सिर्फ तीन बातों का ही यदि कोई पूरी तरह से ध्यान रख ले, तो उसके बीमार होने की संभावना 90 फीसदी तक कम हो जाती है। वो तीन चीजें हैं- हवा, पानी और भोजन। यदि इन तीनों को हम सही समय पर, सही तरीके से तथा शुद्ध रूप में ग्रहण करने लगें तो निश्चित रुप से हमारा स्वास्थ हमेशा दुरुस्त बना रहेगा।चलिये पहली कड़ी में आज हम पानी पीने के उचित समय, तरीके और शुद्धता पर ध्यान दें-
- सुबह उठकर खाली पेट अपनी क्षमता अनुसार 1-2 गिलास पानी पीना स्वास्थ्य के लिये बेहद फायदेमंद रहता है।
- कभी खड़े होकर न पीएं।
- बाहर का पानी पीने से यथा संभव बचें।
- जल से जहां हमारे शरीर के दूषित पदार्थ बाहर निकल जाते हैं वहीं यह हमारे चेहरे की कांति बनाए रखता है।
- अशुद्ध पानी से लीवर और गुर्दों का रोग हो जाता है इन दोनों में इंफेक्शन हुआ तो इसका असर दिल पर भी पड़ता है।
- लगभग 70 प्रतिशत रोग जल की अशुद्धता से ही होते हैं। तो जल को जीवन में महत्व दें।
- पानी पीते वक्त सावधानी रखेंगे तो भोजन और प्राण में इसका भरपूर लाभ मिलेगा।
- भोजन से पहले और तत्काल बाद में 1-2 घूंट से अधिक पानी न पीएं, क्योंकि ऐसा करने से भोजन के पचने में कठिनाई पैदा होती है।
- ध्यान रखें कि आपका आधा पेट भोजन से एक चोथाई भाग पानी से और शेष 25 फीसदी भाग हवा के लिये छोडऩा
रविवार, 10 जुलाई 2011
शुक्रवार, 8 जुलाई 2011
बेजान बालों को निखारे बियर से...
हमारे शारीरिक सौन्दर्य में बालों की बेहद अहम् भूमिका होती है। और यह बात सभी जानते हैं कि सौन्दर्य और आत्मविश्वास का गहरा संबंध होता है। खूबसूरत और अच्छी पर्सनालिटी वाले स्त्री/ पुरुष में ओरों से अधिक कान्फीडेंस देखा जाता है। तो आइये जानते हैं कुछ ऐसे आसान और घरेलू उपायों के बारे में जो आपके बालों की खूबसूरती बढ़ाकर आपके व्यक्तित्व को और भी अधिक प्रभावशाली बना सकते हैं-
शानदार प्रयोग:
एक कप बियर को किसी बर्तन में गरम करें, तब तक गरम करें, जब तक आधा कप न रह जाए। गर्म करने से बियर में से अल्कोहल भाप बनकर उडऩा जरूरी है। अब इसे ठंडा होने दें, फि र उसमें एक कप अपना पसंदीदा शैम्पू मिला लें, याद
रखें शैम्पू जो भी वापरें, एक ही ब्रांड का वापरें। इस घोल को किसी शीशी में भरकर रख लें। जब भी बाल धोना हों इससे
बाल धोए, इससे बेजान बालों में भी निखार आ जाएगा। बाल चमकदार व खूबसूरत होंगे।
एक अन्य कारगर प्रयोग:
नारियल के तेल में नीम, तुलसी, शिकाकाई, मेथी, आंवले की पत्तियां डालकर उबाल लें व छानकार शीशी में भर लें। इस
तेल से पूरे सिर की मालिश करें व चमत्कार देखें।
दो महत्वपूर्ण बातें:
1. ज्यादा झाग देने वाले शैम्पू का मतलब यह नहीं कि वह केशों को साफ भी अच्छा करेगा। झागदार शैम्पू के निर्माण में केमिकल अधिक मिलाए जाते हैं, जो बालों को नुकसान पहुंचाते हैं व बालों की जड़ों को कमजोर करते हैं।
