सोमवार, 20 दिसंबर 2010

मोटापा दूर करने के लिए

मोटापा दूर करने के लिए


10 ग्राम शोधन कल्प (आश्रम वाला), १० ग्राम शहद घोल बना के सुबह खाली पेट चाट लो । १-२ बार शौच होगा । इससे मोटापा, कोलेस्ट्रोल दूर होगा ।

पहला प्रयोगः केवल सेवफल का ही आहार में सेवन करने से लाभ होता है।
दूसरा प्रयोगः अरनी के पत्तों का 20 से 50 मि.ली. रस दिन में तीन बार पीने से स्थूलता दूर होती है।
तीसरा प्रयोगः चंद्रप्रभावटी की 2-2 गोलियाँ रोज दो बार गोमूत्र के साथ लेने से एवं दूध-भात का भोजन करने से 'डनलप' जैसा शरीर भी घटकर छरहरा हो जायेगा।
चौथा प्रयोगः आरोग्यवर्धिनीवटी की 3-3 गोली दो बार लेने से व 2 से 5 ग्राम त्रिफला का रात में सेवन करने से भी मोटापा कम होता है। इस दौरान केवल मूँग, खाखरे, परमल का ही आहार लें। साथ में हल्का सा व्यायाम व योगासन करना चाहिए।
पाँचवाँ प्रयोगः एक गिलास कुनकुने पानी में आधे नींबू का रस, दस बूँद अदरक का रस एवं दस ग्राम शहद मिलाकर रोज सुबह नियमित रूप से पीने से मोटापे का नियंत्रण करना सहज हो जाता है।

1 : नींबू
25 ग्राम नींबू के रस में 25 ग्राम शहद मिलाकर 100 ग्राम गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से मोटापा दूर होता है।
एक नींबू का रस प्रतिदिन सुबह गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से मोटापे की बीमारी दूर होती है।।
1 नींबू का रस 250 ग्राम पानी में मिलाकर थोड़ा सा नमक मिलाकर सुबह-शाम 1-2 महीने तक पीएं। इससे मोटापा दूर होता है।
नींबू का 25 ग्राम रस और करेला का रस 15 ग्राम मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा नष्ट होता है।
250 ग्राम पानी में 25 ग्राम नींबू का रस और 20 ग्राम शहद मिलाकर 2 से 3 महीने तक सेवन करने से अधिक चर्बी नष्ट होती है।
1-1 कप गर्म पीनी प्रतिदिन सुबह-शाम भोजन के बाद पीने से शरीर की चर्बी कम होती है। इसके सेवन से चर्बी कम होने के साथ-साथ गैस, कब्ज, कोलाइटिस (आंतों की सूजन) एमोबाइसिस और कीड़े भी नष्ट होते हैं।
2 : सेब और गाजर
सेब और गाजर को बराबर मात्रा में कद्दूकस करके सुबह खाली पेट 200 ग्राम की मात्रा में खाने से वजन कम होता है और स्फूर्ति व सुन्दरता बढ़ती है। इसका सेवन करने के 2 घंटे बाद तक कुद नहीं खाना चाहिए।
3 : मूली
मूली का चूर्ण 3 से 6 ग्राम शहद मिले पानी में मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापे की बीमारी से छुटकारा मिलता है।
मूली के 100-150 ग्राम रस में नींबू का रस मिलाकर दिन में 2 से 3 बार पीने से मोटापा कम होता है।
मूली के बीजों का चूर्ण 6 ग्राम और ग्राम यवक्षार के साथ खाकर ऊपर से शहद और नींबू का रस मिला हुआ एक गिलास पानी पीने से शरीर की चर्बी घटती है।
6 ग्राम मूली के बीजों के चूर्ण को 20 ग्राम शहद में मिलाकर खाने और लगभग 20 ग्राम शहद का शर्बत बनाकर 40 दिनों तक पीने से मोटापा कम होता है।
मूली के चूर्ण में शहद में मिलाकर सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
4 : मिश्री
मिश्री, मोटी सौंफ और सुखा धनिया बराबर मात्रा में पीसकर एक चम्मच सुबह पानी के साथ लेने से अधिक चर्बी कम होकर मोटापा दूर होता है।
5 : चूना
बिना बुझा चूना 15 ग्राम पीसकर 250 ग्राम देशी घी में मिलाकर कपड़े में छानकर सुबह-शाम 6-6 ग्राम की मात्रा में चाटने से मोटापा कम होता है।
6 : सहजन
सहजन के पेड़ के पत्ते का रस 3 चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से त्वचा का ढीलापन दूर होता है और चर्बी की अधिकता कम होती है।
7 : विजयसार
विजयसार के काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।
8 : अर्जुन
अर्जुन के 2 ग्राम चूर्ण को अग्निमथ के काढ़े में मिलाकर पीने से मोटापा दूर होता है।
9 : भृंगराज
भृंगराज के पेड़ के ताजे पत्ते का रस 5 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ प्रयोग करने से मोटापा कम होता है।
10 : शहद
120 से 240 ग्राम शहद 100 से 200 मिलीलीटर गुनगुना पानी के साथ दिन में 3 बार लेने से शरीर का थुलथुलापन दूर होता है।
11 : विडंग
विडंग के बीज का चूर्ण 1 से 3 ग्राम शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा में लाभ मिलता है।
वायविंडग, सोंठ, जवाक्षार, कांतिसार, जौ और आंवले का चूर्ण शहद में मिलाकर सेवन करने से मोटापा में दूर होता है।
12 : तुलसी
तुलसी के कोमल और ताजे पत्ते को पीसकर दही के साथ बच्चे को सेवन कराने से अधिक चर्बी बनना कम होता है।
तुलसी के पत्तों के 10 ग्राम रस को 100 ग्राम पानी में मिलाकर पीने से शरीर का ढीलापन व अधिक चर्बी नष्ट होती है।
तुलसी के पत्तों का रस 10 बूंद और शहद 2 चम्मच को 1 गिलास पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा कम होता है।
13 : बेर
बेर के पत्तों को पानी में काफी समय तक उबालकर पीने से चर्बी नष्ट होती है।
14 : टमाटर
टमाटर और प्याज में थोड़ा-सा सेंधानमक डालकर खाना खाने से पहले सलाद के रूप में खाने से भूख कम लगती है और मोटापा कम होता है।
15 : त्रिफला
रात को सोने से पहले त्रिफला का चूर्ण 15 ग्राम की मात्रा में हल्के गर्म पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इस पानी को छानकर शहद मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे मोटापा जल्दी दूर होता है। त्रिफला, त्रिकुटा, चित्रक, नागरमोथा और वायविंडग को मिलाकर काढ़ा में गुगुल को डालकर सेवन करें।
त्रिफले का चूर्ण शहद के साथ 10 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार (सुबह और शाम) पीने से लाभ होता है।
2 चम्मच त्रिफला को 1 गिलास पानी में उबालकर इच्छानुसार मिश्री मिलाकर सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
त्रिफला का चूर्ण और गिलोय का चूर्ण 1-1 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटने से पेट का बढ़ना कम होता है।
16 : हरड़
हरड़ 500 ग्राम, 500 ग्राम सेंधानमक व 250 ग्राम कालानमक को पीसकर इसमें 20 ग्राम ग्वारपाठे का रस मिलाकर अच्छी तरह मिलाकर सूखा लें। यह 3 ग्राम की मात्रा में रात को गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सेवन करने से मोटापे के रोग में लाभ मिलता है।
हरड़ पीसकर बारीक चूर्ण बना लें और इसे नहाने से पहले पूरे शरीर पर लगाकर नहाएं। इससे पसीने के कारण आने वाली बदबू दूर होती है।
हरड़, बहेड़ा, आंवला, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, सरसों का तेल और सेंधानमक को एक साथ पीसकर 6 महीने तक लगातार सेवन करने से मोटापा, कफ और वायु रोग समाप्त होता है।
17 : सोंठ
सोंठ, जवाखार, कांतिसार, जौ और आंवला बराबर मात्रा में लेकर पीसकर छान लें और इसमें शहद मिलाकर पीएं। इससे मोटापे की बीमारी समाप्त हो जाती है।
सोंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल, चव्य, सफेद जीरा, हींग, कालानमक और चीता बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण सुबह 6 ग्राम चूर्ण में गर्म पानी के साथ पीने से मोटापा कम होता है।
18 : गिलोय
गिलोय, हरड़, बहेड़ा और आंवला मिलाकर काढ़ा बनाकर इसमें शुद्ध शिलाजीत मिलाकर खाने से मोटापा दूर होता है और पेट व कमर की अधिक चर्बी कम होती है।
गिलोय 3 ग्राम और त्रिफला 3 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें और यह सुबह-शाम शहद के साथ चाटने से मोटापा कम होता है।
गिलोय, हरड़ और नागरमोथा बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। यह 1-1 चम्मच चूर्ण शहद के साथ दिन में 3 बार लेने से त्वचा का लटकना व अधिक चर्बी कम होता है।
19 : जौ
जौ का रस व शहद को त्रिफले के काढ़े में मिलाकर पीने से मोटापा समाप्त होता है।
जौ को 12 घंटे तक पानी में भिगोकर सूखा लें और इसका छिलका उतारकर पीसकर एक कप दूध में खीर बनाकर प्रतिदिन सुबह कुछ दिनों तक खाने से कमजोरी दूर होती है।
20 : गुग्गुल
गुग्गुल, त्रिकुट, त्रिफला और कालीमिर्च बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को अच्छी तरह एरण्ड के तेल में घोटकर रख लें। यह चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मोटापा की बीमारी ठीक होती है।
1 से 2 ग्राम शुद्ध गुग्गुल को गर्म पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से अधिक मोटापा कम होता है।
21 तिल
तिल के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से शरीर पर बनी हुई अधिक चर्बी कम होती है।
22 : सरसो
सरसो के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से मोटापा नष्ट होता है।
23 : दही
दही को खाने से मोटापा कम होता है।
24 छाछ
छाछ में कालानमक और अजवायन मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।
25 आलू
आलू को तलकर तीखे मसाले और घी में मिलाकर खाने से चिकनाई वाले पदार्थो के सेवन से उत्पन्न मोटापा दूर होता है।
आलू को उबालकर गर्म रेत में सेंकर खाने से मोटापा दूर होता है।
26 : अपामार्ग
अपामार्ग के बीजों को पानी में पकाकर खाने से भूख कम लगती है और चर्बी कम होने लगती है।
27 : कुल्थी
100 ग्राम कुल्थी की दाल प्रतिदिन सेवन करने से चर्बी कम होती है।
28 : पीपल
4 पीपल पीसकर आधा चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से मोटापा कम होता है।
29 : पालक
पालक के 25 ग्राम रस में गाजर का 50 ग्राम रस मिलाकर पीने से शरीर का फैट (चर्बी) समाप्त होती है। 50 ग्राम पालक के रस में 15 ग्राम नींबू का रस मिलाकर पीने से मोटापा समाप्त होता है।
30 : पानी
भोजन से पहले 1 गिलास गुनगुना पानी पीने से भूख का अधिक लगना कम होता है और शरीर की चर्बी घटने लगती है।
बासी ठंडे पानी में शहद मिलाकर प्रतिदिन पीने से मोटापा में लाभ मिलता है।
250 ग्राम गुनगुने पानी में 1 नींबू का रस और 2 चम्मच शहद मिलाकर खाली पेट पीना चाहिए। इससे अधिक चर्बी घटती है और त्वचा का ढीलापन दूर होता है।
31 डिकामाली
डिकामाली (एक तरह का गोंद) लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में गर्म पानी के साथ मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापा कम होता है।
32 कूठ
कूठ को गुलाब जल में पीसकर पेट पर लेप करने से पेट की बढ़ती हुई अवस्था में लाभ होता है। इसका लेप हाथ, पांव पर लेप करने से सूजन कम होती है।
33 : माधवी
माधवी के फूल की जड़ 10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम छाछ के साथ सेवन करने से कमर पतली व सुडौल होता है।
34 बरना
बरना के पत्तों का साग नियामित रूप से सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
35 : एरण्ड
एरण्ड की जड़ का काढ़ा बनाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
एरण्ड के पत्तों का रस हींग मिलाकर पीने और ऊपर से पका हुआ चावल खाने से अधिक चर्बी नष्ट होती है।
36 : पिप्पली
पिप्पली का चूर्ण लगभग आधा ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ प्रतिदिन 1 महीने तक सेवन करने से मोटापा समाप्त होता है।
पीप्पल 150 ग्राम और सेंधानमक 30 ग्राम को अच्छी तरह पीसकर कूटकर 21 खुराक बना लें। यह दिन में एक बार सुबह खाली पेट छाछ के साथ सेवन करें। इससे वायु के कारण पेट की बढ़ी हुई चर्बी कम होती है।
पिप्पली के 1 से 2 दाने दूध में देर तक उबाल लें और दूध से पिप्पली निकालकर खा लें और ऊपर से दूध पी लें। इससे मोटापा कम होता है।
37 जौखार
जौखार 35 ग्राम और चित्रकमूल 175 ग्राम को अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें। यह 5 ग्राम चूर्ण एक नींबू का रस, शहद और 250 ग्राम गुनगुने पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट लगातार 40 दिनों तक पीएं। इससे शरीर की फालतू चर्बी समाप्त हो जाती है और शरीर सुडौल होता है।
जौखार का चूर्ण आधा-आधा ग्राम दिन में 3 बार पानी के साथ सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
38 लुके मगसूल
50 ग्राम लुके मगसूल को कूटकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण 1 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ सेवन करें। इससे मोटापा दूर होता है।
39 माजून मुहज्जिल
माजून मुहज्जिल 10 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी के साथ रात को सोते समय पीने से पेट का बढ़ना कम होता है।
40 बबूल
बबूल के पत्तों को पानी के साथ पीसकर शरीर पर करने से त्वचा का ढीलापन दूर होकर मोटापा कम होता है।
41 : सुगन्धबाला
सुगन्धबाला, नागकेशर और मोतिया के पत्तों को बारीक पीसकर शरीर पर लगाने से पसीने के कारण आने वाली बदबू दूर होती है।
42 : चित्रक
चित्रक की जड़ का बारीक चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से पेट की बीमारियां और मोटापा समाप्त होता है।
43 : बेल
बेल के पत्तों के रस में शंख का चूर्ण मिलाकर लेप करने से शरीर के अन्दर से आने वाली बदबू कम हो जाती है।
बेल के पत्ते, काली अगर, खस, सुगन्धवाला और चंदन मिलाकर पीसकर शरीर पर लेप करने से शरीर की बदबू मिटती है।
बेल के पत्ते और हरड़ बारीक पीसकर लगाने से मोटापा दूर होता है।
44 : परवल
परवल और चीते का काढ़ा बनाकर सौंफ और हींग का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से मोटापा कम होता है।
45 : समुद्रफेन
समुद्रिफेन को ब्राह्मी के रस में पीसकर शरीर पर लगाने से पसीने की बदबू समाप्त होती है।
46 : हल्दी
हल्दी को दूध में मिलाकर शरीर पर लेप करने से लाभ होता है।
47 : असगंध
असगंध 50 ग्राम, मूसली 50 ग्राम और काली मूसली 50 की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और 10 ग्राम की मात्रा में सुबह दूध के साथ लेने से मोटापे की बीमारी समाप्त होती है।
48 : अजवायन
अजवायन 20 ग्राम, सेंधानमक 20 ग्राम, जीरा 20 ग्राम और कालीमिर्च 20 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण प्रतिदिन सुबह खाली पेट छाछ के साथ पीएं। इससे शरीर की अधिक चर्बी नष्ट होती है।
49 : फलालैन
फलालैन का कपड़ा ढीला करके गले पर लपेटकर रखने से गले की अधिक चर्बी कम होती है।
50 : चावल
चावल का गर्म-गर्म मांड लगातार कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
51 : करेला
करेले के रस में 1 नींबू का रस मिलाकर सुबह सेवन करने से शरीर की चर्बी कम होती है।
52 : चाय
चाय में पोदीना डालकर पीने से मोटापा कम होता है।
53 : दालचीनी
एक कप पानी में आधा चम्मच दालचीनी का चूर्ण डालकर उबालतें और इसमें एक चम्मच शहद प्रतिदिन सुबह खाली पेट और रात को सोते समय खाएं। इससे शरीर का अधिक वनज कम होता है और मोटापा दूर होता है।
54 : रस
फलों का रस बहुत उपयोगी है। मोटापा कम करने के लिए 6 से 8 महीने तक फलों का रस लेना लाभदायक होता है। इसके सेवन से किसी भी प्रकार के दुष्परिणामों का सामना नहीं करना पड़ता। फलों का रस कैलोरी को कम करता है जिससे स्वभाविक रूप से वसा कम हो जाती है। इससे शरीर का वजन और मोटापा कम होता है। गाजर, ककड़ी, पत्तागोभी, टमाटर, तरबूज, सेब व प्याज का रस फायदेमंद होता है।
55 : धनिया
सूखा धनिया 10 ग्राम, गुलाब के सूखे फूल 20 ग्राम और मिश्री को मिलाकर चूर्ण बना लें और यह 2-2 चुटकी सुबह-शाम दूध के साथ लेने से चर्बी नष्ट होती है और मोटापा दूर होता है।
56 : छाछ
मोटापे से परेशान व्यक्ति को प्रतिदिन छाछ पीना चाहिए।
57 : ईसबगोल
ईसबगोल के नियमित सेवन करने से कोलेस्ट्राल नियंत्रित होता है और शरीर में अधिक चर्बी नहीं बनती।
58 : अनन्नास
प्रतिदिन अनन्नास खाने से स्थूलता नष्ट होती है क्योंकि अनन्नास चर्बी को नष्ट करता है।

मोटापा कम करे यह स्पेशल चाय
धनिया- इससे मोटापा कम होता है और पाचन तंत्र भी मजबूत होता है। अदरक- इसमें जलन कम करने वाला यौगिक ओल्डेरोसिन होता है जो पाचनतंत्र की मांसपेशियों के लिए लाभदायक होता है। गुड़- गुड़ कैल्शियम का मुख्य स्रोत है।

मोटापा कम करे यह स्पेशल चाय एक चम्मच सूखा अदरक पाउडर, आधा चम्मच धनिया पाउडर, दो चम्मच गुड़, आधा चम्मच सौंफ, एक टी बैग और एक कप पानी। सौंफ को दो मिनट पानी में उबालिए और गर्म पानी में 1 मिनट के लिए टी बैग डालें। इससे फ्लेवर आ जाएगा। और चाय का स्वाद भी कुछ बदल जाएगा जो पीने में अच्छा लगेगा। आखिर में सारे पदार्थ इसमें मिला दें और गुड़ मिलाकर इसे घोलें। जब गुड़ मिल जाए तो स्वाद के साथ पीएं।

