सोमवार, 7 नवंबर 2011

बात अजीब है पर सच है, डॉक्टर का काम करते हैं ये ड्रायफ्रूटस

हमारे मन में अक्सर पिस्ता बादाम एवं अखरोट खाने को लेकर कुछ भ्रांतियां रहती हैं,जैसे यह रक्त में कोलेस्ट्रोल ,ट्राईग्लीस्राइड आदि को बढ़ाकर हृदय रोगों की  संभावना को बढ़ा देता होगा,पर ऐसा नहीं है। इन सूखे फलों के कई फायदे हैं, इनका निश्चित मात्रा में सेवन मस्तिष्क के लिए ही नहीं ,अपितु कई रोगों में बचाव का साधन है। हाल में ही शोधकर्ताओं ने पिस्ता बादाम एवं अखरोट खाने वाले मेटाबोलिक सिंड्रोम से पीडि़त रोगियों, जिनमे हृदय से सम्बंधित रोगों की प्रबल संभावना थी ,इसे  कम होते देखा है।

पिस्ता बादाम एवं अखरोट खाने वालों में सेरेटोनिन नामक रसायन का स्तर बढ़ जाता है, जो तंत्रिका संवेदनाओं का ले जाने का काम करता है ,परिणाम स्वरुप व्यक्ति में भूख मिट जाती  है, एवं एक खुशनुमा एहसास हृदय के लिए फायदेमंद होता है।बस ध्यान रहे, कि पिस्ता बादाम एवं अखरोट  की नियमित मात्रा एक आउंस से अधिक न हो। यह शोधपत्र ए. सी .एस .के जर्नल आफ प्रोटीओम रिसर्च में प्रकाशित हुआ है।युनिवर्सिटी ऑफ  बारसिलोना के शोधकर्ताओं का भी मानना है, कि  विश्व में मोटापे से पीडि़त रोगियों का बढऩा, मेटाबोलिक सिंड्रोम  से सीधे सम्बंधित है, जिसमें पेट के पास की चर्बी में बढ़ोत्तरी ,हाई ब्लड -शुगर और हाई ब्लड -प्रेशर मिलना तय है। 

अत: खान-पान में परिवर्तन लाकर, वजन को नियंत्रित कर, शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है ,इनमें नियमित पिस्ता बादाम एवं अखरोट का निश्चित मात्रा में सेवन भी सम्मिलित है। आपको शायद मालूम होगा, ये सूखे फल पोषक तत्वों से भरे पड़े हैं, इनमें अच्छी चर्बी (अनसेचुरेटेड फेटी- एसिड ) एवं एंटी-ओक्सिडेंट (पोलीफेनोल ) पाए जाते हैं ,जो मेटाबोलिक सिंड्रोम से लडऩे में मददगार होते है। तो आज से ही खाना शुरू करें अखरोट ,पिस्ता और बादाम और हृदय रोगों को करें ना ना ....!

ये जानने के बाद आप कहेंगे-शराब ....ना बाबा ना

यूं तो कोई भी नशा हमारे स्वास्थ्य एवं समाज के लिए नुकसानदायक होता है। आयुर्वेद भी जीवन को व्यसन मुक्त करने की सलाह देता है। हाँ यह बात भी एक सत्य है, कि प्राचीन काल में मद्य का प्रयोग चिकित्सा में किया जाता था। यह कुछ रोगों की चिकित्सा से लेकर बेहोशी लाकर सर्जरी करने तक सीमित था। यही कारण है, कि कुछ लोगों द्वारा अधिक पीने के कारण होने वाली समस्याओं का समाधान भी आचार्य चरक ने मदात्यय नामक अध्याय में वर्णित किया है। वैसे भी एल्कोहल एक टोक्सिक रसायन है, जिसका प्रयोग कोशिकाओं एवं सूक्ष्म जीवाणुओं को मारने में किया जाता है ,यही कारण है,कि़ इसे स्टरलाइजेसन हेतु प्रयोग में लाया जाता है। तो आप खुद सोचिये, कि़ यह आपके शरीर के  लिए कैसे फायदेमंद हो सकता है ? आजकल लोगों में  शराब एक फैशन एवं स्टेटस सिम्बल का रूप लेता जा रहा है। जो नहीं पीता उसे सोसाएटी में दब्बू मानने का चलन व्याप्त है। क्या महिलाएं क्या पुरुष आप इन सबको मदिरालय में जाम गटकते देख सकते हैं ,और यह भी कहते सुन सकते हैं - थोड़ी-थोड़ी पीया करो। हाँ, यह भी एक सत्य है , कि कोरोनरी हार्टडीजीज,टायप-2 डाईबिटीज से सम्बंधित कुछ अध्ययन थोड़ी मात्रा में एल्कोहल लेने के पक्ष में जाते हैं।

