सोमवार, 6 फ़रवरी 2012

जल्‍दी प्रेगनेंट होने के लिए खाएं यह आहार

यह तो हम सब जानते हैं कि सही प्रकार का किया गया भोजन हमारे शरीर को फिट रखने में कारगर होता है। इसी तरह से जब आप प्रेगनेंट होना चाहती हैं तब आप हर उस आहार को ट्राई करना चाहती हैं जो आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए सही हो। गर्भावती महिलाओं को हमेशा यह सलाह दी जाती है कि वह कुछ भी ऐसा वेसा ना खाएं जो उनको नुक्‍सान पंहुचाए। पर क्‍या आपको पता है कि कुछ इस प्रकार के आहार हैं जिन्‍हें खा कर आप जल्‍दी प्रेगनेंट हो सकती हैं। चलिए जानते हैं इनके बारे में। 

आहार जो आपके लिए फायदेमंद हैं

1. सबसे पहले जरुरत है ऐसे जैविक फलों की जो ताजे हों। कभी भी डिब्‍बा बंद भोजन और फल न खरीदें वरना यह आपके होने वाले बच्‍चे को नुक्‍सान पहुंचा सकता है। 

2. रेशा युक्‍त आहार करने से पेट साफ रहता है और इससे शरीर की सारी गंदगी भी दूर निकल जाती है। इसलिए आपको आपने भोजन में साबुत आनाज, भूरा चावल, सन बीज, पूरे गेहूं की रोटी, बीन्स, जई, और मूंगफली खानी चाहिए। 

3. हरी पत्‍तेदार सब्जियां जिसमें पालक गर्भावती महिलाओं के लिए सबसे उपयुक्‍त आहार होता है। इस सब्‍जी में लोह, एंटीऑक्‍सीडेंट और फॉलिक एसिड पाया जाता है जो जो प्रजन्‍न अंगों के लिए अच्‍छा होता है। 

4. फोलिक एसिड से भरपूर खाद्य गर्भवती होनें में तेजी से मदद करता है फोलिक एसिड प्रजनन प्रणाली में तेजी के साथ गर्भ धारण करने के लिए अंडे का उत्पादन बढ़ता है। सोया उत्पादों, सेम विभाजन, अंडे की जर्दी, आलू, गेहूं का आटा, गोभी, चुकंदर, केले, ब्रोकोली, और ब्रुसेल्स के अंकुर फोलिक एसिड की मात्रा में ज्‍यादा होते हैं। 

5. अक्सर अनियमित मासिक भी महिलाओं के साथ एक बड़ी समस्या है। जल्‍द गर्भधारण करने के लिए आपका मासिक बिल्‍कुल ठीक होना चाहिए। अगर आप मटर, गाजर, शकरकंद और ग्रेप फ्रूट खाने से नियमित मासिक होगा। 

6. दूध के उत्‍पाद न केवल कैल्शिम में ज्‍यादा होते हैं बल्कि उससे गैसटेशन फरटिलिटी हॉरमोन जल्‍द बनता है। दही, अंडा, दूध के अलावा आपको मछली खानी चाहिए ज। 

7. बादाम, अखरोट, और खुबानी ओमेगा 3 फैटी एसिड में अत्‍यधिक होते हैं, जो हेल्‍दी वसा होता है।

शिशुओं के लिए सबसे सर्वश्रेष्‍ठ आहार

बच्‍चा जब भी खाना सीखता है तो हम तरह तरह के आहार उसके लिए बनाना शुरु कर देते हैं। कई मांए तो इंटरनेट पर भी अपनी खोज बीन जारी रखती हैं पर इंटरनेट पर हमें ज्‍यादातर विदेशी भोजन या आहार ही मिलते हैं, जिसे भारतीय बच्‍चे इतना पसंद नहीं करते। हमारे भारतीय व्‍यंजनों में ही इतना कुछ पौष्टिक आहार है कि अगर हम उसे अपने शिशु को दें तो उसके जल्‍दी बढ़ने बौर शरीर में मजबूती होने के आसार काफी बढ़ जाएगें।

शिशुओं के लिए पौष्टिक आहार: 

