ढलान.....
वास्तु विज्ञान में ढलान का सर्वाधिक महत्व है
घर,प्रतिष्ठान या फ़ैक्टरी की भूमि या छत का ढलान अगर सही दिशा मे हैं ...तो उसके आधे वास्तु दोष स्वत: ही दुर हो गये ...ऐसा मानना चाहिए
ढलान चाहे किसी कमरे के फर्श का हो....
भूमि का हो...
छत का हो ...
टीन शेड का हो ...
या घर के बाहर.. रोड़ का हो
सबका वास्तु विज्ञान में एक ही सिम्पल फ़ार्मूला है की ढलान हमेशा ...उत्तर, पुर्व या ईशान कोण में ही होना चाहिए
सबसे नीचा ...ईशान कोण(NE),
ईशान से ऊँचा ...वायव्य कोण( NW)
वायव्य से ऊँचा ...अग्निकोण (SE) और
अग्निकोण से ऊँचा ...नैऋत्य कोण(SW) होना शुभ रहता है अर्थात पुरा ढलान नैऋत्य कोण से ईशान कोण की तरफ़ होना चाहिए
आप जिस घर में रहते हैं ... या जिस बैडरूम में सोते हैं तुरन्त उसके फर्श का ढलान चैक किजिए अगर यह दक्षिण, पश्चिम, वायव्य या आग्नेय दिशा में हैं तो यह शुभ नही है क्यों की धीरे धीरे आपका स्वास्थ्य और धन इससे नष्ट हो जायेगा और आपको पता भी नही चलेगा।
नोट - किसी भी चीज़ का आधा ढलान शुभ और आधा अशुभ हो ...यानि आधा पुर्व व आधा पश्चिम या आधा उत्तर व आधा दक्षिण तो ऐसा चल सकता है क्यों की जो भूमि बीच में से ऊँची व चारों तरफ़ से नीची हो उसे वास्तु की द्रष्टि से शुभ माना जाता है।
source - एस के मेहता
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