मंगलवार, 5 जुलाई 2022

#Aquarius #Ascendant कुम्भ लग्न

#Aquarius Ascendant कुम्भ लग्न




For Aquarius lagna, the #Moon, #Mars and #Jupiter are evil, only #Venus is auspicious. Mars produces #RajYoga, when gets related to Venus. Jupiter and Mars kill when endowed with Maraka powers. Thus, one should guess the results for Aquarius lagna native.


Jupiter is inauspicious because he owns the 2nd house (Maraka) and 11th house. If he acquires killing powers to a great extent, then he would surely be the killer.


Mars owns the 10th house and as natural malefic owning a Kendra leaves his maleficence and becomes neutral. Again by owning the 3rd house, he becomes inauspicious.


Venus owns the 4th house (Kendra) hence neutral. Venus also owns the 9th house (Trikona) and becomes auspicious. Thus, Venus becomes single lord of a Kendra and Trikona. Hence he is declared #RajYogaKaraka.


#Mercury owns the 8th house therefore he is evil but then he is also the 5th house (Trikona) lord, hence auspicious.


The Moon as the 6th house lord is inauspicious in her #Dasha.


The Sun as the 7th lord turns neutral and #Kendradhipatya Dosha does not occur to him. As a 7th house lord, he is essentially a Maraka, but not endowed with as much Maraka powers as a natural benefic like Jupiter or Venus owns.


#Saturn as the Lagna and 12th house lord gives results only as the Lagna Lord. Saturn placed in the 12th house is more a 12th house lord and hence less auspicious.



यह लेख विश्वजीत बब्बल वैदिक काउंसलर के फेसबुक पोस्ट से लिया गया है. वे वास्तु और ज्योतिष की बहुत अच्छी जानकारी रखते हैं. उन्होंने अपनी जानकारी के आधार पर कई लोगों के परेशानिया दूर की है. यह अपने अनुभव को भी समय समय पर लोगों से शेयर करते हैं. आप इनसे सशुल्क परामर्श ले सकते हैं. आप उनसे फेसबुक के द्वारा सम्पर्क कर सकते हैं. इस सेवा का लाभ जरुर लें.

Facing Problem in Conceiving #Baby ? गर्भ धारण में समस्या




Reason #1 #Bedroom in East-South-East or Bedroom in South-South-West or Bedroom in West-North-West

What to do ?  Shift your bedroom to South-West or South-East or North-North-West.


Reason #2 #Kitchen in North-East

What to do ? Place Jaisalmer Yellow Slab under Burner.


Reason #3 #Cut in North-East

What to do ? Space Enlightening Technique is required.



Reason #4 Long #Corridor in South-West

What to do ? Space Filling Technique as per Vāstu Bar Chart.


यह लेख विश्वजीत बब्बल वैदिक काउंसलर के फेसबुक पोस्ट से लिया गया है. वे वास्तु और ज्योतिष की बहुत अच्छी जानकारी रखते हैं. उन्होंने अपनी जानकारी के आधार पर कई लोगों के परेशानिया दूर की है. यह अपने अनुभव को भी समय समय पर लोगों से शेयर करते हैं. आप इनसे सशुल्क परामर्श ले सकते हैं. आप उनसे फेसबुक के द्वारा सम्पर्क कर सकते हैं. इस सेवा का लाभ जरुर लें.



शुक्रवार, 22 अप्रैल 2022

How to quickly open your third eye

 आप जब भी किसी से पूछते हैं, कि क्या आप अपना भविष्य जानना चाहते हैं। तो यकीन मानिये उसका उत्तर हां ही होगा। हम अपना भविष्य जान सकते हैं, इस बात को सोच कर ही एक अजीब सी गुदगुदाहट शरीर में पैदा होती है। हर इंसान, अपनी आने वाली जिंदगी के बारे में जानना चाहता है। वह पता करना चाहता है, कि उसके साथ क्या होने वाला है। हर किसी की चाहत अपने भविष्य को देखने की होती है।  अपनी इस ख्वाहिश को पूरा करने के लिए, वैसे तो कई माध्यम है। उनमें से सबसे ज्यादा प्रचलित है, तीसरे नेत्र को जागृत करना। जिसे हम थर्ड आई भी कहते हैं।  थर्ड आई का सम्बन्ध आपके आज्ञा चक्र से होता है। जो आपको भविष्य में घटने वाली घटनाओं के बारे में इनट्यूशन मिलने लगता है।