चुम्बक चिकित्सा द्वारा मोटापे का उपचार-
हम जानते हैं कि चुम्बक हमारे शरीर की ग्रन्थियों की दोषपूर्ण क्रिया को ठीक करती है तथा ग्रन्थियों को ठीक दिशा में कार्य करने में मदद करता है इसलिये इस रोग का चुम्बक से इलाज करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
मोटे व्यक्तियों को रोजाना सुबह अपने हथेलियों पर शक्तिशाली चुम्बकों का प्रयोग करना चाहिए तथा शाम को इन चुम्बकों का प्रयोग अपने नाभि के ऊपर अर्थात मध्य रेखा के 5 सेंटीमीटर की दूरी पर दोनों ओर सूचीवेधन बिंदु St-21 पर लगाना चाहिए तथा इस प्रयोग में उत्तरी ध्रुव वाला चुम्बक सूचीवेधन बिंदु के दांयी ओर तथा दक्षिणी ध्रुव वाला चुम्बक सूचीवेधन बिंदु के बायीं ओर पर लगाना चाहिए। मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति को चुम्बकित जल का सेवन भी करना चाहिए। इससे बहुत अधिक लाभ मिलता है।

मालिश की भूमिका

सबसे पहले मोटापे से पीड़ित रोगी को समझा देना चाहिए कि जब तक आप अपने खान-पान में सुधार नहीं करेगें, तब तक आपका मोटापा दूर नहीं हो सकता है। सादा भोजन और व्यायाम शरीर में अधिक चर्बी को पिघलाता है। मालिश उसमें सहायता करती है और रोगी के शरीर मे कमजोरी नहीं आने देती है, साथ ही चर्बी घटने पर शरीर के मांस को ढीला नहीं पड़ने देती, बल्कि मालिश शरीर को मजबूत तथा आकर्षक बना देती है। इसलिए मोटापा कम करने वाले व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने भोजन में सुधार करे तथा प्रतिदिन व्यायाम करें। ठण्डी मालिश मोटापा दूर करने में विशेष सहायता करती है, इसके अलावा तेल मालिश या सूखी मालिश भी की जा सकती है। वैसे तेल मालिश का उपयोग कम ही करें तो अच्छा है क्योंकि तेल की मालिश तभी अधिक लाभ देती है जब रोगी उपवास कर रहा हो।
देखा गया है कि मालिश में दलना, मरोड़ना, मांसपेशियों को मसलना, झकझोरना, खड़ी थपकी देना, तेज मुक्की देना और थपथपाना आदि विधियों के प्रयोग से शरीर की फालतू की चर्बी समाप्त हो जाती है।
ये क्रियाएं चर्बी कम करने में महत्त्वपूर्ण साबित होती है। इसके अलावा रोगी को प्रतिदिन 20 मिनट का कटि-स्नान तथा सप्ताह में 2 बार पूरी चादर का लपेट करना चाहिए (इसमें सारे शरीर को गीली चादर में लपेटकर फिर कंबलों से लपेटा जाता है।) इसके अलावा रोगी को कभी-कभी वाष्प-स्नान और `एपसम साल्ट बाथ´ देना चाहिए।
रोगी को उबली हुई सब्जियां, क्रीम निकला हुआ दूध, संतरा, नींबू आदि खट्टे फल तथा 1-2 चपाती नियमित रूप से कई महीने तक लेनी चाहिए। रोगी को तली और भुनी हुई चीजों को अपने भोजन से पूरी तरह दूर रखना चाहिए। उपचार के दौरान रोगी को बीच-बीच में 1-2 दिन का उपवास भी रखना चाहिए। उपवास के दिनों में केवल नींबू पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए। इस प्रकार के भोजन व उपचार से कुछ दिनों तक तो रोगी को कमजोरी महसूस होगी, परन्तु कुछ दिनों के अभ्यास से जब शरीर इसका आदि हो जाएगा, तब रोगी अपने को अच्छा महसूस करने लगेगा।
जिन लोगों को मोटापा थायराइड ग्रंथि की गड़बड़ी के कारण हो गया हो, उन्हें मोटापा दूर करने के लिए क्रीम निकले दूध के स्थान पर गाय का दूध पीना चाहिए, इससे रोगी को कोई नुकसान नहीं होगा। रोगी के लिए आवश्यक यह है कि वह एक समय में ही भोजन करे और सुबह और शाम 250 ग्राम से 300 ग्राम दूध के साथ कुछ फल भी ले, इससे रोगी को जल्दी लाभ होगा।

मोटापा रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
1. इस रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को अपने भोजन करने की आदत पर संतुलन करना चाहिए और इसके बाद प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करना चाहिए।
2. शारीरिक रूप से नियमित व्यायाम करने से काफी हद तक इस बीमारी से छुटकारा मिल सकता है।
3. भूख से ज्यादा भोजन कभी नहीं करना चाहिए तथा शर्करा और चर्बी वाले पदार्थो का भोजन नहीं खाना चाहिए।
4. जहां तक हो सके तो भोजन में नमक का इस्तेमाल कम करना चाहिए। यदि नमक खाना भी है तो सेंधानमक का इस्तेमाल करना चाहिए।
5. अपने भोजन में साग-भाजी तथा हरी सब्जियों का रस ज्यादा लें। अंकुरित दालों का सेवन भी करते रहना चाहिए। अधिकतर गेहूं या चावल से बने पदार्थ ही खाएं। अपने आहार की मात्रा को घटाते रहना चाहिए, इससे चर्बी का बनना रुक जाता है।
6. वैसे कहा जाए तो उतना ही भोजन सेवन करना चाहिए जितनी की शरीर को आवश्यकता हो। प्रतिदिन सुबह के समय में खाली पेट स्वास्थ्य पेय या पानी में शहद व नीबू डालकर हल्का गर्म पानी पीएं। इससे कुछ दिनों में ही रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
7. तांबा-चांदी-सोना के बर्तन में पानी रखकर उसे गरम या गुनगुना करके पीने से शरीर की फालतू चर्बी कम हो जाती है।
8. मोटापा रोग से पीड़ित रोगी को एक गिलास पानी में तुलसी का रस मिलाकर पीना चाहिए तथा पेट पर मिट्टी की पट्टी तथा इसके कुछ देर बाद पेट पर गर्म या ठंडा सेंक करना चाहिए। रोगी को एनिमा क्रिया करके अपने पेट को भी साफ करना चाहिए।
9. रोगी व्यक्ति को कुंजल क्रिया करके उसके बाद भाप स्नान करना चाहिए और सप्ताह में एक बार गीली लपेट का शरीर पर प्रयोग करना चाहिए तथा शंख प्रक्षालन, सूर्यस्नान, गर्म पादस्नान तथा सूखा घर्षण करना चाहिए। इससे मोटापा रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
10. सूर्यतप्त नांरगी बोतल का पानी प्रतिदिन पीने तथा गहरी सांस लेते हुए सैर पर जाने और प्रतिदिन 2 मिनट तक ठहाके लगाकर हंसने से मोटापे का रोग ठीक होने लगता है।
11. मोटापे रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार के आसन हैं जिसको करने से यह रोग ठीक हो जाता है। ये आसन इस प्रकार हैं- भुजंगासन, शलभासन, वज्रासन, पश्चिमोत्तानासन, पवनमुक्तासन, उडि्डयान बंध, मूलबंध तथा सूर्य नमस्कार आदि।
12. रोगी व्यक्ति को रात को सोते समय तांबे के लोटे में पानी रखना चाहिए। इस पानी को सुबह के समय में पीने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।

होम्योपैथिक
1 : ग्रैफाइटिस
मोटापन रोग को ठीक करने के लिए ग्रैफाइटिस औषधि की 3x मात्रा दो सप्ताह से कुछ ज्यादा दिनों तक सेवन कराने से लाभ मिलता है। स्त्रियों के इस रोग को ठीक करने के लिए ग्रैफाइटिस औषधि अधिक उपयोगी होती है।
2 : फाइटोलैक्का
फाइटोलैक्का की एक ग्रेन की टिकिया या एक बूंद की टिकिया एक महीने तक प्रतिदिन दिन में दो बार सेवन करने से मोटापन रोग को ठीक करने में लाभ मिलता है।
3 : फ्यूकस वेसिक्युलोसस
रोगी को फ्यूकस वेसिक्युलोसस औषधि के मदरटिंचर के 5 से 6 बूंद दिन में दो बार सेवन करने से लाभ मिलता है।

बुधवार, 24 नवंबर 2010

दालचीनी

उपयोग : दालचीनी मसालों के रूप में काम में ली जाती है। दालचीनी का तेल बनता है। यह मिठाइयों में सुगंध देने के काम आती है। दालचीनी, साबुन, दांतों के मंजन, पेस्ट, चाकलेट, सुगंध व उत्तेजक के रूप में काम में आती है। दालचीनी, संकेाचक, स्तम्भक, कीटाणुनाशक, वातनाशक, फफून्दनाशक, जी मिचलाना और उल्टी रोकने वाली, पेट की गैस दूर करने वाली है। चाय, कॉफी में दालचीनी डालकर पीने से स्वादिष्ट हो जाती है तथा जुकाम भी ठीक हो जाता है।
दालचीनी हल्की सी कड़वी व मीठी, सुगन्धित, वीर्यवर्द्धक (वीर्य बढ़ाने वाली) त्वचा के रंग में सुन्दरता बढ़ाने वाली, वात-पित्त नाशक, मुंह का सूखना और प्यास को कम करने वाली होती है।
पालक ठण्डा होता है। पालक में दालचीनी डालने से इसकी ठण्डी प्रकृति बदल जाती है। इसी प्रकार दूसरे ठण्डे पदार्थों की प्रकृति बदल जाती है। इसी प्रकार अन्य शीतल पदार्थों की प्रकृति दालचीनी डालकर बदल सकते हैं।
दालचीनी पित्तशामक होती है। यह अपनी गर्मी और तीक्ष्णत: के कारण गुर्दों, स्नायुविक संस्थान और दिल को उत्तेजित करती है। दालचीनी संकोचक और बाजीकरण होने से स्त्री, पुरुषों के यौनांगों (जननांग) के लिए लाभदायक होता है। यह गर्भवती स्त्री के लिए हानिकारक होती है। गर्भवती स्त्रियों को इसे नहीं लेना चाहिए अथवा कम मात्रा में लेना चाहिए।
दालचीनी की उत्तम गुणवत्ता की पहचान :
जो दालचीनी, पतली, मुलायम चमकदार, सुगंधित और चबाने पर तमतमाहट एवं मिठास उत्पन्न करने वाली हो, वह श्रेष्ठ होती है।

दालचीनी का तेल :
दालचीनी से बना यह तेल उत्तम गुण वाला होता है। यह मेडिकल स्टोरों पर उपलब्ध होता है। इस तेल में दालचीनी जैसी गंध व स्वाद होती है। दालचीनी का नया तेल हल्का पीला तथा पुराना होने पर लाल से भूरे रंग का हो जाता है। दालचीनी का तेल भारी और गरिष्ठ होता है जो पानी में डालने पर डूब जाता है। दालचीनी में 2 प्रतिशत तेल होता है जो उड़नशील होता है। इस तेल में गोंद सिनेमिक एसिड, राल, टैनिन, शर्करा, स्टार्च, भस्म, आदि द्रव्य मिलते हैं। दालचीनी का तेल दर्द, घावों और सूजन को नष्ट करता है।
दालचीनी की मात्रा :
दालचीनी गर्म होती है। अत: इसे थोड़ी सी मात्रा में लेते हुए धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए। परन्तु यदि किसी प्रकार का दुष्प्रभाव या हानि हो तो सेवन को कुछ दिन में ही बंद कर देते हैं और दुबारा थोड़ी सी मात्रा में लेना शुरू करें।
दालचीनी पाउडर की मात्रा 1 से 5 ग्राम होती है। पाउडर चम्मच के किनारे से नीचे तक ही भरा जाना चाहिए। बच्चों को भी इसी प्रकार अल्प मात्रा में देते हैं। दालचीनी का तेल 1 से 4 बूंद तक काम में लेते हैं। दालचीनी का तेल तीक्ष्ण और उग्र होता है। इसलिए इसे आंखों के पास न लगाएं।

हकलाना तुतलाना
दालचीनी को रोजाना सुबह-शाम चबाने से हकलापन दूर होता है।
पेट में गैस
दालचीनी पेट की गैस को नष्ट करती है तथा पाचनशक्ति (भोजन पचाने की क्रिया) को बढ़ाती है।
2 चुटकी दालचीनी को पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर पानी के साथ लेने से पेट की गैस नष्ट हो जाती है।
दालचीनी के तेल में 1 चम्मच चीनी (शक्कर) डालकर पीने से पेट की गैस में लाभ होता हैं। ध्यान रहे कि अधिक मात्रा में लेने से हानिकारक होती है।

कब्ज
दालचीनी, सोंठ, जीरा और इलायची थोड़ी सी मात्रा में मिलाकर खाते रहने से कब्ज और अजीर्ण (भूख न लगना) में लाभ होता है।
भूख न लगना
2 ग्राम दालचीनी और अजवायन को बराबर मात्रा में लेकर 3 भाग करके भोजन से पहले चबाने से भूख लगने लगती है।
दमा
दालचीनी का छोटा सा टुकड़ा, चौथाई अंजीर या तुलसी के पत्ते, नौसादर (खाने वाला) ज्वार के दाने के बराबर, 1 बड़ी इलायची, काली दाख 4 (काले मुनक्के) थोड़ी सी मिश्री को मिलाकर बारीक पीसकर सेवन करने से दमे के रोग में लाभ होता है।
विधि : एक कप पानी में सभी चीजों को लेकर उबाल लेते हैं। जब आधा पानी शेष रह जाए तो छानकर रोजाना सुबह व शाम को पीना चाहिए। पीने के आधा घंटे बाद तक कुछ न खाएं, पानी भी न पियें। इसके सेवन करने से दमे का दौरा समाप्त हो जाता है।
बालों का झड़ना
आलिव ऑयल गर्म करके इसमें 1 चम्मच शहद और 1 चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर, लेप बनाकर, सिर में बालों की जड़ों व त्वचा पर स्नान करने से 15 मिनट पहले लगा लें। जिन लोगों के सिर के बाल गिरते हो और जो गंजे हो गये हो उन्हें लाभ होता है।
मूत्राशय संक्रमण
2 चम्मच दालचीनी पाउडर और 1 चम्मच शहद को 1 गिलास हल्के गर्म पानी में घोलकर पीना चाहिए। इससे मूत्राशय के रोग नष्ट हो जाते हैं।

जुकाम
1 ग्राम दालचीनी, 3 ग्राम मुलहठी और 7 छोटी इलायची को अच्छी तरह से पीसकर 400 ग्राम पानी में मिलाकर आग पर पकाकर रख दें। पकने के बाद जब पानी आधा बाकी रह जाये तो इसमें 20 ग्राम मिश्री डालकर पीने से जुकाम दूर हो जाता है।
एक बड़े चम्मच शहद में चौथाई चम्मच दालचीनी का पाउडर मिलाकर एक बार रोजाना खाने से तेज व पुराना जुकाम, पुरानी खांसी और साइनसेज ठीक हो जाते हैं। इसे दिन में कम से कम 3 बार लेना चाहिए तथा रोग ठीक होने तक लेते रहें। रोग की प्रारम्भ में इसे 2 बार रोजाना लेना चाहिए।
1 से 3 बूंद दालचीनी के तेल को मिश्री के साथ रोजाना 2-3 बार सेवन करने से जुकाम में आराम आता है। थोड़ी सी बूंदे इस तेल की रूमाल में डालकर सूंघने से भी लाभ होता है।
सन्तानहीनता, बांझपन
वह पुरुष जो बच्चा पैदा करने में असमर्थ होता है, यदि रोजाना सोते समय 2 बड़े चम्मच दालचीनी ले तो वीर्य में वृद्धि होती है और उसकी यह समस्या दूर हो जाती है।
जिस स्त्री के गर्भाधारण ही नहीं होता, वह चुटकी भर दालचीनी पाउडर 1 चम्मच शहद में मिलाकर अपने मसूढ़ों में दिन में कई बार लगायें। थूंके नहीं। इससे यह लार में मिलकर शरीर में चला जाएगा। इससे स्त्रियां कुछ ही दिनों में गर्भवती हो जाती हैं।
सांस में बदबू
सांसों में आने वाली बदबू के लिए वाष्पीकृत, सल्फर यौगिक उत्तरदायी, होते हैं जैसे- हाइड्रोजन सल्फाइड, मिथाइल, मरकैप्टन आदि। इन यौगिकों के स्रोत में ऐसे बैक्टीरिया होते हैं, जो ऑक्सीजन के बिना भी जीवित रह सकते हैं। ये बैक्टीरिया मुंह की भीतरी दीवार की कोशिकाओं, जीभ, मसूढ़ों और दांतों की संधि के बीच रहते हैं। सुबह 2 कप पानी में 1 चम्मच शहद, आधा चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर गरारे करने से दिन भर सांस में बदबू नहीं आएगी और ताजगी अनुभव होगी।
धूम्रपान
1 चम्मच शहद में 1 चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर एक चौड़े मुंह की छोटी शीशी में रख लें। जब भी बीड़ी, सिगरेट, जर्दा खाने की इच्छा हो तो इसमें अंगुली डुबोकर चूसें। इससे धूम्रपान छूट जाएगा। मन में निश्चय करके भी धूम्रपान को छोड़ा जा सकता है।
हार्टअटैक
शहद और दालचीनी को बराबर मात्रा में मिलाकर एक चम्मच नाश्ते में ब्रेड या रोटी में लगाकर रोजाना खाएं। इससे धमनियों का कोलेस्ट्राल कम हो जाता है। जिसको एक बार हार्ट अटैक आ चुका है, उनको दुबारा हार्ट अटैक नहीं आता है।

मोटापा घटाना
कप पानी में आधा चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर उबालते हैं। इसमें 1 चम्मच शहद डालकर रोजाना सुबह नाश्ते से पहले तथा रात को सोने से पहले पियें इससे वजन कम होगा और मोटापा नहीं बढे़गा।

मुंहासें
3 चम्मच शहद में 1 चम्मच दालचीनी पाउडर और कुछ बूंदे नींबू के रस की डालकर लेप बनाकर चेहरे पर लगाएं। फिर 1 घंटे के बाद धोएं। इससे चेहरे के मुंहासे ठीक हो जाएंगे।
चौथाई चम्मच दालचीनी में नींबू के रस की कुछ बूंदे डालकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं। इसे एक घंटे बाद धोते हैं। इससे मुंहासे ठीक हो जाएंगे।

पेशाब का बार-बार आना
दालचीनी को पीसकर सोते समय पानी से लेने से पेशाब का बार-बार आना कम हो जाता है।
10 ग्राम पिसी दालचीनी में, 10 ग्राम चीनी मिलाकर लगभग 2 ग्राम की मात्रा में रात को सोते समय पानी से लेने से पेशाब के बार-बार आने के रोग से छुटकारा मिलता है।
अफारा (गैस का बनना)
दालचीनी के तेल की 1 से 3 बूंद को मिश्री के साथ सुबह और शाम रोगी को देने से पेट के अफारे (गैस) में लाभ होता है।
योनि का दर्द
1 से 3 बूंद दालचीनी के तेल को बताशे पर डालकर रोजाना सुबह और शाम सेवन करने से योनि का दर्द समाप्त हो जाता हैं।

