रविवार, 13 नवंबर 2011

देसी नुस्खा: ऐसे सिर्फ आधा चम्मच हल्दी कर देगी जानलेवा डायबिटीज को कंट्रोल


हल्दी में अनेक तरह के गुणों का खजाना है। इसीलिए हल्दी का उपयोग पुराने समय से ही भारत में भोजन में नियमित रूप से किया जाता रहा है। इसका कारण यह है कि हल्दी में वातनाशक का गुण भी पाया जाता है।आयुर्वेद में भी हल्दी को कई रोगों की एक रामबाण दवा माना गया है। हल्दी रोगियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। विशेषकर डायबिटीज के रोगियों के लिए हल्दी का उपयोग संजीवनी की तरह काम करता है।

आयुर्वेद में यह माना गया है कि हल्दी से मधुमेह का रोग भी ठीक हो जाता है। हल्दी एक फायदेमंद औषधि है। हल्दी किसी भी उम्र के व्यक्ति को दी जा सकती है चाहे वह बच्चा हो, जवान हो, बूढ़ा हो और यहां तक की गर्भवती महिला ही क्यों न हो। हल्दी में प्रोटीन,वसा खनिज पदार्थ एरेशा, फाइबर,  मैंगनीज, पोटेशियम, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम,फास्फोरस, लोहा, ओमेगा, विटामिन ए, बी, सी के स्रोत तथा कैलोरी भी पाई जाती है। माना जाता है कि मधुमेह की रोकथाम के लिए हल्दी सबसे अच्छा इलाज है। रोज आधा चम्मच हल्दी लेकर डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है।

मधुमेह के रोगियों को रोजाना ताजे आंवले के रस या सूखे आंवले के चूर्ण में हल्दी का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।

मधुमेह के रोगी  2 ग्राम हल्दी, 2 ग्राम  जामुन की गुठली का चूर्ण, 500 मिलीग्राम कुटकी मिलाकर दिन में चार बार सादे पानीं से खाएं।

 मधुमेह में आंवले के रस में हल्दी व शहद मिलाकर सेवन करने से भी मधुमेह रोगी को फायदा मिलता है।

इस एक चीज का ध्यान रखकर आप भी जी सकते हैं पूरे '' 100 साल''

हमारे बड़े-बुजुर्गों कह गए हैं  पहला सुख निरोगी काया यानी संपूर्ण सुखी जीवन की कामना बिना अच्छे स्वास्थ्य के नहीं कि जा सकती। किसी के पास कितना ही धन हो  लेकिन अगर स्वस्थ शरीर न हो तो सारे ही सुख व्यर्थ है। इसीलिए हर इंसान स्वस्थ शरीर और लंबी उम्र पाना चाहता है ताकि वह पूर्णता के साथ और सारे सुख उठाते हुए आनंदमयी तरीके से जीवन जी सकें।  काम के प्रति लगन और ईमानदारी सिर्फ काम में ही तरक्की नहीं दिलाती, बल्कि जिंदगी के पलों को भी बढ़ा देती हैं। 

जी हां अगर आप पूरी तरह मन लगाकर काम करेंगे तो बिना एक्सरसाइज के आप बेहतर सेहत पा सकते हैं। वैसे तो उम्र बढ़ाने के लिए विटामिन की गोलियों और संतुलित खान-पान की सलाह दी जाती है। लेकिन एक अध्ययन में यह बात सामने आई कि इनसे उम्र नहीं बढ़ती, बल्कि ये सभी चीजें बेहतर स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं। ईमानदारी से काम करने वाले व  काम पर ध्यान देने वालों की आयु काम में लापरवाही बरतने वालों की अपेक्षा लंबी होती है।

इसके अलावा लंबी आयु के लिए हर मनुष्य को नीचे लिखे सुत्रों का पालन जरूर करना चाहिए।

- अनियंत्रित कामुकता और विषय-विकारों से दूर रहना।

- रोज सुबह अंकुरित चना या मूंग खाली पेट या नाश्ते के साथ खाने से आपके शरीर को ताकत मिलेगी।

