शुक्रवार, 30 सितंबर 2011

ड्रिंक करने के बाद तबीयत हो जाए नासाज तो ये करें

रोजाना शराब पीने वाले लोगों को सामान्यत: नशा अधिक नहीं चढ़ता है। लेकिन जब क ोई किसी कारण या शोक से पहली बार या ओकेजनली ड्रिंक करता है तो  नशा ज्यादा चढ़ता है तो ऐसे में संभलना मुश्किल हो जाता है। कई बार पार्टी में वाइन, वोदका और रम की काकटेल भी घातक साबित हो जाती है। ऐसे में तबीयत बिगडऩे लगे तो नीचे लिखें घरेलु उपायों को अपनाएं.......

-ब्लैक काफी शराब के नशे को उतारने में मदद करती है।

-लेमन जूस से भी शराब का नशा उतरता है

- एक नींबू एक कप पानी में निचोड़कर पिलाने से लाभ होता है।

- शराबी के सिर पर ठंडा पानी डालने और पिसा हुआ धनिया-शक्कर मिलाकर देने से भी नशा उतरता है।

- धतूरे का विष या नशा उतारने में भी इमली का पना कारगर है।

- नींबू चूसने व अचार खाने से भी नशा हल्का पड़ जाता है।

- संतरा खाने से भी नशा उतर जाता है।

-गन्ने का रस पीने से भी नशा उतर जाता है

- किसी भी शराब को गन्ने के जूस के साथ पीना घातक हो सकता है।

- दही और छाछ से नशा उतर जाता है।

हिच्च हिच्च....हिचकी न रूके तो....

कुछ लोगों के स्नायुओं में उत्तेजना से तो कुछ को अपच के कारण हिचकी चलती है। हिचकी चलने के या बंद न होने के कई कारण हो सकते हैं। कई बार हिचकी चलने के कारण सांस लेने में भी दिक्कत होती है।  कहते हैं हिचकी रोगी का ध्यान केंद्रित करने पर या पानी पीने पर बंद हो जाती है। लेकिन कई बार यह समस्या बहुत गंभीर रूप भी धारण कर लेती है ऐसे में ये घरेलु उपाय जरूर आजमाकर देखें.....

-हिचकी अगर अपच से हो तो पानी में खाने का सोडा डालकर एक गिलास पीने से ठीक हो जाती है।

- नीबू का रस शहद ये दोनों एक-एक चम्मच काला नमक मिलाकर खाने से हिचकी बंद हो जाती है।

- प्याज काट कर नमक डालकर हर घंटे खाने से खांसी नहीं होती है।

- साबुत उड़द जलते हुए कोयले पर, आग पर डाले और धुएं को सूंघे।

- सेंधा नमक पानी में घोलकर नाक में टपकाने से हिचकी बंद हो जाती है।

- मूली के चार पत्ते खाने से हिचकी बंद हो जाती है।

- हिचकी बंद नहीं हो तो पौदीने के पत्ते या नीबू चुसे।

- थोड़ा सा गरम-गरम घी पी लेने से हिचकी बंद होती है।

- सेंधा नमक पीसकर मिलाकर सूंघने से हिचकी नहीं चलती है।

- प्याज के रस में शहद से हिचकी बन्द हो जाती है।

- हींग हिचकी अधिक आती हो तो बाजरे के बराबर हींग को गुड़ में मिलाकर केले के साथ खाए।

- गन्ने का रस पीने से हिचकी बंद हो जाती है।

चंद अनोखे फंडे ....बन जाएं दिलकश खूबसूरती के मालिक

गौरा रंग और चमकदार त्वचा सभी की चाहत होती है। ज्यादा सांवले रंग के कारण कई बार शादी में भी समस्या होती है। अगर आप भी गौरी-गौरी त्वचा चाहते हैं। तो कुछ आसान आयुर्वेद नुस्खे ऐसे हैं जिनसे आपका सांवलापन पूरी तरह नहीं मगर काफी हद तक दूर हो सकता है। साथ ही इन नुस्खों से स्कीन तो हेल्दी होती ही है और मिलती है दिलकश खूबसूरती।

