जो व्यक्ति सदा क्रियाशील रहता है, रोग उसके पास नहीं फटकते। आरामदायक जीवन जीने वाला ही बीमार होता है। स्वस्थ रहने के लिए सदा क्रियाशील बने रहें।
* जो व्यक्ति स्वस्थ है, वह सुख-सुविधाओं का आनंद ले सकता है। उपलब्ध पदार्थों का सेवन कर सकता है। रोगी व्यक्ति के सभी साधन भी बेकार समझें।
* स्वस्थ व्यक्ति ही आयोजनों में, विवाह-शादियों में शामिल हो सकता है। लोगों से मिलकर बातचीत का आनंद ले सकता है। रोगी कभी नहीं।
* क्रियाशील रहें। बिस्तर नहीं पकड़ें। अपने कार्य अपने हाथों से करें दूसरों पर निर्भर न रहें।
* लक्ष्य निश्चित करें। परिणाम पाने के लिए प्रयत्न करें।
* दिनभर कार्यों में व्यस्त रहेंगे तो रात को अच्छी नींद आएगी। दिन में भोजन भी उचित पा लेंगे।
* यदि आपके पास अपार धन है मगर स्वास्थ्य अच्छा नहीं तो सब बेकार। स्वस्थ रहने के लिए हरसंभव प्रयत्न करें। तभी मकान, धन सब ठीक लगेंगे।
* निरोग नहीं होंगे तो पकवान भी बेकार। खाने-पीने तथा एंजॉय करने के साधनों का लाभ तभी होगा, जब आप रोगों से बचे रहेंगे। पूर्ण स्वस्थ होना चाहिए।
* उपलब्ध साधनों का लाभ नहीं उठा सकता है, जो इसके लिए शारीरिक रूप से तैयार हो।
* धनोपार्जन के लिए अपने कारोबार को बढ़ाते हैं। अपनी पैठ बनाते हैं। प्रतिष्ठा पाते हैं, मगर यह सब तभी संभव होगा, जब स्वास्थ्य अच्छा होगा। रोगों से छुटकारा रहेगा, तभी ठीक वरना बेकार।
* यह सत्य है कि हमारा शरीर, ईश्वर का मंदिर है। यदि यह स्वच्छ होगा, स्वस्थ होगा, पवित्र होगा, क्रियाशील बना रहेगा तो इस मंदिर के आराध्य देव भी इसमें स्थापित होंगे अन्यथा छोड़ जाएंगे। अत: स्वस्थ रहकर इन्हीं दिशाओं में आगे बढ़ें।
* जो व्यक्ति स्वस्थ है, वह सुख-सुविधाओं का आनंद ले सकता है। उपलब्ध पदार्थों का सेवन कर सकता है। रोगी व्यक्ति के सभी साधन भी बेकार समझें।
* स्वस्थ व्यक्ति ही आयोजनों में, विवाह-शादियों में शामिल हो सकता है। लोगों से मिलकर बातचीत का आनंद ले सकता है। रोगी कभी नहीं।
* क्रियाशील रहें। बिस्तर नहीं पकड़ें। अपने कार्य अपने हाथों से करें दूसरों पर निर्भर न रहें।
* लक्ष्य निश्चित करें। परिणाम पाने के लिए प्रयत्न करें।
* दिनभर कार्यों में व्यस्त रहेंगे तो रात को अच्छी नींद आएगी। दिन में भोजन भी उचित पा लेंगे।
* यदि आपके पास अपार धन है मगर स्वास्थ्य अच्छा नहीं तो सब बेकार। स्वस्थ रहने के लिए हरसंभव प्रयत्न करें। तभी मकान, धन सब ठीक लगेंगे।
* निरोग नहीं होंगे तो पकवान भी बेकार। खाने-पीने तथा एंजॉय करने के साधनों का लाभ तभी होगा, जब आप रोगों से बचे रहेंगे। पूर्ण स्वस्थ होना चाहिए।
* उपलब्ध साधनों का लाभ नहीं उठा सकता है, जो इसके लिए शारीरिक रूप से तैयार हो।
* धनोपार्जन के लिए अपने कारोबार को बढ़ाते हैं। अपनी पैठ बनाते हैं। प्रतिष्ठा पाते हैं, मगर यह सब तभी संभव होगा, जब स्वास्थ्य अच्छा होगा। रोगों से छुटकारा रहेगा, तभी ठीक वरना बेकार।
* यह सत्य है कि हमारा शरीर, ईश्वर का मंदिर है। यदि यह स्वच्छ होगा, स्वस्थ होगा, पवित्र होगा, क्रियाशील बना रहेगा तो इस मंदिर के आराध्य देव भी इसमें स्थापित होंगे अन्यथा छोड़ जाएंगे। अत: स्वस्थ रहकर इन्हीं दिशाओं में आगे बढ़ें।
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