सोमवार, 2 मई 2011

आंत कृमि (Intestinal Worms)



परिचय :

आंतों में कई तरह के कीड़े पैदा होते हैं। जिनमें सूत्रकृमि, केंचुए और फीता कृमि खास हैं। आंतों में इसके होने से गुदा में खुजली, भूख न लगना, कब्ज, सिर दर्द आदि लक्षण भी प्रकट होते हैं। कभी-कभी पतले दस्त भी आने लगते हैं। इसे दूर करने के लिए लीवर का स्वस्थ होना जरूरी है। इन कृमियों के अलावा भी कुछ कृमि होते हैं जो अनाज वगैरह को भी खत्म करते हैं।

रोग के लक्षण :

मल के साथ कीड़े निकलना, पेट में दर्द और दस्त व भूख न लगना।


एरंड का तेल :

काला जीरा, अजवाइन और पलाश को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और सोते समय खा लें। दूसरे दिन सुबह के समय एरंड का तेल लें। इससे आंतों के कीडे़ मर जाते हैं।


केला :

केला शहद में भिगोकर रात के समय खायें। अगले दिन सुबह के समय एरण्डी का तेल लें। इससे कीड़े मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।


मैनफल :

    बच्चों के आन्त्रकृमि में मैनफल का छिलका या मैनफल के बीज का चूर्ण 1 से 4 ग्राम देने से कीड़े खत्म होते हैं। दस्त के लिए दूसरी दवा देना जरूरी नहीं। यह विरेचक भी है।


      नमक :


        • बच्चों के पेट में कीड़े होने पर नमक मिलाकर गुनगुना पानी पिला दें। नाभि पर हल्दी पीसकर लगा दें। दो से तीन दिनों तक ऐसा करने से बच्चों के पेट के सारे कीड़े खत्म हो जाते हैं।
        • बच्चों के आंतों के कीड़ों में नमक मिलाकर हल्का गरम पानी मिलाकर पिला दें। नाभि पर हल्दी पीसकर लगा दें। ऐसा रोज करने से तीन दिनों में आंतों के सारे कीड़े खत्म हो जाते हैं।
        • सूत्रकृमि में नमक के लेप को नाभि के नीचे लगाने से लाभ होता है।


        जंगली अजवायन :

        जंगली अजवायन का पाउडर 1 से 3 ग्राम नियमित रात को गरम पानी से लेने से पेट के कीडे़ खत्म हो जाते हैं और अफारा भी खत्म हो जाता है।


        गजपीपल :

        गजपीपल का फांट (गर्म पानी में गजपीपल का चूर्ण मिलाकर छाना गया रस) 7 मिलीलीटर से 21 मिलीलीटर तक सुबह-शाम खाने से पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं।


        सोया :

        सोया का काढ़ा 40 ग्राम सुबह-शाम पीने पेट में होने वाले कीड़े खत्म हो जाते हैं।


        बायविडंग :


          • बायविडंग का पाउडर बच्चे को 4 ग्राम और बड़ों को 8 ग्राम सुबह शहद या गु़ड़ के साथ सेवन करने के लिए दें। इसके सेवन के 4 घंटे के बाद उम्र के अनुसार एरंड तेल को दूध में मिलाकर पीने से पेट के कीड़े जल्दी मर जाते हैं।
          • अतीस का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग तथा वायविडंग का चूर्ण लगभग आधा ग्राम रात में सोने से पहले गरम पानी के साथ लेना चाहिए। इससे आंतों के कीड़े मर जाते हैं।


          विडंगभेद :

          विडंगभेद का पाउडर 5 से 15 ग्राम शहद में मिलाकर सुबह चाटना चाहिए। इसके 4 घंटे बाद एरंड तेल 2 से 4 चम्मच दूध में मिलाकर पिला देने से आंत के कीड़े खत्म होते हैं।


            नाड़ी हिंगु :

            नाड़ी हिंगु एक तरह के गोंद के रूप में मिलता है। इसे लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में सुबह-शाम देने से गोल कीड़े खत्म होते हैं या निर्जीव होकर मल के साथ निकल आते हैं। डिकामाली या नाड़ी हिंगु में लकड़ी के टुकड़े, घास फूस आदि लगे होते हैं जिसे गरम पानी में घोलकर साफ कर प्रयोग में लाया जाता है।


              बांस :

              बांस के पत्तों को पीसकर रस निकालकर बच्चों को बस्ति (एनिमा क्रिया) दी जाये तो सूत्रकृमि खत्म होते हैं।


              कबीला :

                • कबीला 2 से 8 ग्राम को दूध, दही, शहद या किसी सुगन्धित पेय के साथ रात को सोने से पहले खिलायें। इससे सभी तरह के कीड़े खासकर स्फीत कीड़े जरूर खत्म होते हैं। इसमें अलग से दस्त की जरूरत नहीं होती फिर भी सुबह से अगर मल नहीं हो रहा हो तो दूध में 2 से चार चम्मच एरंड तेल मिलाकर पिला दें।
                • बच्चों के आंतों में कीड़े होने की शिकायत पर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग कबीला दूध या दही में मिलाकर रात में देना चाहिए।


                सत्यानाशी :

                सत्यानाशी की जड़ का पाउडर 4 ग्राम नियमित रूप खिलाने से स्फीत कीड़े खत्म होते हैं।


                  भारंगी :

                  भारंगी की छाल या पत्तों की फांट तैयार कर बस्ति देने से सूत्र कीड़े खत्म होते हैं।



                  आमाहल्दी :

                  आमाहल्दी 2 से 4 ग्राम लताकरंज के पत्ते के रस के साथ खाने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं।


                  लहसुन :


                    • लहसुन का रस 10 से 30 बूंद को दूध में मिलाकर सुबह-शाम खाने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं।
                    • लहसुन के रस में शहद मिलाकर खाने से आंत के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
                    • लहसुन को बायविडंग के चूर्ण के साथ खाने से आंत के कीडे़ समाप्त हो जाते हैं।


                    तारपीन :

                    गोंद के साथ तारपीन तेल को घोंटकर थोड़ी सी चीनी मिलाकर पानी के साथ खाने से आंत के कीड़े खत्म होते हैं।


