किसी सुविधा या साधन के बदले में कुछ खर्च करना पड़े तो फिर भी समझ में आता है, मगर तकलीफ और परेशानी के उठाने के साथ में धन भी खर्च करना पड़े तो अफसोस तथा दु:ख होना स्वाभाविक है। प्रदूषित हवा, पानी और भोजन के साथ जीवन बिताने की मजबूरी के चलते आज शायद ही ऐसा कोई बचा हो जो बगैर किसी दवा-दारू या डॉक्टरी सलाह के पूरी तरह से फिट हो।
लेकिन कुछ उपायों को अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करके इंसान अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को इस सीमा तक बढ़ा सकता है कि उस पर किसी बीमारी का असर हो ही नहीं। तो आइये जानते हैं उन उपायों को-
- त्रिफला जो कि आंवला, हरड़ और बहेड़ा का संयुक्त रूप होता है, इसे प्रतिदिन सोते समय गुनगुने पानी के साथ सेवन करें। यह एक दिव्य रसायन है जिससे आपके रोग-प्रतिरोधक क्षमता बेहद स्ट्रांग हो जाती है।
- प्रतिदिन 5 तुलसी के पत्ते तथा दो-चार नीम की नई कोंपले खाली पेट खाने से शरीर में रोगों से लडऩे की क्षमता काफी बढ़ जाती है।
- अंकुरित अन्न और सलाद का नियमित सेवन करें।
- सुबह की ताजी हवा में दो-चार किलोमीटर का मार्निग वॉक करें।
- चुनिंदा आसन और प्राणायाम को अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करें।
लेकिन कुछ उपायों को अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करके इंसान अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को इस सीमा तक बढ़ा सकता है कि उस पर किसी बीमारी का असर हो ही नहीं। तो आइये जानते हैं उन उपायों को-
- त्रिफला जो कि आंवला, हरड़ और बहेड़ा का संयुक्त रूप होता है, इसे प्रतिदिन सोते समय गुनगुने पानी के साथ सेवन करें। यह एक दिव्य रसायन है जिससे आपके रोग-प्रतिरोधक क्षमता बेहद स्ट्रांग हो जाती है।
- प्रतिदिन 5 तुलसी के पत्ते तथा दो-चार नीम की नई कोंपले खाली पेट खाने से शरीर में रोगों से लडऩे की क्षमता काफी बढ़ जाती है।
- अंकुरित अन्न और सलाद का नियमित सेवन करें।
- सुबह की ताजी हवा में दो-चार किलोमीटर का मार्निग वॉक करें।
- चुनिंदा आसन और प्राणायाम को अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें