आजकल काम या पढ़ाई के कारण जरूरत से ज्यादा आंखों पर बोझ पड़ रहा है। पौष्टिक खाने की कमी के कारण भी अधिकाशंत लोगो की आखे कमजोर होती जा रही हैं ।
अक्सर देखने में आता है कि छोटे-छोटे बच्चों को भी जल्दी ही मोटे नम्बर का चश्मा चढ़ जाता है। अगर आपको भी चश्मा लगा है तो आपका चश्मा उतर सकता है।
नीचे बताए नुस्खों को करीब चालीस दिनों तक प्रयोग में लाएं निश्चित ही आपकी आखें पर लगा चश्मा उतर जाएगा साथ थी आखों की रोशनी भी तेज होगी।
बुधवार, 6 अप्रैल 2011
चश्मे से चाहिए आजादी तो आजमाएं ये पांच नुस्खे
क्या आप दिल के मरीज हैं...?
जिस अंग पर हमारा पूरा शरीर चलता है वह है हमारा दिल। दिल से ही सभी अंगों में रक्त का संचार होता है।दिल के संबंध में छोटी सी असावधानी बड़ी बीमारी को न्यौता दे सकती है। इसलिए इसका ध्यान रखना अति आवश्यक है। दिल को स्वस्थ रखने के लिए योगासन की मदद अवश्य लें। इसके लिए हमें शशकासन करना चाहिए इस आसन की पूर्ण अवस्था में हमारी आकृति शशाक अर्थात् खरगोश के समान हो जाता है, इसलिए इसे शशकासन कहते हैं।
शशकासन की विधि- किसी साफ जगह पर चटाई बिछाकर बैठ जाएं। दोनो पैरों को घुटनों से मोड़कर पीछे की ओर नितम्ब (हिप्स) के नीचे रखें और एडिय़ों पर बैठ जाएं। अब सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर करें। इसके बाद सांस को बाहर छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुकते हुए सांस को बाहर निकालें। दोनो हाथों को आगे की ओर फैलाते हुए हथेलियों को जमीन पर टिकाएं। अपने सिर को भी जमीन पर टिकाकर रखें। आसन की इस स्थिति में आने के बाद कुछ समय तक सांस को बाहर छोड़कर और रोककर रखें। फिर सांस लेते हुए शरीर में लचक लाते हुए पहले पेट को, फिर सीने को, फिर सिर को उठाकर सिर व हाथों को सामने की तरफ करके रखें। कुछ समय तक इस स्थिति में रहे और फिर सीधे होकर कुछ समय तक आराम करें और इस आसन को 4-5 बार करें।
शशकासन के लाभ- यह आसन हृदयरोगियों के लिए काफी फायदेमंद है। इस आसन से फेफड़ों में स्वच्छ हवा पहुंचने से फेफड़े स्वस्थ बन जाते हैं। इससे आंते, यकृत आदि भी स्वस्थ होते हैं। इस आसन से नसें-नाडिय़ां स्वस्थ व लचीली होकर सुचारू रूप से कार्य करती है। साइटिका में लाभदायक है। यह आसन कब्ज को दूर करता है तथा सामान्य रूप से कामविकारों को दूर करता है। यह आसन महिलाओं के लिए भी लाभकारी है।जिस अंग पर हमारा पूरा शरीर चलता है वह है हमारा दिल। दिल से ही सभी अंगों में रक्त का संचार होता है।दिल के संबंध में छोटी सी असावधानी बड़ी बीमारी को न्यौता दे सकती है। इसलिए इसका ध्यान रखना अतिआवश्यक है। दिल को स्वस्थ रखने के लिए योगासन की मदद अवश्य लें। इसके लिए हमें शशकासन करना चाहिए इस आसन की पूर्ण अवस्था में हमारी आकृति शशाक अर्थात् खरगोश के समान हो जाता है, इसलिए इसे शशकासन कहते हैं।
झड़ते बालों के लिए ट्राई करें यह घरेलू नुस्खा
बालों के झड़ने की कोई एक वजह नहीं होती। इसे रोकने के लिए आप कुछ घरेलू उपचार ट्राय कर सकते हैं।
सिर में मसाज करना खून के दौरान को बेहतर करता है, जिससे बालों को पोषण मिलता है। मसाज के बाद बालों को गर्म पानी में भिगोकर निचोड़े गए टॉवेल से स्टीम जरूर दें।
हेयर ड्रायर का इस्तेमाल जितना कम से कम हो बेहतर है। क्योंकि हीट बालों को डल और रफ बनाती है, जिससे बाल झड़ने की समस्या आती है। आयरनिंग कम से कम करें। करवाना भी हो तो हीट प्रोटेक्टर जरूर लगवाएं।
बालों की सेहत और विकास के लिए कैस्टर (अरंडी) का तेल बहुत फायदेमंद है। इसे आयोडीन के साथ मिलाकर लगाने से बेहतर नतीजे आप खुद ही देख पाएंगी। बालों पर हल्के गुनगुने तेल से मसाज करना भी फायदा पहुंचाता है।
