बुधवार, 9 मार्च 2011

क्या आप चिड़चिड़े होते जा रहे हैं...?

आज प्रतिस्पर्धा का युग है। ऐसे में सभी को जरूरत से ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है है। शारीरिक और मानसिक श्रम की अधिकता से अधिकांश लोगों का स्वभाव क्रोधी और चिड़चिड़ेपन वाला हो जाता है। किसी का भी छोटी-छोटी बातों में चिड़ जाना यह तो आम बात हो गई है परंतु जो व्यक्ति प्रतिदिन योग करते हैं वे क्रोध से दूर ही रहते हैं। सर्वांगासन के नियमित अभ्यास से हमारा मन शांत रहता है। जिससे क्रोध तथा चिड़चिड़ेपन से निजात मिलती है।

आसन की विधि- समतल भूमि पर आसन बिछाकर शवासन में लेट जाइएं। अपने दोनों हाथों को जांघों की बगल में तथा हथेलियों को जमीन पर रखें। पैरों को घुटनों से मोड़कर ऊपर उठाएं तथा पीठ को कधों तक उठाएं। दोनों हाथ कमर के नीचे रखकर शरीर के उठे हुए भाग को सहारा दीजिए। इस तरह ठुड्डी को छाती से लगाए रखें। अब सांस को रोके नहीं स्वाभाविक रुप से चलने दें। पैर और धड़ को एक सीध में रखें। इस स्थिति में रुकने के बाद, पैरों को जमीन पर वापस लाइएं। पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए घुटनों को माथे के पास लाइए। हाथों को जमीन पर रखते हुए शरीर और पैरों को धीरे -धीरे वापस शवासन में लाएं अब शवासन में शरीर को शिथिल अवस्था में लाइएं। आसन करते समय आंखों को खुला रखें।

आसन के लिए सावधानियां - आसन का अभ्यास करते समय धैर्य से काम लें। जल्दबाजी एवं हड़बड़ाहट में आसन न करें। इस आसन का अभ्यास पीठ दर्द, कमर दर्द, नेत्र रोगी और उच्च रक्तचाप के रोगी ने करें।

आसन के लाभ- इस आसन के नियमित अभ्यास से मानसिक तनाव, निराशा, हताशा एवं चिंताएं आदि रोगों का नाश होता है। इससे आखों का तेज बढ़ता है और चेहरा कांतिमय बनता है। स्त्रियों के स्वास्थ में इस आसन से विशेष लाभ होता है । स्त्रियों की मासिक धर्म संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। सर्वांगासन से शरीर के उन अंगों से रक्त संचरण बढ़ जाता है, जहां रक्त संचार कम होता है चेहरे पर झाइयां नहीं पड़ती हैं।

