रविवार, 17 जून 2012

एक आसान योगासन इससे खत्म हो जाती है पेट की सारी प्रॉब्लम्स

पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे एसीडिटी और कब्ज। यह बीमारियां अधिकांश लोगों को परेशान करती हैं। इनसे छुटकारा पाने के लिए कूर्मासन का नियमित अभ्यास काफी फायदेमंद है।

कूर्मासन की विधि

किसी समतल स्थान पर कंबल या दरी बिछाकर वज्रासन की स्थिति में बैठ जाएं। अब दोनों कोहनियों को नाभि के दोनों ओर लगाएं। हथेलियों को ऊपर की ओर रखते हुए हाथ को मिलाकर सीधा रखें। सांस बाहर निकालते हुए सामने झुकें। ठोड़ी का हथेलियों से स्पर्श करें। दृष्टि सामने रखें। सांस लेते हुए वापस आएं या सांस की स्थिति सामान्य रखते हुए कुछ देर नीचे ही झुके रहें।

कूर्मासन के लाभ

इस आसन के नियमित अभ्यास से अग्न्याशय (पेन्क्रियाज) को सक्रिय करता है। जिससे डायबिटीज की बीमारी में काफी हद तक रोक लग जाती है। पेट संबंधी कई छोटे-छोटे रोग सदैव दूर ही रहते हैं। साथ ही यह आसन हृदय संबंधी बीमारियों की रोकथाम में भी मदद करता है।

एक आसान योगासन इससे खत्म हो जाती है पेट की सारी प्रॉब्लम्स

पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे एसीडिटी और कब्ज। यह बीमारियां अधिकांश लोगों को परेशान करती हैं। इनसे छुटकारा पाने के लिए कूर्मासन का नियमित अभ्यास काफी फायदेमंद है।

कूर्मासन की विधि

किसी समतल स्थान पर कंबल या दरी बिछाकर वज्रासन की स्थिति में बैठ जाएं। अब दोनों कोहनियों को नाभि के दोनों ओर लगाएं। हथेलियों को ऊपर की ओर रखते हुए हाथ को मिलाकर सीधा रखें। सांस बाहर निकालते हुए सामने झुकें। ठोड़ी का हथेलियों से स्पर्श करें। दृष्टि सामने रखें। सांस लेते हुए वापस आएं या सांस की स्थिति सामान्य रखते हुए कुछ देर नीचे ही झुके रहें।

कूर्मासन के लाभ

इस आसन के नियमित अभ्यास से अग्न्याशय (पेन्क्रियाज) को सक्रिय करता है। जिससे डायबिटीज की बीमारी में काफी हद तक रोक लग जाती है। पेट संबंधी कई छोटे-छोटे रोग सदैव दूर ही रहते हैं। साथ ही यह आसन हृदय संबंधी बीमारियों की रोकथाम में भी मदद करता है।

अचूक तरीके ....ऐसे रखें कोलेस्ट्रोल को काबू में हमेशा


कोलेस्ट्रोल, एक ऐसी समस्या है जो अब आम बनती जा रही है। कोलेस्ट्रोल का स्तर जब सामान्य से अधिक हो जाता है तो वह रक्त वाहिनियों में जमने लगता है जिसके कारण हृदय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। अगर आप भी बढ़े हुए कोलेस्ट्रोल या दिल की बीमारी से पीडि़त हैं तो नीचे लिखे उपाय आपके बहुत लाभदायक सिद्ध होंगे।

- कच्चा लहसुन रोज सुबह खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रोल कम होता है।

- रोज 50 ग्राम कच्चा ग्वारपाठा खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रोल कम हो जाता है।

- अंकुरित दालें भी खानी आरंभ करें।

- सोयाबीन का तेल प्रयोग करें यह भी उपचार है।

- लहसुन, प्याज के रस का सेवन भी उपयोगी साबित होता है।

- नींबू, आंवला जैसे भी ठीक लगे रोजाना केभोजन में शामिल करें।

- शराब या कोई नशा ना करें।

- इसबगोल के बीजों का तेल आधा चम्मच दिन में दो बार लेने से भी फायदा होता है।

- दूध में थोड़ी सी दालचीनी डालकर पीने से भी कोलेस्ट्रोल कंट्रोल में रहता है।

- रात के समय दो चम्मच धनिया एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह हिलाकर पानी पी लें। धनिया भी चबाकर निगल जाएं।

- एक गिलास ठंडे पानी में 40 तुलसी के पत्ते डाल लें और 1 नींबू निचोड़ लें। तुलसी के पत्तों को चबाते जाएं और नींबू का पानी पीते गए।
 