सिर का दर्द
दालचीनी को पीसकर पानी के साथ सिर पर लेप की तरह से लगाने से ठण्डी हवा लगने से या सर्दी में घूमने से या ठण्ड लगने से होने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
पित्तज या गर्मी के कारण होने वाले सिर के दर्द में दालचीनी, मिश्री और तेजपात को चावलों के पानी में पीसकर सूंघने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
लगभग 5 या 6 बूंद दालचीनी के तेल को 2-3 चम्मच तिल के तेल में मिलाकर मालिश करने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
दालचीनी को पानी में रगड़कर माथे पर लेप करने से सिर दर्द और तनाव दूर हो जाता है।
दालचीनी को पानी में पीसकर मस्तक पर लेप करने से सिर दर्द दूर हो जाता है।
सर्दी के कारण सिरदर्द होने पर पानी में दालचीनी पीसकर गर्म करके ललाट और कनपटी पर लेप करने से लाभ होता है।

याददाश्त कमजोर होना
बराबर मात्रा में दालचीनी और मिश्री को लेकर पीसकर इसका चूर्ण बनाकर कपड़े में छान लें इसे रोजाना 3-4 ग्राम दूध के साथ लेने से याददाश्त मजबूत हो जाती है और भूलने की बीमारी दूर हो जाती है।
शरीर को मोटा और शक्तिशाली बनाना
दालचीनी को बारीक पीसकर इसका चूर्ण बना लें। शाम को इसके लगभग 2 ग्राम चूर्ण को 250 ग्राम दूध में डालकर 1 चम्मच शहद में मिलाकर पीने से शरीर की ताकत के साथ साथ मनुष्य के वीर्य में भी वृद्धि होती है।
प्रसव का आसानीपूर्वक होना
1-1 चम्मच दालचीनी और सौंफ को 200 ग्राम पानी में उबालें जब यह एक चौथाई रह जाये तो इसे ठण्डा करके पीने से प्रसव आसानी से हो जाता है।

नींद न आना
लगभग 125 ग्राम पानी में 3 ग्राम दालचीनी को खूब उबालें। फिर इसको छानकर इसमें 3 बताशे डालकर हल्का गर्म करके सुबह के समय पिलाने से नींद अच्छी आती है।
रक्तप्रदर
रक्तप्रदर में 1 से 3 बूंद दालचीनी का तेल अशोकारिष्ट के प्रत्येक मात्रा के साथ रोजाना 2 बार लेने से गर्भाशय की शिथिलता कम होती है और रक्तप्रदर भी ठीक हो जाता है। रक्तप्रदर में दालचीनी चबाने को भी देना चाहिए।

एड्स
दालचीनी एड्स के लिये बहुत ही लाभदायक होती है क्योंकि इससे खून के सफेद कण की वृद्धि होती है, जबकि एड्स में सफेद कण का कम होना ही अनेक रोगों को आमन्त्रित करता है। साथ ही पेट के कीड़े साफ करने, घाव को भरने एवं ठीक करने के गुणों से युक्त होता है। दालचीनी का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथाई भाग की मात्रा में अथवा तेल 1 से 3 बूंद की मात्रा में रोजाना 3 बार सेवन करें।
नपुंसकता
75 ग्राम दालचीनी को पीसकर छान लें। इस 5 ग्राम चूर्ण को पानी में पीसकर सोते समय लिंग पर सुपारी (लिंग का अगला हिस्सा) छोड़कर लेप करें और 2-2 ग्राम सुबह-शाम दूध से लें। इससे कुछ ही समय में नपुंसकता के रोग से मुक्ति मिल जायेगी ।
कुछ अन्य सरल प्रयोग
दालचीनी, कालीमिर्च और अदरक का काढ़ा पीने से जुकाम दूर हो जाता है।
दालचीनी का सेवन करने से अजीर्ण (भूख न लगना), उल्टी, लार, पेट का दर्द और अफारा (पेट में गैस) मिटता है। यह स्त्रियों का ऋतुस्राव (मासिक-धर्म) साफ करती है और गर्भाशय का संकोचन करती है।
1 ग्राम दालचीनी और 5 ग्राम छोटी हरड़ को मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 100 ग्राम गर्म पानी में मिलाकर रात को पीने से सुबह साफ दस्त होता है और पेट की कब्ज दूर होती है।
लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग दालचीनी और सफेद कत्थे के चूर्ण को शहद में मिलाकर खाने से अपच (भोजन का न पचना) के कारण बार-बार होने वाले पतले दस्त बंद हो जाते हैं।
लगभग 1.20 ग्राम दालचीनी का चूर्ण ताजे पानी से लेने से पेचिश बंद हो जाती है।
दालचीनी का तेल 2 से 3 बूंद 1 कप पानी में मिलाकर सेवन करने से इन्फ्लूएंजा, ज्वर (बुखार), ग्रहणी (दस्त), आन्त्रशूल (आंतों में दर्द), हिचकी और उल्टी में लाभ होता है।
दालचीनी के तेल अथवा रस में रुई का फाया भिगोकर दुखती दाढ़ या दांत पर रखने से लाभ होता है।
दालचीनी, कत्था, जायफल और फिटकरी को मिलाकर उसकी गोटी योनि में रखने से प्रदर रोग मिटता है तथा योनि का संकोचन दूर होता है।
हिचकी
3 बूंद दालचीनी के तेल को आधा कप पानी में मिलाकर पीने से हिचकी बंद हो जाती है।
दालचीनी चबाकर चूसने से हिचकी आना रुक जाती है।

मुंह पर दाग
दूध की मलाई में चुटकी भर दालचीनी मिलाकर चेहरे पर मलने से चेहरे के दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं। बहरापन
शहद और दालचीनी पाउडर को बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच सुबह और रात को लेने से सुनने की शक्ति दुबारा आ जाती है अर्थात बहरापन दूर होता है।
कान से कम सुनाई देने के रोग (बहरापन) में कान में दालचीनी का तेल डालने से आराम आता है।
दीर्घ आयु
एक चम्मच दालचीनी पाउडर को 3 कप पानी में उबालें। उबलने के बाद हल्का सा गर्म रहने पर इसमें 4 चम्मच शहद मिलाएं। एक दिन में इसे 4 बार पियें। इससे त्वचा कोमल व ताजी रहेगी और बुढ़ापा भी दूर रहेगा।
वरिष्ठ नागरिक जो दालचीनी और शहद का बराबर मात्रा में सेवन करते हैं उनका शरीर अधिक फुर्तीला और लचकदार रहता है।
बहरापन
शहद और दालचीनी पाउडर को बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच सुबह और रात को लेने से सुनने की शक्ति दुबारा आ जाती है अर्थात बहरापन दूर होता है।
कान से कम सुनाई देने के रोग (बहरापन) में कान में दालचीनी का तेल डालने से आराम आता है।
कोलेस्ट्राल
2 बड़े चम्मच शहद, 3 चम्मच दालचीनी पाउडर और 400 मिलीलीटर चाय का उबला पानी घोलकर पियें। इसे पीने के 2 घंटे के बाद ही खून में 10 प्रतिशत कोलेस्ट्राल कम हो जाएगा। यदि 3 दिन तक लगातार पियें तो कोलेस्ट्राल का कोई भी पुराना रोगी हो वह ठीक हो जाएगा।
कंधे में दर्द
कभी-कभी कंधे में दर्द होता है। दालचीनी का प्रयोग करने से कंधे का दर्द ठीक हो जाता है।
शहद और दालचीनी पाउडर को बराबर मात्रा में मिलाकर रोजाना 1 चम्मच सुबह के समय सेवन करने से शरीर में रोगाणुओं और वायरल संक्रमण से लड़ने की शक्ति बढ़ती है, शरीर की प्रतिरोधी शक्ति बढ़ती है। कंधे पर इसी मिश्रण की मालिश करके अन्त में लेप करना चाहिए।
बालों का दोमुंहा होना
बालों पर एक चमकदार और सुरक्षित परत होती है जिसे क्यूटिकल कहते हैं। जब यह परत टूटती है, तो बालों के सिरे भी टूटने लगते हैं। कई बार बालों के अत्यधिक सूखे और कमजोर होने के कारण भी बाल दोमुंहे होने लगते हैं। गीले बालों में कंघी करने से भी बालों की सुरक्षा परत को नुकसान पहुंचता है और यह भी बालों के दोमुंहे होने का कारण बनते हैं। इसी तरह तेज-तेज कंघी करने और धूप में ज्यादा देर रहने से भी बाल कमजोर हो जाते हैं।
दोमुंहे बालों का सबसे अच्छा यही उपचार है कि उन्हें काट दें। बालों को नियमित रूप से काट-छांटकर उन्हें दोमुंहा होने से बचाया जा सकता है। बालों की सुरक्षा हेतु दालचीनी का प्रयोग करें। इससे बाल मजबूत और सुरक्षित रहेंगे।
गठिया (जोड़ों का दर्द/सूजन)
1 भाग शहद, 2 भाग हल्का गर्म पानी और 1 छोटी चम्मच दालचीनी पाउडर को मिला लेते हैं। जिस जोड़ में दर्द कर रहा हो, उस पर धीरे-धीरे इसकी मालिश करें। दर्द कुछ ही मिनटों में मिट जाएगा।
1 गिलास दूध में 1 गिलास पानी मिलाकर इसमें 1 चम्मच पिसी हुई दालचीनी, 4 छोटी इलायची, 1-1 चम्मच सोंठ व हरड़ तथा लहसुन की 3 कली के छोटे-छोटे टुकडे़ डालकर उबालें जब दूध आधा शेष रह जाए तो इसे गर्म ही पीना चाहिए। लहसुन को भी दूध के साथ ही निगल जाना चाहिए। इससे आमवात व गठिया में लाभ मिलता है।
खांसी
दालचीनी को चबाने से सूखी खांसी में आराम मिलता है और यदि गला बैठ गया हो तो आवाज साफ हो जाती है।
चौथाई चम्मच दालचीनी पाउडर को 1 कप पानी में उबालकर 3 बार पीते रहने से खांसी ठीक हो जाती है तथा बलगम बनना बंद हो जाता है।
20 ग्राम दालचीनी, 320 ग्राम मिश्री, 80 ग्राम पीपल, 40 ग्राम छोटी इलायची, 160 ग्राम वंशलोचन को बारीक पीसकर मिलाकर मैदा की छलनी से छान लेते हैं। इसके बाद एक चम्मच शहद को आधा चम्मच मिश्रण में मिलाकर सुबह-शाम चाटे जो लोग शहद नहीं लेते हैं वे गर्म पानी से फंकी करें। यह मिश्रण घर में रखते हैं। जब कभी किसी को खांसी हो इसे देने से लाभ होता है।
50 ग्राम दालचीनी पाउडर, 25 ग्राम पिसी मुलहठी, 50 ग्राम मुनक्का, 15 ग्राम बादाम की गिरी, 50 ग्राम शक्कर को लेकर बारीक पीसकर पानी मिलाकर मटर के दाने के आकार की गोलियां बना लेते हैं। जब भी खांसी हो 1 गोली चूसे अथवा हर 3 घंटे बाद एक गोली चूसे। इससे खांसी नहीं चलेगी और मुंह का स्वाद हल्का होगा।
कायफल के चूर्ण को दालचीनी के साथ खाने से पुरानी खांसी और बच्चों की कालीखांसी दूर हो जाती है। अपच
दालचीनी की 2 ग्राम छाल के चूर्ण को दिन में दो बार पानी से लेने से अपच (भोजन का न पचना) का रोग ठीक हो जाता है।
वीर्यवर्द्धक- दालचीनी को बहुत ही बारीक पीस लेते हैं। इसे 4-4 ग्राम सुबह व शाम को सोते समय दूध से फांके। इससे दूध पच जाता है और वीर्य की वृद्धि होती है।

पौष्टिक दालचीनी

रसोई में गरम मसाले के रूप में प्रयोग में ली जाने वाली दालचीनी वाकई सेहत के लिए लाभकारी है। यह एंटीसेप्टिक, एंटीफंगल और एंटी वायरल होती है। यह पाचक रसों के स्त्राव को भी उत्तेजित करती है। दांतों की समस्याओं को दूर करने में भी यह उपयोगी है। दालचीनी के चंद घरेलू उपयोग -
- रात को सोते समय नियमित रूप से एक चुटकी दालचीनी पाउडर शहद के साथ मिलाकर लेने से मानसिक तनाव में राहत मिलती है और स्मरण शक्ति बढ़ती है।
- इनफ्लूएंजा, मलेरिया, गले के बैठने जैसे रोगों में दालचीनी गुणकारी है। इन रोगों से छुटकारा पाने के लिए दालचीनी का बारीक पाउडर एक गिलास पानी में उबालें और चुटकीभर कालीमिर्च व शहद के साथ लें।- दालचीनी का नियमित प्रयोग मौसमी बीमारियों को दूर रखता है।
- ठंडी हवा से होने वाले सिरदर्द से राहत पाने के लिए दालचीनी के पाउडर को पानी में मिलाकर पेस्ट बनाकर माथे पर लगाएं।
- दालचीनी पाउडर में नीबू का रस मिलाकर लगाने से मुंहासे व ब्लैकहैड्स दूर होते हैं।
- दालचीनी, डायरिया व जी मिचलाने में भी औषधी के रूप में काम में लाई जाती है।
- मुंह से बदबू आने पर दालचीनी का छोटा टुकड़ा चूसें। यह एक अच्छी माउथ फ्रेशनर भी है।
- दालचीनी में एंटीएजिंग तžव उपस्थित होते हैं। एक नीबू के रस में दो बड़े चम्मच जैतून का तेल, एक कप चीनी, आधा कप दूध, दो चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर पांच मिनट के लिए शरीर पर लगाएं। इसके बाद नहा लें, त्वचा खिल उठेगी।
- दालचीनी पाउडर की तीन ग्राम मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ लेने पर दस्त बंद हो जाते हैं।

त्वचा का सौंदर्य निखारें


*त्वचा का रंग निखारने मे सबसे महत्वपूर्ण काम केसर का होता है*किसी भी पैक या उबटन मे केसर चुटकी भर डालें त्वचा मे निखार आयेगा .
*प्रति दिन किसी भी तरह से कच्चा लहसुन खायेइससे रक्त काशुध्दीकरण होता है जिसके कारण चेहरे का रंग निखरता है।कोलेस्ट्रोल भी कम होता हैआपके शरीर की सुंदरता को निखारता है।
*त्वचा को मुलायम बनानाहो तो किसीभीमसाज तेल में चुटकी भर लौग पावडर मिलादें फिर मसाज करें
*दिन भर में कम ,से कम दस ग्लास पानी पियें
*भोजन में दूध दही रोजाना लें
*भरपूर नींद ले वरना चेहरे की चमक जाती रहेगी.
*पेट हमेशा साफ रखें कब्ज न होने दें।
*त्वचा की सफाई बराबर करती रहें वरना काला पन होजायेगा।
*रोजाना सोते समयदालचीनी चूरण एक च शहद के साथलेइससेसैंदर्यनिखरता है.
*दाल चीनी पावडर पानी मे डालकर पीने से पानी की कमी दूरहोतीहै,*पानी मे डालकर नहाने से ,सौदर्य बढता है और भीनी भीनी खुशबू आती है।
*दालचीनी त्वचा के लिये कंडीशनर का काम करता है
*चेहरे पर दालचीनी शहद का पैक लगाये झुर्रिया नही पडेंगी*हाथों की कोहनी ,पैर की एडी की त्वचा सख्त हो जाती है तो छोटी इला.यची का चूरणकिसी क्रीम मे मिलाकर लगाने से तुरंत लाभहोगा।
*ठंड के दिनो मे बेबीआयल मेंदालचीनी पावडर ,छो इला.यची पावडर डालकर स्नान के बाद मसाज करें त्वचा निखरती है वखुशबू आती है ।त्वचा का रंग निखारनेके लिये सबसे आसान हल्दी का प्र.योग हैबेसन या आटा मे थोडी सी मलाई व हल्दी डालकर चेहरे पर मलें धीरे 2छुडाते रहें जब बत्ती बनकर उतरने लगे तबतक मले,हफ्ते मे दो बार करें।-
-*त्वचा को खूबसूरत बनाने के घरेलू उपाय
*अण्डेकी सफेदी मेथोडीसा शहद मिलाकर इसका पैक बनाकर त्वचा पर लगाये ।बादाम ,लौग,को सम भाग मे लेकर पावडर बनाए आधा च पावडर को कच्चे दूध मे चुटकी भर हल्दी मिलाकर चेहरे पर लगाये थोडी देर बाद धो लेलाल मसूर की दाल,दो बादाम रात मेभिगा दे सुबह पीसकरचेहरेमुरझाई त्वचा के लिये जैतून का तेल जल्द असर करता है बस तेल लगाकर थोडी देर छोड दे पंद्रह मिनट बाद धोले त्वचा की नमी खो गईहै भीगी मूलतानी मिट्टी ,जैतून का तेल मिलाकर दस मिनट के लिये चेहरे पर लगाये फिर धो ले।मुरझाई त्वचा के लिये जैतून का तेल जल्द असर करता है बस तेल लगाकर थोडी देर छोड दे पंद्रह मिनट बाद धोलेत्वचा कीनमी खो गईहै भीगी मूलतानी मिट्टी ,जैतून का तेल मिलाकर दस मिनट के लिये चेहरे पर लगाये फिर धो ले।पर लगाये सूखने पर दूध से हटाय
4अगर मुहासे हो जाये तो कैसे ,साफकरेपानी में नीम की कुछ पत्तियां डालकर रख दे इससे चेहरे को साफ करें दो तीन बार सुविधा नुसार मुह धोयेनीम ,लौग,हल्दी गुलाबजल,चंदन,सबको मिलाकर लेपलगायेशहद दही मिलाकर चेहरे पर लेप लगाये प्राकृतिक नमी देगाकारणदही मे लैक्टिकएसिड होता है जो त्वचा पर निखार लाता हैचेहरे पर नीबू रस आलूका रस ,दूध,चोकर,मिलाकर उबटन लगाये.मुहासे जब निकलते हो तो उसपर बरफ लगायें ,,

क्या आप जानते हैं

दही मुँह का दुर्गंध मिटाती हैदही का सेवन करने से मसूड़ों की बीमारी व दाँतों की बीमारी कम होती है। दही में पाये जाने वाले बैक्टीरिया मसूड़ों एवं दाँतों की रक्षा करते हैं। ये मुँह के हानिकारक बैक्टीरिया को बैलेंस रखने में मदद करते हैं। दही रोज खायें, साँसों में ताजगी पायें।

पपीते खाने से क्या फायदा है पपीता में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है, जिससे आपकी त्वचा में निखार आता है। त्वचा जवां नजर आती है, झुर्रियाँ कम पड़ती हैं, त्वचा में पतलापन व सूखापन नहीं होता। विटामिन सी हमारी त्वचा के लिए जरूरी है। यह त्वचा को जरूरी पोषण देता है।