                      भांट :

                      भांट के पत्ते के रस को नाभि के नीचे लेप करने से कीड़े खत्म होते हैं।


                      बालू का साग :

                      बालू का साग एक तरह की वनस्पति है जिसके पत्तों में बालू की तरह क्षार के कंकड़ होते हैं। इसके पंचाग का रस 500 ग्राम पानी के साथ सुबह खाली पेट हर दूसरे दिन खाने से आंत के कीड़े मरकर निकल जाते हैं।


                      फरहद :

                      फरहद के पत्ते का रस 5 से 10 ग्राम सुबह-शाम पिलाने से कीड़े खत्म होते हैं।


                      हरसिंगार :

                      बच्चों के पेट के कीड़ों के लिए हरसिंगार के पत्तों के रस को चीनी मिलाकर देने से लाभ होता है।


                      सहजन :

                      सहजन के फली की साग खाते रहने से आंत में कीड़े नहीं होते हैं।


                        कोरैया (कूड़ा) :

                        कोरैया के कोमल पत्ते खिलाने से बच्चों के पेट के कीड़े खत्म होते हैं।


                          कंटकंरज :

                          कंटकरंज के पत्ते का रस 10 से 20 ग्राम या जड़ लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से 1.20 ग्राम को कालीमिर्च के साथ घोंटकर सुबह-शाम खाने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं


                          अतिबला (कंघी) :

                          अतिबला (कंघी) के बीजों की धूनी गुदा में देने से सूत्रकृमि खत्म होते हैं।


                            मरोड़फली :

                            मरोड़फली डेढ़ ग्राम से 3 ग्राम सुबह शाम देने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं।


                              पीला हुरहुर :

                              पीले हुरहुर के बीजों का चूर्ण 1 से 3 ग्राम की मात्रा में खाने से आंतों के कीड़े खत्म हो जाते हैं।


                              हिंगोट :

                              हिंगोट के फल का गूदा लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम सुबह से शाम तक खाने से पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं।


                              गैम्बोज :

                              तमाल के पेड़ से प्राप्त गोंद को गैम्बोज कहते हैं। इसे 3 मिलीग्राम की मात्रा में रात में सोने से पहले दालचीनी या लौंग के साथ दें। इससे पेट के कीड़े खत्म होते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि मात्रा ज्यादा न हो अन्थया जान भी जा सकती है।


                                ढाक :

                                ढाक के स्वस्थ बीज (जिनमें कीड़े न लगे हो) का पाउडर लगभग आधा ग्राम से 10 ग्राम तक की मात्रा में खाने से पेट के केचुएं खत्म होते हैं। इसके बीजों के छिलके निकालकर प्रयोग करें अन्यथा पतले दस्त भी हो सकते हैं।


                                  सागौन :

                                  सागौन की छाल या लकड़ी का चूर्ण यदि 3 से 12 ग्राम सुबह-शाम खाये तो आंतों के कीड़े खत्म हो जाते हैं।


                                    कोशाम :

                                    कोशाम के बीजों का चूर्ण मवेशी (जानवरों) के घावों पर डालने से घाव के सब कीड़े निकल जाते हैं।


                                    नारियल :

                                    आंतों के चिपटे कीड़ों को खत्म करने के लिए पीड़ित रोगी को रात में एक नारियल की गरी खिलाकर सवेरे दस्त आने के लिए कोई औषधी खिला दें। इससे आंतों के कीड़े मरकर बाहर निकल आते हैं।


                                      कच्ची सुपारी :

                                      आंतों में चिपटे कीड़े निकालने के लिए कच्ची सुपारी को दूध में पीसकर पिलाने से काफी फायदा होता है।


                                      शहतूत :

                                      शहतूत के पेड़ की छाल का काढ़ा 50 से 100 ग्राम की मात्रा में खाने से आंत के कीड़े मरकर बाहर निकल आते हैं।


                                        अनार :

                                          • अनार के जड़ की छाल 1 से 2 ग्राम खाने से आंतों के कीड़े खत्म हो जाते हैं। इसे नियमित सुबह-शाम दें। अनार के फल का छिलका भी इसी मात्रा में लेने से कीड़ नष्ट होते हैं।
                                          • अनार का रस आंतों के कीडे़ और दस्तों में लाभकारी होता है। लीवर की कार्यक्षमता को बढ़ाता है और पाचन में सहायता करता है।


                                          सेब :

                                          सेब के पेड़ की जड़ 10 ग्राम से 20 ग्राम पीसकर सुबह शाम खाने से कीड़े मरकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।


                                            अखरोट :


                                              • अखरोट के पत्तों का रस 10 से 20 ग्राम खाने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं।
                                              • अखरोट का तेल बताशे में 15 से 20 बूंद डालकर या दूध में मिलाकर सुबह-शाम खाने से आंत के कीड़े खत्म होते हैं।


                                              बिजौरा नींबू :

                                              बिजौरा नींबू की जड़ 10 ग्राम पीसकर रोज सवेरे 2-4 दिनों तक पिलाने से कीड़े खत्म होते हैं।


                                              बथुआ :

                                              आंतों में कीड़े होने पर बथुआ का साग खाना लाभदायक होता है।


                                                सुगन्ध वास्तुक :

                                                सुगन्ध वास्तुक के बीज लगभग आधा ग्राम से 2.40 ग्राम चीनी के साथ सिर्फ एक ही मात्रा देना काफी होता है। इस बीज से तेल भी निकाला जाता है।


                                                छोटी लोणा (नोनीसाग) :

                                                छोटी लोणा (नोनीसाग) के बीज का पाउडर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में खाने से आंत के कीड़े खत्म होते हैं।


                                                पेठा भूरा :

                                                पेठा के बीजों का चूर्ण बनाकर 3 से 6 ग्राम या इसके बीजों का तेल 20 से 30 बूंद सुबह-शाम खाने से आंत के कीड़े खत्म होते हैं।


                                                  सफेद कद्दू :

