गुरुवार, 15 दिसंबर 2011

गर्म दूध के इस नुस्खे से 20 मिनट में बाल हो जाएंगे शाइनी और सिल्की


आजकल बढ़ते प्रदूषण व अनियमित खान-पान के कारण बाल रूखे व बेजान हो जाते हैं। ऐसे में अपने बालों की खूबसूरती और मजबूती के लिये अधिकतर लोग बाजार के कैमिकल युक्त कंडिशनर का उपयोग करते हैं। लेकिन ये बाजार के कंडिशनर थोड़े समय के लिए भले ही बालों को चमकदार बना दें। परन्तु इसके लगातार प्रयोग से बालों को नुकसान पहुंचता है।

ऐसे में समस्या ये है कि बालों को बिना कंडिशनिंग के भी तो नहीं रखा जा सकता। अगर आप के  साथ भी यही समस्या है तो यहां दी जा रही है डीप कंडीशनर की एक बेहद आसान विधि जिसे कोई भी आसानी से कर सकताहै। आप इस आयुर्वेदिक डीप कंडीशनर का प्रयोग 20 दिन में एक बार करें। आप इस कंडीशनर को स्वयं घर पर झटपट बना सकते हैं तथा 20 मिनट में बालों की डीप कंडीशनिंग कर सकते हैं।

बनाने और लगाने की आसान विधि-

आधा कटोरी हरी मेहंदी पाउडर लेकर इसमें गर्म दूध (गाय का) डालकर पतला लेप बना लें। इसी लेप में एक बड़ा चम्मच आयुर्वेदिक हेयर ऑइल डालें। इसे अच्छी तरह से मिला लें। जब यह लेप ठंडा हो जाए तब बालों की जड़ों में लगाएं। 20मिनट छोड़कर आयुर्वेदिक शैंपू पानी में घोलकर बालों को धो लें। इस डीप कंडीशनर द्वारा आपके बालों को पोषण तो मिलेगा ही साथ ही उनमे बाउंस भी आ जाएगा।

टेस्टी-टेस्टी तरीका: ऐसे पीएं चाय तो वजन हो जाएगा कंट्रोल आसानी से

चाय को अधिकांशत: लोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानते हैं। लेकिन फिर भी चाय को पसंद करने वाले या इसका सेवन करने वाले चाय को नहीं छोड़ पाते हैं। अगर आप भी अपनी चाय के सेवन की आदत से परेशान है तो ये आर्टिकल आपको खुश कर सकता है। दरअसल हम बताने जा रहे हैं कि चाय आपके लिए सिर्फ लाभदायक ही नहीं नुकसानदायक भी है।

चाय बढ़ते हुए वजन को कंट्रोल करने में बेहद मददगार होती है। यह बात एक

हालिया वैज्ञानिक शोध से पता चली है।शोध से ज्ञात हुआ है कि चाय में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो वजन कम करने में सहायक होते हैं। लेकिन हाल ही में हुई  एक नई रिसर्च के मुताबिक अगर चाय में दूध मिला दिया जाए तो मोटापे से लडऩे वाले तत्व उतने प्रभावकारी नहीं रहते। भारतीय वैज्ञानिक की ओर से की गई रिसर्च के मुताबिक चाय में वसा कम करने के कई तत्व होते हैं, लेकिन दूध में पाया

जाने वाला प्रोटीन वसा कम करने की इसकी क्षमता को प्रभावित कर सकता है। चाय में पाए जाने वाले फ्लेविन्स और थिरोबिगिन्स शरीर की चर्बी घटाने और कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक होते हैं। असम की टी रिसर्च एसोसिएशन केरिसर्चरों ने चूहों पर शोध किया और उसमें यह पाया गया कि उच्च वसायुक्त भोजन खाने वाले चूहों का वजन घटाने में फ्लेविन्स और थिरोबिगिन्स जैसेतत्वों ने काफी अहम भूमिका निभाई। लेकिन गाय के दूध में प्रोटीन कीमात्रा अधिक होने के कारण इनका प्रभाव कम हो जाता है।