- रात को सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ नियमित रूप से त्रिफला चूर्ण का सेवन करें।
- एक बाल्टी ठण्डे या गुनगुने पानी में दो नींबू का रस मिलाकर गर्मियों में कुछ महीने तक नहाने से त्वचा का रंग निखरने लगता है (इस विधि को करने से त्वचा से सम्बन्धी कई रोग ठीक हो जाते हैं)।
- आंवला का मुरब्बा रोज एक नग खाने से दो तीन महीने में ही रंग निखरने लगते है।
- गाजर का रस आधा गिलास खाली पेट सुबह शाम लेने से एक महीने में रंग निखरने लगता है। रोजाना सुबह शाम खाना खाने के बाद थोड़ी मात्रा में सांफ खाने से खून साफ होने लगता है और त्वचा की रंगत बदलने लगती है।
- प्रतिदिन खाने के बाद सौंफ का सेवन करे

बुधवार, 28 सितंबर 2011

कभी बीमार नहीं होना चाहते हैं? अपनाएं ये आसान नुस्खे

किसी सुविधा या साधन के बदले में कुछ खर्च करना पड़े तो फिर भी समझ में आता है, मगर तकलीफ और परेशानी के उठाने के साथ में धन भी खर्च करना पड़े तो अफसोस तथा दु:ख होना स्वाभाविक है। प्रदूषित हवा, पानी और भोजन के साथ जीवन बिताने की मजबूरी के चलते आज शायद ही ऐसा कोई बचा हो जो बगैर किसी दवा-दारू या डॉक्टरी सलाह के पूरी तरह से फिट हो।

लेकिन कुछ उपायों को अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करके इंसान अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को इस सीमा तक बढ़ा सकता है कि उस पर किसी बीमारी का असर हो ही नहीं। तो आइये जानते हैं उन उपायों को-



- त्रिफला जो कि आंवला, हरड़ और बहेड़ा का संयुक्त रूप होता है, इसे प्रतिदिन सोते समय गुनगुने पानी के साथ सेवन करें। यह एक दिव्य रसायन है जिससे आपके रोग-प्रतिरोधक क्षमता बेहद स्ट्रांग हो जाती है।



- प्रतिदिन 5 तुलसी के पत्ते तथा दो-चार नीम की नई कोंपले खाली पेट खाने से शरीर में रोगों से लडऩे की क्षमता काफी बढ़ जाती है।



- अंकुरित अन्न और सलाद का नियमित सेवन करें।



- सुबह की ताजी हवा में दो-चार किलोमीटर का मार्निग वॉक करें।



- चुनिंदा आसन और प्राणायाम को अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करें।

सोमवार, 26 सितंबर 2011

क्या आप गैस और एसीडिटी से परेशान हैं?

आयुर्वेद में पेट की गड़बडिय़ों को उदर रोगों के अंतर्गत वर्णित किया गया है और अधिकांश रोगों में इसे भी एक महत्वपूर्ण कारण माना गया है। आपको आज हम कुछ ऐसी ही गड़बडिय़ों को दूर करने का आयुर्वेदिक उपाय बताते हैं।आयुर्वेद में पेट की गड़बडिय़ों में ग्रहणी,अतिसार,अरुचि,प्रवाहिका आदि रोग आते हैं,इनमें अधिकांश उदर रोगों का कारण मन्दाग्नि होता है, कुछ सरल आयुर्वेदिक नुस्खे आपको इन गड़बडिय़ों से बचा सकते हैं।

- नियमित रूप से 1-2 चम्मच सोंफ  का प्रयोग अग्नि को दीप्त करता है।

-1-1.5 ग्राम त्रिकटु (सौंठ,मरीच एवं पिप्पली ) चूर्ण  का प्रयोग भी अरुचि एवं अग्निमांद को दूर करता है।

-भोजन भूख से थोड़ा कम एवं मितभुक हो कर ही करना चाहिए।

-कुटज चूर्ण, विडंग चूर्ण एवं अविपत्तिकर चूर्ण को सममात्रा में मिलाकर 1-1.5 ग्राम की मात्रा में लेना पेट की गड़बड़ी को दूर करता है।