आज्ञा या अजना चक्र का संबंध पीनियल ग्रंथि से होता है। जो हमारी दोनों भौहों के बीच में होती है। इसी कारण इसे “तीसरी आंख” थर्ड आई भी कहा जाता है। यहां स्थित आज्ञा चक्र को स्पष्टता और बुद्धि का केंद्र माना जाता है। यह चक्र हमारी इच्छा शक्ति को कंट्रोल करने में मदद करता हैं।

थर्ड आई जागृत होने या इनट्यूशन पावर बढ़ने से, इंसान को कई लाभ मिलते हैं। व्यक्ति का दिल और दिमाग एक ही तरीके से काम करना शुरू कर देता है। यह इंसान को किसी भी चीज के बारे में स्पष्टता प्रदान करता हैं। व्यक्ति की एकाग्रता बढ़ जाती है। व्यक्ति का अंतर्ज्ञान बढ़ जाता है। व्यक्ति चीजों को लेकर अधिक स्पष्ट हो जाता है। व्यक्ति अंदर से खुश होता है। इनट्यूशन पावर बढ़ने से व्यक्ति के हर काम में निश्चितता और स्पष्टता बढ़ जाती है। व्यक्ति मानसिक रूप से संतुलित होने लगता है। ऐसे व्यक्ति तनाव पूर्ण स्थिति में भी अपना आपा नहीं खोते हैं। इनटूशन पावर बढ़ने से व्यक्ति किसी भी  घटना के बारे में पूर्वानुमान लगाने में सफल होने लगता है। थर्ड आई जागृत होने से व्यक्ति के अदंर सवेंदनशीलता बढ़ जाती है। वो सकारात्मक या नकारात्मक एनर्जी को आसानी से समझने लगते हैं।

यदि आपकी थर्ड आई जागृत, आपकी इनट्यूशन पावर बढ़ गई है, तो आप भविष्य में होने वाली चीजों को आसानी से समझने लगेंगे। आपको पहले से ही पता चलने लगेगा, की कौनसी घटना घटने वाली हैं। इस घटना का क्या प्रभाव व्यक्ति पर होगा। यह सब आपको समझ आने लगता है। आपका फोकस जितना ज्यादा होगा। आपकी इनटूशन पावर भी उतनी ही ज्यादा होगी। बिना देरी किये, अब हम आपको बताने वाले हैं, की कैसे अपनी थर्ड आई को जागृत कर सकते हैं। अपनी इनट्यूशन पावर को बढ़ा सकते है। जिससे भविष्य में होने वाली घटनायों के बारें में आप पहले से जान सकें।

·         थर्ड आई को जागृत करने और इनट्यूशन पावर को बढ़ाने के लिए जो सबसे सरल और आसान उपाय हैं, वो है अपनी भोहों के मध्य दवाब देना।  यदि कोई व्यक्ति रोज 5 से 10 मिनिट तक अपने आज्ञा चक्र पर, तर्जनी ऊँगली से दवाब डालता है। तो उसकी थर्ड आई जागृत होना शुरू हो जाती है। इनट्यूशन पावर बढ़ने लगती है। ध्यान रखें यह उपाय आपको रोज करना है। तभी इसका असर आपको दिखाई देगा।