केसर बड़े काम की चीज हैकेसर गर्भवती महिलाओं के लिए वरदान है। केसर इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। इससे गर्भस्थ शिशु का अच्छा विकास होता है, यानी शारीरिक और मानसिक विकास। यह माँ को शक्तिशाली बनाता है। केसर सुरक्षित डिलिवरी के वास्ते बेहद जरूरी है। यह स्त्रियों की शारीरिक सुंदरता को बनाये रखता है। त्वचा में निखार लाता है। गर्भवती महिलाओं को रोज जरा सा केसर डाल कर दूध उबाल कर पीना चाहिए।

नारियल तेल से आपकी सुंदरता बढ़ती है। यह हमारी त्वचा को खूबसूरत बनाता है। यह त्वचा का रूखापन दूर करता है। यदि एड़ियाँ फटी हों, तो रात को लगा कर सो जायें, कुछ दिनों में ठीक हो जायेगा। यह त्वचा के दाग-धब्बे व निशान को साफ करता है। बालों को चमकदार बनाता है, उन्हें पोषण देता है। चेहरे व शरीर पर नारियल तेल की हल्के हाथों से मालिश करें। यह झुर्रियों को उम्र से पहले आने से रोकता है।क्या आप जानते हैं कि छाछ गर्मी और सर्दी दोनों मौसम में अमृत है। इसे सेंधा नमक, भुना जीरा, काली मिर्च डाल कर लें। यह पाचन क्रिया ठीक रखने और शरीर को फुर्तीला रखने में सहायक है।

दवा से बेहतर व्यायाम है? क्या छोटे, क्या बड़े, क्या मोटे, क्या पतले, क्या किसी खास बीमारी के शिकार हैं यानी रक्तचाप मधुमेह में विशेषज्ञ की सलाह से व्यायाम करें। हर तरह के विकार को दूर कर चुस्त, दुरुस्त व फुर्तीला बनायेगा। व्यायाम का रूटीन बनाये रखें।

आहार को ताकतवर कैसे बनाया जाये? रोजाना आहार में फल-सब्जियों को जगह अवश्य दें।चोकर सहित (मोटा आटा) पुराना तथा बिना पॉलिश का चावल खायें।डिब्बा बंद आहार की जगह घर का सादा ताजा भोजन करें।थोड़ी मात्रा में सूखे मेवे अवश्य लें। नमक जरा कम लें।प्रतिदिन 10 गिलास पानी पियें।सब्जियों को पकाने में सरसों के तेल का इस्तेमाल करें।

तेलों में छिपे महत्व को समझें


शरीर के विकास के लिये अतिरिक्त कैलोरी की जरूरत होती है तेल कैलोरी का एक मुख्य व ठोस स्त्रोत है ।बच्चों को इसकी जरूरत करीब- करीब अठारह बीस साल की उम्र तक अधिक होती है इसके बाद अतिरिक्त तेल का जरूरत धीरे धीरे कम पडती जाती है और अगर फिर भी आप लगातार अधिक तेल इस्तेमाल करते रहे तो मोटापे के साथ-साथ और कई बीमारियों के शिकार हो सकते है ।कारण तेल में होने वाले कोलेस्ट्रॉल जो हमारे क् लिये नुकसाल दायकककक होता है ।ज्यादातर सभी तलों गी फूड़वैल्यू एक जैसी होती है ।तेल का मेडिकल नाम ट्रइग्लाइसराइडहैं ।तेल अपने में खुद बेस्वाद होता है परंतु सब्जियों में स्वाद उसमें डाले गये मसाले तथा नमक के कारण होता है ।

1. नीम का तेल- नीम के कड़वा होने के बावजूद भी उसमें अनेक गुण हैं। इसका तेल चर्म रोगों में लाभदायक है। कारण यह जीवाणुओं का नाश करता है। नीम के निंबोली का तेल गर्भ निरोधक के रूप में काम आता है। पायरिया रोग में इस तेल की कुछ बूंदें टूथ पेस्ट में डाल कर ब्रश करें। मुंह की बदबू खत्म होगी। मसूड़ों के रोग नष्ट होंगे। इसका तेल बाजार में उपलब्ध है।

2. जैतून का तेल- जैतून का तेल कोई साधारण तेल नहीं है। इसकी मालिश से शरीर काफी आराम मिलता है। यहां तक कि लकवा जैसे रोगों तक को ठीक करने की क्षमता रखता है। इससे अगर आप महिलाएं अपने स्तन के नीचे से ऊपर की ओर मालिश करें, तो स्तन पुष्ट होते हैं। सर्दी के मौसम में इस तेल से शरीर की मालिश करें, तो ठंड का एहसास नहीं होता। इससे चेहरे की मालिश भी कर सकते हैं। चेहरे की सुंदरता एवं कोमलता बनाये रखेगा। यह सूखी त्वचा के लिए उपयोगी है।

3. तिल का तेल- तिल विटामिन ए व ई से भरपूर होता है। इस कारण इसका तेल भी इतना ही महत्व रखता है। इसे हल्का गरम कर त्वचा पर मालिश करने से निखार आता है। अगर बालों में लगाते हैं, तो बालों में निखार आता है, लंबे होते हैं।जोड़ों का दर्द हो, तो तिल के तेल में थोड़ी सी सोंठ पावडर, एक चुटकी हींग पावडर डाल कर गर्म कर मालिश करें। तिल का तेल खाने में भी उतना ही पौष्टिक है विशेषकर पुरुषों के लिए।

4. अलसी का तेल- जिस तरह अलसी तमाम औषधीय गुणों से भरपूर है, उसी तरह इसका तेल भी महत्व रखता है। अगर त्वचा जल जाये, तो अलसी का तेल लगाने से दर्द व जलन से राहत मिलती है। इसमें विटामिन ई होता है। इसका कुष्ठ रोगियों को सेवन करना चाहिए। त्वचा पर लाभ होगा।

5. अरण्ड का तेल- इस तेल से सिर पर मालिश करने पर ठंडा महसूस होता है। बालों की जड़ों को मुलायम बनाता है। अरण्ड का तेल दो चम्मच दूध में डालकर अगर सेवन करते हैं, तो कब्ज की शिकायत दूर होती है। पेट की किसी भी तकलीफ में अरण्ड का तेल दवा जैसा काम करता है। शरीर पर लगाने से त्वचा का रंग साफ होता है। इसके सेवन से स्मरण शक्ति भी बढ़ती है।

6. मूंगफली का तेल- जिस तरह मूंगफली पौष्टिक होती है। उसी तरह उसका तेल भी लाभदायक होता है, पचने में हल्का। इसके सेवन से प्रोटीन मिलता है। रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कंट्रोल करता है। इसलिए हृदय रोगी इसका सेवन कर सकते हैं। इसके सेवन से जोड़ों के दर्द में लाभ होता है। इसके मालिश से चर्म रोगों में आराम मिलता है।

7. सरसों का तेल- सरसों का तेल मालिश करने पर शरीर के रक्त संचार को बढ़ाता है। थकान दूर करता है। नवजात शिशु एवं प्रसूता की मालिश इसी तेल से करनी चाहिए। सर्दियों में इस तेल की मालिश लाभदायक है। सरसों के तेल को पैर के तलुओं में सुखाने से थकान तुरंत मिटती है तथा नेत्रज्योति बढ़ती है। दाद, खाज, खुजली जैसे चर्म रोग से निजात पायी जा सकती है। चर्म रोग पर सरसों का तेल, आक का तेल, हल्दी डाल कर गर्म करें। ठंडा हो जाने पर लगायें। सरसों का तेल गुनगुना कर पिंडलियों पर लगायें, दर्द ठीक हो जायेगा। गठिया पर सरसों के तेल से मालिश करने पर आराम मिलता है।सरसों का तेल नियमित रूप से बालों पर लगाते रहने से बाल समय से पहले सफेद नहीं होते। सरसों के तेल में सेंधा नमक डाल कर मसूड़ों की मालिश करें। पायरिया ठीक होगा। मसूड़ों से खून आना बंद होगा। बच्चों या बड़ों को जुकाम हो जाये, तो तेल में लहसुन पका कर तेल वापस थोड़ा ठंडा होने पर सीने पर मालिश करें। सर्दी-जुकाम ठीक हो जाता है।

8. राई का तेल- राई का तेल निमोनिया रोग से बचाव करता है। इस तेल की हल्की-हल्की मालिश कर के गुनगुनी धूप लें। इस तरह नियमित रूप से करने पर निमोनिया में फायदा होता है।

9. नारियल का तेल- नारियल के तेल में कपूर मिला कर यदि त्वचा पर लगायें, तो दाद, खाज, खुजली की शिकायत दूर होती है। यदि त्वचा जल जाये, तो तुरंत नारियल का तेल उस पर लगायें, निशान नहीं पड़ेगा। उस पर कुछ दिनों तक लगाते रहें। यह तेल बालों के लिए भी बेहतर होता है।

10. आंवले का तेल- इसमें विटामिन सी और आयरन होता है, जो बालों के लिए पोषक है। बालों के लिए आंवले का तेल बहुत अच्छा है।

फेंके नहीं इस्तेमाल की हुई चाय पत्ती

फेंके नहीं इस्तेमाल की हुई चाय पत्ती
चाय बनाने के बाद छनी हुई चाय की पत्तियां अक्सर लोग बेकार समझकर फेंक देते हैं, लेकिन हम आपको यह बताएगें कि आप इन चाय की पत्तियों को फिर से कैसे इस्तेमाल करें -
- हाथ-पांव या किसी अंग में कट गया हो और खून बह रहा हो, तो इसे भर दें।
- बालों को मुलायम बनाने के लिए चाय की पत्ती को मेहंदी, आंवला के साथ सर पर लगायें अच्छी तरह सूख जाने पर धोयें।
-चाय की पत्ती कपड़े में बांध कर उबलते छोले में डाल दें। इससे छोला रंगदार व स्वादिष्ट बन जाएगा। -चाय की पत्ती को पानी में डालकर उबालें उस पानी से लकडी़ के फर्नीचर और शीशा साफ करें। दाग धब्बे छूट जायेंगे व चमकदार हो जाते हैं।
-बनी हुई चाय की पत्ती अच्छी तरह धो लें। उसमें मिठास न रह जाय। उसे मनीप्लांट और गुलाब पौधे में डालें यह खाद का काम करेगी।
-बनी हुई चाय की पत्ती दुबारा पानी में डाल कर उबालें। उस पानी से घी और तेल के डब्बे साफ करें। इससे डब्बे की दुर्गंध जाती रहेगी।
-जिस स्थान पर अधिक मक्खियां बैठ रही हों। वहां धोयी हुई चाय की पत्ती को गीला करके रगड़ दें।
-चाय की पत्ती में थोड़ा सा विम पाउडर मिलाकर क्राकरी साफ करें। उसमें चमक आ जाएगी।

गुरुवार, 18 नवंबर 2010

ये बुखार ,प्लेटलेट्स और हीमोग्लोबिन

ये बुखार ,प्लेटलेट्स और हीमोग्लोबिन
सभी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में बुखार का प्रकोप है बल्कि यूं कहिये कि जहां बुखार नहीं वहाँ पेट दर्द, उल्टी, चक्कर वगैरा वगैरा ... रोज मेरे पास देश के विभिन्न भागों से प्लेटलेट्स बढ़ाने और हीमोग्लोबिन बढाने के लिए जड़ी-बूटियाँ पूछी जा रही हैं. आप सभी की समस्यायों को देखते हुए मैंने आज ये ही चीजें आपको बताने का निर्णय लिया है ---
-अगर हल्का सा भी बुखार महसूस हो तो सबसे पहले एक बड़ा चम्मच अजवाईन आप पानी से निगल लीजिये और अश्वगंधा का चूर्ण भी एक बड़ा चम्मच पानी से निगल लीजिये ,दोनों के बीच में आधे घंटे का गैप रख सकते हैं. इससे या तो बुखार चढने नहीं पायेगा या चढ़ गया तो तकलीफदेह नहीं होगा न ही ज्यादा नुक्सान पहुंचाएगा.
दूसरा काम तुरंत दूध का प्रयोग बंद कीजिए , काली चाय पीकर काम चलाइये . अजवाईन और अश्वगंध लगातार ५ दिन खाते रहिये, बुखार हो गया हो तो भी और न हुआ हो (रुक गया हो) तो भी. जो लोग बुखार और अस्पताल की प्रक्रिया से वापस आ चुके हैं वे शरीर को हुई क्षतिपूर्ति के लिए अजवाईन ,अश्वगंधा ,गिलोय और हरीमिर्च का सहारा लें . इनसे ताकत , खून की कमी, प्लेटलेट्स सभी सामान्य दशा में लौटेगी .
प्रतिदिन ६ ग्राम अश्वगंधा का पावडर सुबह सवेरे पानी से निगलें, फिर नाश्ता फिर अजवाईन ५ ग्राम पानी से निगलें. दोपहर में गिलोय का पावडर केवल ४ ग्राम खाएं पानी से ही निगलना होगा फिर लंच .साथ ही दिन भर में आपको ६-७ हरी मिर्च कच्ची ही खानी होगी नाश्ते,लंच और डिनर में. ये बहुत जरूरी है .
चाय में दालचीनी पकाकर पियें , चेहरे की चमक भी लौट आयेगी अंग्रेजी दवाओं के साइड इफेक्ट भी ख़त्म होंगे इन दवाओं से ज्यादा सुरक्षित और सस्ता तरीका और कोई नहीं है सिर्फ ७ दिन के प्रयोग में ही आपको जादू जैसा असर दिखाई देगा .ईश्वर सभी को स्वस्थ रखें

सिर्फ मरीजों की सब्जी नहीं है परवल

सिर्फ मरीजों की सब्जी नहीं है परवल
परवल दो तरह के होते हैं -एक कडुवा और दूसरा मीठा
बाज़ार में केवल मीठे परवल ही आते हैं जिनकी हम सब्जी खाते हैं. इसकी लताएँ होती हैं ,जो घरों में गमले में लगाई जा सकती हैं. एक बार लगाने पर एक से ज्यादा फसल इनसे मिलती है.
परवल बनाने के तो हजार तरीके प्रचलित हैं ,पर आइये आज देखते हैं कि इनका औषधीय उपयोग क्या है?
***सबसे पहले यह देखिये कि परवल में खून शुद्ध करने का बहुत महत्वपूर्ण गुण पाया जाता है. अगर शरीर में फोड़े -फुंसियां ज्यादा मात्रा में निकाल रही हैं तो बस परवल की कम मसालेदार सब्जी खाना शुरू कर दीजिये २१ दिनों में ही खून की सारी अशुद्धता दूर हो जायेगी और फोड़े फुंसियां निकलना बंद हो जायेंगी
***अगर कहीं आपको कडुवा परवल मिल जाए तो वो आपके गंजेपन को चुटकी बजाते ही दूर कर देगा. कडुवे परवल का रस निकालिए और उसे गंजे सर पर सिर्फ सात दिनों तक लेप कीजिए और रात भर छोड़ दीजिये , नए बाल उग आयेंगे
*** परवल के पत्तों का रस भी गंजेपन को दूर कर देता है ,२१ दिन लगाना पडेगा
*** चेचक निकली हो तो परवल की जड़ का काढा बस दो बार आधा आधा कप पिला दीजिये
*** अगर सर में दर्द हो तो परवल की जड़ को घिस कर मलहम बना लीजिये और उसे माथे पर लेप दीजिये, फ़ौरन आराम मिलेगा
*** हैजा हो गया हो तो परवल और इसके पत्ते की ही सब्जी बार बार खिलाये ,बेहद आराम महसूस होगा .
*** अपच की शिकायत हो या पेट कमजोर हो तो परवल और इसके पत्तों का काढा बनाइये और मिश्री या शक्कर मिला कर आधा आधा कप सुबह शाम ३ दिनों तक पिला दीजिये
देखा आपने परवल कितना गुणकारी होता है ,भला डाक्टर्स इसे खाने की राय न दें तो क्या करें ,इसकी उपेक्षा बहुत मुश्किल है.
मुझे उम्मीद है कि आप लोग खोज-खाज कर दोनों तरह के परवल अपने गमलों में लगा लेंगे क्योंकि बाजार में तो सिर्फ परवल मिलता है ,इसके पत्ते और जड़ तो मिलते नहीं .
सिर्फ मरीजों की सब्जी नहीं है परवल

सरसों का तेल

सरसों का तेल
सरसों का तेल कोई नई चीज़ नहीं है आपके लिए लेकिन है बड़े काम की चीज़ बस रात में सोते समय दोनों नाक में दो दो बूँद डाल लीजिये . पांच दिनों तक लगातार ये काम कीजिए ,उसके बाद जब कभी याद आ जाए तो फिर डाल लीजिएगा .इसके फायदे---
**जो खांसी किसी दवा से अच्छी न हो रही हो वह इस प्रक्रिया से अच्छी हो जायेगी
**श्वास लेने में होने वाली सारी तकलीफें ख़त्म
**शरीर में हल्कापन महसूस होगा
**श्वास फूलना ख़त्म**नाक बंद हो जाना, ख़त्म . बड़ी तकलीफ होती है जब जाड़े के दिनों में नाक जाम हो जाती है और मुंह से श्वास लेनी पड़ती है, छोटे बच्चे तो इस तकलीफ से सबसे ज्यादा परेशान होते हैं और रो रोकर पूरा घर सिर पे उठा लेते हैं.और आसानियाँ तो आप जब ये काम करेंगे तो खुद ही महसूस करेंगे.

