मंगलवार, 5 जुलाई 2011

घाव कितना भी गहरा हो... नामोनिशान मिटा देंगे ये देशी नुस्खे

घाव भरने के लिए एन्टीबायोटिक्स अंग्रेजी दवाइयां लेने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि अधिकांश अंग्रेजी दवाइयों के हानिकारक साइड इफेक्ट्स होते हैं। किसी भी प्रकार का घाव हुआ हो, टांके लगवाये हों या  शल्यक्रिया (ऑपरेशन) का घाव हो, अंदरूनी घाव हो या बाहरी हो, घाव पका हो या न पका हो लेकिन आपको प्रतिजैविक लेकर जठरा, आंतों, यकृत एवं गुर्दों को साइड इफेक्ट द्वारा बिगाडऩे की कोई जरूरत नहीं है बल्कि नीचे दिये जा रहे आसान घरेलू उपायों को अपनाकर किभी भी तरह के गहरे से गहरे घाव को जड़ से मिटाया जा सकता है-

- घाव को साफ  करने के लिए ताजे गोमूत्र का उपयोग करें। बाद में घाव पर हल्दी का लेप करें।

- एक से तीन दिन तक उपवास रखें। ध्यान रखें कि उपवास के दौरान केवल उबालकर ठंडा किया हुआ या गुनगुना गर्म पानी ही पीना है, अन्य कोई भी वस्तु खानी-पीनी नहीं है। दूध भी नहीं लेना है।

- उपवास के बाद जितने दिन उपवास किया हो उतने दिन केवल मूंग को उबाल कर जो पानी बचता है वही पानी पीना है। मूंग का पानी धीरे-धीरे गाढ़ा करके लिया जा सकता है।

- मूंग के पानी के बाद धीरे-धीरे मूंग, खिचड़ी, दाल-चावल, रोटी-सब्जी इस प्रकार सामान्य खुराक पर आना चाहिये। 

- कब्ज की शिकायत हो तो रोज 1 चम्मच हरड़ का चूर्ण सुबह अथवा रात को पानी के साथ लें।

- जिनके शरीर की प्रकृति ऐसी हो कि घाव होने पर तुरंत पक जाता हो, उन्हें त्रिफ ल गूगल नामक 3-3 गोलीदिन में 3 बार पानी के साथ लेनी चाहिए।

- सुबह 50 ग्राम गोमूत्र तथा दिन में 2 बार 3-3 ग्राम हल्दी के चूर्ण का सेवन करने से बहुत जल्दी लाभ होता है। 

- पुराने घाव में चन्द्रप्रभा वटी की 2-2 गोलियां दिन में 2 बार लें। 

- जात्यादि तेल अथवा मलहम घाव पर लगाएं इससे घाव सीघ्र ही भरने लगेगा।

5 पत्तियों के ऐसे गुणों को जानकर बोल उठेंगे... ओह! वाकई कमाल है

सामान्य से दिखने वाले तुलसी के पौधे में अनेक दुर्लभ और बेशकीमती गुण पाए जाते हैं। आइये जाने कि तुलसी का पूज्यनीय पौधा हमारे किस-किस काम आ सकता है-

- डेली 5 पत्तियां सुबह खाली पेट चूंसने से बीमार होने की संभावना काफी हद तक समाप्त हो जाती है, क्योंकि इससे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कई गुना बढ़ जाती है।

- शरीर के वजन को नियंत्रित रखने में तुलसी बेहद कारगर और गुणकारी है।

- इसके नियमित सेवन से भारी व्यक्ति का वजन घटता है एवं पतले व्यक्ति का वजन बढ़ता है यानी तुलसी शरीर का वजन आनुपातिक रूप से नियंत्रित करती है।

- तुलसी के रस की कुछ बूंदों में थोड़ा-सा नमक मिलाकर बेहोंश व्यक्ति की नाक में डालने से उसे शीघ्र होश आ जाता है। - चाय बनाते समय तुलसी  के 4-5 पत्ते साथ में उबाल लिए जाएं तो सर्दी, बुखार एवं मांसपेशियों के दर्द में तत्काल राहत मिलती  है।

- 10 ग्राम तुलसी के रस को 5 ग्राम शहद के साथ सेवन करने से हिचकी एवं अस्थमा के रोगी को ठीक किया जा सकता है।

