मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

महिलाओं को खूबसूरत बनाता है यह आसन

असंतुलित खान-पान और अन्य कारणों के चलते कई महिलाओं का शरीर पूर्ण विकसित नहीं हो पाता है उनके लिए गोमुखासन काफी लाभदायक है। इस आसन के नियमित प्रयोग से महिलाओं को पूर्ण सौंदर्य प्राप्त होता है। साथ ही फेफड़ों से संबंधित बीमारियां तथा अन्य बीमारियों को दूर रखता है गोमुखासन।इस आसन में हमारी स्थिति गाय के मुख के समान हो जाती है, इसलिए इसे गोमुखासन कहते हैं। स्वाध्याय एवं भजन, स्मरण आदि में इस आसन का प्रयोग किया जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभकारी हैं।

गोमुखासन की विधि- किसी शुद्ध वातावरण वाले स्थान पर कंबल आदि बिछाकर बैठकर जाएं। अब अपने बाएं पैर को घुटनों से मोड़कर दाएं पैर के नीचे से निकालते हुए एड़ी को पीछे की तरफ नितम्ब के पास सटाकर रखें। अब दाएं पैर को भी बाएं पैर के ऊपर रखकर एड़ी को पीछे नितम्ब के पास सटाकर रखें। इसके बाद बाएं हाथों को कोहनी से मोड़कर कमर के बगल से पीठ के पीछे लें जाएं तथा दाहिने हाथ को कोहनी से मोड़कर कंधे के ऊपर सिर के पास पीछे की ओर ले जाएं। दोनों हाथों की उंगलियों को हुक की तरह आपस में फंसा लें। सिर व रीढ़ को बिल्कुल सीधा रखें और सीने को भी तानकर रखें। इस स्थिति में कम से कम 2 मिनिट रुकें।फिर हाथ व पैर की स्थिति बदलकर दूसरी तरफ भी इस आसन को इसी तरह करें। इसके बाद 2 मिनट तक आराम करें और पुन: आसन को करें। यह आसन दोनों तरफ से 4-4 बार करना चाहिए। सांस सामान्य रखें।

गोमुखासन के लाभ
- इस आसन से फेफड़े से सम्बन्धी बीमारियों में विशेष लाभ होता है। इस आसन से छाती को चौड़ी व मजबूत होती है। कंधों, घुटनों, जांघ, कुहनियों, कमर व टखनों को मजबूती मिलती है तथा हाथ, कंधों व पैर भी शक्तिशाली बनते हैं। इससे शरीर में ताजगी, स्फूर्ति व शक्ति का विकास होता हैं। यह आसन दमा (सांस के रोग) तथा क्षय (टी.बी.) के रोगियों को जरुर करना चाहिए। यह पीठ दर्द, वात रोग, कन्धें के कड़ेपन, अपच, हर्नियां तथा आंतों की बीमारियों को दूर करता है। यह अण्डकोष से सम्बन्धित रोग को दूर करता है। इससे प्रमेह, मूत्रकृच्छ, गठिया, मधुमेह, धातु विकार, स्वप्नदोष, शुक्र तारल्य आदि रोग खत्म होता है। यह गुर्दे के विषाक्त (विष वाला) द्रव्यों को बाहर निकालकर रुके हुए पेशाब को बाहर करता है। जिसके घुटनों मे दर्द रहता है या गुदा सम्बन्धित रोग है उन्हें भी गोमुखासन करना चाहिए।

महिलाओं के लिए विशेष लाभ


यह आसन उन महिलाओं को अवश्य करना चाहिए, जिनके स्तन किसी कारण से दबी, छोटी तथा अविकसित रह गई हो। यह स्त्रियों के सौन्दर्यता को बढ़ाता है और यह प्रदर रोग में भी लाभकारी हैं।

कैंसर से बचाऐंगी काली तुलसी की पत्तियां

यूं तो आज हर आदमी को किसी न किसी बीमारी ने अपने कब्जे में कर रखा है। लेकिन केंसर एक ऐसी बीमारी है जो लाइलाज कही जाती है। अभी तक इस बीमारी का कोई परमानेंट इलाज नहीं है। आज यह बीमारी तेजी से फैल रही है। वैसे तो केंसर का कोई परमानेंट इलाज नहीं है लेकिन फिर भी आर्युवेद ने तुलसी को केंसर से लडऩे का एक बड़ा तरीका बताया है। आर्युवेद में बताया गया है कि तुलसी की पत्तियों के रोजाना प्रयोग से केंसर से लड़ा जा सकता है। और इसके लगातार प्रयोग से केंसर खत्म भी हो सकता है।

