सोमवार, 14 नवंबर 2011

दादी मां के नुस्खे: इन्हें अपनाएंगे तो नहीं जाना पड़ेगा बार-बार डॉक्टर के पास


आजकल के बदलते वातावरणीय प्रदूषण, खान-पान में मिलावट व शुद्धता की कमी के चलते कई तरह की बीमारियां हो सकती है। अच्छी सेहत सभी चाहते हैं लेकिन छोटी-मोटी समस्याएं हम सभी को हो सकती है। कुछ समस्याएं ऐसी होती है जिनके लिए डॉक्टर के पास भी नहीं जाया जा सकता है। ऐसी ही कुछ समस्याओं के लिए हम आपको बताने जा रहे है कुछ घरेलु नुस्खे -:



- गैस की तकलीफ से तुरंत राहत पाने के लिए लहसुन की 2 कली छीलकर 2 चम्मच शुद्ध घी के साथ चबाकर खाएं फौरन आराम होगा।



- ताजा हरा धनिया मसलकर सूंघने से छींके आना बंद हो जाती हैं।





- प्याज का रस लगाने से मस्सो के छोटे-छोटे टुकड़े होकर जड़ से गिर जाते हैं।





- यदि नींद न आने की शिकायत है, तो रात्रि में सोते समय तलवों पर सरसों का तेल लगाएं।





- प्याज के रस में नींबू का रस मिलाकर पीने से उल्टियां आना तत्काल बंद हो जाती हैं।





- सूखे तेजपान के पत्तों को बारीक पीसकर हर तीसरे दिन एक बार मंजन करने से दांत चमकने लगते हैं।





- हिचकी चलती हो तो 1-2 चम्मच ताजा शुद्ध घी, गरम कर सेवन करें।





- यदि आवाज बैठी हुई है या गले में खराश है, तो सुबह उठते समय और रात को सोते समय छोटी इलायची चबा-चबाकर खाएं तथा गुनगुना पानी पीएं।
खाने मे इस्तेमाल आने वाला सादा नमक लेकर उसे तवे पर डालकर धीमी आंच पर सेकें। जब इसका कलर काफी जैसा काला भूरा हो जाए तो उतार कर ठण्डा करें। ठण्डा हो जाने पर एक शीशी में भरकर रखें। जब आपको ये महसूस होने लगे की आपको बुखार आ सकता है तो बुखार आने से पहले एक चाय का चम्मच एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर ले लें। जब आपका बुखार उतर जाए तो एक चम्मच नमक एक बार फिर से लें। ऐसा करने से बुखार पलटकर भी नहीं आएगा।

 सावधानी- हाई ब्लडप्रेशर के रोगियों को यह प्रयोग नहीं करना चाहिये।

पेटदर्द से परेशान हैं तो आपके लिए वरदान हैं ये चटपटे नुस्खे

पेट में दर्द होने के अनेक कारण हो सकते हैं। लेकिन अधिकतर पेट दर्द का कारण भोजन न पचना होता है। पेट में किसी भी तरह का दर्द हो बोतल में गर्म पानी भरकर सेंकने से आराम मिलता है। जब तक पेटदर्द शांत न हो जाए तब तक कुछ नहीं खाना चाहिए। 

अपच होने पर पेट भारी होकर फूल जाता है,इससे पेट दर्द और बैचेनी जलन और कभी कभी मितली आने लगती है, खट्टी डकारें आती है,पेट में भारीपन महसूस होता है, पेटदर्द और उल्टी आदि की शिकायतें होती है। पेटदर्द मिटाने के लिए कड़वी दवाईयां ले लेकर आप परेशान हो चूके हैं तो आजमाइए पेट दर्द दूर भगाने वाले कुछ टेस्टी नुस्खे-

 - दो चम्मच मेथी दाना में नमक मिलाकर सुबह-शाम दो बार गर्म पानी से लें।

 -  सौंफ और सेंधा नमक मिलाकर पीसकर दो चम्मच गर्म पानी से लें। 

 -  काली मिर्च, हींग, सौंठ समान मात्रा में पीसकर सुबह शाम गर्म पानी से आधा चम्मच लें।

