर्बलता, संबंधी मूत्र विकार ये सब दूर होते हैं. इसका सेवन हर साल करते रहना चाहिए.
स्त्रियां के लिए विशेष:
स्त्रियां भी इस लड्डू के सेवन करके सदैव स्वस्थ रह सकती हैं एवं चिरयौवन प्राप्त कर सकती हैं. हर साल सर्दियों के मौसम में इसे लाग के रूप में खाया जाता है. माना जाता है ठंड में इसका सेवन करने से शरीर स्वस्थ व निरोगी रहता है. सामग्री:
मेथीदाने - 500 ग्राम सोंठ का बारीक पाउडर 250 ग्राम दूध चार लीटर 500 घी ग्राम चीनी किलो 1.5 सोंठ, छोटी पीपलामूल, अजवाइन, जीरा, कलौंजी, सौंफ, धनिया, तेजपत्ता, कचूर, दालचीनी, जायफल और नागरमोथा ये 10-10 सब ग्राम. तैयार करने की विधि: उक्त सामग्री को कूट पीसकर बारीक चूर्ण बना लें. अब दूध को एक साफ कड़ाई में डालकर आग पर चढ़ाएं. औटाने पर जब दूध आधा रह जाए, तब इसमें मेथी का पिसा चूर्ण तथा सोंठ का पिसा हुआ चूर्ण डाल दें. हिलाते रहें और मावा बना दें. अब घी डालकर इसकी सिकाई करें. गुलाबी रंग का होने तक सेकें. अब इसमें मावा और बाकी की सब पिसी हुई दवाईयां मिलाकर चलाएं. जब कुछ गाढ़ा सा हो जाए, तब नीचे उतार लें तथा या तो जमाकर बर्फी जैसी चक्की काट लें अथवा 10-10 लगभग ग्राम वजन के लड्डू बांध दें.
कैसे प्रयोग करें:
इस लड्डू को सुबह के 200 समय ग्राम की मात्रा में खाकर ऊपर से दूध पीएं. इससे सभी तरह के वायु विकार समाप्त होते हैं. हष्ट शरीर पुष्ट होता है. प्रसव के बाद स्त्रियां इस पाक का सेवन करें. उनका शरीर कांतिमान हो जाता है. जिन व्यक्तियों के जोड़ों में सून दर्द, घुटनों में दर्द, थकान सी महसूस होना, पैरों के तलवों में अत्याधिक पसीना आना, बायंटे आना व गैस संबंधित सभी बीमारियों में फायदा होता है. Top

विशेष महिला दादी मां की देसी घर उपाय कमजोरी सभी प्रकार काबू करने के लिए

महिलाओं के लिए विशेष - दादी माँ का देसी घरेलु नुस्खा जो महिलाओं की हर तरह की कमजोरी को दूर करेगा आज कल अधिकतर महिलाएं श्वेत रक्त प्रदर, रक्त प्रदर, मासिक धर्म की अनियमितता, कमजोरी, दुबलापन, सिरदर्द, कमरदर्द आदि कई बीमारियां से परेशान है. ये सभी बीमारियां शरीर को स्वस्थ नहीं रहने देती हैं. अतः अपनाएं निम्न दादी माँ का देसी घरेलु नुस्खा जो महिलाओं की हर तरह की कमजोरी को दूर करता है.
सामग्री:
स्वर्ण भस्म या वर्क दस ग्राम, मोती पिष्टी बीस ग्राम, शुद्ध हिंगुल तीस ग्राम, सफेद मिर्च चालीस ग्राम, शुद्ध खर्पर अस्सी ग्राम. गाय के दूध का मक्खन पच्चीस ग्राम तैयार करने की विधि: थोड़ा सा नींबू का रस पहले स्वर्ण भस्म या वर्क और हिंगुल को मिला कर एक जान कर लें. फिर शेष द्रव्य मिलाकर मक्खन के साथ घुटाई करें. फिर नींबु का रस कपड़े की चार तह करके छान लें. और इसमें मिलाकर चिकनापन दूर होने तक घुटाई करनी चाहिए. आठ - दस दिन तक घुटाई करनी होगी. फिर उसकी एक - एक रत्ती की गोलियां बना लें.
कैसे करें सेवन:
1 2 या गोली सुबह शाम एक चम्मच च्यवनप्राश के साथ सेवन करें. इस दवाई का सेवन करने से महिलाओं को प्रदर रोग, शारीरिक क्षीणता, और कमजोरी आदिसे मुक्ति मिलती है और शरीर स्वस्थ और सुडौल बनता है. यह दवाई'' स्वर्ण मालिनी 'वसंत के नाम से बाजार में भी मिलती है. इसके सेवन से शरीर बलशाली होता है. शरीर के सभी अंगों को ताकत मिलती है. महिलाएं स्वभाव से बहुत ही भावुक होती है. कहते हैं ममता, प्यार, दया और सेवा ये सभी गुण उनमें जन्म से ही होते हैं. इसीलिए वे शादी के बंधन में बंधने के बाद पराए घर को अपनाकर अपने दिन - रात उनकी सेवा में लगा देती है. ऐसे में अधिकतर महिलाएं अपने ऊपर ध्यान नहीं दे पाती हैं. ध्यान नहीं देने के कारण वे कई बार अपनी बीमारियों को छिपाए रखती हैं. इस तरह अंदर ही अंदर वे कमजोर होती जाती हैं. श्वेत रक्त प्रदर, रक्त प्रदर, मासिक धर्म की अनियमितता, कमजोरी दुबलापन, सिरदर्द, कमरदर्द आदि. ये सभी बीमारियां शरीर को स्वस्थ और सुडौल नहीं रहने देती हैं. इसलिए उपरोक्त आयुर्वेदिक नुस्खा जो महिलाओं की हर तरह की कमजोरी को दूर करता है का सेवन करें. Top

