शुक्रवार, 20 मार्च 2015

आलू खाने से वज़न बढ़ता नहीं, बल्कि घटता है, ये हैं इसे खाने के फायदे


: भारत में आलू और इसकी सब्ज़ी, चिप्स, कचौड़ी, फ्रेंचफ्राइस लोगों को बहुत पसंद आते हैं, लेकिन अधिक चर्बी वाला समझकर, लोग इसे खाने से परहेज़ करते हैं। ऐसा नहीं है कि आलू मोटापा बढ़ाता है। इसमें विटामिन सी, विटामिन बी, आयरन, कैल्शियम और फॉस्फोरस पाए जाते हैं। आलू स्किन हेल्थ के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
पारंपरिक तौर पर आलू का इस्तेमाल आदिवासी सदियों से करते आ रहे हैं। मध्यप्रदेश के पातालकोट घाटी और गुजरात के डांग जिले में आदिवासी आलू को सब्जी के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। चलिए जानते हैं 10 आदिवासी हर्बल फॉर्मूलों के बारे में।
वजन कम करने में सहायक
उबले आलुओं पर हल्का-सा नमक छिड़क दिया जाए और उस व्यक्ति को दिया जाए जो वजन कम करना चाहता है, तो फायदा पहुंचता है। आदिवासियों के अनुसार ये सही नहीं है कि आलू मोटापा बढ़ाता है।
वज़न आलुओं की वजह से नहीं बढ़ता, बल्कि आलू को तलने के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले तेल, घी आदि से बढ़ता है। कच्चे आलू या आलू जिसे तेल, घी आदि के बगैर पकाया जाए, तो वज़न कम करने में मदद मिलती है, क्योंकि इसमें कैलोरी के नाम पर कुछ खास नहीं होता है।
पेट के छालों के लिए कारगर फॉर्मूला
मध्यम आकार के आलू का रस तैयार किया जाए और करीब एक गिलास मात्रा का रस प्रतिदिन सवेरे लिया जाए, तो पाचन तंत्र ठीक होने लगता है। इस रस के सेवन से एसिडिटी नियंत्रण में भी जबरदस्त फायदा होता है। आदिवासियों की मान्यता है कि यह रस पेट के छालों के लिए भी बेहद कारगर फॉर्मूला है।
अन्य लाभ:- ब्लड प्रेशर कंट्रोल करता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, घाव और छाले ठीक करता है, नींद न आने की समस्या दूर होती है, मस्से खुद टूट जाते हैं, बवासीर में आराम मिलता है, एनीमिया से बचाता है, सुंदर त्वचा के लिए फायदेमंद, बालों को मजबूत बनाता है।

बुधवार, 18 मार्च 2015

स्नान के लिए प्राकृतिक घरेलु पाउडर सुन्नी पिंडी बनाने की विधि


बाजार में कई पाउडर उपलब्ध हैं पर सुन्नी पिंडी एक ऐसी पारंपरिक पाउडर है जो आंध्र प्रदेश के लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाती है| यह त्वचा से मृत कोशिकाएं हटाकर उसे मुलायम करने में मदद करती है| कई घरों में यह पाउडर साबुन की जगह पर इस्तेमाल की जाती है|

सुन्नी पिंडी
सामग्री

    हरे चने का आटा – २५० ग्राम
    चने की दाल – २५० ग्राम
    काबुली चना – २५० ग्राम
    ताज़ी पीसी हुई हल्दी – २५ ग्राम
    मुलतानी मिटटी – २०० ग्राम
    गुलाब की पंखुड़ियों का पाउडर – ३० ग्राम
    संतरे के छिलके का पाउडर – ३० ग्राम
    नीम के पत्तों का पाउडर – ३० ग्राम
    शती – ३० ग्राम
    चावल का आटा – ३० ग्राम
    गेहू का आटा – ३० ग्राम
    तुलसी का पाउडर – १० ग्राम
    ४-५ बादाम
    १ बड़ा चम्मच मेथी के बीज

ऊपर दी गयी सामग्री में से जितनी उपलब्ध हो वह इस्तेमाल की जा सकती है| इनसे मिश्रण को अच्छी खुशबु मिलती है और यह त्वचा से सभी प्रकार के दाग धब्बे मिटाकर मृत कोशिकाओं को हटाता है| यह सामग्री किसी भी आयुर्वेदिक भंडार या किराने की दूकान पर आसानी से मिल सकती है|