शुक्रवार, 15 जून 2012

चंदन एक फायदे अनेक



कीलमुंहासों के ठीक होने के बाद चेहरे पर किसी प्रकार के दागधब्बों को भी चंदन के लेप से साफ़ किया जा सकता है। 
  चंदन का लेप केवल कीलमुंहासों को, ठीक नहीं करता बल्कि त्वचा को साफ़ कर नमी भी प्रदान करता है। 1 चम्मच चंदन पाउडर में आधा चम्मच पाउडर मिला कर पेस्ट बना कर चेहरे पर 20 मिनट लगाए रखने से केवल कीलमुंहासे कम नहीं हो, आप का चेहरा भी खिलाखिला प्रतीत होता है। बराबर मात्रा में चंदन पाउडर हलदी पाउडर मिला कर थोड़े दूध के साथ पेस्ट बनाएं, इस में चुटकी भर कपूर भी मिलाएं। इस लेप की चेहरे पर मालिश कर रात भर लगा रहने दें। इस से आप को ठंडक के एहसास के साथसाथ चेहरे के दागधब्बे दूर होने का फायदा भी मिलेगा।
   समान मात्रा में चंदन पाउडर, हल्दी और नीबू का रस मिला कर चेहरे पर लगाएं। आधे घंटे बाद ठंडे पानी से धो लें। इस से आप की त्वचा नरम और दागरहित होगी।
  चंदन पाउडर और रोज वाटर का पेस्ट नियमित लगाने से अगर आप की त्वचा तैलीय है तो मुंहासे होने का डर नहीं रहेगा। इस के अलावा चंदन पाउडर में काले चने का पाउडर सामान मात्रा में मिला कर दूध गुलाबजल के साथ मिला कर चेहरे पर लगा कर रात भर रखने से आप कीलमुंहासों को हमेशा के लिए बायबाय कह सकेंगे।

साइड इफैक्ट नहीं 
चंदन  का प्रयोग प्राचीन काल से चला आ रहा है। खासकर आयुर्वेद में चंदन का प्रयोग खूब किया गया है। किसी प्रकार का घाव, फोड़ेफुंसी, कटनाछिलना आदिसभी पर चंदन के लेप से आराम मिलता है। यह एक कीमती पेड़ है, जो दक्षिण भारत में ज्यादातर पाया जाता है। चंदन का उबटन शादी से पहले नववधू लगाती है ताकि उस के चेहरे और काया की चमक बनी रहे। यह एक प्राकृतिक पदार्थ है, इसलिए इस के नियमित प्रयोग से किसी प्रकार का साइड इफेक्ट नहीं होता। 

इस की खूबियाँ 
- चंदन में कीटाणुनाशक विशेषता होने की वजह से यह हर्बल एंटीसेप्टिक है, इसलिए किसी भी प्रकार के छोटे घाव और खरोंच को ठीक करता है। यह जलने से हुए घाव को भी ठीक कर सकता है।
- शरीर के किसी भाग पर खुजली होने पर चंदन पाउडर में हल्दी और एक चम्मच नीबू का रस मिला कर लगाने से खुजली तो दूर होगी ही, साथ में त्वचा की लालिमा भी कम होगी।
- चंदन का तेल सूखी त्वचा के लिए गुणकारी होता है। यह सूखी त्वचा को नमी प्रदान करता है।
- अगर खटमल या मच्छर ने काटा है तो खुजली और सूजन को चंदन का लेप लगा कर कम किया जा सकता है।
- शरीर के किसी भाग का रंग अगर काला पड़ गया हो तो 5 चम्मच नारियल तेल के साथ 2 चम्मच नारियल तेल के साथ 2 चम्मच बादाम तेल और 4 चम्मच चंदन पाउडर मिला कर उस खुले भाग पर लगाएं। इस से कालापन तो  जाएगा ही, फिर से त्वचा काली नहीं होगी।
- शादी से पहले नववधू उबटन लगाए तो हल्दी में चंदन मिला कर लगाने से त्वचा में निखार आएगा।
- अगर किसी को अधिक पसीना आता है तो चंदन पाउडर में पानी मिला कर बदन पर लाने से पसीना कम होगा।
  इतना ही नहीं, चंदन का किसी भी रूप में प्रयोग गुणकारी होता है, चाहे वो साबुन, तेल या पाउडर किसी भी रूप में हो। चंदन शरीर की प्रक्रिया प्रक्रिया का संतुलन बनाता है, पाचन क्रिया को ठीक करता है, साथ ही श्वास प्रक्रिया और स्नायुतंत्र को मजबूत बनाता है।

