बुधवार, 15 जून 2011

Health 19


ह्रदय रोग की सरल व अनुभूत चिकित्सा

  • १ कटोरी लौकी के रस में पुदीने व तुलसी के ७-८ पत्तों का रस, २-४ काली मिर्च का चूर्ण व १ चुटकी सेंधा नमक मिलाकर पियें l इससे ह्रदय को बल मिलता है और पेट की गड़बडियां भी दूर हो जाती हैं l
  • नींबू का रस, लहसुन का रस, अदरक का रस व सेवफल का सिरका समभाग मिलाकर धीमी आंच पर उबालें l एक चौथाई शेष रहने पर नीचे उतारकर ठंडा कर लें l तीन गुना शहद मिलाकर कांच की शीशी में भरकर रखें l प्रतिदिन सुबह खाली पेट २ चम्मच लें l इससे Blockage खुलने में मदद मिलेगी l
  • अगर सेवफल का सिरका न मिले तो पान का रस, लहसुन का रस, अदरक का रस व शहद प्रत्येक १-१ चम्मच मिलाकर लें l इससे भी रक्तवाहिनियाँ साफ़ हो जाती हैं l लहसुन गरम पड़ता हो तो रात को खट्टी छाछ में भिगोकर रखें l
  • उड़द का आटा, मक्खन, अरंडी का तेल व शुद्ध गूगल संभाग मिलाके रगड़कर मिश्रण बना लें l सुबह स्नान के बाद ह्रदय स्थान पर इसका लेप करें l २ घंटे बाद गरम पानी से धो दें l इससे रक्तवाहिनियों में रक्त का संचारण सुचारू रूप से होने लगता है l
  • १ ग्राम दालचीनी चूर्ण एक कटोरी दूध में उबालकर पियें l दालचीनी गरम पड़ती हो तो १ ग्राम यष्टिमधु चूर्ण मिला दें l इससे कोलेस्ट्रोल के अतिरिक्त मात्रा घट जाती है l
  • भोजन में लहसुन, किशमिश, पुदीना व हरा धनिया की चटनी लें l आवलें का चूर्ण, रस, चटनी, मुरब्बा आदि किसी भी रूप में नियमित सेवन करें l
  • औषधि कल्पों में स्वर्ण मालती , जवाहरमोहरा पिष्टि, साबरशृंग भस्म, अर्जुन छाल का चूर्ण, दशमूल क्वाथ आदि हृदय रोगों का निर्मूलन करने में सक्षम है l

गौ माता की महिमा

गाय से शरीर से जो सात्विक उर्जा निकलती है, उस घर या इलाके में गाय होने से बहुत साड़ी अशुभ चीजें दूर हो जाती हैं l गाय के शरीर में सुर्यकेतु नाड़ी होती है, जो सूर्य किरणों को पीती है, इसलिए गाये के गोबर व मूत्र में भी सात्विक पॉवर होता है l मरते समय भी गाय के गोबर का लीपन करके व्यक्ति को सुलाया जाता है l
  • कैसी भी जहरी दवाएं खायी हो, गौमूत्र थोड़े दिन पिये, Blockage खुल जायेगा और जहरी दवाओं का असर उतर जायेगा l
  • बच्चों को गाय की पूंछ का झाड़ा देने से ऊपर की आई हुई हवा या कुप्रभाव नाश होता है l
  • जिसको रात को ठीक से नींद न आती हो, वो मोर के पंख रख दे, सिरहाने के नीचे और "हरि ॐ" का गुंजन करे , नींद आने लगेगी l
  • जिसको बुरे स्वप्न आते हों वो बुरे स्वप्न न आयें इसका आग्रह छोड़ दें l पैरों को गाय का घी मल दें और सिर में थोड़ा हलकी मालिश कर दें किसी भी तेल की l
  • गाए के दूध से बनी दही शरीर पर रगड़कर स्नान करने से स्वास्थ्य, प्रसन्नता और दरिद्रता दूर हो जाती है l
  • चावल पानी में पका लें फिर गाय के दूध में डालकर खीर बना लें, ज्यादा मीठा और मेवा न डालें और फिर "ॐ" का १२० माला जप करें l ७ सप्ताह तक करें तो ७ जनम की दरिद्रता दूर हो जाती है और ७ जनम तक कुटुंब में दरिद्रता नहीं आती l
  • जिस रोग के लिए डॉक्टर ने मना कर दिया हो की ये रोग ठीक नहीं हो सकता, वो व्यक्ति घर में गाय पालें और चारा-पानी खुद खिलाये और स्नेह करें l गाय की प्रसन्नता उसके रोमकूपों से प्रकट होगी और आप अपने हाथ गाय की पीठ पर घुमाएंगे तो आपके हाथों की उँगलियों द्वारा वो प्रसन्नता, रोग प्रतिकारक शक्ति बढाएगी l २-४ महीने तक ऐसा करें l
  • काली गाय का घी बुढापे में भी जवानी ले आता है l हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाहट खाने की मनाही है तो गाए का घी खाएं, हार्ट मज़बूत बनता है l