1. दही चावल: यह उन बच्‍चों कि लिए बहुत लाभकारी है जिन्‍होनें तुरंत ही खाना सीखा हो। चावल, चीनी और दूध मिला कर तैयाद किया जाने वाल यह भोजन बिल्‍कुल भी मसालेदार नहीं होता और खाने में हल्‍का भी होता है। इसे खाने से आपके बेबी को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और चीनी से एनर्जी मिलेगी। 

2. घी रोटी: घी खाने से हड्डियों को ताकत मिलती है और वह मजबूत बनती हैं। आम तौर पर हमारे घरों में रोटियां थोडी ठोस बनती हैं इसलिए अगर उसमें घी लगा कर बच्‍चे को खिलाया जाए तो वह उसे अच्‍छे से निगल लेगा। अच्‍छा होगा कि अगर आप घी को बाजार से लाने के बजाए घर पर ही बनाएं। 

3. मलाई चिकन या बेजिटेबल करी: हमारे भारतीय भोजन में सब्जि को चावल और दाल को रोटी के साथ खाये जाने की प्रथा है। इसलिए अगर आप भी चाहती हैं कि आपका बच्‍चा इस भोजन को प्‍यार और मजे के साथ खाए तो सब्जि को बनाते वक्‍त उसमें मसाला ना डालकर उसमें थोडा सा क्रीम डालें। आप उसमें दही या फिर काली मिर्च का उपयोग भी कर सकती हैं। इसमें ढेर सारी सब्जियां या फिर चिकन डाल कर खिलाएगीं तो बच्‍चे को पोषण मिलेगा। 

4. खिचड़ी: यह बहुत ही आम सा भोजन है जिसे बच्‍चे बडे ही प्‍यार से खाते हैं। इसको बनाने के लिए आप तरह तरह की दालों और सब्जियों का प्रयोग कर सकती हैं। य‍कीन मानिए कि इसमें इतना पौष्टिक तत्‍व भरा होगा जिसकी आप कामना भी नहीं कर सकतीं। 

5. दलिया: भारत में यह ऐसा आहार है जिसे बच्‍चे और बूढ़े बडे मन से खाते हैं। यह गेंहु से बना हुआ होता है जिसे पचने में ज्‍यादा समय नहीं लगता। इसमें रेशा काफी मात्रा में पाया जाता है जिससे बच्‍चे को पेट संबधित कोई बीमारी नहीं होगी। बच्‍चे के लिए बनाने के लिए इसमें आप सब्जियों और घी का प्रयोग कर सकतीं हैं।

सीजेरियन के बाद पेट पर पड़े निशान को ऐसे मिटाएं

कई महिलाओं को सिज़ेरीअन दा्रा शिशु को जन्‍म देने में बस एक ही बात से नफरत होती है कि उनके पेट पर गहरे निशान बन जाते हैं जो कई कोषिशों के बाद भी जाने का नाम नहीं लेते। यह निशान इतने गहरे होते हैं कि इन्‍हें आसानी से मिटाया नहीं जा सकता, पर हां इन्‍हें घरेलू उपचार दा्रा कम जरुर किया जा सकता है। 

घरेलू उपचार- 

नींबू- यह निशान को कम करने के रूप में सबसे अच्छा प्राकृतिक उपचार माना जाता है। चीरा लगने के 6 महीने के बाद निशान पर नींबू स्लाइ लगाना चाहिए। जब तक टांके पूरी तरह से सूख न जाएं तब तक अपने चीरे पर कुछ नहीं लगाना चाहिए। यदि आपकी त्वचा नींबू का रस लगाने के बाद जलती है तो नींबू के रस को पानी मिला कर पतला कर लें। कभी भी रस को 3-4 मिनट से ज्‍यादा त्‍वचा पर न रखें। 

टमाटर- टमाटर के गूदे या फिर इसके पेस्‍ट को अपने पेट के निशान पर लगभग 20-30 मिनट तक के लिए लगा कर छोड़ देना चाहिए। निशान हटाने के लिए इसका प्रयोग रोज़ करना चाहिए। 

एलोवेरा- ऐलोवेरा के पेड़ से उसके अंदर का जेल निकाल लें और रात भर लगा कर छोड़ दें। सुबह होते ही ठंडे पानी से इसे धो लें और लोशन लगा लें। 