- कैंसर की प्रारम्भिक अवस्था में रोगी अगर तुलसी के बीस पत्ते थोड़ा कुचलकर रोज पानी के साथ निगले तो इसे जड़ से खत्म भी किया जा सकता है।

-तुलसी के बीस पच्चीस पत्ते पीसकर एक बड़ी कटोरी दही या एक गिलास छाछ में मथकर सुबह और शाम पीएं कैंसर रोग में बहुत फायदेमंद होता है।

केंसर मरीज के लिए विशेष आहार- अंगूर का रस, अनार का रस, पेठे का रस, नारियल का पानी, जौ का पानी, छाछ, मेथी का रस, आंवला, लहसुन, नीम की पत्तियां, बथुआ, गाजर, टमाटर, पत्तागोभी, पालक और नारियल का पानी।

सोमवार, 4 अप्रैल 2011

पीलिया से बचाऐंगे ये सात नुस्खे

खराब पानी अनेक बीमारियों को जन्म देता है। गर्मियों के शुरु होते ही पानी से सम्बन्धी कई बीमारियां पैदा होने लगती है। जिनमें डायरिया,हैजा और पीलिया प्रमुख है। पीलिया एक ऐसा रोग है जो सीधे आपके लीवर को प्रभावित करता है जिसके कारण आपके शरीर की कार्य क्षमता बिकुल खत्म हो जाती है। लेकिन आयुर्वेद में कुछ नुस्खे ऐसे हैं जिनको अपना कर आप इस बड़ी बीमारी से बच सकते हैं।

1. पीपल के चार-पांच नये पत्ते(कोंपलें) पानी से अच्छी तरह धो लें इसके बाद इसमें शक्कर या मिश्री मिलाकर सिल पर पीस लें।फिर इसे एक गिलास पानी में मिलाकर छान लें। इस पीपल के शर्बत को पीलिया से ग्रस्त मरीज को दिन में दो बार पिलाऐं। तीन दिन मेंही पीलिया उतरने लगेगा

2. सफेद या गुलाबी फिटकरी फूली हुई लें उसे पीसकर चौथाई चम्मच गाय की छाछ या दही में मिलाकर पिलाऐं पीलिया कुछ ही दिनों में ठीक हो जाऐगा।

3. मूली के पत्तों को पीसकर मिश्री के साथ खली पेट लें। ऐसा करने से एक हफ्ते तें पीलिया उतर जाऐगा।

4. सवेरे खाली पेट रोज दो संतरे खाने से पांच से सात दिनोंमें पीलिया उतर जाता है।

5. पीलिया के मरीज को गन्ने का रस दें यह बहुत फायदेमंद होता है।

6. एक गिलास छाछ में एक चुटकी काली मिर्च डालकर एक सप्ताह तक लें।

7. पोदीने का रस निकाल कर सुबह शक्कर मिलकर पिलाऐं यह भी पीलिया में एक गुणकारी दवा है।

रविवार, 3 अप्रैल 2011

चिकित्सा भी करती हैं पुस्तकें

कहने-सुनने में तो यह विचित्र-सा ही लगता है कि पुस्तक पढ़ना अथवा किस्से कहानी सुनना उपचार की एक विधि हो सकती है लेकिन यह सच है।