शुक्रवार, 12 नवंबर 2010

पेट में पीडा

पेट में पीडा
पेट में पीडा होने की व्याधि वक्छ(छाती) से तलपेट के मध्य के क्छेत्र में किसी भी जगह मेहसूस हो सकती सिद्ध होते हैं-
१) पेट दर्द मे हींग का प्रयोग लाभकारी है। २ ग्राम हींग थोडे पानी के साथ पीसकर पेस्ट बनाएं। नाभी पर और आस पास यह पेस्ट लगावें । लेटे रहें। इससे पेट की गैस निष्काषित होकर दर्द में राहत मिल जाती है।
२) अजवाईन तवे पर सेक लें । काला नमक के साथ पीसकर पावडर बनाएं। २-३ ग्राम गरम पानी के साथ दिन में ३ बार लेने से पेट का दर्द दूर होता है।
३) जीरा तवे पर सेकें। २-३ ग्राम की मात्रा गरम पानी के साथ ३ बार लें। इसे चबाकर खाने से भी लाभ होता है।
४) पुदिने और नींबू का रस प्रत्येक एक चम्मच लें। अब इसमें आधा चम्मच अदरक का रस और थोडा सा काला नमक मिलाकर उपयोग करें। यह एक खुराक है। दिन में ३ बार इस्तेमाल करें।
५) सूखा अदरक मुहं मे चूसने से पेट दर्द में राहत मिलती है।
६) कुछ पेट दर्द के रोगी बिना दूध की चाय पीने से पेट दर्द में आराम मेहसूस करते हैं।
७) अदरक का रस नाभी स्थल पर लगाने और हल्की मालिश करने से उपकार होता है।
८) अगर पेट दर्द एसिडीटी (अम्लता) से हो रहा हो तो पानी में थोडा सा मीठा सोडा डालकर पीने से फ़ायदा होता है।
९) पेट दर्द निवारक चूर्ण बनाएं। भुना हुआ जीरा, काली मिर्च, सौंठ( सूखी अदरक) लहसून, धनिया,हींग सूखी पुदीना पत्ती , सबकी बराबर मात्रा लेकर महीन चूर्ण बनावें। थोडा सा काला नमक भी मिश्रित करें। भोजन पश्चात एक चम्मच की मात्रा मामूली गरम जल से लें। पेट दर्द में आशातीत लाभकारी है।
१०) हरा धनिया का रस एक चम्मच शुद्ध घी मे मिलाकर लेने से पेट की व्याधि दूर होती है।
१०) अदरक का रस और अरंडी का तेल प्रत्येक एक चम्मच मिलाकर दिन में ३ बार लेने से पेट दर्द दूर होता है।
११) अदरक का रस एक चम्मच,नींबू का रस २ चम्मच में थोडी सी शकर मिलाकर प्रयोग करें । पेट दर्द में उपकार होता है। दिन में २-३ बार ले सकते हैं।
१२) अनार पेट दर्द मे फ़ायदे मंद है। अनार के बीज निकालें । थोडी मात्रा में नमक और काली मिर्च का पावडर बुरकें। दिन में दो बार लेते रहें।
१३) मैथी के बीज पानी में गलाएं। पीसकर पेस्ट बनाएं। यह पेस्ट २०० ग्राम दही में मिलाकर दिन में दो बार लेने से पेट के विकार नष्ट होते हैं।
१४) इसबगोल के बीज दूध में ४ घंटे गलाएं। रात को सोते वक्त लेते रहने से पेट में मरोड का दर्द और पेचिश ठीक होती है।
१५) सौंफ़ में पेट का दर्द दूर करने के गुण है। १५ ग्राम सौंफ़ रात भर एक गिलास पानी में गलाएं। छानकर सुबह खाली पेट पीते रहें। बहुत गुणकारी उपचार है।

गुरुवार, 11 नवंबर 2010

गर्भाशय (बच्चेदानी) का अपने स्थान से हट जाने का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-

गर्भाशय (बच्चेदानी) का अपने स्थान से हट जाने का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
1. गर्भाशय में सूजन हो जाने पर स्त्री रोगी को चार से पांच दिनों तक फलों का रस पीकर उपवास रखना चाहिए, फिर इसके बाद बिना पका संतुलित आहार लेना चाहिए।
2. गर्भाशय में सूजन से पीड़ित स्त्री को कभी भी नमक, मिर्चमसाला वाला, तली भुनी चीजें तथा मिठाईयां आदि नहीं खानी चाहिए।
3. गर्भाशय में सूजन हो जाने पर स्त्री के पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी लगानी चाहिए। इसके बाद एनिमा देनी चाहिए और फिर गर्म कटिस्नान कराना चाहिए। इसके बाद टब में नमक डालकर पन्द्रह से बीस मिनट तक स्त्री को इसमें बैठाना चाहिए।
4. गर्भाशय में सूजन से पीड़ित स्त्री को प्रतिदिन दो से तीन बार एक-दो घंटे तक अपने पैर को एक फुट ऊंचा उठाकर लेटना चाहिए और आराम करना चाहिए। इसके बाद रोगी स्त्री को श्वासन क्रिया करनी चाहिए जिसके फलस्वरूप उसका रोग ठीक हो जाता है।

गर्भाशय की सूजन

गर्भाशय की सूजन
कारण:
ऋतुकालीन (माहवारी) असावधानियों का कुप्रभाव यदि गर्भाशय को प्रभावित करता है तो उसमें शोथ (सूजन) उत्पन्न हो जाती है। इसमें रोगी महिला को बहुत अधिक कष्ट उठाना पड़ता है।
लक्षण:
गर्भाशय की सूजन होने पर महिला को पेडू में दर्द और जलन होना सामान्य लक्षण हैं, किसी-किसी को दस्त भी लग सकते हैं तो किसी को दस्त की हाजत जैसी प्रतीत होती है किन्तु दस्त नहीं होता है। किसी को बार-बार मूत्र त्यागने की इच्छा होती है। किसी को बुखार और बुखार के साथ खांसी भी हो जाती है। यदि इस रोग की उत्पन्न होने का कारण शीत लगना हो तो इससे बुखार की तीव्रता बढ़ जाती है।
नीम
नीम, सम्भालू के पत्ते और सोंठ सभी का काढ़ा बनाकर योनि मार्ग (जननांग) में लगाने से गर्भाशय की सूजन नष्ट हो जाती है।
नीम
नीम, सम्भालू के पत्ते और सोंठ सभी का काढ़ा बनाकर योनि मार्ग (जननांग) में लगाने से गर्भाशय की सूजन नष्ट हो जाती है।
बादाम रोगन
बादाम रोगन एक चम्मच, शर्बत बनफ्सा 3 चम्मच और खाण्ड पानी में मिलाकर सुबह के समय पीएं तथा बादाम रोगन का एक फोया गर्भाशय के मुंह पर रखें इससे गर्मी के कारण उत्पन्न गर्भाशय की सूजन ठीक हो जाती है।
बजूरी शर्बत या दीनार
बजूरी या दीनार को दो चम्मच की मात्रा में एक कप पानी में सोते समय सेवन करना चाहिए। इससे गर्भाशय की सूजन मिट जाती है।
अशोक
अशोक की छाल 120 ग्राम, वरजटा, काली सारिवा, लाल चन्दन, दारूहल्दी, मंजीठ प्रत्येक को 100-100 ग्राम मात्रा, छोटी इलायची के दाने और चन्द्रपुटी प्रवाल भस्म 50-50 ग्राम, सहस्त्रपुटी अभ्रक भस्म 40 ग्राम, वंग भस्म और लौह भस्म 30-30 ग्राम तथा मकरध्वज गंधक जारित 10 ग्राम की मात्रा में लेकर सभी औषधियों को कूटछानकर चूर्ण तैयार कर लेते हैं। फिर इसमें क्रमश: खिरेंटी, सेमल की छाल तथा गूलर की छाल के काढ़े में 3-3 दिन खरल करके 1-1 ग्राम की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लेते हैं। इसे एक या दो गोली की मात्रा में मिश्रीयुक्त गाय के दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करना चाहिए। इसे लगभग एक महीने तक सेवन कराने से स्त्रियों के अनेक रोगों में लाभ मिलता है। इससे गर्भाशय की सूजन, जलन, रक्तप्रदर, माहवारी के विभिन्न विकार या प्रसव के बाद होने वाली दुर्बलता इससे नष्ट हो जाती है।
पानी
गर्भाशय की सूजन होने पर पेडू़ (नाभि) पर गर्म पानी की बोतल को रखने से लाभ मिलता है।
एरण्ड
एरण्ड के पत्तों का रस छानकर रूई भिगोकर गर्भाशय के मुंह पर 3-4 दिनों तक रखने से गर्भाशय की सूजन मिट जाती है।
चिरायता
चिरायते के काढ़े से योनि को धोएं और चिरायता को पानी में पीसकर पेडू़ और योनि पर इसका लेप करें इससे सर्दी की वजह से होने वाली गर्भाशय की सूजन नष्ट हो जाती है।
रेवन्दचीनी
रेवन्दचीनी को 15 ग्राम की मात्रा में पीसकर आधा-आधा ग्राम पानी से दिन में तीन बार लेना चाहिए। इससे गर्भाशय की सूजन मिट जाती है।
कासनी
कासनी की जड़, गुलबनफ्सा और वरियादी 6-6 ग्राम की मात्रा में, गावजवां और तुख्म कसुम 5-5 ग्राम, तथा मुनक्का 6 या 7 को एक साथ बारीक पीसकर उन्हें 250 ग्राम पानी के साथ सुबह-शाम को छानकर पिला देते हैं। यह उपयोग नियमित रूप से आठ-दस दिनों तक करना चाहिए। इससे गर्भाशय की सूजन, रक्तस्राव, श्लैष्मिक स्राव (बलगम, पीव) आदि में पर्याप्त लाभ मिलता है।

सोमवार, 8 नवंबर 2010

बांझपन (Sterility)

बांझपन (Sterility)
परिचय:-
इस रोग के कारण रोगी स्त्री को बच्चा नहीं होता हैं, इसलिए इस रोग को बांझपन कहते है। इस रोग के कारण रोगी स्त्री में गर्भधारण करने की असमर्थता रहती है। यदि औरत को बच्चा नहीं होता है तो उसे परिवार तथा समाज में बहुत से मानसिक कष्ट मिलते हैं। इस रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार किया जा सकता है।
कारण-
1. स्त्रियों के प्रजन्न अंग का सही तरह से विकसित न होना।
2. किसी दुर्घटना या चोट के कारण प्रजन्न अंग में कुछ खराबी आना।
3. पुरुषों के वीर्य में शुक्राणु का न होना क्योंकि ऐसे पुरुष जब स्त्रियों से संभोग क्रिया करते हैं तो इनके वीर्य में शुक्राणु न होने के कारण स्त्रियों के डिम्ब में शुक्राणु नहीं पहुंचता है। इसलिए स्त्री गर्भवती नहीं हो पाती है।
4. स्त्रियों को अनियमित मासिकधर्म का रोग होने के कारण भी स्त्री गर्भवती नहीं हो पाती है।
5. चिंता, तनाव तथा डर आदि के कारण भी स्त्री गर्भवती नहीं हो पाती है।
बांझपन से पीड़ित स्त्री का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
1. स्त्री को गर्भधारण कराने के लिए उसकी योनि के स्नायु स्वस्थ हो इसके लिए स्त्री का सही आहार, उचित श्रम एवं तनाव रहित होना जरूरी है तभी स्त्री गर्भवती हो सकती है इसलिए स्त्री को इस पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
2. स्त्री को गर्भधारण करने के लिए यह भी आवश्यक है कि योनिस्राव क्षारीय होना चाहिए इसलिए स्त्री का भोजन क्षारप्रधान होना चाहिए। इसलिए उसे अधिक मात्रा में अपक्वाहार तथा भिगोई हुई मेवा खानी चाहिए।
3. इस रोग से पीड़ित स्त्रियों को अपने इस रोग का इलाज करने के लिए सबसे पहले अपने शरीर से विजातीय द्रव्यों को बाहर निकालना चाहिए इसके लिए स्त्री को उपवास रखना चाहिए। इसके बाद उसे 1-2 दिन के बाद कुछ अंतराल पर उपवास करते रहना चाहिए।
4. इस रोग से पीड़ित स्त्रियों को दूध की बजाए दही का इस्तेमाल करना चाहिए।
5. स्त्री को गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद एवं नींबू का रस मिलाकर पीना चाहिए।
6. इस रोग से पीड़ित स्त्रियों को ज्यादा नमक, मिर्च-मसाले, तले-भुने खाने वाले पदार्थ, चीनी, चाय, काफी मैदा आदि चींजों का सेवन नहीं खानी चाहिए।
7. इस रोग से पीड़ित स्त्रियों को यदि कब्ज हो तो इसका इलाज तुरंत कराना चाहिए।
8. बांझपन को दूर करने के लिए स्त्रियों को विटामिन `सी´ तथा `ई´ की मात्रा वाली चीजें जैसे नींबू, संतरा, आंवला, अंकुरित, गेहूं आदि का भोजन में सेवन अधिक करना चाहिए।
9. स्त्रियों को सर्दियों में प्रतिदिन 5-6 कली लहसुन चबाकर दूध पीना चाहिए, इससे स्त्रियों का बांझपन जल्दी ही दूर हो जाता है।
10. जामुन के पत्तों का काढ़ा बनाकर फिर इसको शहद में मिलाकर प्रतिदिन पीने से स्त्रियों को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
11. बड़ (बरगद) के पेड़ की जड़ों को छाया में सुखाकर कूट कर छानकर पाउडर बना लें। फिर इसे स्त्रियों के माहवारी समाप्त होने के बाद तीन दिन लगातार रात को दूध के साथ लें। इस क्रिया को तब तक करते रहना चाहिए जब तक की स्त्री गर्भवती न हो जाए।
12. स्त्री के बांझपन के रोग को ठीक करने के लिए 6 ग्राम सौंफ का चूर्ण घी के साथ तीन महीने तक लेते रहने से स्त्री गर्भधारण करने योग्य हो जाती है।
13. स्त्री के बांझपन के रोग को ठीक करने के लिए उसके पेड़ू पर मिट्टी की गीली पट्टी करनी चाहिए तथा इसके बाद उसे कटिस्नान कराना चाहिए और कुछ दिनों तक उसे कटि लपेट देना चहिए। इसके बाद स्त्री को गर्म पानी का एनिमा देना चाहिए।
14. रूई के फाये को फिटकरी में लपेटकर तथा पानी में भिगोकर रात को जब स्त्री सो रही हो तब उसकी योनि में रखें। सुबह के समय में जब इस रूई को निकालेंगे तो इसके चारों ओर दूध की खुरचन की तरह पपड़ी सी जमा होगी। जब तक पपड़ी आनी बंद न हो तब तक इस इस क्रिया को प्रतिदिन को दोहराते रहना चाहिए। ऐसा कुछ दिनों तक करने से स्त्री गर्भ धारण करने योग्य हो जाती है फिर इसके बाद स्त्री को पुरुष के साथ संभोग क्रिया करनी चाहिए।
15. स्त्री को सहवास करने के लिए कम से कम 6 महीने का समय रखना चाहिए इससे उसके प्रजनन अंगों को आराम मिलेगा और स्त्रियों की योनि की क्रिया सही से होगी। इससे प स्त्रियों के बांझपन का रोग कुछ ही समय में दूर हो जाता है।
16. स्त्रियों के बांझपन की समस्या को दूर करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार कई प्रकार के आसन भी है जिनको करने से उसकी बांझपन की समस्या कुछ ही दिनों में दूर हो सकती है।
17. बांझपन को दूर करने के आसन निम्न हैं- सर्वांगासन, मत्स्यासन, अर्ध मतेन्द्रासन, पश्चिमोत्तानासन, शलभासन आदि।
18. स्त्री में बांझपन का रोग उसके पति के कारण भी हो सकता है इसलिए स्त्रियों को चाहिए कि वह अपने पति का चेकअप कराके उनका इलाज भी कराएं और फिर अपना भी उपचार कराएं।
19. यदि स्त्री-पुरुष दोनों में से किसी के भी प्रजनन अंगों में कोई खराबी हो तो उसका तुरंत ही इलाज कराना चाहिए।

गुरुवार, 4 नवंबर 2010

आंत कृमि

आंत कृमि (Intestinal Worms)
परिचय :
आंतों में कई तरह के कीड़े पैदा होते हैं। जिनमें सूत्रकृमि, केंचुए और फीता कृमि खास हैं। आंतों में इसके होने से गुदा में खुजली, भूख न लगना, कब्ज, सिर दर्द आदि लक्षण भी प्रकट होते हैं। कभी-कभी पतले दस्त भी आने लगते हैं। इसे दूर करने के लिए लीवर का स्वस्थ होना जरूरी है। इन कृमियों के अलावा भी कुछ कृमि होते हैं जो अनाज वगैरह को भी खत्म करते हैं।

एरंड का तेल :
काला जीरा, अजवाइन और पलाश को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और सोते समय खा लें। दूसरे दिन सुबह के समय एरंड का तेल लें। इससे आंतों के कीडे़ मर जाते हैं।

सोया :
सोया का काढ़ा 40 ग्राम सुबह-शाम पीने पेट में होने वाले कीड़े खत्म हो जाते हैं।
बांस :
बांस के पत्तों को पीसकर रस निकालकर बच्चों को बस्ति (एनिमा क्रिया) दी जाये तो सूत्रकृमि खत्म होते हैं।
सागौन :
सागौन की छाल या लकड़ी का चूर्ण यदि 3 से 12 ग्राम सुबह-शाम खाये तो आंतों के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
नारियल :
आंतों के चिपटे कीड़ों को खत्म करने के लिए पीड़ित रोगी को रात में एक नारियल की गरी खिलाकर सवेरे दस्त आने के लिए कोई औषधी खिला दें। इससे आंतों के कीड़े मरकर बाहर निकल आते हैं।
शहतूत :
शहतूत के पेड़ की छाल का काढ़ा 50 से 100 ग्राम की मात्रा में खाने से आंत के कीड़े मरकर बाहर निकल आते हैं।
सेब :
सेब के पेड़ की जड़ 10 ग्राम से 20 ग्राम पीसकर सुबह शाम खाने से कीड़े मरकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।

बिजौरा नींबू :
बिजौरा नींबू की जड़ 10 ग्राम पीसकर रोज सवेरे 2-4 दिनों तक पिलाने से कीड़े खत्म होते हैं।

करेले :
आंतों के कीड़े खत्म करने के लिए करेले का रस गरम पानी में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग मिलाकर खाने से पूरा फायदा होता है और कीड़े खत्म होते हैं।
कच्चे अनानास :
कच्चे अनानास का रस नियमित रूप से खाने से आंतों के कीड़े खत्म होते हैं।
अजवायन :
किरमानी अजवायन का चूर्ण डेढ़ ग्राम से 3 ग्राम सुबह-शाम खाने से आंत के कीड़े खत्म होते हैं।
पुदीना :
पुदीना के पत्तों को खाने से आंतों के दर्द और कीड़े दूर होते हैं।

टमाटर :
टमाटर के रस में कालीमिर्च और कालानमक मिलाकर नियमित सुबह खाली पेट खाने से एक हफ्ते में ही कीड़े खत्म हो जाते हैं।

हींग :
पानी में हींग घोलकर नाभि के नीचे लगाने से आंतों के कीड़े मल के साथ बाहर आ जाते हैं।
गाजर :
गाजर को कद्दूकस कर नियमित खिलाने से आंतों के कीड़े मर जाते हैं।