किडनी व पेशाब की प्रॉब्लम में

६० साल के बाद पेशाब की तकलीफ होती है । पेशाब धीरे-धीरे आता है और पेशाब नली दब जाती है । प्रोटेस्ट ग्रंथि बड़ जाती है । पुनर्नवा का रस पीने से पेशाब खुल कर आएगा, किडनी नयी बन जाएगी । पुनर्नवा की सब्जी खाने से किडनी बढ़िया रहती है व पेशाब की प्रॉब्लम दूर होती है l


तुलसी के बीज
तुलसी के बीज एक चुटकी रात को भिगा दो और सुबह को ले लो l सारी बीमारियाँ दूर रहती हैं और बुदापे की कमजोरी भी नहीं रहती l दोपहर के भोजन के बाद जो पान खाते हों, वो पान में एक चुटकी तुलसी के बीज डालकर खाओ , बुढापा जल्दी नहीं आएगा |



खुजली में
खुजली में खुजलाना नहीं वरन शतघृत लगाना चाहिए | काँसे की थाली में घी और थोड़ा पानी डालकर १०० बार रगड़ो, ये शतघृत बन गया | खुजली पित्त व खून की खराबी के कारण होती है| खून की सफाई के लिए :-
  • खाली पेट टमाटर या खीर खाएं |
  • दो नींबू पानी में निचोड़ कर पियें |
  • त्रिफला फाँकें |

नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए

११ से १५ मिनट तक चंद्रमा को एकटक देखें और आँखों को पटपटायें और फिर देखें | शरद पूनम की रात को खीर बनाकर चंद्रमा की किरणों में रखें और चंद्रमा को एकटक देखते हुए जप करें | नेत्र ज्योति और स्वभाव में शीतलता बढती है |

नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए

२ से ५ ग्राम त्रिफला, घी और मिश्री चाटने से भी नेत्रज्योति बढ़ती है |

नाड़ी ब्लोकेज व हार्ट प्रॉब्लम में

दोनों हाथ की हथेलिओं को रगड़ते हुए "ॐ" जपें और छाती पर रखें | गोमूत्र ५० मिलीग्राम दो कपड़े में छानकर पियें | -५ दिन में आराम होगा |

किडनी की प्रॉब्लम व पेशाब की गड़बडी में

मकई के बाल ५० ग्राम, २ लीटर पानी में मसल दो | धीमी आंच पे उस पानी को उबालो | १ लीटर होने पर छानकर, पीने लायक होने पर पियें | २-५ दिन में आराम हो जायेगा |

सभी प्रकार की बीमारियों में

  • असाध्य रोगों में सुश्रुत भगवान् (आयुर्वेद ग्रन्थ रचयिता) ने प्राणायाम करके इस मंत्र का जप करने का बताया है :- "अच्युताय गोविन्दाय, अनंताय नाम भेषजाम नश्यन्ति सर्व रोगाणी, सत्यं सत्यं वदाम्यहम l"
  • सुबह सूर्य नारायण के सामने सिर को अच्छी तरह ढककर 7-8 मिनट पेट की तरफ और 8-10 मिनट धूप पीछे की तरफ लगे ऐसे बैठे, उसी में लम्बे श्वास लें और वज्रासन में बैठकर श्वास अंदर-बाहर (पेट अंदर ज्यादा और बाहर कम) करें l
  • दायें नथुने से श्वास लें और रोककर "नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमंत बीरा" मंत्र जपें, फिर बायें नथुने से श्वास छोड़ दें l इसी प्रकार बायें से श्वास लें और रोककर मंत्र जपें, फिर दाएं से छोड़ दें l ऐसे १० प्राणायाम करें और दो प्राणायाम सवा मिनट तक रोककर करें l

कमज़ोर बच्चों के लिए

कमज़ोर बच्चों को गाय के थन से सीधे ही धार बच्चे के मुंह में डालें | प्रतिदिन दो - चार धार बच्चे के मुंह में डालने से बच्चे का स्वास्थ्य धीरे-धीरे ठीक होने लगेगा |


शराब छुड़ाने का उपाय
जब शराब पीने की इच्छा हो तब किशमिश का १-१ दाना मुंह में डालकर चूसें | किशमिश का शरबत पीने से भी दिमाग को ताकत मिलेगी और धीरे-धीरे शराब छोड़ने की क्षमता आ जायेगी l साथ ही इस मंत्र का जप करें : - " ॐ ह्रीं यं यश्वराये नमः " अथवा जब शराबी निद्रा में हो तो कुटुम्बी उसकी चोटी वाले भाग में देखते हुए मन ही मन इसका जप करें l