सम्भालिए अपने दिल को कुछ इस तरह

जिस अंग पर हमारा पूरा शरीर चलता है वह है हमारा दिल। दिल से ही सभी अंगों में रक्त का संचार होता है।दिल के संबंध में छोटी सी असावधानी बड़ी बीमारी को न्यौता दे सकती है। इसलिए इसका ध्यान रखना अतिआवश्यक है। दिल को स्वस्थ रखने के लिए योगासन की मदद अवश्य लें। इसके लिए हमें शशकासन करना चाहिए इस आसन की पूर्ण अवस्था में हमारी आकृति शशाक अर्थात् खरगोश के समान हो जाता है, इसलिए इसे शशकासन कहते हैं।
शशकासन की विधि- किसी साफ जगह पर चटाई बिछाकर बैठ जाएं। दोनो पैरों को घुटनों से मोड़कर पीछे की ओर नितम्ब (हिप्स) के नीचे रखें और एडिय़ों पर बैठ जाएं। अब सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर करें। इसके बाद सांस को बाहर छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुकते हुए सांस को बाहर निकालें। दोनो हाथों को आगे की ओर फैलाते हुए हथेलियों को जमीन पर टिकाएं। अपने सिर को भी जमीन पर टिकाकर रखें। आसन की इस स्थिति में आने के बाद कुछ समय तक सांस को बाहर छोड़कर और रोककर रखें। फिर सांस लेते हुए शरीर में लचक लाते हुए पहले पेट को, फिर सीने को, फिर सिर को उठाकर सिर व हाथों को सामने की तरफ करके रखें। कुछ समय तक इस स्थिति में रहे और फिर सीधे होकर कुछ समय तक आराम करें और इस आसन को 4-5 बार करें।
शशकासन के लाभ- यह आसन हृदयरोगियों के लिए काफी फायदेमंद है। इस आसन से फेफड़ों में स्वच्छ हवा पहुंचने से फेफड़े स्वस्थ बन जाते हैं। इससे आंते, यकृत आदि भी स्वस्थ होते हैं। इस आसन से नसें-नाडिय़ां स्वस्थ व लचीली होकर सुचारू रूप से कार्य करती है। साइटिका में लाभदायक है। यह आसन कब्ज को दूर करता है तथा सामान्य रूप से कामविकारों को दूर करता है। यह आसन महिलाओं के लिए भी लाभकारी है।

मंगलवार, 8 मार्च 2011

दांतों के दर्द से अब न हों परेशान

आजकल ठीक से देखरेख न करने के कारण लोगों में दांत के दर्द की समस्या आम हो गई है। छोटे छोटे बच्चों को अक्सर दांत में दर्द होने की शिकायत होती है। आयुर्वेद में दांतों में दर्द की समस्या का बहुत आसान उपाय बताया है। आयुर्वेद में एक कहावत है-
नमक महीन लीजिए, अरु सरसों का तेल। नित्य मले रीसन मिटे, छूट जाए सब मैल।
सैंधा नमक को कपड़े से छान लें। नमक को हाथ पर रखकर उसमें सरसों का तेल मिला लें। इस मिश्रण से दातों पर हल्के-हल्के मसाज करें बाद में साफ पानी से कुल्ला कर लें।
इस विधि को अपनाने से आपको दातों की कई समस्याओं से निजात मिल जाएगी। इससे दातों में दांतों में पीलापन नहीं आता, दांत साफ और मजबूत होते हैं, कीड़े नहीं लगते, दर्द, मसूड़ों की सूजन, इनसे खून निकलना बन्द हो जाता है। अन्य टिप्स- रोजाना सोने से पहले थोड़े से पानी में सेंधा नमक मिलाकर कुल्ला करने से दांतों की समस्या खत्म हो जाती है।

सोमवार, 7 मार्च 2011

धोखेबाज पार्टनर की पहचान है उसकी आवाज

कहते हैं कि आवाज की तीब्रता कुदरत की देन है। लेकिन शोधकर्ताओं की मानें तो उनका कहना है कि आवाज से धोखेबाज पार्टनर की पहचान की जा सकती है।
कनाडा की मैकमास्टर यूनिवर्सिटी की रिसर्च टीम के अनुसार महिलाओं की ऊंची आवाज और पुरुषों की धीमी आवाज उन्हें एक-दूसरे को भविष्य में धोखा देने के संकेत हो सकते हैं।
मैकमास्टर यूनिवर्सिटी की साइकॉलजी के असिस्टेंट प्रोफेसर और न्यूरॉलजी के स्पेशलिस्ट डेविड फेइनबर्गन के अनुसार आवाज में उतार-चढ़ाव का सीधा संबंध हॉर्मोन से है।
जिन पुरुषों में टेस्टोट्रोन नामक हॉर्मोन का स्तर ऊंचा होता है, उनकी आवाज धीमी होती है। जिन महिलाओं में एस्ट्रोजेन का स्तर अधिक होता है, उनकी आवाज भी अधिक ऊंची होती है। इन हॉर्मोन को साथियों को धोखा देने के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
पति या पत्‍नी के चरित्र का पता लगाना है तो उसकी खूबसूरती से ज्‍यादा उसकी आवाज पर ध्‍यान दें।