विवाहित जीवन का आनंद लें घर पर हर्बल पाउडर तैयार

सुखी दांपत्य जीवन के लिए घर पर बनाएं आयुर्वेदिक चूर्ण और अपने वैवाहिक जीवन को भर दें आनंद से. आज की व्यस्ततम जीवनशैली, तनावभरी दिनचर्या और भौतिक सुख सुविधायें जुटाने की लालसा ने खुशहाल वैवाहिक जीवन को एक सपने की तरह बना दिया है. काम ने इस कर्म पवित्र के मूल में निहित भाव एवं उद्देश्य को समाप्त कर दिया है. काम आज दाम्पत्य जीवन की औपचारिकता भर रह गया है, इन्ही कारणों से यौन संबंधों को लेकर असंतुष्ट युगलों की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है. अगर आपके साथ भी यही समस्या है आपको कमजोरी व क्षीणता महसूस होती है. अपने साथी को संतुष्ट नहीं कर पाते हैं तो नीचे लिखे देसी आयुर्वेदिक नुस्खे को जरूर अपनाएं निश्चित ही फायदा होगा.
सामग्री -
सकाकुल मिश्री, सालम मिश्री, काली मूसली और शतावर 40-40 सभी ग्राम. बहमन सफेद, बहमन लाल, तोदरी छोटी, तोदरी बड़ी 20-20 सभी ग्राम. सुरवारी के बीज, जौ इंद्र मीठे, जावित्री, जायफल, सौंठ, कुलींजन 10-10 सभी ग्राम.
निर्माण विधि
सारी औषधियों को अलग - अलग कुट पीसकर बाद में उक्त अनुपात में मिलाकर साफ सूखी शीशी में भरकर रखें.
सेवन विधि
पांच ग्राम की मात्रा लेकर इस चूर्ण 10 को ग्राम शहद में मिलाकर चाट लें. दूध के साथ न लें. उसी से दवा खानी चाहिए. इस मदनानंद चूर्ण के सेवन से धातु क्षीणता, नामर्दी की शिकायत भी कुछ दिनों मिट जाती है. वास्तव में यह चूर्ण कामोत्तेजना जाग्रत करने का बहुत अच्छा उपाय है. महत्वपूर्ण नोट: अगर स्त्री प्रसंग से परहेज करके इस दवा का सेवन छ: महीने (छह माह) तक कर लिया जाए तो बहुत ही अच्छा है Top

हमेशा रहे तरोताजा कम्प्यूटर पर कई घंटो तक काम करने के बाद भी.

आजकल कम्प्यूटर हम सभी की जिंदगी की जरुरत बन गया है. वर्कप्लेस हो या घर हम बिना कम्प्यूटर के अपना काम नहीं कर सकते हैं. यही कारण है कि कम्प्यूटर पर काम करते हुए थकान हो जाने के बावजूद भी हम लगातार कम्प्यूटर पर काम करते रहते हैं. ऐसे में ये भी एक परेशानी है कि हम कम्प्यूटर पर काम को करते हुए भी किस तरह अपने वर्क 100 में प्रतिशत तक दे सकते हैं. अगर आपके साथ भी यही समस्या है कि आप कम्प्यूटर पर बहुत ज्यादा काम के बोझ के कारण होने वाली थकान के चलते ठीक से काम नहीं कर पा रहे हैं तो हम देते हैं आपको कुछ ऐसे टिप्स जिनसे आप कम्प्यूटर पर कई घंटो तक काम करने के बावजूद भी तरोताजा रह सकते हैं.
1. बेवजह कम्प्यूटर का इस्तेमाल निशानचीखेलों करें.
2. कम्प्यूटर पर कार्य करते समय कुर्सी सही डिजाइन की होनी चाहिए.
3. कुर्सी में पूरी पीठ हत्थे पर होनी चाहिए. जिससे बैठते समय कमर, पीठ और हाथों को सहारा मिले.
4. की - बोर्ड माउस 90 को कोण पर मुड़ी कोहनी की सीध में रखें, बेहतर होगा की बोर्ड थोड़ा ढलान पर हों.
5. जांघे जमीन के समांतर टखने समकोण पर मुड़े हो, आवश्यक होने पर पैरों को फुट रेस्ट सहारा दें.
6. कम्प्यूटर पर कार्य करते समय फोन को कंधों और गर्दन से दबा कर बात निशानचीखेलों करें.
7. देर तक टेलीफोन से बात करने के लिए हेडफोन उपयोग करें.
8. कार्य करते समय शरीर ढीला रखें मन शांत रखें.
9. की - बोर्ड माउस का उपयोग कम करने के लिए आवाज पहचान कर कार्य करने वाले सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर सकते हैं.
10.मॉनीटर की चमक, परावर्तन कम करने के लिए एण्टीग्लेमर कोटिंग या ग्लास लगाएं. Top

प्राकृतिक होम युक्तियाँ द्वारा भव्य चमक चेहरे के साथ सुंदर बनें

अब बनें दिलकश जवाँ खूबसूरती के मालिक बस चाँद दादी माँ के घरेलु नुस्खों से गौरा रंग और चमकदार त्वचा सभी की चाहत होती है. ज्यादा सांवले रंग के कारण कई बार शादी में भी समस्या होती है. अगर आप भी गौरी - गौरी त्वचा चाहते हैं. तो कुछ आसान आयुर्वेद नुस्खे ऐसे हैं जिनसे आपका सांवलापन पूरी तरह नहीं मगर काफी हद तक दूर हो सकता है. साथ ही इन नुस्खों से स्कीन तो हेल्दी होती ही है और मिलती है दिलकश खूबसूरती.
1. रात को सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ नियमित रूप से त्रिफला चूर्ण का सेवन करें.
2. एक बाल्टी ठण्डे या गुनगुने पानी में दो नींबू का रस मिलाकर गर्मियों में कुछ महीने तक नहाने से त्वचा का रंग निखरने लगता है (इस विधि को करने से त्वचा से सम्बन्धी कई रोग ठीक हो जाते हैं).
3. आंवला का मुरब्बा रोज एक नग खाने से दो तीन महीने में ही रंग निखरने लगते है.
4. गाजर का रस आधा गिलास खाली पेट सुबह शाम लेने से एक महीने में रंग निखरने लगता है. रोजाना सुबह शाम खाना खाने के बाद थोड़ी मात्रा में सांफ खाने से खून साफ होने लगता है और त्वचा की रंगत बदलने लगती है.
5. प्रतिदिन खाने के बाद सौंफ का सेवन करे Top