वायु सम्बन्धी तकलीफ

वायु सम्बन्धी तकलीफ :-
गर्मी के दिनों में शरीर वायु संग्रह करता है और बारिश के दिनों में वायु प्रकोप होता है | वायु सम्बन्धी रोगों में :-
• १०० ग्रा.म. पुराना गुड व ५० ग्रा.म. हरड मिलाकर १-१ ग्रा.म. की गोलियां बना लें और १५ दिन तक सुबह-शाम चूसें और थोडा गुनगुना पानी पी लें l इससे गैस, अजीर्ण, कब्ज़ व बदहजमी में आराम होता है l
• १ लीटर पानी उबालें और जब ७५० मि.ली. हो जाए तो उतार लें और उसे पियें l इससे वायु सम्बन्धी बीमारियाँ दूर होती हैं l

Diabetes नियंत्रित करने के लिए

Diabetes नियंत्रित करने के लिए :-
१/२ किलो कच्चा करेला टुकड़े - टुकड़े करके तसले में डाल दें और अपने पैरों से १/२ से ३/४ तक तब तक रौंधे जब तक जीभ में कड़वाहट का अहसास ना हो l ७-१० दिन तक ये प्रयोग करें l इससे Diabetes नियंत्रित होती है l

स्मृतिशक्ति बढ़ाने हेतु प्रयोग
५ ममरी बादाम रात को भिगोकर सुबह छिलके उतारके पीस लें | २५० मि.ली. दूध में समभाग पानी, ११ काली मिर्च, पिसे हुए बादाम व मिश्री मिला लें | फिर मिलाया हुआ पानी जल जाने तक उबालें l गुनगुना होने पर 'ॐ श्री सरस्वत्यै नमः' मंत्र जपते हुए चुसकी लेते हुए पिये l इससे यादशक्ति व शारीरिक बल मिलता है l

सिरदर्द व गर्मी शमन हेतु

सिरदर्द होता हो या शरीर में गर्मी जैसा लगता हो, तो पैरों तले गाय का घी रगड़ना चाहिए |

गठिया और जोडों का दर्द
प्याज के रस को सरसों के तेल में मिलाकर मालिश करने से गठिया और जोडों का दर्द दूर होता है|

कब क्या न खाएं?

  • भादों और सावन में दही और मठा नहीं खाना चाहिए।
  • कार्तिक मास में करेला और बैगन नहीं खाना चाहिए
  • श्रावण में हरी सब्जियां (जैसे पालक) नहीं खाना चाहिए , (क्योंकि उनमें जंतु होते हैं)
  • भाद्रपद में दही नहीं खाना चाहिए
  • आश्विन में दूध और कार्तिक में दाल नहीं खाना चाहिए।
  • सूर्यास्त के बाद तिल की कोइ भी वास्तु का प्रयोग नहीं करनी चाहिए।
  • अमावस्या , रविवार और पूनम को तिल का तेल हानिकारक होता है
  • रविवार को तुलसी, अदरक, लाल मिर्च और लाल सब्जी नहीं खाना चाहिए।
  • आँवला रविवार, शुक्रवार और षष्ठी को नहीं खाना चाहिए।·
  • तृतीया तिथि को परवल नहीं खाना चाहिए (तृतीया को परवल खाने से शत्रुओं की वृद्धि होती है)·
  • चतुर्थी को मूली नहीं खाना चाहिए (चतुर्थी को मूली खाने से धन-नाश होता है)
  • अष्टमी को नारियल नहीं खाना चाहिए (अष्टमी नारियल खाने से बुद्धि कमजोर होगा, रातको नारियल नहीं खाना चाहिए)
  • त्रयोदशी को बैगन नहीं खाना चाहिए ( त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र नाश या पुत्र से दुख मिलता है)·
  • श्रावण में हरड़ और कार्तिक में मूली स्वास्थ्य के लिए अच्छा है (श्रावण में जठराग्नि कम होने से पेट के बीमारियाँ ज्यादा होती हैं, इसलिए हरड़ खाना चाहिए)
  • भाद्रपद में दूध या दूध से बनी हुई खीर स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, इससे शरीर का पित्त निकल जाता है