अगर आप अल्कोहल लेते हैं तो इसकी मात्रा जरूर कम कर दें। क्योंकि यह बालों को रूखा बनाती है। बालों पर ऐसे प्रोडक्ट्स भी इस्तेमाल न करें, जिनमें अल्कोहल होता है। इससे रूखेपन के साथ ही बाल दोमुंहे होने और टूटने की समस्या में बढ़त देखी गई है।
रात को बिस्तर पर जाते वक्त सभी बैंड्स, क्लिप्स निकाल दें। बेहतर यह है कि सैटिन का तकिया इस्तेमाल करें, जिससे बालों को नर्मी मिले। इससे टूटने की समस्या कम होती है।
जड़ों को मजबूत करने के लिए अंडे के सफेद हिस्से और नींबू को मिलाकर ३क् मिनट तक स्कल पर लगाएं और फिर शैंपू कर लें।
नीम की पत्तियां डालकर पानी को उबाल लें और फिर इस पानी से बाल धोएं, इसके अलावा नीम के तेल को नारियल के तेल के साथ मिलाकर भी लगा सकते हैं। हिना लगाना भी बाल झड़ने की समस्या को रोकता है। आंवले और बादाम को रात भर भिगोकर सुबह मिक्सी में पीस लें, फिर पानी में मिक्स करके मलमल के कपड़े से छान लें। फिर इस पानी से सिर धोएं। गीले बालों में कंघा न करें।
मंगलवार, 5 अप्रैल 2011
महिलाओं को खूबसूरत बनाता है यह आसन
गोमुखासन की विधि- किसी शुद्ध वातावरण वाले स्थान पर कंबल आदि बिछाकर बैठकर जाएं। अब अपने बाएं पैर को घुटनों से मोड़कर दाएं पैर के नीचे से निकालते हुए एड़ी को पीछे की तरफ नितम्ब के पास सटाकर रखें। अब दाएं पैर को भी बाएं पैर के ऊपर रखकर एड़ी को पीछे नितम्ब के पास सटाकर रखें। इसके बाद बाएं हाथों को कोहनी से मोड़कर कमर के बगल से पीठ के पीछे लें जाएं तथा दाहिने हाथ को कोहनी से मोड़कर कंधे के ऊपर सिर के पास पीछे की ओर ले जाएं। दोनों हाथों की उंगलियों को हुक की तरह आपस में फंसा लें। सिर व रीढ़ को बिल्कुल सीधा रखें और सीने को भी तानकर रखें। इस स्थिति में कम से कम 2 मिनिट रुकें।फिर हाथ व पैर की स्थिति बदलकर दूसरी तरफ भी इस आसन को इसी तरह करें। इसके बाद 2 मिनट तक आराम करें और पुन: आसन को करें। यह आसन दोनों तरफ से 4-4 बार करना चाहिए। सांस सामान्य रखें।
गोमुखासन के लाभ- इस आसन से फेफड़े से सम्बन्धी बीमारियों में विशेष लाभ होता है। इस आसन से छाती को चौड़ी व मजबूत होती है। कंधों, घुटनों, जांघ, कुहनियों, कमर व टखनों को मजबूती मिलती है तथा हाथ, कंधों व पैर भी शक्तिशाली बनते हैं। इससे शरीर में ताजगी, स्फूर्ति व शक्ति का विकास होता हैं। यह आसन दमा (सांस के रोग) तथा क्षय (टी.बी.) के रोगियों को जरुर करना चाहिए। यह पीठ दर्द, वात रोग, कन्धें के कड़ेपन, अपच, हर्नियां तथा आंतों की बीमारियों को दूर करता है। यह अण्डकोष से सम्बन्धित रोग को दूर करता है। इससे प्रमेह, मूत्रकृच्छ, गठिया, मधुमेह, धातु विकार, स्वप्नदोष, शुक्र तारल्य आदि रोग खत्म होता है। यह गुर्दे के विषाक्त (विष वाला) द्रव्यों को बाहर निकालकर रुके हुए पेशाब को बाहर करता है। जिसके घुटनों मे दर्द रहता है या गुदा सम्बन्धित रोग है उन्हें भी गोमुखासन करना चाहिए।
महिलाओं के लिए विशेष लाभ
यह आसन उन महिलाओं को अवश्य करना चाहिए, जिनके स्तन किसी कारण से दबी, छोटी तथा अविकसित रह गई हो। यह स्त्रियों के सौन्दर्यता को बढ़ाता है और यह प्रदर रोग में भी लाभकारी हैं।
कैंसर से बचाऐंगी काली तुलसी की पत्तियां
- कैंसर की प्रारम्भिक अवस्था में रोगी अगर तुलसी के बीस पत्ते थोड़ा कुचलकर रोज पानी के साथ निगले तो इसे जड़ से खत्म भी किया जा सकता है।
-तुलसी के बीस पच्चीस पत्ते पीसकर एक बड़ी कटोरी दही या एक गिलास छाछ में मथकर सुबह और शाम पीएं कैंसर रोग में बहुत फायदेमंद होता है।