रविवार, 6 मार्च 2011

कैसे करें कोलेस्ट्रॉल कन्ट्रोल

बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल निशानी है हृदय रोग की। हृदय रोग होने का मतलब है जीवन को खतरा। हमें जानकारी होनी चाहिए कि क्यों बढ़ता है रक्त का कोलेस्ट्रॉल। कैसे पाएं इससे छुटकारा?- कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना, हृदय रोग का होना आमतौर पर बंशानुगत रोग है। फिर भी खानपान की गलतियों के कारण किसी को भी हो सकता है। कोलेस्ट्रॉल का अपना रंग पीला है। हल्का पीला रंग होता है। यह चर्बी व वसा लिये होता है।
- कोलेस्ट्रॉल का होना जरूरी है। किन्तु सामान्य से अधिक हो तो हानिकारक।
- व्यक्ति के भोजन का 30 प्रतिशत तक का भाग कोलेस्ट्रॉल ही है। यह जिगर में बनता है। होता है यह सामान्य से अधिक।
कैसे करें? कोलेस्ट्रॉल कम
व्यायाम-योगासन जिस में प्राणायाम भी हो हल्के व्यायाम, खेलना, तैरना, पैदल चलना, बड़े कदमों से सैर, साइकिल चलाना, कम से कम समय आराम करना, शरीर चलाए रखना।
परहेज- अनाज व तले पदार्थों की जगह अधिक फलों का प्रयोग, फल ऐसे हों जो पेड़ पर ही पके हों। हरी सब्जियां खाना, सैर करना, लेटे नहीं रहना, जिन कारणों से यह रोग होता है, उसे निकाल फेकें।
उपचार-- कोलेस्ट्रॉल कम करने का अर्थ है हृदय रोग का सही उपचार। इसके लिए प्रतिदिन प्रातः अंकुरित अनाज, मुट्ठी भर जरूर खाएं।- अंकुरित दालें भी खानी आरम्भ करें।
- सोयाबीन का तेल अवश्य प्रयोग करें। यह भी उपचार है।
- लहसुन, प्याज, इनके रस उपयोगी हैं- नीम्बू, आंवला जैसे भी ठीक लगे, प्रतिदिन लें।
- शराब या कोई नशा मत करें, बचें।
- ईसबगोल के बीजों का तेल आधा चम्मच दिन में दो बार।
- रात के समय धनिया के दो चम्मच एक गिलास पानी में भिगों दें। प्रातः हिलाकर पी लें। धनिया भी चबाकर निगल जाएं।
- यदि आप अपने रक्त में कोलेस्ट्रॉल की ठीक मात्रा रख सकें। जो सामान्य तक रहे। बढ़े नहीं। ऐसे में यह रोग होगा ही नहीं। इन सब जानकारियों की चर्चा पहले ही अपने चिकित्सक से कर लें तो बेहतर होगा।