Holi Tips
  • होली के बाद खजूर नहीं खाना चाहिए, ये पचने में भारी होते है, इन दिनों में सर्दियों का जमा हुआ कफ पिघलता है और जठराग्नि कम करता है. इसलिए इन दिनों में हल्का भोजन करें, धाणी और चना खाएं, जिससे जमा हुआ कफ निकल जाये
  • इन दिनों में १५-२० दिन सुबह १५-२० नीम के पत्ते और काली मिर्च चबा-चबाकर खाने से चर्म रोग दूर होते हैं. भोजन में नीम का तेल उपयोग करने से भी लाभ होता है.
  • होली के दिनों में १५-२० दिन तक नमक न खाएं, अथवा कम कर दें, इससे वर्ष भर स्वास्थ्य में मदद मिलती है
  • इन दिनों में पलाश/केसुडे/गेंदे के फूलों के रंग से होली खेलने से शरीर के ७ धातु संतुलन में रहते हैं, इनसे होली खेलने से चमड़ी पर एक layer बन जाती है जो धूप की तीखी किरणों से रक्षा करती है.
  • होली के दिन १५-२० min. सूर्यस्नान बहुत लाभकारी होता है, जरुर करना चाहिए
  • होली की रात जप-ध्यान करने से अनंत्गुना फल होता है.

काली मिर्च
लाल मिर्च ज्यादा नहीं खाना चाहिए, थोडा बहुत भोजन में काली मिर्च हो तो नाड़ी-शुद्धि होती है लाल मिर्च से पित्त की बीमारी बनती है भगवान् ने पैसा दिया है तो भोजन में काली मिर्च खाएं

खट्टी चीज़ खाने से

खट्टी चीज़ खाने से आँखें जलती हैं और स्वभाव बिगड़ता है, गुस्सा आता है, अकारण जलन होती है

दही कैसी खाना?

दही खट्टा दुश्मन को भी नहीं खिलाना और दही खाने से तो नाड़ियों में blockage होता है बड़ी उम्र में; दही को मथ के लस्सी बनाओ फिर मक्खन सब खा लो; लस्सी पी सकते हैं, दही नहीं, और दही खट्टा तो बहुत नुकसान करता है

रक्त-पित्त

रक्त-पित्त की तकलीफ है तो गुलाब जल में किशमिश भीगा कर खाए; तकलीफ शांत होती है;

करेला सेवन

हफ्ते में एक दिन करेला खाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा है (कड़वा रस भी शरीर के स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है )

तिल का तेल कब नहीं खाना चाहिए?

अमावस्या और रविवार को तिल का तेल नहीं खाना चाहिए

For strong teeth

रात को नमक - सरसों के तेल से रगड़कर सोयें, तो दांत मज़बूत रहते हैं

Caution on Sunday

रविवार को अदरक, टमाटर, लाल रंग के कपड़े, गुस्सा बढ़ाते हैं 
अदरक को फ्रिज (refrigerator) में नहीं रखा जाता

AC Cooler Direction

पश्चिम दिशा में air-conditioner (a।c.)/cooler से बीमारी होगी

Sleeping related tips

  • शयन करने से १-२ घंटे पहले हाथ पैर धो लेने चाहिए रात को गीले पैर नहीं सोना चाहिए
  • रात्रि को स्नान नहीं करना चाहिए (महिलाएं मासिक धर्म के दौरान कर सकती हैं)
  • ceiling fan के नीचे नहीं सोना चाहिए, नहीं तो गठिया का रोग हो जाता है; खिड़की खोलकर सोयें, अथवा तो table fan से थोडी हल्की हवा आती रहे;
  • रात को सोने से पहले भगवन्नाम की पुनावृत्ति करें; हास्य प्रयोग करें और हाथ ऊपर करें - भगवान् की शरणागति - हम जैसे तैसे हैं, तुम्हारे हैं; इस प्रकार सोते समय भावना करें कि हम भगवान् की गोद में जा रहे हैं
  • सुबह उठकर थोडी देर शांत बैठें; कोई परेशानी हो, तो गुरुमंत्र का जप करें भूमध्य में देखते हुए; इस प्रकार गुरुदेव के साथ मानसिक contact कर लें, फिर निर्णय लें;
-25th Jan'09, Vrindavan
. सोते समय सिराना (pillow) पूर्व या दक्षिण दिशा में होना चाहिए उत्तर या पश्चिम दिशा में सिराना है तो रोग, चिंता बढ़ेंगे

Speak the truth

सत्य बोलने से लक्ष्मी, प्रसन्नता, आरोग्य और भगवत प्राप्ति हो जाती है; झूठ बोले तो तीन दिन उपवास करें, ईश्वर से प्रार्थना करें, क्षमा मांगें;

असत्य बोलने के पाप से प्रकृति फिर ऐसी योनि देगी जिस में वाणी नहीं मिलेगी - भैंसा/कुत्ता बन गए; वाणी का दुरूपयोग न हो; सत्य, मधुर, हितकर, सारगर्भित, प्रसंगोचित, सामने वाला भगवान की तरफ लगे या उनका ज्ञान बढ़े ऐसा विचार कर बोलें; शत्रु के प्रति भी कटु वचन का प्रयोग नहीं करना चाहिए

