नजूमी जी की कलम से -
जो भी हो उपाय जिंदगी में सिर्फ एक बार किए जाते हैं जैसे कि वीराना शमशान तथा नदी में दबाने वाले कार्य यह सभी के सभी रिक्ता तिथि में किए हुए ही लाभदायक तथा संपूर्ण होते हैं✍️
जो भी घर में किए जाएं जैसे कि हरिवंश पुराण की कथा गायत्री पाठ दुर्गा आराधना सरस्वती आराधना किसी भी प्रकार का पूजा पाठ जो घर के अंदर किया जाए नंदा तिथि सर्वोत्तम है ✍️
जो भी उपाय शुक्र शनि (पाप ग्रह) से संबंधित तथा क्रूर ग्रह सूर्य मंगल तथा दूषित बुद्ध से संबंधित उपाय ग्रह दोष निवारण भद्रा में सर्वोत्तम फल देते हैं ✍️
जो भी उपाय शुभ ग्रहों की ताकत में बढ़ोतरी हो जाए ऐसे उपाय के लिए जया तिथि सर्वोत्तम है ✍️
जो भी सरल उपाय धर्मस्थल इत्यादि में अर्पण पूजा-पाठ गंगा स्नान इत्यादि है यह सब उनके सभी पूर्णा तिथि में सर्वोत्तम है✍️
भद्रा और रिक्ता तिथि सर्वदा ही अशुभ नहीं होते - भद्रा तिथि फैक्ट्री दैत्यकार मशीनरी पत्थर पहाड़ तोड़ने वाली मशीनें लोहा काटने वाली मशीन बड़ी-बड़ी अग्नि कार्य से संबंधित भठियाँ तंदूर पुल निर्माण शस्त्र निर्माण दैत्यकार वाहन जैसे की जेसीबी ट्रेलर इत्यादि कार्य अत्यंत शुभ तथा निर्विघ्न रूप से पूर्ण होते हैं संचालन सही रहता है।
इसी तरह से रिक्ता तिथि युद्ध, कोर्ट कचहरी, तंत्र से संबंधित उच्चाटन मारण, शास्त्रार्थ, डाका, शत्रु प्रहार, कोई भी ऐसे अशुभ कार्य जो जिंदगी में एक बार ही करना पड़े इस तरह के लिए यह तिथि प्रभावी तथा कार्य की संपूर्णता की उम्मीद की जा सकती है।
नन्दा तिथियाँ – दोनों पक्षों की 1 , 6 और 11 तिथि अर्थात प्रतिपदा, षष्ठी व एकादशी तिथियाँ नन्दा तिथि कहलाती हैं ।
भद्रा तिथियाँ – दोनों पक्षों की 2, 7, और 12 तिथि अर्थात द्वितीया, सप्तमी व द्वादशी तिथियाँ भद्रा तिथि कहलाती है ।
जया तिथियाँ – दोनों पक्षों की 3 , 8 और 13 तिथि अर्थात तृतीया, अष्टमी व त्रयोदशी तिथियाँ जया तिथि कहलाती है ।
रिक्ता तिथियाँ – दोनों पक्षों की 4 , 9, और 14 तिथि अर्थात चतुर्थी, नवमी व चतुर्दशी तिथियाँ रिक्त तिथियाँ कहलाती है ।
पूर्णा तिथियाँ – दोनों पक्षों की 5, 10 , 15 , तिथि अर्थात पंचमी, दशमी और पूर्णिमा और अमावस पूर्णा तिथि कहलाती हैं ।
कोई भी तिथि शुभ या अशुभ नहीं परंतु कार्यों के हिसाब से सबके अपने-अपने प्रभाव हैं - सिर्फ एक ही लाइन के "रिक्ता तिथि में उपाय नहीं करनी चाहिए" से भ्रमित ना हो - सभी तिथियां महत्वपूर्ण है