                                                  सफेद कद्दू के ताजे बीज, 30 से 60 ग्राम कूटकर दूध एवं मधु के साथ खाली पेट पिलाने से आंतों के कीड़े खत्म होते हैं। इसे पिलाने के कम से कम 3 घंटे बाद विरेचन देकर पेट साफ कर दिया जाता है।


                                                    करेले :

                                                    आंतों के कीड़े खत्म करने के लिए करेले का रस गरम पानी में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग मिलाकर खाने से पूरा फायदा होता है और कीड़े खत्म होते हैं।


                                                    गाजर :

                                                    गाजर को कद्दूकस कर नियमित खिलाने से आंतों के कीड़े मर जाते हैं।


                                                    कच्चे अनानास :

                                                    कच्चे अनानास का रस नियमित रूप से खाने से आंतों के कीड़े खत्म होते हैं।


                                                    अफसतीन :

                                                    अफसतीन का तेल 10 से 15 बूंद सुबह-शाम बताशे पर डालकर या दूध में मिलाकर खाने से आंत के कीड़े मर जाते हैं।


                                                    अजवायन :

                                                    किरमानी अजवायन का चूर्ण डेढ़ ग्राम से 3 ग्राम सुबह-शाम खाने से आंत के कीड़े खत्म होते हैं।


                                                      फा-जूफा :

                                                      फा-जूफा 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम खाने से कीड़े खत्म होते हैं।


                                                      पुदीना :

                                                      पुदीना के पत्तों को खाने से आंतों के दर्द और कीड़े दूर होते हैं।


                                                      बेवरंग :

                                                      आंतों के कीड़ों को दूर करने के लिए बेवरंग के बीजों का चूर्ण 4 से 16 ग्राम सुबह-शाम लेने से लाभ होता है।


                                                        गंधपुरा :

                                                        गंधपुरा का तेल 5 से 15 बूंद सुबह-शाम चीनी में डालकर खाने से आंत के कीड़े खत्म होते हैं।


                                                          कुप्पी :

                                                          कुप्पी के पंचांग का चूर्ण 40 से 80 ग्राम सुबह-शाम लेने से आंतों के कीड़े खत्म होते हैं।


                                                          टमाटर :

                                                          टमाटर के रस में कालीमिर्च और कालानमक मिलाकर नियमित सुबह खाली पेट खाने से एक हफ्ते में ही कीड़े खत्म हो जाते हैं।


                                                            हींग :

                                                            पानी में हींग घोलकर नाभि के नीचे लगाने से आंतों के कीड़े मल के साथ बाहर आ जाते हैं।


                                                              गंभारी :

                                                              गंभारी की जड़ का काढ़ा 50 से 100 मिलीमीटर की मात्रा में रोगी को पिलाने से आंतों के कीडे़ मर जाते हैं।


                                                                पोदीना :

                                                                आधा कप पोदीने का रस दिन में दो बार नियमित रूप से कुछ दिनों तक पिलाते रहने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।


                                                                  सूरजमुखी :

                                                                    • लगभग 1 से 3 ग्राम की मात्रा में इसके बीज खिलाने से केंचुआ व उदरगत कीड़े का निर्हरण (नाश) होता है।
                                                                    • सूरजमुखी के बीजों का चूर्ण डेढ़ से तीन ग्राम चीनी के साथ सुबह-शाम दो दिन सेवन करें और तीसरे दिन एरंड तेल विरेचन (दस्त लाना) के लिए लें। इससे विशेषत: मल के कीड़े निकल जाते हैं।


                                                                    आंत्रवृद्धि (आंत का उतरना) (HERNIA)



                                                                    परिचय :

                                                                    आंत का अपने स्थान से हट जाना ही आंत का उतरना कहलाता है। यह कभी अंडकोष में उतर जाती है तो कभी पेडु या नाभि के नीचे खिसक जाती है। यह स्थान के हिसाब से कई तरह की होती है जैसे स्ट्रैगुलेटेड, अम्बेलिकन आदि। जब आंत अपने स्थान से अलग होती है तो रोगी को काफी दर्द व कष्ट का अनुभव होता है।

                                                                    इसे छोटी आंत का बाहर निकलना भी कहा जाता है। खासतौर पर यह पुरुषों में वक्षण नलिका से बाहर निकलकर अंडकोष में आ जाती है। स्त्रियों में यह वंक्षण तन्तु लिंगामेन्ट के नीचे एक सूजन के रूप में रहती है। इस सूजन की एक खास विशेषता है कि नीचे से दबाने से यह गायब हो जाती है और छोड़ने पर वापस आ जाती है। इस बीमारी में कम से कम खाना चाहिए। इससे कब्ज नहीं बनता। इस बात का खास ध्यान रखें कि मल त्याग करते समय जोर न लगें क्योंकि इससे आंत और ज्यादा खिसक जाती है।

                                                                    विभिन्न भाषाओं में आंत उतरने के नाम :

                                                                    हिन्दी

                                                                    आंत का उतरना।

                                                                    अरबी

                                                                    आंत्रवृद्धि।

                                                                    बंगाली

                                                                    अंत्रवृद्धि।

                                                                    गुजराती

                                                                    सर्वग्रन्था।

                                                                    कन्नड़

                                                                    करलु बेलेयुवुडू।

                                                                    मराठी

                                                                    आंत्रवृद्धि।

                                                                    पंजाबी

                                                                    धरनपैना।

                                                                    तमिल

                                                                    इलिव्युड, कुदलिरवकम।

                                                                    तेलगू

                                                                    रेगुजरूत।

                                                                    अंग्रेजी

                                                                    हार्निया।

                                                                    कारण :

                                                                    कब्ज, झटका, तेज खांसी, गिरना, चोट लगना, दबाव पड़ना, मल त्यागते समय जोर लगाने से या पेट की दीवार कमजोर हो जाने से आंत कहीं न कहीं से बाहर आ जाती है और इन्ही कारणों से वायु जब अंडकोषों में जाकर उसकी शिराओं नसों को रोककर अण्डों और चमड़े को बढ़ा देती है जिसके कारण अंडकोषों का आकार बढ़ जाता है। वात, पित्त, कफ, रक्त, मेद और आंत इनके भेद से यह सात तरह का होता है।