कान की तकलीफ

सरसों का तेल डालने से सौ साल तक ठीक से सुन सकते हैं; प्याज़ का रस दाल दे, अगर कोई बहरा हो गया हो तो

सूर्य स्नान

आठ मिनट पेट के बल पर सुबह के सूर्य की किरणें लें; दस मिनट पीठ के बल पर सूर्य की किरणें लें; सिर ढका रहे; इस प्रकार सूर्य की किरणों में शरीर को स्नान कराओ; इसके बराबर की कोई औषधि दुनिया में नहीं है; इस प्रयोग से रोग ऐसे भागेंगे जैसे सूर्योदय होने से अन्धकार भागता है

पेशाब सम्बन्धी तकलीफें

जौ का आटा की रोटियां खाओ पेशाब सम्बन्धी तकलीफें दूर होते हैं।

पौष्टिक आटा
गुरुदेव ने आटा को पौष्टिक बनने के लिए निम्नलिखित composition बताया है:
गेहूं - ५ kg
सोयाबीन - १ kg
मक्का - १ kg
जाऊ - १ kg
इसके अलावा अपने रूचि और पाचन के अनुसार बाजरी भी डाल सकते हैं।


स्नान

गो-झरण से स्नान कराने से रोग नष्ट होंगे पाप नष्ट होंगे…स्नान में गो-झरण डाले…पंचगव्य से स्नान करने से पापनाशिनी उर्जा मिलती है

कभी बिलि के पत्ते से स्नान करो , कभी उबटन का स्नान करो..कभी गो-झरण का स्नान करो तो कभी दही लगा के स्नान करो… दही लगाके स्नान करने से लक्ष्मी प्राप्ति होती है ..ये सभी शरीर के लिए है….शरीर स्वस्थ रख के अंतरात्मा में आने के लिए ये सब है…

भूख लगाने के लिए

इन दिनों में अदरक , खजूर , सैंधा नमक और मिर्च की चटनी बना के भोजन से पहले खाए तो भूख अच्छी लगेगी॥

Health 18


आंवला प्रयोग

१०-२० मि.ग्रा. आंवले का रस कद्दूकस करके या मिक्सी में डालकर निकाल लें या २ किलो आंवले धोकर कुक्कर में डाल दो l पानी नहीं डालना है (१ घूँट डाल सकते हैं ) और धीमी आंच पर रख दें l आधी सीटी लगने पर उतार लें l फिर उसके बीज निकाल कर मावा बना दिया (घी में भी सेंक सकते है) l वो मावा फ्रिज में रख दिया l २० ग्राम रस बने, उतना मावा लेकर उसमे २ ग्राम अश्वगंधा चूर्ण मिला दो और सुबह खाली पेट लो और २ घंटे तक कुछ ना खाओ l गजब का वीर्यवान शरीर बनेगा l धातु क्षय व धातु दुर्बलता में बहुत फायदा होगा l इस मावे में राई का बघार देकर, धनिया, पुदीना आदि मिलाकर चटनी भी बना सकते हैं और भोजन के समय ले सकते हैं l

वर्ष भर निरोग रहने के लिए
वर्ष के प्रथम दिन आसोपाल (अशोक के पेड़ के पत्ते) के और नीम के पत्तों का तोरण लगायें और वहां से गुजरें तो वर्षभर खुशहाली और निरोगता रहेगी l

सभी बीमारियों में तुलसी प्रयोग
बड़े लोगों के लिए २५ से १०० तुलसी के पान और छोटों के लिए ५ से २५ तुलसी के पान, उसका रस निकाला, फिर गुड़ अथवा शहद मिला दें और सुबह खाली पेट ले लो l २ से २ १/२ घंटे तक दूसरा कुछ ना लो l ऐसा २-३ महीने करो l तुम्हारे शरीर को जैसे गोदाम में बिल्ली भर दिया, तो चूहों को खोज - खोज के उनका सफाया करती है, ऐसे ही शरीर की, मन की, मति की, गति की जो बीमारियाँ हैं, उन्हें खोज-खोज के ये तुलसी का प्रयोग निकाल देगा l
अगर और बढ़िया स्वास्थ्य लेना हो तो दही ३.५ से ४ घंटे में दही जम जायेगी, इस बोलते हैं मीठी दही (खटास रहित दही) फिर दोपहर को और शाम को, दिन में ३ बार और भी ले सकते हैं l २५ से १०० तुलसी के पान का रस.......... कैसा भी भयंकर कैंसर हो भाग जायेगा l


