मंगलवार, 23 अगस्त 2011

इन तीन नुस्खों का कमाल, आवाज में आ जाएगा जादू


आवाज भी इंसान के व्यक्तित्व का एक अहम् हिस्सा होती है। किसी भी व्यक्ति की आवाज से उसके व्यक्तित्व की गहराई और वजन का अंदाजा लगाया जा सकता है। अक्सर जीवन में यह अनुभव होता है कि कई बार हमारी वास्तविक और महत्वपूर्ण बात को भी लोगों द्वारा नजरअंदाज कर दिया जाता है।





नजरअंदाज करने के इस उपेक्षापूर्ण व्यवहार को मनमसोस कर सहना व्यक्ति की मजबूरी बन जाती है। जबकि इसके विपरीत कुछ व्यक्ति ऐसे भी होत हैं जो झूंठी, मनगढ़ंत और भ्रमात्मक बात को भी लोगों के सामने इतने प्रभावशाली और नाटकीय अंदाज में पैश करते हैं कि सुनने वाले धोके में पड़कर उनकी बातों को सच मान लेते हैं।




असल में सारी करामात, असरदार और प्रभावशली बोली गई शैली में छुपी होती है। कहने का मतलब यह कि बात नहीं बल्कि उस बात को कहने का अंदाजेबयां असर करता है। अगर यह कहें कि इंसान के व्यक्तित्व और निखारने और जिंदगी में कामयाबी दिलाने में वाणी यानी आवाज की भी भूमिका होती है तो यह गलत नहीं होगा।




जीवन में वाणी के महत्व को देखते हुए आइये आजमाते हैं कुछ देशी नुस्खों को शर्तिया तौर पर इंसान की वाणी को बुलंद, आकर्षक और बेहद प्रभावशाली बना सकते हैं।




तीन शानदार प्रयोग यह हैं-




1. प्रतिदिन भोजन के उपरांत मुलेठी मुंह में रखकर 10 से 15 मिनिट  तक चूंसते रहें।




2. प्रतिदिन अपनी क्षमता और प्रकृति को ध्यान में रखकर लहसुन की एक कच्ची कली सुबह खाली पेट मुंह में रखकर खत्म होने तक चूंसते  रहें।




3. सोने से पहले प्रतिदिन1-गिलास गुनगुने पानी में नमक और थोड़ा सा लोंग-काली मिर्च का पाउडर मिलाकर 20-25 गरारे यानी कुल्ले करें।

इन आयुर्वेदिक नुस्खों से खांसी को करें छू-मंतर...

कहते हैं "झगड़े क़ी जड़ हांसी और बीमारी क़ी जड़ खांसी"। खांसी एक ऐसा लक्षण है, जो एक सामान्य ज्वर से लेकर तपेदिक जैसी बीमारियों में एक लक्षण के रूप में देखा जाता है। यह सूखी और गीली दो प्रकार क़ी हो सकती है।

सूखी में रोगी आवाज करता हुआ खांसता है जबकि गीली खांसी में खांसने के साथ कफ निकलता है। कई बार रोगी का खांस-खांस कर इतना बुरा हाल होता है, क़ि खुद के अलावा पड़ोसी क़ी नींद भी दूभर हो जाती है।

कई बार खांसी के रूप में निकलने वाले ड्रॉपलेट्स दूसरों में भी संक्रमण फैला सकते हैं कुछ ऐसे सरल आयुर्वेदिक नुस्खे हैं, जिनसे रोगों क़ी जड़ खांसी को दूर भगाया जा सकता है :-

- शुद्ध घी यदि गाय का हो तो अच्छा को 15-20 ग्राम के मात्रा में लेकर,काली मिर्च के 15-20 नग़ लेकर एक कटोरी में आग पर गर्म करें, जब काली मिर्च कड़कडाने लगे और ऊपर आ जाय तब उतारकर थोड़ा ठंडा कर 20 ग्राम पिसी मिश्री या शक्कर मिला लें,तक़रीबन आधे मिनट के बाद उतार लें अब थोड़ा गर्म रहने पर ही चीनी या मिश्री के साथ मिलाकर काली मिर्च चबा-चबा कर खा लें, इसके एक घंटे बाद तक कुछ न लें, इस प्रयोग को सोते समय तीन-चार दिन तक लगातार करने से पुरानी से पुरानी खांसी ठीक हो जाती है।

- मिश्री,वंशलोचन, पिप्पली, बड़ीइलाइची, तेजपत्र इन सबको सम मात्रा में शहद या गुनगुने पानी से लेना खांसी को जड़ से मिटाता है।

