गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

काली कोहनियों से परेशान लोगों के लिए ये है रामबाण उपाय

अगर आप अपनी सांवली रंगत से परेशान हैं और कई तरह के क्रीम और दवाओं का उपयोग करने के बाद भी रंगत में कोई फर्क महसूस नहीं हो रहा हों तो घबराइए नहीं कुछ आसान आयुर्वेद नुस्खे ऐसे हैं जिनसे आपका सांवलापन दूर हो सकता है।

-  एक बाल्टी ठण्डे या गुनगुने पानी में दो नींबू का रस मिलाकर गर्मियों में कुछ महीने तक नहाने से त्वचा का रंग निखरने लगता है (इस विधि को करने से त्वचा से सम्बन्धी कई रोग ठीक हो जाते हैं )।

- आंवले का मुरब्बा रोज एक नग खाने से दो तीन महीने में ही रंग निखरने लगते है।

- कोहनियों का कालापन साफ करने के लिए गुलाब जल व ग्लिसरीन में नींबू रस मिलाकर लोशन तैयार करें। इस लोशन को पांच मिनट तक धूप में रखें। फिर कोहनियों पर मलें।

-  गाजर का रस आधा गिलास खाली पेट सुबह शाम लेने से एक महीने में रंग निखरने लगता है।

- दही से सिर धोने से केश मुलायम, घने, काले और चमकदार तथा लंबे होते हैं। 

-  प्रतिदिन खाने के बाद सोंफ का सेवन करें।

-  पेट को हमेशा दुरुस्त रखें, कब्ज न रहने दें।

- दो छोटे चम्मच बेसन में आधी छोटी चम्मच हल्दी मिलाकर खूब फेंटें। फिर इस लेप में दस बूंद गुलाब जल व दस बूंद नींबू मिलाकर खूब फेंटे। स्नान से पूर्व इस लेप को चेहरे पर मलें। आधे घंटे उपरांत चेहरे को धो लें।

-  अधिक से अधिक पानी पीएं।

- चाय-कॉफी जैसे धीमे जहर से यथ संभव दूर रहें।

- हाथ पैर एवं चेहरे का सौंदर्य बढ़ाने में दही सर्वोत्तम है। दो बड़े चम्मच दही लेकर हाथ पैर एवं चेहरे पर मलें। दस मिनट उपरांत धो लें। आपकी त्वचा चिकनी एवं साफ हो जाएगी। यह प्रयोग तीन हफ्ते तक करने से आपकी सुंदरता में गजब का निखार आने लगेगा।

- रोजाना सुबह शाम खाना खाने के बाद थोड़ी मात्रा में सौंफ  खाने से खून साफ  होने लगता है और त्वचा की रंगत बदलने लगती है।

मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

अजीनोंमोटो के साइड इफेक्‍ट

सफेद रंग का चमकीला सा दिखने वाला मोनोसोडि़यम ग्‍लूटामेट यानी की अजीनोंमोटो, एक सोडियम साल्‍ट है। अगर आप चाइनीज़ डिश के दीवाने हैं तो यह आपको उसमें जरुर मिल जाएगा क्‍योंकि यह एक मसाले के रुप में उसमें इस्‍तमाल किया जाता है। शायद ही आपको पता हो कि यह खाने का स्‍वाद बढ़ाने वाला मसाला, सेहत के लिए भी बहुत खतरनाक होता है। चलिए जानते हैं कि कैसे- 
साइड इफेक्‍ट- 

1.सिर दर्द, पसीना आना और चक्‍कर आने जैसी खतरनाक बीमारी आपको केवल अजीनोमोटो से हो सकती है। अगर आप इसके आदि हो चुके हैं और खाने में इसको बहुत प्रयोग करते हैं तो यह आपका ब्रेन भी डैमेज कर सकता है। 

2.इसको खाने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है। चेहरे की सूजन और त्‍वचा में खिचाव महसूस होना इसके कुछ साइड इफेक्‍ट हो सकते हैं। 

3.इसका ज्‍यादा प्रयोग से धीरे धीरे सीने में दर्द, सांस लेने में दिक्‍कत और आलस भी पैदा कर सकता है। इससे सर्दी-जुखाम और थकान भी महसूस होती है। इसमें पाये जाने वाले एसिड सामग्रियों की वजह से यह पेट और गले में जलन भी पैदा कर सकता है। 