केंसर मरीज के लिए विशेष आहार- अंगूर का रस, अनार का रस, पेठे का रस, नारियल का पानी, जौ का पानी, छाछ, मेथी का रस, आंवला, लहसुन, नीम की पत्तियां, बथुआ, गाजर, टमाटर, पत्तागोभी, पालक और नारियल का पानी।
सोमवार, 4 अप्रैल 2011
पीलिया से बचाऐंगे ये सात नुस्खे
1. पीपल के चार-पांच नये पत्ते(कोंपलें) पानी से अच्छी तरह धो लें इसके बाद इसमें शक्कर या मिश्री मिलाकर सिल पर पीस लें।फिर इसे एक गिलास पानी में मिलाकर छान लें। इस पीपल के शर्बत को पीलिया से ग्रस्त मरीज को दिन में दो बार पिलाऐं। तीन दिन मेंही पीलिया उतरने लगेगा
2. सफेद या गुलाबी फिटकरी फूली हुई लें उसे पीसकर चौथाई चम्मच गाय की छाछ या दही में मिलाकर पिलाऐं पीलिया कुछ ही दिनों में ठीक हो जाऐगा।
3. मूली के पत्तों को पीसकर मिश्री के साथ खली पेट लें। ऐसा करने से एक हफ्ते तें पीलिया उतर जाऐगा।
4. सवेरे खाली पेट रोज दो संतरे खाने से पांच से सात दिनोंमें पीलिया उतर जाता है।
5. पीलिया के मरीज को गन्ने का रस दें यह बहुत फायदेमंद होता है।
6. एक गिलास छाछ में एक चुटकी काली मिर्च डालकर एक सप्ताह तक लें।
7. पोदीने का रस निकाल कर सुबह शक्कर मिलकर पिलाऐं यह भी पीलिया में एक गुणकारी दवा है।
रविवार, 3 अप्रैल 2011
चिकित्सा भी करती हैं पुस्तकें
कहने-सुनने में तो यह विचित्र-सा ही लगता है कि पुस्तक पढ़ना अथवा किस्से कहानी सुनना उपचार की एक विधि हो सकती है लेकिन यह सच है।
आपने दिल्ली के प्रसिध्द सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया का नाम अवश्य सुना होगा। हिन्दी-उर्दू के प्रसिध्द कवि अमीर खुसरो उनके प्रिय शिष्य थे।
एक बार हजरत निजामुद्दीन साहिब की तबीयत खराब हो गयी। अमीर खुसरो ने अपने पीर (गुरु) का दिल बहलाने के लिए एक किस्सा उन्हें सुनाया जिसका नाम था चार दरवेशों का किस्सा। किस्सा सुनकर हजरत निजामुद्दीन साहिब अच्छे हो गये और उन्होंने दुआ दी कि जो इस किस्से को सुने। आरोग्य प्राप्त करे।
हजरत निजामुद्दीन औलिया की दुआ से इस किस्से की घर-घर चर्चा होने लगी। जहां कोई बीमार होता, घर वाले बीमार को यह किस्सा सुनाकर उसका जी बहलाते। बीमारियों के इलाज के साथ-साथ किस्सागोई की कला का भी खूब विकास हुआ।
किस्से- कहानियां पढ़ने या सुनने से मन एकाग्र होता है तथा कल्पना शक्ति का विकास होता है या कह सकते हैं कि एकाग्रता तथा कल्पना या चाक्षुषीकरण द्वारा हम मन को एक दशा से दूसरी दशा में रुपांतरित कर दुख-दर्द से निजात पा लेते हैं।
जिस प्रकार दर्द निवारक दवा लेने से दर्द की शिद्दत कम हो जाती है उसी तरह किसी कथा- कहानी को सुनने से भी दर्द की शिद्दत कम हो जाती है क्योंकि हम कहानी के पात्रों के क्रियाकलापों से एकाकार होकर अपनी पीड़ा को भूल जाते हैं।
कई व्यक्ति अनिद्रा की समस्या से पीड़ित होते हैं। सोने से पहले या बिस्तर पर लेटकर थोड़ा ध्यान अथवा मेडिटेशन करने से नींद शीघ्र ही आ जाती है। इससे नींद अच्छी भी आती है।
कुछ लोग रात को बिस्तर में जाने पर कोई न कोई पुस्तक पढ़ना शुरू कर देते हैं। कई बार तो दो-चार पेज पढ़ने पर ही आंखें बोझिल होने लगती हैं और व्यक्ति पुस्तक को बंद कर रखने और बत्ती बुझाकर सोने को विवश हो जाता है। इसका कारण यही है कि पढ़ने से एकाग्रता का विकास होता है। एकाग्रता ही ध्यान अथवा मेडिटेशन है। इस प्रकार पुस्तक चिकित्सा अनिद्रा का भी प्रभावी उपचार है।
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लेखक - पी. ए. बाला जो भी व्यक्ति धन संबंधी , कर्ज़ संबंधी परेशानियों से गुज़र रहे हैं । वह व्यक्ति नित्य प्रातः 3:00-3:30 बजे उठ कर अपने पलंग ...