किशोरवस्था की समाप्ति और युवावस्था के आरंभ में कुछ युवक और युवतियों के चेहरे पर निकलने वाले मुहांसों पीडि़त हो जाते हैं। मुहांसों से कष्ट तो होता ही है, चेहरे भी भद्दा दिखाई देता है। जिनको मुहांसे निकलते हों उन्हें अपने खाने में गर्म प्रकृति पदार्थ, तले हुए, तेज मिर्च मसाले वाले, खट्टे तीखे पदार्थों को शामिल नहीं करना चाहिए। दोनों वक्त, सुबह उठने के बाद और रात को सोने से पहले पेट साफ होना आवश्यक है। भोजन करते समय कौर 32 बार चबाना चाहिए। इतना करते हुए, मुहांसे ठीक करने के लिए, निम्रलिखित दवाई का सेवन करना चाहिए।
सामग्री-पलाश के फूल, लाल चंदन, लाख, मजीठ, मुलहठी, कुसुम, खस, पदमाख, नील, कमल,बड़ की जटा, पाकड़ की मूल, कमल केशर, मेंहदी, हल्दी, दारुहल्दी और अनन्तमूल-सभी 16 द्रव्य 50-50 ग्राम। तिल का तैल 200 ml बकरी का दूध 200ml और पानी 3 लीटर।
कैसे बनाएं-सब द्रव्यों को खूब कूट पीस कर महीन कपड़ छन चूर्ण कर लें। फिर तीन लीटर पानी में इन्हें इतनी देर तक उबालें कि पानी एक चौथाई बचे। इसे छान लें। अलग से केशर, मजीठ, मुलहठी, लाख व पतंग 10-10ग्राम ले कर लुगदी बनाकर इसमें डाल दें। फिर तैल व बकरी का दूध डाल कर मंदी आंच पर पकाएं। जब पानी व दूध जल जाए, सिर्फ तैल बचे, तब उतार कर ठंड कर लें और छान कर बाटल में भर लें।
मात्रा और सेवन विधि- अनामिका अंगुली से तैल मुहांसों पर लगा कर चेहरे को मलना चाहिए। एक बार सुबह स्नान करने से आधा घंटा पहले और दूसरी बार रात को सोने से आधा घंटा पहले इस तैल लगा कर मसाज करें।
लाभ-लगातार यह प्रयोग करने से मुहांसे तो ठीक होते ही हैं, साथ ही चेहरे की त्वचा उजली, कांतिपूर्ण और चिकनी होने से चेहरा चमकने लगता है। जिनका सुबह पेट साफ न होता हो वे शाम को सोने से पहले वैद्य पटनाकर काढ़ा, एक चम्मच थोड़े से पानी में मिला कर पी लिया। एक चम्मच से असर हो तो दो चम्मच काढ़ा लिया करें। काढ़े की मात्रा ज्यादा हो जाने पर सुबह दस्त पतला होगा। ऐसे में काढ़े की मात्रा कम कर लें। तीन-चार दिन में काढ़े की मात्रा घटा और बढ़ाकर अपने अनुकूल मात्रा निश्चित कर लें। अनुकूल मात्रा में ही इस काढ़े का सेवन करें। इस पूरे प्रयोग से एक दो माह में मुहांसे गायब हो जाएंगे।
सामग्री-पलाश के फूल, लाल चंदन, लाख, मजीठ, मुलहठी, कुसुम, खस, पदमाख, नील, कमल,बड़ की जटा, पाकड़ की मूल, कमल केशर, मेंहदी, हल्दी, दारुहल्दी और अनन्तमूल-सभी 16 द्रव्य 50-50 ग्राम। तिल का तैल 200 ml बकरी का दूध 200ml और पानी 3 लीटर।
कैसे बनाएं-सब द्रव्यों को खूब कूट पीस कर महीन कपड़ छन चूर्ण कर लें। फिर तीन लीटर पानी में इन्हें इतनी देर तक उबालें कि पानी एक चौथाई बचे। इसे छान लें। अलग से केशर, मजीठ, मुलहठी, लाख व पतंग 10-10ग्राम ले कर लुगदी बनाकर इसमें डाल दें। फिर तैल व बकरी का दूध डाल कर मंदी आंच पर पकाएं। जब पानी व दूध जल जाए, सिर्फ तैल बचे, तब उतार कर ठंड कर लें और छान कर बाटल में भर लें।
मात्रा और सेवन विधि- अनामिका अंगुली से तैल मुहांसों पर लगा कर चेहरे को मलना चाहिए। एक बार सुबह स्नान करने से आधा घंटा पहले और दूसरी बार रात को सोने से आधा घंटा पहले इस तैल लगा कर मसाज करें।
लाभ-लगातार यह प्रयोग करने से मुहांसे तो ठीक होते ही हैं, साथ ही चेहरे की त्वचा उजली, कांतिपूर्ण और चिकनी होने से चेहरा चमकने लगता है। जिनका सुबह पेट साफ न होता हो वे शाम को सोने से पहले वैद्य पटनाकर काढ़ा, एक चम्मच थोड़े से पानी में मिला कर पी लिया। एक चम्मच से असर हो तो दो चम्मच काढ़ा लिया करें। काढ़े की मात्रा ज्यादा हो जाने पर सुबह दस्त पतला होगा। ऐसे में काढ़े की मात्रा कम कर लें। तीन-चार दिन में काढ़े की मात्रा घटा और बढ़ाकर अपने अनुकूल मात्रा निश्चित कर लें। अनुकूल मात्रा में ही इस काढ़े का सेवन करें। इस पूरे प्रयोग से एक दो माह में मुहांसे गायब हो जाएंगे।
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