- अगर आप रोज अपने खानें में एक सेब इस्तेमाल करें।

- रोजाना सुबह नाश्ते में या रात को सोने से पहले दूध पीना सेहत के लिए विशेष रूप से फायदेमंद रहता है।

- खाने में हरी सब्जियों का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए इनसे हमारे शरीर को भरपूर विटामिन और आयरन मिलता है।

- हरी सब्जियों के साथ-साथ आपके खानें में सलाद एक अहम हिस्सा है। रोज खाने के साथ या जब भी आपको ठीक लगे सलाद जरूर खाएं।

शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

इस चमत्कारी पावडर में छुपा है कई बीमारियों का इलाज

कई रोगों में काम आने वाली पिप्पली के गुणों को आयुर्वेद के ग्रंथों में विस्तार से बताया गया हैं।आइये हम आपके लिए इनमें से कुछ खास गुण लेकर आयें हैं , जो इसके औषधीय महत्व को प्रकाशित करता है। अंगरेजी में इसे लांग पीपर के नाम से जाना जाता है।

-यह सांस नालियों में जमे म्यूकस यानि कफ  को निकालने में मददगार होता है।

-यह तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने वाली औषधी है तथा हमारी आंत्र गुहा को भी ठीक रखती है ,अर्थात यह आँतों की पेरिस्टालटीक गति को भी नियंत्रित रखने में मददगार होती है।

-पिप्पली हमारी पाचन क्षमता को भी ठीक करने में मददगार होती है।

-यह त्वचा से सम्बंधित विकारों के लिए भी अत्यन्य फायदेमंद औषधी है , बस किसी  भी प्रकार के कटे-फटे घाव में लगायें इसका तेल और देखें इसके लाभ।

-यह शरीर के किसे भी हिस्से में हो रहे वेदना का शमन करने वाली औषधी है।

-यह मूत्र वह संस्थान की विकृतियों में भी अपना अच्छा प्रभाव दर्शाती है।

- एक ग्राम पिप्पली चूर्ण को दोगुने शहद में मिलाकर चाटने से श्वास कास, हिक्का, ज्वर, स्वरभंग व प्लीहा रोग में लाभ होता है। यह पिप्पली कफरोग में बहुत लाभकारी है।

-यह एस्थमा,ब्रोंकाईटीस एवं पुरानी खांसी को दूर करने की रामबाण औषधी है।

इसके अलावा मलेरिया,डायरिया,पाईल्स,पेट दर्द ,भूख न लगना, हैजा, गैस बनना,नींद न आना आदि अनेकों रोगों में इसके प्रभाव गुणकारी हैं।

हमेशा जवान रहने का ये है सबसे टेस्टी और आसान नुस्खा

आंवले को आयुर्वेद में गुणों का फल माना गया है। चाहे आवंला स्वाद में कड़वा और कसैला हो लेकिन आंवला विटामिन का एक बहुत अच्छा स्त्रोत है। इसीलिए हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस फल को पुज्यनीय माना गया है। इसकी छांव में बैठकर खाने से भी अनेक रोग दूर होते हैं।

कहते हैं एक आंवले में 3 संतरों के बराबर विटामिन की मात्रा होती है। आवंला खाने से सबसे अच्छा प्रभाव बालों और त्वचा पर पड़ता है। आंवला खाने से लीवर को शक्ति मिलती है जिससे लीवर हमारे शरीर में से विषैले पदार्थों को शरीर में से आसानी से बाहर निकाल देता है।