                                                                    लक्षण :

                                                                    • वातज रोग में अंडकोष मशक की तरह रूखे और सामान्य कारण से ही दुखने वाले होते हैं।
                                                                    • पित्तज में अंडकोष पके हुए गूलर के फल की तरह लाल, जलन और गरमी से भरे होते हैं।
                                                                    • कफज में अंडकोष ठंडे, भारी, चिकने, कठोर, थोड़े दर्द वाले और खुजली से भरे होते हैं।
                                                                    • रक्तज में अंडकोष काले फोड़ों से भरे और पित्त वृद्धि के लक्षणों वाले होते हैं।
                                                                    • मेदज के अंडकोष नीले, गोल, पके ताड़फल जैसे सिर्फ छूने में नरम और कफ-वृद्धि के लक्षणों से भरे होते हैं।
                                                                    • मूत्रज के अंडकोष बड़े होने पर पानी भरे मशक की तरह शब्द करने वाले, छूने में नरम, इधर-उधर हिलते रहने वाले और दर्द से भरे होते है। अंत्रवृद्धि में अंडकोष अपने स्थान से नीचे की ओर जा पहुंचती हैं। फिर संकुचित होकर वहां पर गांठ जैसी सूजन पैदा होती है।

                                                                    भोजन तथा परहेज :

                                                                    दिन के समय पुराने बढ़िया चावल, चना, मसूर, मूंग और अरहर की दाल, परवल, बैगन, गाजर, सहजन, अदरक, छोटी मछली और थोड़ा बकरे का मांस और रात के समय रोटी या पूड़ी, तरकारियां तथा गर्म करके ठंडा किया हुआ थोड़ा दूध पीना फायदेमंद है। लहसुन, शहद, लाल चावल, गाय का मूत्र गाजर, जमीकंद, मट्ठा, पुरानी शराब, गर्म पानी से नहाना और हमेशा लंगोट बांधे रहने से लाभ मिलता है।

                                                                    उड़द, दही, पिट्ठी के पदार्थ, पोई का साग, नये चावल, पका केला, ज्यादा मीठा भोजन, समुद्र देश के पशु-पक्षियों का मांस, स्वभाव विरुद्ध अन्नादि, हाथी घोड़े की सवारी, ठंडे पानी से नहाना, धूप में घूमना, मल और पेशाब को रोकना, पेट दर्द में खाना और दिन में सोना नहीं चाहिए।


                                                                    रोहिनी

                                                                    रोहिनी की छाल का काढ़ा 28 मिलीलीटर रोज 3 बार खाने से आंतों की शिथिलता धीरे-धीरे दूर हो जाती है।

                                                                    इन्द्रायण

                                                                    • इन्द्रायण के फलों का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग या जड़ का पाउडर 1 से 3 ग्राम सुबह शाम खाने से फायदा होता है। अनुपात में सोंठ का चूर्ण और गुड़ का प्रयोग करते है।
                                                                    • इन्द्रायण की जड़ का चूर्ण 4 ग्राम की मात्रा में 125 ग्राम दूध में पीसकर छान लें तथा 10 ग्राम अरण्डी का तेल मिलाकर रोज़ पीयें इससे अंडवृद्धि रोग कुछ ही दिनों में दूर हो जाता है।
                                                                    • इन्द्रायण की जड़ और उसके फूल के नीचे की कली को तेल में पीसकर गाय के दूध के साथ खाने से आंत्रवृद्धि में लाभ होता है।

                                                                    मोखाफल :

                                                                    मोखाफल कमर में बांधने से आंत उतरने की शिकायत मिट जाती है इसका दूसरा नाम एक सिरा रखा गया है। आदिवासी लोग बच्चों के अंडकोष बढ़ने पर इसके फल को कमर में भरोसे के साथ बांधते है जिससे लाभ भी होता है।

                                                                    भिंडी :

                                                                      बुधवार को भिंडी की जड़ कमर में बांधे। हार्निया रोग ठीक हो जायेगा।

                                                                        लाल चंदन :

                                                                        लाल चंदन, मुलहठी, खस, कमल और नीलकमल इन्हें दूध में पीसकर लेप करने से पित्तज आंत्रवृद्धि की सूजन, जलन और दर्द दूर हो जाता है।

                                                                        देवदारू :

                                                                        देवदारू के काढ़े को गाय के मूत्र में मिलाकर पीने से कफज का अंडवृद्धि रोग दूर होता है।

                                                                        सफेद खांड :

                                                                        सफेद खांड और शहद मिलाकर दस्तावर औषधि लेने से रक्तज अंडवृद्धि दूर होती है।

                                                                        वच :

                                                                        वच और सरसों को पानी में पीसकर लेप करने से सभी प्रकार के अंडवृद्धि रोग कुछ ही दिनों में दूर हो जाते हैं।

                                                                        पारा :

                                                                        पारे की भस्म को तेल और सेंधानमक में मिलाकर अंडकोषों पर लेप करने से ताड़फल जैसी अंडवृद्धि भी ठीक हो जाती है।

                                                                        एरंड :

                                                                        • एक कप दूध में दो चम्मच एरंड का तेल डालकर एक महीने तक पीने से अंत्रवृद्धि ठीक हो जाती है।
                                                                        • खरैटी के मिश्रण के साथ अरण्डी का तेल गर्मकर पीने से आध्यमान, दर्द, आंत्रवृद्धि व गुल्म खत्म होती है।
                                                                        • रास्ना, मुलहठी, गर्च, एरंड के पेड की जड़, खरैटी, अमलतास का गूदा, गोखरू, पखल और अडूसे के काढ़े में एरंडी का तेल डालकर पीने से अंत्रवृद्धि खत्म होती है।
                                                                        • इन्द्रायण की जड़ का पाउडर, एरंडी के तेल या दूध में मिलाकर पीने से अंत्रवृद्धि खत्म हो जाएगी।
                                                                        • लगभग 250 ग्राम गरम दूध में 20 ग्राम एरंड का तेल मिलाकर एक महीने तक पीयें इससे वातज अंत्रवृद्धि ठीक हो जाती है।
                                                                        • एरंडी के तेल को दूध में मिलाकर पीने से मलावरोध खत्म होता है।
                                                                        • दो चम्मच एरंड का तेल और बच का काढ़ा बनाकर उसमें दो चम्मच एरंड का तेल मिलाकर खाने से लाभ होता है।