सेब का सिरका- निशान को हटाने के लिए सेब के सिरके को पानी में घोलें और उसे 20 मिनट के लिए निशान पर लगाएं। इसके बाद गरम पानी से उस जगहं को साफ कर लें। इससे आपको जरुर फायदा होगा। 

पित्‍त के उतार-चढ़ाव को कैसे करें नियंत्रित

लीवर से निकलने वाला बाइल यानी की पीले रंग का वह रस जिसका मुख्‍य कार्य होता है वसा को शरीर में तोड़ना। पित्‍त का उतार-चढ़ाव शरीर के लिए बडी परेशानी पैदा कर सकता है। जब भी बाइल जूस आंत से ऊपर उठ कर पेट और गले में जाता है तो उल्‍टी, चक्‍कर, पेट दर्द और हृदय में जलन जैसी समस्‍या पैदा हो जाती है। चलिए जानते हैं बाइल जूस के उतार-चढ़ाव को कैसे ठीक किया जाए। 

प्राकृतिक उपचार 

1.आमतौर पर यह समस्‍या ज्‍यादा खा लेने की वजह से आती है। इसलिए सोने से 3-4 घंटे पहले ही खा लेना चाहिए जिससे खाना अच्‍छे से हज़म हो जाए और परेशानी न हो। 

2.कोशिश करें की कम-कम मात्रा में आहार का सेवन करें जिससे कि बाइल ज्‍यादा न बनें। रात में कम वसा वाला ही भोजन खाएं। 

3.डिनर में कभी भी तेल और मसालेदार युक्‍त भोजन न करें। यह पित्‍त को बढ़ाएगा और लीवर को फैट बर्न करने के लिए ज्‍यादा कार्य करना पड़ेगा। 

4.अगर आपको पित्‍त की ज्‍यादा परेशानी है तो रात में फलों का जूस न पिएं। ऐसे जूस जिसमें एसिड पाया जाता है जैसे, नींबू, मुसम्‍मी और संतरा लीवर में बाइल के प्रोडक्‍शन को और भी ज्‍यादा बढ़ा देते हैं। इन रसों में सिट्रस एसिड पाया जाता है। यही नहीं रात को शराब पीने से भी बचना चाहिए। 

5.पेट में गडबडी का कारण कैफीन, चॉकलेट, टमाटर, पुदीना, सिट्रस फ्रूट, सोडा और वसा युक्‍त आहार होते हैं, इसलिए इन्‍हें आपने भोजन में कम शामिल करें। 

6.बाइल को ऊपर आने से रोकने के लिए अपने सिर को ऊपर की तरफ रखें। सोने से पहले थोड़ा सा टहलना जरुरी है जिससे खाना हज़म हो जाए और बाइल से मुक्‍ती मिल सके। 

7.पित्‍त के ऊतार-चढ़ाव को खत्‍म करने के लिए रोज़ाना व्‍यायाम करें। यह सबसे बढि़यां प्राकृतिक उपचार है इससे मुक्‍ती पाने के लिए। 

8.शरीर में कभी पानी की कमी न होने दें। हमेशा सोने से पहले गरम पानी का सेवन करें।

ऐसे खाएं त्रिफला तो आंखों पर कभी चश्मा नहीं चढ़ेगा, बाल भी सफेद नहीं होंगे

कमजोरी के कारण शरीर बीमारियों का शिकार हो जाता है। लेकिन यदि हम थोड़ी सी सावधानी बरतकर और आयुर्वेद को अपनाए तो अपने स्वास्थ्य की सही तरह से देखभाल कर ही पाएंगे। साथ ही शरीर का कायाकल्प भी करने में आसानी होगी। त्रिफला ऐसी ही आयुर्वेदिक औषधी है जो शरीर का कायाकल्प कर सकती है। त्रिफला के सेवन से बहुत फायदे हैं। स्वस्थ रहने के लिए त्रिफला चूर्ण महत्वपूर्ण है। त्रिफला सिर्फ कब्ज दूर करने ही नहीं बल्कि कमजोर शरीर को एनर्जी देने में भी प्रयोग हो सकता है।

विधि- सूखा देसी आंवला, बड़ी हर्रे व बहेड़ा लेकर गुठली निकाल दें। तीनों समभाग मिलाकर महीन पीस लें। कपड़छान कर कांच की शीशी में भरकर रखें।