आंवला हमारे पाचन तन्त्र और हमारी किडनी को स्वस्थ रखता आंवला अर्थराइटिस के दर्द को कम करने में भी सहायक होता है। साथ ही आंवले का स्वादिष्ट मुरब्बा ताकत देने वाला होता है। आंवले का चूर्ण मूली में भरकर खाने से मूत्राशय की पथरी में लाभ होता है। जो लोग स्वस्थ रहना चाहते हैं वो ताजा आंवला का रस शहद में मिलाकर पीने के बाद ऊपर से दूध पियें इससे स्वास्थ अच्छा रहता है। दिन भर प्रसन्नता का अनुभव होता है। आंवले का जूस पीने के भी बहुत से फायदे हैं पेट से जुड़ी सारी समस्याएं मिट जाती हैं। इसके नियमित सेवन से कभी बुढ़ापा नहीं आता है।

v

क्या आप भूलने की आदत से परेशान हैं? तो घबराइए ये नहीं ये परेशानी आजकल आम हो चूकी है। अच्छा खान-पान न होना भी याददाश्त कमजोर होने का एक बड़ा कारण है। लेकिन रोजमर्रा के जीवन में इन पांच चीजों का नियमित सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। ये पांच चीजें आपके स्नायुतंत्र को मजबूत बनाने के साथ ही आपकी याददाश्त भी बढ़ाएंगी।

  सेब- जिन व्यक्तियों के मस्तिष्क और स्नायु कमजोर हों, वे अगर रोज सेब का सेवन करें तो स्मरण शक्ति बढ़ती है।  इसके लिए रोज दो सेब बिना छिले खाना चाहिए।

 आंवला- स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए रोज सुबह आंवले का मुरब्बा खाएं। 

 - प्रतिदिन अखरोट का सेवन करें। शहद को हर रोज किसी न किसी रूप में लेने से याददाश्त अच्छी रहती है। 

-  दस बादाम बादाम रात को भिगों दे। सुबह छिलका उतारकर बारह ग्राम मक्खन और मिश्री मिला कर एक दो माह तक खाने से मस्तिष्क की कमजोरी दूर होती है।

सौंफ- सौंफ को हल्की कूटकर ऊपर के छिलके उतारकर छान लें। इस तरह अंदर की मींगी निकाल कर एक चम्मच सुबह-शाम दो बार ठंडे पानी से या दूध से फंकी लें।

खाने की इन चीजों से बचें तो कभी नहीं होगी पथरी


पथरी यानी स्टोन से होने वाला दर्द असहनीय होता है। जब पथरी गुर्दे में हो जाए तो उसके परिणाम और ज्यादा घातक होते हैं। आजकल गुर्दे में पथरी या स्टोन बनना आम समस्या हो गई है। इसमें रोगी को पेट में दर्द होता है। कई बार पेशाब होना रुक जाता है। मूत्र मार्ग में इंफेशन हो जाता है और पानी कम पीने से गुर्दे में पथरी बनने के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा होती हैं। इसके साथ ही रोजमर्रा में कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ भी हैं, जिनका सेवन पथरी बनने का कारण हो सकता है। पथरी के अधिकतर मरीज 25-45 आयुवर्ग के बीच के हैं. महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में यह रोग तीन गुना ज्यादा होता है और बच्चे भी इससे प्रभावित हो सकते हैं, इन्हीं के अंशों से पथरी के क्रिस्टल गुर्दे में इक_े होकर जुड़ जाते हैं और स्टोन का रूप धारण करते जाते हैं। धीरे-धीरे इन छोटी पथरियों पर क्रिस्टल जमा होते जाते हैं और पथरी बड़ी पथरी का रूप धारण कर लेती है।



वैसे सामान्यत पथरी का एक कारण कम पानी पीना भी होता है। पथरी मुख्य रूप से दो प्रकार की हो सकती है।

ऑक्जेलेट पथरी

फॉस्फेट पथरी



इसके साथ-साथ अतिरिक्त सिस्टीन और यूरिक एसिड की पथरी भी कभी-कभी होती देखी जाती है, लेकिन ऑक्जेलेट पथरी बनना सामान्य बात हो गई है।



