गुरुवार, 3 दिसंबर 2020

Vastu shastra : कलर करवाते समय दिशा के हिसाब से चुने सही रंग

 भवन में कलर करवाते समय दिशा के हिसाब से चुने सही रंग ...



भवन में रंगो का चयन करते समय विभिन्न दिशाओं के तत्व उनके ग्रहों और दिशाऔं के अधिपति देवताओं का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी होता है 

शुभ कलर जहाँ वास्तु के शुभ फल को कई गुणा बढ़ा देते हैं वही अशुभ कलर हमारे जीवन की बहुत सारी समस्याओं के कारण बन सकते हैं। 

पुरे घर के लिए कोनसा कलर शुभ रहेगा और घर के अन्दर अलग अलग कमरों में कोनसे कलर करवाने से लाभ होता है इसे आपको नीचे दिये हुऐ चित्र से ..समझ में आ जायेगा 👇

घर के बाहर कलर करवाते समय ...सबसे पहले ये देखें की आपके घर की फेंसिंग कोनसी है उदाहरण के लिए अगर आपका घर दक्षिण मुखी है तो ...चार्ट में देखें दक्षिण दिशा का कलर लाल है और देवता मंगल है। इस हिसाब से आप अपने घर में लाल शेड के परिवार के कलर जैसे बिलकुल वाइट पिंक से लेकर डार्क रेड तक किसी भी पसंदीदा रंग को चुन सकते हैं। 

और घर के अन्दर किसी कमरे में कलर करवाना हो तो पुरे घर की फेंसिंग के हिसाब से या उस कमरे की अपनी दिशा के हिसाब से आप दोनों आफशन चुन सकते हैं 

अर्थात दक्षिण मुखी घर के अन्दर सभी कमरों में पिंक कलर करवा सकते हैं और अगर यह कमरा उत्तर दिशा का है तो इसमें हरे शेड से सम्बन्धित कोई भी रंग भी किया जा सकता है।  

-आपके घर प्रतिष्ठान या फ़ैक्टरी में पहले से जो रंग किया हुआ है उसको भी इस चार्ट के द्वारा चैक करें की कहीं वो तो ..अशुभ नही है 

नोट - सफ़ेद , क्रीम , और लाइट गोल्डन कलर किसी भी दिशा  में किये जा सकते हैं इनके हमेशा शुभ फल ही प्राप्त होतें हैं।  

Source - एस के मेहता 

Vastu shastra : अपने घर की दिशाएँ कैसे देखें 4

 दिशाओं का ज्ञान .. ... पुर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण इन चार दिशाओं के बारे में तो आप सबको पता ही है ..पर वास्तु शास्त्र के हिसाब से दिशाएँ ..10 होती है .. 



पुर्व व उत्तर के मध्य... ईशान कोण..  

दक्षिण व पुर्व के मध्य ..अग्निकोण 

दक्षिण व पश्चिम के मध्य ...नैऋत्य कोण 

उत्तर व पश्चिम के मध्य ...वायव्य कोण 

एक आकाश और दुसरी ...पाताल।  

इस प्रकार इन दस दिशाओं को ध्यान में रखते हुऐ किसी भवन की प्लानिंग करनी चाहिए 

अपने घर की दिशाएँ कैसे देखें ....

अक्सर लोगों को ये कन्फ़्यूजन रहता है की ...किसी भवन की सही दिशा कोनसी है ..हम जब भवन के बाहर से अन्दर जाते है उस समय हमारा मुँह जिस दिशा मैं होता है उसको माने या किसी घर से बाहर आते समय हमारा मुँह जिस दिशा में होता है उसको सही माने  

तो सबसे पहले ये जान लें की ...भवन अपने आप में एक पुरूष है और जिस दिशा में इस पुरूष का मुख है अर्थात मुख्य द्वार है वही इसकी सही दिशा है मतलब आप जब घर से बाहर निकल रहे हैं और जिस दिशा में आपका मुँह होता है वही उस भवन की दिशा माननी चाहिए।  

जब पुरी भुमि की दिशाएँ देखनी हो तो उसके मध्य मैं कम्पास (दिशा सूचक ) रखे। 

जब निर्माण की देखनी हो तो पुरे निर्माण के मध्य कम्पास रखे 

जब किसी कमरे की दिशाओं का निर्धारण करना हों तो उस कमरे के मध्य में कम्पास रखकर आप बड़ी आसानी से उस कमरे की दिशाओं का पता लगा सकते हैं।  

Source - एस के मेहता 

Vastu shastra : बैक एरिया 3

 किस दिशा में कितनी जगह छोड़कर घर बनाये  ( सेड बैक एरिया ) ... 