अश्विनी मुद्रा

बिस्तर से उतरें, नीचे धरती पर चटाई-कम्बल आदि बिछा दिया l पूर्व की तरफ सिर कर दिया l श्वास बाहर फेंक दिए, पेट को अन्दर-बाहर २-५ बार किया l योनी को संकोचन-विस्तरण २५ बार करो l फिर श्वास ले लो l फिर श्वास बाहर फेंको और शौच जाने की जगह को, जैसे घोड़ा लीद छोड़ता है, संकोचन-विस्तरण करता है, ऐसे करो l ऐसे ४ श्वास लेकर करो तो १०० बार हो जायेगा l इसे बोलते हैं अश्विनी मुद्रा जो की त्रिदोषनाशक है l बवासीर और कब्ज़ में अदभुद लाभ होता है l स्वप्नदोष आदि में भी फायदा करता है l इससे बुद्धि में इजाफा होगा l कर्तित्व में आप सक्रिय हो जायेंगे l आपका मूलाधार केंद्र प्रभावशाली होगा l स्वाधिष्ठान केंद्र विकसित होगा l कुण्डलिनी जागरण में मदद मिलेगी l ध्यान भजन में बरकत होगी l
दाढ़ी (ठोडी) के बीच में जो खड्डा है, उसे दबाने पर भी कब्ज़ में फायदा होगा l

जीवन से शुष्कता मिटाने के लिए व ख़ुशी लाने के लिए

तृप्ति प्राणायाम - इसकी खोज महर्षि च्यवन ने की है
पहले दायें बायें से श्वास लिया छोड़ा 10 बार (अनुलोम विलोम); बाद में दोनो नथूनों से शुद्ध हवामान में श्वास भरा; और गुरु मंत्र एक बार जपा और आनंद आनंद चिंतन किया और फूँक मार के अशांति, अतृप्ति को बाहर फेंक दिया; पूरा श्वास भरा और एक दो बार गुरु मंत्र जपा और श्वास मुँह से निकाल दिया, 50-100 बार ऐसा करो; आपके जीवन में उसी समय तृप्ति प्रसन्नता होने लगेगी , 

शारीरिक कमजोरी, बल वृद्धि व अन्य रोगों में

1. 10 ग्राम काले तिल चबा लो, और ठंडा पानी पियो; 2 घंटे तक कुछ खाओ पियो नहीं l इससे शरीर के कमजोरी मिटकर शरीर मजबूत होगा l दांत व मसूड़े मज़बूत होंगे, मस्तक मज़बूत होगा ल२
2.चना, मूँगमोठ यह सब मिलाकर एक कटोरीएक मुट्ठी भर मूँगफली व एक चम्मच तिल (काले हों तो उत्तम) रात भर पानी में भिगोकर रखें। सुबह नमक मिलाकर भाप लेंउबाल लें। इसमें हरा धनियापालक व पत्तागोभी काटकर तथा चुकंदरमूली एवं गाजर कद्दूकश करके मिला दें। ऊपर से काली मिर्च बुरककर नींबू निचोड़ दें। चार व्यक्तियों के लिए नाश्ता तैयार है। इसे खूब चबा-चबाकर खायें। यह नाश्ता सभी प्रकार खनिज-द्रव्योंप्रोटीन्सविटामिन्स व आवश्यक कैलरीज की पूर्ति करता है। जिनकी उम्र 60 साल से अधिक है व जिनकी पाचनशक्ति कमजोर हैउनको नाश्ता नहीं करना चाहिए।
दोपहर के भोजन के बाद एक या दो पके केले खायें, बच्चे मजबूत होंगे l
नोट: केले खाने के बाद, केले के छिलके पर जो गिरी होती हैं (सफ़ेद) उसे खाने से केला हज़म होता है ।
3. लोहे के बर्तन में पानी गरम करो, फिर पीने लायक हो वो पिया करो; इस से haemoglobin बढ़ेगा; दूध भी उसी में उबालो, दाल भी उसी में बनाओ; इस से भी खून बनेगा;
4. दो छुआरे (एक व्यक्ति के लिए) धो के, बीज निकाल के, दूध में डाल दो l दूध में पानी डालो l धीमी आँच पर दूध उबालें l धीमी आँच में वो छुआरे उबलेंगे l
हेमंत ऋतु: 23 अक्टूबर - 20 दिसम्बर तक है; इन दिनों शरीर को बनाने वाले भोजन करना चाहिए l
200 ग्राम दूध है (छुआरे वाला),
उसमें अगर 200 ग्राम पानी डालो तो वो दूध पित्त-नाशक हो जाएगा;
उसमें अगर 100 ग्राम पानी डालते हो तो वायु नाशक हो जाएगा;
उसमें अगर 300 ग्राम पानी डालते हो तो कफ नाशक बन जाएगा;
धीमी आँच पर छुआरे वाला दूध आप उबालो; वो छुआरे खा लो और दूध पी लो l
आपके चेहरे पर सौन्दर्य, कांति, वीर्य की पुष्टि, हृदय और फेफड़े का बल, और महिलाएँ पियें तो अनियमित मासिक धर्म की गड़बड़ी दूर होगी और भाई पियें तो स्वप्न दोष, रक्तचाप (ब्लड प्रेशर), कमर का दर्द, मनकों की गड़बड़, मनकों की गैप, कब्जियत आदि की शिकायत दूर हो जाएगी, बाल घने और लंबे होने लगेंगे l अगर रात को ऐसा दूध पीते हो तो स्वर सुरीला होगा और रात्रि को कुछ बच्चे बिस्तर बिस्तर गीला कर देते हैं - ऐसे बच्चे या ऐसे लोगों के लिए भी यह छुआरे वाला दूध आशीर्वाद रूप हो जाएगा l

