इन तरीको से दूर करें पीलिया-
1. ब्रेस्टफीडिंग- शिशु के शरीर से बिलीरुबिन को मल या फिर पेशाब दा्रारा निकाला जाता है। शिशु का लीवर उस वक्त कमजोर होता है, जिस कारण वह अपने शरीर से बिलीरुबिन को नहीं निकाल पाता। पर शिशु को अच्छे से ब्रेस्टफीडिंग करवा कर इसे पेशाब या मल दा्रा निकलवाया जाता है। पीलिया होने से बच्चे को बहुत नींद आती है इसलिए उसे 2-3 घंटे के अंतराल पर जगा कर या तो दूध पिलाना चाहिये या तो डॉक्टर दा्रा फॉर्मुला।
2. सूरज की रौशनी- पीलिया को जड़ से मिटाने के लिए यह एक प्राकृति उपचार है। सूरज की किरणों से बिलीरुबिन का स्तर कम होने लगता है। बच्चे को धूप में 1-2 घंटे तक बाहर धूप में लिटाएं और ध्यान रखें की उसके शरीर पर केवल डायपर ही हो। इसके अलावा सूरज की सीधी रौशनी शरीर पर न ही पड़े वरना उसकी त्वचा टैन हो जाएगी।
3. फारमूला- अगर आपके बच्चे को स्तन से दूध पीने में परेशानी होती है, तो उसके लिए लैक्टेशन स्पेशलिस्ट से संपर्क कर के मां के दूध का इंतजाम करें। आप चाहें तो अपना दूध निकाल कर बच्चे को चम्मच से पिला सकती हैं।
1. ब्रेस्टफीडिंग- शिशु के शरीर से बिलीरुबिन को मल या फिर पेशाब दा्रारा निकाला जाता है। शिशु का लीवर उस वक्त कमजोर होता है, जिस कारण वह अपने शरीर से बिलीरुबिन को नहीं निकाल पाता। पर शिशु को अच्छे से ब्रेस्टफीडिंग करवा कर इसे पेशाब या मल दा्रा निकलवाया जाता है। पीलिया होने से बच्चे को बहुत नींद आती है इसलिए उसे 2-3 घंटे के अंतराल पर जगा कर या तो दूध पिलाना चाहिये या तो डॉक्टर दा्रा फॉर्मुला।
2. सूरज की रौशनी- पीलिया को जड़ से मिटाने के लिए यह एक प्राकृति उपचार है। सूरज की किरणों से बिलीरुबिन का स्तर कम होने लगता है। बच्चे को धूप में 1-2 घंटे तक बाहर धूप में लिटाएं और ध्यान रखें की उसके शरीर पर केवल डायपर ही हो। इसके अलावा सूरज की सीधी रौशनी शरीर पर न ही पड़े वरना उसकी त्वचा टैन हो जाएगी।
3. फारमूला- अगर आपके बच्चे को स्तन से दूध पीने में परेशानी होती है, तो उसके लिए लैक्टेशन स्पेशलिस्ट से संपर्क कर के मां के दूध का इंतजाम करें। आप चाहें तो अपना दूध निकाल कर बच्चे को चम्मच से पिला सकती हैं।
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