 -  पिसी लाल मिर्च गुड़ में मिलाकर खाने से पेट दर्द में लाभ होता है।

 -  दो इलायची पीसकर शहद मिलाकर चाटने से लाभ होता है।

 -  अनार के दानों पर काली मिर्च और नमक डाल कर चूसें।

 -  नींबू की फांक पर काला नमक, काली मिर्च व जीरा डालकर गर्म करके चूसें।  

 -  २ ग्राम अजवाइन में एक ग्राम नमक मिलाकर गर्म पानी से लें।

दिनचर्या में इतना सा सुधार करेंगे तो बचे रहेंगे डाइबिटीज से हमेशा

आज के दौर में मुझे तनाव नहीं है... यह वाक्य शायद ही किसी के हों, क्योंकि तनाव हमारे जीवन को एक अभिन्न पहलू बनता जा रहा है थोड़ा बहुत तनाव जीवन में स्वाभाविक होता है, परन्तु जब यह अपनी पराकाष्ठा को पार कर जाय ,तो मानसिक विकारों के साथ-साथ हृदय सहित डाइबिटीज जैसे रोगों को निमंत्रण देता है। दुनिया में डाइबिटीज जैसे शारीरिक विकारों की उत्पत्ति के पीछे भी अनियमित खानपान एवं तनावयुक्त दिनचर्या एक बड़ा कारण है, आज दुनिया में जिस प्रकार डाइबिटीज  के रोगी बढ़ रहे हैं ,भारत भी इस मामले में एक कदम आगे है, यूं ही नहीं हमें डाइबिटीज की राजधानी में रहने का गौरव दिया गया है। 

लेकिन हमारी संस्कृति, धर्म एवं जीवन जीने के सिद्धांतों ने इसे हजारों वर्ष पहले ही भांप लिया था, शायद हमारे आचार्यों की दिव्य दूरदृष्टि का यह कमाल ही रहा होगा कि आयुर्वेद एवं योग में ऐसे कई उपाय बताये गए ,जिससे जीवन को जीने की सही कला विकसित हुई ,लेकिन यह भी एक कटु सत्य है, कि हमने आधुनिकता एवं भौतिकता की अंधी दौड़ में इन सबको कहीं भुला दिया और आधुनिक पश्चिमी जीवनशैली का अनुकरण करने लग गए ,इसकी फलश्रुति डाइबिटीज जैसी शारीरिक विकृतियों के रूप में सामने आयी। आज पुरी दुनिया योग एवं आयुर्वेद को अपना कर यह साबित कर रही है, कि हमारे आचार्यों का विज्ञान तथ्यों से पूर्ण था। आयुर्वेद में सदियों पूर्व प्रमेह रोग के रूप में डाइबिटीज को समाहित किया था, एवं इसके मूल कारणों में आरामतलबी जीवन एवं खानपान को बतलाया गया था। आइए आज हम कुछ ऐसे उपायों पर चर्चा करेंगे जिससे आपको इस विकृति को शरीर में सुकृति के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।

-आप कफ बढाने वाले खान-पान एवं दिनचर्या (दिन में सोने) से बचें।

-नियमित व्यायाम से आप डाइबिटीज सहित हृदय रोगों से भी बचे रह सकते हैं इसके लिए योग अभ्यास ( पश्चिमोत्तासन एवं हलासन का अभ्यास ) एक महत्वपूर्ण साधन है।

-संतुलित भोजन को प्राथमिकता दें।

-रोज खाने के बाद थोड़ी देर जरूर टहले।

-धूम्रपान व मद्यपान से बचें।

-जामुन के गुठली का चूर्ण ,नीम के पत्र  का चूर्ण,बेल के पत्र का चूर्ण ,शिलाजीत , गुडमार ,करेला बीज एवं त्रिफला का चूर्ण चिकित्सक के परामर्श से लेना डाइबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद होगा।

-कुछ आयुर्वेदिक औषधियां जैसे वसंतकुसुमाकर रस ,त्रिबंग भस्म ,शिलाजीत,चंद्रप्रभावटी इस रोग में दी जानेवाली प्रचलित औषधी हैं।

