सोमवार, 14 नवंबर 2011

दिनचर्या में इतना सा सुधार करेंगे तो बचे रहेंगे डाइबिटीज से हमेशा

आज के दौर में मुझे तनाव नहीं है... यह वाक्य शायद ही किसी के हों, क्योंकि तनाव हमारे जीवन को एक अभिन्न पहलू बनता जा रहा है थोड़ा बहुत तनाव जीवन में स्वाभाविक होता है, परन्तु जब यह अपनी पराकाष्ठा को पार कर जाय ,तो मानसिक विकारों के साथ-साथ हृदय सहित डाइबिटीज जैसे रोगों को निमंत्रण देता है। दुनिया में डाइबिटीज जैसे शारीरिक विकारों की उत्पत्ति के पीछे भी अनियमित खानपान एवं तनावयुक्त दिनचर्या एक बड़ा कारण है, आज दुनिया में जिस प्रकार डाइबिटीज  के रोगी बढ़ रहे हैं ,भारत भी इस मामले में एक कदम आगे है, यूं ही नहीं हमें डाइबिटीज की राजधानी में रहने का गौरव दिया गया है। 

लेकिन हमारी संस्कृति, धर्म एवं जीवन जीने के सिद्धांतों ने इसे हजारों वर्ष पहले ही भांप लिया था, शायद हमारे आचार्यों की दिव्य दूरदृष्टि का यह कमाल ही रहा होगा कि आयुर्वेद एवं योग में ऐसे कई उपाय बताये गए ,जिससे जीवन को जीने की सही कला विकसित हुई ,लेकिन यह भी एक कटु सत्य है, कि हमने आधुनिकता एवं भौतिकता की अंधी दौड़ में इन सबको कहीं भुला दिया और आधुनिक पश्चिमी जीवनशैली का अनुकरण करने लग गए ,इसकी फलश्रुति डाइबिटीज जैसी शारीरिक विकृतियों के रूप में सामने आयी। आज पुरी दुनिया योग एवं आयुर्वेद को अपना कर यह साबित कर रही है, कि हमारे आचार्यों का विज्ञान तथ्यों से पूर्ण था। आयुर्वेद में सदियों पूर्व प्रमेह रोग के रूप में डाइबिटीज को समाहित किया था, एवं इसके मूल कारणों में आरामतलबी जीवन एवं खानपान को बतलाया गया था। आइए आज हम कुछ ऐसे उपायों पर चर्चा करेंगे जिससे आपको इस विकृति को शरीर में सुकृति के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।

-आप कफ बढाने वाले खान-पान एवं दिनचर्या (दिन में सोने) से बचें।

-नियमित व्यायाम से आप डाइबिटीज सहित हृदय रोगों से भी बचे रह सकते हैं इसके लिए योग अभ्यास ( पश्चिमोत्तासन एवं हलासन का अभ्यास ) एक महत्वपूर्ण साधन है।

-संतुलित भोजन को प्राथमिकता दें।

-रोज खाने के बाद थोड़ी देर जरूर टहले।

-धूम्रपान व मद्यपान से बचें।

-जामुन के गुठली का चूर्ण ,नीम के पत्र  का चूर्ण,बेल के पत्र का चूर्ण ,शिलाजीत , गुडमार ,करेला बीज एवं त्रिफला का चूर्ण चिकित्सक के परामर्श से लेना डाइबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद होगा।

-कुछ आयुर्वेदिक औषधियां जैसे वसंतकुसुमाकर रस ,त्रिबंग भस्म ,शिलाजीत,चंद्रप्रभावटी इस रोग में दी जानेवाली प्रचलित औषधी हैं।

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