2. बाजारू कंडीशनर केवल बालों की बाहरी सतह यानी आवरण को ही चमकाने का काम करते हैं, उनकी संरचना को सही नियंत्रण में रखने और नष्ट हुए बालों की फि र से मरम्मत करने में मदद नहीं करते हैं।
शानदार प्रयोग:
एक कप बियर को किसी बर्तन में गरम करें, तब तक गरम करें, जब तक आधा कप न रह जाए। गर्म करने से बियर में से अल्कोहल भाप बनकर उडऩा जरूरी है। अब इसे ठंडा होने दें, फि र उसमें एक कप अपना पसंदीदा शैम्पू मिला लें, याद
रखें शैम्पू जो भी वापरें, एक ही ब्रांड का वापरें। इस घोल को किसी शीशी में भरकर रख लें। जब भी बाल धोना हों इससे
बाल धोए, इससे बेजान बालों में भी निखार आ जाएगा। बाल चमकदार व खूबसूरत होंगे।
एक अन्य कारगर प्रयोग:
नारियल के तेल में नीम, तुलसी, शिकाकाई, मेथी, आंवले की पत्तियां डालकर उबाल लें व छानकार शीशी में भर लें। इस
तेल से पूरे सिर की मालिश करें व चमत्कार देखें।
दो महत्वपूर्ण बातें:
1. ज्यादा झाग देने वाले शैम्पू का मतलब यह नहीं कि वह केशों को साफ भी अच्छा करेगा। झागदार शैम्पू के निर्माण में केमिकल अधिक मिलाए जाते हैं, जो बालों को नुकसान पहुंचाते हैं व बालों की जड़ों को कमजोर करते हैं।
2. बाजारू कंडीशनर केवल बालों की बाहरी सतह यानी आवरण को ही चमकाने का काम करते हैं, उनकी संरचना को सही नियंत्रण में रखने और नष्ट हुए बालों की फि र से मरम्मत करने में मदद नहीं करते हैं।
कमर पतली बनाने व एक्ट्रा फेट हटाने का यह अचूक उपाय है
लड़कियों के लिए पतली होना एक सपना ही होता है और इसके लिए वे कई प्रकार के जतन भी करती हैं। ऐसी लड़कियों के लिए गरुड़ासन सबसे कारगर उपाय है। इस आसन से उनकी कमर पतली होगी ही साथ में कई अन्य स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं।
इस आसन में व्यक्ति का आकार गरुड़ की तरह हो जाता है, इसलिए इसे गरुड़ासन कहते हैं। गरुड़ासन में मस्तिष्क की एकाग्रता पर ध्यान देना आवश्यक होता हैं।
गरुडासन की विधि:
समतल और शांत तथा स्वच्छ वायु (हवा) के प्रवाह वाले स्थान पर गरुड़ासन करना चाहिए। इस आसन में पहले सामान्य स्थिति (सावधान की स्थिति) में खड़े हो जाएं। इस के बाद बाएं पैर को सीधा रखें और दाएं पैर को बाएं पैर में लता की तरह लपेट लें। अब दोनों हाथों को सीने के सामने रखकर हाथों को आपस में लता की तरह लपेट कर हाथों को थोड़े से आगे की ओर करें। इस स्थिति में दोनों हाथ गरुड़ की चोंच की तरह बना रहें। इसके बाद स्थिर पैर (बाएं पैर) को धीरे-धीरे नीचे झुकाते हुए दाएं पैर को पंजों पर सटाने की कोशिश करें। इस स्थिति में 1 मिनट तक रहें। इस के बाद सामान्य स्थिति में आ जाएं। फिर दाएं पैर को नीचे सीधा खड़ा रखकर बाएं पैर को उस लता की तरह लपेट लें। हाथों की स्थिति पहले की तरह ही रखें। इस तरह इस क्रिया को दोनों पैरों से 5-5 बार करें। इस के अभ्यास को धीरे-धीरे बढ़ाते जाएं।
गंभीर रोगों में लाभ:
