कई बार, जहाँ हम पैदा हुए और परवान चढ़े, उस अपने ही शहर में काम नहीं बन पाता और हम कहीं और ठिकाना बनाने की सोचने लगते हैं. लेकिन फिर लाख टके का सवाल सामने आ जाता है कि
जाएँ तो जाएँ कहाँ......
ज्योतिष में इसका बहुत सरल हल दिया हुआ है. अपनी नाम राशि से दूसरी, पांचवीं, नवीं, दसवीं और ग्यारहवीं नाम राशि हो उस शहर की, तो फिर वो स्थान बहुत फलता है अर्थात शुभफलदायक है आपका माइग्रेशन....
जैसे मेरा उदहारण लीजिये. मेरे नाम विश्वजीत से मेरी नाम राशि हुई वृषभ....
वृषभ को पहली राशि मानते हुये गिनना शुरू करें, तो नवीं राशि हुई मकर.
मकर राशि के अक्षर = भो, जा, जी, खो, खू, खे, खो, गा, गो
मैं अपने जन्म-स्थान मेरठ से जयपुर शिफ्ट हुआ और रिजल्ट आपके सामने है
यदि मैं मेरठ में ही रह जाता तो क्या मैं विश्वजीत बन पाता ?
कभी नहीं !
वृषभ से चौथी राशि है सिंह, जिसके नामाक्षर हैं - मा, मी, मू, मे, मो इत्यादि - यहाँ मैं कभी वो सफलता हासिल नहीं कर पाता जो मझे जयपुर ने दी....
इसके अलावा भी अनेकों फैक्टर्स होते हैं, लेकिन पहला स्टेप यदि सही पड़ जाये तो...पहला लाख कमाने में ज़माने भर की कठिनाई पेश आ सकती हैं, अगले लाख नहीं....
वो तो आप फिर उस ज़मीन पर धसक दे के पैदा करते हो सरकार..
पत्नीजी का बुद्ध अष्टम भाव में स्त्री राशि में है तो आपके घर का कोई राज़, राज़ नहीं रहेगा. दुनिया को आपके बेडरूम तक के किस्से पता है.
अशुभ वास्तु क्षेत्र में टॉयलेट हो, तो फ्लश के रास्ते मल ही नहीं, अपितु आपका कमाया हुआ माल भी ड्रेनआउट हो जाता है.
धनु लग्न हो और गुरु अष्टम भावस्थ हो तो एक सम्भावना तो अति प्रबल है. दरिद्रता या वंशक्षय.
सूर्य से छठे भाव में राहु हो, तो नौकरी का ही मन बनाये रखिये. व्यापार करेंगे, तो दुश्मनी बहुत होगी.
विवाह का दिन निश्चित करते समय सबसे महत्वपूर्ण कारज होता है, एक ऐसे शुभ लग्न का चयन करना जो दोनों संभावित वर-वधु को समान रूप से फलदायी हो. लग्न निश्चित करते समय, यदि षष्ठ, सप्तम और अष्टम भाव में कोई ग्रह न ही हो तब तो अति उत्तम. और यदि कोई ग्रह हो भी, तो वह शुभ ग्रह होना चाहिये, जैसे बुद्ध या गुरु या शुक्र, लेकिन उनका शुभुत्व वर-वधु के जन्मांग से मेल भी खाता हो. दैवयोग से यदि ऐसा लग्न निश्चित हो भी हो गया, तो फिर देखिये कि नवम भाव में शनि अथवा राहु तो नहीं है ! यदि हैं, तो फिर इस बात की सम्भावना भी बहुत बलवती होगी कि नवविवाहित को संतान का सुख नहीं मिलेगा अर्थात संतान नहीं होगी.
यह लेख विश्वजीत बब्बल वैदिक काउंसलर के फेसबुक पोस्ट से लिया गया है. वे वास्तु और ज्योतिष की बहुत अच्छी जानकारी रखते हैं. उन्होंने अपनी जानकारी के आधार पर कई लोगों के परेशानिया दूर की है. यह अपने अनुभव को भी समय समय पर लोगों से शेयर करते हैं. आप इनसे सशुल्क परामर्श ले. सकते हैं. आप उनसे फेसबुक के द्वारा सम्पर्क कर सकते हैं. इस सेवा का लाभ जरुर लें.
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