चेहरे में लाएं निळार

सुंदर व खुबसूरत चेहरे की ओर सभी आकर्षित होते हैं। हर स्त्री चाहती हैं कि उसके चेहरे में निखार आये व सुंदर बने। इसके लिए सौंदर्य संबंधी बहुत सी बातों को ध्यान में रखना पड़ता हैं क्योंकि सुंदरता तो उसे विरासत में नहीं मिली होती। वर्तमान में सौंदर्य के प्रति उनमें जागरुकता बढ़ी हैं। प्रस्तुत हैं चंद घरेलू उपाय जिसे आप अपनाकर अपने चेहरे में निखार ला सकती हैं, सुंदर बन सकती हैं।
** सांवलापन- चेहरे का सांवलापन दूर करने के लिए गाजर व नींबू का रस दूध में मिलाकर लगायें, मले या फिर गोभी के पत्तियों को बारीक पीसकर उसमें थोड़ा-सा खमीर मिलाकर चेहरे पर मलें। इससे त्वचा का सांवलापन व रुखापन दूर होगा।
** मुलायम चेहरा- चेहरे को मुलायम बनाने के लिए जसवंत के फूलों को पीसकर थोड़ा चंदन पावडर डालकर लगाये। जौ की आटे में दही व कुछ बूंदे बादाम रोगन मिलाकर भी लगा सकते हैं।
** दाग- चेहरे के काले दाग को मिटाने के लिए नींबू के रस में थोड़ा-सा मीठा सोडा मिलाकर चेहरे पर लगाइए या फिर प्रात: काल टमाटर के रस में थोड़ा रुई भिगोकर प्रतिदिन लगायें।
** झुर्रियां- चेहरे की झुर्रियों को समाप्त करने के लिए एक ही प्रकार के लोशन का प्रयोग करें। दूध व सरसों का तेल मिलाकर भी लगा सकते हैं।
** चेहरा कांतिमय- नींबू के दो चार बूंदे मलाई में डालकर चेहरे पर लगाने से चेहरा में निखार आता हैं, त्वचा साफ होती हैं। जीरे को पानी में उबालकर उस उबले पानी से चेहरे को धोने से या नींबू का रस दही में मिलाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा में एक नई कांति आ जाती हैं, चेहरा आकर्षक बनता है।
** मुहांसे- मुंहासे की शिकायत होने पर चंदन की लकड़ी और हल्दी को पानी में घिसकर लगाने से मुहांसे मिट जाते हैं। मेकअप मौसम के अनुसार करें। कपड़े भी मौसम के अनुकूल ही पहनें। प्रतिदिन होंठ की बराबर देखभाल करें। घी अथवा मलाई लगाये होंठ मुलायम बनते हैं। प्रतिदिन 3-4 बार साफ पानी से चेहरे को अवश्य धोयें। तेज गर्मी, तेज बारिश व तेज सर्दी से चेहरे को बचायें।