- तुलसी के काढ़े में थोड़ा-सा सेंधा नमक एवं पीसी सौंठ मिलाकर सेवन करने से कब्ज दूर होती है।

- दोपहर भोजन के पश्चात तुलसी की पत्तियां चबाने से पाचन शक्ति मजबूत होती है।

- 10 ग्राम तुलसी के रस के साथ 5 ग्राम शहद एवं 5 ग्राम पिसी कालीमिर्च का सेवन करने से पाचन शक्ति की कमजोरी समाप्त हो जाती है।

- दूषित पानी में तुलसी की कुछ ताजी पत्तियां डालने से पानी का शुद्धिकरण किया जा सकता है।

रविवार, 3 जुलाई 2011

अगर शरीर के जोड़ों में हो बहुत दर्द

यदि आप जोड़ों के दर्द से परेशान हैं तो घबराने की जरूरत नहीं है, आयुर्वेद के कुछ उपाय आपको दर्द से निजात दिलाने में कारगर होंगे:-

- सौंठ,मरीच एवं पिप्पली का प्रयोग त्रिकटु के रूप में १/२ चम्मच नित्य गुनगुने पानी से प्रयोग जोड़ों के दर्द में राहत देता है।

- अरंडी की जड़ का चूर्ण १/२-१ चमच्च लेने से भी गठिया के रोगियों में चमत्कारिक लाभ मिलता है।

- यदि जोड़ों का दर्द बहुत पुराना हो तो बालू की पोटली का सेक भी सूजन से राहत दिलाता है।

- प्रारंभिक अवस्था में यदि जोड़ों के दर्द की शुरुवात हुई हो तो अरंडी के तेल के मालिश भी अत्यंत प्रभावी होते है।

- केवल सौंठ का प्रयोग भी पुराने से पुराने जोड़ों के दर्द में लाभ देता है।

- अश्वगंधा,शतावरी एवं आमलकी का चूर्ण जोड़ों से दर्द के कारण आयी कमजोरी को दूर करता है।

- दशमूल का का काढा भी १०-१५ एम्.एल. की मात्रा में जोड़ों के दर्द में लाभ पहुंचाता है।

- जोड़ों के दर्द के साथ यदि सूजन हो तो एरंडी एवं निर्गुन्डी के पत्तों की सिकाई दर्द एवं सूजन को कम करती है।

- यदि गठियावात (आर्थराईटिस) के दर्द का कारण RHEUMATOID फेक्टर हो तो गुग्गुलु का प्रयोग चिकित्सक के परामर्श से करना चाहिए।

- गठियावात के कारण उत्पन्न जोड़ों के दर्द में पंचकर्म चिकित्सा अत्यंत प्रभावी है।

कुछ छोटी -छोटी बातों एवं सावधानियों का ध्यान रखकर हम जोड़ों के दर्द से रहत पा सकते हैं। 

- यदि जोड़ों के दर्द का कारण यूरिक एसिड का बढ़ना है तो भोजन में प्रोटीन की मात्रा कम कर देनी चाहिए।

- सूजन की अवस्था में आसनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

- गठिया की प्रारंभिक अवस्था में योग एवं प्राणायाम का नित्य प्रयोग संधिवात के कारण उत्पन्न जोड़ों के दर्द को कम करता है।

- गठिया के रोगियों को तले भुने भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।

- जोड़ों के दर्द में भोजन में उड़द की दाल भिन्डी बैगन एवं अचार का सेवन वर्ज्य है।

- हरी पत्तेदार एम रेशेदार फल सब्जियां योगी के कब्ज को ठीक कर जोड़ों के दर्द में लाभ पहुंचाती है।

इन आयुर्वेदिक उपायों से खुशहाल बना सकते हैं दाम्पत्य को...


