रविवार, 3 अप्रैल 2011

चिकित्सा भी करती हैं पुस्तकें

कहने-सुनने में तो यह विचित्र-सा ही लगता है कि पुस्तक पढ़ना अथवा किस्से कहानी सुनना उपचार की एक विधि हो सकती है लेकिन यह सच है।

आपने दिल्ली के प्रसिध्द सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया का नाम अवश्य सुना होगा। हिन्दी-उर्दू के प्रसिध्द कवि अमीर खुसरो उनके प्रिय शिष्य थे।
एक बार हजरत निजामुद्दीन साहिब की तबीयत खराब हो गयी। अमीर खुसरो ने अपने पीर (गुरु) का दिल बहलाने के लिए एक किस्सा उन्हें सुनाया जिसका नाम था चार दरवेशों का किस्सा। किस्सा सुनकर हजरत निजामुद्दीन साहिब अच्छे हो गये और उन्होंने दुआ दी कि जो इस किस्से को सुने। आरोग्य प्राप्त करे।
हजरत निजामुद्दीन औलिया की दुआ से इस किस्से की घर-घर चर्चा होने लगी। जहां कोई बीमार होता, घर वाले बीमार को यह किस्सा सुनाकर उसका जी बहलाते। बीमारियों के इलाज के साथ-साथ किस्सागोई की कला का भी खूब विकास हुआ।
किस्से- कहानियां पढ़ने या सुनने से मन एकाग्र होता है तथा कल्पना शक्ति का विकास होता है या कह सकते हैं कि एकाग्रता तथा कल्पना या चाक्षुषीकरण द्वारा हम मन को एक दशा से दूसरी दशा में रुपांतरित कर दुख-दर्द से निजात पा लेते हैं।
जिस प्रकार दर्द निवारक दवा लेने से दर्द की शिद्दत कम हो जाती है उसी तरह किसी कथा- कहानी को सुनने से भी दर्द की शिद्दत कम हो जाती है क्योंकि हम कहानी के पात्रों के क्रियाकलापों से एकाकार होकर अपनी पीड़ा को भूल जाते हैं।
कई व्यक्ति अनिद्रा की समस्या से पीड़ित होते हैं। सोने से पहले या बिस्तर पर लेटकर थोड़ा ध्यान अथवा मेडिटेशन करने से नींद शीघ्र ही आ जाती है। इससे नींद अच्छी भी आती है।
कुछ लोग रात को बिस्तर में जाने पर कोई न कोई पुस्तक पढ़ना शुरू कर देते हैं। कई बार तो दो-चार पेज पढ़ने पर ही आंखें बोझिल होने लगती हैं और व्यक्ति पुस्तक को बंद कर रखने और बत्ती बुझाकर सोने को विवश हो जाता है। इसका कारण यही है कि पढ़ने से एकाग्रता का विकास होता है। एकाग्रता ही ध्यान अथवा मेडिटेशन है। इस प्रकार पुस्तक चिकित्सा अनिद्रा का भी प्रभावी उपचार है।

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