नीम बहुउद्देशीय सफेद बाल, मधुमेह और कई रोग के इलाज के लिए ट्री

नीम सर्वौषधि पेड़ जो करे सफेद बाल काले और डायबिटीज से लेकर एड्स, कैंसर और भी कई तरह की बीमारियों का इलाज ..
सफेद बाल करे काले: सफेद बाल काले करने के लिए नीम के तेल की कुछ बूंदें नासिका छिद्रों में टपकाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं. सिर की रूसी समाप्त करने के लिए नीम के पत्तों का काढ़ा बनाकर सिर धोना चाहिए.
चर्म रोग वा सफेद दाग: शरीर पर सफेद दाग होने पर नीम के फूल, फल तथा पत्तियों को मिलाकर बारीक पीस लें. इसे पानी में मिलाकर पीने से लाभ पहुंचता है. नीम के तेल से मालिश करने से विभिन्न प्रकार के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं. नीम की पत्तियों को उबालकर और पानी ठंडा करके नहाया जाए तो उससे भी बहुत फायदा होता है. घाव नीम के पत्तों को पीसकर थोड़ा शहद मिलाकर घाव पर इसका लेप करने से लाभ होता है.
दाद: दाद वाली जगहों पर लगाएं, कुछ ही दिनों में दाद का काम तमाम हो जाएगा.
अस्थमा: अस्थमा के मरीज को नीम के बीजों का तेल पान में डालकर चबाना चाहिए.
पथरी: पथरी होने पर पानी के साथ नीम की पत्तियों की राख नियमित लेने से पथरी गल कर बाहर निकल जाती है.
कफ: नीम के फूलों का सेवन करने से कफ नष्ट होता है.
अन्य लाभ: नीम की कच्ची निबोरी के सेवन से पेट के कीड़े, बवासीर व कोढ आदि रोग दूर होते हैं. खाने में अरूचि होने पर नीम के पत्तों का सेवन लाभप्रद है. यही नहीं, नीम के हरे पत्तों का रस नाक में टपकाने से सिर का दर्द दूर होता है और कान में टपकाने से कान की पीड़ा में आराम मिलता है. प्रतिदिन नीम की दातुन करने से दांतों में सडऩ, दुर्गंध व कीटाणु नहीं रहते हैं.

बुधवार, 4 फ़रवरी 2015

BEST MEDICINE PLANT hellt tips सेहत टिप्स




नागफनी (prickly pear)
नागफनी को संस्कृत भाषा में वज्रकंटका कहा जाता है . इसका कारण शायद यह है कि इसके कांटे बहुत मजबूत होते हैं . पहले समय में इसी का काँटा तोडकर कर्णछेदन कर दिया जाता था .इसके  Antiseptic होने के कारण न तो कान पकता था और न ही उसमें पस पड़ती थी . कर्णछेदन से hydrocele की समस्या भी नहीं होती।
     .           इसमें विरेचन की भी क्षमता है . पेट साफ़ न होता हो तो इसके ताज़े दूध की 1-2 बूँद बताशे में डालकर खा लें ; ऊपर से पानी पी लें . इसका दूध आँख में नहीं गिरना चाहिए . यह अंधापन ला सकता है . लेकिन आँखों की लाली ठीक करनी हो तो इसके बड़े पत्ते के कांटे साफ करके उसको बीच में से फाड़ लें . गूदे वाले हिस्से को कपडे पर रखकर आँख पर बाँधने से आँख की लाली ठीक हो जाती है .
                         अगर सूजन है , जोड़ों का दर्द है , गुम चोट के कारण चल नहीं पाते हैं तो , पत्ते को बीच में काटकर गूदे वाले हिस्से पर हल्दी और सरसों का तेल लगाकर गर्म करकर बांधें . 4-6 घंटे में ही सूजन उतर जायेगी . Hydrocele की समस्या में इसी को लंगोटी में बांधें . कान में परेशानी हो तो इक्का पत्ता गर्म करके दो-दो बूँद रस डालें . इसके लाल और पीले रंग के फूल होते हैं . फूल के नीचे के फल को गर्म करके या उबालकर खाया जा सकता है . यह फल स्वादिष्ट होता है ।यह पित्तनाशक और ज्वरनाशक होता है . अगर दमा कीबीमारी ठीक करनी है तो इसके फल को टुकड़े कर के , सुखाकर ,उसका काढ़ा पीयें . इस काढ़े से साधारण खांसी भी ठीक होती है ।
                          ऐसा माना जाता है की अगर इसके पत्तों के 2 से 5 ग्राम तक रस का सेवन प्रतिदिन किया जाए तो कैंसर को रोका जा सकता है . लीवर , spleen बढ़ने पर , कम भूख लगने पर या ascites होने पर इसके 4-5 ग्राम रस में 10 ग्राम गोमूत्र , सौंठ और काली मिर्च मिलाएं . इसे नियमित रूप से लेते रहने से ये सभी बीमारियाँ ठीक होती हैं . श्वास या कफ के रोग हैं तो एक भाग इसका रस और तीन भाग अदरक का रस मिलाकर लें .
                              इसके पंचाग के टुकड़े सुखाकर , मिटटी की हंडिया में बंद करके फूंकें . जलने के बाद हंडिया में राख रह जाएगी । इसे नागफनी का क्षार  कहा जाता है । इसकी 1-2 ग्राम राख शहद के साथ चाटने से या गर्म पानी के साथ लेने से हृदय रोग व सांस फूलने की बीमारी ठीक होती है . घबराहट दूर होती है । इससे मूत्र रोगों में भी लाभ मिलता है . श्वास रोगों में भी फायदा होता है .
                सामान्य सूजन हो ,सूजन से दर्द हो , uric acid बढ़ा हुआ हो , या arthritis की बीमारी हो . इन सब के लिए नागफनी की 3-4 ग्राम जड़ + 1gm मेथी +1 gm अजवायन +1gm सौंठ लेकर इनका काढ़ा बना लें और पीयें .
                               नागफनी का पौधा पशुओं से खेतों की रक्षा ही नहीं करता बल्कि रोगों से हमारे शरीर की भी रक्षा करता है .
                             