आपने दिल्ली के प्रसिध्द सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया का नाम अवश्य सुना होगा। हिन्दी-उर्दू के प्रसिध्द कवि अमीर खुसरो उनके प्रिय शिष्य थे।
एक बार हजरत निजामुद्दीन साहिब की तबीयत खराब हो गयी। अमीर खुसरो ने अपने पीर (गुरु) का दिल बहलाने के लिए एक किस्सा उन्हें सुनाया जिसका नाम था चार दरवेशों का किस्सा। किस्सा सुनकर हजरत निजामुद्दीन साहिब अच्छे हो गये और उन्होंने दुआ दी कि जो इस किस्से को सुने। आरोग्य प्राप्त करे।
हजरत निजामुद्दीन औलिया की दुआ से इस किस्से की घर-घर चर्चा होने लगी। जहां कोई बीमार होता, घर वाले बीमार को यह किस्सा सुनाकर उसका जी बहलाते। बीमारियों के इलाज के साथ-साथ किस्सागोई की कला का भी खूब विकास हुआ।
किस्से- कहानियां पढ़ने या सुनने से मन एकाग्र होता है तथा कल्पना शक्ति का विकास होता है या कह सकते हैं कि एकाग्रता तथा कल्पना या चाक्षुषीकरण द्वारा हम मन को एक दशा से दूसरी दशा में रुपांतरित कर दुख-दर्द से निजात पा लेते हैं।
जिस प्रकार दर्द निवारक दवा लेने से दर्द की शिद्दत कम हो जाती है उसी तरह किसी कथा- कहानी को सुनने से भी दर्द की शिद्दत कम हो जाती है क्योंकि हम कहानी के पात्रों के क्रियाकलापों से एकाकार होकर अपनी पीड़ा को भूल जाते हैं।
कई व्यक्ति अनिद्रा की समस्या से पीड़ित होते हैं। सोने से पहले या बिस्तर पर लेटकर थोड़ा ध्यान अथवा मेडिटेशन करने से नींद शीघ्र ही आ जाती है। इससे नींद अच्छी भी आती है।
कुछ लोग रात को बिस्तर में जाने पर कोई न कोई पुस्तक पढ़ना शुरू कर देते हैं। कई बार तो दो-चार पेज पढ़ने पर ही आंखें बोझिल होने लगती हैं और व्यक्ति पुस्तक को बंद कर रखने और बत्ती बुझाकर सोने को विवश हो जाता है। इसका कारण यही है कि पढ़ने से एकाग्रता का विकास होता है। एकाग्रता ही ध्यान अथवा मेडिटेशन है। इस प्रकार पुस्तक चिकित्सा अनिद्रा का भी प्रभावी उपचार है।

गर्दन का व्यायाम कई रोगों को दूर करता है

रीढ़ की हड्डी को कशेरुक दंड या मेरुदंड कहा जाता है। इससे समस्त कंकाल को सहारा मिलता है। रीढ़ की हड्डी या मेरुदंड में 33 कशेरुकाएं होती हैं जिसमें से 7 कशेरुकाएं गर्दन में होती हैं। इन्हें सर्वाइकल बर्टिब्रा कहा जाता है इन कशेरूकाओं के बीच फाइब्रो कार्टिलेज डिस्क होते हैं जिसके चलते कशेरुकाएं एक दूसरे से नहीं जुड़ती तथा सिर को मोड़ने या घुमाने में इससे मदद मिलती है यदि गर्दन में दर्द होने लगे तथा वह दर्द हाथों तक फैल जाए और उंगलियों में झनझनाहट महसूस हो तो यह सर्वाइकल स्पांडिलाइटिस से ग्रसित होने की निशानी है या आगे चलकर आप इस रोग से ग्रसित हो सकते हैं। गर्दन में होने वाला स्पांडिलाइटिस नसों पर दबाव डालता है जिसके कारण दर्दों में वृध्दि होती है।