आज के समय में युवा पीढी विज्ञापनों के भंवरजाल में पड़कर यौन सम्बन्धी कई भ्रांतियों को पाल बैठती है। आयुर्वेद में इन सभी का समाधान उपलब्ध है। विवाह संस्कार को सोलह संस्कारों में एक महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है तथा विवाह उपरान्त सेक्स का उद्देश्य संतानोत्पत्ति के लिए माना गया है।

यौन क्षमता को बढाने के लिए वाजीकारक द्रव्यों के सेवन का निर्देश है तथा स्त्री को श्रेष्ट वाजीकारक बताया गया है। संतानहीन पुरुष को सूखे पेड़ की संज्ञा दी गयी है अर्थात संतति को आगे बढाने के लिए प्रचुर यौन क्षमता क़ी आवश्यकता को आयुर्वेद ने भी माना है एवं इसे बढाने के लिए कुछ सरल नुस्खे भी बतलाये हैं जिनका सयंमित प्रयोग केवल यौन क्षमता को बढाने में ही कारगर नहीं है , बल्कि यौन सम्बंधी विकृतीयों को भी दूर करता है।

आइये इन्हें आजमायें और अपने वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाएं।

- अश्वगंधा,शतावरी एवं सफ़ेद मुसली के चूर्ण को सम मात्रा में मिलाकर १/२ से एक चमच्च लेना यौन क्षमता को बढाता है।

- उड़द क़ी दाल क़ी खिचड़ी के साथ गर्म दूध का प्रयोग यौन क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है।

- कौंच के बीज का चूर्ण,शतावरी एवं दुग्ध के साथ मात्रा में प्रयोग से कामोत्कर्ष (ओर्गास्म) कई गुना बढ़ जाता है।

- सुमधुर संगीत एवं तनाव मुक्त शयन कक्ष भी यौन क्रीडा को आनंदित बनाता है।

- शिलाजीत क़ी निश्चित मात्रा का दुग्ध एवं शहद के साथ सेवन यौन क्षमता को बढाने में कारगर होता है।

- नित्य आसनों का अभ्यास जननांगों में रक्त के प्रभाव को बढ़ा कर प्राकृतिक रूप से उनको सक्रिय बना देता है जिसे यौन क्रीडा का आनंद मिलता है।

- नित्य अभ्यंग (मालिश ) एवं स्नान भी यौन क्षमता को बढाने में मददगार होते हैं।

- पीपल के कोपलों के दुग्ध का प्रयोग अलग - अलग नासिका में करना यौन क्षमता को बढाने के साथ उत्तम संतति प्राप्त करने में मददगार होता है।

- आयुर्वेद में अकाल,ग्रहण एवं आपदाओं के समय यौन सम्बन्ध बनाने को निषिद्ध किया है।

अतः यौन क्षमता सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए ही आवश्यक न होकर गृहस्ताश्रम को सुचारू एवं सफलता पूर्वक चलाने के लिए भी आवश्यक है।
 

90 दिनों तक कमर कस लें... दुबलापन नहीं रहेगा

कोई तन से दुखी, कोई मन से दुखी तो कोई दुखी बिन धन के......इस संसार में पूरी तरह से सुखी व्यक्ति को खोजना बड़ा मुश्किल काम है। किसी के पास भरपूर धन है तो शरीर रोगों का अड्डा बना हुआ है। पूरी तरह से स्वस्थ और परफेक्ट शरीर वालों के पास धन की इतनी कमी है कि उनके चारों और दीनता-दरिद्रता ही टपकती नजर आती है।

मनुष्य की खाशियत ही यह है कि वह किसी भी चुनौती के सामने घुटने नहीं टेकता।  दुबलेपन को जहां कुछ लोग आनुवांशिक यानी खानदानी समस्या मानते हें तो वहीं साहसी और आशावादी लोगों ने इसका भी उपाय खोज निकाला है।

आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और योग के सम्मिलित प्रयासों से दुबलेपन की समस्या का 100-फीसदी कारगर उपाय खोज निकाला गया है। ये बेहद सरल उपाय ये हैं-

- अध्वगंधा और शतावर का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलकार 1 से 2 चम्मच प्रतिदिन शुद्ध दूध के साथ सोने से 

   कुछ देर पहले लें।

- दूध में उबालकर प्रतिदिन 5 छुवारे यानी खारक का सेवन करें।

- एक गिलास में दो चम्मच शहद मिलाकर प्रतिदिन सेवन करें।

- भोजन में सलाद, नाश्ते में अंकुरित अन्न, तथा फलों का प्रयोग प्रारंभ करें।

- यथा संभव नशीले पदार्थों चाय, कॉफी, गुटका-तम्बाकू, सिगरेट और शराब आदि से दूर रहें।

 ऊपर बताए इन प्रयोगों को यदि कोई लगातार दृढ़ संकल्पित होकर करे तो निश्चित रूप से उसे दुबलेपन और अन्य शारीरिक कमजोरियों से 100 फीसदी छुटकारा मिलता है।