भुट्टा (corn)
भुट्टे को संस्कृत में महाकाय भी कहा जाता है ; हो सकता है कि इसका कारण इसकी आकृति की विशालता हो . इसमें कमजोरी और सूखा रोग को ठीक करने की क्षमता है . इसे भूनकर खाया जाए तो कफ ठीक होता है . शुगर के मरीजों को इसका कम सेवन करना चाहिए . विदेशों में तो इससे शर्करा भी प्राप्त की जाती है . White discharge की समस्या हो तो भुट्टे के बालों का मिश्री के साथ सेवन करें . अधिक bleeding या U T I infection है तो भुट्टे के बाल और शीशम के पत्ते मिलाकर लें .
               कच्चे भुट्टे को डंठल समेत कूटकर चाय या काढ़ा बनाया जाए तो कफ रोगों में फायदा करता है . पथरी में इसके डंठल की राख 3 ग्राम के करीब शहद के साथ लें . धसका या खांसी  हो तो इसी  राख को शहद और अदरक  का रस  मिलाकर लें . पेशाब की समस्या हो तो राख ठन्डे  पानी से लें . इसकी जड़ का काढ़ा मूत्र संबंधी विकारों को भी ठीक करता है . भुट्टे के बालों का प्रयोग periods की समस्या को भी ठीक करता है . अगर दस्त लग गए हों तो इसके डंठल की राख ले लें . Colitis की समस्या हो तो इसके डंठल की 50 gm राख में 100 gm बेल का पावडर मिला कर एक-एक चम्मच लें . अगर जोड़ों का दर्द हो या सूजन हो तो शुरू की अवस्था में तो भुट्टा लाभ करता है ; लेकिन अगर ये समस्याएं बढ़ गई हैं तो फिर भुट्टा खाने से नुकसान हो सकता है .
                               भुट्टा हृदय की मांसपेशियों को चुस्त रखता है . गुर्दे और prostate की बीमारियों के लिए भी दवा है . हिचकी आती हों तो भुट्टे की राख शहद के साथ चाटें . पशु अगर भुट्टे के पत्ते अधिक खा लें तो दस्त लग  सकते हैं ; लेकिन अगर भुट्टे का छिलका खाते हैं तो उनके दस्त ठीक हो जाते हैं .

अस्थमा होने पर .......
अस्थमा होने पर बहुत परेशानी होती है . इसका एक इलाज पीपल के पास भी है . पीपल के अन्दर वाली गीली छाल 5-10 ग्राम लेकर उसके टुकड़े-टुकड़े कर लें . अब चावल की खीर लगभग 200 ग्राम इस छाल को डालकर पकाएँ. यह खीर शरद पूर्णिमा की रात को बनाकर 4-5 घंटे तक खुले में चांदनी में रखें . अस्थमा के मरीज़ को यह पूरी खीर खिला दें और सारी रात सोने न दें . किसी-किसी मरीज़ को तो इससे एक दिन में ही लाभ हुआ है . यह प्रयोग किसी भी पूर्णिमा को किया जा सकता है ; परन्तु शायद असर थोडा कम होगा .

वरुण (three leaf caper)
वरुण को हिन्दी में बर्नी या बरना भी कहते हैं . जंगल का यह विशालकाय वृक्ष वसंत ऋतु में सुंदर फूलों से लद जाता है . इसकी मोटी छाल गुर्दे और पथरी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है . इससे blood urea का स्तर ठीक हो जाता है . शुगर की बीमारी में इसकी छाल का काढ़ा फायदा करता है . पथरी हो तो इसकी छाल +गोखरू +कुलथ की दाल +पाषाणभेद को मिलाकर काढ़ा बनायें और पीयें . पानी ज्यादा पीयें .
                   आँख में सूजन या लाली हो तो इसकी छाल की पेस्ट रुई पर रखकर आँख पर बांधें . गले में गाँठ या tonsils हों तो इसकी छाल का काढ़ा लें . गले में सूजन हो तो 1gm काली मिर्च , 1gm त्रिकुटा , 3gm बहेड़ा और 5gm वरुण की छाल लेकर इसका काढ़ा पीयें . इस काढ़े से thyroid और goitre की समस्याएं भी ठीक होती हैं .      Piles या anus की कोई भी समस्या हो तो 5gm वरुण की छाल और 3gm त्रिफला को मिलाकर काढ़ा बनाएं और पीयें . यह रक्तशोधक भी है . इसकी पत्तियों को कूटकर काढ़ा लेने से खाज खुजली ठीक होती है . फोड़े फुंसी पर इसकी पत्तियां उबालकर और थोडा नमक डालकर बाँध लें .
                  इसकी कोमल पत्तियों का साग अगर वसंत ऋतु में तीन दिन भी खाया जाए तो पथरी होने की सम्भावना कम हो जाती है . पथरी होने पर इसके फूल व कोमल पत्तियों का काढ़ा पीयें . इसके फूल सुखाकर उसकी चाय पीने से भी पथरी नहीं होती और इससे रक्तशोधन भी होता है . इसके फूल और कोमल पत्तियों को सुखाकर उसके 3 gm पावडर की चाय लेने से गला ठीक रहता है , त्वचागत रोग नहीं होते , kidney ठीक रहती है और पथरी होने की सम्भावना भी कम हो जाती है . Arthritis या सूजन होने पर इसकी पत्तियों को उबालकर सिकाई करें और बाँध भी दें . यदि arthritis की शुरुआत में ही इसकी पत्तियों का काढ़ा पीते रहें तो यह रोग पूर्ण  तया ठीक हो जाता है .

गेंदा ; African marigold(dwarf)

फूलों का हार भगवान को समर्पित करना हो या किसी विशिष्ट जन को ; गेंदा ही शोभायमान करता है . पवित्रता और सुन्दरता से भरे इस फूल में दैवी गुण विद्यमान हैं . इसकी माला धारण करने मात्र से मन की प्रसन्नता बढ़ती है . दांत या मसूढ़ों में सूजन या दर्द है तो इसके फूलों की पत्तियां या इसकी हरी पत्तियां चबाकर , उँगलियों से मसूढ़े की मालिश करें . बाद में अच्छे से कुल्ला कर लें इसके अतिरिक्त इसके फूलों के रस में सेंधा नमक मिलकर मसूढ़ों की मालिश करने से भी आराम मिलता है . इसके पत्तों के रस में गरम पानी मिलाकर नमक डालकर गरारे करने से गले में भी लाभ होता है .
                          आँख में दर्द लालिमा इत्यादि हो तो पत्तों की लुगदी रुई पर रखकर आँख बंद कर पट्टी बाँध लें .कान में पस या दर्द हो तो इसके पत्तों का रस पीसकर 2-2 बूँद कान में टपकाएं.  Piles की समस्या हो या anus बाहर आने की , इसके फूलों की 3 ग्राम पत्तियां पीसकर , मिश्री मिलाकर खाली पेट खाएं . Piles में इसकी हरी पत्तियों का 4-5 चम्मच रस सवेरे शाम खाली पेट लिया जा सकता है .
                      कहीं भी घाव या सूजन हो तो इसकी पत्तियां और फूल उबालकर ,उस पानी से धोएं . मुहासे या झाइयाँ हों तो इसके फूल व पत्तियों के रस को चेहरे पर मलें . पेशाब खुलकर न आता हो या urine में infection हो तो इसकी 5-10 ग्राम पत्तियों का रस खाली पेट लें . खांसी या श्वास रोग में इसके 3-4 ग्राम सूखे फूल पत्तियों का काढ़ा पीयें . इसमें तुलसी और काली मिर्च दाल दें तो और भी अच्छा है . इस काढ़े को पीने से allergy भी ठीक हो जाती है . इसके पत्तों की लुगदी लगाने से  शरीर की किसी भी तरह की गाँठ ठीक होती है .
                     शरीर में कमजोरी है तो फूल की पंखुडियां उखाडकर सफ़ेद वाले भाग को सुखाकर 20 ग्राम में 50 ग्राम मिश्री मिलाएं . फिर इसका एक चम्मच सवेरे दूध के साथ लें . इसके पंखुड़ी के नीचे का काला बीज 3-5 ग्राम कामशक्ति बढाता है ; लेकिन 5 ग्राम से अधिक लेने पर कामशक्ति कम करता है . कितना अद्भुत संयोग है ! इसके सूखे फूल की पंखुड़ियों की चाय स्वादिष्ट भी होती है और लाभदायक भी . जापान ,चीन आदि देशों में तो इसी तरह की अलग -अलग जड़ी  बूंटीयों की चाय पीई जाती है . वे लोग कितने स्वस्थ रहते हैं !
                इसे घर में लगाने से वास्तुदोष समाप्त होते हैं और ग्रहों की शान्ति होती है . क्यों न अपने घरों में इसे उगाकर हम इसका भरपूर लाभ उठाएँ .