गरुड़ासन से रीढ़ की हड्डी में लचीलापन आता है, कमर पतली होती है तथा बाहों व टांगों की मांसपेशियां तथा नस नाडिय़ां चुस्त बनती है। इससे पैर, घुटने व जांघों को मजबूती मिलती हैं। यह कंधे, बाहें तथा कोहनियों आदि के दर्द व कम्पन को ठीक करता है। यह शरीर के कम्पन को दूर करता है। यह कमर दर्द, गठिया (जोड़ों का दर्द), और आंत उतरने की बीमारी (हर्निया) आदि रोग ठीक होता है। बवासीर, अण्डकोष वृद्धि (हाइड्रोसिल) तथा मूत्र सम्बन्धी रोग के रोगियों को यह आसन करना अधिक लाभकारी हैं।
सावधानी:
यदि आपको कोई गंभीर बीमारी है तो इस आसन को करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें। यह आसन थोड़ा कठिन है अत: धीरे-धीरे अभ्यास के साथ ही इसकी पूर्ण अवस्था प्राप्त की जा सकती है। इसलिए धैर्य के साथ इस आसन का अभ्यास करें और जल्द ही आपको सभी लाभ प्राप्त होने लगेंगे।
इस आसन में व्यक्ति का आकार गरुड़ की तरह हो जाता है, इसलिए इसे गरुड़ासन कहते हैं। गरुड़ासन में मस्तिष्क की एकाग्रता पर ध्यान देना आवश्यक होता हैं।
गरुडासन की विधि:
समतल और शांत तथा स्वच्छ वायु (हवा) के प्रवाह वाले स्थान पर गरुड़ासन करना चाहिए। इस आसन में पहले सामान्य स्थिति (सावधान की स्थिति) में खड़े हो जाएं। इस के बाद बाएं पैर को सीधा रखें और दाएं पैर को बाएं पैर में लता की तरह लपेट लें। अब दोनों हाथों को सीने के सामने रखकर हाथों को आपस में लता की तरह लपेट कर हाथों को थोड़े से आगे की ओर करें। इस स्थिति में दोनों हाथ गरुड़ की चोंच की तरह बना रहें। इसके बाद स्थिर पैर (बाएं पैर) को धीरे-धीरे नीचे झुकाते हुए दाएं पैर को पंजों पर सटाने की कोशिश करें। इस स्थिति में 1 मिनट तक रहें। इस के बाद सामान्य स्थिति में आ जाएं। फिर दाएं पैर को नीचे सीधा खड़ा रखकर बाएं पैर को उस लता की तरह लपेट लें। हाथों की स्थिति पहले की तरह ही रखें। इस तरह इस क्रिया को दोनों पैरों से 5-5 बार करें। इस के अभ्यास को धीरे-धीरे बढ़ाते जाएं।
गंभीर रोगों में लाभ:
गरुड़ासन से रीढ़ की हड्डी में लचीलापन आता है, कमर पतली होती है तथा बाहों व टांगों की मांसपेशियां तथा नस नाडिय़ां चुस्त बनती है। इससे पैर, घुटने व जांघों को मजबूती मिलती हैं। यह कंधे, बाहें तथा कोहनियों आदि के दर्द व कम्पन को ठीक करता है। यह शरीर के कम्पन को दूर करता है। यह कमर दर्द, गठिया (जोड़ों का दर्द), और आंत उतरने की बीमारी (हर्निया) आदि रोग ठीक होता है। बवासीर, अण्डकोष वृद्धि (हाइड्रोसिल) तथा मूत्र सम्बन्धी रोग के रोगियों को यह आसन करना अधिक लाभकारी हैं।
सावधानी:
यदि आपको कोई गंभीर बीमारी है तो इस आसन को करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें। यह आसन थोड़ा कठिन है अत: धीरे-धीरे अभ्यास के साथ ही इसकी पूर्ण अवस्था प्राप्त की जा सकती है। इसलिए धैर्य के साथ इस आसन का अभ्यास करें और जल्द ही आपको सभी लाभ प्राप्त होने लगेंगे।
मुहं की सुंदरता के लिये नहीं होगा इससे अच्छा उपाय!!