नहीं लेनी पड़ेगी ब्लडप्रेशर व कोलेस्ट्रोल के लिए रोज दवाई, अजमाएं ये नुस्खा

अनार के गुणों से तो आप समय-समय पर परिचित होते रहे हैं, लेकिन हाल का एक शोध आपकी इस सुन्दर फल के बारे में नयी सोच को पैदा करेगा इजराएल के वेस्टर्न गेली मेडिकल सेंटर में लीलेक शेमा और उनके साथियों का एक शोध यह सिद्ध कर रहा है , कि गुर्दे (कीडनी ) से सम्बंधित बीमारी से पीडि़त रोगी में अनार का रस अपने एंटी-ओक्सीडेंट गुणों की प्रचुरता के कारण कोलेस्ट्रोल एवं रक्तचाप को कम करने में मदद करता है।

यह अध्ययन 101 डायलीसिस ले रहे रोगियों को अनार का रस साढ़े तीन ओंस की मात्रा में सप्ताह में तीन बार देकर किया गया। एक वर्ष तक लगातार प्रयोग के उपरान्त यह पाया गया, कि 22 प्रतिशत  रोगियों ने प्लेसीबो समूह की अपेक्षा, उच्च रक्तचाप की दवाओं को लेना छोड़ दिया था। इस अध्ययन से यह साबित हुआ है, कि अनार का रस पीने से आपके रक्त के कोलेस्ट्रोल स्तर के साथ रक्तचाप भी नियंत्रित रहता है तो ,आज से ही शुरू करें पीना, अनार का रस, इसलिए तो सत्य कहा है एक अनार सौ बीमार

रविवार, 13 नवंबर 2011

सोते समय इन बातों का ध्यान न रखा तो हो जाएगी उम्र से पहले कमर टेढ़ी

यह तो हम सभी जानते हैं कि शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ रखने के लिए नींद बहुत जरूरी है, लेकिन बहुत कम किस्मत वाले लोग होते हैं जिन्हें रातभर चैन की नींद आती है? कुछ लोगों का मानना है कि 9 घंटे की नींद तरोताजा रहने के लिए जरूरी है। लेकिन विशेषज्ञ साढ़ेसात घंटे की नींद बहुत मानते हैं। परंतु शर्त यही है कि उसे नींद दवाओं की मदद से नहीं, बल्कि प्राकृतिक रूप से आए। अधिकतर लोग इस परेशानी को दूर करने के लिए चाय या कॉफी पी लेते हैं, लेकिन यह भी परमानेंट सोल्यूशन नहीं है। 

क्या आप जानते हैं कि अधुरी नींद का कारण आपका बिस्तर भी हो सकता है। हो सकता है कि आपकी नींद के खो जाने के कारण कोई शारीरिक परेशानी नहीं बल्कि आपका बिस्तर हो। जी हां अगर आपको ठीक से नींद नहीं आती तो थोड़ा सावधान हो जाएं। ये तो ठीक है कि आपको नर्म गद्दे के बिना नींद नहीं आती। लेकिन अगर हम कहें कि आपके नर्म गद्दे के कारण ही आपको नींद नहीं आती तो डॉक्टरों की मानें तो नर्म गद्दे पर सोने की आदत आपकी कमर व रीढ़ की हड्डियों में गंभीर दर्द शुरू कर सकती है। 

इसके साथ ही हड्डी रोग विशेषज्ञों की मानें तो लोगों को अपने उठने-बैठने के तरीकों से लेकर सोने तक की मुद्रा पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि रोज की इन गलत आदतों की वजह से हड्डियों में दर्द शुरू हो सकता है। ये बातें ऐसी हैं जिनका ध्यान ना रखने पर धीरे-धीरे कमर व रीढ़ की हड्डियों में दर्द शुरू हो जाता है। साथ ही अपने खान-पान पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि वजन बढ़ जाने से शरीर का भार घुटने पर ज्यादा पड़ता है और लोग घुटने के दर्द से बेहाल हो जाते हैं। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि समय से पहले आपकी कमर न झुके आपको गहरी नींद आए तो ज्यादा साफ्ट गद्दे पर सोने से बचें। 