  
लाजवंती ( touch me not )
छुईमुई का पौधा एक विशेष पौधा है .इसके गुलाबी फूल बहुत सुन्दर लगते हैं और  पत्ते तो छूते ही मुरझा जाते हैं . इसे लाजवंती भी कहते हैं . अगर खांसी हो तो इसके जड़ के टुकड़ों के माला बना कर गले में पहन लो . हैरानी की बात है कि जड़ के टुकड़े त्वचा को छूते रहें ; बस इतने भर से गला ठीक हो जाता है . इसके अलावा इसकी जड़ घिसकर शहद में मिलाये . इसको चाटने से , या फिर वैसे ही इसकी जड़ चूसने से खांसी ठीक होती है . इसकी पत्तियां चबाने से भी गले में आराम आता है .
                               स्तन में गाँठ या कैंसर की सम्भावना हो तो , इसकी जड़ और अश्वगंधा की जड़ घिसकर लगाएँ . इसका मुख्य गुण संकोचन का है . इसलिए अगर कहीं भी मांस का ढीलापन है तो , इसकी जड़ का गाढ़ा सा काढा बनाकर वैसलीन में मिला लें और मालिश करें . anus बाहर आता है तो toilet के बाद मालिश करें . uterus बाहर  आता  है  तो  , पत्तियां पीसकर रुई से उस स्थान को धोएँ . hydrocele  की समस्या हो या सूजन हो तो पत्तोयों को उबालकर सेक करें या पत्तियां पीसकर लेप करें . हृदय या kidney बढ़ गए हैं, उन्हें shrink करना है , तो इस पौधे को पूरा सुखाकर , इसके पाँचों अंगों (पंचांग ) का 5 ग्राम 400 ग्राम पानी में उबालें . जब रह जाए एक चोथाई, तो सवेरे खाली पेट पी लें .
                      यदि bleeding हो रही है piles की या periods की या फिर दस्तों की , तो इसकी 3-4 ग्राम जड़ पीसकर उसे दही में मिलाकर प्रात:काल ले लें ,या इसके पांच ग्राम पंचांग का काढ़ा पीएँ. Goitre  की या tonsil की परेशानी हो तो , इसकी पत्तियों को पीसकर गले पर लेप करें . Uterus में कोई विकार है तो , इसके एक ग्राम बीज सवेरे खाली पेट लें .अगर  diabetes है तो इसका 5 ग्राम पंचांग का पावडर सवेरे लें . पथरी किसी भी तरह की है तो , इसके 5 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीएँ . पेशाब रुक - रुक कर आता है या कहीं पर भी सूजन या गाँठ है तो इसके 5 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीएँ
                  यह पौधा बहुत गुणवान है और बहुत विनम्र भी ; तभी तो इतना शर्माता है . आप भी इसे लजाते हुए  देख सकते है . बस अपने गमले में लगाइए और पत्तियों को छू भर दीजिये . 
                                 

     
आइए हज़ूर ; खाइए खजूर !

खजूर केवल स्वादिष्ट ही नहीं होता ; कफ और बलगम को भी खत्म करता है . 10-15 खजूरों को, बीज निकालकर दूध में पकाएँ और पी लें . इससे कमजोरी भी मिटेगी. शुक्राणुक्षीणता की समस्या भी ठीक होगी .  Prostate या kidney की समस्या हो तो चार पांच छुहारे ( सूखी खजूर ) रात को भिगोकर सवेरे खाली पेट चबा चबाकर खाएं . खजूर रक्त शोधक होता है और रक्त को बढाता भी है .
                                   खजूर पेट साफ़ करने में सहायक होता है . बच्चे बिस्तर में पेशाब करते हों तो खजूर वाला दूध दें .पेशाब कम आता हो तो इसके पेड़ की पत्तियां कूटकर , मिश्री मिलाकर शर्बत की तरह पीयें . इस शर्बत को पीने से ताकत भी आती है . प्रमेह की बीमारी में इसके 3-4 पत्तों का शरबत 15-20 दिन पीयें . दमा के रोगी भी खजूर को दूध में पकाकर ले सकते हैं . अगर बवासीर की बीमारी हो तो खजूर बहुत कम खाने चाहिए . वैसे भी बहुत अधिक खजूर नहीं खाने चाहिएँ , क्योकि इसका पाचन मुश्किल होता है .


