: औषधीय पौधे हमारे जीवन का अहम हिस्सा हैं। सदियों से हम विभिन्न विकारों के इलाज के लिए औषधीय पौधों का उपयोग करते आ रहे हैं। गिलोय और तिल में कई बीमारियों का इलाज छिपा है। ये बिना किसी साइड इफेक्ट के हमारी कई समस्याएं हल करते हैं, जैसे सफेद बाल, कब्ज़, डायबिटीज़, वज़न बढ़ना। यह बात अलग है कि 21वीं सदी में आर्टिफिशल और केमिकल्स वाली दवाओं ( एलोपैथिक ड्रग्स) ने बहुत हद तक आम जनों का घरेलू और पारंपरिक उपचार पद्धतियों से विश्वास कम कर दिया। खैर, वजहें जो भी हैं, लेकिन सच यही है कि इस भागती-दौड़ती ज़िंदगी में हर व्यक्ति रफ्तार से चुस्त- दुरुस्त होना चाहता है। एलोपैथिक ड्रग्स कुछ समय के लिए ऐसा संभव भी कर देती हैं, लेकिन इन ड्रग्स के साइड इफेक्ट्स का भुगतान शरीर को किस हद तक करना पड़ सकता है, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। खैर, आज हम आपको कुछ ऐसे नुस्खे सुझा रहे हैं जो कि पूर्ण प्राकृतिक होने के अलावा आपकी सेहत दुरुस्त करने में भी महत्वपूर्ण हैं।
तिल के बारे में
तिल अपने बीजों की वजह से प्रचलित पौधा है। इसके बीजों से खाद्य तेल प्राप्त होता है। काले तिल का उपयोग औषधि के रूप में गुणकारी माना गया है। इसके तेल में प्रोटीन, सिसेमोलिन, लाइपेज, पामिटिक, लिनोलीक एसिड और कई प्रकार के ग्लिसराइडस पाए जाते हैं।
काले बालों और रूसी मिटाने के लिए
आदिवासियों के अनुसार तिल की जड़ और पत्तों का काढ़ा बना लिया जाए और इससे बालों को धोया जाए, तो बालों का रंग काला हो जाता है। डांगी आदिवासियों की मानी जाए, तो तिल के तेल को प्रतिदिन बालों में लगाने से बाल काले हो जाते हैं और इनका झड़ने का क्रम रुक जाता है। साथ ही रूसी से भी छुटकारा मिलता है।
गिलोय के बारे में
गिलोय एक बेल है जो अन्य पेड़ों पर चढ़ती है और इसे संपूर्ण भारत में उगता हुआ देखा जा सकता है। आयुर्वेद में इस पौधे का जिक्र अक्सर देखा जा सकता है। गिलोय को गुडूची के नाम से भी जाना जाता है। इसके प्रमुख रसायनों में गिलोइन नामक कड़वा ग्लूकोसाइड, वसा अल्कोहल ग्लिस्टेराल, बर्बेरिन एल्केलाइड, वसा अम्ल एवं उड़नशील तेल पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस और तने में स्टार्च भी मिलता है।
कब्ज़ की समस्या दूर
गुड़ के साथ गिलोय का सेवन करने से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है। पातालकोट के आदिवासी मानते हैं कि गिलोय के तने और बबूल की फल्लियों के चूर्ण की समान मात्रा सुबह-शाम मंजन की तरह उपयोग में लाई जाए, तो दांतों को ठंड या झुनझुनी लगना बंद हो जाता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें