पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे एसीडिटी और कब्ज। यह बीमारियां अधिकांश लोगों को परेशान करती हैं। इनसे छुटकारा पाने के लिए कूर्मासन का नियमित अभ्यास काफी फायदेमंद है।
कूर्मासन की विधि
किसी समतल स्थान पर कंबल या दरी बिछाकर वज्रासन की स्थिति में बैठ जाएं। अब दोनों कोहनियों को नाभि के दोनों ओर लगाएं। हथेलियों को ऊपर की ओर रखते हुए हाथ को मिलाकर सीधा रखें। सांस बाहर निकालते हुए सामने झुकें। ठोड़ी का हथेलियों से स्पर्श करें। दृष्टि सामने रखें। सांस लेते हुए वापस आएं या सांस की स्थिति सामान्य रखते हुए कुछ देर नीचे ही झुके रहें।
कूर्मासन के लाभ
इस आसन के नियमित अभ्यास से अग्न्याशय (पेन्क्रियाज) को सक्रिय करता है। जिससे डायबिटीज की बीमारी में काफी हद तक रोक लग जाती है। पेट संबंधी कई छोटे-छोटे रोग सदैव दूर ही रहते हैं। साथ ही यह आसन हृदय संबंधी बीमारियों की रोकथाम में भी मदद करता है।
कूर्मासन की विधि
किसी समतल स्थान पर कंबल या दरी बिछाकर वज्रासन की स्थिति में बैठ जाएं। अब दोनों कोहनियों को नाभि के दोनों ओर लगाएं। हथेलियों को ऊपर की ओर रखते हुए हाथ को मिलाकर सीधा रखें। सांस बाहर निकालते हुए सामने झुकें। ठोड़ी का हथेलियों से स्पर्श करें। दृष्टि सामने रखें। सांस लेते हुए वापस आएं या सांस की स्थिति सामान्य रखते हुए कुछ देर नीचे ही झुके रहें।
कूर्मासन के लाभ
इस आसन के नियमित अभ्यास से अग्न्याशय (पेन्क्रियाज) को सक्रिय करता है। जिससे डायबिटीज की बीमारी में काफी हद तक रोक लग जाती है। पेट संबंधी कई छोटे-छोटे रोग सदैव दूर ही रहते हैं। साथ ही यह आसन हृदय संबंधी बीमारियों की रोकथाम में भी मदद करता है।
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