·         अपनी इनट्यूशन पावर को बढ़ाने का एक और आसान तरीका है। वो है दोनों भोह के बीच, आज्ञा चक्र पर तर्जनी ऊँगली से ऊपर से नीचे की और रगड़ना। एक बार में कम से कम, 100 बार इस प्रकिया को दोहराए।  ऐसा माना जाता है, व्यक्ति जितना अधिक इस जगह को रगड़ता हैं। उसकी इनट्यूशन पावर बढ़ती जाती है।

·         यदि कोई भी व्यक्ति शांत जगह बैठकर सुबह के समय लम्बी और गहरी साँसों का अभ्यास नियमित रूप से 15 से 20 मिनिट करता है, तो भी उसकी इनटूशन पावर बढ़ने लगती है, और थर्ड आई ओपन होने लगती है।

·         “ॐ” मन्त्र का गुंजन भी इनटूशन पावर बढ़ाने और थर्ड आई को खोलने में बहुत मदद करता हैं। यदि व्यक्ति रोज “ॐ” का गुंजन करते हुए, आज्ञा चक्र पर ध्यान केन्द्रित करता हैं। तो उसकी थर्ड आई खुलने लगती है।

·         मौन रहना भी इनट्यूशन पावर बढ़ाने और थर्ड आई को जागृत करने में मदद करता हैं। मौन रहने से व्यक्ति कि एनेर्जी बर्बाद नहीं होती है। यदि व्यक्ति रोज, सिर्फ जितना जरूरत होउतना ही बोले तो इंसान की इनटूशन पावर बढ़ने लगती है।  मौन रहने का कुछ दिन अभ्यास करने से व्यक्ति यह समझने लगता हैं कि उसे कहां कितना और क्या बोलना हैऔर क्या नहीं बोलना है। जब व्यक्ति को यह समझ होने लगती हैतो आपके मौन का सीधा प्रभाव थर्ड आई पर पड़ता है। वह सक्रिय होने लगती है। जिसकी वजह से आपकी इनटूशन पावर बढ़ने लगती है।

·          इनटूशन पावर बढ़ाने के लिए, सफेद या लाल चन्दन में कपूर मिलाकर,अनामिका ऊँगली से दोनों भोहों के बीच में तिल लगाने से भी इनटूशन पावर बढ़ने लगती है।

·         थर्ड आई को जागृत करने के लिए, सबसे आसान और सरल चीज है। वो है ध्यान। ध्यान एक ऐसी विधा है, जो न केवल आपके इनटूशन पावर को बढ़ाता है, बल्कि थर्ड आई को खोलने में भी मदद करता हैं। ध्यान व्यक्ति को  सेहत से जुड़ा हुआ लाभ भी देता है। यह व्यक्ति के दिमाग को मजबूत बनाता हैं। ब्रेन पावर बढ़ाता है। वैसे जो लोग लम्बे समय तक, कंप्यूटर पर बैठकर काम करते हैं, या फिर मेंटली वर्क लोड जिन पर ज्यादा होता है। उन्हें अपनी दिनचर्या में ध्यान को जरूर शामिल करना चाहिए।  दोनों भौहों के मध्य ध्यान लगाने से व्यक्ति की थर्ड आई को जागृत होने लगती है। उसकी इनटूशन पावर बढ़ने लगती है।  कम से कम 15 मिनिट तक रोज ध्यान लगाने से, आपको इसका लाभ मिलने लगता है। ध्यान करने के लिए आप त्राटक का भी सहारा ले सकते हैं।   

·         इनटूशन पावर बढ़ाने और थर्ड आई को खोलने के लिए आप योग का भी सहारा ले सकते हैं। नियमित रूप से योग का किया गया अभ्यास भी आपको इसमें बहुत मदद करता हैं। आप नाड़ी शोधन प्राणायाम, भुमी पाद मस्तकासन, शशांकासन, शिरसासन और कपालभाति प्राणायाम को शामिल कर सकते हैं।