- वासा क़ी ताज़ी पत्तियों को छोटा-छोटा काटकर इसे निचोड़कर रस निकालकर प्रयोग बलगमयुक्त खांसी के रोगी में अत्यंत लाभकारी है।

- आयुर्वेद में वर्णित सितोपलादि चूर्ण, च्यवनप्राश, वासापुटपक्व स्वरस, तालिशादी चूर्ण आदि कुछ ऐसे नुस्खे हैं जिनका चिकित्सक के निर्देशन में प्रयोग कर रोगी खांसी से राहत पा सकता है। बस इतना ध्यान रखें क़ि खांसी की अनदेखी न हो और समय रहते इसके लिए उपाय किये जांय।


एसीडिटी को जड़ से मिटा देगा ये देसी नुस्खा

अच्छा और स्वादिष्ट खाना मिले तो खाने वाले को ध्यान ही नहीं रहता कि वह कितना रहा है इसीलिए कभी-कभी ज्यादा खा लेने पर एसीडिटी हो जाती है। इसके विपरित ज्यादा समय तक भुखे रहने पर भी  एसीडिटी हो जाती है। ऐलोपेथिक दवाई लेने पर एसीडिटी से थोड़े समय के लिए निजात तो जरूर मिल जाती है लेकिन पूरी तरह छुटकारा नहीं मिलता है। इसीलिए एसीडिटी मिटाने के लिए आयुर्वेदिक देसी नुस्खे सबसे अधिक कारगर होते है।

आयुर्वेद और यूनानी पद्धति में तो शहद एक शक्तिवर्धक औषधी के रूप में लंबे समय से प्रयुक्त किया  जा रहा है। इसके विभिन्न गुण अब दुनिया भर में किए जा रहे शोधों से उजागर हो रहे हैं।

दालचीनी और शहद का योग पेट रोगों में भी लाभकारी है। पेट यदि गड़बड़ है तो इसके लेने से पेट दर्द ठीक हो जाता है और पेट के छाले भी खत्म हो जाते हैं। खाने से पहले दो चम्मच शहद पर थोड़ा-सा दालचीनी पावडर बुरककर चाटने से एसिडिटी में राहत मिलती है और खाना अच्छे से पचता है।

स्ट्रेचमार्क्‍स से क्या डरना

एक महिला के जीवन में प्रेग्नेंसी से खूबसूरत अहसास और कोई नहीं होता। मगर, इस खूबसूरत अहसास के साथ एक बदसूरत चीज भी जुड़ी रहती है, वो है-स्ट्रेचमार्क्स। स्ट्रेचमार्क्‍स का अर्थ प्रेग्नेंसी के बाद कमर और पेट की त्वचा मुर्झाना और ढीली-सी पड़ जाना होता है।

इससे आपका व्यक्तित्व प्रभावित होता है। यह जरूरी नहीं है कि स्ट्रेचमार्क्‍स की समस्या हर गर्भवती महिला को हो, मगर जिन महिलाओं को यह परेशानी होती है। उन्हें अपने कपड़े पहनने के तरीकों तक में बदलाव लाना पड़ता है। तो जानिए स्ट्रेचमार्क्‍स और उससे छुटकारा पाने के तरीकों के बारे में...

स्ट्रेचमार्क्स के कारण

- प्रेग्नेंसी के दौरान त्वचा जब ज्यादा खिंचती है तो स्ट्रेचमार्क्‍स बनने लगते हैं। ज्यादातर महिलाओं को गर्भावस्था की तिमाही में स्ट्रेचमार्क्‍स होते हैं। स्ट्रेचमार्क्‍स होने का कारण है उन टिश्यू का फट जाना जो कि त्वचा को खिंचने में मदद करते हैं।

- स्ट्रेचमार्क्‍स होना इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपकी त्वचा में खिंचने की कितनी क्षमता है। अगर आप यह पता लगाना चाहती हैं कि आपको स्ट्रेचमार्क्‍स होंगे या नहीं तो अपनी मां से पूछें कि उन्हें हुए थे या नहीं। क्योंकि स्ट्रेचमार्क्‍स आनुवांशिक होते हैं।

- कई बार हार्मोनक इंबैलेंस की वजह से भी स्ट्रेचमार्क्‍स होने लगते हैं। तो कई महिलाओं को वातावरण में आए बदलावों के चलते रिएक्शन के रूप मे स्ट्रेचमाक्र्स होने लगते हैं।

- जिन महिलाओं की त्वचा रूखी व बेजान होती है, उन्हें स्ट्रेचमार्क्‍स होने के चांसेस ज्यादा होते हैं।