हाइट बढ़ेगी तो आत्मविश्वास जरूर बढ़ेगा


धन की कमी हो तो समझो बात अपने हाथ में ही है। धन-सम्पत्ति को कड़ी मेहनम करके किसी न किसी तरह से हांसिल किया जा सकता है। लेकिन कुछ कमियां ऐसी होती हैं, जिन्हें दूर करना इंसान के लिये लगभग असंभव या कहें कि बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। किसी प्रकार की कोई शारीरिक अपंगता या कमी होना इंसान को जीवन भर कुरेदता और कचोटता रहता है। लेकिन सभी शारीरिक कमियों को असाध्य मान लेना या दुर्भाग्य मानकर हार मान लेना भी कोई समझदारी नहीं कही जा सकती। साहस और जीवट के धनी लोग तो हर मुश्किल और कमी को दूर करने के लिये आखरी सांस तक कोशिश करते हैं। ऐसी ही एक कमी है हाइट कम होना यानी शरीर का कद कम रह जाना।

शरीर विज्ञान में हाइट की पीछे आनुवांशिक कारणों को जिम्मेदार बताया गया है। इस तरह से चिकित्सा विज्ञान ने कम हाइट में सुधार करना लगभग असंभव मान रखा है, लेकिन बात यदि योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा की हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। जिन उपायों से हाइट को बढ़ाया जा सकता है, उनमें से सर्वाधिक कारगर और चुनिंदा उपाय इस प्रकार हैं-

- ब्रह्ममुहूर्त में जागकर किसी प्राकृतिक स्थान पर जाकर प्राणायाम और इन अचूक आसनों का अभ्यास करें: भुजंगासन, ताड़ासन, पर्वतासन, सूर्यनमस्कार और पादपश्चिमोत्तासन। इसका अभ्यास किसी योग्य मार्गदर्शक के साथ ही करें।

- भौजन में अंकुरिक अन्न, सलाद, फल आदि को नियमित रूप से शामिल करें।

-अश्वगंधा और शतावर का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर रोज दूध के साथ सेवन करें।

-ध्यान का अभ्यास करें जिसमें अपने कद को लगातार बढ़ता हुआ देखें।

-मन की शक्ति अजैय है, मन में स्वयं की जैसी क्षवि अंकिर करोगे वह देर-सवेर वास्तविक होकर रहेगी।

25 की उम्र में सफेद बाल!! सरल उपाय से रोकें

बदलती हुई जीवनशैली में पूरे शरीर के साथ-साथ बालों की समस्या भी दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है। बालों का झडऩा और समय से पहले ही सफेद हो जाना आज एक महामारी का रूप ले चुका है। तमाम कोशिशों और दवाइयों के बावजूद बालों का झडऩा और सफेद होना रुक ही नहीं पाता है। क्योंकि बालों के झडऩे या सफेद होने के पीछे सिर्फ शारीरिक कारणों का ही हाथ नहीं होता है बल्कि मानसिक परेशानियां जैसे तनाव आदि की भी अहम् भूमिका होती है।

सिर्फ  दवाइयों से ही अगर बालों की समस्या का हल निकलता तो शायद अमीर वर्ग के लोगों को इससे निजात मिल चुकी होती, किन्तु ऐसा नहीं है। असल में बालों की समस्या के पीछे कई कारण होते हैं, अत: सभी कारणों पर काम किये बगैर समस्या का हल नहीं निकल सकता। लेकिन हमने यहां कुछ ऐसे अनुभवी और सौ-प्रतिशत कारगर तरीके बताए हैं जो हर हाल में बालों की समस्या से छुटकारा दिला सकते हैं। तो आइये देखें कि वे उपाय क्या हैं-

- किसी जानकार व्यक्ति के मार्गदर्शन में क्षमतानुसार नियमित रूप से शीर्षासन का अभ्यास करें

- रात को सोते समय नियमित रूप से त्रिफला चूर्ण का सेवन करें।

- भोजन में सलाद और फलों का सेवन अवश्य करें।

- प्रतिदिन 3 से 4 किलोमीटर तक मोर्निग वॉक पर अवश्य जाएं।

- ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं, चाय, कॉफी जैसी चीजों यथा संभव दूर रहें।

- तनाव को अपने ऊपर हावी न होने दें, ध्यान आदि का सहारा लें।

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