शिशु व बालक सम्बन्धी बातें
बालक जन्मते ही दाई या नर्स बच्चे को नहलाकर पिता की गोद में बचे को दे और पिता बच्चे के कान में निम्नलिखित मंत्र बोले -
७ बार ॐ का उच्चारण करके "अस्मा भव" तू चटान की नाई अडिग रहना l
७ बार ॐ का उच्चारण करके "परशु भव" तू कुल्हाड़े की नाई विघ्न बाधा को काटने वाला बनना l
७ बार ॐ का उच्चारण करके "हिरन्यस्तुम भव" तू चैतन्य अमर आत्मा है, तुझे कोई दोष ना लगे l
फिर माँ दूध पिलाने से पहले शहद और घी विमिश्रण करके सोने की सलाई से बच्चे की जीभ पर "ॐ" लिखे, फिर उसे दूध पिलाये l
जन्म से २ साल तक शैशव अवस्था होती है - शैशव काल में बच्चा जब हाथ-पैर हिलाने लगे तो उसे गोद में ज्यादा नहीं लेना चाहिए, इससे बच्चों के विकास में बड़ी हानि होती है l हाथ पैर चलने दें, बच्चा मजबूत बने l उसकी प्रतिभा विकसित करने के लिए उसे हँसते-खेलते रखना चाहिए l उसकी अनुकूल वस्तुएं दिलानी चाहिए, नहीं दे सकते तो बोलना चाहिए, चिंता नहीं, आ जायेगी, उसको निषेधात्मक नहीं बोलना चाहिए l उसे पेट की बीमारियाँ ना हों, ये ध्यान रखना चाहिए, अगर पेट की तकलीफ है तो पपीते के बीज २-३ कूट के पिलायें अथवा तुलसी के बीज कूट दें फिर १/४ चुटकी चूर्ण, रात को भिगो कर सुबह पिलायें l
२-५ साल तक उसके मन में जिज्ञासा (जानने की वृति) फूटती है l जो वह पूछे उसे उत्साह से उत्तर दें और उसके सामने प्रश्न लायें जिससे उसकी प्रतिभा विकसित हो l उसे रात को कहानियों के माध्यम से जानने की वृति और विचार की शक्ति पैदा करें l




दूध-माखन व त्रिफला प्रयोग
त्वचा में खुजली की बीमारी होती है तो त्रिफला ५-७ ग्राम रात को थोड़ा पानी से फांक लें l कई लोगों को गाल पे दाग-दाग हैं, तो १ ग्लास दूध और १०-२० ग्राम माखन (खारा नहीं होना चाहिए) l माखन को पानी में २-४ बार अच्छी तरह से धो के दूध में मिला दें l १-२ बार हिला दें और पियें तो चेहरे पर जो दाग-दागे होते हैं, बादल जैसे (झाइयाँ), वो सब ठीक हो जायेगा l गर्भिणी स्त्री ऐसा दूध पियें तो बालक एकदम लाल-लाल टमाटर जैसा पैदा होता हैl

नींबू-अदरक

फ्रिज में नींबू नहीं रखना चाहिए l अगर रखें भी तो जिस दिन काम में लाना है तो ६ घंटे पहले नींबू बाहर निकाल कर रखें, नहीं तो गर्म पानी में डालकर फिर रस निकालें तो ज्यादा रस निकलेगा l ठंडे नींबू में से रस इतना नहीं निकलता, जितना बाहर रखे नींबू से निकलता है l अदरक भी फ्रिज में रखने से उसका प्रभाव कम हो जाता है l

Heart व वायु सम्बन्धी बीमारियों में
नींबू वायुनाशक होता है l जठराग्नि को भूख लगाने में मदद करता है l पाचन करता है l पेट में कृमि हों, विष हो उसको भी दूर करता है l पेट की खराबी को दूर करता है l ह्रदय व लीवर को मदद करता है l वात-पित-कफ त्रिदोषनाशक है l त्वचा के विकार दूर करता है l ३० पत्ते तुलसी के उसको घोट दिया l १ गिलास गुनगुना पानी व नींबू पी लें l हफ्ते में या १५ दिन में १ बार पी लें lBlockage कभी होने वाला नहीं, ब्लड सिर्कुलेशन अच्छा होगा, हार्ट मज़बूत बनेगा l हार्ट अटैक नहीं होगा व bye-Pass surgergy नहीं करानी पड़ेगी l कमर दर्द दूर होकर शरीर फुर्तीला होगा l मोटे लोग हफ्ते में २ बार पियें , ठीक-ठाक लोग हफ्ते में १ बार पियें व दुबले पतले लोग १५ दिन में १ बार पियें l बायाँ श्वास चले तब पियेंगे तो अमृत तुल्य लाभ होगा l