वातरोग के कारण गर्दन में निम्न जटिलताएं पैदा हो सकती हैं :-
प हाथों में दर्द प कंधों में दर्द प चक्कर आना प आंखों में तकलीफ प अनिद्रा प छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना
वात रोगों से बचने के लिए निम्न उपाय अमल में लाएं-
प कड़े बिस्तर का इस्तेमाल करें। प अपनी क्षमता के अनुसार व्यायाम व योगासन करें। प अपना वजन नियंत्रित रखें। प हमेशा समतल बिस्तर का ही प्रयोग करें। प ठंडे कमरे में निवास न करें। प मक्खन, घी, शराब, मीठी पावरोटी, अंडे, मांस, सेम व कंदमूल वर्गीय खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
यह रोग निम्न कारणों से होता है-
प ऊंचे तकिए का प्रयोग करने से। प गर्दन झुकाकर काम करने से (दफ्तर, कम्प्यूटर, सिलाई-कढ़ाई के काम आदि) प गलत तरीके से सोने या लेटने पर। प अत्यधिक मानसिक तनाव के कारण
रोग चिकित्सा- चिकित्सा प्रारंभ करने से पहले एक्स-रे करवा कर निम्न बातों का निदान कर लेना चाहिए।
प रीढ़ का क्षय प रीढ़ के गर्दन वाले हिस्से का टेढ़ा हो जाना। प विभिन्न कशेरूकाओं में दर्द का सही कारण। प रीढ़ की कशेरूकाओं के बीच अंतर में आई कमी की संभावना।
अगर किसी मांसपेशी में दर्द हो रहा हो तो पतले तकिए का इस्तेमाल करना चाहिए तथा कड़े बिस्तर पर सोना चाहिए। यदि आप गर्दन झुका कर काम करते हैं तो गर्दन झुका कर काम करना बंद कर दें। इससे दर्द में राहत मिलेगी। सिर झुकाकर कोई व्यायाम या योगासन जैसे शीर्षासन, सर्वांगासन, हलासन आदि कदापि न करें।
गर्दन के निम्न व्यायाम करें :
व्यायाम 1 : सीधे खड़े हो जाएं या बैठ जाएं। स्वाभाविक रूप से सांस लेते हुए तथा सांस छोड़ते हुए सिर को एक बार बायीं ओर जितना घुमा सकें, घुमाएं। फिर बायीं ओर यथासंभव सिर घुमाएं। इस प्रक्रिया को एक बार मानकर इस व्यायाम को 10 बार करें।
व्यायाम 2 : इस व्यायाम को करने के लिए भी पिछले व्यायाम की तरह खड़े हो जाएं या बैठ जाएं। फिर स्वाभाविक रूप से सांस लेते हुए तथा छोड़ते हुए सिर को एक बार पीछे की ओर झुकाएं, फिर सीधा करें। इस पूरी प्रक्रिया को एक बार मानकर इस व्यायाम को भी 10 बार करें।
व्यायाम 3 : अब साइडवाइज बेन्डिंग- सीधा रहकर।
व्यायाम 4 : सिर को वृत्ताकार दायीं ओर से बायीं ओर घुमाएं तथा बायें ओर से दायें ओर घुमायें। इस प्रक्रिया को एक बार मानकर इसी प्रकार 10 बार करें। सिर को वृत्ताकार घुमाने से जिन्हें चक्कर आता हो, वे इस व्यायाम को न करें।
रूकावट डालने वाला व्यायाम (स्टेटिक एक्सरसाइज) : दायें-बायें गर्दन घुमाते समय हाथ से विपरीत दिशा में दबाव डाला जाता है। उस समय दबाव तथा गर्दन का दबाव बराबर रहने पर सिर स्थिर रहेगा, हिलेगा नहीं।
शोल्डर रोलिंग : पहले सीधे खड़े हो जाएं। उसके बाद दोनों कंधों को सामने से पीछे की ओर बारी-बारी से वृत्ताकार घुमाएं। फिर विपरीत दिशा में पीछे से सामने की ओर 10 बार घुमाएं। व्यायाम करते समय सांस स्वाभाविक रूप से लें और छोड़ें।
नेक पुलिंग : इस व्यायाम में किसी अन्य व्यक्ति की जरूरत पड़ती है। आप सीधे बैठ जाएं और सहायक व्यक्ति को अपने पीछे खड़ा करा दें जो अपने दोनों हाथों से कानों की ओर से आपके सिर को दबाए रखेगा तथा धीरे-धीरे खींचेगा। वह सिर को ऊपर की ओर 10 सेकेण्ड तक खींचकर पकड़े रहेगा। फिर ढीला छोड़ देगा। इस प्रकार 5-10 बार करना पड़ेगा।
सहज अर्ध्दमत्स्येन्द्रासन : सुखासन या पद्मासन में बैठ जाएं। रीढ़ को सीधा रखते हुए दायां हाथ बाएं घुटने पर रखें। बाएं हाथ को पीठ के पीछे ले जाकर सिर व गर्दन को बायीं ओर जितना संभव हो सके, मोड़ें तथा मन ही मन 20 तक गिनती करें। इसी प्रकार सिर और गर्दन को दायें ओर घुमाकर सम्पूर्ण शरीर को दायें ओर मरोड़े। व्यायाम करते समय स्वाभाविक रूप में सांस ले और छोड़ें।
यष्टि आसन : श्वासन की मुद्रा में लेट जाएं तथा दोनों हाथों को सिर के पीछे ले जाएं। स्वाभाविक रूप से सांस लें तथा छोड़ें। पांव के तलवे नीचे की ओर तथा हथेलियां ऊपर की ओर रखें। इस मुद्रा में करीब 30 सेकण्ड तक रहें। इसे दो बार करें।
गोमुखासन : बायें घुटने पर दायां घुटना रख कर बैठें। बायें पैर की एड़ी दायें नितंब से तथा दायें पैर की एड़ी बायें नितंब से सटाकर रखें। दायें हाथ को सिर के ऊपर से उठाकर कोहनी से मोड़ लें तथा पीठ के समानांतर नीचे की ओर उतारें।
बायां हाथ कोहनी से मोड़कर पीछे ले जाएं। दोनों हाथों की अंगुलियां हुक की तरह बनाकर आपस में फंसा दें। रीढ़ सीधी रखें। स्वाभाविक रूप से सांस लें तथा छोड़ें। मन ही मन 20 तक गिनें। अब पांव व हाथ बदल लें। दायें से बायें मिला कर एक बार मानें और इस प्रकार दो बार करें।