बथुआ :
आंतों में कीड़े होने पर बथुआ का साग खाना लाभदायक होता है।
अखरोट :
अखरोट के पत्तों का रस 10 से 20 ग्राम खाने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं।
अखरोट का तेल बताशे में 15 से 20 बूंद डालकर या दूध में मिलाकर सुबह-शाम खाने से आंत के कीड़े खत्म होते हैं।
अनार :
अनार के जड़ की छाल 1 से 2 ग्राम खाने से आंतों के कीड़े खत्म हो जाते हैं। इसे नियमित सुबह-शाम दें। अनार के फल का छिलका भी इसी मात्रा में लेने से कीड़ नष्ट होते हैं।
अनार का रस आंतों के कीडे़ और दस्तों में लाभकारी होता है। लीवर की कार्यक्षमता को बढ़ाता है और पाचन में सहायता करता है।
लहसुन :
लहसुन का रस 10 से 30 बूंद को दूध में मिलाकर सुबह-शाम खाने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं।
लहसुन के रस में शहद मिलाकर खाने से आंत के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
लहसुन को बायविडंग के चूर्ण के साथ खाने से आंत के कीडे़ समाप्त हो जाते हैं।
नमक :
बच्चों के पेट में कीड़े होने पर नमक मिलाकर गुनगुना पानी पिला दें। नाभि पर हल्दी पीसकर लगा दें। दो से तीन दिनों तक ऐसा करने से बच्चों के पेट के सारे कीड़े खत्म हो जाते हैं।
बच्चों के आंतों के कीड़ों में नमक मिलाकर हल्का गरम पानी मिलाकर पिला दें। नाभि पर हल्दी पीसकर लगा दें। ऐसा रोज करने से तीन दिनों में आंतों के सारे कीड़े खत्म हो जाते हैं।
सूत्रकृमि में नमक के लेप को नाभि के नीचे लगाने से लाभ होता है।
केला :
केला शहद में भिगोकर रात के समय खायें। अगले दिन सुबह के समय एरण्डी का तेल लें। इससे कीड़े मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।

आंत्रवृद्धि (आंत का उतरना)

आंत्रवृद्धि (आंत का उतरना) (HERNIA)
परिचय : आंत का अपने स्थान से हट जाना ही आंत का उतरना कहलाता है। यह कभी अंडकोष में उतर जाती है तो कभी पेडु या नाभि के नीचे खिसक जाती है। यह स्थान के हिसाब से कई तरह की होती है जैसे स्ट्रैगुलेटेड, अम्बेलिकन आदि। जब आंत अपने स्थान से अलग होती है तो रोगी को काफी दर्द व कष्ट का अनुभव होता है।
लाल चंदन :
लाल चंदन, मुलहठी, खस, कमल और नीलकमल इन्हें दूध में पीसकर लेप करने से पित्तज आंत्रवृद्धि की सूजन, जलन और दर्द दूर हो जाता है।
पारा :
पारे की भस्म को तेल और सेंधानमक में मिलाकर अंडकोषों पर लेप करने से ताड़फल जैसी अंडवृद्धि भी ठीक हो जाती है।
गुग्गुल:
गुग्गुल एलुआ, कुन्दुरू, गोंद, लोध, फिटकरी और बैरोजा को पानी में पीसकर लेप करने से अंत्रवृद्धि खत्म होती है।
तम्बाकू :
तम्बाकू के पत्ते पर एरंडी का तेल चुपड़कर आग पर गरम कर सेंक करने और गरम-गरम पत्ते को अंडकोषों पर बांधने से अंत्रवृद्धि और दर्द में आराम होता है।
छोटी हरड़ :
छोटी हरड़ को गाय के मूत्र में उबालकर फिर एरंडी का तेल लें। इन हरड़ों का पाउडर बनाकर कालानमक, अजवायन और हींग मिलाकर 5 ग्राम मात्रा मे सुबह-शाम हल्के गर्म पानी के साथ खाने से या 10 ग्राम पाउडर का काढ़ा बनाकर खाने से आंत्रवृद्धि की विकृति खत्म होती है।
त्रिफला :
इस रोग में मल के रुकने की विकृति ज्यादा होती है। इसलिए कब्ज को खत्म करने के लिए त्रिफला का पाउडर 5 ग्राम रात में हल्के गर्म दूध के साथ लेना चाहिए।
दूध :
उबाले हुए हल्के गर्म दूध में गाय का मूत्र और शक्कर 25-25 ग्राम मिलाकर खाने से अंडकोष में उतरी आंत्र अपने आप ऊपर चली जाती है।
हरड़ :
हरड़, मुलहठी, सोंठ 1-1 ग्राम पाउडर रात को पानी के साथ खाने से लाभ होता है।
बकरी का दूध :
आंखों के लाल होने पर मोथा या नागरमोथा के फल को साफ करके बकरी के दूध में घिसकर आंखों में लगाने से आराम आता है।
भिंडी :
बुधवार को भिंडी की जड़ कमर में बांधे। हार्निया रोग ठीक हो जायेगा।
एरंड :
एक कप दूध में दो चम्मच एरंड का तेल डालकर एक महीने तक पीने से अंत्रवृद्धि ठीक हो जाती है।
खरैटी के मिश्रण के साथ अरण्डी का तेल गर्मकर पीने से आध्यमान, दर्द, आंत्रवृद्धि व गुल्म खत्म होती है।
रास्ना, मुलहठी, गर्च, एरंड के पेड की जड़, खरैटी, अमलतास का गूदा, गोखरू, पखल और अडूसे के काढ़े में एरंडी का तेल डालकर पीने से अंत्रवृद्धि खत्म होती है।
इन्द्रायण की जड़ का पाउडर, एरंडी के तेल या दूध में मिलाकर पीने से अंत्रवृद्धि खत्म हो जाएगी।
लगभग 250 ग्राम गरम दूध में 20 ग्राम एरंड का तेल मिलाकर एक महीने तक पीयें इससे वातज अंत्रवृद्धि ठीक हो जाती है।
एरंडी के तेल को दूध में मिलाकर पीने से मलावरोध खत्म होता है।
दो चम्मच एरंड का तेल और बच का काढ़ा बनाकर उसमें दो चम्मच एरंड का तेल मिलाकर खाने से लाभ होता है।
कॉफी :
बार-बार काफी पीने से और हार्निया वाले स्थान को काफी से धोने से हार्निया के गुब्बारे की वायु निकलकर फुलाव ठीक हो जाता है।
बार-बार काफी पीने और हार्निया वाले स्थान को काफी से धोने से हार्नियां के गुब्बारे की वायु निकलकर फुलाव ठीक हो जाता है। मृत्यु के मुंह के पास पहुंची हुई हार्नियां की अवस्था में भी लाभ होता है।
मुलहठी :
मुलहठी, रास्ना, बरना, एरंड की जड़ और गोक्षुर को बराबर मात्रा में लेकर, थोड़ा सा कूटकर काढ़ा बनायें। इस काढ़े में एरंड का तेल डालकर पीने से आंत्रवृद्धि में लाभ होता है।

बुधवार, 3 नवंबर 2010

बहु उपयोगी सलाह घरेलू उपायों की

बहु उपयोगी सलाह घरेलू उपायों की
भूख न लगे या कुछ खाने की इच्छा न होने पर अजवायन में स्वादानुसार काला नमक मिलाकर, पीस कर, चुटकी भर काली मिर्च, पिसा पोदीना, सब गर्म पानी से फंकी लेने पर अरुचि की शिकायत दूर हो जाती है।

* पेट में रूकी हुई गैस दूर करने के लिए दो लहसुन मुनक्का में लपेट कर भोजन के बाद चबाकर निगलने पर गैस बाहर निकल जाएगी।

* दानेदार मेथी की फंकी गर्म पानी में लेने से पेट दर्द दूर हो जाता है।

* सुबह-शाम दो भाग दही और एक भाग शहद मिलाकर चाटने से कीड़े मर जाते हैं।

* सरसों के तेल की मालिश पेट पर करने से कब्ज में आराम होता है।

* दो लौंग गर्म पानी से लेने पर जी मिचलाना, हिचकी, मुख का बिगड़ा स्वाद, चक्कर, उबकाई आना सब ठीक हो जाता है।

* अदरक के लच्छे पर नमक छिड़क कर भोजन के साथ सेवन करने पर दस्त में आराम मिलता है।

* पेचिश में भिंडी की सब्जी खाना लाभदायक है।

* पीलिया होने पर 1 कप पानी में 1 चम्मच ग्लूकोच डाल कर दिन में 5-5 बार लें।

* ताजे अदरक के छोटे-छोटे टुकडे करके चूसने से पुरानी नई सब तरह की हिचकी बंद हो जाती है।

* अदरक को घोलकर एक टुकड़ा मुख में रखकर चूसने से कफ आसानी से निकल जाती है।

* हफ्ते में दो बार लहसुन की 4 फली लेने पर सर्दी नहीं लगती।

* अजवायन को गर्म पानी के साथ लेने पर खांसी में आराम मिलता है।

* भोजन में हींग का प्रयोग अवश्य ही करें। दुर्बल हृदय को शक्ति मिलती है। रक्त संचार सरलता से होता है।

* दिल के दौरे पड़ने की संभावना होने पर 5 कलियां लहसुन तुरंत चबाकर निगल लें। दौरा पड़ने के चांस निर्मूल सिध्द होते हैं फिर लहसुन को दूध में उबाल कर लेते रहना चाहिए।

मोच

मोच
चने
मोच के स्थान पर चने बांधकर उन्हें पानी से भिगोते रहें। जैसे-जैसे चने फूलेंगे वैसे-वैसे मोच दूर होती जाएगी।
शहद
मोच वाले अंग पर शहद और चूना मिलाकर हल्की मालिश करने से आराम होता है।
तिल
तिलों की खली को पानी में कूटकर और पकाकर मोच के ऊपर गरम-गरम बांध देने से मोच जल्दी ही ठीक हो जाती है।
50 ग्राम तिल के तेल में 2 ग्राम अफीम को मिलाकर मोच से ग्रस्त अंग पर मालिश करने से लाभ मिलता है।
फिटकरी
फिटकरी के 3 ग्राम चूर्ण को आधा किलो दूध के साथ लेने से मोच और भीतरी चोट ठीक हो जाती है।
नौसादर
10-10 ग्राम नौसादर और कलमी शोरा को पीसकर 200 ग्राम पानी में मिलाकर इसमें कपड़ा भिगोकर बार-बार मोच पर लगाने से लाभ होता है।
सरसो
सरसो और हल्दी को गर्म करके लगाकर मोच वाले स्थान पर लगायें और एरण्ड के पत्ते को उस पर रखकर पट्टी बांध दें।
पान
पान के पत्ते पर सरसों का तेल लगाकर, पत्ते को गर्म करके मोच से ग्रस्त अंग पर बांध दें।
तेजपत्ता
मोच वाले स्थान पर तेजपत्ता और लौंग को पीसकर लेप लगायें। इससे धीरे-धीरे मोच के कारण आने वाली सूजन दूर हो जाती है।
तुलसी
तुलसी के पत्तों के रस तथा सरसों के तेल को एक साथ मिलाकर थोड़ी-थोड़ी देर बाद मोच वाले अंग पर लगाना लाभकारी रहता है।
ग्वारपाठा
मोच व सूजन पर ग्वारपाठे का रस लगाने से काफी आराम मिलता है।
धनिया
ऊंची नीची जगहों पर पैर पड़ जाने या शक्ति से अधिक सामान उठाने के कारण मोच आ जाती है। उस समय नस अकड़ जाती है और एक प्रकार का खिंचाव आ जाता है। रोगी को किसी भी करवट चैन नहीं पड़ता है। ऐसी दशा में 10 ग्राम पिसा हुआ धनिया, 5 ग्राम हल्दी 5 ग्राम और जीरा को एकसाथ मिलाकर तिली के तेल में अच्छी तरह से पका लेना चाहिए। इस तेल से कुछ देर तक धीरे-धीरे मालिश करने से मोच में आराम मिलता है।
ग्वारफली
जिस व्यक्ति को मोच या चोट लगी हो उसे तिल और ग्वार बराबर मात्रा में लेकर व पीसकर और पानी डालकर पिलाएं। फिर मोच या चोट वाली जगह पर इसे बांध दें। इस प्रयोग से मोच का दर्द दूर हो जाता है।
नमक
नमक को धीमी आग पर सेंककर गर्म-गर्म ही मोटे कपड़े में बांधकर मोच से पीड़ित अंग पर सिंकाई करने से आराम मिलता है।
नमक और सरसों के तेल को एकसाथ मिलाकर गर्म करके मोच पर लगाने से लाभ मिलता है।
सेंधानमक और बूरा को बराबर मात्रा में मिलाकर 1 चम्मच सुबह और शाम पानी के साथ सेवन करने से मोच में लाभ मिलता है।
नमक और हल्दी को बारीक पीसकर लगाने से मोच या चोट के कारण होने वाले दर्द में आराम मिलता है।
इमली
किसी अंग में मोच आ जाने पर इमली की पत्तियों को पीसकर गुनगुना करके लेप लगाने से तुरंत ही आराम हो जाता है।
मरुआ
मरुआ के तेल की मालिश से मोच और रगड़पर आश्चर्यजनक लाभ होता है।

फोड़े-फुंसियां (फुरुन्क्ले)

फोड़े-फुंसियां ( furuncle )
दही
अगर फोड़े में सूजन, दर्द और जलन आदि हो तो उस पर पानी निकाले हुए दही को लगाकर पट्टी बांध देते हैं। एक दिन में 3 बार इस पट्टी को बदलने से लाभ होता है।