                                                                        गुग्गुल:

                                                                          गुग्गुल एलुआ, कुन्दुरू, गोंद, लोध, फिटकरी और बैरोजा को पानी में पीसकर लेप करने से अंत्रवृद्धि खत्म होती है।

                                                                            कॉफी :

                                                                            • बार-बार काफी पीने से और हार्निया वाले स्थान को काफी से धोने से हार्निया के गुब्बारे की वायु निकलकर फुलाव ठीक हो जाता है।
                                                                            • बार-बार काफी पीने और हार्निया वाले स्थान को काफी से धोने से हार्नियां के गुब्बारे की वायु निकलकर फुलाव ठीक हो जाता है। मृत्यु के मुंह के पास पहुंची हुई हार्नियां की अवस्था में भी लाभ होता है।

                                                                            तम्बाकू :

                                                                            तम्बाकू के पत्ते पर एरंडी का तेल चुपड़कर आग पर गरम कर सेंक करने और गरम-गरम पत्ते को अंडकोषों पर बांधने से अंत्रवृद्धि और दर्द में आराम होता है।


                                                                            मारू बैंगन :

                                                                            मारू बैगन को भूभल में भूनकर बीच से चीरकर फोतों यानी अंडकोषों पर बांधने से अंत्रवृद्धि व दर्द दोनों बंद होते हैं। बच्चों की अंडवृद्धि के लिए यह उत्तम है।


                                                                              छोटी हरड़ :

                                                                              छोटी हरड़ को गाय के मूत्र में उबालकर फिर एरंडी का तेल लें। इन हरड़ों का पाउडर बनाकर कालानमक, अजवायन और हींग मिलाकर 5 ग्राम मात्रा मे सुबह-शाम हल्के गर्म पानी के साथ खाने से या 10 ग्राम पाउडर का काढ़ा बनाकर खाने से आंत्रवृद्धि की विकृति खत्म होती है।


                                                                              समुद्रशोष :

                                                                              समुद्र शोष विधारा की जड़ को गाय के मूत्र मे पीसकर लेप करने करने से आंत्रवृद्धि में लाभ होता है।

                                                                              त्रिफला :

                                                                              इस रोग में मल के रुकने की विकृति ज्यादा होती है। इसलिए कब्ज को खत्म करने के लिए त्रिफला का पाउडर 5 ग्राम रात में हल्के गर्म दूध के साथ लेना चाहिए।


                                                                              मुलहठी :

                                                                              मुलहठी, रास्ना, बरना, एरंड की जड़ और गोक्षुर को बराबर मात्रा में लेकर, थोड़ा सा कूटकर काढ़ा बनायें। इस काढ़े में एरंड का तेल डालकर पीने से आंत्रवृद्धि में लाभ होता है।


                                                                              अजवायन :

                                                                              अजवायन का रस 20 बूंद और पोदीने का रस 20 बूंद पानी में मिलाकर पीने से आंत्रवृद्धि में लाभ होता है।

                                                                              सम्भालू :

                                                                              सम्भालू की पत्तियों को पानी में खूब उबालकर उसमें थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर सेंकने से आंत्रवृद्धि शांत होती है।

                                                                              दूध :

                                                                              उबाले हुए हल्के गर्म दूध में गाय का मूत्र और शक्कर 25-25 ग्राम मिलाकर खाने से अंडकोष में उतरी आंत्र अपने आप ऊपर चली जाती है।

                                                                              गोरखमुंडी :

                                                                              गोरखमुंडी के फलों की मात्रा के बराबर मूसली, शतावरी और भांगर लेकर कूट-पीसकर पाउडर बनायें। यह पाउडर 3 ग्राम पानी के साथ खाने से आंत्रवृद्धि में फायदा होता है।

                                                                              हरड़ :

                                                                              हरड़, मुलहठी, सोंठ 1-1 ग्राम पाउडर रात को पानी के साथ खाने से लाभ होता है।

                                                                              बरियारी :

                                                                              लगभग 15 से 30 मिलीलीटर जड़ का काढ़ा 5 मिलीलीटर रेड़ी के तेल के साथ दिन में दो बार सेवन करने से लाभ होता है।

                                                                              बकरी का दूध :

                                                                              आंखों के लाल होने पर मोथा या नागरमोथा के फल को साफ करके बकरी के दूध में घिसकर आंखों में लगाने से आराम आता है।


                                                                                रविवार, 1 मई 2011

                                                                                सौंदर्य व औषधीय गुणों से भरपूर है चंदन

                                                                                प्राचीन काल से लेकर अब तक चंदन से मनुष्य का विशेष लगाव रहा है। धूप, अगरबत्ती, परफ्यूम, उबटन पाउडर आदि में चंदन की सुगंध व शीतलता का कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
                                                                                चंदन एक सदाबहार, घना व छायादार वृक्ष है। यह अपने आस-पास के पौधों से पोषक तत्व सोखता रहता है। इसके प्राकृतिक गुण वातावरण को सुगंधित बनाए रखते हैं। यह श्वेत व लाल रंग का होता है। पहाड़ी क्षेत्रों में यह खूब होता है।
                                                                                चंदन सिर्फ पूजा पाठ के लिए ही काम में नहीं लाया जाता वरन् इसका उपयोग सौंदर्य व औषधि के रूप में भी किया जाता है। चंदन घिसकर देवताओं को लगाया जाता है। प्रतिदिन चंदन लगाने से स्मरण शक्ति ठीक रहती है। चुस्ती-फुरती भी बनी रहती है।
                                                                                चंदन ते तेल से बने सैंट, परफ्यूम लगाने से त्वचा को कोई नुकसान नहीं होता। चंदन वाला टेलकम पाउडर लगाने से गर्मी से राहत मिलती है।