लेकिन आपको हम कुछ सत्य से रु-ब रु कराते हैं, जिसे  जानने के बाद आप कहेंगे -शराब ...ना  बाबा ना  -अमेरिकन कालेज आफ गेस्ट्रोएंटेरोलोजी के अध्ययन के अनुसार थोड़ी मात्रा में शराब का सेवन भी आपकी आँतों के बेक्टीरियल ग्रोथ को बढ़ा सकता है ढ्ढ 

-हारवर्ड मेडिकल स्कूल में कराये गए एक अध्ययन जिसे जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएसन में प्रकाशित किया गया है  इसके अनुसार एल्कोहल की थोड़ी मात्रा भी ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को 51 प्रतिशत से अधिक बढ़ा देती है।

-गर्भावस्था के दौरान शराब पीना भी आनेवाले बच्चे के लिए खतरनाक हो सकता है।

-यूनिवर्सिटी आफ टेक्सास, एम..ड़ी.एंडरसन कैंसर सेंटर के वैज्ञानिकों की मानें तो थोड़ी मात्रा में भी शराब का सेवन लीवर एवं ओरल कैंसर की संभावना को बढ़ा देता है।

-आपको शराब पीते देख आपके बच्चे भे इसका अनुकरण करने लग जाते हैं और ऑस्ट्रेलिया में हुआ एक अध्ययन भी इसकी पुष्टि करता है, कि़ कम उम्र से ही थोड़ी मात्रा में  शराब का प्रयोग बाद में शराब की आदत और रिस्की सेक्सुअल व्यवहार के लिए जिम्मेदार होता है। 

-थोड़ी मात्रा में एल्कोहल का सेवन भी आपके शारीरिक कोर्डिनेशन,प्रतिक्रिया एवं निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है, अत: किसी मशीन को चलाते समय या ड्राईविंग के समय एल्कोहल की थोड़ी मात्रा भी आपके जीवन के लिए खतरनाक हो सकती है।

-यदि आपको लिवर से सम्बंधित कोई समस्या है, या खून में चर्बी की मात्रा अधिक है ,तो थोड़ी मात्रा में भी शराब आपके लिए जानलेवा हो सकती है।

मंगलवार, 18 अक्टूबर 2011

दीपावली पर खाएं ऐसी डिशेज तो पेट खराब नहीं अच्छा हो जाएगा

दीपावली का सम्बन्ध दीपों की जगमगाहट से तो है ही, तथा यह साथ मिठाइयों  का  न हो ऐसा हो ही नहीं सकता।हमारे यहाँ पूजा से लेकर इष्ट मित्रों की आवाभगत के लिए मिठाईयों को चढाने एवं परोसने  का प्रचलन है। आज हम आपको बताते हैं, कि इस दीपावली आप कैसे रखें अपने सेहत का ख्याल मिठाइयों के साथ।
-आप श्रीखंड, खीर,कस्टर्ड एवं बंगाली मिठाइयों को स्कीम्ड दूध से घर में ही  तैयार करें तो बेहतर है ,ये आपको मिठास के साथ -साथ सुपाच्य होने का एहसास भी देंगे।
-मठरी.कचोडी,शक्करपाली ,चकली आदि को उच्च रेशेदार तत्वों से युक्त  गेहूं के आंटे में सोया ,मक्का,बाजरा आदि को मिलाकर ही बनाएं,इससे इनकी कैलोरी  वेल्यु तो बढ़ती ही है, साथ ही साथ इनके सेवन से पेट भी ठीक रहता है।
-नमकीन आइटमों में मेथी,पालक धनियाँ का प्रयोग स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य को बेहतर रखेगा।
-यदि आप वेज कबाब या कटलेट बना रहे हों तो ,उन्हें तलने क़ी जगह बेक करें तो बेहतर है।-सूखे मेवे एवं बादाम को बगैर तले -भुने लेना ही फायदेमंद होता है।
-कुछ मिठाइयों में अधिक मावे एवं घी का प्रयोग होता है ,जिससे इनकी केलोरी वेल्यु बढ़ जाती  है, अत: आप घर की कम शक्कर एवं घी से बनी मिठाई को ही खाने में वरीयता दें।
-त्योहारों में शराब एवं साफ्ट ड्रिंक के सेवन से बचें, इनकी हाई कैलोरी  वेल्यु सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकती है ।
-मिठाइयों की मिठास के स्थान पर आप यदि चीकू,पपीता,आम ,सेव आदि से मिलाकर बनाए गए फ्रूट सलाद  को लें तो बेहतर होगा, फलों में प्राकृतिक मिठास के साथ-साथ विटामिन,मिनरल एवं फाइबर भी होते हैं जो सेहत के लिए फायदेमंद हैं ।
-ऐसा देखा गया है, कि हम त्योहारों एवं अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में अतिरिक्त 50 कैलोरी ऊर्जा ले लेते हैं,जो शरीर में  कहीं न कहीं चर्बी के रूप में जमा हो जाता है। तो इस दीवाली आप खाएं मगर सोच समझकर जो आपके सेहत के लिए सुरक्षित हो।