बुधवार, 14 दिसंबर 2011

छ: महीने में ये लाइलाज बीमारी हो जाएगी जड़ से साफ

सफेद दाग एक ऐसी समस्या जिसे अधिकतर लोग लाइलाज ही मानते हैं। लेकिन कुछ देहाती नुस्खे ऐसे है जिनसे समस्या कैसी भी हो या कितनी भी लाइलाज क्यों न हो उपचार संभव है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं सफेद दाग के कुछ आजमाएं हुए देहाती नुस्खे जिनसे आपको निश्चित ही लाभ होगा।

   - आधा किलो चोपचीनी एक लीटर दूध में रात को भिगो दें। सुबह यदि सब दूध सोख ले तो थोड़ा और दूध डालकर आग पर पकाएं। जब चोपचीनी हाथ से छूने पर टूट जाए तो उतार कर के शीशी में भर लें। यह क्रम बनाएं रखें व रोज सुबह यह चूर्ण कर के शीशी भर लें। साथ ही रोज सुबह यह चूर्ण पांच ग्राम चाय वाले चम्मच से एक चम्मच मात्रा थोड़े शहद में मिलाकर खाली पेट चाट कर सेवन करें। चोपचीनी पंसारी की दुकार पर मिल जाती है। यह हल्के गुलाबी सफेद तथा कुछ ब्राउन रंग की वजनी और ठोस लकड़ी होती है। हल्की पोली याने खोखली लकड़ी उपयोगी नहीं होती। इसी के साथ एक प्रयोग और करना होगा। वर्षाकाल जोड़ीदार का एक पंवार, पमाड़ या चौकड़ी आदि नामों से पुकार जाता है। इसके पत्तों को उबाल कर रोटी में भरकर कचौड़ी या परांठे की तरह बनाकर या बेसन में मिलाकर भजिए बनाकर सेवन किया जा सकता है। इन पत्तों का किसी भी विधि से अधिक से अधिक मात्रा में सेवन किया जाना चाहिए। एक माह के  अंदर ही त्वचा का रंग बदलने लगता है। छ: माह बाद यह रोग जड़ से गायब हो जाता है। 

- बाउची के बीज 50 ग्राम सांप की केंचुल को गौमूत्र के साथ मिट्टी के घड़े में डालकर सात दिन तक रखें। आठवें दिन सिल पर डालकर महीन पीसें और पीसते हुए गौमूत्र छिड़कते जाएं। इसे गाढ़ा रखें। पीसकर छोटी-छोटी टिक्की बनाकर छाया में सुखा लें। इस टिक्की को ताजे गौमूत्र में घिसकर दिन में दो बार सफेद दागों पर लेप कर दें। थोड़े दिन में दाग मिटने लगेंगे। गौमूत्र गाय की बछिया का मिल सके तो अति उत्तम अन्यथा गाय का ही मूत्र प्रयोग में लाना चाहिए। दवा के सेवन काल में तेल, गुड़ व खटाई का सेवन बंद कर दें।

खाने से जुड़ी इन बातों को याद न रखा तो कभी नहीं रह पाएंगे पूरी तरह स्वस्थ

खाने के विषय में हर व्यक्ति की अलग सोच और पसंद होती है। लेकिन खाने से जुड़ी कुछ गलतफहमियां ऐसी हैं जो हम में से अधिकांश लोगों को है। जैसे ज्यादा खाने से या मेवे व घी ज्यादा खाने से सेहत बनती है। ऐसी ही कुछ गलतफहमियां हैं। जिन्हे आज हम आपको बताने जा रहे हैं। ये खाने से जुड़ी कुछ ऐसी ही बातें हैं। जिनसे परिचित होना बहुत जरूरी है क्योंकि जब तक आप खाने से जुड़ी इन बातों से परिचित नहीं होंगे तब तक आप पूरी तरह स्वस्थ नहीं रह पाएंगे।

- आवश्यकता और पचाने के क्षमता से अधिक भोजन शरीर को ताकत की बजाय अधिक कमजोर ही बनाता है। इसलिए ज्यादा न खाएं।