इस एक फंडे से पाइए जोड़ो व घुटनों के दर्द से छुटकारा हमेशा के लिए

यदि आप जोड़ों के दर्द आस्टीयो-आर्थराईटीस से हैं, परेशान तो न घबराएं विशेषज्ञों की मानें तो आहार में कुछ परिवर्तन के साथ नियमित व्यायाम इस प्रकार के जोड़ों के दर्द को 50 प्रतिशत से अधिक कम कर सकता है। वेक फारेस्ट यूनिवर्सिटी के स्टीफन पी.मेसीयर  के एक शोध में यह जानकारी दी गयी है, जिसे हाल ही में अमेरिकन कालेज आफ रयूमेटोलोजी के सालाना वैज्ञानिक सत्र में प्रस्तुत किया गया है। 

आस्टीयो-आर्थराईटीस में सामन्यतया घुटनों की उपास्थि नष्ट हो जाती है ,तथा वजन में बढ़ोत्तरी ,उम्र एवं चोट ,जोड़ों में तनाव एवं पारिवारिक इतिहास आदि कारण इसे बढाने का काम करते हैं। ऐसे रोगियों में नियंत्रित आहार से वजन कम करना जोड़ों के दर्द को कम करने का कारगर उपाय है। यह अध्धयन 154 ओवरवेट  लोगों में किया गया, जिनमें आस्टीयो-आर्थराईटीस के कारण घुटनों का दर्द बना हुआ था, इस शोध में लोगों को रेंडमली चुना गया, तथा उन्हें केवल आहार नियंत्रण एवं आहार नियंत्रण के साथ नियमित व्यायाम कराया गया और इन समूहों को एक कंट्रोल समूह से तुलना कर अध्ययन किया गया। इस अध्ययन से यह बात सामने आयी, कि आस्टीयो-आर्थराईटीस से पीडि़त रोगियों में वजन कम करना घुटनों के दर्द से राहत पाने का एक अच्छा विकल्प है।

देसी नुस्खा: ऐसे सिर्फ आधा चम्मच हल्दी कर देगी जानलेवा डायबिटीज को कंट्रोल


हल्दी में अनेक तरह के गुणों का खजाना है। इसीलिए हल्दी का उपयोग पुराने समय से ही भारत में भोजन में नियमित रूप से किया जाता रहा है। इसका कारण यह है कि हल्दी में वातनाशक का गुण भी पाया जाता है।आयुर्वेद में भी हल्दी को कई रोगों की एक रामबाण दवा माना गया है। हल्दी रोगियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। विशेषकर डायबिटीज के रोगियों के लिए हल्दी का उपयोग संजीवनी की तरह काम करता है।

आयुर्वेद में यह माना गया है कि हल्दी से मधुमेह का रोग भी ठीक हो जाता है। हल्दी एक फायदेमंद औषधि है। हल्दी किसी भी उम्र के व्यक्ति को दी जा सकती है चाहे वह बच्चा हो, जवान हो, बूढ़ा हो और यहां तक की गर्भवती महिला ही क्यों न हो। हल्दी में प्रोटीन,वसा खनिज पदार्थ एरेशा, फाइबर,  मैंगनीज, पोटेशियम, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम,फास्फोरस, लोहा, ओमेगा, विटामिन ए, बी, सी के स्रोत तथा कैलोरी भी पाई जाती है। माना जाता है कि मधुमेह की रोकथाम के लिए हल्दी सबसे अच्छा इलाज है। रोज आधा चम्मच हल्दी लेकर डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है।

मधुमेह के रोगियों को रोजाना ताजे आंवले के रस या सूखे आंवले के चूर्ण में हल्दी का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।

मधुमेह के रोगी  2 ग्राम हल्दी, 2 ग्राम  जामुन की गुठली का चूर्ण, 500 मिलीग्राम कुटकी मिलाकर दिन में चार बार सादे पानीं से खाएं।

 मधुमेह में आंवले के रस में हल्दी व शहद मिलाकर सेवन करने से भी मधुमेह रोगी को फायदा मिलता है।

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