गाजर का रस
300 मिलीलीटर गाजर के रस और 112 मिलीलीटर पालक के रस को एकसाथ मिलाकर पीने से फोड़े-फुंसी, कैंसर, सांस की नली की सूजन, मोतियाबिन्द, जुकाम, कब्ज, आंखों के रोग, गलगण्ड, बवासीर, हर्निया, फ्लू, गुर्दे के रोग, पीलिया, हृदयशूल, और वात रोग ठीक हो जाते हैं।
280 मिलीलीटर गाजर का रस और लगभग 170 मिलीलीटर पालक का रस एकसाथ मिलाकर पीने से मुंहासे, कण्ठलूशाक, सफेद पदार्थ निकलना, दमा, मधुमेह, सिरदर्द, अनिद्रा, लीवर के रोग, आधे सिर का दर्द, बुखार आदि ठीक हो जाते हैं।
गाजर की गर्म पुल्टिश (पोटली) बांधने से फोड़े-फुन्सियों में लाभ होता है। यह फोड़े-फुन्सियों के जमे हुए खून को भी पिघला देती है।
मसूर की दाल
मसूर के आटे की पुल्टिश (पोटली) लगाने से फोड़े शीघ्र ही फूट जाते है और उसकी मवाद सूख जाती है। मसूर की दाल को पीसकर उसकी पुल्टिस (पोटली) को फोड़ों पर बांधने से वो ठीक हो जाते हैं।
मुलहठी
फोड़े पर मुलहठी का लेप लगाने से फोड़ा जल्दी पककर फूट जाता है।
अड़ूसा (वासा)
फोड़े-फुंसियों की प्रारंभिक अवस्था में ही अड़ूसा के पत्तों को पीसकर बनाया गया गाढ़ा लेप लगाकर बांध देने से वह बैठ जाते हैं। यदि फोड़े पक गए हो तो वह शीघ्र ही फूट जाते हैं। फूटने के बाद इस लेप में थोड़ी सी पिसी हल्दी मिलाकर लगाने से घाव शीघ्र भर जाते हैं।
गेंदा
गेंदे के पत्तों को पीसकर फोड़े-फुंसियों पर 2-3 बार लगाने से लाभ मिलता है।
कनेर
कनेर के लाल फूलों को पीसकर लेप तैयार करें। इस लेप को फोड़े-फुन्सियों पर दिन में 2 से 3 बार नियमित रूप से लगाने से लाभ मिलता है।
कनेर की जड़ की छाल को पीसकर पके हुए फोड़े पर लेप करने से फोड़ा 3 से 4 घंटे में ही फूट जाता है।
इमली
फोड़े होने पर 30 ग्राम इमली को 1 गिलास पानी में मसलकर मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।
इमली के 10 ग्राम पत्तों को गर्म करके उसकी पुल्टिश (पोटली) बनाकर बांधने से फोड़ा पककर जल्दी फूट जाता है।
इमली के बीजों की पुल्टिश (पोटली) बांधने से फुंसियां मिट जाती हैं।
अजवाइन
नींबू के रस में अजवाइन को पीसकर फोड़ों पर लेप करना चाहिए।
सूजन आने पर अजवाइन को पीसकर उसमें थोड़ा-सा नींबू निचोड़कर फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।
प्याज
प्याज को कूटकर पीस लें। फिर उसमें हल्दी, गेंहू का आटा, पानी और शुद्ध घी मिलाकर थोड़ी देर आग पर रखकर पकाकर पोटली बनाकर फोड़े पर बांधने से फोड़ा फूट जाता है और आराम मिलता है।
फोड़े, गांठ, मुंहासे, नारू, कंठमाला (गले की गिल्टी) आदि रोगों पर प्याज को घी में तलकर बांधने से या प्याज के रस को लगाने से लाभ पहुंचता है।
प्याज को पीसकर उसकी पोटली बनाकर फोड़े पर बांधने से फोड़ा फूट जाता है और उसकी मवाद निकलने के बाद फोड़ा सूख जाता है।
अलसी
एक चौथाई अलसी के बीजों को बराबर मात्रा में सरसों के साथ पीसकर गर्म करके लेप बना लें। फोड़े पर 2-3 बार यह लेप करने से फोड़ा बैठ जाता है या पककर फूट जाता है।
अलसी को पानी में पीसकर उसमें थोड़ा जौ का सत्तू मिलाकर खट्टे दही के साथ फोड़े पर लेप करने से फोड़ा पक जाता है।
वात प्रधान फोड़े में अगर जलन और वेदना हो तो तिल और अलसी को भूनकर गाय के दूध में उबालकर, ठंडा होने पर उसी दूध में उन्हें पीसकर फोड़े पर लेप करने से लाभ होता है।
अगर फोड़े को पकाकर उसका मवाद निकालना हो तो अलसी की पुल्टिस (पोटली) में 2 चुटकी हल्दी मिलाकर फोड़े पर बांध दें।
अमरूद
4 सप्ताह तक रोजाना दोपहर में 250 ग्राम अमरूद खाने से पेट साफ होता है, बढ़ी हुई गर्मी दूर होती है, खून साफ होता है और फोड़े-फुन्सी तथा खाज-खुजली ठीक हो जाते हैं।
अमरूद की थोड़ी सी पत्तियों को लेकर पानी में उबालकर पीस लें। इस लेप को फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।
अनानास
अनानास का गूदा फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।
लालमिर्च
बरसात के मौसम में होने वाले फोड़े-फुंसियों और खुजली आदि में लालमिर्च के तेल को सेवन करने से फोड़े-फुंसी जल्दी ठीक जाते हैं।
गर्मी के मौसम में शरीर पर दाने या फुंसियां हो जाती है उन्हें खत्म करने के लिए मिर्ची के तेल को लगाने से राहत मिलती है और फोडे़-फुंसियां भी ठीक हो जाती हैं।
नीम
नीम की 6 से 10 पकी निंबौली को 2 से 3 बार पानी के साथ सेवन करने से फुन्सियां कुछ ही दिनों में समाप्त हो जाती है।
नीम, तुलसी और पोदीने की पत्तियों को पीसकर उसमें मुलतानी मिट्टी और चन्दन का चूर्ण मिलाकर बनें मिश्रण को चेहरे पर लगाने से चेहरे के मुंहासे समाप्त होकर त्वचा निखर जाती है।
नीम की पत्तियों का रस पानी में मिलाकर नहाने से खाज-खुजली नष्ट हो जाती है।
नीम की पत्तियों को पीसकर फोडे़-फुन्सियों पर लगाने से लाभ होता हैं।
नीम के पत्ते, छाल और निंबौली को बराबर मात्रा में पीसकर बने लेप को दिन में 3 बार लगाने से फोड़े-फुन्सी और घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं।
नीम की पत्तियों को गर्म करके या नीम की छाल को घिसकर फोड़े-फुन्सी और बिच्छू के काटे भाग पर लगाकर सेंकने से लाभ पहुंचता है।
नीम के पत्ते को पीसकर शहद के साथ मिलाकर लेप करने से फूटे हुए फोड़े जल्दी ठीक हो जाते हैं।
नीम के पत्ते को पीसकर दही और बेसन में मिलाकर चेहरे व दूसरे अंगों में लगाने से और कुछ देर बाद पानी से साफ कर देने से चेहरे की फुंसियां और मुंहासे समाप्त होकर त्वचा निखर उठती हैं।
175 ग्राम नीम के पत्तों को बिना पानी डाले पीसकर लुगदी बना लें। तांबे के बर्तन में इसका आघा हिस्सा सरसों का तेल डालकर गर्म करें, तेल में धुंआ आने पर इसमें बनी हुई लुगदी डाल दें। लुगदी तेल में जलकर काली पड़ने पर उतारकर ठंडा कर दें। फिर इसमें कपूर और जरा-सा मोम डालकर पीस लें। इस बने लेप को लगाने से फोड़े-फुंसियों में लाभ होता है।
मार्च-अप्रैल के महीने में जब नीम की नयी-नयी कोंपलें (मुलायम पत्तियां) खिलती है तब 21 दिन तक युवा लोगों को नीम की ताजी 15 कोंपले (मुलायम पत्तियां) और बच्चों को 7 पत्तियां रोजाना गोली बनाकर दातुन-कुल्ला करने के बाद पानी के साथ खाने से या पीसकर लगाने से पूरे साल तक फोड़े-फुंसिया नहीं निकलती है।
एरण्ड
एरण्ड की जड़ को पीसकर घी या तेल में मिलाकर कुछ गर्म करके गाढ़ा लेप करने से विद्रधि (फोड़ा) मिट जाती है।
तिल
8 ग्राम काले तिल, 2 ग्राम सोंठ और 4 ग्राम गुड़ के मिश्रण को गर्म दूध के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से लाभ होता है।
100 ग्राम तिल के तेल में भिलावे को जलाकर उसमें 30 ग्राम सेलखड़ी को पीसकर मिला दें। यह हर प्रकार के जख्म को अच्छा कर देती है। मगर जब जख्म पर लगाएं तो मुर्गी के पंख से ही लगाएं।
बेर
बेर के पत्तों को पीसकर गर्म करके उसकी पट्टी बांधने से और बार-बार उसको बदलते रहने से फोड़े जल्दी पककर फूट जाते हैं।
नारियल
100 ग्राम नारियल का तेल, 10 ग्राम मुहार की मिक्खयों का मोम और 2 चम्मच तुलसी के पत्तों के रस को मिलाकर थोड़ी देर के लिये आग पर पकाने के लिए रख दें। फिर इसे आग पर से उतारकर ठंडा करके इस लेप को कुछ दिनों तक फोड़े-फुंसियां पर लगाने से वो ठीक हो जाती है।
नींबू
नींबू के रस में चन्दन का चूर्ण डालकर फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।
जामुन
जामुन की गुठलियों को पीसकर फुंसियों पर लगाने से फुंसियां जल्दी ठीक हो जाती है।
मेहन्दी
शरीर में जहां पर फोड़े-फुंसिया हो उस जगह को मेहन्दी के पानी से धोने से लाभ होता है।
मोम
मौलसिरी की छाल को लेकर सुखा लें। फिर उसे पीसकर मोम या वैसलीन में मिला लें। इसे दिन में 3 से 4 बार लगाने से फोड़े और फुंसिया ठीक हो जाती है।
कपूर
20 ग्राम राल, 20 ग्राम कपूर, 10 ग्राम नीला थोथा, 20 ग्राम मोम और 20 ग्राम सिन्दूर को पीसकर घी में मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को फोड़े-फुंसियों पर लगाने से आराम मिलता है।
कटहल
कटहल की लकड़ी को घिसकर उसके अन्दर कबूतर की बीट मिला लें। उसके बाद उसमें लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग चूना मिलाकर इसका लेप करने से लाभ होता है।
तुलसी
तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर उस पानी से फोड़े को धो लेते हैं। तुलसी के ताजा पत्तों को पीसकर फोड़ों पर लगाना चाहिए। इससे फोड़ों में लाभ मिलता है।
तुलसी और पीपल के नये कोमल पत्तों को बराबर मात्रा में पीसकर फोड़ों पर प्रतिदिन 3 बार लगाना चाहिए। इससे फोड़े जल्दी नष्ट हो जाते हैं।
गर्मी या वर्षा ऋतु में होने वाली फुंसियों पर तुलसी की लकड़ी को घिसकर लगाने से लाभ मिलता है।
हल्दी
भृंगराज (भंगारा), हल्दी, सेंधानमक और धतूरे के पत्तों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और गर्म करके फोड़े-फुंसियों पर लेप करें या आंबाहल्दी, प्याज और घी को गर्म करके बांध लें।
पानी
रोजाना रात को फुंसियों पर गर्म पानी से सिंकाई करने से लाभ होता है।
करेला
फुंसियों पर थोड़े दिन तक करेले का रस लगाने से फुंसिया सूख जाती है।
बरगद
बरगद के दूध को फोड़े पर लगाने से फोड़ा जल्दी पककर फूट जाता है।
बरगद के नये पत्तों को आग के ऊपर से ही हल्का सा गर्म करके उसके ऊपर थोड़ा सा तेल लगाकर बांधने से लाभ होता है।
घी
अगर फोड़े को पकाना हो तो पान के पत्ते पर थोड़ा सा घी गर्म करके फोड़े पर लगाकर बांध दें।
बैंगन
फोड़े, फुन्सी होने पर बैंगन की पट्टी बांधने से फोड़े जल्दी पक जाते हैं।
बेल
खून के विकार से उत्पन्न फोड़े-फुंसियों पर बेल के पेड़ की जड़ या लकड़ी को पानी में पीसकर लगाने से लाभ पहुंचता है।
बथुआ
बथुए को कूटकर सोंठ और नमक के साथ मिलाकर गीले कपड़े में बांधकर कपड़े पर गीली मिट्टी लगाकर आग में सेंकें। सेकने के बाद बांध लें, इस प्रयोग से फोड़ा बैठ जायेगा अथवा पककर जल्दी फूट जायेगा।
परवल
कड़वे परवल और कड़वे नीम के काढ़े से फोड़ों को धोने से फोड़े साफ हो जाते हैं।
पीपल
पीपल के कोमल पत्ते को घी लगाकर गर्म करके फुंसी-फोड़े पर बांधने से लाभ होता है।
पीपल की छाल को पानी में घिसकर फोड़े-फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।
फोड़ों को पकाने के लिए पीपल की छाल की पुल्टिश (पोटली) बनाकर फोड़े पर बांधने से लाभ मिलता है।
पीपल के पत्ते को गर्म करकें पत्ते की सीधी तरफ थोड़ा सा असली शहद या सरसों का तेल लगाकर फोड़े पर बांधने से लाभ होता है।
पीपल की छाल का चूर्ण जख्म पर छिड़कने से भी लाभ मिलता है।
विशेष
नीम की नई-नई कोंपलों को सुबह खाली पेट खाना चाहिए और उसके बाद 2 घंटे तक कुछ नहीं खाना चाहिए। इससे खून की खराबी, खुजली, त्वचा के रोग, वात (गैस), पित्त (शरीर की गर्मी) और कफ (बलगम) के रोग जड़ से खत्म हो जाते हैं। इसको लगातार खाने से मधुमेह (डायबटिज) की बीमारी भी दूर हो जाती है। इससे मलेरिया और भयंकर बुखार के पैदा होने की संभावना भी नहीं रहती पर ध्यान रखना चाहिए कि बड़ों को 15 कोंपलें (मुलायम पत्तों) और बच्चों को 7 कोपलों से ज्यादा नहीं देनी चाहिए और ज्यादा समय तक भी नहीं खाना चाहिए। नहीं तो मर्दाना शक्ति भी कमजोर हो जाती है।
शीशम
शीशम के पत्तों का 50 से 100 मिलीलीटर काढ़ा सुबह-शाम पीने से फोड़े-फुन्सी नष्ट हो जाते हैं। कोढ़ होने पर इसके पत्तों का काढ़ा रोगी को पिलाना लाभकारी रहता है।
अखरोट
यदि फुंसियां अधिक निकलती हो तो 1 वर्ष तक रोजाना सुबह के समय 5 अखरोट सेवन करते रहने से लाभ होता है।
मेथी
दाना मेथी को थोड़े-से पानी में भिगोकर, पीसकर उसमे थोड़ा-सा घी या तेल डालकर गर्म करके पुल्टिश बनाकर बांधने से फोड़े-फुंसी, सूजन और दर्द में लाभ मिलता है।
मेथी के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से कोष्ठबद्धता (कब्ज) नष्ट होती है, खून शुद्ध होता है और फोडे़-फुंसियों की विकृति भी नष्ट हो जाती है।
काजू
काजू की कच्ची गिरी और तीवर के फल को ठंडे पानी में घिसकर लेप करने से फोड़ा जल्दी मिट जाता है।
दूब
पके फोड़े पर प्रतिदिन दूब को पीसकर लेप करने से फोड़ा जल्दी फूट जाता है।
चावल
सरसों के तेल में पिसे हुए चावलों की पुल्टिश बनाकर बांधने से फोड़ा फूट जाता है एवं पस निकल जाती है।
मिट्टी
सूजन, फोड़ा, उंगुली की विषहरी हो (उंगुली में जहर चढ़ने पर), तो गीली मिट्टी का लेप हर आधे घण्टे तक करते रहने से लाभ होता है। फोड़ा बड़ा तथा कठोर हो, फूट न रहा हो तो उस पर गीली मिट्टी का लेप करें। इससे फोड़ा फूटकर मवाद बाहर आ जाती है। बाद में गीली मिट्टी की पट्टी बांधते रहें। मिट्टी की पट्टी या लेप फोड़ों को बाहर खींच निकालता है।
शरीर पर अगर फोड़े-फुंसी निकल रहे हो और फूट नहीं रहे हो तो उन पर काली मिट्टी का लेप करना चाहिए।
चन्दन
चन्दन को पानी में घिसकर लगाने से फोडे़-फुन्सी और घाव नष्ट हो जाते हैं।
राई
राई का लेप सदा ठंडे पानी में बनायें। राई का लेप सीधे त्वचा पर न लगाये इसका लेप लगाने से पहले त्वचा पर घी या तेल लगा लें क्योंकि इसका लेप सीधे लगाने से फोड़े-फुंसी आदि होने का डर रहता है। राई को ताजे पानी के साथ बारीक पीसकर लेप बनाकर साफ मलमल के कपड़े पर पतला-पतला लेप करके इस कपड़े को रोगी के फोड़े-फुंसी से पीड़ित अंग पर रख दें।

चोट-(INJURY) लगना

चोट-(INJURY)
आज के व्यस्त माहौल में चोट लगना कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि हमारे रोजाना के कामों में सावधानी बरतने के बाद भी चोट लग ही जाती है। बच्चे भी अक्सर खेलते-खेलते अपने आपको चोट पहुंचवा ही लेते हैं।

ग्वार
ग्वार और तिल को बराबर मात्रा में पीसकर पानी में डालकर पका लें। इसे मोच या चोट वाली जगह पर लगाने से दर्द कुछ ही देद में दूर हो जाता है।
वनहल्दी
वनहल्दी का लेप चोट, मोच एवं सूजन में काफी उपयोगी होता है। वनहल्दी के सिद्ध तेल का प्रयोग भी लेप की तरह ही उपयोगी होता है। इस तेल से रोजाना 3-4 बार मालिश करने से चोट के कारण होने वाला दर्द ठीक हो जाता है।
घी
घी और कपूर को बराबर मात्रा में मिलाकर किसी भी चोट के स्थान पर बांधने से दर्द दूर होता है तथा खून बहना भी बंद हो जाता है।
कुन्दुरू
चोट लगने के कारण सूजन होने पर कुन्दरू और खस-खस के तेल और सफेद मोम को हल्की आग पर पिघलाकर कपड़े से छानकर, तैयार मलहम को रोजाना 2-3 बार लगाने से लाभ होता है।
कुन्दुरू की गोंद, अफीम, धतूरा और अजवायन को एकसाथ मिलाकर मोटे कपड़े पर सूखा लेप चढ़ाकर पट्टी करने से रक्तवाहिनियों के संकुचन के कारण होने वाला दर्द कम हो जाता है।
पान
पान के रस में चूना मिलाकर सूजन वाले भाग पर पट्टी बांधने से दर्द और सूजन में आराम होता है।
पान के पत्ते पर चूना और कत्था लगाकर उसमें थोड़ा सा तम्बाकू डालकर पीस लें फिर गुनगुना करके चोट पर बांधने से दर्द दूर होता हैं और जख्म जल्दी भर जाता है।
पान के पत्तें को चोट लगी हुई जगह पर बांधने से लाभ होता है।
तारपीन
चाकू, छूरी, तलवार आदि से कटे हुए स्थान से खून बह रहा हो तो असली तारपीन के तेल में रूई का फोहा गीला करके कटे हुए स्थान पर रखें। इससे कुछ ही देर में खून बहना बंद हो जाता है।
चीता
चीता या चित्रक मूल से सिद्ध तेल से मालिश करने पर चोट के कारण होने वाला दर्द कम हो जाता है।
आमचूर
अगर नाखून पर चोट लगे तो आमचूर व नमक को पीसकर पानी में मिलाकर लगाने से आराम होता है।
गेंदा
गेंदे का पंचांग का रस निकालकर चोट, मोच, सूजन पर लगाने व मालिश करने से आराम मिलता है।
बकायन
चोट से पीड़ित स्थान पर खून जमकर उत्पन्न हुई सूजन पर बकायन के 10-20 पत्तों को पीसकर पुल्टिश बनाकर बांधने से सूजन के कारण जमा हुआ खून पिघल जाता है।
10 ग्राम बकायन के फल की गिरी को 100 ग्राम खोपरे के तेल में पीसकर गर्म पानी, घी या तेल आदि के कारण होने वाले घावों में लाभ होता है।

मेथी
मेथी के पत्तों को पीसकर लेप करने से चोट या मोच के दर्द में आराम मिलता है।
मेथी के पत्तों की पुल्टिश (पोटली) बांधने से चोट की सूजन मिट जाती है।
मेथी के पत्तों की पुल्टिश बांधने से चोट की सूजन मिट जाती है। यह बालों को सफेद होने से रोकती है। कब्ज हो तो मेथी के पत्तों की सब्जी खाने से आराम मिलता है।

पानी
चोट लगने या जख्म होने पर ठंडे पानी से भीगा हुआ कपड़ा उस स्थान पर बांध दें। इस कपड़े को बांधने के बाद भी हमेशा गीला रखे रहने से जख्म जल्दी ठीक हो जाता है।


हल्दी
गुम चोट लगने पर 1 चम्मच हल्दी को गर्म दूध के साथ पीने से दर्द और सूजन दूर होती है। चोट लगे स्थान पर हल्दी को पानी में गूंथ कर लेप करने से आराम मिलता है। चोट से खून बह रहा हो तो उस स्थान पर हल्दी भर देने से लाभ मिलता है। आंख में चोट लगने पर भी हल्दी का सेवन करना लाभदायक होता है।
2 चम्मच पिसी हुई हल्दी, 4 चम्मच गेहूं का आटा, 1 चम्मच देशी घी, आधा चम्मच सेंधानमक को थोड़े से पानी में मिलाकर हलुआ बना लें। शरीर में चोट लगे स्थान पर इस हलुवे की पट्टी बांधने से आराम मिलता है। आधा किलो उबलते हुए गर्म पानी में आधा चम्मच नमक डालें। फिर पानी को उतारकर जब पानी सेंक करने जैसा हो जायें तो उसमें कपड़ा भिगोकर चोट लगे हुए अंग पर सिंकाई करने से दर्द आदि में आराम मिलता है।
शरीर की कोई सी भी हड्डी टूटने पर हल्दी का रोजाना सेवन करने से लाभ होता है।
1 प्याज को पीसकर हल्दी में मिलाकर कपड़े सें बांध लें। इसे तिल के तेल में रखकर गर्म करें और चोट लगे हुए स्थान पर सेंक करें। कुछ देर सेंकने के बाद पोटली खोलकर दर्द वाले स्थान पर बांधने से आराम मिलता है।
शरीर में कहीं भी चोट लगी हो या सूजन आ गई हो तो 2 भाग पिसी हुई हल्दी और 1 भाग चूने को एकसाथ मिलाकर लेप करने से लाभ होता है।
चोट लगने के कारण सूजन आने पर 10 कली लहसुन और आधा चम्मच हल्दी को एकसाथ पीसकर 1 चम्मच तेल में गर्म करके सूजन वाली जगह पर लेप करके रुई लगाकर पट्टी बांधने से सूजन जल्दी ही दूर हो जाती है।
3 ग्राम पिसी हुई हल्दी को सुबह-शाम दूध से लेने से चोट या सूजन दूर हो जाती है।
शरीर में कटी हुई जगह पर हल्दी के साथ पिसी फिटकरी या घी भर देने से लाभ होता है।
चोट लगने पर 1 चम्मच हल्दी को गर्म दूध में मिलाकर पीने से दर्द और सूजन दूर हो जाती है। चोट लगी जगह पर हल्दी को पानी में मिलाकर उसका लेप लगाएं और अगर चोट ज्यादा गहरी हो तो उसमें हल्दी भर दें इससे चोट जल्दी भर जाती है। आंख में चोट लगने पर भी हल्दी को खाया जा सकता है। घी और आधा चम्मच सेंधानमक को थोड़े से पानी में मिलाकर हलुवा सा बनाकर चोट पर रखकर बांधें। आधा लीटर उबलते हुए गर्म पानी में आधा चम्मच सेंधानमक ड़ाले, फिर हिलाएं इसमें एक चम्मच हल्दी डाले और बर्तन को उतारकर रख दें जब पानी सेंक करने लायक हो जायें तो कपड़ा भिगोकर चोट वाले अंग पर इससे सेंक करे दर्द में आराम मिलेगा।
केला
चोट या रगड़ लगे हुए स्थान पर केले के छिलके को बांध देने से उस स्थान पर सूजन पैदा नहीं होती। पका हुआ केला और गेहूं का आटा पानी में गूंथकर गर्म करके लेप करने से चोट ठीक हो जाती है।

