रविवार, 3 जुलाई 2011

इन आयुर्वेदिक उपायों से खुशहाल बना सकते हैं दाम्पत्य को...


आज के समय में युवा पीढी विज्ञापनों के भंवरजाल में पड़कर यौन सम्बन्धी कई भ्रांतियों को पाल बैठती है। आयुर्वेद में इन सभी का समाधान उपलब्ध है। विवाह संस्कार को सोलह संस्कारों में एक महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है तथा विवाह उपरान्त सेक्स का उद्देश्य संतानोत्पत्ति के लिए माना गया है।

यौन क्षमता को बढाने के लिए वाजीकारक द्रव्यों के सेवन का निर्देश है तथा स्त्री को श्रेष्ट वाजीकारक बताया गया है। संतानहीन पुरुष को सूखे पेड़ की संज्ञा दी गयी है अर्थात संतति को आगे बढाने के लिए प्रचुर यौन क्षमता क़ी आवश्यकता को आयुर्वेद ने भी माना है एवं इसे बढाने के लिए कुछ सरल नुस्खे भी बतलाये हैं जिनका सयंमित प्रयोग केवल यौन क्षमता को बढाने में ही कारगर नहीं है , बल्कि यौन सम्बंधी विकृतीयों को भी दूर करता है।

आइये इन्हें आजमायें और अपने वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाएं।

- अश्वगंधा,शतावरी एवं सफ़ेद मुसली के चूर्ण को सम मात्रा में मिलाकर १/२ से एक चमच्च लेना यौन क्षमता को बढाता है।

- उड़द क़ी दाल क़ी खिचड़ी के साथ गर्म दूध का प्रयोग यौन क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है।

- कौंच के बीज का चूर्ण,शतावरी एवं दुग्ध के साथ मात्रा में प्रयोग से कामोत्कर्ष (ओर्गास्म) कई गुना बढ़ जाता है।

- सुमधुर संगीत एवं तनाव मुक्त शयन कक्ष भी यौन क्रीडा को आनंदित बनाता है।

- शिलाजीत क़ी निश्चित मात्रा का दुग्ध एवं शहद के साथ सेवन यौन क्षमता को बढाने में कारगर होता है।

- नित्य आसनों का अभ्यास जननांगों में रक्त के प्रभाव को बढ़ा कर प्राकृतिक रूप से उनको सक्रिय बना देता है जिसे यौन क्रीडा का आनंद मिलता है।

- नित्य अभ्यंग (मालिश ) एवं स्नान भी यौन क्षमता को बढाने में मददगार होते हैं।

- पीपल के कोपलों के दुग्ध का प्रयोग अलग - अलग नासिका में करना यौन क्षमता को बढाने के साथ उत्तम संतति प्राप्त करने में मददगार होता है।

- आयुर्वेद में अकाल,ग्रहण एवं आपदाओं के समय यौन सम्बन्ध बनाने को निषिद्ध किया है।

अतः यौन क्षमता सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए ही आवश्यक न होकर गृहस्ताश्रम को सुचारू एवं सफलता पूर्वक चलाने के लिए भी आवश्यक है।
 

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