इन चीजों के सेवन से बचें

पथरी बनना रोकने के लिए और जिन लोगों को गुर्दे की पथरी की शिकायत है, वे बीज वाले फल और वे सब्जियाँ जिनमें ऑक्जेलेट क्रिस्टल की मात्रा अधिक हो, उन्हें न खाएँ। हरी सब्जियों विशेषकर पालक, चौलाई में ऑक्जेलेट पत्तियों में सिस्टोलिथ के रूप में विद्यमान रहता है। जिन्हें पथरी रोगों की संभावना रहती है, उन्हें इन सब्जियों का सेवन सावधानी से करना चाहिए।



ऑक्जेलेट पथरी

टमाटर, बैंगन, आँवला, चीकू, काजू, खीरा, पालक आदि का उपयोग कम से कम या न ही करें तो रोगी के लिए बेहतर है।



यूरिक एसिड पथरी

फूलगोभी, कद्दू, मशरूम, बैंगन और अधिक प्रोटीनयुक्त आहार से यूरिक एसिड पथरी के रोगियों को परहेज करना चाहिए।



फॉस्फेट पथरी

फॉस्फेट पथरी के रोगियों को दूध और इससे बने उत्पाद, मछली और मांसाहार से बचना चाहिए।



करेला, नारियल पानी , केला, गाजर का खूब सेवन करके आप पथरी से बच सकते हैं। इसके अलावा रोज तीन से चार लीटर पानी पीएं तो पथरी नहीं होगी।


घरेलू उपाय सिर्फ पंद्रह दिनों में मिलेगी झड़ते बालों से राहत

घने और काले बाल हर इंसान चाहता है। लेकिन आजकल बढ़ते प्रदुषण और अन्य कारणों से बाल बहुत अधिक झडऩे लगते हैं। क्या आपके भी बाल झड़ रहे हैं। बाल रूखे दो मुंहे और बेजान हो गए हैं। कम बालों का असर अगर आपके व्यक्तित्व पर पडऩे लगा है। आप कम उम्र में ही अधिक उम्र के दिखाई देने लगे हैं तो नीचे दिए आयुर्वेदिक फंडे एक बार जरूर अपनाएं।

- नारियल के तेल में कपूर मिलाएं और यह तेल अच्छी तरह बालों में तथा सिर पर लगाएं। कुछ ही दिनों डेंड्रफ की समस्या से राहत मिलेगी।

-  सामान्यत: सभी के यहां शहद आसानी से मिल जाता है। शहद के औषधीय गुण सभी जानते हैं। शहद की तासीर ठंडी होती है और यह कई बीमारियों को दूर करने में सक्षम है। शहद से बालों का झडऩा भी रोका जा सकता है।

- बाल झड़ते हैं तो गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर का पेस्ट बनाएं। नहाने से पहले इस पेस्ट को सिर पर लगा लें। 15 मिनट बाद बाल गरम पानी से सिर को धोएं। ऐसा करने पर कुछ ही दिनों बालों के झडऩे की समस्या दूर हो जाएगी।

-दालचीनी और शहद के मिश्रण काफी कारगर रहता है। आयुर्वेद के अनुसार इनके मिश्रण से कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। त्वचा और शरीर को चमकदार और स्वस्थ बनाए रखने के लिए इनका उपयोग करना चाहिए।

- नियमित रूप से नारियल पानी पीएं। अमरबैल को नारियल तेल में उबालकर बालों में लगाएं।

- अमरबैल डालकर नहाने के लिए पानी उबाले और उसे उबालकर एक चौथाई करके सिर में डालें। 

   ऊपर लिखें उपायों से पंद्रह दिन में झड़ते बालों से राहत मिलने लगेगी।

Featured post

इस फ़ार्मूले के हिसाब से पता कर सकती हैं अपनी शुभ दिशाऐं

महिलाएँ ...इस फ़ार्मूले के हिसाब से पता कर सकती हैं अपनी शुभ दिशाऐं।   तो ये है इस फ़ार्मूले का राज... 👇 जन्म वर्ष के केवल आख़री दो अंकों क...