4.पेट के निचले भाग में दर्द, उल्‍टी आना और डायरिया इसके आम दुष्प्रभावों में से एक हैं। 

5.अजीनोमोटो आपके पैरों की मासपेशियों और घुटनों में दर्द पैदा कर सकता है। यह हड्डियों को कमज़ोर और शरीर दा्रा जितना भी कैल्‍शिम लिया गया हो, उसे कम कर देता है। 

6.ब्‍लड प्रेशर की समस्‍याओं से घिरे लोगों को यह बिल्‍कुल नहीं खाना चाहिए क्‍योंकि इससे अचानक ब्‍लड प्रेशर बढ़ और घट जाता है। 

7.व्‍यक्तियों को इससे माइग्रेन होने की समस्‍या भी हो सकती है। आपके सिर में दर्द पैदा हो रहा है तो उसे तुरंत ही खाना बंद कर दें।

औषधीय गुणों से भरपूर लौकी

सब्‍जी के रुप में खाए जाने वाली लौकी हमारे शरीर के कई रोगों को दूर करने में सहायक होती है। यह बेल पर पैदा होती है और कुछ ही समय में काफी बड़ी हो जाती है। वास्‍तव में यह एक औषधि है और इसका उपयोग हजारों रोगियों पर सलाद के रूप में अथवा रस निकालकर या सब्‍जी के रुप में एक लंबे समय से किया जाता रहा है। 

लौकी को कच्‍चा भी खाया जाता है, यह पेट साफ करने में भी बड़ा लाभदायक साबित होती है और शरीर को स्‍वस्‍य और शुद्ध भी बनाती है। लंबी तथा गोल दोनों प्रकार की लौकी वीर्यवर्ध्‍दक, पित्‍त तथा कफनाशक और धातु को पुष्‍ट करने वाली होती है। आइए इसकी औषधीय गुणों पर एक नज़र डालते हैं- 

1. हैजा होने पर 25 एमएल लौकी के रस में आधा नींबू का रस मिलाकर धीरे-धीरे पिएं। इससे मूत्र बहुत आता है। 

2.खांसी, टीबी, सीने में जलन आदि में भी लौकी बहुत उपयोगी होती है। 

3.हृदय रोग में, विशेषकर भोजन के पश्‍चात एक कप लौकी के रस में थोडी सी काली मिर्च और पुदीना डालकर पीने से हृदय रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है। 

4.लौकी में श्रेष्‍ठ किस्‍म का पोटेशियम प्रचुर मात्रा में मिलता है, जिसकी वजह से यह गुर्दे के रोगों में बहुत उपयोगी है और इससे पेशाब खुलकर आता है। 

5.लौकी श्‍लेषमा रहित आहार है। इसमें खनिज लवण अच्‍छी मात्रा में मिलती है। 

6.लौकी के बीज का तेल कोलेस्‍ट्रॉल को कम करता है तथा हृदय को शक्‍ति देता है। यह रक्‍त की नाडि़यों को भी स्‍वस्‍थ बनाता है। लौकी का उपयोग आंतों की कमजोरी, कब्‍ज, पीलिया, उच्‍च रक्‍तचाप, हृदय रोग, मधुमेह, शरीर में जलन या मानसिक उत्‍तेजना आदि में बहुत उपयोगी है।

