दिशाओं का ज्ञान .. ... पुर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण इन चार दिशाओं के बारे में तो आप सबको पता ही है ..पर वास्तु शास्त्र के हिसाब से दिशाएँ ..10 होती है ..
पुर्व व उत्तर के मध्य... ईशान कोण..
दक्षिण व पुर्व के मध्य ..अग्निकोण
दक्षिण व पश्चिम के मध्य ...नैऋत्य कोण
उत्तर व पश्चिम के मध्य ...वायव्य कोण
एक आकाश और दुसरी ...पाताल।
इस प्रकार इन दस दिशाओं को ध्यान में रखते हुऐ किसी भवन की प्लानिंग करनी चाहिए
अपने घर की दिशाएँ कैसे देखें ....
अक्सर लोगों को ये कन्फ़्यूजन रहता है की ...किसी भवन की सही दिशा कोनसी है ..हम जब भवन के बाहर से अन्दर जाते है उस समय हमारा मुँह जिस दिशा मैं होता है उसको माने या किसी घर से बाहर आते समय हमारा मुँह जिस दिशा में होता है उसको सही माने
तो सबसे पहले ये जान लें की ...भवन अपने आप में एक पुरूष है और जिस दिशा में इस पुरूष का मुख है अर्थात मुख्य द्वार है वही इसकी सही दिशा है मतलब आप जब घर से बाहर निकल रहे हैं और जिस दिशा में आपका मुँह होता है वही उस भवन की दिशा माननी चाहिए।
जब पुरी भुमि की दिशाएँ देखनी हो तो उसके मध्य मैं कम्पास (दिशा सूचक ) रखे।
जब निर्माण की देखनी हो तो पुरे निर्माण के मध्य कम्पास रखे
जब किसी कमरे की दिशाओं का निर्धारण करना हों तो उस कमरे के मध्य में कम्पास रखकर आप बड़ी आसानी से उस कमरे की दिशाओं का पता लगा सकते हैं।
Source - एस के मेहता
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं