रविवार, 25 दिसंबर 2011

शॉर्टकट : सिगरेट छुट जाएगी, वो भी बिना मशक्कत

कहते हैं किसी चीज की आदत हो जाए, तो उसे छोडऩे के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। फिर आदत अच्छी हो या बुरी यह बात दोनों के लिए लागू होती है। किसी कार्य का बार-बार किया जाना या अभ्यास आदत का रूप ले लेती है। इस आदत या अभ्यास को विपरीत आदत द्वारा बदला जा सकता है। विज्ञान के अनुसार शरीर एक मशीन है। और उस मशीन में आपने जो आदतें डाली हैं, उन आदतों को आपको नई आदतों से बदलना पड़ेगा नई बातें सुनकर नहीं। 



अगर आपको सिगरेट पीना छोडऩा है तो आपको ताजगी पैदा करने की दूसरी आदतें डालना पड़ेंगी। नहीं तो आप कभी नहीं छोड़ पाएँगे।समझिए कि मैं आपको कहता हूं कि जब भी आपको सिगरेट पीने का खयाल हो तब गहरी दस सांस लें, जिनसे ऑक्सीजन ज्यादा भीतर चला जाएगा। तो ताजगी ज्यादा देर रुकेगी, जितनी देर निकोटिन से रुकती है, और ज्यादा स्वाभाविक होगी। यह एक नई आदत है। 



जब भी सिगरेट पीने का खयाल आए, गहरी दस सांस लें। और सांस लेने से शुरू मत करें, सांस निकालने से शुरू करें। जब भी सिगरेट पीने का खयाल आए एक्झेल करें, जोर से साँस को बाहर फेंक दें, ताकि भीतर जितना कार्बन डाइआक्साइड है, बाहर चला जाए। फिर जोर से साँस लें, ताकि जितना कार्बन डाइआक्साइड की जगह थी उतनी ऑक्सीजन ले ले। आपके खून में ताजगी दौड़ जाएगी। तब आप सिगरेट छोड़ सकते हैं। क्योंकि उससे ज्यादा बेहतर, ज्यादा अनुकूल, ज्यादा स्वाभाविक, ज्यादा श्रेष्ठ विधि आपको मिल गई। तो सिगरेट छूट सकती है। नहीं तो कोई उपाय नहीं।

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