-  पहले खाए हुए के पचने से पूर्व ही दोबारा खा लेने पर पाचन-तंत्र गड़बड़ा जाता है। इसलिए एक बार खाने के बाद पूरी तरह पेट खाली होने पर ही कुछ खाएं।

- ज्यादा घी-दूध, मेवे-मिठाई और पकवान खाने से नही बल्कि ऐसी भारी चीजों को पचाने क्षमता से शरीर की ताकत बढ़ती है। पाचन-शक्ति से अधिक पोष्टिक भोजन करने से कब्जियत की समस्या होने लगती है। इसलिए इन चीजों को अपनी पाचन शक्ति के अनुसार ही खाएं। 

- बेमेल भोजन करने से भी शरीर की शक्ति बर्बाद होती है। इसलिए ठंडा-गर्म या जिन चीजों का एक साथ सेवन निषिद्ध माना गया है। उनके सेवन से बचें।

- पर्याप्त परिश्रम या शारीरिक मेहनत करने से पहले ही बार-बार भोजन करते रहने से धीरे-धीरे शरीर बीमारियों का घर बनने लगता है।

- यह सोचना गलत है कि अंडे और मांसाहार करने से शरीर शक्तिशाली बनता है, आप रूखा-सूखा या शाकाहारी भोजन करके भी सर्वशक्तिशाली बन सकते हैं, बशर्ते आप की पाचन-शक्ति अच्छी होना चाहिये। शक्ति का प्रतीक घोड़ा जिंदगी भर सिर्फ घांस खाकर भी शक्तिशाली बन जाता है।

-  25-30 की उम्र पार करने बाद शरीर में पहले जैसी पाचन-शक्ति नहीं रह जाती इसीलिये 30 की आयु के बाद डटकर खाने की आदत को छोड़ देना चाहिये।

मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

थोड़े से शहद का ये नुस्खा दिल की बीमारियों के लिए है रामबाण

हृदय रोग आज के समय में किसी भी उम्र को अपना शिकार बना सकता है ,यह रोग आज भी मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। आधुनिक विज्ञान में हृदय रोगों को कार्डीयकडीजीज के नाम से जाना जाता है। 

हृदय रोगों में कोरोनरीहार्टडीजीज, कार्डीयोमायोपैथी, कार्डीयोवास्कुलरडीजीज, इस्चमीकहार्टडीजीज, हार्टफेलियर आदि अनेक रोग आते हैं। आज आपको हम एक अनुभूत प्रयोग (नुस्खा )बताते हैं,जो हृदय से सम्बंधित अनेक समस्याओं में कारगर है :-

-  घृतकुमारी के रस ,तुलसी के पत्ते के रस,पान के पत्ते का रस,ताजे गिलोय के पंचांग का  रस ,सेब का सिरका  एवं लहसुन की कली इन सबको समान मात्रा में उबालकर एक चौथाई शहद के साथ उबाल लें और नियमित एक चम्मच खाली पेट लें ,आपको हृदय रोगों से बचाव सहित रोगजन्य स्थितियों में हृदय को मजबूती प्रदान करने वाला अनुभूत योग है, यह ,आप प्रयोग करें और हृदय रोगों से बचे रहें।

छोटा सा आसान प्रयोग: अपनाकर डाइबिटीज को रखें कंट्रोल में हमेशा

वर्तमान समय में हर उम्र वाले लोगों में डाइबिटीज के रोगी देखे जा सकते हैं। डाइबिटीज एक ऐसा रोग है जो अगर एक बार इंसान को लग जाए तो उसे जिंदगी भर दवाईयां खानी पड़ती है। अगर आपके साथ भी यही समस्या है तो योग के कटिचक्रासन के माध्यम से आप इस पर काबू पा सकते हैं।