कहीं आपका शरीर बीमारी का घर तो नहीं, हकीकत बयां करेंगे नाखून


नाखून आपके स्वास्थ्य व सौन्दर्य का श्रेष्ठ दर्पण है। नाखूनों का कोई रंग नहीं होता। वे पारदर्शी होते हैं। स्वस्थ दशा में नाखून का जो मोतियों की तरह गुलाबी रंग का दिखाई देता है। वह नाखून के नीचे के स्वस्थ रक्त के कारण चमकता है।

यदि आप किसी नख को जोर से दबाकर देखें तो वह रक्त के इधर-उधर सिमट जाने के कारण दूधिया रंग का दिखाई पडऩे लगता है। ऐसे लोगों में रक्त की कमी होती है या जो तनावग्रस्त रहते हैं। उनके नाखून गुलाबी और पीले न होकर पीले या सफेद नजर आते हैं। चिकने, सफेद धब्बों व धारियों से रहित नाखून आपकी स्वस्थता और सौंदर्य की सही पहचान है।

 दिल के रोग- अंगुलियों के अंतिम सिरे के ऊपर नख मुड़े हुए होना दिल या फेफड़े के रोग का प्रतीक है।

 स्नायविक दुर्बलता- नाखून टेड़े या वृताकार हों तो रक्तहीनता से पीडि़त होने के कारण ऐसा होता है। नाखूनों में आड़े उभार पैदा होना नाखून को जोर से दबाकर देखें। 

- कभी-कभी बिना नाखूनों की अंगुलियों वाले बच्चे भी पैदा होते हैं। इस लक्षण वाले शिशु में बहुधा पैदाइशी गंजापन पाया जाता है।

- नाखूनों में खुरदुरापन है, समतलता नहीं है, छोटे बच्चे नाखून चबाते हैं ऐसा कैल्सियम के कमी के कारण होता है।

नाखून टूटना ज्यादा टूटते हैं तो क्या करें - यदि नाखून टूटे, फटे, त्वचा से अलग हो गए हों तो सरसों के गुनगुने तेल में अंगुलियां दस मिनट तक डुबाएं। बाद में धीरे-धीरे मल जिसमें उनमें रक्त प्रवाह हो। यदि आपके नाखून आसानी टूट जाते हैं। कै ल्शियम से युक्त भोजन व दूध प्रचुर मात्रा में ले। 
 

संतरे का करिश्मा: ये कर देगा सर्दी, जुकाम, बुखार, एसीडिटी सबका काम तमाम

संतरा अनेक गुणों से भरपूर फल है। इसमें लोहा और पोटेशियम भी काफी होता है। संतरे की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें विद्यमान फ्रक्टोज, डेक्स्ट्रोज, खनिज एवं विटामिन शरीर में पहुंचते ही ऊर्जा देना प्रारंभ कर देते हैं। संतरे के सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है, चुस्ती-फुर्ती बढ़ती है। संतरे में विटामिन ए, बी, सी और कैल्शियम काफी मात्रा में पाए जाते है। विटामिन सी के लिए तो संतरे का कोई पर्याय नही है। इसका विटामिन सी मांसपेशियों के लिये भोजन में से कै ल्शियम अवशोषित करने में मदद करता है।