चाहे कितनी ही मंहगाई बढ़ गई हो लेकिन नीबू आज भी लगभग 1 से 2 रुपयों के बीच ही मिल जाता है। नीबू की एक खाशियत यह भी है कि यह ऐसा फल है जो पूरे वर्ष भर मिलता है। यह एक ऐसा फ ल है जिसकी खुशबू मात्र से ही ताजगी का अहसास होता है।
नींबू का अनोखा गुण यह है कि इसकी खट्टी खुशबू खाने से पहले ही मुंह में पानी ला देती है। चाट हो या दाल कोई भी व्यंजन इसके प्रयोग से और भी सुस्वादु हो जाता है।
यह फ ल खट्टा होने के साथ-साथ बेहद गुणकारी भी है। आइए जानते हैं ऐसे कुछ आसान प्रयोगों के बारे में जिनके कुछ ही दिनों के प्रयोग से घर बैठे आप अपने चेहरे की सुन्दरता को न केवल बढ़ा सकते हैं बल्कि लम्बे समय तक कायम भी रख सकते हैं-
प्रयोग1:
10 ग्राम नींबू का रस 10 बूंद ग्लिसरीन तथा 10 ग्राम गुलाबजल इन तीनों को मिलाकर रख लें। यह एक प्रकार से लोशन सा तैयार हो जाएगा। इस लोशन को प्रतिदिन सुबह स्नान के पश्चात तथा रात्रि सोने के पूर्व हल्के-हल्के मलने से चेहरा रेशम की तरह कोमल बन जाएगा।
प्रयोग 2:
नींबू के रस में बराबर की मात्रा में गुलाबजल मिलाकर चेहरे पर लगाएं। आधे घंटे बाद ताजे जल से धो लें। चेहरे पर मुंहासे बिल्कुल साफ हो जाएंगे। यह प्रयोग करीब 10-15 दिनों तक करें।
नींबू का अनोखा गुण यह है कि इसकी खट्टी खुशबू खाने से पहले ही मुंह में पानी ला देती है। चाट हो या दाल कोई भी व्यंजन इसके प्रयोग से और भी सुस्वादु हो जाता है।
यह फ ल खट्टा होने के साथ-साथ बेहद गुणकारी भी है। आइए जानते हैं ऐसे कुछ आसान प्रयोगों के बारे में जिनके कुछ ही दिनों के प्रयोग से घर बैठे आप अपने चेहरे की सुन्दरता को न केवल बढ़ा सकते हैं बल्कि लम्बे समय तक कायम भी रख सकते हैं-
प्रयोग1:
10 ग्राम नींबू का रस 10 बूंद ग्लिसरीन तथा 10 ग्राम गुलाबजल इन तीनों को मिलाकर रख लें। यह एक प्रकार से लोशन सा तैयार हो जाएगा। इस लोशन को प्रतिदिन सुबह स्नान के पश्चात तथा रात्रि सोने के पूर्व हल्के-हल्के मलने से चेहरा रेशम की तरह कोमल बन जाएगा।
प्रयोग 2:
नींबू के रस में बराबर की मात्रा में गुलाबजल मिलाकर चेहरे पर लगाएं। आधे घंटे बाद ताजे जल से धो लें। चेहरे पर मुंहासे बिल्कुल साफ हो जाएंगे। यह प्रयोग करीब 10-15 दिनों तक करें।
गुरुवार, 7 जुलाई 2011
नींबू के पत्तों का रस सूंघते ही सिरदर्द हो जाएगा छूमंतर
नींबू एक ऐसा फल है जिसकी खुशबू मात्र से ही ताजगी का अहसास होता है। नींबू का अनोखा गुण यह है कि इसकी खट्टी
खुशबू खाने से पहले ही मुंह में पानी ला देती है। चांट हो या दाल कोई भी व्यंजन इसके प्रयोग से और भी सुस्वादु हो जाता है। यह फल खट्टा होने के साथ-साथ बेहद गुणकारी भी है। आइए जानते हैं इसके कुछ प्रयोगों के बारे में-
कृमि रोग-
10 ग्राम नींबू के पत्तों का रस (अर्क) में 10 ग्राम शहद मिलाकर पीने से 10-15 दिनों में पेट के कीड़े मरकर नष्ट हो जाते हैं। नींबू के बीजों के चूर्ण की फं की लेने से कीड़ों का विनाश होता है।
सिरदर्द या माइग्रेन-
नींबू के पत्तों का रस निकालकर नाक से सूंघे, जिस व्यक्ति को हमेशा सिरदर्द बना रहता है, उसे भी इससे शीघ्र आराम मिलता है।
