क्या आप पीठ, छाती, कन्धे, गर्दन तथा हाथ पैरों की मांसपेशियों को मजबूत बनाना चाहते हैं? आप स्लिप डिस्क, गर्दन, रीढ़ की हड्डी, पीठ आदि का दर्द से पीडि़त हैं तो सर्पासन यानि भुजंगासन करें। यह आसन टांसिल व गले की मांसपेशियों को मजबूत करता है तथा गण्डमाला और गुल्म में भी लाभकारी होता है। सर्पासन से आधे सिर के दर्द यानि माईग्रेन में भी लाभ होता है।
सर्पासन की विधि
किसी समतल और स्वच्छ स्थान पर कंबल या चटाई बिछा लें। अब पेट के बल लेट जाएं और दोनों पैरों को एक-दूसरे से मिलाते हुए बिल्कुल सीधा रखें। पैरों के तलवें ऊपर की ओर तथा पैरों के अंगूठे आपस में मिलाकर रखें। दोनों हाथों को कोहनियों से मोड़कर दोनों हथेलियों को छाती के बगल में फर्श पर टिका कर रखें। अब गहरी सांस लेकर सिर को ऊपर उठाएं, फिर गर्दन को ऊपर उठाएं, सीने को और (छाती) फिर पेट को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं।
सिर से नाभि तक का शरीर ही ऊपर उठना चाहिए तथा नाभि के नीचे से पैरों की अंगुलियों तक का भाग जमीन से समान रूप से सटा रहना चाहिए। गर्दन को तानते हुए सिर को धीरे-धीरे अधिक से अधिक पीछे की ओर उठाने की कोशिश करें। अपनी आंखें ऊपर की ओर रखें। यह आसन पूरा तब होगा जब आप के शरीर का कमर से ऊपर का भाग सिर, गर्दन और छाती सांप के फन के समान ऊंचा ऊठ जाएंगे।
पीठ पर नीचे की ओर नितम्ब और कमर के जोड़ पर अधिक खिंचाव या जोर मालूम पडऩे लगेगा। ऐसी अवस्था में आकाश की ओर देखते हुए कुछ सेकंड तक सांस रोकें। अगर आप सांस न रोक सकें तो सांस सामान्य रूप से लें। इसके बाद सांस छोड़ते हुए पहले नाभि के ऊपर का भाग, फिर छाती को और माथे को जमीन पर टिकाएं तथा बाएं गाल को जमीन पर लगाते हुए शरीर को ढीला छोड़ दें। कुछ देर रुकें और पुन: इस क्रिया को करें। इस प्रकार से भुजंगासन को पहले 3 बार करें और अभ्यास होने के बाद 5 बार करें। इस आसन को करने से पहले सिर को पीछे ले जाकर 2 से 3 सेकेंड तक रुके और इसके अभ्यास के बाद 10 से 15 सेकेंड तक रुके।
सावधानियां
हर्निया के रोगी तथा गर्भवती स्त्रियों को यह आसन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा पेट में घाव होने पर, अंडकोष वृद्धि में, मेरूदंड से पीडि़त होने पर अल्सर होने पर तथा कोलाइटिस वाले रोगियों को भी यह आसन नही करना चाहिए। यह आसन थोड़ा कठिन है अत: जल्दबाजी ना करें।
सर्पासन से रोगों में लाभ
इस आसन से रीढ़ की हड्डी का तनाव दूर हो जाता है और रीढ़ से संबंधित परेशानियों को दूर हो जाती है। सर्पासन बेडौल कमर को पतली तथा सुडौल व आकर्षक बनाता है। यह आसन सीना चौड़ा करता है, कद लम्बा करता है तथा बढ़े हुए पेट को कम करके मोटापे को दूर करता है। यह शरीर की थकावट को भी दूर करता है। इस आसन से शरीर सुंदर तथा कान्तिमय बनता है। इस आसन से पेट संबंधी कई जटिल बीमारियों में राहत मिलती है। महिलाओं के लिए भी सर्पासन बहुत ही लाभकारी आसन माना जाता है। यह आसन मासिकधर्म की अनियमितता, मासिकधर्म का कष्ट के साथ आना तथा प्रदररोग में फायदेमंद होता है। यह आसन गर्भाशय और भीतरी योनांगों के अनेक विकारों को दूर करता है तथा स्त्रियों के योनांग तथा गर्भाशय को पुष्ट (शक्तिशाली) बनाता है। इस आसन से महिलाओं का यौवन और सौंदर्य हमेशा बना रहता है।
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