                                                                                *कफ वाली खांसी होने पर चंदन तेल की 3-4 बूंदे बताशे पर डालकर खाएं। आराम मिलेगा।
                                                                                *गर्मियों में उल्टियां होने पर चंदन को घिसकर आंवले के रस या मुरब्बे के साथ खिलाएं।
                                                                                *यदि आपकी त्वचा से दुर्गंध आती है तो चंदन की तेल की मालिश करें।
                                                                                *सिरदर्द व मानसिक परेशानी होने पर माथे पर चंदन का लेप करें आराम मिलेगा।
                                                                                *दुर्गंध दूर करने के लिए चंदन की अगरबत्ती जलायें। माहौल भीनी-भीनी खुशबू से महकने लगेगा।
                                                                                *चंदन की छाल को घिसकर त्वचा के रोगों में लगाने से तुरंत असर होता है।
                                                                                *उबटन में हल्दी के साथ चंदन मिलाकर लगाने से चेहरे के काले दाग, झुर्रियां मुंहासे दूर हो जाते हैं व चेहरा साफ व चमकने लगता है।
                                                                                *चंदन का धुआं कीटनाशी भी होता है। लू लग जाने पर हाथ, पैरों पर चंदन को घिसकर लगाएं व चंदन का शर्बत पुदाने के रस के साथ पिएं।
                                                                                *जले-कटे स्थान पर तथा सृजन होने पर चंदन लगाने से आराम मिलता है।
                                                                                *सफेद चंदन को घिस कर शहद, मिश्री मिलाकर चावल के घोए हुए पानी के साथ पीने से रक्ततिसार में लाभ होता है
                                                                                *पतले दस्त होने पर चंदन घिसकर मिश्री या खस के दानों को पीसकर उसके साथ पानी में घोल कर पी लें।
                                                                                *एड़ियों के फटने पर चंदन का तेल लगाने से आराम मिलता है।
                                                                                *बुखार में चंदन का तेल माथे पर लगाएं। इससे बुखार नियंत्रण में आ जाता है।
                                                                                *चंदन को आप कंडीशनर के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यह बालों को मजबूती देता है। इसका प्रयोग बालों को चमक व पोषण देता है।

                                                                                नींबू से निखारिए अपना स्वास्थ्य और सौंदर्य

                                                                                नींबू क प्रयोग औषधि के रूप में तो होता ही है, साथ ही यह सौंदर्य रक्षा में भी अपनी अहम् भूमिका निभाता है। झाइयों को दूर करना हो या त्वचा की रंगत निखारनी हो या कील मुंहासों से छुटकारा पाना हो या फिर हाथों की कोमलता बरकरार रखनी हो तो नींबू पूरी मुस्तैदी और सजगता के साथ इन सभी कार्यों को सम्पन्न करते हुए आपके कोमल सौंदर्य की रक्षा करता है। सौंदर्य रक्षा के साथ ही नींबू के अन्य अनेक गुणों के विषय में भी यहां जानकारी दी जा रही है।
                                                                                * चेहरे पर क्रांति लाने के लिए नींबू के रस में मलका मसूर की दाल को पीसकर मिला दें तथा इस तैयार उबटन को दस मिनट तक चेहरे पर लगा रहने दें। दस मिनट बाद हल्के हाथों से रगड़कर छुड़ाएं। इस प्रक्रिया से दस दिनों में ही चेहरा जगमगाने लगेगा।
                                                                                * अगर चेहरे पर झाइयां अपना आधिपत्य जमा रही हों तो नींबू के रसयुक्त छिलके को चेहरे पर रगड़िये। एक हफ्ते में आपका चेहरा झाइयों से मुक्त हो जाएगा।
                                                                                * हाथों की कोमलता की रक्षा के लिए दो चम्मच नींबू के रस में एक चम्मच ग्लिसरीन और एक चम्मच गुलाबजल मिलाकर तैयार कर लें और रोज रात में सोते समय आठ बूंदें लेकर हाथों की मालिश कर लें। हाथ हमेशा नर्म, मुलायम और कोमल बने रहेंगे।
                                                                                * चेहरे को कीलों और खूटियों से मुक्त करने के लिए नींबू के रस को रूई को सहायता से पूरे चेहरे पर लगायें और पांच मिनट तक वैसे ही लगा रहने दें। फिर गुनगुने पानी से चेहरा धोकर रोयेंदार तौलिये से पोंछ लें। एक हफ्ते के अन्दर कीले और खुटियां चेहरे से गायब हो जाएंगी।
                                                                                * अगर शरीर की रंगत को निखारना हो तो नहाने वाले पानी में दो नींबूओं का रस और एक चम्मच नमक मिला दें। इस पानी से प्रतिदिन स्ान करें। कुछ ही दिनों में शरीर की रंगत में निखार आ जाता है। एवं दाग-धब्बे भी दूर हो जाते हैं।
                                                                                * चेहरे पर पड़े दाग-धब्बे मिटाने के लिए रोज सुबह और शाम नियमित रूप से ठंडे पानी में एक नींबू का रस निचोड़कर पियें। कुछ ही दिनों में दाग और धब्बों से चेहरा मुक्त होकर निखर जाता है।
                                                                                * मुंहासों से छुटकारा पाने के लिए कच्चे दूध में नींबू का रस निचोड़कर उसे मुंहासों पर लगायें और पन्द्रह मिनट बाद गरम पानी से मुंह धो लें। कुछ दिनों में मुंहासे समाप्त हो जायेंगे और चेहरा फूल-सा खिल उठेगा।
                                                                                * चेहरे पर चितकबरे दागों को साफ करने के लिए रात में सोते समय नींबू के रस को दागों पर लगाकर सुखा लें और सुबह उठकर गुनगुने पानी से मुंह धो लें। पन्द्रह दिन में ही चितकबरे दाग छूट जायेंगे।
                                                                                * हाथों की कुहनी का रंग अगर अधिक काला हो रहा हो तो नींबू के रस-भरे छिलके पर नमक मिला कर रगड़िये। कुहनियां दो-चार दिनों में ही साफ हो जायेंगी।
                                                                                * दांत अगर अधिक पीले हो गये हों तो नमक लगे नींबू के छिलके को दांतों पर रगड़िये। मात्र दो दिनों में ही दांत चमक उठेंगे।
                                                                                * होंठ अगर फट रहे हों तो दूध की मलाई में नींबू के रस को निचोड़ कर रोज लगाइये! होंठ फटना दूर होकर मुलायम हो जाएंगे।
                                                                                नींबू के अन्य महत्वपूर्ण उपयोग-
                                                                                * मकड़ी के काटे हुए स्थान पर नींबू के रस में नीम के पत्तों का रस व बेसन मिलाकर मलने से मकड़ी का वष नहीं चढ़ता है।
                                                                                * धतूरे के नशे को दूर करने के लिए नींबू के रस में चीनी मिलाकर पीजिए। थोड़ी देर में ही लाभ मालूम होगा।
                                                                                * नींबू के सूखे छिलकों को सुलगा कर उसका धुआं खटमल युक्त चारपाई, कुर्सी आदि में लगाने से खटमल भाग जाते हैं।
                                                                                * भांग के नशे से मुक्ति के लिए नींबू चूसने से लाभ मिलता है।
                                                                                * मधुमक्खी के काटने पर उस स्थान पर रसयुक्त नींबू के छिलके में नमक लगाकर रगड़ने से राहत मिलती है।
                                                                                * नींबू के छिलकों को सुखाकर पीस लें। इस डस्ट को कीड़े-मकोड़ों के रहने वाले स्थान पर छिड़ने से कीड़े-मकोड़े वहां से भाग जाते हैं।
                                                                                * आंवले के तेल में नींबू का रस मिलाकर बालों में लगाते रहने से बाल लम्बे, घने व काले होते हैं, साथ ही जूं भी मर जाते हैं।
                                                                                * सरसों तेल में नींबू रस मिलाकर कांख में लगाने से वहां के जूं मर जाते हैं।