कटिचक्रासन पहली विधि- कटिचक्रासन का अभ्यास करने के लिए पहले सीधे खड़े हो जाएं। दोनों पैरों के बीच डेढ़ से दो फुट की दूरी रखें। अब कंधों की सीध में दोनों हाथों को फैलाएं। इसके बाद बाएं हाथ को दाएं कंधे पर रखें और दाएं हाथ को पीछे से बाईं ओर लाकर धड़ से लपेटे। सांस क्रिया सामान्य रूप से करते हुए मुंह को घुमाकर बाएं कंधों की सीध में ले आएं। इस स्थिति में कुछ समय तक खड़े रहें और फिर दाईं तरफ से भी इस क्रिया को इसी प्रकार से करें। इस क्रिया को दोनों हाथों से 5-5 बार करें। ध्यान रखें कि कमर को घुमाते हुए घुटने न मुड़े तथा पैर भी अपने स्थान से बिल्कुल न हिलें।

दूसरी विधि- इसके लिए पैरों के बीच 1 फुट की दूरी रखकर सीधे खड़े हो जाएं। दोनों हाथों को कंधों की सीध में सामने की ओर करें तथा दोनों हथेलियों को आमने-सामने रखें। अब सांस सामान्य रूप से लेकर हाथों को धीरे-धीरे घुमाकर दाईं बगल में कंधे की सीध में ले आएं। अब शरीर को भी धीरे-धीरे घुमाते हुए मुंह को बाईं ओर कंधे के सामने लाएं। इस स्थिति में दाएं हाथ को कंधे की सीध में रखें तथा बाएं हाथ को कोहनी से मोड़कर छाती से थोड़े आगे करके रखें। इस तरह इस क्रिया को दूसरी तरफ से भी करें।

सालभर बीमारियां पास नहीं आएंगी अगर सर्दी में ऐसे खाएं ये सेहतभरे दाने

सर्दी में लोग अपनी सेहत बनाने के लिए दादी व नानी के नुस्खों को अपनाते हैं। तरह-तरह के आयुर्वेदिक प्रयोग करते हैं ताकि सालभर शरीर स्वस्थ और निरोगी रहे। लेकिन हमारे बुजुर्ग शायद इस विषय में हमसे ज्यादा सोचते थे इसीलिए उन्होंने स्वाद और सेहत को एक साथ संजोया। 

यही कारण है कि तिल का उपयोग सर्दी में कई तरह से किया जाता है। दरअसल तिल के ये छोटे-छोटे दाने सेहत से भरपूर हैं। इसलिए तिल का प्रयोग घी व गुड़ के साथ करने से वर्षभर कई तरह के रोग दूर रहते हैं। साथ ही घर में बनी तिल पट्टी व बिजौरे भी शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं।

 - यदि किसी को बार-बार यूरिन आने या खुलकर यूरिन न आने की समस्या है तो उसे पांच ग्राम तिल और पांच ग्राम गौखरू का काढा बनाकर दें। आराम मिलेगा।

- तिल के तेल में नीम की पत्तियां डालें। इस तेल की मालिश से मुंहासे व चर्म रोग से निजात मिलती है। 

- तिल के तेल से कोलेस्ट्रोल का स्तर घटता है। यह हृदय रोग को रोकने में भी सहायक है।

- खांसी से निजात दिलाने में तिल मदद करता है। चाय बनाते समय उसमें दो ग्राम तिल या दो-तीन तिल के पौधे की पत्तियां और जरा सी अदरक भी डालें। इस चाय के सेवन से खांसी जल्द ही ठीक हो जाएगी।

- रोज सुबह दस ग्राम काला तिल अच्छी तरह चबा-चबाकर खाने से मसूड़े स्वस्थ और दांत मजबूत होते हैं।

-  तिल, सोंठ, मेथी, अश्वगंधा व हल्दी बराबर मात्रा में मिलाकर पाउडर बना लें। रोज सुबह-शाम इसका सेवन करने से अर्थराइटिस से मुक्ति मिलती है। 

- तिल का सेवन कफ, सूजन, दर्द में राहत पहुंचाने में मदद करता है।

-  काले तिल को शुद्ध घी में भून लें। उन्हें पीसकर गुड़ पिघालकर दोनों को मिलाकर ठंडा कर लड्डू बांध लें। इस लड्डू के सेवन से बहुमूत्र की समस्या ठीक हो जाएगी।

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