मेंहदी रंग लाएगी !
मेंहदी का नाम सुनते ही मुझे तो सावन की तीज का त्यौहार याद आता है . लेकिन आजकल मेंहदी बालों को रंगने के लिए ज्यादा प्रयोग में लाई जाती है. लोहे की काली कढ़ाई में मेंहदी+भृंगराज+आंवला +रतनजोत मिलाकर रात को भिगो दें . सवेरे इसमें थोडा Aloe Vera का गूदा अच्छे से मिला कर बालों में लगा कर छोड़ दें . कुछ घंटों बाद सिर धोएँ . बाल मज़बूत होंगे , अच्छा रंग चढ़ेगा और सबसे अच्छी बात यह है कि यह सिरदर्द और आँखों के लिए भी अच्छा नुस्खा है . अगर बिलकुल काले रंग के बाल करने हैं , तो नील के पत्ते भी पीसकर मिला दें .
         अगर अरंड के पत्तों के साथ मेंहदी की पत्तियों को पीसकर तेल में पकाकर, थोड़ा भूनकर घुटनों पर बाँधा जाए , तो दर्द में आराम मिलता है . अगर मुंह में छाले हो गये हों तो इसके पत्तों को पानी में उबालकर कुल्ले करें , या पत्तियों को मुंह में थोड़ी देर चबाएं और थूक दें . छाले ठीक हो जायेंगे . यदि E.S.R. बढ़ गया है, शरीर में pus cells बढ़ गए हैं  ; prostate बढ़ गया है या पथरी की शिकायत है  ; तो मेंहदी की  2-3 ग्राम छाल और 2-3 ग्राम पत्तियां लेकर उसे 200 ग्राम पानी में पकाएं . जब आधा रह जाए तो खाली पेट पी लें .
                              अगर मूर्छा आती हो , तो कुछ पत्तों का शरबत तुरंत पीयें ; आराम मिलेगा . गर्मी बहुत ज्यादा लगती हो या पीलिया हो गया हो तो 3-4 ग्राम पत्तियां लेकर पीस लें और 300-400 ग्राम पानी में रात को मिटटी के बर्तन में भिगो दें . सवेरे इसमें मिश्री मिलाकर खाली पेट पीयें . इससे hormones का असंतुलन भी ठीक होता है. मेहंदी को शरीर पर लेप करने मात्र से हारमोन संतुलित होने लगते हैं . इसका लेप लगाने से और पत्तों का शरबत पीने से पसीने का हथेलियों पर आना , और पसीने की बदबू आदि खत्म हो जाते  हैं . 
                                     हाथ में जलन होती हो , पसीना अधिक आता हो , बिवाई बहुत फटती हों तो इसके पत्ते पीस कर लेप करें . सिरदर्द रहता हो तो इसमें तुलसी के पत्ते मिलाकर माथे पर लेप करें . मेंहदी का तेल भी सिर के लिए बहुत अच्छा है . इसके लिए इसके 750 ग्राम पत्ते +250 ग्राम बीज +250 ग्राम इसकी छाल लेकर 4 किलो पानी में पकाएं  . यह धीमी आंच पर पकाना है . जब एक चौथाई रह जाए , तो उसमें एक किलो सरसों का तेल मिला लें . फिर धीमी आंच पर पकाएं . जब केवल तेल रह जाए ; तो छानकर शीशी में भर लें . यह तेल बालों के लिए, आँखों के लिए और सिरदर्द के लिए बहुत ही बढिया है .
                                 त्वचा के सभी रोगों के लिए, चाहे वह eczema हो या psoriasis ; पैर की अँगुलियों के बीच में गलन हो , या फुंसियाँ हो ; सभी के लिए मेंहदी और नीम के पत्ते पीसकर लगाइए . आँखों में लाली हो या दर्द हो या फिर जलन हो, तो इसके पत्तों को पीसकर लुगदी  बनाएँ , आँखें बंद करके इस टिकिया को रखें और पट्टी बांध कर लेट जाएँ . चाहे तो रात को बांधकर सो जाएँ .
                     और जब मेंहदी लगाई जाए गोरे गोरे हाथों पर; तो हथेलियों की सुन्दरता में चार चाँद लग जाते हैं!


भांग (cannabis)

होली पर भांग के पकौड़े बनाने व् खाने का प्रचलन है . शिवजी को भी भांग घोटकर पीते हुए दिखाया जाता है .  वास्तव में भांग नशे की वस्तु नही, अपितु श्रेष्ठ औषधि है ।
          हिस्टीरिया के दौरे पड़ते हों तो भांग में थोडा हींग मिलाकर मटर के बराबर गोली सवेरे शाम लें । सिर दर्द ठीक करने के लिए भांग के पत्तों की लुगदी को सूंघें । इसके पत्तों के रस की दो -दो बूँद नाक में डालें ।इससे भी सिर दर्द ठीक हो जाता है ।
                                           अगर colitis हो या amoebisis हो  तो कच्ची बेल का चूर्ण +सौंफ +भांग का चूर्ण बराबर मात्रा में मिला लें . एक एक चम्मच सवेरे शाम लें ।  नींद न आती हो या दौरे पड़ते हों तो , ब्राह्मी , शंखपुष्पी ,सौंफ और भांग बराबर मात्रा में लेकर , एक एक चम्मच सवेरे शाम लें . migraine होने पर ये चूर्ण भी लें तथा भांग पीसकर माथे पर लेप करें ।  इसका पावडर रात को सूंघने मात्र से ही अच्छी नींद आती है ।
                                                               नींद न आती हो तो 5 ग्राम भांग के पावडर में 1-2 ग्राम सर्पगन्धा का पावडर मिलाकर रात को सोते समय लें ।  सिरदर्द में इसका दो बूँद रस नाक में डालें या पावडर सूंघें . हिस्टीरिया में भी इसका पावडर लाभ करता है . शक्ति प्राप्त करने   के लिए इसके बीज का पावडर एक -एक चम्मच सवेरे लें .   

                  sinusitis हो तो इसके पत्तों की तीन तीन बूँद नाक में टपका लें . कान में दर्द हो तो दो बूँद कान में भी डाल सकते हैं .कमजोरी हो तो इसके बीज पीसकर पानी के साथ या दूध के साथ लें . जोड़ों का दर्द हो तो इसके बीजों को सरसों के तेल में पकाकर उस तेल से मालिश करें .इसके अतिरिक्त भांग  के बीजों का पावडर एक चम्मच पानी के साथ लें . अगर कोई कीड़ा काट गया है , या फिर घाव हो गया है ; तो इसके पत्तों के काढ़े में सेंधा नमक मिलाकर उस जगह को अच्छे धोएं और उस पर डालते रहें . तो भांग  नशे की वस्तु नहीं बल्कि दवाई है
                    यह वायुमंडल को भी शुद्ध करती है . विषैली जड़ी बूटियों को भी खेत में पैदा नहीं होने देती . इसे खेत में लगाने से गाजर घास जैसी खरपतवार भी स्वयं समाप्त हो जाती है . यह  शरीर के भी विषैले तत्व खत्म करती है . पहाडी क्षेत्रों में तो इसके बीजों को शक्ति प्राप्त करने के लिए नाश्ते में भी लिया जाता है ।




. अंजीर ( fig) रोगनिवारक मेवा !
अंजीर का फल जितना खाने में स्वादिष्ट लगता है ; उतना ही गुणों से भी भरपूर है. अगर दुर्बलता है तो दो अंजीर रात को थोड़े पानी में भिगो दें . सवेरे पहले पानी पी लें . फिर अंजीर को चबा चबा कर खाएं . हृदय रोगी या निम्न रक्तचाप वाले भी यही प्रयोग कर सकते हैं . अगर सूखा अंजीर खाया जाए तो इसकी तासीर गर्म होती है , लेकिन कुछ देर भिगो देने पर तासीर ठंडी हो जाती है .लीवर ठीक नहीं है , हीमोग्लोबिन कम है या पाचन शक्ति कम हो गयी है ; तब भी यह भरपूर फायदा करता है . अगर constipation है तो इसे लेने से पेट साफ़ हो जाता है .