                                                                                शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

                                                                                मुलतानी मिट्टी का पैक लगाइए, दमकती त्वचा पाइये

                                                                                आज महिलाएं अपने सौंदर्य के प्रति अत्यधिक जागरूक हैं। आज का युग है ही सौंदर्य प्रधान युग। फिर हम में से कौन अपने आपको ब्यूटी क्वीन कहलाना पसंद नहीं करेगा। नारी की इसी आवश्यकता को मध्य नजर रखते हुए सौंदर्य प्रसाधनों की कई छोटी बड़ी कम्पनियां खुल गई हैं मगर ये सौंदर्य प्रसाधन इतने महंगे होते हैं कि हम सब इन्हें खरीद नहीं पाते। निराश न होइए। आपके लिए सस्ते, आसानी से उपलब्ध और पाकृतिक प्रसाधन मौजूद हैं। मुलतानी मिट्टी की सहायता से आप अपने रूप को निखार कर आकर्षक बना सकती हैं।
                                                                                १ मुलतानी मिट्टी का पैक प्राकृतिक एन्टीसेप्टिक है। इसके प्रयोग से आप अपने चेहरे को मुंहासों, दाग, धब्बों व झाइयों से दूर रख सकते हैं। इसका उपयोग त्वचा में कसाव लाता है।
                                                                                २ मुलतानी मिट्टी में दही मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को 15-20 मिनट तक चेहरे पर लगाए रखें। सूखने पर ठंडे पानी से धो लें। त्वचा साफ स्निग्ध दोनों हो जाएगी।
                                                                                ३ एक चम्मच पिसी हुई मुलतानी मिट्टी में एक चम्मच नींबू का रस, एक छोटा चम्मच बेसन, जरा सी हल्दी मिलाकर पैक तैयार करें। इस पैक के इस्तेमाल से आप मुंहासों से छुटकारा पा सकेंगी।
                                                                                ४ काली त्वचा को निखारने के लिए दो चम्मच मुलतानी मिट्टी में एक चम्मच सरसों का तेल, एक चम्मच मलाई व चुटकी भर हल्दी मिलाएं। इस पेस्ट को नहाने से पूर्व पूरी त्वचा पर लगाएं। हफ्ते में एक दो बार इस पेस्ट का इस्तेमाल करें।
                                                                                ५ मुलतानी मिट्टी का प्रयोग दही, दूध के अतिरिक्त फलों व सब्जियों के रस के साथ भी किया जा सकता है। फलों के रस के साथ इसका प्रयोग करने से त्वचा के बंद रोम कूप खुल जाते हैं।
                                                                                ६ टमाटर के रस में मुलतानी मिट्टी का पेस्ट बनाकर प्रतिदिन चेहरे पर लगाना आपकी त्वचा को गोरा व साफ करता है।
                                                                                ७ यदि आपकी त्वचा तैलीय है तो मुलतानी मिट्टी में गुलाब जल मिला कर लगाएं।
                                                                                ८ चेहरे की झुर्रियों को दूर करने के लिए दो चम्मच मुलतानी मिट्टी, छोटे चम्मच खीरे का रस, दो बादाम की पिसी गिरियां मिलाकर पैक बना लें। इसे चेहरे पर हफ्ते में एक बार अवश्य लगाएं ताकि झुर्रियां दूर होकर त्वचा मुलायम व साफ हो जाए।
                                                                                ९ शुष्क त्वचा के लिए दो चम्मच मुलतानी मिट्टी में बादाम का तेल या शहद मिलाकर चेहरे पर लगाएं। सूखने के पश्चात गुनगुने पानी से धो लें।
                                                                                १० चेहरे के साथ-साथ आप मुलतानी मिट्टी का प्रयोग अपने बालों के लिए भी कर सकती हैं। इसका प्रयोग बालों को चमकदार, मुलायम व काला बनाता है। दो चम्मच मुलतानी मिट्टी में दही व नींबू की कुछ बूंदें मिलाकर बालों की जड़ों में लगाएं।
                                                                                ११ पैक हमेशा ब्रश या उंगलियों के पोरों से धीरे-धीरे लगाएं। यदि आप पैक का प्रयोग महीने में तीन चार बार करेंगी तो आपकी त्वचा कांतिमय व मुलायम बनी रहेगी।