किसी भी भवन का निर्माण करते समय ...वास्तु के हिसाब से 

सबसे ज्यादा खुली जगह ...उत्तर दिशा में होनी चाहिए 

उत्तर से कम...पुर्व दिशा में 

पुर्व से कम...पश्चिम दिशा में 

और पश्चिम से कम ...दक्षिण दिशा में हो तो ...ऐसे भवन सर्वश्रेष्ठ होते हैं 

अर्थात सबसे ज्यादा उत्तर दिशा में और सबसे कम दक्षिण दिशा में सेड बैक एरिया छोड़कर घर बनाना ज्यादा शुभ होता है 

परन्तु ये नियम बड़ी जगहों पर या फ़ार्म हाउस में तो लागु किया जा सकता है पर शहरों में जगह की कमी की वजह से संभव नही है क्योंकि यहाँ सरकारी नियमों के हिसाब से सेड बैक एरिया छोड़ना पड़ता है ....ऐसी स्थिति में वास्तु दोष कम करने के लिए ...

उत्तर दिशा का फर्श लेवल सबसे नीचा रखें  

पुर्व दिशा का उत्तर से ऊँचा ... 

पुर्व से ..पश्चिम का फर्श ऊँचा व 

पश्चिम से ...दक्षिण दिशा का फर्श ऊँचा रखने से ...

सेड बैक एरिये से उत्पन्न हुऐ वास्तु दोषों के दुश्प्रभाव को बहुत कम किया जा सकता है।

एस के मेहता 

Vastu shastra : ढलान 2

 ढलान..... 



वास्तु विज्ञान में ढलान का सर्वाधिक महत्व है 

घर,प्रतिष्ठान या फ़ैक्टरी की भूमि या छत का ढलान अगर सही दिशा मे हैं ...तो उसके आधे वास्तु दोष स्वत: ही दुर हो गये ...ऐसा मानना चाहिए 

ढलान चाहे किसी कमरे के फर्श का हो.... 

भूमि का हो...

छत का हो ...

टीन शेड का हो ...

या घर के बाहर.. रोड़ का हो 

सबका वास्तु विज्ञान में एक ही सिम्पल फ़ार्मूला है की ढलान हमेशा ...उत्तर, पुर्व या ईशान कोण में ही होना चाहिए 

सबसे नीचा ...ईशान कोण(NE), 

ईशान से ऊँचा ...वायव्य कोण( NW)

वायव्य से ऊँचा ...अग्निकोण (SE) और 

अग्निकोण से ऊँचा ...नैऋत्य कोण(SW) होना शुभ रहता है अर्थात पुरा ढलान नैऋत्य कोण से ईशान कोण की तरफ़ होना चाहिए 

आप जिस घर में रहते हैं ... या जिस बैडरूम में सोते हैं तुरन्त उसके फर्श का ढलान चैक किजिए अगर यह दक्षिण, पश्चिम, वायव्य या आग्नेय दिशा में हैं तो यह शुभ नही है क्यों की धीरे धीरे आपका स्वास्थ्य और धन इससे नष्ट हो जायेगा और आपको पता भी नही चलेगा।   

नोट - किसी भी चीज़ का आधा ढलान शुभ और आधा अशुभ हो ...यानि आधा पुर्व व आधा पश्चिम या आधा उत्तर व आधा दक्षिण तो ऐसा चल सकता है क्यों की जो भूमि बीच में से ऊँची व चारों तरफ़ से नीची हो उसे वास्तु की द्रष्टि से शुभ माना जाता है। 

 source - एस के मेहता 

Vastu shastra : पंचमहाभूत और वास्तु 1

 पंचमहाभूत...



इस सृष्टि की रचना पंचमहाभूतों जल वायु अग्नि पृथ्वी और आकाश से मिलकर हुई है 

भवन की किस दिशा में कोनसा तत्व होना चाहिए ये ज्ञान हमें वास्तु विज्ञान से मिलता है 

उत्तर पुर्व - ईशान में ...जल , 

दक्षिण पुर्व -अग्निकोण में ...अग्नि ,

 उत्तर पश्चिम - वायव्य में ...वायु 

दक्षिण पश्चिम - नैऋत्य में ...पृथ्वी 

और मध्य में ...आकाश तत्व की स्थापना करनी चाहिए।


श्रोत -  एस के मेहता 

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