    हरे चने का आटा, चने की दाल का आटा और काबुली चने का आटा त्वचा से धुल, मिटटी, लगाया हुआ तेल और अतिरिक्त पानी हटाते हैं|
    मेथी के बीज मिश्रण के सभी घटकों को बांधे रखते हैं|
    नींबू से त्वचा पर से गहरे रंग की परत हटती है| तुलसी और नीम त्वचा की कई बिमारियों से रक्षा करते हैं|
    शती और गुलाब की पंखुड़ियाँ सुन्नी पिंडी के मिश्रण को अच्छी खुशबु देते हैं जिस कारण आप इस फेस पैक को घंटो तक अपने चेहरे पर सहन कर सकें|

सुन्नी पिंडी बनाने की विधि

    ताजा हरे चने, चना दाल और काबुली चने लेकर उन्हें धुप में २ दिन के लिए सुखाएं| फिर उन्हें पीसकर आटा बना लें| घर के मिक्सर के ब्लेड को नुकसान से बचाने के लिए बाहर की चक्की में पिसवाने की सलाह है|
    हरे चने का आटा, चने की दाल का आटा, काबुली चने का आटा, हल्दी और अन्य सामग्री मिलाकर यह मिश्रण कांच के बर्तन में अच्छी तरह से ढक्कन लगाकर संग्रहित करें|

इस्तेमाल करने का तरिका

    सुन्नी पिंडी को पानी, दूध, नींबू का रस, मसली हुई ककड़ी, टमाटर का रस या दही इनमे से किसी एक में मिलाएं और पेस्ट बनाएं|
    जिस भाग पर आपको सुन्नी पिंडी लगानी हो उस पर तील का तेल, नारियाल का तेल, जैतून का तेल या सरसों का तेल इनमे से किसी एक तेल से मालिश करें|
    तेल लगाने से सुन्नी पिंडी त्वचा से अच्छी तरह से चिपक जाती है|
    सुन्नी पिंडी को त्वचा पर सूखने के लिए छोड़ दें और सूखने पर पानी से धो डालें|
    सुन्नी पिंडी आपकी त्वचा से धुल, मिटटी हटाकर मृत कोशिकाओं को भी निकालती है| इससे आपकी त्वचा मुलायम, साफ़ और उजली दिखती है|
    सुन्नी पिंडी त्वचा में खून के बहाव को नियमित करती है|

अगर रोज संभव न हो तो हफ्ते में एक बार सुन्नी पिंडी का उपचार करें और अपनी त्वचा को साफ़ सुथरी और मुलायम पायें|

कुंदरू के सेवन से उतर जाता है चश्मा, लाल भाजी से बढ़ते हैं ब्लड प्लेटलेट्स


: कुंदरू की जड़ों, तनों और पत्तियों में कई गुण हैं। ये चर्म रोगों, जुकाम, फेफड़ों के शोथ तथा डायबिटीज़ में लाभदायक बताया गया है। इसके अलावा अगर आप अपने खान-पान में सुधार करके आंखों से चश्मा हटाना चाहते हैं, तो भी कुंदरू का सेवन लाभ पहुंचाता है। कुंदरू के अलावा ऐसे कई आहार हैं, जिनके नियमित सेवन से हम स्वस्थ ज़िंदगी जी सकते हैं। इन आहारों को आदिवासी अपने भोजन में ज़रूर शामिल करते हैं।
आदिवासी भोजन और उसके गुण:
आदिकाल से ही वनस्पतियां मनुष्यों और जंतुओं के आहार का मुख्य स्त्रोत रही हैं। ग्रामीण, आदिवासी और वनांचलों के नजदीक रहने वाले लोग हमेशा से विभिन्न प्रकार की वन संपदाओं को ही अपना आहार अंग बनाए हुए हैं। एक तरफ हमारे गांव और जंगल हैं, वहीं दूसरी तरफ तथाकथित विकसित समाज है जिसने ज्यादा विकसित होने की दौड़ में अपने लालन-पालन में पोषक तत्वों को कहीं खो दिया है। पिछले दो दशकों में विश्व के तमाम बड़े वैज्ञानिकों ने अपनी शोध से ये साबित भी किया है कि आदिवासियों के प्राकृतिक आहार को अगर आज की दौड़ भरी जिंदगी में लोग अपना लें, तो सूक्ष्म तत्वों की कमी से होने वाले अनेक रोगों की छुट्टी हो सकती है। आइए हम भी जानते हैं कुछ ऐसे ही आहार के बारे में जो हम सभी की बेहतर सेहत के लिए रामबाण साबित हो सकते हैं।