-हिन्ग्वासटक चूर्ण एवं लवणभास्कर चूर्ण का प्रयोग 1.5 से तीन ग्राम की मात्रा में करना पेट में अफारा या गैस बनाने के समस्या को दूर करता है।

-पंचसकार चूर्ण की 2.5 से 5 ग्राम की एक-एक मात्रा मल को साफकर पेट को हल्का रखता है।

-केवल त्रिफला चूर्ण की  नियमित 2.5-से 5 ग्राम की मात्रा उदर विकारों में रामबाण औषधि है।

-एक हरड ,दो बहेड़ा  एवं चार आंवलें का प्रयोग सभी प्रकार की  पेट से सम्बन्धित विकृतियों  को दूर करता है।

-भोजन में नमक की मात्रा 24 घंटे में 2.5ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए ,साथ ही अत्यधिक चटपटे पदार्थों के सेवन भी बचना चाहिए।

-भोजन ग्रहण करने के तत्काल बाद शयन की प्रवृति से बचना चाहिए।

-भोजन के साथ जल पीने के प्रवृति से भी बचना चाहिए।

-भोजन बहुत जल्दी -जल्दी बिना चबाकर नहीं लेना चाहिए।

- पूरे दिन में पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ जल का  पान करना चाहिए।

-पथ्य (खाए जाने योग्य ) एवं अपथ्य ( न खाए जाने योग्य ) भोजन का ध्यान रखकर किया गया भोजन उदर रोगों को दूर रखता है।

ये हैं कुछ सामान्य पर उपयोगी बातें जिनका दैनिक जीवन में प्रयोग स्वस्थ एवं आराम से युक्त रोगमुक्त जीवन प्रदान करता है।

मोटापा घटाएं और बुखार भगाएं बस थोड़ा सा नींबू खाएं

आम तौर पर नीबू को गर्मी का राम-बाण कहा जाता है, लेकिन हर मौसम में नीबू के रस में बहुत शक्ति होती है। आपको ये बात हैरान करने वाली लगेगी कि नीबू के जूस में शक्ति आती है लेकिन ये मोटापा नहीं बढ़ाता है बल्कि इसका सही तरीके सेवन मोटापे को कम जरूर कर सकता है। साथ ही इसके सेवन से अन्य कई रोग भी दूर हो सकते हैं।

 - नीबू के छिलकों को कोहनियों, घुटनों और नाखूनों पर रगड़ें। त्वचा का कालापन दूर होता है।

- जोड़ों के दर्द के रोगियों को जिस स्थान पर दर्द होता है, वहां पर नीबू के रस की मालिश करें। इससे दर्द ठीक हो जाएगा।

-चर्म रोगों में नीबू अत्यंत लाभकारी है। नीबू का रस, पानी में डालकर स्नान करने से खाज-खुजली, दाद आदि रोग नहीं होते हैं।

-एक चम्मच मलाई में नीबू निचोड़कर चेहरे पर लगाने से कील-मुंहासे साफ  होते हैं।

- रोज रात में सोने से पहले आंखों में एक-एक बूँद गुलाबजल डालने से आंखें स्वस्थ और सुंदर बनी रहती हैं।

-एक गिलास पानी में एक चाय का चम्मच शहद मिलाकर प्रतिदिन बिना मुंह धोए पीने से पेट साफ  होता है और चेहरे पर निखार आता है।

- तैलीय त्वचा से मुक्ति के लिए एक बड़ा चम्मच बेसन, एक छोटा चम्मच गुलाबजल, और चुटकी भर हल्दी में आधा नीबू मिलाकर बनाए गए लेप को चेहरे पर बीस मिनट तक लगाएँ और सादे पानी से धो दें।

- नीबू के रस में पिसा हुआ आंवला मिलाकर नहाने से पूर्व बालों में खूब मल लिया करें तो बाल सफेद होने से रुक जाएंगे व झडऩा भी बंद हो जाएंगे।

- मलेरिया के रोगी को काला नमक व काली मिर्च बारीक पीसकर नीबू में भरकर गर्म कर चूसने को दें। थोड़ी देर में बुखार कम होने लगेगा।

- एक नीबू, थोड़ा नमक व 250 ग्राम हल्का गर्म पानी मिलाकर सुबह उठकर पीने से मोटापा कम होता है।