·          शाम्भवी मुद्रा भी थर्ड आई खोलने में भी बहुत मदद करती है। इसे किसी योग्य गुरु की देखरेख में ही करें। क्योंकि यह मुद्रा बहुत ही प्रभावी है, गलत तरीके से करने की वजह से आपको नुकसान भी हो सकता है।

·         जैसा कि हम सभी जानते हैं, रंग हमारे शरीर पर बहुत गहरा प्रभाव डालते हैं। कुछ रंग चक्रों से भी जुड़े होते हैं। यही वजह है कि बैगनी रंग को थर्ड आई से जोड़ा गया है।  बैगनी रंग का प्रयोग इनटूशन पावर बढ़ाने  और थर्ड आई को जागृत करने में मदद करता है। यदि व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में अधिक से अधिक इस रंग का प्रयोग करता हैंतो भी उसकी थर्ड आई जागृत होने लगती है।

वैसे तो हमारे धर्म ग्रंथों में थर्ड आई को जागृत करने और इनटूशन पावर बढ़ाने के लिए कई उपाय बताएं गये हैं। लेकिन हमने यहाँ पर सिर्फ वही टिप्स बताई है, जो बहुत ही असरकारक हैं। जिनको करना भी बहुत आसान है। यदि आप भी अपनी इनटूशन पावर बढ़ाना चाहते हैं, तो इन्हें जरुर अपनाए। कमेंट्स में अपना अनुभव भी जरुर बताये।

रविवार, 12 दिसंबर 2021

RAHU or KETU and date राहु और केतु की तारीख का प्रभाव

 


आपकी कुंडली में राहु और केतुकी डिग्री देख लो । और गोचर का सूर्य उस डिग्रीके ऊपर पर कौन सी तारीख को आता है वह डेट नोट कर लो ।  मान लो की राहु आपकी कुंडली में मेष राशि में 6 डिग्री का है और केतु तुला राशि में 6 डिग्री का है तो सूर्य हर साल 20 अप्रैल के आसपास मेष में राहु की 6 डिग्री पर आता है  और 23 अक्टूबर के आसपास तुलामें केतु की  6 डिग्री के ऊपर  आता है । 

तो उदाहरण कुंडली में  राहु वाली डेट  20 अप्रैल के आसपास मतलब 15 अप्रैल से 25 अप्रैल के बीच जिसका भी जन्म हो ऐसा इंसान अगर आपकी जिंदगी में आता है तो.....  फिर  चाहे वह पुरुष हो या स्त्री हो । बॉयफ्रेंड हो या गर्लफ्रेंड हो । पति हो या पत्नी हो । बेटा हो या बेटी हो ।  दोस्त हो या बिजनेस में पाटनर हो .... तो आने वाले  इंसान का आपके  पिछले जन्म से कोई न कोई लेन-देन जरूर होता है । वह अपना ऋण चुकाने आपकी  जिंदगी में आया है ।   

आपके जीवन में उसके आने के बाद आपका भाग्य खुलता है । तरक्की होती है आमदनी बढ़ती है स्वास्थ्य में सुधार होता है । कार्यों में सफलता मिलती है और आपके जीवन में खुशियां आती है ।

उसी प्रकार उदाहरण कुंडलीमें  केतु वाली तारीख   23 अक्टूबर के आसपास  मतलब 18 अक्टूबर से 28 अक्टूबर के बीच  जिसका जन्म हो ऐसा कोई इंसान अगर आपकी जिंदगी में आता है तो समझ लो कि उसके साथ आपका पिछले जन्म का कोई ना कोई नेगेटिव  नाता है और वह पिछले जन्म के आपके  कर्मों का  बदला लेने और अपना  हिसाब चूकते करने और आपसे कुछ ना कुछ  लेने आया है । इसीलिए उसके आने के बाद  आपको नुकसान हो सकता है  । भाग्य हानि भी हो सकती है । उसके आने के बाद आपकी आमदनी कम होती है । जीवन में तनाव बढ़ता है । वह आपसे लेने के लिए ही आया है । बेटा बनकर आ सकता है या बीवी बनकर भी आ सकता है । बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड बन कर भी आ सकता है । 