लों पुराने आयुर्वेदिक टिप्स: इन्हें अपनाएं और पाएं गुणवान संतान


हिन्दू वैदिक मान्यताओं के अनुसार १६ संस्कारों को बहुत जरुरी माना गया है। इन्हीं में से एक बहुत महत्वपूर्ण संस्कार है, पुंसवन संस्कार। पुंसवन का उद्देश्य विकृति रहित, गुणवान संतान की प्राप्ति से है। आयुर्वेद में इस सम्बन्ध में बताये गए कुछ सरल उपाय संतान प्राप्ति में मददगार हो सकते हैं। आयुर्वेद के मनीषियों ने गर्भधारण से सम्बंधित विषयों को बड़ी सहजता से शास्त्रों में उल्लेखित किया है, इसके कुछ पहलु आपके सम्मुख प्रस्तुत है-

- एक महीने तक ब्रह्मचर्य का पालन (अर्थात मन, वचन एवं कर्म से यौन विषयों से एक माह तक दूर रहना) करने वाले पुरुष को उड़द की दाल से बनाई गई खिचड़ी के साथ दूध खाने का निर्देश है, साथ ही मासिक स्राव रुकने से अंतिम दिन (ऋतुकाल) के बाद छठी, आठवीं एवं दसवीं रात को यौन सम्बन्ध बनाने का निर्देश है। परन्तु ऐसा नहीं है कि अयुग्म दिनों में अर्थात पांचवीं, सातवीं एवं नौवीं रात्रि को यौन सम्बन्ध बनाने से संतान की प्राप्ति नहीं होगी।

- ऋतुकाल के बाद की चौथी रात्रि की अपेक्षा,छठी रात्रि एवं छठी की अपेक्षा आठवी रात्रि को यौन सम्बन्ध बनाना संतान प्राप्ति की दृष्टीकोण से अच्छा माना गया है।

- ऋतुकाल के सोलहवें से तीसवें दिन यौन सम्बन्ध बनाना संतान प्राप्ति की दृष्टि से अच्छा नहीं माना गया है।

- आयुर्वेद के मतानुसार ऋतुकाल के सामान्य चार दिनों में से पहले दिन स्त्री से यौन सम्बन्ध बनाना आयु को नष्ट करनेवाला बताया गया है तथा चौथे दिन के बाद यौन सम्बन्ध बनाना संतानोत्पत्ति की दृष्टी से उत्तम माना गया है अर्थात मासिक स्राव के दिनों को छोड़कर ही यौन सम्बन्ध बनाने का निर्देश दिया गया है।

- उत्तम संतान के लिए लक्ष्मणा, वट के नए कोपल, सहदेवा एवं विश्वदेवा में से किसी एक को दूध के साथ पीस कर स्त्री के दाहिने एवं बाएं नासिका छिद्र में डालना चाहिए।

- इस प्रकार गर्भधारण संस्कार में बताये गए नियमों से उत्पन्न संतान बलवान, ओजस्वी व स्वस्थ होती है।

बिना साइड इफैक्ट नींद न आने की परेशानी दूर हो जाएगी

सर्पगन्धा, ये नाम आपने शायद ही सुना हो लेकिन आयुर्वेद में ये बहुत ही उपयोगी जड़ी के रूप में वर्णित है। जैसे कि नाम से ही स्पष्ट हो जाता है, यह सर्प या सांप के काटने पर दवा के नाम पर प्रयोग में आता है। सांप काटने के अलावा इसे बिच्छू काटने के स्थान पर भी लगाने से राहत मिलती है। दो-तीन साल पुराने पौधे की जड़ को उखाड़ कर सूखे स्थान पर रखते है, इससे जो दवा निर्मित होती हैं, उसका उपयोग उच्च रक्तचाप, गर्भाशय की दीवार में संकुचन के उपचार में करते हैं। इसकी पत्ती के रस को निचोड़ कर आंख में दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है। अनिद्रा, हिस्टीरिया और मानसिक तनाव को दूर करने में सर्पगन्धा की जड़ का रस काफी उपयोगी है। इसकी जड़ का चूर्ण पेट के लिए काफी लाभदायक है। इससे पेट के अन्दर की कृमि खत्म हो जाती है।

पहचान- सर्पगन्धा के पौधे की ऊंचाई 6 इंच से 2 फुट तक होती है। इसकी प्रधान मुख्य जड़ प्राय: 20 से. मी. तक लम्बी होती है। जड़ में कोई शाखा नहीं होती है। सर्पगन्धा की पत्ती एक सरल पत्ती का उदाहरण है। इसका तना मोटी छाल से ढका रहता है। इसके फूल गुलाबी या सफेद रंग के होते हैं।

