चाय को अधिकांशत: लोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानते हैं। लेकिन फिर भी चाय को पसंद करने वाले या इसका सेवन करने वाले चाय को नहीं छोड़ पाते हैं। अगर आप भी अपनी चाय के सेवन की आदत से परेशान है तो ये आर्टिकल आपको खुश कर सकता है। दरअसल हम बताने जा रहे हैं कि चाय आपके लिए सिर्फ लाभदायक ही नहीं नुकसानदायक भी है।
चाय बढ़ते हुए वजन को कंट्रोल करने में बेहद मददगार होती है। यह बात एक
हालिया वैज्ञानिक शोध से पता चली है।शोध से ज्ञात हुआ है कि चाय में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो वजन कम करने में सहायक होते हैं। लेकिन हाल ही में हुई एक नई रिसर्च के मुताबिक अगर चाय में दूध मिला दिया जाए तो मोटापे से लडऩे वाले तत्व उतने प्रभावकारी नहीं रहते। भारतीय वैज्ञानिक की ओर से की गई रिसर्च के मुताबिक चाय में वसा कम करने के कई तत्व होते हैं, लेकिन दूध में पाया
जाने वाला प्रोटीन वसा कम करने की इसकी क्षमता को प्रभावित कर सकता है। चाय में पाए जाने वाले फ्लेविन्स और थिरोबिगिन्स शरीर की चर्बी घटाने और कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक होते हैं। असम की टी रिसर्च एसोसिएशन केरिसर्चरों ने चूहों पर शोध किया और उसमें यह पाया गया कि उच्च वसायुक्त भोजन खाने वाले चूहों का वजन घटाने में फ्लेविन्स और थिरोबिगिन्स जैसेतत्वों ने काफी अहम भूमिका निभाई। लेकिन गाय के दूध में प्रोटीन कीमात्रा अधिक होने के कारण इनका प्रभाव कम हो जाता है।
चाय बढ़ते हुए वजन को कंट्रोल करने में बेहद मददगार होती है। यह बात एक
हालिया वैज्ञानिक शोध से पता चली है।शोध से ज्ञात हुआ है कि चाय में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो वजन कम करने में सहायक होते हैं। लेकिन हाल ही में हुई एक नई रिसर्च के मुताबिक अगर चाय में दूध मिला दिया जाए तो मोटापे से लडऩे वाले तत्व उतने प्रभावकारी नहीं रहते। भारतीय वैज्ञानिक की ओर से की गई रिसर्च के मुताबिक चाय में वसा कम करने के कई तत्व होते हैं, लेकिन दूध में पाया
जाने वाला प्रोटीन वसा कम करने की इसकी क्षमता को प्रभावित कर सकता है। चाय में पाए जाने वाले फ्लेविन्स और थिरोबिगिन्स शरीर की चर्बी घटाने और कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक होते हैं। असम की टी रिसर्च एसोसिएशन केरिसर्चरों ने चूहों पर शोध किया और उसमें यह पाया गया कि उच्च वसायुक्त भोजन खाने वाले चूहों का वजन घटाने में फ्लेविन्स और थिरोबिगिन्स जैसेतत्वों ने काफी अहम भूमिका निभाई। लेकिन गाय के दूध में प्रोटीन कीमात्रा अधिक होने के कारण इनका प्रभाव कम हो जाता है।
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