कुंडली मैचिंग में या पार्टनर की पसंदगी में यह बात हमेशा याद रखें । बड़ी बड़ी कंपनी वाले अपना स्टाफ सिलेक्शन करने के लिए भी यह सिद्धांत का उपयोग कर सकते हैं ।

आपकी कुंडली में राहु की डिग्री और केतु की डिग्री को पकड़ो और उस डिग्री के ऊपर  कौन सी तारीख को सूर्य आता है वह तारीख को  पकड़ के चलो  । 5 दिन आगे 5 दिन पीछे चल सकते हैं ।

राहु और केतु की डिग्री बहुत ही सेंसिटिव होती है और उस डिग्री पर जब भी सूर्य आता है उस दिन आपको बहुत संभालना पड़ता है । एक्सीडेंट भी हो सकता है । कोई बुरी खबर भी आ सकती है । कोर्ट की नोटिस भी आ सकती है । किसी से झगड़ा भी हो सकता है । 

बहुत रिसर्च के बाद यह पोस्ट मैंने लिखी है । आप भी खुद अनुभव करें । 

अश्विन रावल                  25.11.2021

Death yog in kundli 8 -12 का कनेक्शन और अचानक मृत्यु

 



कभी-कभी हम देखते हैं कि इंसान 5 10 मिनट में ही दुनिया छोड़के हमेशाके लिए चला जाता है । कोई कहता है अभी आधे घंटे पहले तो मुझे मिला था या उसके साथ बात की थी । एकदम तंदुरुस्त था फिर अचानक ये क्या हो गया ? 

ज्योतिष में कोई भी घटनाके पीछे ग्रहों की कोई ना कोई वजह तो होती ही है । दुनियाकी कोई भी घटना ऐसे नहीं घटती । आज हम "अचानक मृत्यु योग "  के बारे में थोड़ी चर्चा करेंगे । 

अगर 12वे स्थान का अधिपति 8वे स्थान में बैठा हो  या 8वे स्थान का अधिपति 12वे स्थान में बैठा हो या फिर 8वे  स्थानका अधिपति और 12वे स्थानका अधिपति कहीं भी एक साथ बैठे हो तो उम्र चाहे कोई भी हो लेकर मृत्यु अचानक 2 मिनट में हो जाता है । फिर वह एक्सीडेंट हो  आत्महत्या हो या फिर मासिव हार्टअटैक । 

यहां डिग्रीको हमेशा ध्यानमें रखो ।  कभी-कभी क्या होता है की 8वे स्थानका अधिपति और 12वे स्थानका अधिपति एक साथ तो होते हैं लेकिन दोनों की डिग्रीमें बहुत अंतर होता है । ऐसे में ऐसी घटना नहीं होती । 5 7 डिग्री के अंतर में अगर यह युति होती है या प्रतियुति  होती है तो ही ऐसी आकस्मिक घटना बनती है । 

एक ग्रह 5 डिग्रीका हो और दूसरा 22 डिग्री का हो तो फिर एक दूसरेकी ऑर्बिट में  नहीं होते है ।  तो ऐसी अवस्थामें घटनाको अंजाम नहीं दे सकते । कुछ उदाहरण आपके सामने में दे रहा हूं

धनु लगन ।  मंगल और चंद्र अष्टम स्थान में 5 डिग्री के अंतर में । 77 वर्ष की आयुमें चाय पीते पीते और पत्नी के साथ बातें करते करते ही सर झुका दिया और अंतिम सांस ले ली । पत्नीको तो पता ही नहीं चला कि वह मर गए ।