स्ट्रेचमार्क्‍स से बचाव

- ज्यादातर महिलाओं का मानना होता है कि क्रीम और लोशन का प्रयोग करके वे स्ट्रेचमार्क्‍स से बचाव कर सकती हैं। मगर इनके अलावा भी आजकल बाजार में कई ऐसे प्रोडक्ट्स मौजूद हैं, जिनसे आपकी त्वचा अच्छे से मॉश्चराइज होती है।

- जब आप स्ट्रेचमार्क्‍स क्रीम या लोशन अपने पेट पर लगा रही होती हैं तो उस समय आप अप्रत्यक्ष रूप से अपने बेबी को मसाज दे रही होती हैं।

- स्ट्रेचमार्क्‍स से बचने का सबसे आसान तरीका है डॉक्टर द्वारा सुझाया गया वजन बढ़ाना। आमतौर पर डॉक्टर्स महिलाओं को 10-12 किलो वजन बढ़ाने के लिए सलाह देते हैं। मगर, कई महिलाएं ज्यादा वजन बढ़ा लेती हैं, जिससे स्ट्रेचमार्क्‍स बनते हैं।

कैसे हटाएं स्ट्रेचमार्क्‍स 

- स्ट्रेचमार्क्‍स होने पर ज्यादा परेशान नहीं होना चाहिए क्योंकि समय के साथ स्ट्रेचमार्क्‍स फेड होने लगते हैं। डिलेवरी के 12-14 महीनों के बाद ये कम हो जाते हैं।

- अगर आपके स्ट्रेचमार्क्‍स हद से ज्यादा बदसूरत लगते हैं, तो आपको डर्मेटोलॉजिस्ट से कंसल्ट करना चाहिए। आप डिलेवरी के तुरंत बाद ही डॉक्टर से कंसल्ट करें अन्यथा ये स्ट्रेचमार्क्‍स को साफ नहीं कर पाते।

- कई महिलाओं को स्तनपान करवाने से स्तन पर स्ट्रेचमार्क्‍स होने लगते हैं और वे इनसे निजात पाने के लिए किसी भी क्रीम का इस्तेमाल करने लगती हैं। यह गलत है, इससे फीडिंग पर प्रभाव पड़ सकता है।

- अगर कई लोशन और इलाज के बाद भी आपके स्ट्रेचमार्क्‍स ठीक नहीं हो रहे हों तो आप लेजर ट्रीटमेंट करवाएं। मगर, इससे पहले डॉक्टर्स से कंसल्ट जरूर करें।

घरेलू उपचार

- स्ट्रेचमार्क्स से छुटकारा पाने के लिए अगर आप घरेलू उपचार अपनाना चाहती हैं तो हर रोज एक्सरसाइज करें। खासकर बैली (पेट) एक्सरसाइज, ताकि पेट और कमर के आसपास की मांसपेशियां फिट रहें।

- ऐसे आहार का सेवन करें जिसमें विटामिन ई और विटामिन सी भरपूर मात्रा में हों क्योंकि ये टिश्यू और कोशिका निर्माण की प्रक्रिया को तेज करते हैं।

- स्ट्रेचमार्क्‍स वाले हिस्से में हर रोज विटामिन ई युक्त तेल से अच्छी तरह मसाज करें।

आपको हमेशा हेल्दी रखेंगे ये दो फंडें

पहला सुख निरोगी काया इस बात से तो इंकार नहीं किया जा सकता कि बिना स्वस्थ शरीर के इन दुनिया के सारे सुख किसी काम के नहीं है। इसीलिए स्वस्थ शरीर के महत्व को सदियों पूर्व हमारे पूर्वजों ने भी समझा था। यही कारण था कि उन्होंने योगा की खोज की थी। साथ रोज सुबह घुमना व जल्दी उठना स्वास्थय के लिए लाभदायक माने गए हैं। एक ताजा रिसर्च के नतीजे कहते हैं यदि कोई भी व्यक्ति जीवन भर सिर्फ इन दो उपायों को करता रहे तो उसके शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार या कमजोर पडऩे की संभावना लगभग न के बराबर रह जाती है ये सूर्य से जुड़े ये उपाय हमारे इम्यून सिस्टम को बेहद मजबूत बना देते हैं...

- उगते हुए सूरज की किरणों का शरीर से ज्यादा से ज्यादा स्पर्श होने दें। ऐसा करते हुए मार्निग वॉक, आसन, ध्यान या प्राणायाम करने से लाभ और भी अधिक बढ़ जाता है।

- सप्ताह में कम से कम 2 दिन धूप स्नान करें यानी सुबह की सूर्य किरणों के साथ नहाएं इससे आपके शरीर और मन की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।

सिर्फ दस मिनट और कहें आंखों से जुड़ी हर प्रॉब्लम को बाय-बाय!