नींबू में गुण बहुत हैं

नींबू विटामिन- सी का महत्वपूर्ण स्रोत है। वैसे तो सभी प्रकार के नींबू गुणों से भरपूर होते हैं किन्तु कागजी नींबू सबसे अच्छा माना जाता है। प्रस्तुत है नींबू के औषधीय गुण और घरेलू नुस्खें। आप भी इन्हें आजमाइए।

1) बाल गिरने, बालों के सफेद होने पर, सिर में रूसी व जुएं होने पर नींबू के रस में आंवले का चूर्ण मिलाकर सिर धोने से फायदा होता है।
2) चावल बनाते समय नींबू के रस की कुछ बूंदे डाल देने से चावल एक दूसरे से जुड़ते नहीं हैं और खिले-खिले तैयार होते हैं।
3) मुंहासे दूर करने के लिये चौथाई नींबू का रस निचोड़ कर उसमें थोड़ी से मलाई मिलाकर इसे एक महीने तक चेहरे पर लगाते रहने से चेहरे पर निखार आ जाता है तथा मुंहासे दूर होते हैं।
4) नींबू के रस में काली मिर्च, धनिया और भुना हुआ जीरा मिलाकर सेवन करने से पेट का विकार दूर होता है।
5) नारियल के तेल में नींबू का रस मिलाकर लगाने से खुजली में आराम मिलता है।
6) सब्जी, दाल, सलाद आदि में नींबू के रस की बूंदे मिला देने से उनका स्वाद बढ़ जाता है।
7) नींबू के छिलकों को दांत पर रगड़ने से दांत स्वच्छ सुंदर तथा चमकीले हो जाते हैं।
8) नींबू के रस में लौंग पीसकर लगाने से दांत के दर्द में आराम मिलता है।
9) पानी और शक्कर में नींबू का रस मिलाकर पीने से पीलिया रोग से मुक्ति मिलती है।
10) पानी में नींबू का रस मिलाकर कुल्ला करने से मुंह की बदबू दूर हो जाती है।
11) कब्ज की शिकायत होने पर नित्य प्रति हल्के गर्म पानी में नींबू का रस सुबह शाम लेना चाहिये।
12) मोटापा दूर करने के लिये प्रात: काल उठते ही एक गिलास पानी में नींबू का रस दो चम्मच, शहद मिलाकर नियमित पीने से लाभ होता है।

क्या आप अपने सांवले रंग से परेशान हैं...?

अक्सर कुछ लोग अपने सांवले रंग से परे शान रहते हैं। सांवला रंग कभी किसी के करियर में रुकावट बनता है तो कभी शादी ब्याह में। ज्यादातर लड़के लड़कियां भी अपने लिए गोर रंग के हमसफर को प्रीफर करते है।अगर आप अपने सांवले रंग से परेशान हैं तो घबराइये नहीं कुछ आसान आयुर्वेद नुस्खे ऐसे हैं जिनसे आपका सांवलापन दूर हो सकता है।

1. एक बाल्टी ठण्डे या गुनगुने पानी में दो नींबू का रस मिलाकर गर्मियों में कुछ महीने तक नहाने से त्वचा का रंग निखरने लगता है (इस विधि को करने से त्वचा से सम्बन्धी कई रोग ठीक हो जाते हैं )।

2. आंवला का मुरब्बा रोज एक नग खाने से दो तीन महीने में ही रंग निखरने लगते है।

3. गाजर का रस आधा गिलास खाली पेट सुबह शाम लेने से एक महीने में रंग निखरने लगता है।

रोजाना सुबह शाम खाना खाने के बाद थोड़ी मात्रा में सांफ खाने से खून साफ होने लगता है और त्वचा की रंगत बदलने लगती है।

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