ठंड शुरू हो चूकी है और ठंड शुरू होते ही पिंडखजूर भी याद आने लगती है। पिंडखजूर का मीठा स्वाद और इसका दूध भी बहुत गुणकारी माना जाता है।गर्म पानी के साथ सोते समय पिंडखजूर का स्वाद ले ये आपके लिए चमत्कारी रूप से काम करेगी। कब्ज के लिए भी यही प्रयोग अपनाएं। एक कप दूध में दो छुहारे उबालकर खाना बलवर्धक होता है। उपर से वही दूध पी भी लेना चाहिए। अगर आपको अपनी कामशक्ति में कमी महसूस होती है तो पिंडखजूर के दूध का दस दिनों तक नियमित सेवन करें। पिंड खजूर गुणों का खजाना है पूरी ठंड आवश्यकतानुसार सेवन से चमत्कारिक असर दिखाई देने लगते हैं। इससे आपका वैवाहिक जीवन खुशहाल बनने लगेगा।
सर्दियों में यह प्रयोग ज्यादा लाभ देता है। यूं तो सर्दियों में खजूर का सेवन सबसे ठीक रहता है फिर भी गर्मियों में सूखे खजूरों को भिगोकर खाया जा सकता है। जिस पानी में ये भिगोए गए हों उसे पेय के रूप में लेना अच्छा माना जाता है। भीगा खजूर गर्मी नहीं करता उसे गाय के कच्चे दूध के साथ लिया जाना चाहिए। परन्तु ध्यान रखें कि इस दूध का सेवन भोजन के साथ न करें अन्यथा लाभ नहीं मिल पाता।
पिंड खजूर में प्रोटीन, वसा और शर्करा पर्याप्त मात्रा पाया जाता है। कैल्शियम, लोहा भी पाया जाता है साथ विटामिन ए, बी और सी भी पाए जाते हैं। पूरी तरह से पके हुए खजूर में शर्करा की मात्रा 85 प्रतिशत तक हो जाती है। प्रति 100 ग्राम खजूर के सेवन से 283 कैलोरी उर्जा मिलती है। खजूर के साथ-साथ इसके पेड़ से निकाले गए रस और गुठली को भी उपयोग में लाया जाता है। कमजोरी, दुबलापन, मूत्र की रूकावट तथा जलन दूर करने में उपयोगी होता है। इसके रस से गुड़ भी बनाया जाता है। इसका प्रयोग गैसरूप में किया जाता है। छोटे-मोटे घाव होने पर खजूर की जली गुठली का चूर्ण लगाएं।
नींबू के रस में खजूर की चटनी बनाकर खाने से भोजन के प्रति अरूचि मिटती है। शहद के साथ खजूर के चूर्ण का तीन बार सेवन रक्त पित्त की अवस्था में लाभदायक होता है। अतिसार रोग में दही के साथ खजूर के चूर्ण का उपयोग लाभदायक होता है। इसका उपयोग करते समय एक चीज का ध्यान जरूर रखें पिंड खजूर का उपयोग हमेशा धो कर करें।
सर्दियों में यह प्रयोग ज्यादा लाभ देता है। यूं तो सर्दियों में खजूर का सेवन सबसे ठीक रहता है फिर भी गर्मियों में सूखे खजूरों को भिगोकर खाया जा सकता है। जिस पानी में ये भिगोए गए हों उसे पेय के रूप में लेना अच्छा माना जाता है। भीगा खजूर गर्मी नहीं करता उसे गाय के कच्चे दूध के साथ लिया जाना चाहिए। परन्तु ध्यान रखें कि इस दूध का सेवन भोजन के साथ न करें अन्यथा लाभ नहीं मिल पाता।
पिंड खजूर में प्रोटीन, वसा और शर्करा पर्याप्त मात्रा पाया जाता है। कैल्शियम, लोहा भी पाया जाता है साथ विटामिन ए, बी और सी भी पाए जाते हैं। पूरी तरह से पके हुए खजूर में शर्करा की मात्रा 85 प्रतिशत तक हो जाती है। प्रति 100 ग्राम खजूर के सेवन से 283 कैलोरी उर्जा मिलती है। खजूर के साथ-साथ इसके पेड़ से निकाले गए रस और गुठली को भी उपयोग में लाया जाता है। कमजोरी, दुबलापन, मूत्र की रूकावट तथा जलन दूर करने में उपयोगी होता है। इसके रस से गुड़ भी बनाया जाता है। इसका प्रयोग गैसरूप में किया जाता है। छोटे-मोटे घाव होने पर खजूर की जली गुठली का चूर्ण लगाएं।
नींबू के रस में खजूर की चटनी बनाकर खाने से भोजन के प्रति अरूचि मिटती है। शहद के साथ खजूर के चूर्ण का तीन बार सेवन रक्त पित्त की अवस्था में लाभदायक होता है। अतिसार रोग में दही के साथ खजूर के चूर्ण का उपयोग लाभदायक होता है। इसका उपयोग करते समय एक चीज का ध्यान जरूर रखें पिंड खजूर का उपयोग हमेशा धो कर करें।
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