चश्मा हटाए कुंदरू का सेवन
आदिवासियों के अनुसार कुंदरू के फल की अधकच्ची सब्जी लगातार कुछ दिनों तक खाने से आखों से चश्मा तक उतर जाता है। साथ ही माना जाता है कि इसकी सब्जी के निरंतर उपभोग से बाल झड़ने का क्रम बंद हो जाता है। यह गंजेपन से भी बचा जा सकता है।
ब्लड प्लेटलेट्स बढ़ाता है हरा और लाल साग
आदिवासियों के भोजन में हरी पत्तियों वाली साग-भाजियों की भरमार होती है। आदिवासियों के अनुसार शरीर में ताकत और चपलता बढ़ाने के लिए लाल भाजी बड़ी ही महत्वपूर्ण है, जबकि कुल्थी, डोमा और चौलाई जैसी भाजियां रक्त के लाल कणों (RBC) की संख्या बढ़ाने के साथ ब्लड प्लेटलेट्स को भी बढ़ाते हैं। यानी आपकी ताकत बढ़ाने और आपको स्वस्थ रखने की ताकत इन भाजियों में समाहित है।

मंगलवार, 17 मार्च 2015

स्तन कैंसर रोकती है पत्ता गोभी,चुकंदर दवाओं के साइड इफेक्ट्स करता है कम



 महिलाओं में स्तन कैंसर जैसी घातक बीमारी से निपटने के लिए इन आठ वनस्पतियों को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इन आठ वनस्पतियों और इनमें पाए जाने वाले रसायनों पर औषधि विज्ञान जगत में जबरदस्त शोध जारी है। चलिए आज जिक्र करते हैं इन्हीं आठ वनस्पतियों के बारे में और जानते हैं कि आखिर क्या कहती है मॉडर्न रिसर्च। साथ ही ये भी जानते हैं कि किस तरह ये वनस्पतियां महिलाओं में स्तन कैंसर को रोक सकती हैं या उपचार करने में कारगर साबित हो सकती हैं।
पत्ता गोभी: इंडोल-3-कार्बिनोल नामक रसायन पत्ता गोभी में काफी मात्रा में पाया जाता है। आधुनिक शोधों से जानकारी मिलती है कि यह रसायन स्तन कैंसर होने की संभावनाओं को काफी हद तक कम करता है।
चुकंदर: लाल चुकंदर का काढ़ा मल्टी ऑर्गन ट्यूमर्स की वृद्धि रोकने में कारगर है। अब वैज्ञानिक इसके काढ़े या जूस को अन्य कैंसर औषधियों के साथ उपयोग में लाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि कैंसर दवाओं के साइड इफेक्ट्स को कम करने में भी मदद मिले।

मसूड़ों की जलन जल्दी होती है दूर, इसकी छाल, बीजों में है कई बीमारियों का इलाज


 गले की खराश, गले में दर्द, मसूड़ों में जलन, अगर आपको ऐसी दिक्कतों का बार-बार सामना करना पड़ रहा है, तो इस पेड़ की छाल, बीज़ों, पत्तों आदि के कई फायदे हो सकते हैं।

लसोड़ा के बारे में:
लसोड़ा को हिन्दी में 'गोंदी' और 'निसोरा' भी कहते हैं। इसके फल सुपारी के बराबर होते हैं। कच्चे लसोड़ा का साग और आचार भी बनाया जाता है। पके हुए लसोड़े मीठे होते हैं और इसके अंदर गोंद की तरह चिकना और मीठा रस होता है। लसोड़ा मध्यभारत के वनों में पाया जाता है। यह एक विशाल पेड़ होता है जिसके पत्ते चिकने होते हैं। आदिवासी अक्सर इसके पत्तों को पान की तरह चबाते हैं। इसकी लकड़ी का इमारतों में उपयोग किया जाता है। इसे रेठु के नाम से भी जाना जाता है। इसका वानस्पतिक नाम कार्डिया डाइकोटोमा है। आदिवासी लसोड़ा का इस्तेमाल अनेक रोग निवारणों के लिए करते हैं। चलिए आज जानते हैं लसोड़ा के बारे में।
मसूड़ों की सूजन में आराम
इसकी छाल की लगभग 200 ग्राम मात्रा लेकर इतनी ही मात्रा पानी के साथ उबाला जाए और जब यह एक चौथाई शेष रहे तो इससे कुल्ला किया जाए, तो मसूड़ों की सूजन, दांतों का दर्द और मुंह के छालों में आराम मिल जाता है।
गले की तमाम समस्याएं होती हैं दूर