- त्रिफला के नियमित सेवन से कमजोरी दूर होती है।

- त्रिफला के नियमित सेवन से लंबे समय तक रोगों से दूर रहा जा सकता है।

- त्रिफला और इसका चूर्ण तीनों दोषों यानी वात,पित्त व कफ को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

- बालों के खराब होने और समय से पूर्व सफेद होने से भी त्रिफला के सेवन से बचा जा सकता है।

- गाय  व शहद के मिश्रण में (घी अधिक व शहद कम) के साथ त्रिफला चूर्ण का सेवन आंखों के लिए वरदानस्वरूप है। संयम के साथ इसका नियमित प्रयोग करने से आंखों के सारे रोग दूर हो जाते हैं। बुढ़ापे तक चश्मा नहीं लगेगा।

-त्रिफला के काढ़े से घाव धोने से एलोपैथिक एंटिसेप्टिक की आवश्यकता नहीं रहती। घाव जल्दी भर जाता है।

- त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।

- रात को गुनगुने पानी के साथ त्रिफला लेने से कब्जियत नहीं रहती।

- सुबह के समय तरोताजा होकर खाली पेट ताजे पानी के साथ त्रिफला का सेवन करें और इसके बाद एक घंटे तक पानी के अलावा कुछ ना लें।

- मौसम को ध्यान में रखकर त्रिफला के साथ गुड़, सैंधा नमक, देशी खांड, सौंठ का चूर्ण, पीपल छोटी का चूर्ण, शहद इत्यादि  मिलाकर सेवन कर सकते हैं।

एक आसान उपाय: इससे कब्ज दूर होगी और खुलकर भूख लगने लगेगी


शरीर में पर्याप्त ऊर्जा के लिए सही समय पर पर्याप्त संतुलित आहार लेना जरूरी है। अगर आपके साथ ये समस्या है कि कार्य की अधिकता के चलते खाना-पीना कुछ याद नहीं रहता। ऐसे में खाने का सही समय निर्धारित न होने पर कुछ ही दिनों कम खाने की आदत पड़ जाती है, ठीक से भुख नहीं लगती। यदि आप फिर से अपनी भूख को बढ़ाने चाहते हैं तो धनुरासन आपके लिए सर्वोत्तम उपाय है।
धनुरासन की विधि- किसी समतल और शुद्ध वातावरण वाले स्थान पर कंबल या अन्य को सुविधाजनक आसन बिछा लें। अब मुंह के बल या पेट के बल लेट जाएं। इसके बाद अपने दोनों हाथों को बगल में सटाकर पूरे शरीर के नसों को बिल्कुल ढीला छोड़ दें। इसके बाद अपने दोनों एड़ी व पंजों को आपस में मिलाते हुए घुटनों के बीच फासला रखते हुए पैरों को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाते हुए सिर की तरफ मोड़ें तथा दोनों पैरों को एड़ी के पास से दोनो हाथों से पकड़ लें। हाथों पर जोर देकर पैरों को खिचंते हुए अपने सिर, छाती तथा जांघों को जितना संभव हो उतना ऊपर की ओर उठाने का प्रयास करें और दोनों हाथों को बिल्कुल सीधा रखें। इस स्थिति में तब तक रहें, जब तक आप रह सकें और सांस कुछ देर रोककर रखें। फिर धीरे-धीरे सांसों को छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में आ जाएं।
धनुरासन के लाभ- यह आसन सभी योगासनों में काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस आसन के कई लाभ हैं। धनुरासन से शलभासन और भुजंगासन का लाभ भी मिलता है। यह आसन रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है, जिससे व्यक्ति का जवानी अधिक समय तक रहता है। यह शरीर की जोड़ों को मजबूत करता है। इस आसन को करने से टली हुई नाभि सामान्य स्थिति में आ जाती है। यह कमर दर्द व गर्दन के दर्द के लिए भी लाभकारी है। यह आसन गर्दन, छाती व फेफड़े को शक्तिशाली व क्रियाशील बनाता है। कंधे को मजबूत व छाती को चौड़ा व ताकतवर बनाता है। यह आसन पेट की अधिक चर्बी को कम करता है। इससे पेट के विकार दूर कर पेट से सम्बन्धित रोगों को खत्म करता है और हमसे दूर रखता है। पाचन शक्ति को बढ़ाता है और भूख को बढ़ाता है। यह आसन श्वास की बीमारियों के लिए भी लाभकारी है। यह सांसों की क्षमता को बढ़ाता है। इस आसन को करने से कब्ज दूर होता है। मधुमेह के रोगी को धनुरासन का अभ्यास करना अधिक लाभकारी होता है। यह कब्ज को दूर करता है और भूख को बढ़ाता है। यह गठिया, मर्दाग्नि, अजीर्ण, जिगर की कमजोरी आदि को खत्म करता है। यह आतों के सभी रोग, गला, छाती व पसली आदि सभी रोगों को दूर करता है। यह रक्त प्रवाह को तेज करता है और खून को शुद्ध करता हैं।
स्त्रियों के लिए भी लाभकारी -  धनुरासन स्त्रियों से संबंधित बीमारियों के लिए कारगर उपाय है। इससे प्रसव के बाद पेट पर पडऩे वाली झुर्रियों दूर होती है। यह मासिक धर्म, गर्भाशय रोग, तथा डिम्ब ग्रन्थियों के रोगों को खत्म करता है।