मेष लगन ।  गुरु मंगल और सूर्य अष्टम स्थान में । 12वे स्थानमें केतु । गुरु और मंगल के बीच 5 डिग्री का फासला । 12वे स्थानका मालिक गुरु खुद 8वे स्थान के मालिक मंगल के साथ अष्टम स्थान में ही है ।  साथ में सूर्य है  और ऊपर से केतु की दृष्टि भी है। गुरु केतु का डिस्पोजिटर भी है ।  गैस फटने से आग लग गई और दो पांच मिनट में इस औरतकी मृत्यु । 

तुला लगन ।  बुध और शुक्र बारहवें स्थान में 2 डिग्री के अंतर में  पास पास । 40 साल की उम्र में नींद में ही अंतिम सांस ले ली । रात को 11:00 बजे तक तो परिवार के साथ बातें की थी । कर्क राशि का मंगल था इसलिए मासीव हार्ट अटैक आ गया । 

राजीव गांधी सिंह लगन । 8वे स्थान का अधिपति गुरु और 12वे स्थान का अधिपति चंद्र दोनों लग्न में अग्नि तत्व की राशिमें 6 डिग्री के अंतर में पास पास बैठे हैं । उनके साथ लग्नेश सूर्य खुद बैठा है । लग्न राहु और मंगल के बीच में पाप कर्तरी योग में है । Exploison  से 1 मिनट में डेथ हो गई । 

कन्या लगन । 8वे स्थानका अधिपति मंगल और 12वे स्थानका अधिपति सूर्य दोनो 12वे स्थानमें सिंह राशि में 28 डिग्री के है । दोनों एक ही डिग्री पर बैठे हैं । लगन पाप कर्तरी योग में है ।  21 नवंबर 2021 को 17 साल का ये लड़का मोबाइलमें शूटिंग करने के लिए  मालगाड़ी के डिब्बे के ऊपर चढ़ गया और डांस करने लगा । अचानक हाथ ऊपर के इलेक्ट्रिक वायर को टच हो गया ।  धड़ाके के साथ उस की डेड बॉडी नीचे गिर गई । अग्नि तत्व मैं बैठे हैं इसलिए इलेक्ट्रिक धड़ाके से एक ही मिनिटमें  मृत्यु । 

सिद्धांत को समझाने के लिए इतने उदाहरण काफी है । ऐसे टोटल 22 केस मैंने आज तक देखे हैं जहां 2 मिनट में मृत्यु हो गई है । और सभी 22  कुंडलीमें 8 और 12 के मालिकोंका डिग्रीकल कनेक्शन है । 

अगर यह संबंध या युति अग्नि तत्वमें है तो अग्निसे, इलेक्ट्रिसिटीसे या बिजली गिरनेसे  । पृथ्वी तत्व होता है तो मार्ग अकस्मात की संभावना बढ़ जाती है । वायु तत्व में आत्महत्या की या कहीं दब जाने की संभावना होती है । जल तत्व है तो पानीमें डूब जानेसे मृत्यु होता है । कर्क राशि में अगर मंगल या केतु है तो मासीव हार्टअटैक की संभावना बढ़ जाती है । ज्यादा संभावना अष्टम स्थान के मालिक की या 12वे स्थानके मालिककी दशा या अंतर्दशा चलती हो तब बढ़ जाती है । 

लेकिन हमेशा याद रखें की डिग्री का बहुत महत्व है । यह संबंध 5 7  डिग्री के अंदर होता है तो ही इतना आकस्मिक मृत्यु होता है ।

अश्विन रावल       24.11.2021

गुरुवार, 3 दिसंबर 2020

Vastu shastra : कलर करवाते समय दिशा के हिसाब से चुने सही रंग

 भवन में कलर करवाते समय दिशा के हिसाब से चुने सही रंग ...