दूब
चाकू आदि से शरीर का कोई भाग कटने या चोट लगने से खून बह रहा हो तो दूब को कूटकर उसके रस में कपड़े को भिगोकर उसकी पट्टी बांधने से खून का बहना बंद हो जाता है।
लहसुन
लहसुन की कलियों को नमक के साथ पीसकर उसकी पुिल्टस बांधने से चोट और ऐंठऩ में लाभ होता है।
अन्दरूनी चोट में लहसुन, हल्दी और गुड़ को मिलाकर लेप करने से आराम मिलता है।
प्याज:
1 चम्मच पिसी हुई हल्दी को 2 चम्मच प्याज के रस में मिलाकर इसकी पोटली बांधकर सरसों के गर्म तेल में डुबोकर चोट लगे स्थान पर सेंक करें और फिर इसे चोट वाली जगह लेप करें इसके बाद रुई लगाकर पट्टी बांध दें। 2 चम्मच प्याज के रस और 1 चम्मच शहद को मिलाकर 2 बार रोजाना चाटे। इससे चोट का दर्द व सूजन ठीक हो जाती है।
प्याज को काटकर कपड़े में बांध लें। इसे मोच वाली जगह पर लपेटने से मोच के कारण होने वाली सूजन कम हो जाती है।
खरोंच आने पर प्याज का टुकड़ा काटकर खरोंच वाली जगह पर मलने से लाभ होता है। लेकिन कटी या फटी त्वचा पर प्याज न लगाएं।
नमक
नमक को तवे पर सेंककर गर्म-गर्म ही मोटे कपड़े में बांधकर दर्द वाली जगह को सेंकने से मोच व चोट में आराम मिलता है।
गर्म पानी में नमक घोलकर सेंक करने से चोट ठीक हो जाती है।

अदरक
चोट लगने पर, भारी समान उठाने पर, कुचल जाने पर दर्द होने पर वहां अदरक को पीसकर मोटा लेप करके पट्टी बांध दे। लगभग 2 घण्टे बाद इस पट्टी को हटाकर ऊपर से सरसों का तेल लगाकर सेंक करें। इस तरह एक बार रोजाना लेप करने से दर्द दूर हो जाता है।
एरण्ड
चोट लगने के कारण खून बहने में या घाव होने पर एरण्ड का तेल लगाकर पट्टी बांधने से लाभ होता है।
एरण्ड के पत्ते पर तिल का तेल लगाकर गर्म करके बांधने से चोट के कारण आने वाली सूजन एवं दर्द में लाभ होता है।
10-10 ग्राम एरण्ड के बीज की गिरी और काले तिल को दूध में पीसकर कम गर्म ही मोच पर बांधने से आराम मिलता है।
एरण्ड के कुछ पत्तों को पानी में उबालकर इस पानी को चोट पर लगाने से राहत मिलती है।

कपूर
कपूर को चौगुने तेल में मिलाकर चोट, मोच, ऐंठन आदि में मालिश करने से दर्द दूर होता है।

चन्दन
चोट, मोच के कारण सूजन होने पर चन्दन के तेल का लेप करने से लाभ होता है।

फिटकरी
फिटकरी को कचूर के साथ पीसकर लेप करने से मोच के कारण होने वाला दर्द और सूजन दूर हो जाती है।
आधा ग्राम फिटकरी भूनी को गर्म दूध के साथ सुबह-शाम लेने से गुम चोट में यह बहुत लाभ होता है।
लगभग 4 ग्राम फिटकरी को पीसकर आधा किलो गाय के दूध में मिलाकर पीने से चोट के कारण होने वाला दर्द बंद हो जाता है।
लगभग 10 ग्राम फिटकरी को 40 ग्राम घी में भूनकर रख लें। जब घी जम जायें, तब इस घी में चीनी और मैदा मिलाकर हलुआ बना लें। इस हलुए में 3 दिन तक फिटकरी मिलाकर खाने से चोट लगने के कारण जमा हुआ खून पिघल जाता है।
डेढ़ ग्राम फिटकरी को फांककर उसके ऊपर से दूध पीने से चोट लगने के कारण खून नहीं जमता और इससे होने वाला दर्द दूर हो जाता है।

हरड़
हरड़, आंवला और रसौत को 50-50 ग्राम की मात्रा में कूटकर और छानकर 5-5 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ लेने से चोट के कारण खून का बहना बंद हो जाता है।
पोदीना
चोट लगने पर अगर खून जम जाए तो पोदीने का रस पीने से जमा हुआ खून पिघल जाता है।
सूखे पोदीने को पीसकर फंकी लेने से चोट आदि के कारण जमा हुआ खून पिघल कर चोट ठीक हो जाती है।
गुड़
चोट लगने के कारण हड्डी टूट जाने पर प्लास्टर लगाकर एक बार की टूटी हड्डी तो जल्द ही ठीक हो जाती है मगर जो हड्डी बार-बार टूटी हो उस में जगह बनने से पानी जमने, सड़ने की संभावना हो सकती है। इसके लिए 1 छोटा चम्मच पिसी हुई हल्दी, 1 चम्मच भर पुराना गुड़ जो कि 1 साल पुराना हो और 2 चम्मच देशी घी को एकसाथ मिलाकर 1 कप पानी में उबालें। जब उबलते-उबलते पानी आधा रह जाये, तब इसे थोड़ा ठंड़ा कर पी जायें। इस प्रयोग को केवल 15 दिन से 6 महीने तक करने से लाभ नज़र आ जाता है।

धनिया
शरीर में खून जमा हो जाने के कारण नील पड़ जाता है। प्राय: गिर-पड़ने, चोट खाने, मार-पीट आदि के कारण ऐसा होता है। ऐसी दशा में 10 ग्राम धनिया, 5 ग्राम हल्दी, 2 पुती लहसुन और ग्वार के पत्ते को एकसाथ मिलाकर सरसों के तेल में अच्छी तरह से पकाना चाहिए। फिर इस तेल को छानकर स्वच्छ शीशी में भर लेना चाहिए। इस तेल में रूई के फाहे को भिगोकर चोट वाले स्थान पर लगाकर पट्टी बांध देनी चाहिए।
यदि शरीर में गुम चोट लगी हो तो सरसों के तेल में पिसा हुआ धनिया डालकर उस तेल में कपड़े के फाहे को भिगोकर चोट वाले स्थान पर धीरे-धीरे सेंक करना चाहिए। चोट वाले स्थान पर धनिये की पोटली भी रखी जा सकती है।
गेहूं
गेहूं की राख, घी और गुड़ को बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच सुबह-शाम दिन में 2 बार खाने से चोट का दर्द ठीक हो जाता है।
हड्डी टूटना, चोट, मोच लगने पर गुड़ में गेहूं का हलवा या शीरा बनाकर खायें। 2 चम्मच गेहूं की राख में गु़ड़ और घी मिलाकर रोजाना सुबह-शाम चाटे। इससे दर्द में फायदा होता है और हड्डी जल्दी जुड़ जाती है।

भांग
भांग का एक पूरा पेड़ पीसकर नए घाव में लगाने से घाव में आराम मिलता है। चोट के दर्द को दूर करने के लिए इसका लेप बहुत ही लाभकारी होता है।

बरगद(बड़)
बड़ का दूध चोट, मोच, सूजन पर मलने और दिन में 2-3 बार लगाने से लाभ होता है।

मंगलवार, 2 नवंबर 2010

बालों का गिरना

बालों का गिरना
चाय
सिर धोने के बाद चाय के पानी (बिना चीनी और दूध का) से सिर धोने से बालों में चमक आती है और बालों का टूटना बन्द हो जाता है।
नींबू
बालों में नींबू के रस से मालिश करके धोने से बालों का झड़ना कम हो जाता है।
एक गिलास पानी में 2 चम्मच चाय डालकर उसे उबाल लें और उसे ठंड़ा होने दें। ठंड़ा होने के बाद उसे छानकर उसमें नीबू निचोड़ लें। बालों को अच्छी तरह साफ लेने के बाद इस पानी से बालों को धोयें। इसके बाद साफ पानी से बालों को धोयें। इस तरह बालों को धोने से बाल चमकदार और मुलायम हो जाते हैं और उनका झड़ना भी कम हो जाता है।
ककड़ी
ककड़ी के रस के इस्तेमाल से बाल घने होते हैं।
चौलाई
चौलाई की सब्जी खाने से बालों का झड़ना कम हो जाता है।
कनेर
कनेर की जड़, दन्ती और कड़वी तोरई-इन सभी को पीसकर केले के रस (क्षार) में इस तेल को पका लें। इसे बालों में लगाने से बालों का गिरना बन्द हो जाता है।
दही
बालों को गिरने से रोकने के लिए दही से सिर को धोना चाहिए क्योंकि दही में वे सभी तत्व होते हैं जिसकी स्वस्थ बालों को अधिक आवश्यकता रहती है। दही को बालों की जड़ों में लगाकर बीस मिनट बाद धोने से लाभ मिलता है।
हल्दी
कच्ची हल्दी में चुकन्दर के पत्तों का रस मिलाकर सिर में लगायें। इससे बाल नहीं गिरते और नये बाल भी उग आते हैं। बाल सुन्दर और आकर्षक बन जाते हैं।
भाप
बालों में भाप देने से बाल रेशम की तरह चमकदार और स्वस्थ होते हैं। इससे बालों का झड़ना भी बन्द हो जाता है। भाप देने के लिए सबसे पहले एक भगोने में गर्म पानी लें और एक तौलिये में इसे भिगोकर हल्का सा निचोड़कर बालों में लपेट लें। ठंड़ा होने पर दूसरे तौलिया को इसी तरह भिगोकर लपेटें। इसी तरह 10 मिनट तक भाप दें। जिस दिन बालों में भाप देनी है उससे एक दिन पहले ही सिर में तेल लगा लें।
नीम
सिर के बाल गिरने की शुरुआत ही हुई हो तो इसके लिए आप को नीम और बेर के पत्तों को पानी में उबाल लेना चाहिए। इससे बालों को धोने से बालों का झड़ना कम हो जाता है। इस तरह बाल काले भी होंगे और लंबे भी। इसके प्रयोग से सिर की ``जूं´´ भी मर जाती हैं। सिर धोते समय इस बात का ध्यान रखें कि यह पानी आंखों में प्रवेश न हो। इसके लिए आंखों को बन्द रखें।
पत्तागोभी
पत्तागोभी के 50 ग्राम पत्तों को रोजाना 1 महीने तक खाने से झड़े हुए बाल फिर से उग आते हैं।
तुलसी
कम उम्र में बाल गिरते हो और बाल सफेद हो गये हो तो इसके लिए तुलसी के पत्ते और आंवले का चूर्ण पानी के साथ मिलाकर सिर में मालिश करें। इसके 10 मिनट बाद सिर को धो लें। इससे बालों का झड़ना कम होता है तथा बाल काले और लंबे भी होते हैं।
राई
राई के हिम या फांट से सिर धोने से बाल गिरना बन्द हो जाते हैं। सिर में फोडे़-फुन्सी, जुएं और खुजली आदि रोग समाप्त हो जाते हैं।
दालचीनी
आलिव ऑयल गर्म करके इसमें एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर उसका पेस्ट बना लें, इस पेस्ट को बालों की जड़ों व त्वचा पर स्नान करने से 15 मिनट पहले लगा लें। जिन लोगों के सिर के बाल गिरते हो और जो गंजे हो गये हो उन्हें लाभ होता है।
आम
नरम आम की टहनी के पत्तों को पीसकर लगाने से बाल बड़े और काले होते हैं। इन पत्तों के साथ कच्चे आम के छिलकों को पीसकर तेल मिलाकर धूप में रख दें। इस तेल को लगाने से बालों का झड़ना बन्द हो जाता है और बाल काले हो जाते हैं।
लहसुन
बालों में लहसुन का रस लगाकर सूखने दें। इस तरह 3 बार रोज लहसुन का रस कुछ हफ्ते तक लगाते रहने से सिर पर बाल उग जाते हैं।

बालों को काला करना

बालों को काला करना
सरसों
1 किलो सरसो का तेल, रतनजोत, मेहंदी के पत्ते, जलभांगरा के पत्ते तथा आम की गुठलियों को 100-100 ग्राम की मात्रा लेकर सभी को कूटकर लुगदी बना लें और लुगदी को निचोड़ लें। इस पानी को सरसों के तेल में इतना उबालें कि सारा पानी जल जाए, केवल तेल ही शेष बचे। इसे छानकर इसका तेल रोजाना सिर पर लगायें। इस प्रयोग में सुबह के समय शीर्षासन करना चाहिए और सुबह-शाम 250 ग्राम दूध पीना चाहिए। इससे बाल काले हो जाते हैं।

घी
घी खाने और बालों की जड़ों में घी मालिश करने से बाल काले होते हैं।

दही
10 पिसी हुई कालीमिर्च का चूर्ण और 1 नींबू निचोड़कर आधा कप दही में मिला लें और इसे बालों पर लगाकर 20 मिनट तक लगा रहने दें। इसके बाद सिर को धो लें। इससे बाल काले और मुलायम हो जाते हैं।
100 ग्राम दही में बारीक पिसी हुई 1 ग्राम कालीमिर्च को मिलाकर सप्ताह में एक बार सिर को धोयें और बाद में गुनगुने पानी से सिर को धो लें। इस प्रयोग को करने से बालों का झड़ना बन्द हो जाता है तथा बाल काले और सुन्दर हो जाते हैं।

कालीमिर्च
जुकाम में भी बाल सफेद हो जाते हैं। अगर बाल जुकाम के कारण सफेद हो गये हो तो 10 कालीमिर्च रोजाना सुबह-शाम निगल जायें। इससे कफ-विकार (बलगम रोग) खत्म हो जाते हैं और नये बाल उगना शुरू हो जाते हैं। इसका प्रयोग 1 साल से अधिक करें। तिल के तेल में कालीमिर्च को बारीक पीसकर बालों में लगाने से बाल काले हो जाते हैं।
मुल्तानी मिट्टी
100 ग्राम मुल्तानी मिट्टी 1 कटोरे में लेकर पानी में भिगो दें। जब यह 2 घंटे में फूलकर लुग्दी सी बन जाए तो हाथ से मसलकर गाढ़ा घोल बना लें। ध्यान रहे कि इसमें डालिया न बचने पायें। इस घोल को सूखे बालों में डालकर मुलायम हाथों से धीरे-धीरे बालों में लगायें। इसे लगाने के 5 मिनट बाद सर्दियों में गुनगुना और गर्मियों में ठंड़े पानी से धो लें। अगर बाल ज्यादा गंदे हो तो वैसे ही करें। इस तरह साबुन की जगह मुल्तानी मिट्टी से बालों को सप्ताह में 2 बार धोने से उसमें अच्छी चमक देखने को मिलती है। पहली बार ही धोने से सिर में हल्कापन और शीतलता का अनुभव होता है जैसा कि और शैम्पू में नहीं देखने को मिलता है।

काला तिल
250 ग्राम काला तिल, 250 ग्राम गुड़ दोनों को सही तरह से कूटकर रख लें। इसे रोजाना 50 ग्राम खाने से शरीर में ताकत आती है। इससे पेशाब अधिक नहीं लगती और उम्र से पहले आये सफेद बाल काले होने लगते हैं।
काला तिल, सूखा भृंगराज, सूखा आंवला और मिश्री को बराबर लेकर बनाये गये चूर्ण को रोजाना सुबह 6 ग्राम की मात्रा में खाकर ऊपर से 250 ग्राम दूध का सेवन करें। इसे 1 साल तक लगातार खाने से रूप बदल जाता है।
नोट : इस प्रयोग के समय ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

मेहंदी
50 ग्राम मेहंदी, आधा चम्मच कॉफी और 25 आंवला को दूध में भिगोकर बालों में लगा लें, 1 घण्टे के बाद पानी से सिर धो लें, सप्ताह में 2 बार ऐसा करने से सफेद बाल काले-सुनहरे हो जाते हैं।
6 चम्मच मेहंदी, 4 चम्मच सूखा आंवला, 1 चम्मच कॉफी, चौथाई चम्मच कत्था-इन सबको मिलाकर 1 लोहे के बर्तन में कॉफी के उबले हुए पानी में भिगो लें। दूसरे दिन इनका बालों पर लेप करें। 20 मिनट तक लेप को लगा रहने दें। इसके बाद सिर को धो लें और सिर में आंवले का तेल लगाएं। आंवला बालों के लिए एक प्राकृतिक (कुदरती) देन है। इसे बालों में किसी भी तरीके से लगा सकते हैं और इसका रस पीयें। इससे बालों को लाभ होता है।
मेहंदी के पत्तों का चूर्ण और नील के पत्तों का चूर्ण समान मात्रा में लेप बनाकर लगाने से सफेद बाल प्राकृतिक रूप से काले हो जाते हैं।
मेहंदी, दही, नींबू और चाय की पत्तियों को मिलाकर 2 से 3 घंटे तक बालों में लगाने से बाल घने, मुलायम, काले और लंबे हो जाते हैं।
नीम
नीम के बीजों को भांगरा और विजयसार के रस के साथ कई बार उबालकर उसके बीजों का तेल निकालकर 2-2 बूंदों को नाक से लेने से तथा आहार में केवल दूध और भात को खाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।

विशेष
युवावस्था से ही सुबह-शाम भोजन करने के बाद वज्रासन में बैठकर 2-3 मिनट तक लकड़ी, सींग और हाथी दांत की कंघी करने से बालों का सफेद होना कम हो जाता है। इससे बालों का जल्दी पकना और गिरना, सिर की खुजली, सिर का पिलपिला होना, चक्कर और सिर की गर्मी नष्ट हो जाती

बेसन का शैम्पू
साबुन की जगह सप्ताह में दो बार बेसन को पानी में सही तरह से घोलकर बालों में लगाएं और इसे 1 घण्टे बाद धो लें। इससे बाल घने और काले होते हैं। इस तरह बालों की गन्दगी साफ हो जाती है, बाल चमकीले और मुलायम हो जाते हैं। सिर की खाज खुजली और फुन्सियां जल्द ही ठीक हो जाती हैं।
नारियल
300 ग्राम नारियल के तेल में कालीमिर्च (मोटी कुटी हुई) 3 ग्राम (लगभग एक चम्मच) डालकर गर्म कर लें। थोड़ा तेज गर्म हो जाने पर साफ कपड़े से छानकर बोतल में भर लें। रात में साने से पहले इसे बालों की जड़ों में अंगुलियों के सिरों से हल्की-हल्की मालिश करें। इससे बाल काले हो जाते हैं।
तुलसी
बराबर मात्रा में तुलसी और हरा धनिया पीसकर आंवले के रस के साथ कुछ दिनों तक लगाएं। बाद में ताजे पानी से बालों को धो लें। इससे बाल काले बनते हैं।

तुरई (तोरी)
तुरई के टुकड़ों को छाया में सुखाकर कूट लें। इसमें नारियल का इतना तेल डालें कि यह पूरी तरह से डूब जाए। इसी प्रकार 4 दिनों तक इसे भिगोयें, फिर उबालें और इसे छानकर बोतल में भरकर रख लें। इस तरह इस तेल को बालों में लगाने और मालिश करने से बाल काले हो जाते हैं।

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