थकान और वर्कलोड से परेशान लोग एक बार जरूर करें ये अनोखा काम


काम के बहुत अधिक बोझ व सही समय पर संतुलित खाना न होने से। अधिकांश लोगों के साथ थकान की समस्या बनी रहती है।ऑफिस कार्य ज्यादातर बैठे रहने वाला होता है ऐसे में बैठे-बैठे भी थकावट महसूस होने लगती है। थकान से कई अन्य समस्याएं शुरू हो जाती है शरीर की रोगप्रतिरोधी क्षमता घटती जाती है। इन सभी से बचने के लिए जरूरी है कुछ व्यायाम जरूरी है। थकान से बचने के लिए सबसे सरल और कारगर उपाय है भूनमनासन। इस आसन से कुछ ही दिनों में आपकी थकान दूर हो जाएगी और हर कार्य पूरी स्फूर्ति के साथ कर सकेंगे।यह आसन कमर और रीढ़ के लिए काफी लाभदायक है। इसमें हम शरीर को पीछे या आगे की ओर न झुकाकर दाएं या बाएं घुमाते हैं। इससे लंबे समय तक बैठने या खड़े होने से आई थकावट दूर होती है। भूनमनासन की विधि- समतल स्थान पर कंबल आदि बिछाकर बैठ जाएं। दोनों पैर सामने रखें। शरीर को सीधा रखकर सांस भरिए। कमर से ऊपर के भाग को सीधे हाथ की ओर मोड़ें और दोनों हथेलियों को जमीन पर दाहिनी तरफ रखें। अब सांस छोड़ते हुए अपने सिर को जमीन से छूने का प्रयास करें। इस स्थिति में कुछ क्षण रुके। सांस सामान्य रखें। इसके बाद सांस भरते हुए शरीर को ऊपर की ओर लाएं और सांस को छोड़ते हुए शरीर को सीधा कर लें। ऐसे ही दूसरी और से इस प्रक्रिया को करें। 
भूनमनासन के लिए सावधानियां

- इस आसन को सभी आसनों के अंत में करें।

- भू-नमनासन करते समय अपना ध्यान पीठ और कंधे की मांसपेशियों पर लगाकर रखें।

- आसन के दौरान कोशिश करें कि रीढ़ की हड्डी सीधी रहे और शरीर का वजन हाथों पर आए।

- इससे रीढ़ की हड्डी और कमर के निचले हिस्से का तनाव कम होता है।

- गर्भवती महिलाएं शुरूआत के तीन महीनों तक इस आसन का अभ्यास कर सकती हैं। इसके बाद इस आसन को न करें।

- जिन लोगों को हार्नियां और अल्सर की परेशानी हो वे भी इस आसन को न करें।

थकान और वर्कलोड से परेशान लोग एक बार जरूर करें ये अनोखा काम


काम के बहुत अधिक बोझ व सही समय पर संतुलित खाना न होने से। अधिकांश लोगों के साथ थकान की समस्या बनी रहती है।ऑफिस कार्य ज्यादातर बैठे रहने वाला होता है ऐसे में बैठे-बैठे भी थकावट महसूस होने लगती है। थकान से कई अन्य समस्याएं शुरू हो जाती है शरीर की रोगप्रतिरोधी क्षमता घटती जाती है। इन सभी से बचने के लिए जरूरी है कुछ व्यायाम जरूरी है। थकान से बचने के लिए सबसे सरल और कारगर उपाय है भूनमनासन। इस आसन से कुछ ही दिनों में आपकी थकान दूर हो जाएगी और हर कार्य पूरी स्फूर्ति के साथ कर सकेंगे।यह आसन कमर और रीढ़ के लिए काफी लाभदायक है। इसमें हम शरीर को पीछे या आगे की ओर न झुकाकर दाएं या बाएं घुमाते हैं। इससे लंबे समय तक बैठने या खड़े होने से आई थकावट दूर होती है। भूनमनासन की विधि- समतल स्थान पर कंबल आदि बिछाकर बैठ जाएं। दोनों पैर सामने रखें। शरीर को सीधा रखकर सांस भरिए। कमर से ऊपर के भाग को सीधे हाथ की ओर मोड़ें और दोनों हथेलियों को जमीन पर दाहिनी तरफ रखें। अब सांस छोड़ते हुए अपने सिर को जमीन से छूने का प्रयास करें। इस स्थिति में कुछ क्षण रुके। सांस सामान्य रखें। इसके बाद सांस भरते हुए शरीर को ऊपर की ओर लाएं और सांस को छोड़ते हुए शरीर को सीधा कर लें। ऐसे ही दूसरी और से इस प्रक्रिया को करें। 
भूनमनासन के लिए सावधानियां

- इस आसन को सभी आसनों के अंत में करें।

- भू-नमनासन करते समय अपना ध्यान पीठ और कंधे की मांसपेशियों पर लगाकर रखें।

- आसन के दौरान कोशिश करें कि रीढ़ की हड्डी सीधी रहे और शरीर का वजन हाथों पर आए।

- इससे रीढ़ की हड्डी और कमर के निचले हिस्से का तनाव कम होता है।

- गर्भवती महिलाएं शुरूआत के तीन महीनों तक इस आसन का अभ्यास कर सकती हैं। इसके बाद इस आसन को न करें।