नाक से खून आना-
ताजे नींबू का रस निकालकर नाक में पिचकारी देने से नाक से खून गिरता हो, तो बंद हो जाएगा।
खुशबू खाने से पहले ही मुंह में पानी ला देती है। चांट हो या दाल कोई भी व्यंजन इसके प्रयोग से और भी सुस्वादु हो जाता है। यह फल खट्टा होने के साथ-साथ बेहद गुणकारी भी है। आइए जानते हैं इसके कुछ प्रयोगों के बारे में-
कृमि रोग-
10 ग्राम नींबू के पत्तों का रस (अर्क) में 10 ग्राम शहद मिलाकर पीने से 10-15 दिनों में पेट के कीड़े मरकर नष्ट हो जाते हैं। नींबू के बीजों के चूर्ण की फं की लेने से कीड़ों का विनाश होता है।
सिरदर्द या माइग्रेन-
नींबू के पत्तों का रस निकालकर नाक से सूंघे, जिस व्यक्ति को हमेशा सिरदर्द बना रहता है, उसे भी इससे शीघ्र आराम मिलता है।
नाक से खून आना-
ताजे नींबू का रस निकालकर नाक में पिचकारी देने से नाक से खून गिरता हो, तो बंद हो जाएगा।
पेट, सिर या दांत में... हर दर्द का मुंहतोड़ जवाब है दादी के पास
चिकित्सा क्षेत्र में हुई प्रगति के दम पर आज इंसान ने अधिकांश बीमारियों का इलाज खोज निकाला है। लेकिन समस्या यह है कि ये अंग्रेजी दवाइयां जहां एक बीमारी को दबाती हैं तो दो दूसरी खड़ी हो जाती हैं। इतना ही नहीं इन अंग्रेजी दवाइयों का घातक साइड इफेक्ट भी होता है।
इसलिए दादी-नानी के जमाने से चले आ रहे घरेलू नुस्खों और घरेलू इलाजों का सहारा लेना सुरक्षित है। रसोई घर में रखी कई चीजें जैसे मसाले, खाद्यान्न, फ ल-सब्जी, शहद, घी-तेल आदि औषधि का काम भी करते हैं। अत: रसोई घर को 'औषधि का भंडार' कहना गलत नहीं होगा। आइये जानते हैं ऐसे कुछ अनुभूत नुस्खे जो वक्त पडऩे पर बेहद कारगर सिद्ध हो सकते हैं-
पेट दर्द- अजवाइन, सौंफ और थोड़ा-सा काला नमक मिलाकर चूर्ण बनाकर खाएं। आराम मिलेगा। पेटदर्द गायब हो जाएगा।
सिर दर्द- एक कप दूध में पिसी इलायची डालकर पीने से सिरदर्द ठीक हो जाएगा।
दांत दर्द- एक चम्मच सरसों के तेल में एक चुटकी हल्दी और नमक मिलाकर दांतों पर लगाने या हल्के-हल्के मालिश करने से दांत का दर्द दस से पंद्रह मिनट में ठीक हो जाता है।
घुटनों का दर्द- पानी में अजवाइन उबालकर इस अजवाइन वाले पानी की भाप घुटनों पर देने से दर्द ठीक होता है। अजवाइन के पानी में तौलिया भिगोकर और हल्का निचोड़कर उसे घुटनों पर रखकर गर्म सेंक देने से भी दर्द में राहत मिलती है।
माइग्रेन- रात में सोने से पहले नाक में गाय के दूध से बने घी की दो-दो बूंदें डालें। इसके अलावा सिर पर गाय के घी की मालिश हल्के हाथ से करें।
इसलिए दादी-नानी के जमाने से चले आ रहे घरेलू नुस्खों और घरेलू इलाजों का सहारा लेना सुरक्षित है। रसोई घर में रखी कई चीजें जैसे मसाले, खाद्यान्न, फ ल-सब्जी, शहद, घी-तेल आदि औषधि का काम भी करते हैं। अत: रसोई घर को 'औषधि का भंडार' कहना गलत नहीं होगा। आइये जानते हैं ऐसे कुछ अनुभूत नुस्खे जो वक्त पडऩे पर बेहद कारगर सिद्ध हो सकते हैं-
पेट दर्द- अजवाइन, सौंफ और थोड़ा-सा काला नमक मिलाकर चूर्ण बनाकर खाएं। आराम मिलेगा। पेटदर्द गायब हो जाएगा।