उपयोग- इसकी जड़ भी बहुत उपयोगी मानी जाती है। जिन लोगों को अनिद्रा की समस्या होती है, उनके लिए तो ये जड़ी वरदान है। यदि इसकी जड़ के चूर्ण का सेवन करना चाहें तो इसकी जड़ को खूब बारीक पीसकर कपड़े से छानकर महीन पावडर बना लें। अनिद्रा दूर कर नींद लाने के लिए इसे 2 ग्राम मात्रा में सोने से घण्टेभर पहले ठण्डे पानी के साथ ले लेना चाहिए।

सावधानी- यही मात्रा मानसिक उत्तेजना व उन्माद को शान्त करने के लिए सेवन योग्य है। इसका अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए और बहुत कमजोर शरीर वाले व्यक्ति को भी इसका सेवन किसी वैद्य से परामर्श करके ही करना चाहिए।

बुधवार, 13 जून 2012

फूड प्‍वाइजनिंग: रोकथाम और इलाज


बरतें यह सावधानियां - 
  • खाना बनाने के पहले और बाद में अपने हाथों को धोएं, खास कर कच्‍चा मांस छूने के बाद।
  • कच्‍ची हरी साग-सब्‍जियों को पकाने से पहले या फिर खाने से पहले जरुर धोएं।
  • भोजन को तब तक पकाएं जब तक उसके विषैले तत्‍व बाहर न निकल जाएं। साथ ही खाने को हमेशा साफ कंटेनर में ही रखें।
  • भोजन करने के तुरंत बाद ही बचा हुआ भोजन फ्रिज में रखें।
  • ऐसे खाना न खाएं जो कई देर से खुले में रखा हुआ हो और उसमें से महक आने लग गई हो। इसके अलावा अगर पैकेट पर डेट एक्‍सपायर हो गई हो तो भी उसे न खाएं।
  • टॉयलेट से आने के बाद अपने हाथों को साबुन से जरुर धोएं। अगर आपके घर पर पालतू जानवर है तो भी उसे छूने के बाद हाथों को धोएं।
  • ट्रैवल के दौरान अपने साथ घर का बना गरम और ताजा खाना ही ले जाएं। ठंडा और कच्‍चा खाना तब न रखें जब तक वह छिलके वाला न हो, जैसे केला।
ध्‍यान देने वाली बातें -
  • हमेशा भरोसेमंद स्‍टोर से ही खाने का सामान खरीदें। हमेशा सड़े-गले और किसी तरह की असामान्यता वाले फलों को लेने से बचना चाहिये। खाना अगर पैकेट वाला है तो हमेशा उसकी एक्‍सपायरी डेट को पढ़ लेना चाहिये।
  • अगर साबुत अनाजों में किसी तरह का कीड़ा या भुकड़ी लगी है, तो तुरंत उसे छोड़ कर आगे बढ़ जाना चाहिये।
  • जमे हुए खाने के सामानों को शौपिंग करने के सबसे आखिर में खरीदना चाहिये जिससे घर पर जाते ही वह आपके फ्रिज में जल्‍द से जल्‍द रखा जा सके।
इलाज -
  • अगर यह समस्‍या हल्‍की है तो इसका समाधान बड़े ही आराम से घर पर खूब सारा पानी पी कर किया जा सकता है।
  • शराब, कैफीन या फिर चीनी से भरे ड्रिंक का सेवन बंद कर दें। इस दौरान एलेक्‍ट्रॉल, ग्‍लूकोज़ या फिर शिकंजी का प्रयोग करें।
  • इससे शरीर से जितना पानी निकला होगा वह इन एनर्जी ड्रिंक से वापस आ जाएगा और आप बेहतर महसूस करने लगेंगे।
  • अगर पेट खराब हो गया हो तो ब्‍लैक टी पिएं और एक पेय तैयार करें जिसमें 1 चम्‍मच मेथी के दाने, पानी और मठ्ठा मिला हो, इसे पीने से जरुर राहत मिलेगी।
कब दिखाएं डॉक्‍टर को?
  • अगर साथ में बुखार भी हो।
  • दस्‍त में खून आ रहा हो।
  • अगर बार-बार उल्‍टी हो रही हो और पानी निकल रहा हो।
  • अगर समस्‍या 3 दिन से ज्‍यादा हो रही हो। अगर समस्‍या सीफूड या मशरूम खाने पर हुई हो।
  • अगर पेचिश की शंका हो, मुंह सूख रहा हो, पेशाब कम हो रही हो, चक्‍कर, थकान या फिर हार्ट रेट बढ गया हो और सांस लेने में परेशानी हो रही हो।

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