छाल के रस को अधिक मात्रा में लेकर इसे उबाला जाए और काढ़ा बनाकर पिया जाए, तो गले की तमाम समस्याएं खत्म हो जाती हैं। लसोड़े की छाल को पानी में उबालकर छान लें। इस पानी से गरारे करने से गले की आवाज़ खुल जाती है।

तोरी के इस तरह सेवन से बाल होते हैं काले, झड़ते हैं मस्से


: उम्र से पहले बालों का सफेद होना आजकल आम बात हो गई है। इसकी वजह है लाइफस्टाइल। समय पर ठीक से ना खाना-पीना, सही से नहीं सोना, जंक फूड खाना। आजकल हम आपको बाल काले करने का ऐसा उपाय बता रहे हैं, जो घर पर आसानी से किया जा सकता है। जी हां, तोरी को ऐसे ऐसे उपचारों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। ये दर्द देने वाले मस्से भी ठीक करती है।
तोरी के बारे में:
तुरई या तोरी एक सब्जी है जिसे लगभग संपूर्ण भारत में उगाया जाता है। तुरई का वानस्पतिक नाम लुफ़्फ़ा एक्युटेंगुला है। तुरई को आदिवासी विभिन्न रोगों के उपचार के लिए उपयोग में लाते हैं। मध्यभारत के आदिवासी इसे सब्जी के तौर पर बड़े चाव से खाते हैं और हर्बल जानकार इसे कई नुस्खों में इस्तमाल भी करते हैं। चलिए आज जानते हैं ऐसे ही कुछ रोचक हर्बल नुस्खों के बारे में।
1- बाल काले करने के लिए
पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार तुरई के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर छांव में सूखा लें। फिर इन सूखे टुकड़ों को नारियल के तेल में मिलाकर 5 दिन तक रख लें। बाद में इसे गर्म कर लें। इस तेल को छानकर प्रतिदिन बालों पर लगाएं और मालिश करें, इससे बाल काले हो जाते हैं।
2- मस्से झड़ते हैं
आधा किलो तुरई को बारीक काटकर 2 लीटर पानी में उबालकर, इसे छान लें। फिर प्राप्त पानी में बैंगन को पका लें। बैंगन पक जाने के बाद इसे घी में भूनकर गुड़ के साथ खाने से बवासीर में बने दर्द और पीड़ा युक्त मस्से झड़ जाते हैं।

अदरक का लेप इस तरह लगाने से 2 दिन में खत्म होता है मोच का असर


 अदरक को कौन नहीं जानता? आम घरों की किचन में पाई जाने वाली अदरक औषधीय गुणों से भरपूर है। यह बहुत जल्द मोच का दर्द खत्म कर देती है, दांतों के दर्द में भी आराम दिलाती है और कब्ज़ जैसी दिक्कत भी भगाती है। सदियों से पारंपरिक तौर पर अदरक को अनेक रोगों के उपचार के लिए अपनाया जाता रहा है। आयुर्वेद में भी अदरक का खूब जिक्र है। अब तक आपने महज़ सर्दी-खांसी के लिए अदरक के कारगर होने की बात सुनी होगी, लेकिन आज हम आपको अदरक के कुछ और अनोखे गुणों के बारे में बताएंगे। साथ ही यह भी बताएंगे कि कैसे आदिवासी हर्बल जानकार अदरक का उपयोग तमाम देसी नुस्खों के लिए करते हैं।

1- मोच का असर खत्म

मोच आ जाए, तो अदरक का लेप लगाकर रख लें। जब लेप सूख जाए, तो इसे साफ करके गुनगुने सरसों के तेल से मालिश करनी चाहिए। दिन में दो बार दो दिनों तक किया जाए, तो मोच का असर खत्म हो जाता है।

2- वज़न बढ़ाने के लिए

जिन लोगों का वज़न कम है और जिन्हें मोटा होने की चाहत है, उन्हें भोजन से 15 मिनट पहले अदरक का एक टुकडा ज़रूर चबाना चाहिए। आदिवासियों के अनुसार अदरक खाने से भूख बढ़ती है।
3- सूजन और दर्द कम
4- दस्त में आराम
5- दातों में दर्द छू-मंतर
6- गैस और कब्ज़ लाभदायक
7- जोड़ दर्द गायब
8- इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए

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