भवन में रंगो का चयन करते समय विभिन्न दिशाओं के तत्व उनके ग्रहों और दिशाऔं के अधिपति देवताओं का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी होता है 

शुभ कलर जहाँ वास्तु के शुभ फल को कई गुणा बढ़ा देते हैं वही अशुभ कलर हमारे जीवन की बहुत सारी समस्याओं के कारण बन सकते हैं। 

पुरे घर के लिए कोनसा कलर शुभ रहेगा और घर के अन्दर अलग अलग कमरों में कोनसे कलर करवाने से लाभ होता है इसे आपको नीचे दिये हुऐ चित्र से ..समझ में आ जायेगा 👇

घर के बाहर कलर करवाते समय ...सबसे पहले ये देखें की आपके घर की फेंसिंग कोनसी है उदाहरण के लिए अगर आपका घर दक्षिण मुखी है तो ...चार्ट में देखें दक्षिण दिशा का कलर लाल है और देवता मंगल है। इस हिसाब से आप अपने घर में लाल शेड के परिवार के कलर जैसे बिलकुल वाइट पिंक से लेकर डार्क रेड तक किसी भी पसंदीदा रंग को चुन सकते हैं। 

और घर के अन्दर किसी कमरे में कलर करवाना हो तो पुरे घर की फेंसिंग के हिसाब से या उस कमरे की अपनी दिशा के हिसाब से आप दोनों आफशन चुन सकते हैं 

अर्थात दक्षिण मुखी घर के अन्दर सभी कमरों में पिंक कलर करवा सकते हैं और अगर यह कमरा उत्तर दिशा का है तो इसमें हरे शेड से सम्बन्धित कोई भी रंग भी किया जा सकता है।  

-आपके घर प्रतिष्ठान या फ़ैक्टरी में पहले से जो रंग किया हुआ है उसको भी इस चार्ट के द्वारा चैक करें की कहीं वो तो ..अशुभ नही है 

नोट - सफ़ेद , क्रीम , और लाइट गोल्डन कलर किसी भी दिशा  में किये जा सकते हैं इनके हमेशा शुभ फल ही प्राप्त होतें हैं।  

Source - एस के मेहता 

Vastu shastra : अपने घर की दिशाएँ कैसे देखें 4

 दिशाओं का ज्ञान .. ... पुर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण इन चार दिशाओं के बारे में तो आप सबको पता ही है ..पर वास्तु शास्त्र के हिसाब से दिशाएँ ..10 होती है .. 



पुर्व व उत्तर के मध्य... ईशान कोण..  

दक्षिण व पुर्व के मध्य ..अग्निकोण 

दक्षिण व पश्चिम के मध्य ...नैऋत्य कोण 

उत्तर व पश्चिम के मध्य ...वायव्य कोण 

एक आकाश और दुसरी ...पाताल।  

इस प्रकार इन दस दिशाओं को ध्यान में रखते हुऐ किसी भवन की प्लानिंग करनी चाहिए 

अपने घर की दिशाएँ कैसे देखें ....

अक्सर लोगों को ये कन्फ़्यूजन रहता है की ...किसी भवन की सही दिशा कोनसी है ..हम जब भवन के बाहर से अन्दर जाते है उस समय हमारा मुँह जिस दिशा मैं होता है उसको माने या किसी घर से बाहर आते समय हमारा मुँह जिस दिशा में होता है उसको सही माने  

तो सबसे पहले ये जान लें की ...भवन अपने आप में एक पुरूष है और जिस दिशा में इस पुरूष का मुख है अर्थात मुख्य द्वार है वही इसकी सही दिशा है मतलब आप जब घर से बाहर निकल रहे हैं और जिस दिशा में आपका मुँह होता है वही उस भवन की दिशा माननी चाहिए।  

जब पुरी भुमि की दिशाएँ देखनी हो तो उसके मध्य मैं कम्पास (दिशा सूचक ) रखे। 

जब निर्माण की देखनी हो तो पुरे निर्माण के मध्य कम्पास रखे 

जब किसी कमरे की दिशाओं का निर्धारण करना हों तो उस कमरे के मध्य में कम्पास रखकर आप बड़ी आसानी से उस कमरे की दिशाओं का पता लगा सकते हैं।  

Source - एस के मेहता 

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