-ब्लड प्रेशर के रोगियों को दिन में 2-3 बार नीबू का रस पानी में घोलकर पीना चाहिए। इससे उच्च रक्तचाप में राहत मिलती है।

- बालों से रूसी दूर करने और उन्हें चमकदार बनाने के लिए 1 एक नीबू का रस बालों में लगाए और दस मिनट बाद धो दें।

रविवार, 25 सितंबर 2011

खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए चंद आयुर्वेदिक नुस्खे

चरक  संहिता में वर्णित है गुणवान संतान और कामसुख की कामना से वाजीकरण हेतु प्रयुक्त आयुर्वेदिक नुस्खे का प्रयोग चिकित्सक के निर्देशन में किया जाना चाहिए। वात्स्ययान के कामसूत्र में कहा गया है ' काम का उद्देश्य कामसुख और संतानोत्पत्ति है। इसी प्रकार वाजीकरण (अश्वशक्ति) का उद्देश्य गुणवान संतान तथा कामसुख की प्राप्ति है। आयुर्वेद में धर्मयुक्त काम को पुरषार्थ को बढाने तथा मोक्ष प्राप्ति का साधन माना गया है। व्यवहारिक तौर पर भी यह देखा जाता है कि वाजीकरण (शरीर को अश्वशक्ति प्रदान करने वाली )औषधियां शरीर में मेधा ,ओज ,बल एवं तनाव को कम करती हैं।

काम की प्रबल और सम्मोहक शक्ति को देखकर इसे देवता कहा गया है तथा वसंतपंचमी के रूप में त्यौहार के रूप में मनाने का प्रचलन आज भी है। आज की व्यस्ततम जीवनशैली ,तनावभरी दिनचर्या और भौतिक सुख सुविधायें जुटाने की लालसा ने इस पवित्र कर्म के मूल में निहित भाव एवं उद्देश्य को समाप्त कर दिया है। काम आज दाम्पत्य जीवन की औपचारिकता भर रह गया है ,इन्ही कारणों से यौन संबंधों को लेकर असंतुष्ट  युगलों  की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है, ऐसी स्थिति में आयुर्वेद एवं आयुर्वेदिक औषधियां मददगार हो सकती है जिनका प्रयोग वैद्यकीय निरीक्षण में होना चाहिए-

-असगंध ,विधारा,शतावर ,सफ़ेद मूसली ,तालमखाना के बीज ,कौंच बीज प्रत्येक 50-50 ग्राम की  मात्रा में लेकर दरदरा कर कपडे से छान लें तथा 350 ग्राम मिश्री मिला लें, इस नुस्खे को 5-10 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम ठन्डे दूध से लें ,लगातार एक माह तक लेने से यौन सामथ्र्य में वृद्धि  अवश्य होगी।

-दालचीनी ,अकरकरा ,मुनक्का और श्वेतगुंजा को एक साथ पीसकर इन्द्रिय पर लेप करें तथा सम्भोग के समय कपडे से पोछ डालें ,यह योग इन्द्रियों में रक्त  के संचरण को बढाता है।

-शुद्ध शिलाजीत 500 मिलीग्राम की मात्रा में ठन्डे  दूध में घोलकर सुबह शाम पीने से भी लाभ मिलता है।

-शीघ्रपतन की शिकायत हो तो धाय के फूल ,मुलेठी ,नागकेशर ,बबूलफली इनको बराबर मात्रा में लेकर इसमें आधी मात्रा में मिश्री मिलाकर ,इस योग को 5-5 ग्राम की मात्रा में सेवन लगातार एक माह तक करें ,इससे शीघ्रपतन में लाभ मिलता है।

-कामोत्तेजना का बढाने के लिए कौंचबीज चूर्ण ,सफ़ेद मूसली ,तालमखाना ,अस्वगंधा चूर्ण को बराबर मात्रा में तैयार कर 10-10 ग्राम की मात्रा में ठन्डे दूध से सेवन  करें निश्चित लाभ मिलेगा।

ये चंद नुस्खें हैं, जिनका प्रयोग यौनशक्ति,यौनऊर्जा एवं पुरुषार्थ को बढाने में मददगार है।

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