सूर्यकिरणों के द्वारा संतरे का स्टार्च शक्कर में परिवर्तित हो जाता है। यह शक्कर मानव रक्त में अपेक्षाकृत शीघ्रता से समाहित होती है। इसी कारण संतरा खाने के बाद एकदम चुस्ती महसूस होती है। नियमित रूप से संतरे को आहार में शामिल करने से सर्दी, खांसी या रक्तस्त्राव की शिकायत नहीं रहती। शरीर सशक्त और दीर्घायु बनता हैं। रात को सोते समय और फिर से सुबह संतरा खाने से हाजमा ठीक रहता है। प्रतिदिन संतरे के जूस का सेवन से किसी भी प्रकार के कैंसर की संभावना कम होती है क्योंकि संतरे के जूस में एण्टीआक्सिडेंट्स अधिक मात्रा में पाये जाते है। गठिया के मरीज भी संतरे के जूस का सेवन कर सकते हैं। इससे किसी प्रकार के दर्द से आराम मिलता है और वजन भी नियंत्रित रहता है। संतरे के जूस में फोलेट पाया जाता है और फोलेट घावों को भरने में और नये सेल्स के निर्माण में मदद करता है।संतरे के छिलकों को पत्थर पर पानी के साथ पीसकर शरीर पर मलने से चाहे कितनी भी पुरानी खुजली का रोग हो सिर्फ 5-6 दिनों में ही दूर हो जाता है। संतरे के छिलकों को धूप में सुखाकर जहां पर मच्छर हो उस जगह पर जलाने से सारे मच्छर भाग जाते हैं।

जलते हुए संतरे के छिलकों की खुशबू पूरे वातावरण में फैलने से सारा वातावरण सुगंधमय हो जाता है। संतरे के रस में एक रूई के फाए को भिगोकर आंखों पर लगभग 20 से 25 मिनट तक रखने से आंखों के नीचे के काले घेरे समाप्त हो जाते हैं।संतरे के रस में थोड़ा सा पिसा तथा भुना हुआ जीरा और पिसा हुआ सेंधानमक मिलाकर पीने से अम्लपित्त के रोग में आराम आता है। गर्भवती स्त्री अगर गर्भधारण होने के बाद के दिनों में रोजाना संतरे का प्रयोग करें तो इससे उसकी होने वाली संतान बहुत सुंदर पैदा होती है।

सोमवार, 17 अक्टूबर 2011

इन बीमारियों में महंगी दवाइयों से ज्यादा असरदार मुनक्का...

मुनक्का जिसे  बड़ी दाख के नाम से भी जाना जाता है। उसमें और साधारण दाख और मुनक्का में इतना फर्क होता है कि यह बीज वाली होती है और छोटी दाख से अधिक गुणकारी होती है। आयुर्वेद में मुनक्का को गले संबंधी रोगों की सर्वश्रेष्ठ औषधि माना गया है। दमा रोगियों के लिए भी इसका सेवन फायदेकारक है, क्योंकि मुनक्का श्वास-नलियों के अंदर जमा कफ को तुरंत बाहर निकालने की अनोखी क्षमता रखती है।

- कब्ज के रोगियों को रात्रि में मुनक्का और सौंफ  खाकर सोना चाहिए। कब्ज दूर करने की यह रामबाण औषधि है।

- मुनक्का में इतना फर्क है कि यह बीज वाली होती है और छोटी दाख से अधिक गुणकारी होती है। आयुर्वेद में मुनक्का को गले संबंधी रोगों की सर्वश्रेष्ठ औषधि माना गया है। मुनक्का के औषधीय उपयोग इस प्रकार हैं-

- शाम को सोते समय लगभग 10 या 12 मुनक्का को धोकर पानी में भिगो दें। इसके बाद सुबह उठकर मुनक्का के बीजों को निकालकर इन मुनक्कों को अच्छी तरह से चबाकर खाने से शरीर में खून बढ़ता है। इसके अलावा मुनक्का खाने से खून साफ होता है और नाक से बहने वाला खून भी बंद हो जाता है। मुनक्का का सेवन 2 से 4 हफ्ते तक करना चाहिए।

- मुनक्का का सेवन करने से कमजोरी मिट जाती है। इससे मल-मूत्र भी साफ हो जाता है।

- भूने हुए मुनक्के में लहसुन मिलाकर सेवन करने से पेट में रुकी हुई वायु (गैस) बाहर निकल जाती है और कमर के दर्द में लाभ होता है।