रविवार, 5 फ़रवरी 2012

जीरे और मिश्री को ऐसे खा लेने से पथरी के हो जाएंगे टुकड़े-टुकड़े


पथरी एक ऐसा रोग है जिसमें रोगी को असहनीय पेट दर्द होता है। कई बार पेशाब होना रुक जाता है। मूत्र मार्ग में संक्रमण और पानी कम पीने से गुर्दे में पथरी बनने के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा होती हैं। इसके साथ ही रोजमर्रा में कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ भी हैं, जिनका सेवन पथरी बनने का कारण हो सकता है।

उन्हीं के अंशों से स्टोन का रूप धारण करते जाते हैं। धीरे-धीरे इन छोटी पथरियों पर क्रिस्टल जमा होते जाते हैं और बड़ी पथरी का रूप धारण कर लेती है।जैसे खाने के चीजो से पथरी हो सकती है ठीक उसी प्रकार खाने की चीजों से ही पथरी का इलाज भी हो सकता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं पथरी के इलाज के लिए कुछ ऐसी ही टिप्स....



- तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फंसी पथरी निकल जाती है।

- एक मूली को खोखला करने के बाद उसमे बीस-बीस ग्राम गाजर शलगम के बीज भर दें, उसके बाद मूली को भून लें,उसके बाद मूली से बीज निकाल कर सिल पर पीस लें। सुबह पांच या छ: ग्राम पानी के साथ एक माह तक पीते रहे,पथरी और पेशाब वाली बीमारियों में फायदा मिलेगा।

- जीरे को मिश्री की चाशनी बनाकर उसमें या शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।

- यदि मूत्र पिंड में पथरी हो और पेशाब रुक रुक कर आना चालू हो गया है तो एक गाजर को नित्य खाना चालू कर देना चाहिये,इससे मूत्रावरोध दूर होगा,और पेशाब खुलकर साफ होगा,पेशाब के साथ ही पथरी घुल कर निकल जायेगी।

- प्याज पथरी के इलाज के लिए औषधीय गुण पाए जाते हैं। अगर आप सही ढंग से इस घरेलू उपचार का पालन करेंगे तो आपको इसका हैरान कर  देने वाला परिणाम मिलेगा। आपको इसका रस पीना है लेकिन पके हुए प्याज का। इसके लिए आप दो मध्यम आकर के प्याज लेकर उन्हें अच्छी तरह से छिल लें। फिर एक बर्तन में एक ग्लास पानी डालें और दोनों प्याज को मध्यम आंच पर उसमें पका लें। जब वे अच्छी तरह से पक जाये तो उन्हें ठंडा होने दें फिर उन्हें ब्लेंडर में डालकर अच्छी तरह से ब्लेंड कर लें। उसके बाद उनके रस को छान लें एवं इस रस का तीन दिनों तक लगातार सेवन करते रहे। यह घरेलू उपाय रामबाण का काम करता है।
 

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