आंखे भगवान के दिए सबसे अनमोल तोहफों में से एक है। इसीलिए आंखों का हर व्यक्ति को विशेष रूप से ख्याल रखना चाहिए। लेकिन बढ़ती तकनीकी के कारण आज बिना कंप्यूटर व टी.वी. के हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।





इसीलिए लगातार कई घंटों तक कंप्यूटर पर काम करने, टी.वी. देखने या पढ़ाई करने से आजकल अधिकतर लोगों को आंखों से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। योग से हर बीमारी का उपचार संभव है। कई हस्तमुद्राएं ऐसी है जिनका नियमित रूप से अभ्यास कर इंसान कई तरह की शारीरिक समस्याओं से छुटकारा पा सकता है। आंखों से जुड़ी परेशानियों के लिए प्राणमुद्रा को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।




प्राणमुद्रा- अंगूठे से तीसरी अनामिका यानी रिंग फिंगर तथा चौथी कनिष्ठिका यानी लिटिल फिंगर दोनों अँगुलियों के पोरों को एकसाथ अंगूठे के पोर के साथ मिलाकर शेष दोनों अँगुलियों को अपने सीध में खडा रखने से जो मुद्रा बनती है उसे प्राण मुद्रा कहते है। ह्रदय रोग में रामबाण तथा नेत्रज्योति बढाने में यह मुद्रा बहुत सहायक है।





अंगूठे से तीसरी अनामिका तथा चौथी कनिष्ठिका अँगुलियों के पोरों को एकसाथ अंगूठे के पोर के साथ मिलाकर बाकि दोनों अँगुलियों को अपने सीध में खडा रखने से जो मुद्रा बनती है उसे प्राण मुद्रा कहते हैं। ह्रदय रोग में रामबाण तथा नेत्रज्योति बढाने में यह मुद्रा बहुत सहायक है। साथ ही यह प्राण शक्ति बढ़ाने वाला भी होता है। प्राण शक्ति प्रबल होने पर मनुष्य के लिए किसी भी प्रतिकूल परिस्थितियों में धैर्यवान रहना अत्यंत सहज हो जाता है.वस्तुत: दृढ प्राण शक्ति ही जीवन को सुखद बनाती है। साथ ही यह प्राण शक्ति बढ़ाने वाला भी होता है।




प्राण शक्ति प्रबल होने पर मनुष्य के लिए किसी भी प्रतिकूल परिस्थितियों में धैर्यवान रहना अत्यंत सहज हो जाता है। वस्तुत: दृढ प्राण शक्ति ही जीवन को सुखद बनाती है। इसीलिए यह मुद्रा रोज करने से इम्युनिटी पावर तो बढ़ता ही है साथ ही दिल से जुड़ी बीमारियां होने की संभावना भी कम हो जाती है। कहते हैं अगर यह मुद्रा के लिए सिर्फ दस मिनट देकर आप आंखों से जुड़ी हर परेशानी को मुक्ति पा सकते हैं। इस मुद्रा से आंखों के थकान तो मिटती ही है आंखों की ज्योति भी बढ़ती है।

झंझटो से बचें, अपनाएं खूबसूरती के लिए नानी के ये नुस्खे

हर लड़की चाहती है कि वह खूबसूरत दिखे। उसकी त्वचा स्वस्थ और दमकती हुई हो। इसीलिए वे अपनी सुंदरता को बढ़ाने के लिए नए प्रयोग करने से भी पीछे नहीं हटती हैं। लेकिन त्वचा विशेषज्ञ व हमारी दादी व नानी भी यही सलाह देती हैं कि कास्मेटिक व सिथेंटिक्स प्रोडक्टस का उपयोग कम से कम करना चाहिए। कहते है घरेलु नुस्खे अपनाने से स्किन में नेचुरल शाइनिंग आ जाती है। इसीलिए ज्यादा कास्मेटिक्स के झंझटो से बचे व इन घरेलु उपाय को अपनाकर पाएं नेचुरल ग्लो।

- शहद में नींबू मिलाकर लगाएं

- मुलतानी मिट्टी को पानी में घोलकर लगाएं।

- बेसन का उबटन लगाएं।

- कच्चे दूध से फेस पर मसाज करें।

-नारियल पानी खूब पीएं।

- मौसमी का, ज्वार का रस पीएं।

- नीबू डालकर नहाएं या शरीर पर काली-चिकनी मिट्टी का लेप करे।

- अनावश्यक साबुन, शैंपू, केमिकल युक्त चीजें काम में नहीं लें।

- सिंथेटिक वस्तुएं इस्तेमाल नहीं करें।

- लंबे समय तक ए.सी. का प्रयोग नहीं करें।

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