हृदय रोग आज के समय में किसी भी उम्र को अपना शिकार बना सकता है ,यह रोग आज भी मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। आधुनिक विज्ञान में हृदय रोगों को कार्डीयकडीजीज के नाम से जाना जाता है।
हृदय रोगों में कोरोनरीहार्टडीजीज, कार्डीयोमायोपैथी, कार्डीयोवास्कुलरडीजीज, इस्चमीकहार्टडीजीज, हार्टफेलियर आदि अनेक रोग आते हैं। आज आपको हम एक अनुभूत प्रयोग (नुस्खा )बताते हैं,जो हृदय से सम्बंधित अनेक समस्याओं में कारगर है :-
- घृतकुमारी के रस ,तुलसी के पत्ते के रस,पान के पत्ते का रस,ताजे गिलोय के पंचांग का रस ,सेब का सिरका एवं लहसुन की कली इन सबको समान मात्रा में उबालकर एक चौथाई शहद के साथ उबाल लें और नियमित एक चम्मच खाली पेट लें ,आपको हृदय रोगों से बचाव सहित रोगजन्य स्थितियों में हृदय को मजबूती प्रदान करने वाला अनुभूत योग है, यह ,आप प्रयोग करें और हृदय रोगों से बचे रहें।
हृदय रोगों में कोरोनरीहार्टडीजीज, कार्डीयोमायोपैथी, कार्डीयोवास्कुलरडीजीज, इस्चमीकहार्टडीजीज, हार्टफेलियर आदि अनेक रोग आते हैं। आज आपको हम एक अनुभूत प्रयोग (नुस्खा )बताते हैं,जो हृदय से सम्बंधित अनेक समस्याओं में कारगर है :-
- घृतकुमारी के रस ,तुलसी के पत्ते के रस,पान के पत्ते का रस,ताजे गिलोय के पंचांग का रस ,सेब का सिरका एवं लहसुन की कली इन सबको समान मात्रा में उबालकर एक चौथाई शहद के साथ उबाल लें और नियमित एक चम्मच खाली पेट लें ,आपको हृदय रोगों से बचाव सहित रोगजन्य स्थितियों में हृदय को मजबूती प्रदान करने वाला अनुभूत योग है, यह ,आप प्रयोग करें और हृदय रोगों से बचे रहें।
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