                                                                                नींबू : खट्टा स्वाद-मीठे गुण

                                                                                नींबू आमतौर पर नींबू, निम्बू, निम्बूक, लेम्ब, तिलम्बूक, लिबू तथा लिमेने जैसे नामों से विभिन्न क्षेत्रों में जाना जाता है। चमकीले कवच वाला यह फल तीव्र गंध वाला, द्विशाखी, ससीमाक्ष पृथकदली तथा कपाटीय मस्पुटक वैज्ञानिक विशेषताएं लिए हुए होता है। यह उष्ण कटिबंधीय तथा शीतोष्ण भागों में पाया जाता है। वैज्ञानिक अनुमनों के अनुसार विश्व भर में इसकी लगभग 1300-1400 प्रजातियां पायी जाती हैं। भारत में पायी जाने वाली प्रमुख प्रजातियां हैं- साइट्रस एसीडा, साइट्रस डिकुमाना, साइट्रस मेडिका (लिमोनिया) साइट्रस लिमिट्टा।
                                                                                प्रत्येक घर में उपयोग किया जाने वाला यह फल वातनाशक, पाचक तथा पित्त-कफ, संतुलक होता है। घरों में आमतौर पर सिरका, अचार एवं इसका रस उपयोग में लाया जाता है। औषधीय गुण रखने वाला यह फल निम्न उपयोग में आता है-
                                                                                – दाद में खुजला कर यदि नींबू रस का लेपन करें तो दाद अतिशीघ्र ठीक हो जायेगी।
                                                                                – बिजौर का जड़ का रस एवं सेंधानमक का मिश्रण का लगभग माह भर सेवन करने से पथरी गलकर निकल जाती है।
                                                                                – दांत दर्द में नींबू रस एवं लौंग के चूर्ण का मंजन अच्छा फायदा पहुंचाता है।
                                                                                – चेहरे पर नींबू रस के साथ शक्कर या मलाई के लेपन करने से चेहरे पर चमक आती है एवं दाग मिटते हैं।
                                                                                – पेचिश की शिकायत के दिनों में नींबू रस का पानी के साथ सेवन लाभप्रद होता है।
                                                                                – जिन्हें सर्दी होने का डर बना रहता है वे नींबू का रस कुनकुने पानी में ग्रहण कर लाभ उठा सकते हैं।
                                                                                – उल्टी होने पर नींबू का रस, इलायची तता पानी का सेवन करना फायदे मंद होता है।
                                                                                – नींबू रस हृदय रोगियों को लाभप्रद औषधि है। नींबू के छिलके का चूर्ण एवं सेंधानमक का मंजन दांत की तमाम बीमारियों में लाभप्रद है। पायरिया रोगियों को नींबू का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए।
                                                                                – जुकाम होने पर कुनकुने पानी में नींबू का रस व हल्का नमक मिलाकर सेवन करने से जुकाम शीघ्र ठीक हो जाता है।
                                                                                – कुचला चूर्ण एवं नींबू के सिरके के लेप से दाद पर अतिशीघ्र लाभ होता है।
                                                                                – दांत साफ करने के लिए नींबू का रस व हींग की मालिश करने से दांत साफ व चमकदार बनते हैं।
                                                                                – नकसीर होने की दशा में नाक में नींबू का रस टपकाने से निकलता खून तुरन्त बन्द हो जाता है।
                                                                                – नींबू रस की सहायता से फाड़े गये दूध के सेवन से कैसे भी भी दस्त हों बन्द हो जाते हैं। स्वाद के लिए शक्कर मिला सकते हैं।
                                                                                – नींबू रस व पानी का सेवन सिर चकराने में अच्छा लाभ पहुंचाता है।

                                                                                गौमूत्र-स्वास्थ्य के लिए वरदान


                                                                                गौमूत्र के बारे में कहा जाता है यह कई रोगों की दवा है। दो रोग अन्य चिकित्सा पध्दति से नियंत्रित नहीं होते वह गौमूत्र के सेवन से नियंत्रित हो जाते हैं। मातृ दुग्ध की तरह ही गौमूत्र भी मानव जाति के लिए वरदान हैं।
                                                                                क्या-क्या होता है गौमूत्र में- गौमूत्र में मानव शरीर के लिए सभी पोषक तत्व पाये जाते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर शरीर को स्वस्थ रखते हैं तथा शरीर के विभिन्न अंगों को नयी ऊर्जा व ताकत प्रदान करते हैं।
                                                                                क्या लाभ है सेवनं से- बुध्दि, मुख, आंख, श्वसन तंत्र, कर्ण रोग, त्वचीय रोग, किडनी व मूत्र प्रणाली, हार्मोन्स, विकृति पाचन तंत्र के रोग, आसानी से दूर हो जाते हैं। इसके अलावा

                                                                                1. गौमूत्र शरीर में व्याप्त विष को निष्कासित करता है।

                                                                                2. कैंसर, डायविटीज, पथरी जैसे कष्टदायी रोगों का शमन करता है।

                                                                                3. रक्त में डब्लू.बी.सी. की वृध्दि कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, यदि कोई रोग है तो उससे लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।

                                                                                4. शरीर के लिए नियमित आवश्यक तत्व चांदी, केल्शियम, लोहा, मैगनीज, सोडियम, तांबा, एंजाईज्म, एसिड प्रचुर मात्रआ में प्रदान करता है।

                                                                                5. गुस्सैल व्यक्तियों द्वारा इसका सेवन करने से मन-मस्तिष्क नियंत्रण में रहता है।

                                                                                6. इन दिनों मोटापा घटाने के तरह-तरह की रासायनिक दवाएं बाजार में उपलब्ध हैं जिनसे नुकसान के अलावा कुछ हाथ नहीं लगता। गौमूत्र का सेवन कीजिए तथा बिना किसी अन्य प्रभाव के फायदा उठाइए।

                                                                                7. दंत रोग में विशेष लाभदायी।

                                                                                8. हृदय रोगों को यह आसानी से ठीक करता है।

                                                                                9. कब्ज में इसे अवश्यय लें।
                                                                                गौमूत्र आजकल बाजारों में गौक्षरण, गौमूत्र, गौ अमृत के नाम से उपलब्ध है। जिसे आप खरीदकर भी सेवन कर सकते हैं।


                                                                                Featured post

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