- जिन लोगों को हार्नियां और अल्सर की परेशानी हो वे भी इस आसन को न करें।

इनसे कोई भी पा सकता है चमचमाते सफेद दांत

खूबसूरती के मापदंड में चेहरे में नयन और नक्श के बाद दांतों की बनावट और दिखावट का महत्वपूर्ण स्थान होता है। साफ सफेद और चमकते दांत किसी भी चेहरे की खूबसूरती में चार चांद लगा सकते हैं।

- आजकल के बच्चों के दांत सफेदद-सुन्दर नहीं होते क्योंकि टूथपेस्ट में डले हुए फ्लोराईड से दांत और हमारे शरीर की हड्डियां गलने, खराब होने लगती हैं। इस पर अनेक शोध हो चुके हैं। अत: पेस्ट के स्थान पर किसी आयुर्वेदिक या प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से बने हुए मंन्जन का प्रयोग करना चाहिये।

- कभी-कभी अवसर मिलने पर नीम, बबूल, बिल्व आदि पेड़ों से प्राप्त दांतुन भी करते रहना चाहिये।

- मल-मूत्र त्याग के समय दांत दबाकर बैठें और बाद में कुल्ला कर लें। इससे भी दांत मजबूत बनते हैं। असल में मल-मूत्र त्याग के समय हमारे दांतों की जडों में कुछ तेजाबी पदार्थ एकत्रित होकर उनकी जडों को कमजोर बना देते हैं। कुल्ला करने से ये तेजाबी तत्व निकल जाते हैं। हमारे पूर्वज तभी तो मल-मूत्र त्याग के बाद सदा कुल्ला किया करते थे।

ये एक बात याद रखेंगे तो ओवर वेट नहीं होंगे,हो गए हैं तो जल्दी ही स्लिम हो जाएंगे


अक्सर महिलाएं वजन कम करने के लिए डाइटिंग को चुनती हैं,पर अब शायद इस कहावत के मतलब बेमानी हो जाए, सुबह का नाश्ता राजा की तरह, दिन का खाना राजकुमार की तरह और रात्रि का भोजन भिखारी के तरह करना चाहिए- क्यूंकि नया वजन कम करने का जीवन मंत्रा कुछ ऐसा है..- लगातार थोड़ा-थोड़ा स्वस्थ भोजन खाए जाओ और वजन कम किए जाओ - ....हैं न मजेदार बात।

यदि आप वाकई अपना वजन कम करना चाहते हैं, तो अपने भोजन को खानों ( दो के बीच का अंतर ) में बाँट दें। महिलाओं में कराये गए एक अध्ययन के मुताबिक यदि आप दिन में कई बार थोड़े-थोड़े अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा संतुलित आहार लेते हैं तो आपका वजन उनकी तुलना में कम ही बढ़ता है,जो दिन में तीन से चार बार भारी खाना लेते हैं। इस शोध के अनुसार यदि आप थोड़े-थोड़े अंतराल पर भोजन लेते हैं, तो शरीर इसके लिए अभ्यस्त होकर सक्रिय जाता है और ऊर्जा को चर्बी के रूप में संचित नहीं करता है।

लेकिन ध्यान रहे कि थोड़े - थोड़े अंतराल पर खाने का सम्बन्ध केवल स्वस्थ भोजन से है, न कि जंक फूड से। इस अध्ययन का निष्कर्ष यह है कि एक बार में ही अधिक भोजन लेने के स्थान पर थोड़े अंतराल पर स्वस्थ भोजन लेना चाहिए। आयुर्वेद भी सम्पूर्ण उदर को एक ही बार भोजन से भर लेने को वज्र्य माना गया है, तो महिलाएं यदि आप अपने फि गर के लिए चिंतित हों और डाइटिंग को एक विकल्प के तौर पर ले रही हों तो भूल जाएं डाइटिंग और याद रखें नया फंडा थोड़ा खाओ लगातार खाओ और वजन कम करो .........!!

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