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हम सभी अच्छी तरहसे जानते हैं कि जन्म कुंडली में हर भावका अपना एक प्रभाव होता है। हर भावमें लग्न के हिसाब से अलग-अलग राशियां सेट होती है । लग्नका स्वामी लग्नेश कहलाता है जो कुंडली में प्रधानमंत्री की तरह एक प्रमुख शासक होता है। उसके पास सभी भावों से उत्तम फल प्राप्त करने की पूरी ताकत होती है।
लेकिन छठे, आठवें और बारहवें भाव के स्वामी विपक्षी दल के समान होते हैं। वे कुछ मामलों में प्रधान मंत्री का समर्थन भी करते हैं और कभी नहीं भी करते ।
उदाहरण के लिए आध्यात्मिक यात्रा करने या शुरू करने के लिए अष्टमेश हमेशा साथ देगा। विदेश जाना हो या संन्यासी बनना हो तो 12वें भावका स्वामी सदैव सहयोग देगा। कोर्ट केस जीतने के लिए छठे भाव का स्वामी हमेशा साथ देगा । लेकिन सभी मामलों में नहीं देते ।
सभी ग्रह हमारे पिछले जन्मोंसे जुड़े हुए हैं और हमारे अच्छे बुरे कर्म को जानते हैं, साक्षी हैं तो अपना फर्ज तो निभाएंगे ही । 6 8 12 के स्वामी हमारे पाप कर्मों के फल देने के लिए अपनी भूमिका निभाते हैं ।
अब आज हम 12वें भाव पर चर्चा करेंगे । बारहवा भाव क्या बताता है? आम तौर पर हम बताएंगे कि मोक्ष, कैद, अस्पताल, विदेशगमन, आर्थिक नुकसान आदि । लेकिन ये शब्द बारहवें भाव का वर्णन करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
बारहवा भाव जिंदगीमें अकेलापन पैदा करता है । इंसान को भीड़ से अलग कर देता है। दिन-प्रतिदिन के जीवन में कुछ मर्यादाएं, कुछ सीमाएँ बन जाती है। एक प्रकार का कार्मिक नियंत्रण आ जाता है । जीवन में अज्ञात प्रदेश या वातावरणमें जाना पड़ता है।
यह अचेतन मन का स्थान, ट्रांस स्थिति का स्थान, ध्यान अवस्था का स्थान, नींद का स्थान और सपनों का भाव भी है । बारहवें भाव में ग्रहों की जो भी हलचल होती रहती है उसके हिसाब से हमें सपने आते हैं ।
बारहवां भाव सक्रिय होने पर व्यक्ति विदेश जाता है और इस प्रकार नए प्रदेश और वातावरण में अपने आपको ढालना पड़ता है। 12वा भाव सक्रिय होने पर व्यक्ति को कोई नई जगह पर या कहीं दूर नौकरी मिलती है। 12वा भाव सक्रिय होता है तो इंसान ट्रांसफर हो जाता है। कोई जेल जाता है और खुद को एक बंधन में रखना पड़ता है और कार्मिक दंड भुगतना पड़ता है । कोई अस्पताल में भर्ती होता है और खुद को डॉक्टरों और नर्सों के बीच बिस्तर पर लेट जाना पड़ता है।
एक बच्चा बारहवीं की उम्र में पूरी तरह से बदल जाता है और बच्चे में पूर्ण परिवर्तन आने लगता है क्यों कि उसका 12वां भाव सक्रिय हो जाता है । व्यक्ति को अपनी पहली नौकरी या स्थानांतरण तब मिलता है जब वह 23 वर्ष पूरा करता है और अपनी आयु के 24वें वर्ष में प्रवेश करता है। व्यक्तिको टर्निंग पॉइंट तब मिलता है जब वह 35 वर्ष की आयु पूरी करता है और 36वें वर्षमें प्रवेश करता है।
12वा भाव ट्रांसफर, पदोन्नति, नई जिम्मेदारी, नए वातावरण, विदेश यात्रा, किसी करीबी रिश्तेदारकी बिदाई या आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत का भाव है ।
याद रखें कि 12वां 24वां 36वां 48वां 60वां 72वां और 84वां रनिंग वर्ष 12वे भाव का एक्टिवेशन है इसलिए इन सभी रनिंग वर्षमें ऐसी कोई ना कोई घटना बनेगी ही । 60वां साल लंबे समय तक चलने वाली जॉब का आखिरी साल होता है। सभी साथियों से अलग पड़ना होता है । 72वां वर्ष हमेशा खराब स्वास्थ्य या पैरों की समस्याओं के कारण चलने की सीमाएं देता है। यह उम्र से जुड़ी 12वे स्थानकी सक्रियता का फल है ।
अब जब बृहस्पति शनि राहु या केतु जैसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह इस स्थानसे गुजरते हैं तो भी बारहवां स्थान सक्रिय हो जाता है।
जब बारहवें भाव के स्वामीकी महादशा या अंतर्दशा चल रही हो तब भी 12वा भाव प्रबल रूप से सक्रिय हो जाता है।अंतर्दशा का प्रभाव अधिक होता है। साथ ही बारहवें भाव की छिपी शक्ति का पता लगाने के लिए शनि का 12वें भाव में गोचर भी अधिक महत्वपूर्ण है।
नैसर्गिक राशि चक्र में मीन बारहवीं राशि है इसलिए बृहस्पतिमें बारहवें घर के छिपे हुए गुण हैं । बारहवें घर में बृहस्पति का गोचर सांसारिक मामलों में नकारात्मक हो सकता है, लेकिन इसमें एक चिंगारी है जो किसी को भी अपने भीतरकी दुनिया में धकेल सकती है ।
जीवन की वास्तविकता को समझने के लिए, ध्यान शुरू करने के लिए, मन को मोड़ देने के लिए बृहस्पति शनि या केतु का 12वें भाव में गोचर बहुत महत्व का होता है ।
यह सिर्फ 12वें भाव का एक स्केच है । इसके सिवा भी 12वे स्थान में बहुत रहस्य छुपे हुए हैं ।
अश्विन रावल 20.7.2022
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