सिर दर्द- एक कप दूध में पिसी इलायची डालकर पीने से सिरदर्द ठीक हो जाएगा।
दांत दर्द- एक चम्मच सरसों के तेल में एक चुटकी हल्दी और नमक मिलाकर दांतों पर लगाने या हल्के-हल्के मालिश करने से दांत का दर्द दस से पंद्रह मिनट में ठीक हो जाता है।
घुटनों का दर्द- पानी में अजवाइन उबालकर इस अजवाइन वाले पानी की भाप घुटनों पर देने से दर्द ठीक होता है। अजवाइन के पानी में तौलिया भिगोकर और हल्का निचोड़कर उसे घुटनों पर रखकर गर्म सेंक देने से भी दर्द में राहत मिलती है।
माइग्रेन- रात में सोने से पहले नाक में गाय के दूध से बने घी की दो-दो बूंदें डालें। इसके अलावा सिर पर गाय के घी की मालिश हल्के हाथ से करें।
बुधवार, 6 जुलाई 2011
दमा और सांस के रोगों से पाएं स्थाई छुटकारा
सुबह-सुबह थोड़ा सा व्यायाम या योगासन करने से हमारा पूरा दिन स्फूर्ति और ताजगीभरा बना रहता है। यदि आपको दिनभर अत्यधिक मानसिक तनाव झेलना पड़ता है तो यह क्रिया करें, दिनभर चुस्त रहेंगे। इस क्रिया को करने वाले व्यक्ति से फेफड़े और सांस से संबंधित बीमारियां सदैव दूर रहेंगी।
क्रिया की विधि
समतल और हवादार स्थान पर किसी भी आसन जैसे पदमासन या सुखापन में बैठकर इस क्रिया को किया जाता है। दोनों हाथ को दोनों घुटनों पर रखें। अब नाक के दोनों छिद्र से तेजी से गहरी सांस लें। फिर सांस को बिना रोकें, बाहर छोड़ दें।
इस तरह कई बार तेज गति से सांस लें और फिर उसी तेज गति से सांस छोड़ते हुए इस क्रिया को करें। इस क्रिया में पहले कम और बाद में धीरे-धीरे इसकी संख्या को बढ़ाएं।
इस क्रिया से लाभ
इस क्रिया के अभ्यास से फेफड़े में स्वच्छ वायु भरने से फेफड़े स्वस्थ्य और रोग दूर होते हैं। यह आमाशय तथा पाचक अंग को स्वस्थ्य रखता है। इससे पाचन शक्ति और वायु में वृद्धि होती है तथा शरीर में शक्ति और स्फूर्ति आती है। इस क्रिया से सांस संबंधी कई बीमारियां दूर ही रहती हैं।
सावधानी
यदि किसी व्यक्ति को दमा या सांस संबंधी कोई बीमारी हो तो वह अपने डॉक्टर से परामर्श कर ही इस क्रिया को करें।
क्रिया की विधि
समतल और हवादार स्थान पर किसी भी आसन जैसे पदमासन या सुखापन में बैठकर इस क्रिया को किया जाता है। दोनों हाथ को दोनों घुटनों पर रखें। अब नाक के दोनों छिद्र से तेजी से गहरी सांस लें। फिर सांस को बिना रोकें, बाहर छोड़ दें।
इस तरह कई बार तेज गति से सांस लें और फिर उसी तेज गति से सांस छोड़ते हुए इस क्रिया को करें। इस क्रिया में पहले कम और बाद में धीरे-धीरे इसकी संख्या को बढ़ाएं।
इस क्रिया से लाभ
इस क्रिया के अभ्यास से फेफड़े में स्वच्छ वायु भरने से फेफड़े स्वस्थ्य और रोग दूर होते हैं। यह आमाशय तथा पाचक अंग को स्वस्थ्य रखता है। इससे पाचन शक्ति और वायु में वृद्धि होती है तथा शरीर में शक्ति और स्फूर्ति आती है। इस क्रिया से सांस संबंधी कई बीमारियां दूर ही रहती हैं।
सावधानी
यदि किसी व्यक्ति को दमा या सांस संबंधी कोई बीमारी हो तो वह अपने डॉक्टर से परामर्श कर ही इस क्रिया को करें।
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