-  250 ग्राम दूध में 10 मुनक्का उबालें फिर दूध में एक चम्मच घी व खांड मिलाकर सुबह पीएं। इससे वीर्य के विकार दूर होते हैं।इसके उपयोग से हृदय, आंतों और खून के विकार दूर हो जाते हैं। यह कब्जनाशक है।

- सर्दी-जुकाम होने पर सात मुनक्का रात्रि में सोने से पूर्व बीज निकालकर दूध में उबालकर लें। एक खुराक से ही राहत मिलेगी। यदि सर्दी-जुकाम पुराना हो गया हो तो सप्ताह भर तक लें।

- जिन व्यक्तियों के गले में निरंतर खराश रहती है या नजला एलर्जी के कारण गले में तकलीफ बनी रहती है, उन्हें सुबह-शाम दोनों वक्त चार-पांच मुनक्का बीजों को खूब चबाकर खा ला लें, लेकिन ऊपर से पानी ना पिएं। दस दिनों तक निरंतर ऐसा करें।

- जो बच्चे रात्रि में बिस्तर गीला करते हों, उन्हें दो मुनक्का बीज निकालकर रात को एक सप्ताह तक खिलाएं

रविवार, 16 अक्टूबर 2011

कोलेस्ट्रोल और डाइबिटीज का दमदार इलाज है धनिया

हमारे यहां भोजन को रूचिकर बनाने के लिए उसमें कई तरह के मासाले मिलाए जाते हैं। उन्हीं में से एक है धनिया। क्या आपको पता है कि हरी धनिया में प्रोटीन, वसा, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, खनिज पदार्थ, जैसे- कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, कैरोटीन, थियामीन, पोटोशियम और विटामिन सी जैसे तत्व पाये जाते हैं। ये खाने को तो स्वादिष्ट बनाती है और पाचन शक्ति को दुरूस्त कर देती है। धनिया को दही में मिलाकर पीने से बदहजमी,पेचिश और कोलाइटिस में आराम मिलता है। धनिया, टाइफाइइड में भी उपयोगी है। यही नहीं धनिया कोलेस्ट्राल को भी संयमित करता है।

आंखों के लिए धनिया बड़ा गुणकारी होता है। थोड़ा सा धनिया कूट कर पानी में उबाल कर ठंडा कर के, मोटे कपड़े से छान कर शीशी में भर लें। इसकी दो बूंद आंखोंमें टपकाने से आंखों में जलन, दर्द तथा पानी गिरना जैसी समस्याएं दूर होती है।गर्भ धारण करने के दो-तीन महीने तक गर्भवती महिला को उल्टियां आती है। ऐसे में धनिया का काढ़ा बना कर एक कप काढ़े में एक चम्मच पिसी मिश्री मिला कर पीने से जी घबराना बंद होता है। हरा धनिया 20 ग्राम व चुटकी भर कपूर मिला कर पीस लें। सारा रस निचोड़ लें। इस रस की दो बूंद नाक में दोनों तरफ टपकाने से तथा रस को माथे पर लगा कर मलने से नकसीर तुरंत बंद हो जाती है। शरीर में पित्ती की तकलीफ हो तो हरे धनिये के पत्तों का रस, शहद और रोगन गुल तीनों को मिला कर लेप करने से पित्ती की खुजली में तुरंत आराम होता है।

दस्त लगने पर फ्रेश बटर मिल्क में एक या दो चम्मच ताजे धनिए का रस मिलाकर पीएं। डायरिया के उपचार में सूखा धनिया कारगर है। धनिया मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं के लिए अमृत है। इस दौरान यदि मैन्स्ट्युअल फ्लो ज्यादा हो तो आधा लीटर पानी में लगभग छह ग्राम धनिए के बीज डालकर खौलाएं और इसमें शक्कर डालकर पीएं, फायदा होगा।

गठिए की समस्या हो तो पानी में धनिए का बीज डालकर काढ़ा बनाकर पीएं। इसके सेवन से ब्लड में इंसुलिन की मात्रा नियंत्रित रहती है। इसके साथ ही यह शरीर में बैड कोलेस्ट्रोल की मात्रा घटाने और अच्छे कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ाने में भी मदद करता है। धनिया त्वचा के लिए भी फायदेमंद है। धनिए के जूस में हल्दी का पाउडर मिलाकर चेहरे पर लगाएं। इससे पिंपल की समस्या दूर होती है।

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