                   खांसी होने पर अंजीर , मुलेठी और तुलसी मिलाकर काढ़ा लिया जा सकता है .श्वास रोग हो तब भी इसे खा सकते हैं यह नुक्सान नहीं करती . periods irregular हों तो दशमूलारिष्ट के साथ साथ अंजीर भी लेते रहें . अगर पीलिया हो गया है तो सर्वक्ल्प क्वाथ में अंजीर डालकर काढ़ा बनाएं . पीलिया बहुत जल्द ठीक होगा ..इसके रोज़ लेने से फोड़े फुंसी भी नही होते . चेहरे की कांति बढ़ती है . उर्जा आती है . आप आत्मविश्वास से परिपूर्ण हो जाते हैं . है न मज़े की बात मेवा की मेवा और लाभ अनगिनत 



धनिया (coriander)

धनिया पत्ते के रूप में भी लिया जाता है और इसके दाने भी खाए जाते हैं . यह खुशबूदार भी है और औषधि का कार्य भी करता है . अगर bleeding ज्यादा हो रही हो धनिए के पत्तों का चार पांच चम्मच जूस थोडा कपूर मिलाकर ले लें . अगर गले में दर्द है , तो धनिया और काली मिर्च चूस लें . अगर सिरदर्द या acidity से परेशानी है तो एक चम्मच धनिया पावडर +एक चम्मच आंवले का पावडर +शहद रात को एक मिटटी के बर्तन में भिगो दें . सवेरे मसलकर पी लें . प्रतिदिन ऐसा करने से कुछ समय बाद दोनों परेशानी दूर हो जाती हैं .
                  यदि पसीने से दुर्गन्ध आती हो तो तीन ग्राम धनिया +पांच ग्राम आंवला +कालीमिर्च मिलाकर पानी के साथ ले लें . बदबू आनी बंद हो जायेगी . acidity . खट्टी डकार ,ulcer या gastric trouble हो तो धनिया पावडर एक चम्मच खाली पेट ले लें . जोड़ों का दर्द होने पर मेथी , अजवायन के साथ भुने हुए धनिए का पावडर मिला दें और एक चम्मच गुनगुने पानी के साथ लें . छोटे बच्चे को खांसी हो तो धनिया पावडर भूनकर शहद के साथ चटा दो.
                         मुख से दुर्गन्ध आती हो या गले का infection हो तो आठ दस धनिए के दाने चूसते रहो . इससे पेट भी ठीक रहेगा . आँख में जलन है तो ,ताज़े आंवले के या सूखे आंवले के चार पांच टुकड़े और कुछ दाने धनिए के एक कप पानी में डालकर रात को भिगो दें . सवेरे इस पानी से आँख धोएं .
               pregnency  में उल्टी आती हो तो धनिए का पावडर और मिश्री मिलाकर एक चम्मच पानी या दूध के साथ लें . चेहरे पर झाइयाँ हों तो इसकी पत्तियां पीसकर चेहरे पर मलें . पेशाब में जलन हो या रुक रुक कर आ रहा हो तो , थोडा आंवला और धनिए का पावडर रात को भिगोकर सवेरे ले लें . छोटे बच्चे को पेट दर्द या अफारा हो तो एक ग्राम धनिया पानी में भिगो कर थोड़ी देर में पिला दें . बच्चे को गर्मी से बुखार हो या भूख न लगती हो तो एक ग्राम धनिए को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पिला दें . काढ़ा मतलब कि आधा पानी कढ जाए या उड़ जाए तो बचा हुआ solution छानकर दे दें .  इसे बड़े थोड़ी अधिक मात्रा में ले सकते हैं.
       रसोई में रखा धनिया मसाला ही नहीं ; दवाई भी है .

रत्ती या गुंजा (abrus precatorius)





इसकी जड़ चूसो तो गला ठीक रहता है . और पत्तियां चबाने से मुख में दुर्गन्ध नहीं रहती . मुंह के छाले भी ठीक होते हैं . ये वही रत्ती है जो पहले माप तोल में काम में लाई जाती थी . इसे गुंजा भी कहते हैं और इसकी माला भी पहनते हैं. माला पहनने का भी औषधीय लाभ होता है. इसकी  लता को आराम से कहीं पर भी उगा सकते हैं.      

     

जोंक (leech) ; प्राकृतिक शल्य चिकित्सक


क्या आप जानते हैं की इस चित्र में क्या हो रहा है ?यह कहा जाए कि शल्य चिकित्सा हो रही है; तो शायद आप हैरान हो जाएँ . अगर कहा जाए कि जोंक हमारे प्राकृतिक शल्य चिकित्सक हैं ; तो गलत न होगा .