Swine Flu
नीम के पत्ते हटाकर जो उसकी डाली होती है ना... डंठली.. वो ११ डंठली (बच्चा है तो  औरमोटा है तो २१और ढाई काली मिर्च लेकर पत्थर पे जैसे चटनी बनाते हैं ना, (ऊपर ऊपर काजो छिलका है वो तो निकल जायेगागिरी गिरी बचेगी), वो चाट लें और पानी पी लें l तुलसीके पत्ते कभी खा लेंफ्लू में आराम होगा l

Diabetes

भिन्डी के पौधे सूखे होते हैं, उनको कूट दो, मैदा छान कर लो l १/२ चम्मच पाउडर और शक्कर मिलाकर, पानी से पी लो l इससे भी Diabetes कण्ट्रोल होती है l

गंजापन
जिनके टाल आ गयी है वो खुशखबरी सुन लें l भैंस के दूध में त्रिफला चूर्ण मिलाकर सिर में लेप कर दीजिये l सफ़ेद बाल काले होने लगेंगे और जो गंजे हैं, उनकी टाल पर भी बाल आने लगेंगे l


Cholestrol problem
दूध पीते हैं तो उसमे ज़रा सा तज (दालचीनी) डाल दो, कोलेस्ट्रोल कण्ट्रोल होगा l

धातु सम्बन्धी बीमारियों में :-
  • चने की दाल भिगा दिया सुबह, भोर में और रात्रि को चने की डाल और थोड़ी शक्कर मिलाकर खाएं और फिर दूध न पियें, पानी न पियें, एकाध घंटे बाद सो जाएँ l धातु की दुर्बलता दूर होती है, ब्रह्मचर्य पालने में मदद मिलती है l
  • जामुन की गुठली सुखा, छाया में और फिर उसका पाऊडर बना के रख दें l ४-४ ग्राम सुबह-शाम पाऊडर फांकें l स्वप्नदोष की, धातु क्षय की बीमारियाँ दूर होती हैं l




    भोजन करने की विधि
भोजन के पहले हाथ-पैर और मुंह धो लेना चाहिए l फिर भोजन करने बैठे .... भगवान की सत्ता से अन्न बना है......... भगवान की सत्ता से पानी.......भगवान की सत्ता से सूरज l भगवान की कृपा से भोजन आया .........."ॐ परमात्मने नमः" ......... भगवान को हम नमन करते हैं l फिर भोजन खाएं तो भगवान का नाम लेकर....... भगवान तुम्हारा दिया हुआ भोजन, तुमको ही में भोग लगाता हूँ l मुंह तो अपना खोलो और भोग भगवान को लगाओ l ये प्रसाद हो जायेगा, बुद्धि पवित्र कर देगा l

राग और ताल की महिमा
राग और ताल सुनने से बहुत सी बीमारियाँ दूर होती हैं :-
  • राग मारवा और राग भोपाली से आंतों की बीमारियाँ दूर होती हैं l
  • राग आसारी से मस्तक के रोग दूर होते हैं l
  • राग भैरवी से सिरदर्द ठीक होने लगता है l
  • राग सोहनी से सिरदर्द और मरुरज्जू (रीड़ की हड्डी में जो मनके घिस गए, वो ठीक होने लगते हैं l)
  • राग वसंत और राग सोरट से नपुंसकता दूर हो जाती है l


    खाने का समय
सुबह ११ बजे से २ बजे तक जठरा तेज होती है, २ बजे से पहले खा लें l शाम को सूर्यास्त से पहले खा लें, नहीं तो जितनी देर से खायेंगे उतना मन्दाग्नि, गैस, बदहाजमा होगा l फिर भी रात ८ बजे तक खा लें l ८ के बाद खाना हो तो कम खाएं l रात ९ बजे के बाद केवल दूध पियें और ९.३० के बाद दूध भी कम कर दें l

कैंसर में

सुबह मंजन करने के पहले बासी मुंह, १ तोला (१२ मि. ग्रा.) गौझरण पियें, थोड़े दिन में कैंसर की बीमारी मिट जायेगी l

होंठ फटने पर
नाभि में सरसों के तेल की २-४ बूंदे डालें तथा जरा से मक्खन में नमक मिलाकर होंठों पर लगायें इससे लाभ होता है l 

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