मधुमेह में क्या खाएं, क्या न खाएं

आधुनिक जीवनशैली और सुख सुविधाओं ने जहां मनुष्य के जीवन को आसान किया है वहीं उसे कुछ बीमारियां भी भेंट स्वरूप दी हैं। ये बीमारियां एक बार लग जाए तो ठीक होने का नाम नहीं लेती क्योंकि इन्हें काबू में तो रखा जा सकता है पर पूरी तरह ठीक करना प्राय: संभव नहीं होता। मधुमेह और रक्तचाप ऐसे ही दो राजरोग हैं जो आर्थिक दृष्टि से समृध्द लोगों को अधिक होते हैं। इन रोगों को जीवनशैली में कुछ बदलाव लाकर और अपने आहार में परिवर्तन लाकर काबू में रखा जा सकता है जिससे दवाइयों पर निर्भरता को कम किया जा सकता है। आइए देखें कि कौन से खाद्य पदार्थ मधुमेह रोग को काबू रखने में हमें सहायता दे सकते हैं।
जामुन : जामुन मधुमेहियों का फल माना जाता है। जामुन का फल, गुठली, छाल सभी मधुमेह रोग में फायदेमंद है। जामुन जिन दिनों में उपलब्ध हो, उन दिनों खूब खाइये। जामुन की गुठली को फेंकिए मत। उन्हें धोकर सुखा कर पीस लें। उसका 3 ग्राम चूर्ण दिन में दो बार सुबह शाम पानी के साथ लें। जामुन स्टार्च को शर्करा में बदलने से रोकता है। इसके नियमित सेवन से मूत्र में शुगर की मात्रा कम होती है।
मेथी : मधुमेह रोग में मेथी का सेवन भी लाभप्रद है। मेथी दानों का चूर्ण बना कर नित्य खाली पेट 1 चम्मच चूर्ण पानी के साथ फांक लें। शुगर कन्ट्रोल करने में सहायता मिलेगी।
टमाटर : मधुमेह के रोगियों के लिए टमाटर लाभदायक है। इसके नियमित सेवन से मूत्र में शक्कर जाना धीरे-धीरे कम हो जाता है।
करेला : करेला वैसे तो अपने कड़वे स्वाद से पहचाना जाता है पर मधुमेहियों के लिए करेले का सेवन बहुत लाभप्रद है। 15 ग्राम करेले के रस को 100 ग्राम पानी में मिलाकर रोगी को नियमित देने से बहुत लाभ मिलता है। नई शोध के अनुसार उबले हुए करेले का रस रोगी के लिए अधिक लाभप्रद है। करेले को बंद कुकर में न उबालें। खुले भिगोने में 15 मिनट तक छोटे टुकड़े कर धीमी आंच पर उबालें। ठंडा होने पर कपड़े से रस छान कर रोगी को दें।
आंवला : आंवले का सेवन भी मधुमेह रोगियों के लिए लाभप्रद है। आंवला कच्चा भी खा सकते हैं और धनिया, पुदीना के साथ पीसकर चटनी के रूप में भी खा सकते हैं। आंवला मधुमेह के साथ-साथ आंखों को भी लाभ पहुंचाता है।
संतरा-नारंगी : मधुमेह रोगी संतरे तथा नारंगी का सेवन कर सकते हैं।
मशरूम : मशरूम में प्रोटीन अधिक होते हैं परन्तु स्टार्च न होने के कारण मधुमेह रोगी इसका सेवन नि:संकोच कर सकते हैं।
खीरा : मधुमेह रोगी को बार-बार भूख लगती है परन्तु अधिक खाना उनके लिए उचित नहीं होता। ऐसे में जब दो भोजन के बीच भूख लगे तो खीरा खा सकते हैं। खीरे से पेट भी भरता है और खीरा नुकसान भी नहीं करता।
चना : चना मधुमेह रोगियों के लिए बहुत अच्छा खाद्य पदार्थ माना जाता है। भूख लगने पर भुने चनों का सेवन किया जा सकता है। नाश्ते में रात के दूध में भिगोए चने सुबह खायें। चने के आटे की रोटी खाना भी लाभप्रद है। यदि खाली चने की रोटी न पचे तो चने के आटे में गेहूं का आटा मिला कर खाएं।
पौष्टिक पराठा : पराठा खाने का मन हो तो बथुआ, पालक, मेथी के पत्तों को आटे में गूंथ कर खाएं। चाहें तो मूली, गोभी को कद्दूकस कर आटे में गूंथ कर परांठा खाएं।
दलिया : चावल के स्थान पर नमकीन सब्जियों वाला दलिया खायें। चावल खाने की इच्छा भी पूरी हो जाएगी और पौष्टिकता भी पूरी मिलेगी।
इडली : इडली के लिए 1 कप मूंग की दाल, आधा कप उड़द की दाल, आधा कप चने की दाल लें। इन्हें रात में भिगोकर रख दें। सुबह पीस कर उसका खमीर उठा लें। उसमें नमक, जीरा, हरा धनिया व हरी मिर्च मिलाकर इडली के सांचे में पकायें। पौष्टिक इडली तैयार है। इससे पेट भी भरेगा और पौष्टिकता भी मिलेगी।
क्या न खाएं : चावल, मिठाई, लस्सी, शकरकंदी, आलू, अरबी, केला, आम, लीची, आइसक्रीम, केक, पेस्ट्री आदि से परहेज रखें। साथ ही साथ चिंता से दूर रहने का प्रयास करें।नियमित रहें : खाने-पीने सोने-जागने का समय निश्चित रखें। योगाभ्यास नियमित करें। प्रात: और शाम लंबी सैर पर निकल जाएं। स्वयं को बीमार न समझे। आत्मविश्वास से जीवन जिएं तो रोग आपके जीवन से दूर हो जायेगा।

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