                            माँ बताती थी कि पहले ज़माने में अगर किसी की त्वचा खराब हो गई होती ,या सूजन होती या फिर त्वचा गल जाती ; तो वे लोग जोंक लगवाते थे और ठीक भी हो जाते थे . माँ के दादाजी भी अक्सर जोंक वाले को बुला कर जोंक लगवाते थे ; क्योंकि उनके हाथ की अँगुलियों में खूब खुजली होती थी . उसके बाद उंगलियाँ इतनी अधिक सूज जाती थी कि वे स्वयं अपने हाथ से रोटी भी नहीं खा पाते थे. माँ कहती थी कि जोंक लगवाने के बाद उनको बहुत आराम आता था . अंगुलियाँ बिलकुल ठीक हो जाती थी . मैं यह सुनकर विश्वास सा नही कर पाती थी और यह भी सोचती थी की जोंक तो खून में एक hirudin नाम का पदार्थ डाल देती है . जिससे कि खून बहता रहता है. तो कितना खून तो व्यर्थ ही बह जाया करता होगा . क्या फायदा होता होगा इस सब का ?
                 लेकिन मैंने एक पत्रिका में जब इस चिकित्सा के बारे में पढ़ा , तो मैं हैरान हो गई . आयुर्वेद के आविष्कर्ता भगवान धन्वन्तरी के चार हाथ दिखाए जाते हैं . इनमे से उनके बांये हाथ में उन्हें जोंक पकडे हुए दिखाया जाता है . अर्थात जोंक भगवान धन्वन्तरी का शल्य चिकित्सक है . सुश्रुत संहिता में कई बीमारियों में जोंक द्वारा उपचार का उल्लेख है . उदहारण के तौर पर ठीक न होने वाले ulcer, शुगर के मरीजों के घाव , vericose ulcer , गठिया , psoriasis या साँप या किसी अन्य ज़हरीले कीड़े के काटने पर जोंक चिकित्सा का बहुत इस्तेमाल हुआ करता था. बनारस हिन्दू यूनीवर्सिटी में internal medicine department में जोंक चिकित्सा 2005 में प्रारम्भ की गई . वाराणसी या बनारस में एक जोंक 25 - 35 रूपये में मिलती है . जोंक शरीर का अशुद्ध रक्त चूसकर , शरीर में hirudin नाम का peptide डाल देती है . यह hirudin खून में थक्के जमने से रोकता है और खून के पहले से बने थक्कों को घोल देता है . इसके कारण खून शुद्ध हो जाता है ; खून का संचार तेज़ी से हो पता है . इससे शरीर में अधिक ऑक्सीजन वाला खून बहता है , जिससे कि शरीर के स्वस्थ होने की क्षमता बढ़ जाती है . यह बात बंगलौर के अस्पताल के एक बड़े डाक्टर ने बताई .
                              कर्नाटक के कबड्डी के खिलाड़ी जी. रामकृष्णन 72 वर्ष के हैं . उनके पैर के अंगूठे पर उबलता हुआ पानी गिर गया . अंगूठा इतनी बुरी तरह जल गया कि डाक्टर ने उसे काटने की सलाह दी . अंगूठे के नीचे एक न ठीक होने वाला ulcer बन गया . इससे पूरा पैर नीचे से सूज गया और शरीर का तापमान भी बढ़ गया . उनसे चला तक नहीं जाता था . वहाँ के आयुर्वेदिक अस्पताल में जोंक चिकित्सा की गई . इससे उनका दर्द और सूजन बहुत कम हो गई . और वे चल भी लेते हैं . कुछ महीने में ही वे पूरी तरह स्वस्थ हो जाएँगे .
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                आयुर्वेद में जोंक शल्य चिकित्सा का द्योतक है . द्योतक क्या है ; मेरे विचार से जोंक पूर्ण रूप से शल्य चिकित्सक है . केवल शल्य चिकित्सक ही नहीं anaesthetist  भी है . यह रक्त चूसती है तो दर्द नहीं होता . क्या आप भी मुझसे सहमत हैं ?  

पालक (spinach)


          पालक लगभग बारहों महीने मिलता है . इससे हीमोग्लोबिन बढ़ता है . दस  पन्द्रह पालक के पत्तों का रस और एक सेब का रस मिलाकर लेने से रक्त की कमी नही रहती . पालक के सूप से ताकत आती है . अगर जड़ समेत पालक को कूट कर बीस पच्चीस मीo लीo रस खाली पेट सुबह ले लो तो पथरी चाहे कहीं की भी क्यों न हो ; खत्म हो जाती है.              
              आँतों में सूजन, अल्सर हो तो पालक नहीं लेना चाहिए . गले में दर्द हो तो पालक थोडा सा लें , उसे उबालें और उसमें नमक डालकर गरारे करें . चेहरे की कान्तिके लिए इसकी पत्तियों का रस चेहरे पर मलें . पेशाब खुलकर न आ रहा हो तो भी यह लाभदायक है .  पालक के थोड़े से रस में पानी और चीनी मिलाकर शरबत बनायें . गर्मी भी भागेगी और iron भी मिलेगा . ऐसा कहा जाता है कि pregnancy में इसे नहीं खाना चाहिए . शायद इससे नवजात शिशु के वर्ण पर कुछ असर होता हो

मेथी (fenugreek)

 मेथी हमारी रसोई का महत्वपूर्ण मसाला है . और मेथी के पत्तों के परांठे किसको पसंद नहीं हैं . नाम सुनते ही इसकी खुशबू का आभास होने लगता है . इसके औषधीय गुण सुनकर तो आप हैरान ही हो जाएँगे. कफ या बलगम की शिकायत है तो मेथी की रोटी में अदरक भी मिला लें और खाएं . एडी घुटनों या पिंडलियों का दर्द है तो मेथी के पत्तों को steam करके बाँध दें और ऊपर कपडा लपेट दें . सवेरे तक दर्द में कितना आराम होगा ; यह देखकर आप हैरान हो जाएँगे . सूजन काफी हद तक खत्म हो जायेगी . चेहरे की चमक बढानी है तो पत्ते पीसकर चेहरे पर लगाओ .
                                     इसके दानों का सेवन वायु को हरता है . शुगर की बीमारी में या arthritis में एक डेढ़ चम्मच मेथी रात को भिगोकर सवेरे चबा चबाकर खाएं और बाद में वह पानी भी पी लें . यदि सिरदर्द या migraine का दर्द हो तब भी यही प्रयोग लाभदायक है . पेट में संक्रमण हो या delivery के बाद मेथी और अजवायन को मिलाकर बनाया हुआ काढ़ा लिया जा सकता है .sciatica या arthritis में हल्दी , मेथी और सौंठ को बराबर मात्रा में मिलाकर एक -एक चम्मच सवेरे शाम ले लें .
                                        सर्दी ,जुकाम होने पर मेथी दानों को अंकुरित करके भोजन के साथ लें . दूध आराम से पचता न हो तो मेथी दाने को भूनकर रख दें . इसे पीस लें . जब भी दूध पीना हो तब एक चम्मच मिला लें . इससे गैस भी नहीं बनेगी और दूध भी अच्छी तरह पचेगा . कद्दू की सब्जी में भी तो इसे इसीलिए डालते हैं . खुशबू की खुशबू और फायदा अलग से . यानि आम के आम गुठलियों के दाम !

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